Saturday, January 4, 2020

संसाधनों की कमी-लापरवाही से राजकोट में 1 महीने में 111 बच्चों की मौत, रांची में पिछले एक साल में 1150 नवजात मरे

राजकोट/रांची. गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में पिछले एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है। सिविल अस्पताल के चिल्ड्रन हॉस्पिटल की हालत इतनी खराब है कि मरने वाले सभी बच्चे नवजात थे। यहां बच्चों की इंटेसिव केयर यूनिट ‘एनआईसीयू’ में तो ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों को बचाने की सुविधा तक नहीं है। दूसरी तरफ झारखंड के रांची में स्थित सरकारी अस्पताल रिम्स में पिछले एक साल में 1150 बच्चों की इलाज के दौरान मौत हुई। संसाधनों की कमी, मशीनों की किल्लत और रिम्स प्रबंधन के उदासीन रवैये की वजह से हर महीने औसत 96 बच्चों की मौत हुई। सबसे ज्यादा 124 मौतें सितंबर महीने में हुईं।

गुजरात:
राजकोट सिविल अस्पताल में दिसंबर में 386 बच्चे भर्ती हुए, 111 की मौत हुई
यहां के सिविल अस्पताल में 111 बच्चों में से 96 प्री-मैच्योर डिलीवरी से हुए थे और कम वजन वाले थे। इनमें से 77 का वजन तो डेढ़ किलो से भी कम था। चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि बच्चों के अस्पताल में एक एनआईसीयू है, लेकिन इसमें डेढ़ किलो वजन वाले बच्चों को बचाने की क्षमता और सुविधा नहीं है। डॉक्टरों के मुताबिक, गांव क्षेत्र में कई बच्चों की डिलिवरी घर पर ही हो जाती है। ऐसे में जब तक बच्चों को अस्पताल लाया जाता है, तब तक उनकी हालत बहुत बिगड़ चुकी होती है।

दिसंबर में 386 बच्चे भर्ती हुए, इनमें 111 की मौत हुई
सिविल अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल में 2018 में 4321 बच्चों को भर्ती किया गया था। इनमें से 20.8 प्रतिशत यानी 869 की मौत हो गई। 2019 में, 4701 बच्चे भर्ती हुए और नवंबर तक 18.9% बच्चों की मौत हुई। हालांकि, दिसंबर महीने में भर्ती हुए 386 में से 111 बच्चे बचाए नहीं जा सके। इसके चलते बच्चों की सामूहिक मृत्यु 28% तक पहुंच गई।

एनआईसीयू में 2 बच्चों पर 1 नर्स की जरूरत, सिविल अस्पताल में में 10 के लिए एक नर्स
एनआईसीयू में विशेष नर्सिंग देखभाल, तापमान नियंत्रण, संक्रमण मुक्त हवा की विशेष जरूरत होती होती है। बच्चा अगर कम वजन का है, तो उसके लिए कम से कम एक नर्स और अधिकतम दो नर्स मौजूद होनी चाहिए। हालांकि, राजकोट सिविल अस्पताल में 10 नवजातों के लिए केवल एक नर्स है।

मुझे इस मुद्दे की जानकारी नहीं है, लेकिन मैं आपको इसकी जांच करने के बाद ही सही बात बता सकता हूं।
नितिन पटेल, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री

झारखंड:
रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में बच्चों की स्थिति नाजुक

रांची स्थित रिम्स से मिले आंकड़ों के अनुसार, 2019 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक यहां भर्ती होने वाले 1150 बच्चों की मौत हुई। संसाधनों की कमी, मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते यहां 1 वॉर्मर पर 2-3 बीमार नवजातों को रखा जाता है।वार्मर और फोटोथेरेपी मशीन की कमी इतनी की एक-एक वार्मर पर दो से तीन बीमार नवजात को रखा जाता है, जिससे इनके आपस में ही संक्रमण का खतरा बना रहता है। रिम्स के 16 बेड वाले शिशु रोग आईसीयू में हर दो बीमार बच्चे पर एक नर्स की जरूरत होती है पर यहां 16 बेड के लिए 24 घंटे के लिए सिर्फ 9 नर्स हैं।

प्रबंधन को कई बार समस्या दूर करने के लिए कहा गया: डॉक्टर
रिम्स अधीक्षक डॉ. विवेक कश्यप का कहना है कि अधिक संख्या में बीमार नवजात और बच्चे रिम्स पहुंचते हैं। कई गंभीर स्थिति में आते हैं, इसलिए मृत्यु दर ज्यादा है। हालांकि, रिम्स शिशु रोग विभाग में सुविधाओं की कमी है। वहीं,रिम्स शिशु विभाग के एचओडी का कहना है कि गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देर से रिम्स पहुंचने के चलते चाहकर कई बीमार बच्चों को डॉक्टर नहीं बचा पाते हैं। कई संसाधनों की भी कमी है, जिसको दूर करने के लिए रिम्स प्रबंधन को कई बार कहा गया है।

हेमंत सोरेन ने ट्वीट की भास्कर की खबर
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने ने दैनिक भास्कर की खबर के साथ ट्वीट में कहा ‘झारखंड की यह स्थिति बदलेगी।'



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Medical Services at Government Hospitals : Carelessness and Lack of medical Equipment Caused Death at Government Hospitals |Death of Children under 5 Years in Rajkot Civil Hospital, Ranchi RIMS, Kota JK Lone Maternal and Child Hospital|


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US ने PAK को दी जाने वाली पूरी 7 हजार करोड़ की मिलिट्री मदद रोकी, कहा- अब सिर्फ नतीजे चाहिए

अमेरिकियों पर हमले - स्टेट डिपार्टमेंट की स्पोक्सपर्सन हीदर न्यूर्ट ने कहा- हम पुष्टि करते हैं कि अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली तमाम सिक्युरिटी असिस्टेंस रोकने का फैसला किया है। पाकिस्तान की सरकार को अब हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करनी होगी जिसके नतीजे दिखें। - हीदर ने कहा- हम जानते हैं कि पाकिस्तान उस इलाके में परेशानी पैदा कर रहा है और उसके इशारे पर अमेरिकियों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी मदद रोके जाने के क्या मायने - हीदर ने आगे कहा- अब अमेरिका कोई भी मिलिट्री मदद पाकिस्तान को नहीं देगा। हम अपनी नई साउथ एशिया पॉलिसी को पूरी तरह फाॅलो करेंगे। - पूरी मिलिट्री मदद रोके जाने के मायने बड़े हैं। पाकिस्तान के पास फिलहाल जो अमेरिका के मिलिट्री इक्युपमेंट्स हैं। उनके पार्ट्स या दूसरी जरूरी चीजें उसे नहीं मिलेंगी। यानी ये हथियार या दूसरे इक्युपमेंट्स अगर खराब हैं या इनके लिए मेंटेनेंस जरूरी है, तो वो पाकिस्तान को नहीं मिल पाएगा। - इसके अलावा 7 हजार करोड़ से ज्यादा का जो फंड पाकिस्तान को मिलना था, वो भी अब उसे नहीं मिलेगा। 1626 करोड़ रुपए की मिलिट्री एड पर रोक तो पहले ही लगाई जा चुकी है। 2017 के लिए पाकिस्तान को कोएलिशन सपोर्ट फंड के तहत 900 मिलियन डॉलर मिलने थे। ये भी नहीं मिलेंगे।अमेरिकियों पर हमले - स्टेट डिपार्टमेंट की स्पोक्सपर्सन हीदर न्यूर्ट ने कहा- हम पुष्टि करते हैं कि अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली तमाम सिक्युरिटी असिस्टेंस रोकने का फैसला किया है। पाकिस्तान की सरकार को अब हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करनी होगी जिसके नतीजे दिखें। - हीदर ने कहा- हम जानते हैं कि पाकिस्तान उस इलाके में परेशानी पैदा कर रहा है और उसके इशारे पर अमेरिकियों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी मदद रोके जाने के क्या मायने - हीदर ने आगे कहा- अब अमेरिका कोई भी मिलिट्री मदद पाकिस्तान को नहीं देगा। हम अपनी नई साउथ एशिया पॉलिसी को पूरी तरह फाॅलो करेंगे। - पूरी मिलिट्री मदद रोके जाने के मायने बड़े हैं। पाकिस्तान के पास फिलहाल जो अमेरिका के मिलिट्री इक्युपमेंट्स हैं। उनके पार्ट्स या दूसरी जरूरी चीजें उसे नहीं मिलेंगी। यानी ये हथियार या दूसरे इक्युपमेंट्स अगर खराब हैं या इनके लिए मेंटेनेंस जरूरी है, तो वो पाकिस्तान को नहीं मिल पाएगा। - इसके अलावा 7 हजार करोड़ से ज्यादा का जो फंड पाकिस्तान को मिलना था, वो भी अब उसे नहीं मिलेगा। 1626 करोड़ रुपए की मिलिट्री एड पर रोक तो पहले ही लगाई जा चुकी है। 2017 के लिए पाकिस्तान को कोएलिशन सपोर्ट फंड के तहत 900 मिलियन डॉलर मिलने थे। ये भी नहीं मिलेंगे।अमेरिकियों पर हमले - स्टेट डिपार्टमेंट की स्पोक्सपर्सन हीदर न्यूर्ट ने कहा- हम पुष्टि करते हैं कि अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली तमाम सिक्युरिटी असिस्टेंस रोकने का फैसला किया है। पाकिस्तान की सरकार को अब हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करनी होगी जिसके नतीजे दिखें। - हीदर ने कहा- हम जानते हैं कि पाकिस्तान उस इलाके में परेशानी पैदा कर रहा है और उसके इशारे पर अमेरिकियों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी मदद रोके जाने के क्या मायने - हीदर ने आगे कहा- अब अमेरिका कोई भी मिलिट्री मदद पाकिस्तान को नहीं देगा। हम अपनी नई साउथ एशिया पॉलिसी को पूरी तरह फाॅलो करेंगे। - पूरी मिलिट्री मदद रोके जाने के मायने बड़े हैं। पाकिस्तान के पास फिलहाल जो अमेरिका के मिलिट्री इक्युपमेंट्स हैं। उनके पार्ट्स या दूसरी जरूरी चीजें उसे नहीं मिलेंगी। यानी ये हथियार या दूसरे इक्युपमेंट्स अगर खराब हैं या इनके लिए मेंटेनेंस जरूरी है, तो वो पाकिस्तान को नहीं मिल पाएगा। - इसके अलावा 7 हजार करोड़ से ज्यादा का जो फंड पाकिस्तान को मिलना था, वो भी अब उसे नहीं मिलेगा। 1626 करोड़ रुपए की मिलिट्री एड पर रोक तो पहले ही लगाई जा चुकी है। 2017 के लिए पाकिस्तान को कोएलिशन सपोर्ट फंड के तहत 900 मिलियन डॉलर मिलने थे। ये भी नहीं मिलेंगे।अमेरिकियों पर हमले - स्टेट डिपार्टमेंट की स्पोक्सपर्सन हीदर न्यूर्ट ने कहा- हम पुष्टि करते हैं कि अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली तमाम सिक्युरिटी असिस्टेंस रोकने का फैसला किया है। पाकिस्तान की सरकार को अब हक्कानी नेटवर्क, तालिबान और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करनी होगी जिसके नतीजे दिखें। - हीदर ने कहा- हम जानते हैं कि पाकिस्तान उस इलाके में परेशानी पैदा कर रहा है और उसके इशारे पर अमेरिकियों को निशाना बनाया जा रहा है। पूरी मदद रोके जाने के क्या मायने - हीदर ने आगे कहा- अब अमेरिका कोई भी मिलिट्री मदद पाकिस्तान को नहीं देगा। हम अपनी नई साउथ एशिया पॉलिसी को पूरी तरह फाॅलो करेंगे। - पूरी मिलिट्री मदद रोके जाने के मायने बड़े हैं। पाकिस्तान के पास फिलहाल जो अमेरिका के मिलिट्री इक्युपमेंट्स हैं। उनके पार्ट्स या दूसरी जरूरी चीजें उसे नहीं मिलेंगी। यानी ये हथियार या दूसरे इक्युपमेंट्स अगर खराब हैं या इनके लिए मेंटेनेंस जरूरी है, तो वो पाकिस्तान को नहीं मिल पाएगा। - इसके अलावा 7 हजार करोड़ से ज्यादा का जो फंड पाकिस्तान को मिलना था, वो भी अब उसे नहीं मिलेगा। 1626 करोड़ रुपए की मिलिट्री एड पर रोक तो पहले ही लगाई जा चुकी है। 2017 के लिए पाकिस्तान को कोएलिशन सपोर्ट फंड के तहत 900 मिलियन डॉलर मिलने थे। ये भी नहीं मिलेंगे।

