Saturday, March 21, 2020

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जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवाहन पर रविवार को राजस्थान में जनता कर्फ्यू रहा। कोरोनावायरस के कारण राज्य के झुंझुनू और भीलवाड़ा शहर को पहले ही लॉकडाउन कर दिया गया है। प्रदेश में अब तक 23 कोरोना पॉजिटिव के मामले सामने आ चुके हैं। इस दौरान राज्य में सुबह से ही सड़कें सुनसान नजर आईं। वहीं मंदिर भी लोगों के लिए पहले ही बंद कर दिए गए हैं। वहीं 48 ट्रेनों को 25 मार्च तक बंद कर दिया गया है।

शनिवार को संक्रमण के छह नए मामले सामने आए हैं। इसमें पांच भीलवाड़ा और एक जयपुर का है। भीलवाड़ा के पांचों संक्रमित अस्पताल स्टाफ के हैं,जो संक्रमित डॉक्टर के संपर्क में आएथे। इसके साथ ही,राज्य मेंकुल पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा 23 तक पहुंच गया। इससे पहले शुक्रवार को भी राजस्थान में कोरोना के आठमामले सामने आए थे, जिसमें छह भीलवाड़ा और दोजयपुर के थे।

झुंझुनू और भीलवाड़ा में लॉकडाउन

कोरोनावायरस के कारण राज्य के झुंझुनू और भीलवाड़ा शहर को पहले ही लॉकडाउन कर दिया गया है। वहीं जनता कर्फ्यू के लिए राज्य के प्रत्येक शहर में सड़कों पर पुलिस और आरएसीकमान संभालेंगी। जिन्हे मुख्य चौराहों पर तैनात किया गया है। लोगों को जनता कर्फ्यू के बारे में पुलिस लाउड स्पीकर के द्वारा भी लोगों को सूचित कर रही है। राज्यपाल कलराज रविवार को किसी भी व्यक्ति से नहीं मिलेंगे। राज्यपाल राजभवन में अपने निवास पर ही रहे। वहीं राज्यपाल रविवार को शाम 5 बजे राजभवन में अपने निवास के मुख्य भवन के द्वार पर आएंगे। मिश्र अपने निवास के द्वार पर खड़े होकर थाली बजाएगे और कोरोना वायरस से बचाव में जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों का हौसला बढ़ायेंगे।

एक-दूसरे को कोरोना से बचने के तरीके बताते रहे लोग

शनिवार को कुछ राज्य में कुछ मुख्य जगहों पर लोग दिखे तो एक दूसरे को कोरोनावायरस से बचने की जानकारी देते नजर आए। इसके साथ कुछ लोग जरूरत का सामान घर में रखने की बात भी करते दिखे। राज्य में पिछले 24 घंटों में आए 11 पॉजिटिव केस भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा।

राज्य के ज्यादातर मंदिरों में पहले से ही दर्शनों पर रोक

प्रदेश में खाटूश्यामजी, ब्रह्मा मंदिर, सालासर बालाजी,सांवलियाजी, मेहंदीपुर बालाजी, श्रीनाथजीमंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन पहले ही बंद कर दिए गए हैं। इसके साथ जयपुर के गोविंद देव जी, मोतीडूंगरी मंदिर भी बंद रहेंगे।अजमेर दरगाह में अब सात में से दो गेट ही खुले रहेंगे। खाटूश्याम में 299 साल के इतिहास में पहली बार 31 मार्च तक पट बंद हुए हैं। हालांकि, बाबा श्याम की पूजा यथावत हाेगी। पुजारी परिवार ही रूटीन की आरती करेगा। प्रदेश में खाटूश्यामजी, ब्रह्मा मंदिर, सालासर बालाजी व सांवलियाजी मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन बंद कर दिए गए हैं। अजमेर दरगाह में अब सात में से दो गेट ही खुले रहेंगे। खाटूश्याम में 299 साल के इतिहास में पहली बार 31 मार्च तक पट बंद हुए हैं। हालांकि, बाबा श्याम की पूजा यथावत हाेगी। पुजारी परिवार ही रूटीन की आरती करेगा। वहीं टूरिस्ट स्पॉट, सिनेमा हॉल भी बंद कर दिए गए हैं।

48 ट्रेनें 25 मार्च तक के लिए बंद

उत्तर पश्चिम रेलवे ने रीजन में चलने वाली 48 ट्रेनों को 25 मार्च तक के लिए बंद कर दिया है। इसमें कुछ ट्रेनें तो 21 से 25 मार्च तक बंद रहेगी। कई ट्रेनें 22 व 23 मार्च को बंद है। ट्रेनों के बंद करने का कारण रेलवे प्रशासन ने यात्री भार नहीं होना बताया है।

18 फ्लाइटें की गई रद्द
शनिवार को जयपुर में 18 फ्लाइटें रद्द कर दी गईं। जिसमें अहमदाबाद से आने वाली गो एयर की जी8-701, इंडिगो की बेंगलूरु से आने वाले 6ई-641 और 642 भी शामिल हैं। जयपुर एयरपोर्ट पर कुल 59 फ्लाइटों में से 18 रद्द की गईं।

मंडी में सामान खरीदने नहीं पहुंचे लोग

वहीं राज्य में फल-सब्जियों के दाम में शुक्रवार तक थोड़ी बढ़त देखने को मिली। वहीं शनिवार को मंडी में फल और सब्जियों की अच्छी आवक रही, लेकिन कोरोनाके खौफ के चलते कम ही लोग मंडी पहुंचे। जिसके बाद बड़ी मंडियों में आलू-प्याज के दाम सामन्य रहेंगे। वहीं लोग अपने घर के पास स्थित सब्जियों की दुकानों पर खरीदारी करते ही दिखे। जहां दामों में थोड़ा उछाल देखने के लिए मिला।



