अमेरिकी जांच एजेंसियों के मुताबिक, हाल के कुछ दिनों में व्हाइट हाउस और कुछ डिपार्टमेंट्स को रिसिन नामक खतरनाक कैमिकल वाले लिफाफे भेजे गए। व्हाइट हाउस के एक अफसर ने शनिवार को कहा- जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या कुछ दूसरे खतरनाक कैमिकल वाले लिफाफे भी व्हाइट हाउस या दूसरे डिपार्टमेंट्स को भेजे गए हैं। अधिकारियों का मानना है कि इस साजिश को अंजाम देने के लिए लोकल पोस्टल सिस्टम का इस्तेमाल किया गया।
एक महिला पर शक
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, जांच एजेंसियों को शक है कि ये लिफाफे कनाडा से भेजे गए। एक महिला की संदिग्ध के तौर पर पहचान की गई है। हालांकि, उसका नाम उजागर नहीं किया गया। सभी लिफाफे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नाम से भेजे गए हैं। इनका पता टेक्सास में जांच के दौरान लगा। दरअसल, व्हाइट हाउस में आने वाली सभी डाक की बारीकी से जांच की जाती है। छंटनी के बाद ही इन्हें व्हाइट हाउस भेजा जाता है। जांच के दौरान कुछ लिफाफों पर शक हुआ।
टेरेरिज्म टास्क फोर्स कर रही है जांच
वॉशिंगटन में ज्वॉइंट टेररिज्म टास्क फोर्स को इस मामले की जांच सौंपी गई है। इसमें न्यूयॉर्क पुलिस की स्पेशल यूनिट इस जांच एजेंसी की मदद करेगी। अब तक जांच में रिसिन वाले लिफाफों का किसी आतंकी संगठन से संबंध नहीं पाया गया है। हालांकि, जांच का यह शुरुआती दौर है। एक अफसर ने कहा- पुख्ता तौर पर हम अभी कुछ नहीं कह सकते। एफबीआई ने भी इस बारे में एक बयान जारी किया। कहा- हम यूएस सीक्रेट सर्विस और यूएस पोस्टल इन्सपेक्शन सर्विस की मदद से जांच कर रहे हैं। लोगों को कोई खतरा नहीं है।
पहले भी ऐसी घटनाएं हुईं
जांच एजेंसियों को कुछ सुराग मिल चुके हैं, लेकिन इनकी जानकारी मीडिया को नहीं दी गई हैं। 2018 में रक्षा मंत्री जिम मैटिस को इसी तरह के लिफाफे भेजे गए थे। जांच के बाद नेवी के पूर्व अफसर सिल्डे एलीन को गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा कुछ और अफसरों को भी एलीन ने ऐसे ही लिफाफे भेजे थे। उसका मामला कोर्ट में चल रहा है। 2013 में मिसीसिपी के एक व्यक्ति ने तब के राष्ट्रपति बराक ओबामा और एक रिपब्लिकन सीनेटर को रिसिन वाले लिफाफे भेजे थे। बाद में शेनन रिचर्डसन नाम की एक महिला को 18 साल की सजा हुई थी।
यहां ज्वेलर, उनकी पत्नी और दो बेटों के शव उनके घर में फंदे से लटकते मिले हैं। शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने बताया कि मृतक यशवंत सोनी ने कर्ज लिया था। कर्ज माफिया उसे परेशान कर रहे थे, इसी से तंग आकर परिवार ने सामूहिक आत्महत्या कर ली। फिलहाल, शवों का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। फोरेंसिक टीम ने भी मौके की जांच की।
कानोता इलाके के राधिका विहार में यशवंत (45) परिवार के साथ रहते थे। परिवार में उनकी पत्नी ममता (41), बेटा अजीत (23) और भारत (20) थे। शनिवार सुबह जब परिवार बाहर नहीं दिखा तो आसपास रहने वाले रिश्तेदार घर पहुंचे। दरवाजा अंदर से बंद था। रिश्तेदारों ने आवाज दी तो कोई जवाब नहीं आया।
इसके बाद उन लोगों ने खिड़की से देखा तो पूरा परिवार फंदे पर लटका दिखा। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पिता और दोनों बेटे एक हॉल में फंदे पर लटके हुए थे। जबकि पत्नी अलग कमरे में फंदे से लटकी मिली। उनकी आंख पर पट्टी बंधी थी। वहीं दोनों बेटों के पैर बंधे हुए थे।
पिता और दो बेटे हॉल में लटके मिले। वहीं, महिला अन्य कमरे में फंदे से लटकी मिली।
आसपास के लोगों का कहना है कि रात को कुछ लोग घर पर आए थे। उनसे लेनदेन को लेकर कुछ कहासुनी हुई थी। उसके बाद क्या हुआ किसी को कुछ नहीं पता। यशवंत ज्वेलरी का काम करते थे। यह भी बताया जा रहा है कि मौके से पुलिस को सुसाइड नोट भी मिला। हालांकि, पुलिस ने सुसाइड नोट मिलने के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। फंदे से लटके बेटों के पैर और महिला की आंख पर पट्टी क्यों बंधी थी, इस बारे में भी अधिकारी स्पष्ट तौर पर बता नहीं पा रहे हैं।
एक महीने पहले भी यशवंत ने की थी आत्महत्या की कोशिश
पुलिस जांच में सामने आया है कि यशवंत सोनी ने करीब एक महीने पहले भी आत्महत्या की कोशिश की थी। उन्होंने हाथ की नस काट ली थी। इस दौरान परिवार उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचा था, जहां उनकी जान बच गई थी।
कर्ज के कारण परेशान था परिवार
मौके पर पहुंचे एडिशनल एसपी मनोज चौधरी ने बताया कि परिवार का ज्वेलरी का काम था। पता चला है कि इन्होंने किसी से ब्याज पर पैसे ले रहे थे, जिसके कारण ब्याज माफिया इन्हें प्रताड़ित कर रहे थे। इससे परेशान होकर परिवार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उधर, बताया जा रहा है कि आसपास से लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है।
फिलहाल, फोरेंसिक की टीम ने भी मौके से सबूत जुटाए हैं। चारों मृतकों के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जेएनयू अस्पताल की मॉर्चरी में रखवाया गया है। इनकी पहले कोरोना जांच की जाएगी। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद कल पोस्टमॉर्टम किया जाएगा।
इसी मकान में परिवार के चारों सदस्यों के शव लटके मिले हैं।
हत्या के एंगल से भी होगी जांच?