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जेके लोन में 4 और नवजात ने दम तोड़ा, 36 दिन में 110 मौतें; जोधपुर-बीकानेर के अस्पतालों की हालत भी बदतर

कोटा (राजस्थान).कोटा के जेके लोन अस्पताल में शनिवार रात तक चार और नवजातों ने दम तोड़ दिया। यहां 36दिन में 110 बच्चों की मौत हो चुकी है। कोटा के अलावा जोधपुर और बीकानेर के सरकारी अस्पतालों में भी बच्चों की मौतें हो रही हैं। इनमें ज्यादातर नवजात हैं। दिसंबर में जोधपुर में 146 और बीकानेर के सरकारी अस्पतालोंमें 162 बच्चों की जान गई। शनिवार को कोटा पहुंचे उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा था कि बच्चों की मौत गंभीर मामला है, इसके लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

जोधपुर: सीएम के गृहनगर की स्वास्थ्य सेवाएं बदतर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में बेहतर इलाज और सुविधाएं नहीं मिलने से डॉ. सम्पूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में महीनेभर में 146 बच्चे दम तोड़ चुके हैं। इसमें से 102 नवजात थे। मेडिकल कॉलेज के अधिकारी इसे सामान्य बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री शनिवार कोबच्चों के मरने के सवाल को अनसुना कर निकल गए। जोधपुर मेडिकल कॉलेज एमडीएम और उम्मेद अस्पताल में शिशु रोग विभाग का संचालन करता है। यहां 5 जिलों- जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही और पाली से मरीज आते हैं। दिसंबर में यहां के शिशु रोग विभाग में 4689 बच्चे भर्ती हुए थे, इनमें 3002 नवजात थे। इलाज के दौरान 146 की मौत हो गई।

बीकानेर: 1 माह में 162 और साल में 1681 की मौत
बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पतालमें दिसंबर के 31 दिनों में 162 बच्चों की मौत हो गई। मतलब यह कि हर दिन पांच से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है। दिसंबर में यहां जन्मे और बाहर से आए 2219 बच्चे अस्पतालमें भर्ती हुए थे। इन्हीं में से 162 यानी 7.3% बच्चों की मौत हो गई। पूरे साल की बात करें तो जनवरी से दिसंबर तक यहां कुल 1681 बच्चों की मौत हो चुकी है।

हम जिम्मेदारी से नहीं बच सकते: पायलट

सचिन पायलट ने कहा कि इतने सारे बच्चे मरे हैं और कोई जिम्मेदारही नहीं होगा, ऐसा संभव नहीं है। अगर वसुंधरा सरकार में बेड कम थे, पैसे ज्यादा अलॉट हुए, लेकिन रिलीज नहीं किए गए तो उनको तो जनता ने हरा दिया। एक साल से हम लोग शासन में हैं। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि जनता के प्रति। इतने सारे मासूम बच्चों की मौत हुई तो जवाबदेही ढूंढनी होगी। इस पूरे मामले में हमारे उठाए कदम संतोषजनक नहीं हैं। मैं इसलिए बोल रहा हूं, क्योंकि आंकड़ों के जाल में हम उलझ गए। जिस घर में मौत होती है, जिस मां ने कोख में बच्चे को 9 माह रखा, उसकी कोख उजड़ती है तो दर्द वही जानती है।

देश में शिशु मौत वाले टॉप-10 अस्पतालों में राजस्थान का एक भी नहीं
कोटा में शिशु मौतों पर बवाल के बीच दूसरा पहलू भी है। देश में शिशु मौतों में टॉप-10 अस्पतालों में राजस्थान का एक भी नहीं है। एनएचएम की स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट की रिपोर्ट के ये आंकड़े सरकार ने जारी किए हैं।

हॉस्पिटल शिशु मौतें
महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल वारंगल, तेलंगाना 56.5%
उत्तरप्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, सेफई 44.4%
नेशनल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना 40.3%
पीएमसीएच, पटना 35.3%
अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, गया 35.3%
राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लखनऊ 31.6%
झारखंड के जिला अस्पताल, वेस्ट सिंहभूम 29.4%
जेएलएनएमसीएच अस्पताल,भागलपुर 26.1%
एमसी-एएमयू अस्पताल,अलीगढ़ 26.1%
जीएमईआरएस गोटड़ी अस्पताल,वड़ोदरा 25.0%

भास्कर आपको एक्सपर्ट की मदद से बता रहा ये हैं मौतों के जिम्मेदार?

जेके लोन अस्पताल में 35 दिन में 107 बच्चों की मौत हो चुकी है। डिप्टी सीएम कह रहे हैं कि हमें इन बच्चों की मौत पर जवाबदेही तय करनी होगी। चिकित्सा मंत्री कहकर गए थे कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन एकमात्र अधीक्षक को पद से हटाकर इतिश्री कर ली गई, जिसे कोई सजा मानने को तैयार नहीं। भास्कर ने इस मुद्दे पर एक्सपर्ट से बातचीत के आधार पर चार्जशीट तैयार की, जो बताती है कि कौन-कौन इस पूरे प्रकरण के लिए जिम्मेदार थे...

अफसर : व्यवस्थाएं बदहाल होती रहीं, ये देखते रहे

अधीक्षक : डॉ. एचएल मीणा
मामले के तूल पकड़ने के बाद हटा दिए गए हैं। उपकरणों को ठीक कराने, रखरखाव के टेंडर करने, सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन लगाने समेत अन्य काम उन्हें कराने थे, लेकिन फेल रहे।
विभाग : पहले मौतों के कारण पैदा किए, अब जाकर चेते।

नगर निगम : अस्पताल परिसर गंदगी से अटा पड़ा रहता है। वहां सूअर घूमते हैं। वार्डों में घुस जाते हैं। समय रहते कुछ नहीं किया। अब एक ही रात में 60 सूअर पकड़े, 300 कर्मचारी लगाकर सफाई करवाई।
दो खामियां : टूटी खिड़कियां, खराब वॉर्मर, 1 गायनी व पीडियाट्रिक्स विभाग के ज्यादातर वार्डों की खिड़कियां थीं। इस वजह से पूरी रात जच्चा-बच्चा शीतलहर की चपेट में आ गए। बच्चों की तापमान मेंटेन करने के लिए वॉर्मर भी पर्याप्त नहीं थे।

एचओडी : डॉ. अमृतलाल बैरवा
शिशु रोग विभाग के एचओडी हैं। हर मुद्दे पर गेंद अधीक्षक के पाले में फेंकते रहे। समस्याओं को दूर करने के ठोस प्रयास नहीं किए। इस मामले से पहले वे जेकेलोन अस्पताल ही यदाकदा आकर देखते थे।

पीडब्ल्यूडी : लंबे समय से भवन के रखरखाव में लापरवाही बरती जा रही है। कड़ाके की ठंड और शीतलहर के बावजूद वार्डों की टूटी खिड़कियां तक ठीक नहीं कराई गई। अब काम शुरू कराया।

2 एफबीएनसी यूनिट में साढ़े 3 माह तक टॉयलेट का गंदा पानी टपकता रहा। जिसने अप्रत्यक्ष रूप से इंफेक्शन दिया। यहां नवजात भर्ती रहते है। अब चंद रुपयों में नल की टोंटी ठीक कराते ही समस्या दूर।



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कोटा का जेके लोन सरकारी अस्पताल।


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राजकोट के अस्पताल में 1 महीने में 111 बच्चों की मौत, एनआईसीयू में कम वजन के बच्चों को बचाने की सुविधा नहीं

राजकोट. गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में पिछले एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है। सिविल अस्पताल के चिल्ड्रन हॉस्पिटल की हालत इतनी खराब है कि मरने वाले सभी बच्चे नवजात थे। 111 बच्चों में से 96 प्री-मैच्योर डिलीवरी से हुए थे और कम वजन वाले थे। इनमें से 77 का वजन तो डेढ़ किलो से भी कम था। हॉस्पिटल के एनआईसीयू में ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों को बचाने की व्यवस्थाएं और क्षमता ही नहीं है।

दिसंबर में 386 बच्चे भर्ती हुए, इनमें 111 की मौत हुई
सिविल अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल में 2018 में 4321 बच्चों को भर्ती किया गया था। इनमें से 20.8 प्रतिशत यानी 869 की मौत हो गई। 2019 में, 4701 बच्चे भर्ती हुए और नवंबर तक 18.9% बच्चों की मौत हुई। हालांकि, दिसंबर महीने में भर्ती हुए 386 में से 111 बच्चे बचाए नहीं जा सके। इसके चलते बच्चों की सामूहिक मृत्यु 28% तक पहुंच गई।

एनआईसीयू में 2 बच्चों पर 1 नर्स की जरूरत, सिविल अस्पताल में में 10 के लिए एक नर्स
एनआईसीयू में विशेष नर्सिंग देखभाल, तापमान नियंत्रण, संक्रमण मुक्त हवा की विशेष जरूरत होती होती है। बच्चा अगर कम वजन का है, तो उसके लिए कम से कम एक नर्स और अधिकतम दो नर्स मौजूद होनी चाहिए। हालांकि, राजकोट सिविल अस्पताल में 10 नवजातों के लिए केवल एक नर्स है।

मुझे इस मुद्दे की जानकारी नहीं है, लेकिन मैं आपको इसकी जांच करने के बाद ही सही बात बता सकता हूं।
नितिन पटेल, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री


