पणजी. गोवा में रविवार को लगभग 10.30 बजे नियमित प्रशिक्षण के दौरान मिग-29के विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। क्रैश से पहले पायलट को कॉकपिट से सुरक्षित निकाल लिया गया था। घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
इससे पहले भी पिछले साल 16 दिसंबर को गोवा में ही प्रशिक्षण के दौरान मिग-29 लड़ाकू विमान क्रैश हुआ था।
नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि वे जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के जल्द रिहाई के लिए प्रार्थना करेंगे। मैं उम्मीद करता हूं कि वे रिहा होने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य करने में योगदान देंगे। पिछले साल यहां अनुच्छेद-370 हटने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला उनके बेटे उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत घाटी के कई नेता नजरबंद हैं।
मोदी सरकार द्वारा पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटा दिया गया था। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया। इसी समय से एहतियात के तौर पर जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से महबूबा मुफ्ती समेत दर्जनों राजनेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।
हालाकि, अब तक ज्यादातर नेताओं को रिहा कर दिया गया है। जबकि फारूक अब्दुल्ला को सितंबर में पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। उमर और महबूबा को भी हाल ही में उसी कानून के तहत हिरासत में लिया गया है। सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने से पहले दिए गए उनके भड़काऊ बयानों और धमकियों का हवाला देते हुए उन्हें हिरासत में लिया।
कश्मीर के हितों को देखते हुए कई कदम उठाए गए: सिंह
न्यूज एजेंसी आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में शनिवार को राजनाथ ने कहा- कश्मीर में अब शांति का माहौल है। वहां स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। सुधार के साथ-साथ इन फैसलों (नजरबंदी से राजनेताओं की रिहाई) को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार ने किसी पर अत्याचार नहीं किया है। सरकार के फैसले का बचाव करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि कश्मीर के हितों को देखते हुए कुछ कदम उठाए गए हैं। हर किसी को इसका स्वागत करना चाहिए।
भाजपा की विचारधारा का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि मुसलमान जिगर का टुकड़ा है और सांप्रदायिक राजनीति का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि मोदी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। उन्होंने मेरठ और मेंगलुरु में अपनी दो मेगा रैलियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैंने पहले भी अपनी मेरठ और मेंगलुरु की रैलियों में कहा है कि मुसलमान भारत का नागरिक और हमारा भाई है। वह हमारे जिगर का टुकड़ा है।’’
‘जाति औरधर्म के आधार पर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं’
सिंह ने कहा- मोदी की अगुवाई में सरकार ने शुरुआत से ही मुस्लिम नागरिकों के अंदर डर हटाने और उनमें आत्मविश्वास भरने की कोशिश की है। कुछ ताकतें हैं, जो उन्हें गुमराह कर रही हैं। लेकिन भाजपा किसी भी स्थिति में भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं जा सकती। मोदी ने शुरुआत से ही ‘सबका साथ, सबका विकास' का नारा दिया है। जाति, धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता। हम इसके बारे में सोच भी नहीं सकते।
कुछ ताकतें हैं, जो केवल वोट बैंक के बारे में ही सोचती हैं: सिंह
सांप्रदायिक राजनीति के लिए निहित स्वार्थ को जिम्मेदार ठहराते हुए सिंह ने कहा- कुछ ताकतें हैं, जो केवल वोट बैंक के बारे में ही सोचती हैं। सांप्रदायिक राजनीति के लिए नेताओं को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा- राजनीति महज वोटों के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण करने के लिए करनी चाहिए। जो हिंदुत्व की विचारधारा में विश्वास करते हैं, वे भी पहचान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते, क्योंकि हिंदुत्व का मतलब ही ‘वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है)’ है।
मेरठ (उत्तर प्रदेश).एनकाउंटर में गिरफ्तार शक्ति नायडू गैंग के शूटर रवि भूरा ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया है कि उसने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा के दफ्तर से 8 करोड़ रुपएलूटे थे। साथ ही राजस्थान के गैंगस्टर संपत नेहरा के साथ मिलकर सलमान खान को मारने के लिए 30 लाख की सुपारी भी ली थी। 5 जनवरी 2018 को जोधपुर कोर्ट में पेशी के दौरान गैंगस्टर लारेंस विश्नोई ने सलमान को मारने की धमकी दी थी। मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने कहा कि उसके दावाें की जांच की जा रही है।
एडीजी कुमार ने बताया कि बीते मंगलवार को कंकरखेड़ा में डेढ़ लाख के इनामी बदमाश शिव शक्ति नायडू को मुठभेड़ में मार गिराया गया था। लेकिन उसका साथी रवि मलिक उर्फ भूरा भाग निकला था। रवि मुजफ्फरनगर के रायशी का रहने वाला है। लेकिन वह दिल्ली के जीवन पार्क कॉलोनी में रहता था। शुक्रवार को सूचना मिली कि रवि पुष्प विहार में मौजूद है। पुलिस ने घेराबंदी की तो वह रेलवे रोड की तरफ भगने लगा। बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाईमें रवि के पैर में गोली लगी। वहीं, मौका पाकर उसका साथी पिंटू बंगाली और नितिन सैदपुरिया और एक अन्य बदमाश फरार हो गया।
संपत नेहरा तिहाड़ जेल में बंद
एडीजी के मुताबिक, रवि ने कबूल किया है कि राजस्थान के संपत नेहरा के साथ मिलकर उसने साल 2018 में हैदराबाद में अभिनेता सलमान खान की हत्या की सुपारी ली थी। 5 लाख के इनामी संपत को हैदराबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल वह तिहाड़ जेल में है।
दिल्ली के एसीपी भी निशाने पर थे
30 जनवरी को इस गैंग के बदमाशमेरठ के वैष्णो धाम में इंस्पेक्टर विपिन और प्रॉपर्टी डीलर की हत्या करने आए थे। उसकेअगले दिन दिल्ली के एसीपी ललित मोहन नेगी की हत्या करनी थी। नेगी ने शिव शक्ति पर मकोका लगाया था। नेगी परतापुर में एक शादी समारोह में आए थे। लेकिन गैंग के सदस्य औररिश्ते में चाचा भतीजे हनी-तिलकराज ने हत्या करने से इनकार कर दिया था, जिस पर शिव शक्ति ने दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस गैंग का आतंक दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हैदराबाद समेत कई राज्यों में था।
नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीनबाग की तर्ज पर शनिवार देर रात से 500 से अधिक महिलाओं के हुजूम ने दिल्ली के जाफराबाग मेट्रो स्टेशन के पास सलीमपुर रोड पर भी धरना शुरू कर दिया है। भीम आर्मी का दावा है कि यह धरना प्रदर्शन उनके आह्वान पर शुरू हुआ है। भीम आर्मी ने रविवार को भारत बंद का आह्वान किया था। महिलाओं के प्रदर्शन के चलते दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने जाफराबाद स्टेशन पर मेट्रो ट्रेनों के ठहराव पर रोक लगा दी है और मेट्रो स्टेशन के अंदर जाने और बाहर आने वाले दोनों गेट को भी बंद कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर करदामपुरी में भी कुछ महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
सलीमपुर से यमुना विहार और मौजपुर जाने वाली सड़कें बंद
महिलाओं के प्रदर्शन के चलते सलीमपुर को यमुना विहार और मौजपुर से जोड़ने वाली सड़कें भी बंद हो गई हैं। सुरक्षा के मद्देनजर मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात की गई है।
हाथों में तिरंगा, जुबां पर आजादी के नारे
प्रदर्शनकारी महिलाएं हाथों में तिरंगा लेकर आजादी के नारे लगा रही हैं। महिलाओं का कहना है कि जबतक केंद्र सरकार नागरिकता संशोधन बिल वापस नहीं लेती तबतक वह प्रदर्शन जारी रखेंगी। खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले फहीम बेग ने बताया सरकार इस मुद्दे को लेकर काफी लापरवाही बरत रही है। इससे लोगों का गुस्सा और भी बढ़ते जा रहा है।
शाहीनबाग में प्रदर्शन का 71वां दिन
शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन का आज 71वां दिन है। इसके पहले शनिवार को सड़क खोलने और बंद करने का नजारा देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों के एक धड़े ने रास्ता खोलकर स्थानीय लोगों को जाने दिया। थोड़ी ही देर बाद दूसरे गुट ने वहां पहुंचकर रास्ता फिर बंद कर दिया। कालिंदी कुंज की सड़क नंबर 9 पर एक बार फिर बैरिकेडिंग दिखी। इस घटनाक्रम की पुष्टि दिल्ली पुलिस के साउथ ईस्ट डीसीपी आरपी मीणा ने की।
मध्यस्थों से चौथे दिन की वार्ता भी रही विफल
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन लगातार चौथे दिन शनिवार को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने पहुंचे। उन्होंने कहा- हम नहीं चाहते कि शाहीन बाग का आंदोलन खत्म हो जाए। हम चाहते हैं कि शाहीन बाग कायम रहे। हम सड़क खाली करने के मुद्दे पर बात करने आए हैं। उन्होंने कहा- आप लोग आंदोलन जारी रखें। आप गृह मंत्री या सरकार जिससे भी मिलना चाहें, मिल सकते हैं। हम यहां सरकार की ओर से नहीं आए। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने पिछले दो महीने में घटी घटनाओं की जांच कराने और सुरक्षा के लिए प्रदर्शन स्थल की स्टील शीट से घेराबंदी की मांग की।
from Dainik Bhaskar /national/news/on-the-lines-of-shaheenbagh-women-staged-a-protest-near-jafrabad-metro-station-salimpur-yamuna-vihar-road-block-126823936.html
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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। आगामी परीक्षाओं को लेकर वे छात्रों को टिप्स दे सकते हैं। मोदी ने पिछली बार 26 जनवरी को ‘मन की बात’ की थी। गणतंत्र दिवस समारोह के चलते कार्यक्रम का प्रसारण शाम को किया गया था।
मुंबई/बीजिंग. मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर मलेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम और नेपाल से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई है। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने कहा किइसके साथ ही चीन, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, थाईलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग जारी रहेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर कहा कि इन देशों से आने वाले सभी यात्रियों को स्क्रीनिंग से गुजरना होगा।
चीनी अधिकारियों से क्लीयरेंस नहीं मिल पाने की वजह से भारतीय एयर फोर्स का स्पेशल विमान गाजियाबाद के हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर तैयार खड़ा है। विमान में मेडिकल उपकरण लोड किए गए हैं। उधर, चीन के हेल्थ कमीशन के मुताबिक, कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत में अब तक 2346 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 64 बजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
हुबेई प्रांत में 15,299 लोग ठीक हुए
हेल्थ कमीशन के मुताबिक, हुबेई प्रांत में 15,299 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 630 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 96 लोगों की मौत हुई है। वहीं, ईरान के अधिकारियों ने बताया कि वायरस की वजह से अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में 28 मामलों की पुष्टि हुई है।
चीन में शनिवार को 2230 लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिली
चीन में अब तक लगभग 2442 लोगों की मौत, 76936 मामले सामने आए।
चीन में शनिवार को 2230 लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिली, 22288 लोग अब तक ठीक हुए।
इटली में संक्रमितों की संख्या66 हुई, इनमें 62 मामले दो दिनों में सामने आए।
दक्षिण कोरिया में दो लोगों की मौत और556 मामले सामने आए।
from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-outbreak-india-live-news-updates-on-china-wuhan-hubei-coronavirus-death-toll-and-travel-alert-126823266.html
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लखनऊ. बॉलीवुड में लगातार सुपर हिट फिल्में देने वाले स्टार आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। समलैंगिक जोड़े पर बनी यह फिल्म दर्शकों को पसंद आ रही है। अपनी फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले स्टार आयुष्मान खुराना ने भास्कर से खास बातचीत में बताया कि वह पत्नी से चर्चा करके ही अपने लिए रोल चुनते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे सफलता अचानक नहीं मिली। रातोंरात मिली सफलता लोगों के सिर पर चढ़ जाती है।पेश हैं आयुष्मान से बातचीत के अंश...