पुलिस का कहना है कि शुरुआती जांच में मामला सामूहिक आत्महत्या का लग रहा है। लेकिन, फोरेंसिक टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए हैं। मृतक के रिश्तेदारों और उनसे जुड़े लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। चारों मृतकों की फोन कॉल की डिटेल भी निकलवाई गई है। ऐसे में सभी एंगल पर पुलिस जांच कर रही है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को खेती से जुड़े दो बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल राज्यसभा में पेश किए। उन्होंने कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।
उधर, कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे। बिलों को लेकर पंजाब-हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, इसी मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। बिल लोकसभा से पास हो चुके हैं।
केजरीवाल बोले- सब मिलकर बिल का विरोध करें
आम आदमी पार्टी ने भी किसानों से जुड़े बिल का विरोध किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके सभी विपक्षी दलों से इस बिल के विरोध में वोटिंग करने को कहा है।
आज पूरे देश के किसानों की नज़र राज्य सभा पर है। राज्य सभा में भाजपा अल्पमत में है। मेरी सभी ग़ैर भाजपा पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हरायें, यही देश का किसान चाहता है। https://t.co/NcEX4aYFQz
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि सत्ताधारी पार्टी इन बिल पर चर्चा ही नहीं करना चाहती है। ये केवल इन बिल को पास कराने के लिए इसे पेश कर रहे हैं। यही नहीं, इस बिल को रखने से पहले किसानों के किसी संगठन से चर्चा भी नहीं की।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की इनकम डबल करने का वादा किया है, लेकिन मौजूदा दर के हिसाब से तो 2028 तक डबल नहीं हो सकता। आपके (प्रधानमंत्री) वादों से आपकी विश्वसनीयता कम होती जा रही है।
माकपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक ने विधेयकों में संशोधन की मांग की। इसे राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।
कांग्रेस ने बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे।
भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस से पूछा कि जब आपकी सरकार थी तो साल दर साल ग्रामीण क्षेत्रों की आय क्यों कम हुई? आप इस बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?
सदन में सदस्यों के आंकड़ों का गणित?
245 सदस्यों वाली राज्य सभा में दो सीट खाली है। इस तरह से अभी कुल सदस्यों की संख्या 243 है।
सरकार को बिल पास कराने के लिए 122 सदस्यों का साथ चाहिए होगा।
10 सदस्य कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे।
अभी भाजपा के 86 सांसद और उसकी सहयोगी दलों (अकाली दल को छोड़कर) के सदस्यों को मिला लें तो यह 105 हो जाती है।
बिल पास कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के 17 सदस्यों का साथ चाहिए।
9 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन करने को कहा है। इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हो जाते हैं।
शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया है। सदन में शिवसेना के 3 सदस्य हैं। ऐसे में बिल के समर्थन में 117 हो जाते हैं।
अब सरकार को 5 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेडी के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीआरएस के 7, और टीडीपी के 1 सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है।
क्या हैं ये विधेयक?
कृषि सुधारों को टारगेट करते हुए लाए गए यह तीन विधेयक हैं- द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020।
इन तीनों ही कानूनों को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को ऑर्डिनेंस की शक्ल में लागू किया था। तब से ही इन पर बवाल मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इसमें किसानों का शोषण और कॉर्पोरेट्स का फायदा दिख रहा है।
कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के विरोध के बाद भी एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल लोकसभा में पारित हो गया है। अब राज्यसभा में रखा गया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने रविवार को खेती से जुड़े दो बिल फार्मर्स एंड प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) बिल और फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विस बिल राज्यसभा में पेश किए। उन्होंने कहा कि दोनों बिल ऐतिहासिक हैं, इनसे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। किसान देशभर में कहीं भी अपना अनाज बेच सकेंगे। मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि बिलों की संबंध न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नहीं है।
उधर, कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे। बिलों को लेकर पंजाब-हरियाणा के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं, इसी मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की मंत्री हरसिमरत कौर ने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। बिल लोकसभा से पास हो चुके हैं।
केजरीवाल बोले- सब मिलकर बिल का विरोध करें
आम आदमी पार्टी ने भी किसानों से जुड़े बिल का विरोध किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके सभी विपक्षी दलों से इस बिल के विरोध में वोटिंग करने को कहा है।
आज पूरे देश के किसानों की नज़र राज्य सभा पर है। राज्य सभा में भाजपा अल्पमत में है। मेरी सभी ग़ैर भाजपा पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हरायें, यही देश का किसान चाहता है। https://t.co/NcEX4aYFQz
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि ऐसा लगता है कि सत्ताधारी पार्टी इन बिल पर चर्चा ही नहीं करना चाहती है। ये केवल इन बिल को पास कराने के लिए इसे पेश कर रहे हैं। यही नहीं, इस बिल को रखने से पहले किसानों के किसी संगठन से चर्चा भी नहीं की।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की इनकम डबल करने का वादा किया है, लेकिन मौजूदा दर के हिसाब से तो 2028 तक डबल नहीं हो सकता। आपके (प्रधानमंत्री) वादों से आपकी विश्वसनीयता कम होती जा रही है।
माकपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक ने विधेयकों में संशोधन की मांग की। इसे राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।
कांग्रेस ने बिल का विरोध किया। कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि वह और उनकी पार्टी किसानों के डेथ वॉरंट पर साइन नहीं करेंगे।
भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस से पूछा कि जब आपकी सरकार थी तो साल दर साल ग्रामीण क्षेत्रों की आय क्यों कम हुई? आप इस बिल का क्यों विरोध कर रहे हैं?
सदन में सदस्यों के आंकड़ों का गणित?
245 सदस्यों वाली राज्य सभा में दो सीट खाली है। इस तरह से अभी कुल सदस्यों की संख्या 243 है।
सरकार को बिल पास कराने के लिए 122 सदस्यों का साथ चाहिए होगा।
10 सदस्य कोरोना की वजह से सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे।
अभी भाजपा के 86 सांसद और उसकी सहयोगी दलों (अकाली दल को छोड़कर) के सदस्यों को मिला लें तो यह 105 हो जाती है।
बिल पास कराने के लिए सरकार को विपक्षी दलों के 17 सदस्यों का साथ चाहिए।
9 सदस्यों वाली अन्नाद्रमुक ने बिल के समर्थन का ऐलान किया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने तीनों कृषि विधेयकों का समर्थन करने को कहा है। इस तरह बिल के समर्थन में 114 सांसद हो जाते हैं।
शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया है। सदन में शिवसेना के 3 सदस्य हैं। ऐसे में बिल के समर्थन में 117 हो जाते हैं।
अब सरकार को 5 सदस्यों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में बीजेडी के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 6, टीआरएस के 7, और टीडीपी के 1 सदस्य की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इन दलों के कुल सदस्यों की संख्या 23 है।
क्या हैं ये विधेयक?