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गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है।


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राजकोट के अस्पताल में 1 महीने में 111 बच्चों की मौत, एनआईसीयू में कम वजन के बच्चों को बचाने की सुविधा नहीं

राजकोट. गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में पिछले एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है। सिविल अस्पताल के चिल्ड्रन हॉस्पिटल की हालत इतनी खराब है कि मरने वाले सभी बच्चे नवजात थे। 111 बच्चों में से 96 प्री-मैच्योर डिलीवरी से हुए थे और कम वजन वाले थे। इनमें से 77 का वजन तो डेढ़ किलो से भी कम था। हॉस्पिटल के एनआईसीयू में ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों को बचाने की व्यवस्थाएं और क्षमता ही नहीं है।

दिसंबर में 386 बच्चे भर्ती हुए, इनमें 111 की मौत हुई
सिविल अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल में 2018 में 4321 बच्चों को भर्ती किया गया था। इनमें से 20.8 प्रतिशत यानी 869 की मौत हो गई। 2019 में, 4701 बच्चे भर्ती हुए और नवंबर तक 18.9% बच्चों की मौत हुई। हालांकि, दिसंबर महीने में भर्ती हुए 386 में से 111 बच्चे बचाए नहीं जा सके। इसके चलते बच्चों की सामूहिक मृत्यु 28% तक पहुंच गई।

एनआईसीयू में 2 बच्चों पर 1 नर्स की जरूरत, सिविल अस्पताल में में 10 के लिए एक नर्स
एनआईसीयू में विशेष नर्सिंग देखभाल, तापमान नियंत्रण, संक्रमण मुक्त हवा की विशेष जरूरत होती होती है। बच्चा अगर कम वजन का है, तो उसके लिए कम से कम एक नर्स और अधिकतम दो नर्स मौजूद होनी चाहिए। हालांकि, राजकोट सिविल अस्पताल में 10 नवजातों के लिए केवल एक नर्स है।

मुझे इस मुद्दे की जानकारी नहीं है, लेकिन मैं आपको इसकी जांच करने के बाद ही सही बात बता सकता हूं।
नितिन पटेल, उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री


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गुजरात के राजकोट में एक सरकारी अस्पताल में एक महीने में 111 बच्चों की मौत हो चुकी है।


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नितिन पटेल ने कहा- सचिवालय में गैर गुजराती आईएएस की नेमप्लेट देखकर दु:ख होता है

गांधीनगर. गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने सचिवालय में गैर-गुजराती अधिकारियों की नेमप्लेट को लेकर दु:खी होने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं रोजाना सचिवालय जाता हूं तब सचिवों की नेम प्लेट देख कर दु:ख होता है कि सभी आईएएस, आईपीएस सहित अधिकांश आला अधिकारी गुजरात से बाहर के ही होते हैं। हम पढ़ लिखकर व्यापार-धंधे के लिए अमरीका समेत अन्य देशों में पहुंचे, लेकिन सचिवालय तक नहीं पहुंच पाए। पटेल शनिवार को गांधीनगर में चौधरी समाज के स्नेह मिलन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

पटेल ने चौधरीसमाज के लोगों से अपील की कि सभी अपने बच्चों को इतना पढ़ाओ-लिखाओ कि वह उच्च स्तर तक पहुंच सके। पहले वक्त था कि सरकारी नौकरी में गुजरातियों को दिलचस्पी कम थी। भारत सरकार में रेलवे, पोर्ट, ओएनजीसी सहित अनेक ऐसी जगह हैं, जहां उच्च स्तर पर गुजराती अधिकारी कम हैं। हम इस ओर दिलचस्पी नहीं लेते थे सिर्फ व्यापार-धंधे में आगे बढ़ते रहे। खैर, अब विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे हर माता-पिता की चाहत है कि उनके बच्चे आईएएस-आईपीएस अधिकारी बनें। सरकार भी ऐसे प्रशिक्षण संस्थानों के लिए सहूलियत दे रही है। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में आईएएस-आईपीएस सहित उच्च पदों पर ज्यादा से ज्यादा गुजराती स्थान प्राप्त करेंगे।

‘ज्यादातर राज्यों में स्थानीय अधिकारी उच्च स्थान पर’
उप-मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘गुजराती अधिकारी यहां के लोगों की भावनाओं, जरूरत और राज्य की जमीनी स्थिति को अच्छी तरह समझ सकता है। मौजूद आईएएस अधिकारी सरकार के दिशा-निर्देश पर अच्छा काम करते हैं लेकिन जिस लगाव से गुजराती काम कर सकते हैं वह शायद कम होता। भाषा का अवरोध भी एक समस्या होती है। छोटे गांव के व्यक्ति, किसान जब अधिकारी से गुजराती में बात करते हैं, तो ऐसी स्थिति में गुजराती अधिकारी ही समझ सकता है। अधिकांश राज्यों में आईएएस-आईपीएस स्थानीय अधिकारी उच्च पदों पर होते हैं। गुजरात में यह कसक रही है, जिसे पूरा करने का प्रयास सरकार कर रही है।

‘मैं किसी खेल का खिलाड़ी नहीं, सेवाभाव से आया हूं’
राजनीति के बारे में नितिन पटेल ने कहा, ‘‘मैं किसी खेल का खिलाड़ी नहीं हूं। मैं तो सेवाभाव से आया हूं। कई सालों से राजनीति में हूं।’’ उन्होंने स्वीकार किया, ‘‘दूसरे चुनाव में मैं घिर गया था, लेकिन अंतत: चौधरी समाज मेरे साथ खड़ा रहा। मेरे निर्वाचन क्षेत्र में चौधरी समाज के 19 हजार वोट में से 18 हजार वोट मुझे मिले।’’ हाल ही में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा था कि मैं 20-20 मैच की तरह क्रीज छोड़कर बैटिंग करने आया हूं।



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गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बच्चों को पढ़ा-लिखाने की अपील की। -फाइल


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सरकारी कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना को मंजूरी; 10 लाख तक मुफ्त इलाज, 12.5 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा

भोपाल. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार ने शनिवार को कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना को मंजूरी दी। योजना 1 अप्रैल से लागू होगी औरप्रदेश के सभी 12.55 लाख कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। इसके अलावा सेवानिवृत्त कर्मचारी भी योजना में शामिल रहेंगे। इसके तहत साधारण बीमारी के लिए 5 लाख और गंभीर बीमारी के लिए 10 लाख रु. तक कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।

कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने बताया कि प्रदेश के सभी वर्तमान और सेवानिवृत्तकर्मचारियों को योजना का फायदा मिलेगा। इनमें शासकीय कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, शिक्षक संवर्ग, नगर सैनिक, राज्य की स्वशासी संस्थानों में सेवारत कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। उन्होंनेकहा कि निगम मंडलों में सेवारत कर्मचारियों और अखिल भारतीय सेवा के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना वैकल्पिक होगी। इस बीमा योजना के लागू होने से राज्य सरकार पर 756.56 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।

उच्च शिक्षा विभाग के तहत 500 नए पद स्वीकृत

इसके अलावा कैबिनेट में उच्च शिक्षा विभाग के तहत 500 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। अतिथि विद्वानों के लिए जिन कॉलेजों में पद खाली हो गए थे, वहां पर 500 नए पद सृजन करने को मंजूरी दी गई है। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने बताया कि किसी भी अतिथि विद्वान को बाहर नहीं किया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा अतिथि विद्वानों को इसमें शामिल किया जाएगा।इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग में 560 पदों को भरने की मंजूरी दी गई।

21 लाख किसानों का कर्ज माफ, 10 लाख नए चिन्हित
मंत्री सज्जन वर्मा ने बताया कि सरकार अब तक 21 लाख किसानों का कर्ज माफ कर चुकी है। अब एक और सूची तैयार की गई है। जिसमें 10 लाख किसानों का ऋण माफ किया जाएगा। पहली सूची के किसानों का ऋण माफ होने के बाद अब ऋण माफी की अगली सूची का काम शुरू किया जा रहा है। उन किसानों का भी ऋण भी माफ किया जाएगा, जिनके एक से ज्यादा खाते हैं। उनका मामला सबसे आखिर में देखा जाएगा।



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भोपाल में कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।


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अप्रैल से ज्यादा नियमित चलेंगी दिल्ली-हावड़ा, दिल्ली-मुंबई रूट की 1800 से ज्यादा रेलगाड़ियां

नई दिल्ली .दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई के बीच 1800 ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को अप्रैल से राहत मिलनी शुरू हो जाएगी। दरअसल, अप्रैल से डेडीकेटेड फ्रैट कॉरिडोर (मालगाड़ियों का अलग ट्रैक) शुरू होने के बाद मालगाड़ियां मौजूदा लाइन से शिफ्ट हो जाएंगी और ट्रैक सवारी गाड़ियों के लिए खाली हो जाएगा।

वहीं, मालगाड़ियां डेडीकेटेड फ्रैट कॉरिडोर (डीएफसी) में चलेंगी। इससे ट्रेनों की औसत गति बढ़ने के साथ-साथ उनका पासिंग के लिए रुकना भी कम हो जाएगा और ट्रेनें 75% से 90% तक नियमित से चलेंगी। ईस्टर्न (दिल्ली-हावड़ा) और वेस्टर्न (दिल्ली-मुंबई) डीएफसी में मार्च से कमर्शियल रन शुरू हो जाएगा। यानी ईस्टर्न में खुर्जा से लेकर भदान तक और वेस्टर्न में रेवाड़ी से लेकर पालनपुर तक मालगाड़ियां चलने लगेंगी। इसके शुरू होने के बाद करीब एक हजार किमी मौजूदा ट्रैक से लगभग 400 मालगाड़ियां शिफ्ट हो जाएंगी। हालांकि, इन्हें एक-एक कर शिफ्ट किया जाएगा।

दो हजार किमी तक कॉरिडोर शुरू करने की योजना

डीएफसी के जीएम वेद प्रकाश ने बताया कि पहले तीन माह तक आब्जर्वेशन किया जाएगा। जुलाई में नया टाइम टेबल जारी होने के बाद सुधार दिखाई देगा। इससे ट्रेनों की पंक्चुएलिटी 15% तक दुरुस्त हो जाएगी। 2 जनवरी को डीएफसी मुख्यालय दिल्ली में आयोजित बैठक में इस साल दो हजार किमी कॉरिडोर शुरू करने का फैसला लिया है।



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 दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई के बीच 1800 ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को अप्रैल से राहत मिलनी शुरू हो जाएगी।


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भारत ने जताया कड़ा विरोध, कहा-उपद्रवियाें पर कार्रवाई करे पाक