सवाल: शुभ मंगल ज्यादा सावधान में आप 'गे' का किरदार निभा रहे हैं। इसके लिए क्या-क्या तैयारियां की? आयुष्मान: मैं फिल्म में 'होमोसेक्शुअल गे' का किरदार कर रहा हूं। इसके लिए यह समझना जरूरी था कि रोजाना की जिंदगी में उन्हें क्या दिक्कतें आती हैं, उनकी क्या मुश्किलें हैं.. जिसके लिए जरूरी था 'ऑब्जरवेशन' करना। कैसे वेबिहेव करते हैं? समाज को लेकर उनकी सोच क्या है? ऑब्जर्वेशन करना बहुत जरूरी है, जो मैंने किया। इस तरह के लोग हर जगह हैं, कॉर्पोरेट सेक्टर में भी हैं.. सिनेमा में भी हैं। उनके लिए स्पेस भी है, लेकिन हर जगह वेखुलकर बता नहीं पाते।
सवाल: आप अलग-अलग किरदार निभाते हैं। अलग किरदारों के लिए क्या तैयारी करनी होती है? आयुष्मान: मेरी स्क्रिप्ट मुझसे पहले दो लोग पढ़ते हैं। मेरी वाइफ और मैनेजर। फिर हम लोग आपस में चर्चा करते हैं। मैं प्रोग्रेसिव फैमिली से हूं, इसलिए मेरी फैमिली को ऐसे रोल करने से कोई दिक्कतनहीं है।
सवाल: किस तरह के किरदारों को करने में आपको ज्यादा तैयारी करनी होती है? आयुष्मान: उनरोल करने में दिक्कतआती है, जो मैंने देखा न हो। जैसे अंधाधुंध और आर्टिकल 15 जैसी मूवी को करने के लिए मुझे ज्यादा तैयारी करनी पड़ी।
सवाल: शुभ मंगल ज्यादा सावधान कॉमेडी के जरिएसंवेदनशील मुद्दे को ढंग से उठा पाएगी? आयुष्मान: मेरी फिल्म से लोगों में मैसेज जाएगा कि उनको वैसे ही अपनाओ जैसे वे हैं, 'गे' कोई बीमारी नहीं है। कुछ दिन पहले एक लड़के ने सुसाइड कर लिया,क्योंकि घरवालों ने उसेनिकाल दिया। जब उनको पता चला कि उनका बेटा 'गे' है। समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने भी इजाजत दे दी है। कॉमेडी के साथ इस फिल्म को इसलिए लाया गया है, ताकिज्यादा से ज्यादा लोगदेख सकें। इससे पहले कई सीरियस फिल्में इस मुद्दे पर आ चुकी हैं, जो कमर्शियली फ्लॉप रहीं। अगर फिल्म गंभीर बनाएंगे तो वही लोग देखेंगे, जो समलैंगिक लोगों के साथ खड़े है। हम अगर ऐसी फिल्म कॉमेडी और कमर्शियल फैक्टर के साथ बनाएंगे तो उसेवेभी देखेंगे जो ऐसे मुद्दों के विरोध में हैं। इस मूवी को लोग एंटरटेनमेंट के लिए देखने आएंगे और एक मैसेज लेकर वापस जाएंगे।
सवाल: अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी आपकी फिल्म की तारीफ ट्विटर पर की है। उनके लिए क्या संदेश है? आयुष्मान: अमेरिका के राष्ट्रपति का मेरी फिल्म को लेकर ट्वीट करना मेरे लिए बहुत सरप्राइजिंग था। हालांकि, उन्होंने फिल्म देखी नहीं है, लेकिन हम यही आशा करते हैं कि उनके देश में ऐसे समुदाय के लोगों के लिए उनको कुछ करना चाहिए।
सवाल: फिल्म से जुड़े लोग देश के मुद्दों पर कम बोलते हैं,ऐसा क्यों? आयुष्मान: मुझको लगता है हमें आर्टिस्ट और एक्टीविस्ट में फर्क महसूस करना चाहिए। एक आर्टिस्ट अपनी कला के जरिए अपनी बात सामने रख सकता है। अगर मैं एक्टिविस्ट के तौर पर कोई मोर्चा खोलूं तो 100 से हजार लोग इकट्ठा होंगे। अगर उसी मुद्दे पर मैं आर्टिस्ट के तौर पर फिल्म करूंगा तो उसेकरोड़ों लोग देख सकते हैं। इसलिएआर्टिस्ट की ताकत एक्टिविस्ट से ज्यादा है। किसी मुद्दे पर ट्वीट करने से बेहतर है किमैं उस मुद्दे पर फिल्म बनाऊं, जिसेदुनिया देखे। मुझे नारेबाजी करने की जरूरत नहीं है। मैं आर्टिस्ट हूं, आर्ट के जरिए ही बात रखूंगा।
सवाल: अपनी लाइफ में टाइम मैनेजमेंट कैसे करते हैं? आयुष्मान: अगर आपका पैशन ही प्रोफेशन बन जाए तो टाइम मैनेजमेंट करना कोई बड़ी बात नहीं। पिछले साल एक के बाद एक मूवी करने में बहुत ही ज्यादा टाइम मैनेजमेंट शेड्यूल टाइट था। इसके एक के बाद एक फिल्म करने में एक से दो महीने का गैप रखने का प्रयास कर रहा हूं। जब परिवार समझता हो कि आपका प्रोफेशन कैसा है तो कोई दिक्कत नहीं होती।
सवाल: आपने 'गे' टॉपिक पर फ़िल्म करने के लिए एक बार में हां कर दिया या स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद इस किरदार को निभाने का मन हुआ? आयुष्मान: मैं एक ऐसी ही फिल्म ढूंढ रहा था, तभी मुझे ऑफर भी आ गया। 2020 में ये फिल्मबननी ही चाहिए थी। आज से 10 साल पहले ये फ़िल्म बन ही नहीं सकती थी। 6 से 7 साल में हमारा देश बदल गया है। ऐसे मुद्दों को स्वीकार करने के लिए इस फिल्म के आने का यह सही समय है।
सवाल: अब तो आप सफलता के चरम पर हैं, हर फिल्म सुपरहिट हो रही है, कैसा लगता है? आयुष्मान: मुझे अचानक से सक्सेस नहीं मिली है। मुझको धीमे-धीमे सक्सेस मिली और इसको मैं सही भी मानता हूं। अगर रातोंरात सक्सेस मिलेतो सिर पर चढ़ जाती है। मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं। स्ट्रगल तो हमेशा चलता रहता है। कभी नीचे से ऊपर जाने के लिए तो कभी बने रहने के लिए। 2012 में ‘विकी डोनर’मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट थी।
वॉशिंगटन.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी को परिवार समेत भारत दौरे पर आ रहे हैं। उन्होंने शनिवार को फिल्म बाहुबली की थीम पर बना एक वीडियो रीट्वीट किया। इसमें वह अमरेंद्र बाहुबली के रूप में नजर आए। 81 सेकंड के इस वीडियो में मेलानिया और उनकी बेटी इवांका और बेटे जूनियर ट्रम्प भी दिखाई दिए। वीडियो को Solmemes1 नाम के ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया है। इसे रीट्वीट करते हुए ट्रम्प ने लिखा- भारत में अपने दोस्तों से मिलने के लिए उत्साहित हूं।
वीडियो में क्या है?