कृषि सुधारों को टारगेट करते हुए लाए गए यह तीन विधेयक हैं- द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020।
इन तीनों ही कानूनों को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून 2020 को ऑर्डिनेंस की शक्ल में लागू किया था। तब से ही इन पर बवाल मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इसमें किसानों का शोषण और कॉर्पोरेट्स का फायदा दिख रहा है।
कांग्रेस एवं अन्य पार्टियों के विरोध के बाद भी एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल लोकसभा में पारित हो गया है। अब राज्यसभा में रखा गया है।
from Dainik Bhaskar /national/news/agriculture-minister-tomar-introduced-2-bills-related-to-farming-in-rajya-sabha-said-these-will-change-the-lives-of-farmers-they-have-no-relation-with-msp-127736630.html
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देश में कोरोना मरीजों की संख्या 53 लाख 98 हजार 230 हो गई है। पिछले 24 घंटे के अंदर रिकॉर्ड 12 लाख से ज्यादा लोगों की जांच हुई। एक दिन में टेस्टिंग का ये सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इन 12 लाख लोगों में 7.66% यानी 92 हजार 574 नए मरीज बढ़े। अब तक 42 लाख 99 हजार 724 लोग ठीक हो चुके हैं। शनिवार को 94 हजार 384 मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
अच्छी बात है कि यह लगातार दूसरा दिन था जब देश में संक्रमितों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। इसी के साथ भारत अब मरीजों के ठीक होने के मामले में पहले नंबर पर हो गया है। यहां अब तक अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। अमेरिका अब दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। (भारत में 100 संक्रमितों में से 79 रिकवर, पूरी खबर पढ़ें)
मरने वालों का आंकड़ा 86 हजार के पार
शनिवार को देश में 1,149 संक्रमितों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इसी के साथ मरने वालों की संख्या अब 86 हजार 774 हो गई है। अभी 10 लाख 10 हजार 975 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। ये मरीज घर में रहकर या फिर अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। इनमें करीब 9 हजार मरीजों की हालत गंभीर है।
कल से कोरोना वैक्सीन का आखिरी ट्रायल शुरू होगा
कोरोना के लिए बनाए जा रहे ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का आखिरी और फेज-3 ट्रायल सोमवार से पुणे में शुरू हो जाएगा। इसके लिए 150 से 200 वालंटियर्स डोज लेने के लिए तैयार हैं।
कोरोना अपडेट्स :
रेलवे ने शनिवार को कहा कि कोऑपरेटिव और प्राइवेट बैंकों के 10% कर्मचारियों को मुंबई की सबअर्बन ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत दी जाएगी। कोरोना महामारी के चलते सबअर्बन ट्रेनों में यात्रा करने पर प्रतिबंध था। नेशनलाइज्ड बैंकों के कर्मचारियों को पहले से ही ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। उन्होंने बताया कि मैंने कोरोना के शुरुआती लक्षण नजर आने पर टेस्ट कराया था, जिसमें मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मेरा निवेदन है कि विगत दिनों जो भी लोग मेरे संपर्क में आये हैं वह आइसोलेशन में रहें एवं अपना कोविड-19 टेस्ट जरूर कराएं।
अनलॉक 4.0 की गाइडलाइन में मिली छूट के तहत पंजाब सरकार ने 21 सितंबर से राज्य में हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट खोलने का फैसला लिया है। राज्य सरकार के मुताबिक इंस्टीट्यूट जहां पीएचडी, पीजी टेक्निकल या प्रोफेशनल कोर्स चलते हैं वो सब खुलेंगे। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के नियमों का पालन करना होगा।
केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि लॉकडाउन के दौरान चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 97 प्रवासी मजदूरों की सफर के दौरान मौत हुई। गोयल ने कहा कि ये आंकड़े राज्य सरकारों की ओर से मिले हैं।
संसद में मानसूत्र के छठवें दिन शनिवार को राज्यसभा में महामारी रोग संशोधन विधेयक, 2020 पारित किया गया। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए बिल की जरूरत थी।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
शनिवार को 2607 केस मिले। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या 1 लाख 3 हजार 65 हो गई है।राज्य में केस के दोगुना होने की दर बढ़ गई है। अब 42 दिन में दोगुने मरीज मिल रहे हैं। सितंबर के 18 दिनों में भोपाल में 5000 से ज्यादा केस आए हैं।
2. राजस्थान
शनिवार को रिकॉर्ड 1834 संक्रमित मिले। अब यहां 1 लाख 13 हजार 124 केस हो गए हैं। 93 हजार 805 ठीक हो चुके हैं। 1943 की मौत हो चुकी है। राज्य सरकार ने अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों से परिवार को मिलने की इजाजत दे दी है। हालांकि, मरीज से मिलने वाले को पीपीई किट, ग्लव्स और फेस मास्क पहनना होगा।
3. बिहार
शनिवार को 1616 नए मरीज मिले और 1556 ठीक हो गए। दो संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। राज्य में अब तक 1 लाख 66 हजार 987 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 1 लाख 52 हजार 956 ठीक हो चुके हैं, जबकि 861 की मौत हो चुकी है। 13 हजार 169 संक्रमितों का इलाज चल रहा है।