नई दिल्ली/इस्लामाबाद .सिखाें के पवित्र धर्मस्थलाें में से एक पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर पथराव की घटना का भारत ने कड़ा विराेध किया है। विदेश मंत्रालय ने उपद्रवियाें पर पाकिस्तान से कार्रवाई करने काे कहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, "भारत पवित्र स्थान को नष्ट करने और उजाड़ने के इन कामों की कड़ी निंदा करता है। हम पाकिस्तान सरकार से सिख समुदाय के सदस्यों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हैं।' इस पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि पंजाब प्रांत के प्रांतीय अधिकारियों ने सूचित किया है कि ननकाना साहिब शहर में शुक्रवार को दो मुस्लिम समूहों के बीच हाथापाई हुई थी। इस संघर्ष में गुरुद्वारा को काेई नुकसान नहीं हुअा। पाकिस्तान अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

ननकाना साहिब से भास्कर के लिएशाह जमाल
पाकिस्तान में ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हमले के बाद से सिख समुदाय खाैफ में है। गुरुद्वारे के अासपास करीब 250 सिख परिवार रहते हैं। शुक्रवार शाम जब कट्टरपंथी मुस्लिमाें की भीड़ गुरुद्वारे पर हमला कर रही थी, उस दौरान ज्यादातर सिख परिवार घराें में दुबके रहे। हर पल डर सता रहा था कि दंगाई भीड़ कहीं घरों पर हमला न कर दे। हमले के वक्त गुरुद्वारे में फंसे मुख्य ग्रंथी दया सिंह अाैर श्रद्धालुअों की ताे जान ही अटकी रही। इनमें से कुछ श्रद्धालु भारत अाैर कनाडा के भी थे। पथराव कर रही भीड़ गुरुद्वारे का मुख्य दरवाजा ताेड़ने की काेशिश कर रही थी। दया सिंह ने कहा, ‘हम सब डरे हुए थे। हर कोई जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा था। काेई कमरे में, काेई बाथरूम में तो काेई गैराज में छिपा। गनीमत है कि न दरवाजा टूटा अाैर न काेई घायल हुअा। यह बुरे सपने जैसा था।’ सिख काॅलाेनी में भी हालात कुछ एेसे ही थे। काॅलेज छात्र महेंद्र सिंह ने कहा, ‘शाम काे एकाएक पापा ने मुझे फाेन किया। शेष पेज 10 पर



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सिखाें के पवित्र धर्मस्थलाें में से एक पाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर पथराव की घटना का भारत ने कड़ा विराेध किया


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दिल्ली में अगले दो दिनों में बारिश होने की आशंका; हिमाचल में बारिश-बर्फबारी शुरू, भोपाल में कड़ाके की ठंड जारी

दिल्ली/भोपाल/शिमला/श्रीनगर. राजधानी दिल्ली में आज का तापमान 8.4° सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है। मौसम विभाग ने सोमवार से बारिश होने की आशंकी जताई है, जिससे ठंड बढ़ सकती है। वहीं, पश्चिमी विक्षोभ का असर कम होने तथा उत्तर पूर्वी सर्द हवा के चलने से भोपाल समेत मध्यप्रदेश के अन्य कई इलाकों में कड़ाके की ठंड फिर शुरू हो गई है। हिमाचल प्रदेश में 6 तथा 7 जनवरी को येलो अलर्ट जारी किया गया। शिमला समेत ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी और निचले इलाकों में बारिश हुई।

मध्य प्रदेश: भोपाल में शनिवार को सबसे ठंडा दिन दर्ज
भोपाल में शनिवार को दिन का तापमान 3.5° लुढ़ककर 17° पर पहुंच गया और रात का तापमान भी 3° लुढ़क गया। यह प्रदेश का सबसे ठंडा दिन रहा। यहां का तापमान पंचमढ़ी से 3.8° कम रहा। भोपाल में इससे पहले पिछले महीने दिन का तापमान 17.3° दर्ज किया गया था। मौसम विभाग के मुताबिक भोपाल सहित पूरे राज्य में रविवार से रात के तापमान में 2 से 3° तक गिरावट हो सकती है। 8 जनवरी से बादल छाने और हल्की बूंदाबांदी हो सकती है।

दिल्ली: सोमवार से बारिश की आशंका
राजधानी में शनिवार को गुनगुनी धूप निकली। यहां का न्यूनतम तापमान 8° सेल्सियस और अधिकतम तापमान 21.6° दर्ज किया गया। प्रदूषण स्तर में आंशिककमी आई। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) का स्तर 336 रहा जो कि शनिवार के346 से 10 अंक कम रहा।शुक्रवार को इसका स्तर352 परथा। मौसम विभाग ने 6 जनवरी से 8 जनवरी के बीच बारिश की आशंका जताई है। रविवार को अधिकतम और न्यूनतम तापमान 21° और 7° के आसपास रहने की संभावना है।

हिमाचल: अगले दो दिनों तक बारिश-बर्फबारी की चेतावनी
शिमला, मनाली और कुल्लू में बर्फबारी शुरू हो गई, इसके बाद पर्यटक लुत्फ लेने के बाद सड़कों पर उतर आए। शनिवार को कुल्लू के रोहतांग दर्रे में डेढ़ फुट तक बर्फबारी हुई। वहीं, मैदानी इलाकों में जबर्दस्त बारिश हुई। बर्फबारी से वाहनों की आवाजाही पर काफी असर पड़ा है। 80 से ज्यादा सड़कें बंद हो गई। मौसम विभाग ने अगले दो दिन तक बर्फबारी की चेतावनी दी है और येलो अलर्ट जारी किया है। इससे मौसम के ज्यादा खराब होने की आशंका है।

राजस्थान: कोहरे के कारण तीन दिन में 14 फ्लाइट्स डायवर्ट
राजस्थान में कड़ाके की ठंड जारी है। जयपुर में कोहरे छाने के कारण हर दिन फ्लाइट्स विलंब से चल रही है या उसे डायवर्ट की जा रही है।



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देश भर में कड़ाके की ठंड चल रही है।


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मंत्रियों की शपथ के 5 दिन बाद विभागों का बंटवारा; गृह और वित्त राकांपा के पास; आदित्य को पर्यटन-पर्यावरण की जिम्मेदारी

मुंबई (महाराष्ट्र).उद्धव ठाकरे सरकार के पहले विस्तार में 30 दिसंबर को 36 मंत्रियों ने शपथ ली थी। विभागों के बंटवारे पर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के तीनों दलों के बीच शनिवार रात तक लंबी चर्चा हुई। इसके बाद सरकार की ओर से मंत्रियों और उनके विभागों की लिस्ट राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजी गई थी, जिसे उन्होंने रविवार सुबह मंजूरी दे दी। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और उपमुख्यमंत्री अजित पवार कोवित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य को पर्यटन और पर्यावरण विभाग मिला है।

राकांपा के अनिल देशमुख को गृह मंत्रालय, कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट को राजस्व और अशोक चव्हाण को पीडब्लूडी मंत्री बनाया गया है। विभाग बंटवारे को लेकर कांग्रेस और राकांपा के बड़े नेताओं के बीच विवाद की खबरें भी आई थीं। आखिरकार सभी दलों ने अंतिम निर्णय सीएम उद्धव ठाकरे के ऊपर छोड़ दिया था। मंत्रालय बंटवारे में उद्धव ने सामंजस्य बैठाने का प्रयास करते हुए नारज चाल रहे कांग्रेस नेताओं को भी खुश करने का प्रयास किया।

किसे मिला कौन सा मंत्रालय मिला

राकांपा को क्या मिला

अनिल देशमुख - गृह विभाग

अजित पवार - वित्त व नियोजन

जयंत पाटिल - जल संसाधन (सिंचाई)

छगन भुजबल - फूड और सिविल सप्लाई

दिलिप वाल्से पाटिल- एक्साइज एंड लेबर

जितेंद्र अवहाद - आवास

राजेश तोपे - स्वास्थ्य

राजेंद्र शिंगने - खाद्य एवं औषधि प्रशासन

धनंजय मुंडे - सामाजिक न्याय

कांग्रेस को क्या मिला

नितिन राउत - ऊर्जा

बालासाहेब थोराट - राजस्व

वर्षा गायकवाड़ - स्कूली शिक्षा

यशोमति ठाकुर - महिला और बाल कल्याण

केसी पाडवी - आदिवासी विकास

सुनील केदार - डेयरी विकास व पशुसंवर्धन

विजय वड्डेटीवार - ओबीसी कल्याण

असलम शेख - कपड़ा, बंदरगाह

अमित देशमुख - स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कृति

शिवसेना को क्या मिला

आदित्य ठाकरे - पर्यावरण, पर्यटन

एकनाथ शिंदे - नगरविकास (MSRDC)

सुभाष देसाई - उद्योग

संजय राठोड़ - वन

दादा भुसे - कृषि

अनिल परब - परिवहन,संसदीय कार्य

संदीपान भुमरे - रोजगार हमी (EGS)

शंकरराव गडाख - जल संरक्षण

उदय सामंत - उच्च व तकनीकी शिक्षा

गुलाब राव पाटिल - जलापूर्ति

कांग्रेस-राकांपा के बीच नाराजगी की जानकारी सामने आई थी
इससे पहले मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर राकांपा और कांग्रेस में नाराजगी सामने आई। राकांपा और शिवसेना अपने कोटे से एक भी मंत्री पद कांग्रेस से अदला-बदली करने के लिए तैयार नहीं थे। गुरुवार रात को शिवसेना नेता सुभाष देसाई के आवास पर हुई बैठक में कुछ नेता बीच में ही उठकर चले गए थे। उस बैठक में अशोक चव्हाण ने ग्रामीण विकास, सहकारिता और कृषि विभाग में से कोई एक विभाग कांग्रेस को देने की मांग रखी। चव्हाण ने शिवसेना और एनसीपी के साथ विभागों के अदला-बदली पर भी सहमति दिखाई थी।चव्‍हाण की मांग पर अजित पवार ने कहा था कि कांग्रेस में किससे बात करें, कोई नेता ही नहीं है। तब दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस की खबरें आई थीं।



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मंत्रालय की जिम्मेदारियां तय करने के लिए महा विकास अघाड़ी के तीनों दलों के बीच लंबी चर्चा हुई।


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भारतीय फिल्म को 18 साल से नॉमिनेशन नहीं मिला, 37 साल पहले ‘गांधी' को मिला था बेस्ट पिक्चर का खिताब

हॉलीवुड डेस्क. साल के पहले सिनेमा अवॉर्ड शो ‘गोल्डन ग्लोब’ का आयोजन 5 जनवरी को अमेरिका लॉस एंजिलिस स्थित बेवरली हिल्स में किया जाएगा।भारत में इसका लाइव प्रसारण 6 जनवरी सुबह 7:30 बजे से होगा। हॉलीवुड फॉरेन प्रेस एसोसिएशन द्वारा किए जा रहे 77वें गोल्डन ग्लोब का आयोजन इस साल भी लॉस एंजिलिस स्थित बेवरली हिल्स में किया जा रहा है। दर्शक सेरेमनी का प्रसारण कॉमेडी सेंट्रल इंडिया, वीएच1 और कलर्स इनफिनिटी पर देख सकते हैं।