वीडियो में फिल्म बाहुबली में अलग-अलग दृश्य दिखाए गए हैं। शुरुआत जंग के मैदान से होती है। इसमें बाहुबली बने प्रभास के चहरे पर ट्रम्प का चेहरा लगाया गया, जो अपने माहिष्मतिसाम्राज्य की रक्षा के लिए जंग के मैदान में तलवार, धनुष-बाण और भाले से दुश्मनों की सेना को धरासायी करते हैं। एक दृश्य में अमेरिका की फर्स्ट लेडी मेलानिया और उनकी बेटी इवांकाभी दिखाई दे रही हैं। दूसरे दृश्य मेंट्रम्प के स्वागत में नरेंद्र मोदी माहिष्मति के लोगों को मिठाइयां बांटते नजर आते हैं।
एजुकेशन डेस्क.देशभर मेंरैगिंग के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले और मध्य प्रदेश दूसरेपायदान पर है। यूजीसी एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में उत्तर प्रदेश में 152 और मध्य प्रदेश में 132 शिकायतें दर्ज हुई हैं। पिछले एक दशक में रैगिंग के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले, पश्चिम बंगाल दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। पिछले एक दशक में ऐसे मामलोंकी संख्यातीन गुना तक बढ़ गईहै और शिकायत दर्ज कराने में लड़कियों के मुकाबले लड़केआगे रहे हैं।2009 में 343 शिकायत दर्ज हुईं और 10 साल बाद 2019 तक दर्जशिकायतों काकुल आंकड़ा 6958 को पार कर गया है।
रैगिंग के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इस सवाल पर यूजीसी केरैगिंग मॉनिटरिंग एजेंसी की तरह काम करने वालेअमन मूवमेंट एनजीओके फाउंडर प्रो.राज काचरू नेदैनिक भास्कर को बताया किअब ऐसे मामलों को दर्ज कराने के लिए पेरेंट्स और स्टूडेंट में विश्वास बढ़ा है। उन्हें भरोसाहै कि कार्रवाई जरूर होगी औरइसलिए ज्यादामामले सामने आ रहे हैं।
2010 में शिमला में एक प्रदर्शन के दौरान बेटे अमन काचरू के फोटो के साथ प्रो. राज काचरू। (फाइल फोटो)
रैगिंग ने छीन लिया थाकाचरूके बेटे को
2009 में मेडिकल छात्र अमन सत्या ने रैगिंग से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। बेटे अमन की मौत के बाद उसके पिता राज काचरू ने अमन सत्या काचरूट्रस्टकी शुरुआत की।रैगिंग के खिलाफ अभियान शुरू किया और उसका नाम अमन मूवमेंट रखा। अमन की मौत पर संज्ञान लेते हुएयूजीसी नेएंटी रैगिंग हेल्पलाइन की शुरुआत की। इसके बाद यूजीसी नेकाचरू के एनजीओ के साथ मिलकर कैंपेन शुरू किया और गाइडलाइन जारी की है। काचरू ने बताया कि उनके मूवमेंट का मकसदस्टूडेंट्स या कॉलेज में डर का माहौल बनानानहीं, बल्कि उनके मन से रैगिंग का डर निकालना है।
सजा पाने वालों का आंकड़ा कम क्यों?
रैगिंग के बढ़ते मामलों के मुकाबले सजा मिलने वालों की संख्या बेहद कम हैं, ऐसा क्यों? इस सवाल पर प्रो.काचरू ने कहा किज्यादातर मामलों में स्टूडेंट्स के माफी मांगने और काउंसलिंग के बाद केस बंद कर दिया जाता है। सजा का प्रावधान सिर्फ उन स्टूडेंट्स के लिए होता है, जिन्होंने किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया हो।
सबसे ज्यादा त्रस्त5 राज्यों की रिपोर्ट
1- उत्तर प्रदेश : 10 साल में सर्वाधिक 1182 शिकायत दर्ज
2019 और पिछले एक दशक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा रैगिंग की शिकायतें दर्ज हुईं। 2009 से 2019 तक कुल 1182 मामले सामने आए। इसमें 1060 मामले लड़कों और 133 लड़कियों ने दर्ज कराए। उत्तर प्रदेश में 2018 में सबसे ज्यादा 180 मामले दर्ज हुए थे।
2- पश्चिम बंगाल : 10 साल में 803 मामले
2019 के रैगिंग के आंकड़ों में भले ही मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है, लेकिन एक दशक का हिसाब देखें तोपश्चिम बंगाल 803 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर है। इसमें लड़कों ने782और 121 शिकायतें लड़कियों ने दर्ज कराए हैं। यहां पिछले 10 सालमें सर्वाधिक 119 शिकायतें 2018 में दर्ज हुईं।
3- मध्य प्रदेश :रैगिंग के मामलों में तीसरा बड़ा राज्य
साल-दर-साल आंकड़ों की तुलना करें तो सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 132 शिकायतें 2019 में दर्ज हुईं। यहां पिछले एक दशक में यहां रैगिंग के 745 मामले दर्ज हुए। शिकायत दर्ज कराने वालों में 687 लड़केऔर 58 लड़कियांशामिल थीं।
4- ओडिशा : 2019 में सबसे ज्यादा 80 शिकायत दर्ज
ओडिशा में 2019 में 80 और पिछले 10 सालों में रैगिंग की 533 शिकायतदर्ज हुईं। सबसे ज्यादा शिकायतें पिछले साल ही दर्ज हुईं। मामले दर्ज कराने मेंज्यादा संख्या लड़कोंकी थीं।
5- बिहार : शिकायतोंके मामले में पांचवें स्थान पर
रैगिंग की शिकायत दर्ज कराने में बिहार के लड़के-लड़कियांपांचवें स्थान पर है। 2019 में 60 शिकायत दर्ज हुईं और पिछले एक दशक में 372 मामले सामने आए हैं। यहां भी 2019 में सबसे ज्यादा 60 शिकायतेंं दर्ज हुईं।
एजुकेशन डेस्क.देशभर मेंरैगिंग के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले और मध्य प्रदेश दूसरेपायदान पर है। यूजीसी एंटी रैगिंग हेल्पलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में उत्तर प्रदेश में 152 और मध्य प्रदेश में 132 शिकायतें दर्ज हुई हैं। पिछले एक दशक में रैगिंग के मामलों में उत्तर प्रदेश पहले, पश्चिम बंगाल दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर है। पिछले एक दशक में ऐसे मामलोंकी संख्यातीन गुना तक बढ़ गईहै और शिकायत दर्ज कराने में लड़कियों के मुकाबले लड़केआगे रहे हैं।2009 में 343 शिकायत दर्ज हुईं और 10 साल बाद 2019 तक दर्जशिकायतों काकुल आंकड़ा 6958 को पार कर गया है।
रैगिंग के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? इस सवाल पर यूजीसी केरैगिंग मॉनिटरिंग एजेंसी की तरह काम करने वालेअमन मूवमेंट एनजीओके फाउंडर प्रो.राज काचरू नेदैनिक भास्कर को बताया किअब ऐसे मामलों को दर्ज कराने के लिए पेरेंट्स और स्टूडेंट में विश्वास बढ़ा है। उन्हें भरोसाहै कि कार्रवाई जरूर होगी औरइसलिए ज्यादामामले सामने आ रहे हैं।