4. महाराष्ट्र
शनिवार को 20 हजार 519 केस आए। यहां अब तक 11 लाख 88 हजार 15 केस आ चुके हैं। 8 लाख 57 हजार 933 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। 2 लाख 97 हजार 480 का इलाज चल रहा है, जबकि 32 हजार 216 की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
शनिवार को 5729 संक्रमित मिले, जबकि 6596 ठीक हो गए। राज्य में 3 लाख 48 हजार 517 केस आ चुके हैं। 2 लाख 76 हजार 690 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 4953 की मौत हो चुकी है। अभी 66 हजार 874 संक्रमितों का इलाज चल रहा है।
देश में कोरोना मरीजों की संख्या 53 लाख 98 हजार 230 हो गई है। पिछले 24 घंटे के अंदर रिकॉर्ड 12 लाख से ज्यादा लोगों की जांच हुई। एक दिन में टेस्टिंग का ये सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इन 12 लाख लोगों में 7.66% यानी 92 हजार 574 नए मरीज बढ़े। अब तक 42 लाख 99 हजार 724 लोग ठीक हो चुके हैं। शनिवार को 94 हजार 384 मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
अच्छी बात है कि यह लगातार दूसरा दिन था जब देश में संक्रमितों से ज्यादा ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी। इसी के साथ भारत अब मरीजों के ठीक होने के मामले में पहले नंबर पर हो गया है। यहां अब तक अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। अमेरिका अब दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। (भारत में 100 संक्रमितों में से 79 रिकवर, पूरी खबर पढ़ें)
मरने वालों का आंकड़ा 86 हजार के पार
शनिवार को देश में 1,149 संक्रमितों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इसी के साथ मरने वालों की संख्या अब 86 हजार 774 हो गई है। अभी 10 लाख 10 हजार 975 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है। ये मरीज घर में रहकर या फिर अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। इनमें करीब 9 हजार मरीजों की हालत गंभीर है।
कल से कोरोना वैक्सीन का आखिरी ट्रायल शुरू होगा
कोरोना के लिए बनाए जा रहे ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का आखिरी और फेज-3 ट्रायल सोमवार से पुणे में शुरू हो जाएगा। इसके लिए 150 से 200 वालंटियर्स डोज लेने के लिए तैयार हैं।
कोरोना अपडेट्स :
रेलवे ने शनिवार को कहा कि कोऑपरेटिव और प्राइवेट बैंकों के 10% कर्मचारियों को मुंबई की सबअर्बन ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत दी जाएगी। कोरोना महामारी के चलते सबअर्बन ट्रेनों में यात्रा करने पर प्रतिबंध था। नेशनलाइज्ड बैंकों के कर्मचारियों को पहले से ही ट्रेनों में यात्रा करने की इजाजत है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं। उन्होंने बताया कि मैंने कोरोना के शुरुआती लक्षण नजर आने पर टेस्ट कराया था, जिसमें मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मेरा निवेदन है कि विगत दिनों जो भी लोग मेरे संपर्क में आये हैं वह आइसोलेशन में रहें एवं अपना कोविड-19 टेस्ट जरूर कराएं।
अनलॉक 4.0 की गाइडलाइन में मिली छूट के तहत पंजाब सरकार ने 21 सितंबर से राज्य में हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट खोलने का फैसला लिया है। राज्य सरकार के मुताबिक इंस्टीट्यूट जहां पीएचडी, पीजी टेक्निकल या प्रोफेशनल कोर्स चलते हैं वो सब खुलेंगे। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के नियमों का पालन करना होगा।
केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि लॉकडाउन के दौरान चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 97 प्रवासी मजदूरों की सफर के दौरान मौत हुई। गोयल ने कहा कि ये आंकड़े राज्य सरकारों की ओर से मिले हैं।
संसद में मानसूत्र के छठवें दिन शनिवार को राज्यसभा में महामारी रोग संशोधन विधेयक, 2020 पारित किया गया। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए बिल की जरूरत थी।
पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश
शनिवार को 2607 केस मिले। इसके साथ ही संक्रमितों की संख्या 1 लाख 3 हजार 65 हो गई है।राज्य में केस के दोगुना होने की दर बढ़ गई है। अब 42 दिन में दोगुने मरीज मिल रहे हैं। सितंबर के 18 दिनों में भोपाल में 5000 से ज्यादा केस आए हैं।
2. राजस्थान
शनिवार को रिकॉर्ड 1834 संक्रमित मिले। अब यहां 1 लाख 13 हजार 124 केस हो गए हैं। 93 हजार 805 ठीक हो चुके हैं। 1943 की मौत हो चुकी है। राज्य सरकार ने अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमितों से परिवार को मिलने की इजाजत दे दी है। हालांकि, मरीज से मिलने वाले को पीपीई किट, ग्लव्स और फेस मास्क पहनना होगा।
3. बिहार
शनिवार को 1616 नए मरीज मिले और 1556 ठीक हो गए। दो संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। राज्य में अब तक 1 लाख 66 हजार 987 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 1 लाख 52 हजार 956 ठीक हो चुके हैं, जबकि 861 की मौत हो चुकी है। 13 हजार 169 संक्रमितों का इलाज चल रहा है।
4. महाराष्ट्र