भारत की ओर से इस साल भी गोल्डन ग्लोबएक भी नॉमिनेशन नहीं है। आखिरी बार 2002 में मीरा नायर की फिल्म ‘मॉनसून वेडिंग' बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज मोशन पिक्चर कैटेगरी मेंनॉमिनेट हुई थी। 37 साल पहले फिल्म ‘गांधी'इस खिताब को जीतने वाली आखिरी भारतीय फिल्म थी।

भारतीय फिल्में दो बार खिताब जीत चुकीं हैं

भारतीय फिल्मों ने अब तक गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने में दो बार कामयाबी हासिल की है। पहली बार 1959 में वी शांताराम की ‘दो आंखें बारह हाथ' ने सैमुअल गोल्डविन इंटरनेशनल अवॉर्ड अपने नाम किया था। इसके 24 साल बाद 1983 में रिचर्ड एटनबर्ग की फिल्म ‘गांधी' ने फॉरेन लैंग्वेज कैटेगिरी में बेस्ट मोशन पिक्चर का खिताब जीता था।

इसकेअलावा तीन भारतीय फिल्में अवॉर्ड के लिए नॉमिनेशन पा चुकी हैं। 1961 में आई सत्यजीत रे की ‘द वर्ल्ड ऑफ अपु' और 1981 में मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे' को फॉरेन लैंगवेज कैटेगिरी में बेस्ट मोशन पिक्चर के लिए नॉमिनेट किया गया था।

नेटफ्लिक्स को मिले सबसे ज्यादा 17 फिल्म नॉमिनेशन

इस साल ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स ने सबसे ज्यादा 17 कैटेगिरी में नॉमिनेशन हासिल किया है। नॉमिनेट की गईं कुल 5 बेस्ट फिल्मों में से तीन फिल्में ‘द आयरिशमैन', ‘मैरिज स्टोरी' और ‘द टू पोप्स' नेटफ्लिक्स स्टूडियो की हैं। इसके बाद एचबीओ स्टूडियो को 15 कैटेगिरी में नामित किया गया है।फिल्म के अलावा नेटफ्लिक्स ने टीवी सीरीज कैटेगिरी में भी 17 नॉमिनेशन्स अपने नाम किए हैं।

रिकॉर्ड पांचवी बार कार्यक्रम को होस्ट करेंगे रिकी गेरवेस

77वें गोल्डन ग्लोब कार्यक्रम को ब्रिटिश कॉमेडियन रिकी गेरवेस पांचवी बार होस्ट करने जा रहे हैं। इस मौके पर रिकी ने कहा कि एक बार फिर उन्होंने मुझे ऐसा ऑफर दिया, जिसे मैं मना नहीं कर पाया। हालांकि उन्होंने साफ किया कि वे आखिरी बार इस कार्यक्रम को होस्ट करेंगे।

पहली बार परोसा जाएगा शाकाहारी भोजन

रविवार को आयोजित होने जा रहे 77वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड्स में पहली बार केवल शाकाहारी खाना परोसा जाएगा। खाने का पूरा मेन्यू केवल सब्जियों पर आधारित होगा। हॉलीवुड फॉरेन प्रेस एसोसिएशन की प्रेसिडेंट लॉरेंजो सोरिया ने बताया कि यह फैसला पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। इसके साथ ही कार्यक्रम के दौरान प्लास्टिक की जगह कांच की बोतलों का उपयोग किया जाएगा।



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मीरा नायर की मानूसन वे़डिंग (2002) गोल्डन ग्लोब के लिए नॉमिनेट होने वाली आखिरी फिल्म थी।


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महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा- ओलिंपिक में हम खुद के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी, बेहतर खेले तो किसी भी टीम को हरा सकते हैं

खेल डेस्क.भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है। यह पहला मौका होगा जब लगातार दो बार टीम ओलिंपिक में खेलेगी। इससे पहले 2016 में रियो ओलिंपिक में खेली थी और 12वें स्थान पर रही थी। तब 1980 के बाद महिला टीम ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया था। 1980 के मॉस्को ओलिंपिक में चौथा स्थान प्राप्त हुआ था। 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में वह चौथे और वर्ल्ड कप में आठवें स्थान पर रही।

टीम एशियन गेम्स (2018) में दूसरे, एशिया कप (2017) में पहले और एशियन चैम्पियंस ट्रॉफी (2018) में दूसरे स्थान पर रही। टीम के प्रदर्शन में लगातार सुधार हो रहा है और उससे दुनिया के सबसे बड़े खेल इवेंट में पदक की उम्मीदें हैं। ओलिंपिक की तैयारियों को जानने के लिए दैनिक भास्कर ने कप्तान रानी रामपाल से बातचीत की।

1. ओलिंपिक में पहुंचने वाली सभी टीमें मजबूत होती है, कप्तान के रूप में आप किस देश को अपना प्रतिद्वंदी मानती हैं?

‘ओलिंपिक में इंडिया हॉकी टीम का मुख्य प्रतिद्वंदी इंडिया टीम ही है। अगर हम अच्छा खेलेंगे तो हम किसी भी टीम से जीत सकते हैं। अगर हम ही अच्छा नहीं खेलेंगे तो हमारा चैलेंज खुद से ही होगा। किसी भी देश का नाम मायने नहीं रखता है। आप उस दिन कैसा खेलते हैं वह महत्व रखता है। अगर हम बेहतर खेलते हैं और एक टीम के रूप में खेलते हैं, तो किसी भी देश को हराने की क्षमता रखते हैं। किसी देश की रैकिंग से डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि उस दिन उस टीम से बेहतर खेलना ज्यादा जरूरी है।’

2. ओलिंपिक क्वालिफाई करने के बाद महिला टीम से लोगों की उम्मीदें ज्यादा बढ़ गईं है? क्या ओलिंपिक को लेकर टीम के खिलाड़ियों पर दबाव होगा?

‘सबसे बड़ा दबाव होता है कि आप ओलिंपिक में जाएंगे या नहीं, लेकिन हम लोग क्वालिफाई कर चुके हैं। यह अच्छी बात है कि लोगों को महिला हॉकी टीम से उम्मीदें बढ़ी हैं, हम इससे खुश हैं। मुझे उम्मीद है कि टीम के खिलाड़ी सबकी उम्मीदों पर खड़े उतरेंगे। मुझे विश्वास है कि सभी ओलिंपिक में अपना बेस्ट देंगी।’

3. फिटनेस को रखते हुए डाइट प्लान में क्या परिवर्तन किया गया है? टीम के खिलाड़ी किस चीज से परहेज कर रहे हैं?

‘हॉकी के लिए फिटनेस जरूरी है। ऐसे में डाइट का महत्व बढ़ जाता है। क्योंकि रोज पूरी क्षमता के साथ प्रैक्टिस करना हाेता है। साथ ही मैच में पूरी क्षमता के साथ ग्राउंड में उतरना होता है। ऐसे में हेल्दी फूड खाना ज्यादा महत्व रखता है। डाइटिशियन उस हिसाब से खाने की मेन्यू में चेंज करते रहते हैं। हमें मीठा और जंक फूड खाने से मना किया गया है। साथ ही फैट बढ़ाने वाली चीजों से दूर रहने को भी कहा जाता है।’

4. खिलाड़ियों का फिटनेस अभी कैसा है, आप खिलाड़ियों के फिटनेस को लेकर संतुष्ट हैं?

‘वर्तमान में खिलाड़ियों का फिटनेस लेवल ठीक है। पिछले कुछ सालों से फिटनेस पर फोकस किया जा रहा है। फिटनेस को लेकर साइंटिफिक एडवाइजर वेन पैट्रिक लोम्बार्ड योजना तैयार करते हैं। वह टीम के साथ बेहतर काम कर रहे हैं। वह टूर्नामेंट के पहले क्या करना चाहिए, मैच न होने पर क्या करना चाहिए, मैच नजदीक आने पर क्या करना चाहिए। इन सभी चीजों को लेकर प्लान तैयार करते हैं। इसका टीम को फायदा पहुंचा है।’

5. हॉकी में फिटनेस और तकनीक के साथ ही खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति भी ग्राउंड पर महत्व रखता है, इसे लेकर क्या किया जा रहा है?

‘जी बिल्कुल अब फिटनेस और तकनीक के साथ ही आपका माइंड भी आपके खेल पर प्रभाव डालता है। आप मैदान में विभिन्न परिस्थितियों में अपने को ग्राउंड में किस तरह रख पाते हैं, आप क्या सोचते हैं। इसका प्रभाव कहीं न कहीं आपके प्रदर्शन पर पड़ता है। इसलिए कैंप के दौरान साइकोलॉजिक सेशन होता है। जिसमें दबाव से कैसे निपटना है, आपको कैसे अपने को कूल रखना है। इन सबके बारे में बताया जाता है। चूंकि ओलिंपिक गेम्स में हर मैच आपका महत्वपूर्ण होता है। ऐेस में इस पर ज्यादा फोकस करना होगा।’

6. ओलिंपिक के दौरान जापान में काफी गर्मी होगी, क्या इसको लेकर चिंतित है, क्या टीम के प्रदर्शन पर इसका प्रभाव पड़ेगा?

‘जिस समय टोक्यो में ओलिंपिक है, उस दौरान जापान में गर्मी पड़ेगी। इसको लेकर ज्यादा चिंता करने की जरूरत है, क्योंकि इंडिया में भी काफी गर्मी पड़ती है। भारतीय प्लेयर इसे जानते हैं। मार्च के बाद यहां भी गर्मी शुरू हो जाती है। टोक्यो में हम खेल चुके हैं।’

7. टोक्यो से पहले टीम को एक्सपोजर देने के लिए टीम मैनेजमेंट की क्या प्लान है?

‘टोक्यो से पहले टीम मैनेजमेंट ने टीम को एक्सपोजर देने के लिए कई देशों का टूर प्लान किया है, जिसमें न्यूजीलैंड के लिए टीम इसी महीने जाएगी। वहीं, उसके बाद स्पेन का टूर हैं। एशियन चैम्पियनशिप है, जो कोरिया में होना है। टीम को वहां भी जाना है। टीम मैनेजमेंट व हॉकी इंडिया इसको लेकर प्लान तैयार कर रहे हैं।’

8. टीम कॉम्बिनेशन कैसा है, फॉरवर्ड में आपके अलावा टीम का दारोमदार किस पर होगा?

‘वर्तमान टीम युवा और अनुभवी खिलाड़ियों का मिश्रण है। टीम में शामिल हर खिलाड़ी टीम की जरूरत के हिसाब से खेलने की क्षमता रखती हैं। इस समय में टीम में वैराइटी है। जरूरत के हिसाब से मैच दर मैच उनका इस्तेमाल किया जाएगा। टीम किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं है। जीतने के लिए टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को ही योगदान करना होगा। केवल किसी एक खिलाड़ी के प्रदर्शन के बल पर जीत पाना संभव नहीं है।’

9. डिफेंडर सुनीता ने संन्यास ले लिया है, क्या टीम को नुकसान होगा?