2010 में शिमला में एक प्रदर्शन के दौरान बेटे अमन काचरू के फोटो के साथ प्रो. राज काचरू। (फाइल फोटो)
रैगिंग ने छीन लिया थाकाचरूके बेटे को
2009 में मेडिकल छात्र अमन सत्या ने रैगिंग से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। बेटे अमन की मौत के बाद उसके पिता राज काचरू ने अमन सत्या काचरूट्रस्टकी शुरुआत की।रैगिंग के खिलाफ अभियान शुरू किया और उसका नाम अमन मूवमेंट रखा। अमन की मौत पर संज्ञान लेते हुएयूजीसी नेएंटी रैगिंग हेल्पलाइन की शुरुआत की। इसके बाद यूजीसी नेकाचरू के एनजीओ के साथ मिलकर कैंपेन शुरू किया और गाइडलाइन जारी की है। काचरू ने बताया कि उनके मूवमेंट का मकसदस्टूडेंट्स या कॉलेज में डर का माहौल बनानानहीं, बल्कि उनके मन से रैगिंग का डर निकालना है।
सजा पाने वालों का आंकड़ा कम क्यों?
रैगिंग के बढ़ते मामलों के मुकाबले सजा मिलने वालों की संख्या बेहद कम हैं, ऐसा क्यों? इस सवाल पर प्रो.काचरू ने कहा किज्यादातर मामलों में स्टूडेंट्स के माफी मांगने और काउंसलिंग के बाद केस बंद कर दिया जाता है। सजा का प्रावधान सिर्फ उन स्टूडेंट्स के लिए होता है, जिन्होंने किसी बड़ी घटना को अंजाम दिया हो।
सबसे ज्यादा त्रस्त5 राज्यों की रिपोर्ट
1- उत्तर प्रदेश : 10 साल में सर्वाधिक 1182 शिकायत दर्ज
2019 और पिछले एक दशक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा रैगिंग की शिकायतें दर्ज हुईं। 2009 से 2019 तक कुल 1182 मामले सामने आए। इसमें 1060 मामले लड़कों और 133 लड़कियों ने दर्ज कराए। उत्तर प्रदेश में 2018 में सबसे ज्यादा 180 मामले दर्ज हुए थे।
2- पश्चिम बंगाल : 10 साल में 803 मामले
2019 के रैगिंग के आंकड़ों में भले ही मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है, लेकिन एक दशक का हिसाब देखें तोपश्चिम बंगाल 803 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर है। इसमें लड़कों ने782और 121 शिकायतें लड़कियों ने दर्ज कराए हैं। यहां पिछले 10 सालमें सर्वाधिक 119 शिकायतें 2018 में दर्ज हुईं।
3- मध्य प्रदेश :रैगिंग के मामलों में तीसरा बड़ा राज्य
साल-दर-साल आंकड़ों की तुलना करें तो सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 132 शिकायतें 2019 में दर्ज हुईं। यहां पिछले एक दशक में यहां रैगिंग के 745 मामले दर्ज हुए। शिकायत दर्ज कराने वालों में 687 लड़केऔर 58 लड़कियांशामिल थीं।
4- ओडिशा : 2019 में सबसे ज्यादा 80 शिकायत दर्ज
ओडिशा में 2019 में 80 और पिछले 10 सालों में रैगिंग की 533 शिकायतदर्ज हुईं। सबसे ज्यादा शिकायतें पिछले साल ही दर्ज हुईं। मामले दर्ज कराने मेंज्यादा संख्या लड़कोंकी थीं।
5- बिहार : शिकायतोंके मामले में पांचवें स्थान पर
रैगिंग की शिकायत दर्ज कराने में बिहार के लड़के-लड़कियांपांचवें स्थान पर है। 2019 में 60 शिकायत दर्ज हुईं और पिछले एक दशक में 372 मामले सामने आए हैं। यहां भी 2019 में सबसे ज्यादा 60 शिकायतेंं दर्ज हुईं।
नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में महिलाओं के हक के बड़ा फैसला दिया है। फैसला महिलाओं के बराबरी के दर्जे से जुड़ा है। ऐतिहासिक फैसले से सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने की राह खुल गई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट 2011 में ही यह फैसला सुना चुका है। लेकिन केन्द्र ने फैसले के खिलाफ दोबारा अपील की थी।
बराबरी के हक की यह कानूनी लड़ाई 2003 में शुरू हुई थी, जब पहली बार दिल्ली हाईकोर्ट में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत आने वाली महिला अफसरों ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। इसके बाद भी अलग-अलग मौकों पर दिल्ली हाईकोर्ट में इससे जुड़ी याचिकाएं दाखिल की गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिलाओं को कमांड पोस्ट के भी योग्य बताया है। कोर्ट का यह फैसला उन स्थितियों में आया है जब केन्द्र ने महिलाओं की कमजोरी के संबंध में तर्क अदालत में रखे थे। केन्द्र सरकार ने अपनी दलीलों में कोर्ट से कहा था- महिलाओं को कमांड पोस्ट इसलिए नहीं दी जा सकती, क्योंकि अपनी शारीरिक क्षमताओं की सीमा की वजह से वे सैन्य सेवा की चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगी। साथ ही पुरूष अफसर महिला अफसरों की बात नहीं सुनेंगे।
इसके उलट, महिला अफसरों के लिए इस केस को लड़ रही वकीलों ने सेना की महिलाओं की अनेक शौर्य गाथाएं अपने तर्क के रूप में रखीं। वकीलों ने मेजर मिताली मधुमिता, स्क्वाड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल सहित कई महिला अफसरों की बहादुरी का जिक्र किया। इस तरह 28 सालों में सेना में महिलाओं की भूमिका को साबित किया।
आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के तर्क कमजोर साबित हुए और महिलाओं के हक में फैसला आया। स्थायी कमीशन मिलने से महिलाएं अब सेना में 20 साल तक नौकरी कर पाएंगी। साथ ही वे पेंशन की भी हकदार होंगी। आज भास्कर 360 में पढ़िए आखिर किस तरह महिला अफसरों ने बराबरी का यह हक हासिल किया। साथ ही इस फैसले का असर क्या होगा।
सेना में महिलाएं-विवाद से जुड़ा हर पहलू जो आपको जानना चाहिए
1. विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
भारतीय सेना में महिला अफसरों की नियुक्ति 1992 से हुई। शुरुआत में महिला अधिकारियों को नॉन-मेडिकल जैसे- विमानन, रसद, कानून, इंजीनियरिंग और एक्जीक्यूटिव कैडर में नियमित अधिकारियों के रूप में 5 साल की अवधि के लिए कमीशन दिया जाता था, जिसे 5 साल और बढ़ाया जा सकता था। 2006 में महिला अधिकारियों को शाॅर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के तहत 10 साल की सेवा की अनुमति दे दी गई। जिसे 4 साल और बढ़ाया जा सकता था। पुरुष 10 वर्ष की सेवा के बाद स्थायी कमीशन का विकल्प चुन सकते थे, यह विकल्प महिलाओं को नहीं दिया गया।
2. अदालत में कैसे पहुंचा?