शनिवार को 20 हजार 519 केस आए। यहां अब तक 11 लाख 88 हजार 15 केस आ चुके हैं। 8 लाख 57 हजार 933 संक्रमित ठीक हो चुके हैं। 2 लाख 97 हजार 480 का इलाज चल रहा है, जबकि 32 हजार 216 की मौत हो चुकी है।
5. उत्तरप्रदेश
शनिवार को 5729 संक्रमित मिले, जबकि 6596 ठीक हो गए। राज्य में 3 लाख 48 हजार 517 केस आ चुके हैं। 2 लाख 76 हजार 690 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 4953 की मौत हो चुकी है। अभी 66 हजार 874 संक्रमितों का इलाज चल रहा है।
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उत्तराखंड की एक लड़की पढ़ाई करने दिल्ली गई, वहां एमिटी यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की पढ़ाई की। फिर प्राइवेट कंपनी में 25 हजार रुपए महीने की नौकरी भी की। एक के बाद एक करीब 8 नौकरियां बदलीं, क्योंकि इनसे संतुष्ट नहीं थी। कुछ अलग करने की चाह उसे वापस अपने राज्य ले आई। 2013 में जब वो वापस उत्तराखंड लौटी तो देखा कि नौकरी की तलाश में प्रदेश के छोटे-छोटे गांवों से लोग दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर हैं। तभी इस लड़की ने कुछ अलग करने का फैसला लिया।
हम बात कर रहे हैं देहरादून में रहने वाली 30 साल की दिव्या रावत की। आज दिव्या मशरूम कल्टीवेशन के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। ‘मशरूम गर्ल’ से नाम से पहचान बनाने वाली दिव्या को उत्तराखंड सरकार ने मशरूम का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाया है। मशरूम के जरिए दिव्या आज करीब 2 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना कारोबार कर रही हैं।
दिव्या कहती हैं, ‘मशरूम जल, जमीन, जलवायु की नहीं बल्कि तापमान की खेती है। इसकी इतनी वैरायटी होती हैं कि हम हर मौसम में इसकी खेती कर सकते हैं। फ्रेश मशरूम मार्केट में बेच सकते हैं और इसके बाय प्रोडक्ट भी बना सकते हैं।’
दिव्या मशरूम कल्टीवेशन के साथ-साथ इसके बाय प्रोडक्ट भी बनाती हैं।
पलायन रोकने के लिए रोजगार की जरूरत थी, इसलिए मशरूम की खेती को चुना
दिव्या बताती हैं, ‘दिल्ली में मैंने देखा कि बहुत सारे पहाड़ी लोग 5-10 हजार रुपए की नौकरी के लिए अपना गांव छोड़ कर पलायन कर रहे हैं। मैंने सोचा कि मुझे अपने घर वापस जाना चाहिए और मैं अपने घर उत्तराखंड वापस आ गई। मैंने सोचा कि अगर पलायन को रोकना है तो हमें इन लोगों के लिए रोजगार का इंतजाम करना होगा। इसके लिए मैंने खेती को चुना, क्योंकि खेती जिंदगी जीने का एक जरिया है।’
मशरूम की खेती को चुनने के पीछे की वजह को लेकर दिव्या बताती हैं, ‘मैंने मशरूम इसलिए चुना, क्योंकि मार्केट सर्वे के दौरान यह पाया कि मशरूम के दाम सब्जियों से बेहतर मिलते हैं। एक किलो आलू आठ से दस रुपए तक मिलता है, जबकि मशरूम का मिनिमम प्राइज 100 रुपए किलो है। इसलिए मैंने मशरूम की खेती करने का फैसला लिया।
2015 में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग ली। इसके बाद 3 लाख रुपए के इन्वेस्टमेंट के साथ खेती शुरू की। धीरे-धीरे लोगों का साथ मिलता गया और जल्द ही दिव्या ने अपनी कंपनी भी बना ली। उन्होंने मशरूम की खेती के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार दिया। दिव्या अब तक उत्तराखंड के 10 जिलों में मशरूम उत्पादन की 55 से ज्यादा यूनिट लगा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि एक स्टैंडर्ड यूनिट की शुरुआत 30 हजार रुपए में हो जाती है। इसमें प्रोडक्शन कॉस्ट 15 हजार रुपए होती है और 15 हजार इंफ्रास्ट्रक्चर में खर्च होता है जो मिनिमम 10 साल तक चलता है।
मशरूम कल्टीवेशन के जरिए दिव्या ने स्थानीय महिलाओं को भी रोजगार दिया।
शुरुआत में लोगों का माइंड सेट बदलना सबसे बड़ी चुनौती थी
दिव्या ने बताया कि शुरुआत में एक सबसे बड़ी परेशानी लोगों का माइंड सेट बदलना था। लोगों को लगता था कि ये काम नहीं हो पाएगा। जब मैंने उन्हें बताना शुरू किया कि मशरूम की खेती आपके लिए एक बेहतर विकल्प है, तो लोग कहने लगे कि जब इतना ही अच्छा है तो आप खुद करो। मैं लोगों के सामने एक उदाहरण के तौर पर खड़ी हुई, इसके बाद लोगों ने इसे समझा और इस फील्ड में काम करने लगे।
मशरूम की खेती करने की चाह रखने वालों को दिव्या इसके कल्टीवेशन की ट्रेनिंग भी देती हैं।
10 बाय 12 के कमरे में भी मशरूम की खेती, दो महीने में हाेगा 4 से 5 हजार का प्रॉफिट
दिव्या ने बताया कि कोई भी आम इंसान 10 बाय 12 के एक कमरे से भी मशरूम की खेती शुरू सकता है। मशरूम की एक फसल की साइकिल करीब 2 महीने की होती है। इसके सेट अप और प्रोडक्शन की कॉस्ट करीब 5 हजार रुपए आती है। एक कमरे में आप दो महीने के सभी खर्चे काट कर 4 से 5 हजार रुपए का प्रॉफिट निकाल सकते हैं। मशरूम की खेती के लिए शुरुआती ट्रेनिंग की जरूरत होती है जो आप अपने प्रदेश के एग्रीकल्चर या हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट से ले सकते हैं। इसके अलावा हमारे हेल्पलाइन नंबर (0135 253 3181) पर कॉल करके भी जानकारी ली जा सकती है।
दिव्या ने कीड़ा जड़ी मशरूम के कल्टीवेशन के लिए एक लैब बनाई है, यह मशरूम 3 लाख रुपए प्रति किलो तक बिकता है।
3 लाख रुपए प्रति किलो मिलने वाले कीड़ा जड़ी मशरूम के कल्टीवेशन के लिए लैब बनाई