‘डिफेंडर सुनीता 10 साल से इंडिया के लिए खेल रही हैं। इंजरी के कारण उन्हें संन्यास लेना पड़ रहा है। दर्द के साथ खेल पाना संभव नहीं है। सुनीता का भी टीम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। किसी भी खिलाड़ी के कमी को पूरा कर पाना दूसरे खिलाड़ी के लिए संभव नहीं होता है। लेकिन यह एक प्रक्रिया है। जो हर खिलाड़ी और टीम को गुजरना पड़ता है।’



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Rani Rampal: Women Hockey Team Captain Rani Rampal Speaks On 2020 Tokyo Olympic Hockey; Rani Rampal Exclusive Interview


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सीईएस ने दुनिया को दिए 3D टेलीविजन और 3D प्रिंटर जैसे ये 23 इनोवेटिव प्रोडक्ट

गैजेट डेस्क.दुनिया का सबसे बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स शो इस साल 7 जनवरी से शुरू होगा। इस साल शो का 53वां एडिशन है। 1967 में सिर्फ 250 एग्जिबीटर्स और 17 हजार विजिटर्स के साथ शुरू हुए सीईएस के 52 सालों के इतिहास में अबतक 7 लाख से ज्यादा प्रोडक्ट लॉन्च हो चुके हैं। शो में वीसीआर, टीवी, कैमरे, डिजिटल सैटेलाइट टेक्नोलॉजी, सैटेलाइट रेडियो जैसे कई इनोवेटिव प्रोडक्ट लॉन्च हुए, जिन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी।

इस बार शो में करीब 4500 से ज्यादा कंपनियां शामिल होंगी। 3D प्रिटिंग, रोबोटिक्स, फिटनेस, गेमिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और 5G कनेक्टिविटी समेत कुल 36 कैटेगरी में कंपनियां अपने इनोवेटिल प्रोडक्ट पेश करेंगी। ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार इस साल 20 हजार से ज्यादा प्रोडक्ट लॉन्च किए जाएंगे।



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CES 23 best innovation in worlds biggest Consumer Electronics Show


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ट्रम्प ने कहा- हमारे निशाने पर ईरान के 52 ठिकानें, अगर हमला हुआ तो हम जोरदार पलटवार करेंगे

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को चेतावनी दीकि ईरान में 52 ठिकानें अमेरिकी निशाने पर हैं। अगर ईरान किसी भी अमेरिकी व्यक्ति या संपत्ति पर हमला करता है, तो वे तेजी से कार्रवाई करेंगे। शुक्रवार को अमेरिका ने इराक के एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला कर ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी। ट्रम्प ने कहा कि जिन जगहों को निशाना बनाया गया है, उनमें से कुछ साइटें ईरान और ईरानी संस्कृति के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। अमेरिका कोई और खतरा नहीं चाहता है।

सुरक्षा से जुड़े सूत्रों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि ईरान समर्थक गुटों ने इराक में अमेरिकी दूतावास और अल-बालाद एयर बेस पर शनिवार देर रात कई रॉकेट दागे। यहां कई अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।इराकी सेना ने मिसाइल हमलों की पुष्टि की और कहा कि कोई हताहत नहीं हुआ है। अमेरिका-ईरान के बीच बढ़े तनाव के कारण मध्य पूर्व में बड़े संघर्ष की आशंका जताई जा रही है।

‘ईरान अमेरिका की कुछ संपत्तियों को निशाना बना सकता है’

राष्ट्रपति ट्रम्प ने ट्वीट किया-ईरान अमेरिका की कुछ संपत्तियों को निशाना बनाने के बारे में बात कर रहा है। मुझे बताने की जरूरत नहीं है कि ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलोमानी ने अपने जीवन अपने में कितने लोगों को मारा है। इसमें हाल ही में ईरान में मारे गए प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं। सुलोमानीने बगदाद में अमेरिकी राजदूत पर हमला किया था और अन्य जगहों पर हमला करने की भी योजना बना रहा था।

हम हर कीमत पर अपने लोगों की रक्षा करेंगे: अमेरिका

1979 में ईरानी युवा छात्रों का एक दल जबरदस्ती अमेरिकी दूतावास में घुस गया था और वहां मौजूद सभी 52 अमेरिकियों को बंधक बना लिया था। सभी नागरिक 1981 में रिहा हुए थे। ट्रम्प ने धमकी दी है कि हमलावरों को ढूंढकर खत्म किया जाएगा। जिन्होंने भी अमेरिकी को नुकसान पहुंचाया है या ऐसा करने की साजिश रच रहे हैं, उन्हें खत्म कर देंगे। हम अपने लोगों और राजनयिकों की रक्षा करेंगे।

सही समय पर सुलेमानी की हत्या का बदला लेंगे: ईरान

ईरानी सेना के वरिष्ठ कमांडर ने कहा है कि सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए उनका देश सही समय और सही जगह का इंतजार करेगा। हम अमेरिकी कार्रवाई का बदला लेने के लिए जोरदार पलटवार करेंगे। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अल-खामेनेई ने भी कहा था कि कि वे सुलेमानी की हत्या का बदला लेंगे।

पोम्पियो ने इजराइली प्रधानमंत्री से बात की
अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोम्पिओ ने रविवार को इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से ‘ईरान के प्रभाव और क्षेत्र में खतरों का मुकाबला करने’ के महत्व पर बात की। पोम्पियो ने ट्वीट किया- इजरायल के पीएम नेतन्याहू और मैंने ईरान की ओर से होने वाले खतरों को लेकर बात की। आतंकवाद से लड़ने में इजरायल के लगातार समर्थन के लिए मैं शुक्रगुजार हूं। इजराइल और अमेरिका के बीच का बंधन अटूट है।

अमेरिका को आत्मरक्षा का अधिकार: नेतन्याहू

बगदाद के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार को हुए अमेरिकी हवाई हमले का प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने समर्थन किया। नेतन्याहू ने कहा था कि अमेरिका को आत्मरक्षा का अधिकार है।



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ट्रम्प ने कहा- अमेरिका कोई और खतरा नहीं चाहता है।


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रेस्तरां संचालक भारतीय दंपति पीड़ितों को मुफ्त कढ़ी-चावल खिला रहा, कहा- सेवा हमारा कर्तव्य है

मेलबर्न. भारतीय मूल केकंवलजीत सिंह और उनकी पत्नी कमलजीत कौर ऑस्ट्रेलिया में आग से प्रभावित लोगों को मुफ्त खाना खिला रहे हैं। दंपति पूर्वी विक्टोरिया के बर्न्‍सडेल इलाके में ‘देसी ग्रिल’ रेस्तरां चलाता है। पिछले चार महीने से जारी आग की घटना से इस इलाके में रहने वाले सैंकड़ों लोग बेघर हो गए। जो मेलबर्न स्थित चैरिटी सिख वॉलेंटियर्स आस्ट्रेलिया के अस्थाई शिविरों में शरण लिए हुए हैं। दंपति और उनके कर्मचारी कढ़ी-चावल बनाकर इस एनजीओ को सौंपते हैं जिससे इन बेघरों का पेट भर रहा है।

डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सिख दंपति यहां पिछले छह साल से रह रहा है। कंवलजीत सिंह ने कहा, “मुझे लगा कि हमें अपने साथी ऑस्ट्रेलियाई लोगों की मदद करनी चाहिए क्योंकि यह हमारा कर्तव्य है। आग के कारण लोग गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं और उन्हें भोजन और ठहरने के लिए जगह की जरूरत है।”

हमारे पास एक दिन में 1000 लोगों के लिए खाना बनाने की क्षमता: दंपति

सिख दंपति ने कहा, “हम सिख हैं और सिखों की जिंदगी जीने के तरीके का पालन कर रहे हैं। हम वही कर रहे हैं जो आज अन्य ऑस्ट्रेलियाई नागरिक कर रहे हैं। अभी उन लोगों के लिए सेवा और प्रार्थना करने का समय है, जो जंगल में लगी भयावह आग से प्रभावित हुए हैं।” उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने वॉलेंटियर्स को नए साल की पूर्व संध्या पर 500 लोगों के लिए भोजन पकाने में मदद की थी। हमारे पास एक दिन में 1000 लोगों के लिए खाना बनाने की क्षमता है।

ऑस्ट्रेलिया में अब तक 1.23 करोड़ एकड़ क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका

दक्षिण-पूर्वी ऑस्ट्रेलिया के जंगल पिछले चार महीने से भीषण आग की चपेट में है। सरकार ने सीजन में तीसरी बार आपातकाल की घोषणा की है। हजारों लोग घरों से पलायन कर गए हैं और अभी तक तीन दमकलकर्मियों समेत 20 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लापता हैं। न्यू साउथ वेल्स और पड़ोसी स्टेट विक्टोरिया में इस हफ्ते 8 लोगों की मौत हो गई। आपातकाल की वजह से लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ रहा है और वाहनों में ईंधन डलवाने के लिए लंबी कतार लगानी पड़ रही है। जुलाई से अब तक न्यू साउथ वेल्स में 70 लाख एकड़ क्षेत्र जल चुका है। रूरल फायर सर्विस के मुताबिक, देश भर में 1.23 करोड़ एकड़ क्षेत्र आग की भेंट चढ़ चुका है। न्यू साउथ वेल्स में करीब 1400 घर जलकर खाक हो गए।



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एनजीओ के अस्थाई शिविरों में रह रहे सैंकड़ों बेघरों को मुफ्त में खाना दिया जाता है।
कंवलजीत सिंह और उनकी पत्नी कमलजीत कौर भारतीय मूल के नागरिक हैं।
यह दंपति पूर्वी विक्टोरिया के बर्न्‍सडेल इलाके में ‘देसी ग्रिल’ रेस्तरां चलाता है।
भारतीय दंपति कढ़ी और चावल एक एनजीओ को सौंप देता है।


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कोटा के सरकारी अस्पताल में 60% उपकरण खराब, 6 साल से 900 से ज्यादा नवजातों की मौत हो रही, फिर भी हालात नहीं सुधरे

कोटा. शहर के सबसे बड़े जेके लोन सरकारी अस्पताल में नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा पिछले 35 दिनों में 107 पहुंच गया। जब यहां हो रही नवजातों की मौतों का मामला गरमाया तो अस्पताल के शिशु औषध विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक बैरवा नेकोटा के गवर्मेंटमेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को चिट्‌ठी लिखी। यह चिट्‌ठी भास्कर के पास मौजूद है। इस चिट्‌ठी में विभागाध्यक्ष ने लिखा कि अस्पताल के ज्यादातर उपकरण सही हैं और किसी भी बच्चे की मौत संसाधनों की कमी की वजह से नहीं हुई है। हालांकि, इस दावे के विपरीत अपनी ही चिट्‌ठी में उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल के 533 में से 320 यानी 60% उपकरण खराब हैं।