फरवरी 2003 में बबीता पूनिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने मांग की, कि सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अफसरों को भी स्थायी कमीशन दिया जाए। अक्टूबर, 2006 में मेजर लीना गौरव ने इसी संबंध में एक और याचिका दाखिल की। रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2008 में एक सर्कुलर जारी किया। जिसमें कहा गया कि जज एडवाेकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशन कोर (एईसी) में आने वाली शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अफसरों को ही स्थायी कमीशन दिया जाएगा। सर्कुलर को मेजर संध्या यादव ने अदालत में चुनौती दी।
3. 2010 में आया था पहला फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2003, 2006 और 2008 की याचिकाओं को एक साथ सुना और मार्च 2010 में फैसला सुनाया। इसमें कहा कि 14 साल की सर्विस पूरी होने के बाद महिलाओं को भी पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन दिया जाए। यह आदेश शाॅर्ट सर्विस कमीशन के तहत भर्ती होने वाली महिलाओं के मामले में दिया गया था। अदालत ने महिलाओं को सेवा से जुड़े अन्य लाभ भी देने को कहा था। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि, 2 सितंबर 2011 को आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली हाईकोर्ट के इसी फैसले पर मुहर लगाई थी।
4. इस आदेश का क्या असर?
स्थायी कमीशन लागू होने की वजह से अब महिलाएं 20 साल तक सेना में काम कर सकेंगी। इसका मतलब यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं। वे चाहें तो रिटायरमेंट से पहले भी नौकरी से इस्तीफा दे सकती हैं। अब तक शाॅर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में नौकरी कर रहीं महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प दिया जाएगा। स्थायी कमीशन मिलने के बाद महिला अधिकारी पेंशन मिलने की भी हकदार हो जाएंगी।
5. किन विभागों में मिलेगा स्थायी कमीशन?
थल सेना - जज एडवोकेट जनरल, आर्मी एजुकेशन कोर, सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स- मैकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनेंस और इंटेलिजेंस जैसे विभागों में स्थायी कमीशन मिलेगा। वायुसेना और नौसेना - इसमें महिलाओं को स्थायी कमीशन का विकल्प है। महिलाएं कॉम्बैट रोल, जैसे- फ्लाइंग और ग्राउंड ड्यूटी में शामिल हो सकती हैं। नौसेना में भी लॉजिस्टिक्स, कानून, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, पायलट और नेवल इंस्पेक्टर में सेवाएं दे सकती हैं।
6. हमारी स्थिति और दुनिया में महिलाएं?
भारतीय वायु सेना ही लड़ाकू पायलटों के रूप में महिलाओं को लड़ाकू भूमिका में शामिल करती है। वायु सेना में तकरीबन 13.09% महिला अधिकारी हैं। थल और नौसेना में प्रतिशत क्रमशः 3.80 और 6 है। अमेरिका में 14.4% महिलाएं एक्टिव ड्यूटी फोर्स में शामिल हैं। रूस में करीब 3,26,000 महिलाएं बतौर सोलजर, मिलिट्री यूनिवर्सिटीज, लॉजिस्टिकल और मेडिकल सर्विस मेंं सिविल पर्सोनल अपनी सेवाएं दे रही हैं। चीन की सेना में 4.5% महिलाएं हैं। अभी तक कॉम्बेट पाइलेट और कॉम्बैट ट्रूप्स में कोई महिला शामिल नहीं है।
लेकिनफैसले के बावजूद केंद्र ने याचिकाकर्ता महिलाओं को नहीं दिया था स्थायी कमीशन का अधिकार
मार्च 2019 में रक्षा मंत्रालय ने एक आदेश निकाला जिसमें कहा गया कि 10 विभागों में काम कर रही महिलाओं को ही स्थायी कमीशन मिल सकता है। इस फैसले में उन महिला अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया था जो पहले से सेवा में थीं। यानी इसका फायदा मार्च 2019 के बाद से सर्विस में आने वाली महिला अफसरों को ही मिलेगा। इस तरह वे महिलाएं स्थायी कमीशन पाने से वंचित रह गईं, जिन्होंने इस मसले पर लंबे अरसे तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। दिसंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आखिरी मौका दिया और कहा कि वह समान नीति लेकर आए। 17 फरवरी को निर्णायक फैसला आया।
नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 24-25 फरवरी को भारत के दौरे पर रहेंगे। वे गुजरात के अहमदाबाद जाएंगे और आगरा के ताजमहल भी जाएंगे। अमेरिका का राष्ट्रपति दुनिया का सबसे ताकतवर नेता होता है। इतना ताकतवर कि कुछ भी फैसला लेने से पहले सोचने की जरूरत भी नहीं होती। इतने ताकतवर शख्स की सिक्योरिटी भी बहुत खास होती है। भारत आने पर ही ट्रम्प थ्री-लेयर की हाई सिक्योरिटी में रहेंगे। पहले घेरे में अमेरिका की सिक्रेट सर्विस, इसके बाद एसपीजी और फिर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच का दस्ता होगा। अमेरिकी न्यूज वेबसाइट ओरेगोनियन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति के किसी भी दौरे से पहले सीक्रेट सर्विस तीन महीने पहले ही वहां पहुंच जाती है और वहां की लोकल पुलिस के साथ मिलकर सिक्योरिटी की तैयारी शुरू कर देती है। राष्ट्रपति के आने से पहले ही एयरस्पेस क्लीयर करवा लिया जाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प एयरफोर्स वन विमान से भारत आएंगे। इसे दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान कहा जाता है। ये विमान एक तरह से राष्ट्रपति ऑफिस की तरह ही रहता है। इसमें वह सारी सुविधाएं रहती हैं, जो एक ऑफिस में रहती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आने से पहले किस तरह की तैयारी होती है?