फिलहाल दिव्या ‘सौम्या फूड प्राइवेट कंपनी’ चलाती हैं, जिसका सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपए में है। उनका मशरूम प्लांट भी है, जहां साल भर मशरूम कल्टीवेशन होता है। इस प्लांट में सर्दियों के मौसम में बटन, मिड सीजन में ओएस्टर और गर्मियों के मौसम में मिल्की मशरूम का कल्टीवेशन होता है। इसके साथ ही दिव्या हिमालय क्षेत्र में पाए जाने वाली कीड़ा जड़ी की एक प्रजाति कार्डिसेफ मिलिटरीज़ का भी कल्टीवेशन करती हैं, जिसकी बाजार में कीमत 2 से 3 लाख रुपए प्रति किलो तक है। कीड़ा जड़ी के कमर्शियल कल्टीवेशन के लिए दिव्या ने बकायदा लैब बनाई है। दिव्या की ख्वाहिश है कि आम आदमी की डाइट में हर तरह से मशरूम को शामिल किया जाए।
कोरोनावायरस के कारण कई लोग घर से काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें वायरस चेन को तोड़ने के लिए वर्क फ्रॉम होम दिया गया है। यह प्रोफेशनल दुनिया का एक हिस्सा है। दूसरे हिस्से में वे लोग हैं, जिन्हें कंपनी ने नुकसान के कारण नौकरी से निकाल दिया है या अनिश्चितकाल के लिए छुट्टी पर भेज दिया है। दोनों घर में हैं, लेकिन हाल एक दम अलग हैं। नौकरी गंवा देने मनोबल तोड़ देने वाला होता है। कई लोग परिवार और आर्थिक हिस्से की चिंता में मानसिक तौर पर परेशान हो जाते हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, भारत में दिसंबर 2019 में बेरोजगारी दर 7.60% थी। यह मार्च 2020 में बढ़कर 8.75% पर पहुंच गई। जबकि, अप्रैल 2020 में यह आंकड़ा 23.52% था। हालांकि, अगस्त 2020 में यह कम होकर 8.35% पर आ गई थी। इसके बाद भी ऐसे कई लोग हैं जो काम पर दोबारा वापस नहीं जा पाए। डॉयचे वेले की एक खबर के अनुसार, एक्सपर्ट्स का मानना है भारत को बेरोजगारी संकट से उबरने में लंबा वक्त लगेगा।
टिप्स, जो आपको मानसिक तौर पर तैयार करेंगी
राजस्थान के उदयपुर स्थित गीतांजलि हॉस्पिटल में एसोसिएट प्रोफेसर और साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा शर्मा कहती हैं कि सबसे जरूरी है समय। यह कभी रुकता नहीं है। हमें समय से घबराना नहीं है। खुद को तैयार करो। डॉक्टर शर्मा से जानें, कैसे रखें खुद को शांत।
शांत रहें: अपने आप को रिलेक्स रखने की कोशिश करें, क्योंकि नौकरी की परेशानियों के कारण नेगेटिविटी बहुत बढ़ जाती है। जॉब की वजह से आर्थिक परेशानियां आ जाती हैं, फैमिली प्रॉब्लम्स शुरू हो जाती हैं। इसकी वजह से स्ट्रेस हो जाता है।
सकारात्मक रहें: पॉजिटिव रहें और सकारात्मक चीजें पढ़ें।
कोई भी काम छोटा नहीं होता: बुरे हालात में किसी भी काम को छोटा बड़ा न समझें। अपनी परेशानी को लेकर थोड़ा विचार करें। इससे हो सकता है कि भविष्य और बेहतर हो जाए। जो चीज आप आजीविका के लिए कर सकते हैं करें, ताकि कमाने की चिंता कम हो।
स्वास्थ्य का ख्याल: मानसिक तौर पर हो रही परेशानी को सेहत बिगड़ने का कारण न बनने दें। खुद को शांत रखने, स्वस्थ रहने के लिए पूरी नींद और संतुलित डाइट लें। डाइजेशन बिगड़ने से आपका फोकस गोल के बजाए हेल्थ पर शिफ्ट हो जाता है। इसके बाद स्ट्रेस बढ़ता है। तनाव का सीधा असर हमारे दिल, पाचन और रेस्पिरेटरी पर पड़ता है।
अकेले न रहें: ऐसे वक्त में व्यक्ति स्ट्रेस का शिकार जल्दी हो जाता है। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा वक्त परिवार के साथ बिताएं। इससे आपको मानसिक तौर पर मजबूती मिलेगी। स्ट्रेस नहीं हो पाएगा।
डॉक्टर शर्मा ने बताया कि उनके एक परिचित पहले कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करते थे, लेकिन बुरे दौर से गुजर रही कंपनी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद वे स्ट्रेस में आ गए, लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और सरकार की योजनाओं का फायदा उठाकर सब्जियों का काम शुरू कर दिया है। वे अब केवल बिजनेस ही करना चाहते हैं।
आर्थिक मोर्चे पर खुद को कैसे तैयार करें
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर आपने महामारी के दौर में अपना बिजनेस या नौकरी गंवा दी है और आपके पास सेविंग्स हैं तो उसका सही इस्तेमाल ही एकमात्र रास्ता है। अपनी सेविंग्स को ध्यान से खर्च करना बेहद जरूरी है।
जरूरी खर्चे: एक्सपर्ट्स इस दौरान किसी भी गैर जरूरी खर्च को रोकने की सलाह देते हैं, क्योंकि जब तक आप कोई काम दोबारा शुरू नहीं कर देते, तब तक आपके पास सेविंग्स ही एकमात्र सहारा है। ऐसे में पहली प्राथमिकता भोजन और हेल्थ को दें।
गलत फैसले न लें: नौकरी जाने के बाद कई बार हम गलत फैसले ले लेते हैं। थोड़ा विचार करें और अनुमान लगाएं कि आपकी बेरोजगारी का दौर कब तक चल सकता है। जल्दबाजी में आकर अपने जमा पूंजी को खर्च न करें। अगर आप समझ नहीं पा रहे हैं तो किसी आर्थिक सलाहकार की मदद लें।
उधारियों पर गौर करें: इस हिस्से पर गौर करना जरूरी है। ध्यान से देखें कि आपको किसे कितना रुपया चुकाना है। ऐसा करने से आप दूसरे जरूरी खर्चों की जानकारी भी रख पाएंगे और सेविंग्स का अनुमान लगा पाएंगे। अगर आप पूरी प्लानिंग के साथ अपनी उधारियां चुकाते हैं तो आपके सिविल स्कोर पर भी गलत असर नहीं पड़ेगा।
गैर जरूरी बिल चुकाना बंद करें: नौकरी के दौरान आपने कई सर्विसेज ले रखी थीं। जैसे- ओटीटी सब्सक्रिप्शन, जिम या क्लब मेंबरशिप। इन सुविधाओं को ऐसे बुरे वक्त में जारी रखना मुश्किल हो सकता है। अपने बिल की प्राथमिकता तय करें। देखें कि पहले क्या चुकाया जाना जरूरी है। अगर कहीं मुमकिन है तो कम पैसा चुका दें, ताकि आप पेनाल्टी या लेट फीस से बच सकें।