इस अस्पताल की यह स्थिति है कि यहां मीडिया के लोगों की पाबंदी है। कोई भी अफसर-डॉक्टर बात करने को तैयार नहीं है। भास्कर की पड़ताल में यह सामने आया कि 25 दिसंबर को अस्पताल में 10 बच्चों की मौत का मामला उजागर होने पर विभागाध्यक्ष ने 27 दिसंबर को यह पत्र लिखा। उन्होंने यह भी दावा किया कि जेके लोन अस्पताल का एनआईसीयू जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के एनआईसीयू से तीन पायदान ऊपर है। बच्चों की मौत पर इस चिट्‌ठी में यह उदाहरण भी दिया गया कि पिछले दिनों जिन 7 बच्चों की मौत हुई, उन्होंने अस्पताल में भर्ती होने के 24 से 48 घंटे के अंदर दम तोड़ा। चिट्‌ठी में लिखा है, ''यह भर्ती के समय की उनकी गंभीरता की ओर इशाराकरता है।''

हर साल 900 से ज्यादा बच्चों की मौत
इस चिट्‌ठी के पॉइंट नंबर 6 में यह दावा किया गया कि अस्पताल में ज्यादातर उपकरण सही हैं। जबकि हर साल अस्पताल में 900 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई।

वर्ष भर्ती मौत डेथ परसेंट
2014 15719 1198 7.62
2015 17569 1260 7.17
2016 17892 1193 6.66
2017 17216 1027 5.96
2018 16436 1005 6.11
2019 17137 963 5.61

533 में से 320 उपकरण खराब

अस्पताल के शिशु औषध विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक बैरवा का 27 दिसंबर का पत्र।


चिट्‌ठी यह खुलासा करती है कि जेके लोन अस्पताल में उपकरणों की संख्या 533 है। इनमें 320 उपकरण खराब हैं, जबकि 213 चालू हालत में हैं। यानी बच्चों की यूनिट में उनके उपचार में काम आने वाले 60% उपकरण 27 दिसंबर की स्थिति तक खराब पड़े थे। चिट्‌ठी कहती है कि अस्पताल की चाइल्ड केयर यूनिट में 111 इंफ्यूजन पंप में से 81 खराब हैं। महज 31 चालू हालत में हैं। 19 वेंटिलेटर में से सिर्फ 6 चालू हालत में हैं। वार्मर भी कुल 71 में से महज 27 चालू और 44 खराब पड़े हैं। फोटोथैरेपी की कुल संख्या 27 है, जिनमें 7 खराब है। क्रिटिकल स्थिति के वक्त काम आने वाले वेंटिलेटर की संख्या 19 है। 13 वेंटिलेटर खराब पड़े हैं। सिर्फ 6 चालू हालत में हैं।

केंद्र की गाइडलाइन: 12 बेड पर 10 का स्टाफ हो, जेके लोन में 24 बेड पर महज 12 का स्टाफ
कोटा संभाग के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल की हकीकत ये है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार, एनआईसीयू में 12 बेड पर 10 का स्टाफ होना चाहिए। जबकि एनआईसीयू में कुल 24 बेड पर सिर्फ 12 लोगों का ही स्टाफ है।

सीनियर डॉक्टरों की भी कमी, फिर भी इलाज में लापरवाही नहोने का दावा
शिशु औषध विभाग में डॉक्टरों के कुल 12 पद स्वीकृत हैं। इनमें से केवल 7 ही डॉक्टर हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ के प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर स्तर के डॉक्टर्स के 4 पद खाली पड़े हैं। इसके बावजूद विभागाध्यक्ष के लिखे पत्र में दावा किया गया था कि हॉस्पिटल के एनआईसीयू और पीआईसीयू में राउंड द क्लॉक (24 घंटे) चिकित्सकों की ड्यूटी रहती है, जो गंभीर मरीजों को लगातार देखते हैं। ऐसे में इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई। सभी मरीजों की स्थिति अति गंभीर थी।

9 महीने पहले केंद्र की टीम ने जेके लोन को दिए थे 100 में से 0 नंबर, लेकिन हालात नहीं बदले
जेके लोन अस्पताल की असलियत 9 महीने पहले उसी दौरान सामने आ गई थी, जब भारत सरकार के ‘लक्ष्य प्रोजेक्ट’ के तहत एक स्पेशल टीम ने यहां दौरा किया था। भास्कर के पास यह रिपोर्ट मौजूद है, जिसमें 3 सदस्यीय एक्सपर्ट की टीम ने ऑपरेशन थिएटर और लेबर रूम के क्वालिटी मैनेजमेंट को 100 में से 0 नंबर दिया था। आज भी अस्पताल के हालात जस के तस हैं और लगातार हो रही नवजातों की मौत का प्रमुख कारण भी यही है। टीम की निरीक्षण रिपोर्ट में क्वालिटी मैनेजमेंट के मामले में अस्पताल के ओटी औरलेबर रूम काे फेल करार दिया गया था। जेके लोन के निरीक्षण के दौरान ही टीम ने साफ शब्दों में वहां मौजूद डॉक्टरों को कहा था, “क्यों जच्चा-बच्चा को संक्रमण दे रहे हो, आप तो हमारी स्कोरिंग के हिसाब से जीरो नंबर लायक हो’'।



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Death of 900 newborns in 6 years in Kota government hospital, yet the situation does not improve
चिकित्सा मंत्री के दौरे से 3.30 घंटे पहले 16 दिन की मासूम बच्ची की मौत।
जेकेलोन में सुबह मृत बच्ची की मां रेखा।


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भारत में हर 53 सेकंड में एक नवजात की मौत हो रही, 1000 में से 23 बच्चे 28 दिन भी नहीं जी पाते; नेपाल-बांग्लादेश भी हमसे बेहतर

नई दिल्ली.राजस्थान में कोटा के जेकेलोन अस्पताल में पिछले 35 दिनों में 107 बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े हो गए हैं। इन बच्चों की मौत अस्पताल में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाने के कारण हो गई। दो साल पहले उत्तर प्रदेश के बीआरडी अस्पताल में भी ऑक्सीजन सप्लाई की कमी के चलते सिर्फ 5 दिन में 64 बच्चों की मौत हुई थी। यूनिसेफ के मुताबिक, भारत में हर 53 सेकंड में एक नवजात की मौत होती है यानी रोजाना 1600 से ज्यादा बच्चे। वहीं, देश में नियोनैटलमोर्टलिटी रेट यानी नवजात मृत्यु दर प्रति 1000 बच्चों पर 23 है। यानी हर 1000 बच्चों में से 23 की मौत 28 दिन से पहले ही हो जाती है। जन्म के बाद 28 दिन बच्चे के सर्वाइवल के लिए सबसे अहम होते हैं।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाद हम तीसरे नंबर पर

यूएन इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मोर्टेलिटी एस्टीमेशन (यूएन-आईजीएमई) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 2018 में 5,49,227 बच्चों की मौत 28 दिन से पहले ही हो गई थी। देश में 2018 में नवजात मृत्यु दर प्रति 1000 बच्चों पर 23 की रही। नवजात मृत्यु दर के मामले में भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बाद 8 दक्षिण एशियाई देशों में तीसरे नंबर पर है। पाकिस्तान में ये दर प्रति 1000 बच्चों पर 42 और अफगानिस्तान में 37 है। वहीं, इस मामले में हम बांग्लादेश, नेपाल और भूटान जैसे देशों की स्थिति भी हमसे बेहतर है। जबकि, चीन में यही दर 4.3 है।

2009 से 2013 के बीच बच्चों की मौत का आंकड़ा 20% घटा, 2014 से 2018 के बीच 17% कम हुआ

2009 में 28 दिन से पहले ही दम तोड़ने वाले बच्चों की संख्या 8,76,272 थी, जो अगल 5 साल यानी 2013 तक घटकर 7,02,444 हो गई। इस हिसाब से 2009 से 2013 के बीच बच्चों की मौत का आंकड़ा 20% घट गया। वहीं, 2014 में 6,65,563 बच्चों की मौत हुई थी, जिनकी संख्या 2018 में कम होकर 5,49,227 हो गई। लेकिन 2014 से 2018 के बीच बच्चों की मौत के आंकड़े में 17% की कमी आई।

1 साल से कम उम्र के लाखों बच्चे भी हर साल मारे जाते हैं

यूएन-आईजीएमई के ही आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लाखों बच्चे 1 साल की उम्र से पहले ही मर जाते हैं। 1 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत को इन्फैन्ट डेथ यानी शिशु मृत्यु कहते हैं। 2018 में देश में 7.20 लाख से ज्यादा बच्चे 1 साल भी नहीं जी पाए थे। इनमें 3.77 लाख से ज्यादा लड़के और 3.42 लाख से ज्यादा लड़कियां थीं। वहीं, हर साल 1000 में से 30 बच्चे ऐसे होते हैं, जो 1 साल की उम्र से पहले ही मर जाते हैं। इस मामले में भी हम बांग्लादेश से पीछे और पाकिस्तान से आगे हैं। बांग्लादेश में ये आंकड़ा 1000 बच्चों पर 27 का है जबकि पाकिस्तान में 59 का है। वहीं, 2009 से 2013 के बीच इन्फैन्ट डेथ में करीब 23% की कमी आई जबकि 2014 से 2018 के बीच मौत का आंकड़ा 21% कम हुआ।

10 साल में 95 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत 1 साल की उम्र से पहले ही हुई

देश में 1456 लोगों पर 1 डॉक्टर

12 जुलाई 2019 को कांग्रेस सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद के सवाल पर जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया था कि, 31 मार्च 2019 तक देश में एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या 11,59,309 थी। इस हिसाब में देश में 1456 लोगों पर एक डॉक्टर है। जबकि, डब्ल्यूएचओ ने 1000 लोगों पर एक डॉक्टर का मानदंड तय किया है। हालांकि, उन्होंने डॉक्टरों की कमी के बारे में जानकारी नहीं दी थी। वहीं, डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट 'हेल्थ वर्कफोर्स इन इंडिया' में दावा किया गया था कि भारत में प्रैक्टिस कर रहे 57% डॉक्टरों के पास मेडिकल क्वालिफिकेशन ही नहीं है। हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत बताया है।

5 सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में क्या है हालत?