राष्ट्रपति के दौरे से कम से कम 3 महीने पहले ही यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट वहां पहुंच जाते हैं। एजेंट यहां पर लोकल पुलिस, एजेंसियों के साथ मिलकर राष्ट्रपति के दौरे का खाका तैयार करते हैं। ट्रेवल रूट और सबसे नजदीकी ट्रॉमा हॉस्पिटल की पहचान भी करते हैं। इसके साथ ही किसी भी तरह के संभावित हमले या इमरजेंसी से निपटने के लिए राष्ट्रपति के लिए सेफ लोकेशन भी तय करते हैं।
यूएस सीक्रेट सर्विस के एजेंट लोकल पुलिस के साथ मिलकर संभावित खतरे की भी पहचान होते हैं। जिन लोगों से राष्ट्रपति को खतरा हो सकता है, ऐसे लोगों की पहचान की जाती है और उन पर बारीकी से नजर रखी जाती है। ऐसे लोगों को चेतावनी भी दी जाती है।
राष्ट्रपति के दौरे से कुछ दिन पहले से स्नीफर डॉग्स को लाया जाता है। इनकी मदद से राष्ट्रपति के रूट की जांच की जाती है। पता लगाया जाता है कि कहीं बम तो नहीं लगा। इसके साथ ही उनके रूट के आसपास गाड़ियों को भी खड़ा नहीं होने दिया जाता, ताकि कोई कार या गाड़ी में बम न रख दे।
एयरफोर्स वन : दुनिया का सबसे सुरक्षित विमान, इसी से राष्ट्रपति सफर करते हैं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका से भारत एयरफोर्स वन विमान से आएंगे। ये विमान बोइंग 747-200बी सीरीज का विमान होता है। ऐसे दो विमान होते हैं, जिन पर 28000 और 29000 कोड होता है। एयरफोर्स वन को मिलिट्री विमान की कैटेगरी में रखा गया है, क्योंकि ये किसी भी तरह का हवाई हमला तक झेल सकता है। ये न सिर्फ दुश्मन के रडार को जाम कर सकता है, बल्कि मिसाइल भी छोड़ सकता है। इस विमान में हवा में ही फ्यूल भरा जा सकता है। एयरफोर्स वन एक तरह से राष्ट्रपति ऑफिस की तरह ही काम करता है। इसमें वो सारी सुविधाएं होती हैं, जो राष्ट्रपति ऑफिस में होती है। इसमें एक कम्युनिकेशन सेंटर भी होता है, जिससे राष्ट्रपति जब चाहें, जिससे चाहें फोन पर बात कर सकते हैं। इसमें 85 ऑनबोर्ड टेलीफोन, कम्प्यूटर सिस्टम और रेडियो सिस्टम होते हैं।
विमान में 4 हजार स्क्वायर फीट का एरिया, दो किचन, कमरे, कॉन्फ्रेंस रूम भी
तीन फ्लोर वाले इस विमान में 4 हजार स्क्वेयर फीट का एरिया होता है। इसमें राष्ट्रपति के लिए सुइट होता है। मेडिकल फैसिलिटी होती है। कॉन्फ्रेंस रूम, डाइनिंग रूम और जिम भी होता है। इसमें दो किचन भी होता है, जिसमें एक बार में 100 लोगों का खाना बन सकता है। इसके साथ ही इसमें प्रेस, सिक्योरिटी स्टाफ, ऑफिस स्टाफ और वीआईपी के लिए भी कमरे बने होते हैं।
राष्ट्रपति के पास न्यूक्लियर अटैकका बटन हमेशा साथ रहता है
2018 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन ने ट्रम्प को धमकी देते हुए कहा था कि उनके पास न्यूक्लियर बम का बटन है। जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी कह दिया कि उनके पास उनसे ज्यादा शक्तिशाली और बड़ा बटन है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति के साथ हमेशा एक लेदर बैग लिए मिलिट्री वाला रहता है। इस बैग में न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल और उनके लॉन्च करने का कोड होता है। इस बैग को ‘फुटबॉल’कहते हैं। यह यूनिक कोड होता है, जो हमेशा राष्ट्रपति के साथ रहता है। राष्ट्रपति बाहर दौरे पर भी हैं, तो भी उनके साथ यह कोड होता है। अगर कोई इमरजेंसी आ जाए या युद्ध जैसे हालात हों, तो राष्ट्रपति दुनिया में कहीं से भीन्यूक्लियर हथियारों को लॉन्च करने का आदेश दे सकते हैं।
ट्रम्प की कार "द बीस्ट': न्यूक्लियर अटैक तक झेल सकती है, टायर पंक्चर भी हो, फिर भी चलेगी
ट्रम्प के दौरे से पहले ही उनकी कार "द बीस्ट' अमेरिकी एयरफोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट से भारत आ चुकी हैं। इस कार को अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स ने तैयार किया है। ट्रम्प की कार को दुनिया की सबसे सुरक्षित कार माना जाता है, जिसपर न्यूक्लियर अटैक और कैमिकल अटैक तक का भी असर नहीं होता। इस कार का वजन 20 हजार पाउंड यानी करीब 10 हजार किलो की होती है। इसकी कीमत 10 करोड़ रुपए के आसपास है।
इस कार में मशीन गन, टियर गैस सिस्टम, फायर फाइटिंग और नाइट विजन कैमरा जैसे इक्विपमेंट होते हैं। जरूरत पड़ने पर इस कार से दुश्मन पर हमला भी किया जा सकता है। कार की टायर की रिम मजबूत स्टील से बनी होती है। इसका मतलब है कि अगर टायर पंक्चर भी हो जाए तो भी कार की स्पीड पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस कार में जो पेट्रोल डाला जाता है, उसमें खास तरह का फोम मिक्स किया जाता है, ताकि धमाका न हो।