अब भविष्य की तैयारी
तुरंत नई नौकरी खोजना शुरू कर दें: कई लोगों को ऐसा लगता है कि वे तुरंत ही नई नौकरी खोज लेंगे और तलाश शुरू करने से पहले छुट्टी का प्लान करने लगते हैं। याद रखें कि यह सुनने में बेहतर लग सकता है, लेकिन काम में ज्यादा लंबा गैप आपकी प्रोफाइल को कमजोर बना सकता है। बेरोजगार होने के बाद अगर आप छुट्टी का प्लान करते हैं तो आप अपने इमरजेंसी फंड को खतरे में डाल रहे हैं।
स्किल्स के बारे में बताएं: एक लिस्ट तैयार करें, जिसमें यह साफ हो कि आप पिछली नौकरी में क्या करते थे और आप बेहतर किस काम में हैं। अपनी स्किल्स के बारे में पता करने के बाद एक अच्छा सीवी तैयार करें, जिसमें आपकी हर उपलब्धि और स्किल्स की जानकारी हो। अपने हुनर को दर्शाने के लिए लिंक्डइन जैसे प्रोफेशनल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मदद लें।
नई चीजें सीखें: जब आप स्किल्स की सूची बना रहे थे, तब आपको यह पता लग गया होगा कि नया क्या सीखना होगा। हमेशा सीखते रहना ही आपका लक्ष्य होना चाहिए। नई नौकरी मिलने तक अपने अंदर नई स्किल्स तैयार करें।
मौका नहीं मिल रहा तो तैयार करें: आप काफी समय से नई नौकरी तलाश रहे हैं, लेकिन इस काम में सफल नहीं हो रहे। ऐसे में खुद का काम शुरू करने के बारे में सोचें। अगर आप खुद को नई शुरुआत के काबिल मानते हैं तो विचार करें। ऐसे में आप अपने सीनियर का फील्ड के एक्सपर्ट की मदद ले सकते हैं।
खुद को कम न समझें: नौकरी से निकाला जाना बहुत ही बुरा महसूस होता है, लेकिन इसे निजी तौर पर न लें। आप क्या हैं यह आप बताते हैं न कि आपकी नौकरी या कंपनी। हो सकता है कि कंपनी ने आपको नौकरी से किसी आर्थिक परेशानी के कारण निकाला हो। ऐसी आर्थिक मुश्किल जिसपर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है। अपनी स्किल्स को तैयार करें और काबिलियत के दम पर फिर से काम तलाशें।
क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है, जिसमें एक महिला सब्जी के ढेर के बीच बैठी दिख रही हैं।
दावा किया जा रहा है कि ये इंफोसिस की को-फाउंडर सुधा मूर्ति हैं। अरबों की संपत्ति होने के बाद भी वे साल में एक बार सब्जी बेचती हैं।
और सच क्या है ?
इंफोसिस की को-फाउंडर सुधा मूर्ति की इंटरनेट पर फोटो सर्च करने से यह पुष्टि हुई की वायरल हो रही फोटो उन्हीं की है। पड़ताल के अगले चरण में हमने उस दावे की पड़ताल की जो फोटो के साथ किया जा रहा है।
फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि सुधा मूर्ति साल में एक बार सब्जी बेचती हैं।
अलग-अलग कीवर्ड सर्च करने से हमें Banglore Mirror की वेबसाइट पर सुधा मूर्ति का एक इंटरव्यू मिला। इसमें सुधा मूर्ति ने बताया था कि वे साल में 3 बार सुबह चार बजे उठकर एक असिस्टेंट के साथ राघवेंद्र स्वामी मंदिर में सेवा करने जाती हैं। सुधा मंदिर के किचन और बगल में स्थित कमरों को साफ करती हैं। अपने असिस्टेंट की मदद से ही वे सब्जियों और चावल की बड़ी बोरियों को मंदिर के स्टोर रूम में पहुंचाने में मदद करती हैं।
सुधा मूर्ति के इंटरव्यू से स्पष्ट हो रहा है कि वायरल हो रही फोटो में वे सब्जी नहीं बेच रही हैं। बल्कि राघवेंद्र स्वामी मंदिर में सेवा करने गई हैं। सोशल मीडिया पर फोटो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
कोरोना के दौरे में अनलॉक-4 शुरू होते ही बॉलीवुड सेलेब्स अपने प्रोजेक्ट पूरे करने में व्यस्त हो गए। कई एक्टर और एक्ट्रेस देश के अलग-अलग शहरों में शूटिंग कर रहे हैं, तो कुछ शूटिंग के लिए विदेश चले गए हैं। वहीं, कुछ घर से अपना काम संभाल रहे हैं।
अक्षय कुमार अपनी फिल्म 'बेल बॉटम' की शूटिंग स्कॉटलैंड में कर रहे हैं। उनके साथ वाणी कपूर, हुमा कुरैशी और लारा दत्ता भी हैं। आर माधवन और एली अबराम दुबई में वेब शो 'सेवंथ सेंस' की शूटिंग कर रहे हैं। उनके साथ वहां करीब 100 लोगों की टीम है।
शाहरुख खान राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बन रही अपनी अगली फिल्म की शूटिंग के लिए कनाडा जा सकते हैं। आमिर खान कुछ दिनों पहले ही तुर्की से अपनी फिल्म 'लालसिंह चड्ढा' की शूटिंग कर लौटे हैं।
15 दिन से जयपुर में हैं तापसी पन्नू
तापसी पन्नू और विजय सेतुपति 15 दिन से जयपुर में एक साउथ इंडियन फिल्म की शूटिंग कर रही हैं। इस यूनिट में उनके अलावा 100 लोगों की एक टीम है। उधर, दीपिका पादुकोण और अनन्या पांडे गोवा में हैं। इस फिल्म का निर्देशन शकुन बत्रा कर रहे हैं।
करीना कपूर प्रेगनेंसी के बावजूद मुंबई में 'लाल सिंह चड्ढा' के लिए अपना पोर्शन शूट कर रही हैं। चर्चा है कि उनके बेबी बंप को ग्राफिक्स की मदद से छुपाया जाएगा।
ये सितारे भी जल्द ही देश में ही शूटिंग शुरू करेंगे
जॉन अब्राहम दो फिल्मों के लिए लखनऊ और हैदराबाद जा सकते हैं। कंगना रनोट अक्टूबर के बाद चेन्नई जाकर जयललिता की बायोपिक 'थलाइवी' की शूटिंग करेंगी। उसके बाद वे मुंबई में 'धाकड़' की शूटिंग शुरू करेंगी। विद्या बालन अक्टूबर में मध्यप्रदेश के बालाघाट जा सकती हैं। यहां वे 'शेरनी' की शूटिंग शुरू करेंगी। जल्दी ही रणवीर सिंह भी मुंबई में ही अपनी अपकमिंग फिल्म शूट करेंगे।