देश

आबादी

डॉक्टर प्रति 1000

चीन

138 अरब

1.4

भारत

131 अरब

0.6

अमेरिका

33.18 करोड़

2.5

इंडोनेशिया

26.49 करोड़

0.3

पाकिस्तान

21.07 करोड़

0.8

(सोर्स : जनसंख्या - यूएस सेन्ससब्यूरो/ डॉक्टर प्रति 1000- डब्ल्यूएचओ)



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Infant Death | Infant Death India: Dainik Bhaskar Research News Updates On Infant Newborn Child Baby Death in India


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भारत-श्रीलंका के बीच पहला मैच आज गुवाहाटी में, चोट से उबरे बुमराह 4 महीने बाद खेलेंगे

खेल डेस्क. भारत और श्रीलंका के बीच 3 टी-20 की सीरीज का पहला मुकाबला रविवार को गुवाहाटी के बारसपारा क्रिकेट स्टेडियम में खेला जाएगा। चोट से उबरे तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह और ओपनर शिखर धवन की इस सीरीज से टीम में वापसी करेंगे। बुमराह ने पिछला मैच अगस्त 2019 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। यह टेस्ट था।वहीं, धवन ने 10 नवंबर को बांग्लादेश के खिलाफ टी-20 मैच खेला था।

रोहित की जगह धवन करेंगे केएल राहुल के साथ ओपनिंग

इस सीरीज में रोहित शर्मा और तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी को आराम दिया गया है। धवन ने रणजी ट्रॉफी में शतक लगाकर अपनी फिटनेस साबित की है। रोहित की जगह टीम में शामिल हुए धवन को अब इंटरनेशनल क्रिकेट में भी अपनी फॉर्म साबित करनी होगी। उनके साथ लोकेश राहुल ओपनिंग करने उतरेंगे।

मौसम और पिच रिपोर्ट
गुवाहाटी में अधिकतम 24° और न्यूनतम तापमान 13° सेल्सियस रहेगा। मैच के दौरान हल्की बारिश की संभावना है। यहां अब तक हुए 4 टी-20 मैचों मेंपहले बल्लेबाजी करने वाली टीम ने 2 और पहले गेंदबाजी करने वाली टीम ने भी 2 मैच ही जीते हैं। इस मैदान पर पहली पारी में औसत स्कोर 127 और दूसरी पारी में 118 रहा है।

भारत अब तक श्रीलंका से टी-20 सीरीज नहीं हारा
दोनों टीमों के बीच अब तक 6 टी-20 सीरीज हुई हैं। इसमें भारत ने 5 सीरीज जीतीं, एक ड्रॉ रही। यानी टीम इंडिया आज तक श्रीलंका के खिलाफ टी-20 सीरीज नहीं हारी।दोनों टीमों के बीच अब तक हुए 16 टी-20 में भारत ने 11 में जीत दर्ज की। श्रीलंका को सिर्फ 5 में जीत मिली।दोनों टीमों के बीच आखिरी मैच 12 मार्च 2018 को हुआ था। इसमें भारत को 6 विकेट से जीत मिली थी।

मैथ्यूज की डेढ़ साल बाद टीम में वापसी
श्रीलंकाई टीम का भारतीय जमीन पर टी-20 में रिकॉर्ड खराब रहा है। हालांकि, इस बार कप्तान लसिथ मलिंगा के नेतृत्व में श्रीलंका थोड़ी मजबूत लग रही है। टीम में अनुभवी खिलाड़ी एंजेलो मैथ्यूज को वापस बुलाया गया है। उन्होंने पिछला टी-20 14 अगस्त 2018 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। श्रीलंका के पास निरोशन डिकवेला, कुशल मेंडिस, धनंजय डी सिल्वा जैसे कुछ अन्य अनुभवी खिलाड़ी हैं।

कोहली के पास सबसे ज्यादा रन बनाने का मौका
भारतीय कप्तान विराट कोहली मैच में 1 रन बनाते ही टी-20 में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज बन जाएंगे। इस वक्त रोहित शर्मा और विराट कोहली इस फॉर्मेट में2633 रन के साथ बराबरी पर हैं। रोहित को इस सीरीज में आराम दिया गया है। ऐसे में कोहली के पास उनसे आगे निकलने का मौका है।कोहली ने अब तक 75 मैच में 52.66 की औसत और रोहित ने 104 टी-20 में 32.10 की औसत से रन बनाए हैं।

स्टेडियम में बैनर-पोस्टर ले जाने पर प्रतिबंध
असम क्रिकेट एसोसिएशन (एसीए) ने मैच में किसी भी प्रकार के बैनर-पोस्टर ले जाने पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि, गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त ने कहा- इस फैसले से नागरिकता कानून के विरोध का कोई लेना-देना नहीं है। यह प्रतिबंध सिर्फ सुरक्षा कारणों के चलते लगाया गया है। एसीए के मुताबिक, मैच के दौरान चौके-छक्के के प्लेकार्ड के अलावा लिखने वाले मार्कर पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। मैच में पुरुषों को पर्स, लैडिज को हैंडबैग, मोबाइल फोन और वाहनों की चाभीले जाने की अनुमति ही रहेगी।

गुवाहाटी में ऑस्ट्रेलियाई टीम की बस पर हुआ था हमला
भारतीय टीम ने गुवाहाटी में एकमात्र टी-20 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 10 अक्टूबर 2017 को खेला था। इसमें भारत को 8 विकेट से हार मिली थी। मैच के बाद बस से होटल लौट रही ऑस्ट्रेलियाई टीम पर किसी ने पत्थर से हमला किया था। गनीमत रही कि कोई खिलाड़ी जख्मी नहीं हुआ। इस मामले में एसीए के सचिव देवाजीज सैकिया ने शुक्रवार को कहा- हम हर परिस्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

दोनों टीमें

भारत: विराट कोहली (कप्तान), शिखर धवन, केएल राहुल, श्रेयस अय्यर, मनीष पांडेय, संजू सैमसन, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), शिवम दुबे, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, रवींद्र जडेजा, शार्दुल ठाकुर, नवदीप सैनी, जसप्रीत बुमराह और वॉशिंगटन सुंदर।

श्रीलंका: लसिथ मलिंगा (कप्तान), धनंजय डि सिल्वा, वानिंधु हसरंगा, निरोशन डिक्वेला (विकेटकीपर), ओशदा फर्नांडो, अविष्का फर्नांडो, दानुष्का गुनातिलका, लारिरू कुमारा, एंजेलो मैथ्यूज, कुसल मेंडिस, कुसल परेरा, भानुका राजपक्षे, कुसन रजिता, लक्षन संदकन, दासुन सनाका, इसरू उडाना।



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दलाई लामा के प्रवचन में हिस्सा लेने बोधगया पहुंचे हैं हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेरे, कहा- एक-दूसरे के नजदीक आएं और केयर करें

बोधगया.बोधगया में दलाई लामा की पांच दिवसीय टीचिंग में हिस्सा लेने हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेयर दो जनवरी को बोधगया पहुंचे। गेयर को दलाई लामा के मुख्य मंच पर बैठकर प्रवचन सुनते देखा जा सकता है। इस दौरान गेयर ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। गेयर ने कहा बोधगया में काफी लंबे समय से आ रहा हूं। काफी सकारात्मक बदलाव दिख रहा है। पहले की तुलना में बेहतर हुआ है।


गेरे ने कहा कि बोधगया भगवान बुद्ध की ज्ञान स्थली है। बोधिवृक्ष आस्था का केंद्र है। लोग यहां खिंचे चले आते हैं। एक प्रश्न के जवाब में कहा, हमें एक-दूसरे के नजदीक आना चाहिए। आपसी नजदीकी कई समस्याओं को दूर कर सकती है। एक-दूसरे की केयर करनी चाहिए। केयर करने से सामंजस्यता बढ़ती है। यही करुणा का भाव बढ़ाता है। केयर करने से खुशहाली बढ़ती है। दलाई लामा भी लोगों को केयर करने की शिक्षा देते हैं। उन्होंने कालचक्र मैदान पर ही अफ्रीकी लोगों की मदद को आगे आने का आह्वान किया था। कहा था यूनेस्को की मदद करें। वह बेहतर काम कर रहा है।

रिचर्ड गेरे ने कहा- 1978 में बौद्ध धर्म से जुड़े
गेरे का बौद्ध धर्म में झुकाव 1978 में तब हुआ, जब वह नेपाल पहुंचे थे। वहां वह तिब्बती बौद्ध संप्रदाय गेलुगपा से जुड़े। दलाई लामा भी इसी बौद्ध संप्रदाय के आध्यात्मिक गुरू हैं। 17 अक्तूबर 2007 को दलाई लामा ने पवित्र खादा भेंट कर उनकी आगवानी की, उसके बाद से वह तिब्बती मुक्ति आंदोलन के मुखर समर्थक बने।



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बोधगया में हॉलीवुड अभिनेता रिचर्ड गेयर।


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जदयू से मुकाबले के लिए अब कांग्रेस मैदान में, जदयू ने जारी किया नया पोस्टर

पटना.चुनावी साल में बिहार की राजनीति में शुरू हुए पोस्टर के जरिए लड़ाई और भी गरमाती जा रही है। जदयू ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद और राजद के 15 साल के शासन पर निशाना साधते हुए नया पोस्टर जारी किया है। इसमें राजद के 15 साल के शासन को कराहता बिहार और जदयू के 15 साल के शासन को संवरता बिहार बताया गया है। राजधानी के विभिन्न इलाकों में लगाए गए पोस्टर में जदयू ने लालू राज में घोटाला, शिक्षा की लचर व्यवस्था और अपराध के साथ खुद लालू को भी नोटों से भरी थैलियों पर लेटा हुआ दिखाया है। साथ में लिखा है मस्ती के 15 साल और चरवाहा विद्यालय का आतंक। पोस्टर में छोटे-छोटे बच्चे भैंस पर बैठे हुए दिखाए गए हैं। दूसरी ओर जदयू के शासन में बच्चियों को साइकिल चलाते और स्कूल जाते, युवाओं को कंप्यूटर पर काम करते और नीतीश राज में बढ़ते बिहार की तस्वीर पेश की गई है।


राजद ने सुधार कर लगाया पोस्टर : जदयू द्वारा पोस्टर में भाषागत अशुद्धियों पर तंज कसने के बाद राजद ने नए सिरे से पोस्टर लगाया है। जदयू ने टोकरी और नीति की गलत वर्तनी पर सवाल उठाया था।

जो टोकरी और नीति लिखना नहीं जानते, वे दे रहे ज्ञान
जिनको टोकरी और नीति लिखने तक नहीं आता, वे राजनीतिक ज्ञान का प्रवचन दे रहा हैं। लालू राज में अपराधी और लंपटों का राज रहा है, लेकिन जनता इन सब से आगे निकल चुकी है। कृपा कर लालू ज्ञान का आतंक न फैलाएं। बेहतर होता कि पिछले 36 घंटा के दौरान जगदानंद और शिवानंद तिवारी राजद के 15 साल के शासन का हिसाब देते।- नीरज कुमार, आईपीआरडी मंत्री

जनता को भरमाने की बजाय हिसाब दें

जदयू और राजद के बीच शुरू हुए पोस्टर वार में शनिवार को एक नए किरदार की इंट्री हुई। हिसाब दो, हिसाब लो के पोस्टरों के बीच कांग्रेस का पोस्टर चुनावी साल में मुद्दों पर बात करता है। पूर्व प्रदेश सचिव सिद्धार्थ क्षत्रिय और वेंकटेश रमन ने यह पोस्टर लगाया है। दोनों नेताओं ने कहा कि चुनावी साल में जादू टोना और भूत के मामलों के जरिए जनता को भरमाने के बजाए सत्ताधारी जदयू को अपने काम का हिसाब देना चाहिए। ये पोस्टर बोरिंग कैनाल रोड, डाकबंगला चौराहा, हड़ताली मोड, राजापुर पुल और इंजीनियरिंग कालेज मोड पर लगाए गए हैं।




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बारिंग कैनाल रोड पर लगाया गया कांग्रेस का पोस्टर।
जेडीयू के लगाए गए पोस्टर में जदयू ने लालू राज में घोटाला।


from Dainik Bhaskar /bihar/patna/news/bihar-poster-war-in-jdu-and-congress-126437903.html
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