कार के गेट 8 इंच मोटे होते हैं और इसकी विंडो बुलेट-प्रूफ होती है। हालांकि, कार की सिर्फ एक ही विंडो खुलती है जो ड्राइवर सीट के साइड में होती है। ड्राइवर का कैबिन और ट्रम्प के कैबिन के बीच में एक कांच की दीवार भी होती है, ताकि ट्रम्प सीक्रेट मीटिंग कर सकें और सीक्रेट बात भी। ट्रम्प के पास एक सैटेलाइट फोन होता है, जिसकी मदद से वे कभी भी किसी से भी बात कर सकते हैं। इस कार की डिग्गी में ट्रम्प के ब्लड ग्रुप वाला खून भी रहता है।
लाइफस्टाइल डेस्क. 24- 25 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और फर्स्ट लेडी मेलानिया भारत दौरे पर आने वाले हैं।मेलानियाताजमहल देखने पहुंचेंगी। यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिकीफर्स्ट लेडी भारत आ रही हैं। इससे पहले जैकेलीन कैनेडी, रोजेलिन कार्टर,लॉरा बुशसे लेकर मिशेल ओबामा तकभारत आईं और यहां की खूबसूरती और कल्चर की तारीफ कर चुकी हैं। अब तकभारत दौरें परआईं यूएस कीकी फर्स्ट लेडीजका सफर…
जैकलीन कैनेडी- यूएस फर्स्ट लेडी, 1962
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडीकी पत्नी जैकलीन कैनेडी 1962 में भारत आने वाली पहली फर्स्ट लेडी थीं। जैकलीन अपनी बहन ली रेट्जविल के साथ भारत दर्शन के लिए आई थीं। अपने इस सफर में जैकलीन ने बच्चों के अस्पताल, गार्डन और राष्ट्रपति भवन समेत कई धार्मिक स्थलों को देखा। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने जैकलीन का स्वागत किया। जैकलीन ने इस दौरान गुलाबी ड्रेस के साथ मोतियों की माला, हील्स, दस्तानेऔर हैट पहना था। उन्होंनेजयपुर मेंहाथी की सवारी और यहां आमेर स्थितपिछोला तालाब में नाव की सवारी का लुत्फ उठाया।
राष्ट्रपति भवन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद के साथ व्हाइट ड्रेस में जैकलीन कैनेडी।
पैट्रीशिया निक्सन- यूएस फर्स्ट लेडी, 1969
अमेरिका के 37वें राष्ट्रपतिरिचर्ड निक्सन 1969 में अपनी पत्नी पैट्रीशिया निक्सन के साथ भारत दौरे पर आए थे। पैट्रीशिया केवल एक ही दिन के लिए भारत आई थीं। पैट्रीशिया ने इस दिन गुलाबी रंग का मिनी स्कर्ट और ब्लेजर पहना था, साथ ही उन्होंने नीले रंग का स्कार्फ भी गले में लपेटा था।
इंदिरा गांधी के साथ पैट्रीशिया निक्सन।
रोजेलिन कार्टर-यूएस फर्स्ट लेडी 1978
अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिम कार्टर साल 1978 में अपनी पत्नी रोजेलिन कार्टर के साथ भारत आए थे। जिम के व्यस्त होने के कारण रोजेलिन अकेले ही भारत घूमी थीं। वेएयरपोर्ट पर सफेद रंग की ड्रेस पहनकर पहुंची थी। भारत दर्शन के दौरान उन्होंने ग्रे रंग के ब्लेजर और स्कर्ट के साथ नीले रंग का स्कार्फ पहना था। रोजेलिन ने दिल्ली के स्कूल में कई बच्चों से भी मुलाकात भीकी थी। पति के साथ दिल्ली के पास दौलतपुरगांवका दौरा करते समय उन्होंने माथे पर तिलक भी लगवाया था। यहां परग्रामीणों ने उन्हें शॉलभेंट किया था। बाद में इस गांव का नाम उनके सम्मान में हमेशा के लिएकार्टरपुरी रख दियागया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ जिम और रोजेलिन कार्टर। बाजू में खड़े हैं अटल बिहारी वाजपेयी।
हिलेरी क्लिंटन-यूएस फर्स्ट लेडी, 1995
1995 में हिलेरी क्लिंटन12 दिवसीय दक्षिण एशिया के दौरे पर पहुंचीं थीं। इसी बीच वेअपनी बेटी चेल्सी क्लिंटन के साथ तीन दिनों के लिए भारत पहुंचीं।भारत में उन्होंने महिलाओं के अधिकार और शिक्षा पर भाषण भी दिया था। यहां उन्होंने आगरा में ताजमहल समेत कई जगहों का दौरा किया। हिलेरी गुलाबी रंग काटॉप और लॉन्गस्कर्ट पहनेताजमहल पहुंची थीं। इसके 2 साल बाद 1997 में भी हिलेरी मदर टेरेसा के अंतिम संस्कार में शामिल होने भारत आईं थीं।
ताजमहल के सामने बेटी चेल्सी के साथ हिलेरी।
लॉरा बुश-यूएस फर्स्ट लेडी, 2006
अमेरिका के 43वें राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और उनकी पत्नी लॉरा बुश साल 2006 में महज 60 घंटेके लिए भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति भवन, नोएडा फिल्म सिटी और मदर टेरेसा मिशनरी चैरिटेबल सेंटर का दौरा किया। अंत में दोनों ने राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। भारत में लॉरा ने ग्रे रंग का कोटपैंट पहना था।
मदर टेरेसा मिशनरी चैरिटेबल सेंटर में लॉरा बुश।
मिशेल ओबामा-यूएस फर्स्ट लेडी, 2010
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल 2010 और 2015 में दो बारभारत आएथे। 2010 के दौरे में मिशेल और बराक मुंबई के स्कूल गए थे। इसके बाद 2008 में हुए आतंकवादी हमले 26/11 के पीड़ितों से भीमिले।मिशेल ने अकेले दिल्ली के नेशनल हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट म्यूजियम का भी लुत्फ उठाया था। मिशेल ने इंडियन डिजाइनर विभू मोहपात्रा की डिजाइन की गईफ्लोरल ड्रेस पहनी थी।मुंबई में उन्होंने गरीब बच्चों के साथ बॉलीवुड गाने परडांस भी किया था।