मुंबई के स्टूडियोज में भी जारी है शूटिंग
संजय दत्त ने हाल ही में एक स्टूडियो में 'शमशेरा' की शूटिंग पूरी की। रणबीर कपूर भी इसी फिल्म के लिए इसी स्टूडियो में शूटिंग कर सकते हैं। आलिया भट्ट 'ब्रह्मास्त्र' के लिए डबिंग शुरू कर चुकी हैं। इसके बाद वे संजय लीला भंसाली की फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के लिए शूटिंग करेंगी। सलमान खान अक्टूबर में महबूब स्टूडियो में अपनी फिल्म 'राधे' की शूटिंग पूरी कर सकते हैं।
ये सेलेब्स फिलहाल घर से कर रहे काम
सैफ अली खान ने हाल ही में 'बंटी और बबली 2' की शूटिंग पूरी की है। अब वे अली अब्बास जफर के वेब शो 'दिल्ली' के लिए घर से ही डबिंग कर रहे हैं। मनोज बाजपेयी फिलहाल घर पर ही स्क्रिप्ट मंगवाकर उनकी रीडिंग कर रहे हैं।
अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'ब्रीद 2' की डबिंग के लिए बाहर जाने पर अभिषेक बच्चन कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। कहा जा रहा है कि इसके बाद अमेजन की ओर से उन्हें ऐसी डिवाइस उपलब्ध कराई है, जिसके जरिए वे घर से ही डबिंग कर सकते हैं।
केन्या के वीरान पड़े मैदानों में छोटी-छोटी काले रंग की गेंदें यानी सीडबॉल्स हरियाली वापस लाने का काम कर रही हैं। चारकोल में लिपटे हुए बीजों को गुलेल और हेलिकॉप्टर की मदद से दूर तक फेंका जा रहा है। बारिश होने पर चारकोल मेंं मौजूद बीज से पौधे पनपने की शुरुआत होती है। 2016 में सीडबॉल्स केन्या नाम के ऑर्गेनाइजेशन की शुरुआत टेडी किन्यानजुई और एल्सन कार्सटेड ने की थी।
पिछले चार साल में करीब 11 करोड़ सीडबॉल्स बांटी जा चुकी हैं। इनका लक्ष्य स्कूल और लोगों के साथ मिलकर केन्या के मैदानों में जंगलों को वापस तैयार करना है। सीडबॉल को एक सफल प्रयोग माना गया और भारत समेत कई देशों में इससे हरियाली वापस लाने की कोशिश की जा रही है। सीडबॉल्स केन्या के को-फाउंडर टेडी कहते हैं कि अगले 5 सालों में केन्या में हरियाली दिखने लगेगी।
मिट्टी की बजाय चॉरकोल वाले सीड बॉल ज्यादा सुरक्षित
हर सीडबॉल में एक बीज होता है। इस बीज के ऊपर चारकोल को चढ़ाकर गेंद जैसा आकार दिया जाता है। ये आकार में एक सिक्के जितने होते हैं। टेडी कहते हैं कि इसे गर्म मौसम में मैदानों में फेंका जाता है। बीजों पर चारकोल को लगाने के पीछे एक बड़ा कारण है। केवल बीजों को छोड़ने पर उसे चिड़िया और दूसरे जीव खा जाते हैं। लेकिन, इस पर चारकोल लिपटा होने के कारण यह सुरक्षित रहता है। जब बारिश आती है तो बॉल में नमी बढ़ती है और बीज अंकुरित होना शुरू होता है। इस तरह बीज से पौधा तैयार हो जाता है।
कैसे हुई शुरुआत?
टेडी कहते हैं, एक पौधा अपने क्षेत्र में पौधों की मां की तरह होता है। इससे दूसरे बीजों को पनपने में मदद मिलती है। इन पौधों से निकलने वाले बीज नए पौधों को जन्म देते हैं। इसकी शुरुआत 2016 में स्कूली बच्चों के साथ मिलकर की गई, ताकि बीजों को स्कूल के मैदानों में छोड़ा जाए। बीजों को आसपास के बच्चों को बांटा गया, उन्होंने गुलेल की मदद से इसे दूर तक पहुंचाया।
इस काम को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए बच्चों की बीच कॉम्पिटीशन शुरू किए गए। उन्हें गुलेल देकर बीजों को दूर तक पहुंचाने का टार्गेट दिया गया। इस तरह यह काम उनके लिए एक गेम की तरह बन गया, जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया।
सीडबॉल केन्या के को-फाउंडर टेडी बच्चों के साथ मिलकर हरियाली वापस लाने में जुटे हैं।
जिन इलाकों में बीज पहुंचाना मुश्किल, वहां हेलिकॉप्टर की मदद ली गई
टेडी के मुताबिक, जिन दूर-दराज वाले इलाकों में बीजों को पहुंचाना आसान नहीं था, वहां हेलिकॉप्टर से सीडबॉल छोड़े गए। इस दौरान जीपीएस तकनीक से जाना गया कि कहां बीजों की जरूरत है, वहीं इन्हें छोड़ा गया। विमान में पैसेंजर की सीट की जगह सीट बॉल की बोरियां रखी गईं ताकि सही जगह और सही समय पर इसे पहुंचाया जा सके। इस तरह सिर्फ 20 मिनट में 20 हजार बीज छोड़े गए।
केन्या में हरियाली सबसे ज्यादा जरूरी
केन्या में जिराफ की संख्या तेजी से घटी है। 2016 में इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर ने जिराफ को लुप्त होने की कगार पर खड़े जानवरों की लिस्ट में शामिल किया था। इसकी सबसे बड़ी वजह पेड़ों की घटती संख्या को बताया गया।
टेडी कहते हैं, सीडबॉल में ऐसे पौधों के बीज हैं जो बेहद कम पानी में विकसित हो जाते हैं। जैसे- बबूल, यह तेजी से बढ़ता है। इसकी जड़ें मजबूत होने के कारण यह सूखे का सामना आसानी से कर सकता है। इससे मिट्टी का कटाव भी रोका जा सकता है। गांवों में रहने वाले केन्या के लाखों लोग मक्के पर निर्भर हैं। लगातार चारकोल का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर करने के लिए जंगल काटे गए। नतीजा, यहां सूखे जैसे हालात बन गए।
अब किसानों की आमदनी बढ़ाने की तैयारी
टेडी कहते हैं कि अगले पांच साल में हरियाली दिखने लगेगी। हम कोशिश कर रहे हैं कि किसान ज्यादा से ज्यादा बीजों को तैयार करें, ताकि उनकी आमदनी और बढ़े। टेडी और एल्सन की संस्था सीडबॉल केन्या बीजों को केन्या फॉरेस्ट्री रिसर्च इंस्टीट्यूट से वेरिफाई कराने के बाद ही इन पर चारकोल की लेयर चढ़ाती है।