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जयपुर में बाजार बंद।


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रायपुर. छत्तीसगढ़ में रविवार की सुबह कर्फ्यू के साथ हुई है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोनावायरस की इस जंग में लोगों से अपील की थी कि एक दिन घर पर रहकर सरकार का सहयोग करें। कोरोनावायरस एक से दूसरे वक्ति में फैलता है। इस वजह से यह गुजारिश की गई थी। राज्य की राजधानी समेत, भिलाई, दुर्ग, जगदलपुर और बिलासपुर रायगढ़ समेत सभी जगहों पर इसका असर देखने को मिलना शुरू हो गया है। रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान लोगों से घरों के बाहर न आने की अपील की गई है। इसे लोगमान भी रहे हैं। शाम होते ही लोग कोरोनावायरस की दिक्कतों के बीच आपात सेवा में लगे लोगों काताली या थाली, घंटी बजाकर अपने घरों कीबालकनी या गेट से धन्यवाद देंगे। यह अपील भी पीएम मोदी ने की थी।

शनिवार को देश के केंद्रीय गृह सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। इस पत्र में गृह सचिव अजय भल्ला ने लिखा है कि प्रधानमंत्री ने 19 मार्च को देश के नाम संबोधन में ’जनता कर्फ्यू’ का आव्हान किया था। जिसमें लोगों से सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक अपने घरों में रहने की अपील की गई है। प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यूके दौरान शाम पांच बजे देशवासियों से अपील की है कि वे डॉक्टरों, चिकित्सा के पेशे में लगे लोगों, साफ-सफाई में लगे लोगों को उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद दें। लोग अपने घरों की बालकनी, घर के दरवाजे पर खड़े होकर पांच मिनट तक ताली बजाकर, घण्टी बजाकर, थाली बजाकर अतिआवश्यक सेवाओं में लगे लोगों के प्रति आभार प्रकट करें। इसके लिए अब राज्य के सभी शहरों में फायर ब्रिगेड और पुलिस लोगों को सायरन बजाकर सिग्नल देंगे।


सीएम किया था समर्थन, कोरोना पर अलग वेबसाइट
19 मार्च को जब पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए जनता कर्फ्यू की बात कही तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा कि प्रधानमंत्री के द्वारा देश को दिया गया संदेश महत्वपूर्ण है। मैं छत्तीसगढ़ प्रदेश की तरफ से केंद्र सरकार एवं प्रधानमंत्री को विश्वास दिलाता हूँ कि कोविड -19 संक्रमण से लड़ने के लिए उनके द्वारा उठाए और सुझाए गए प्रत्येक कदम का हम सब समर्थन करेंगे। शनिवार को राज्य सरकर ने प्रदेश के लोगों के लिए अलग वेबसाइट का लिंक जारी किया। इसमें सरकार के उठाए जा रहे कदम को लोग एक स्थान पर देख सकेंगे। यह लिंक Website- gad.cg.gov.in/cgcorona है।



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राज्य के लगभग सभी शहरों में बाजार और दुकानें बंद हैं।


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मिलान/बीजिंग. कोरोनावायरस को हल्के में लेना इटली को भारी पड़ रहा है। पहले यहां सरकार ने देरी से 10 मार्च को लॉकडाउन घोषित किया। फिर इसका कड़ाई से पालन नहीं कराया गया। लॉकडाउन के बावूजद इटली के कई शहरों में लोग शॉपिंग करते रहे, रेस्टोरेंट्स में खाना खाते रहे, बार और क्लब में लेटनाइट पार्टी करते रहे, मार्केट में घूमते रहे। इसी के चलते इटली सरकार ने अब लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने के लिए देश भर में आर्मी तैनात कर दी है, ताकि लोग घरों से बाहर न निकल सकें।
इटली में कोरोना का पहला केस 31 जनवरी को रोम में सामने आया था। लेकिन देश में लॉकडाउन 10 मार्च को लागू किया गया। भारत में पहला मामला 31 जनवरी को केरल में आया था। इसके बाद से 50 दिन हो गए हैं, लेकिन लॉकडाउन नहीं लगाया गया है।

चीन में रेड क्रास के वाइस प्रेसीडेंट सुन शुओपेंग इटली पहुंचे हुए हैं। उन्होंने मिलान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि यहां उसी तरह का माहौल है, जैसे दो महीने पहले कोरोनावायरस के केंद्र वुहान शहर में था। वुहान में एक महीने के लॉकडाउन के बाद हमने देखा था कि इससे कोरोना के केस में कमी आई। जबकि इटली का मिलान, जहां सबसे ज्यादा कोरोना फैला है, वहां लॉकडाउन बहुत ज्यादा कठोर नहीं है। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट सर्विस चल रही है, लोग लगातार एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं। लोग होटलों में डिनर और पार्टी कर रहे हैं, वो भी बिना मास्क पहने हुए। मुझे नहीं पता कि यहां लोग क्या सोच रहे हैं।


इटली के हालात: शुक्रवार को 24 घंटे में 627 लोगों की जान गई, यह एक दिन में सबसे ज्यादा

इटली में शुरुआती लापरवाहियों के नतीजे अब गंभीर हो चले हैं। शुक्रवार को 24 घंटे में 627 लोगों की कोरोना से मौतें हुईं। यह एक दिन में अब तक किसी भी देश में कोरोना से हुई सबसे ज्यादा मौतें हैं। इटली में अब तक 4032 लोगों की जान जा चुकी है। देश में छह हजार नए केस आए हैं। देश में अब तक कोरोना के 47,000 केस आ चुके हैं। सबसे बुरी स्थिति इटली के उत्तरी क्षेत्र लोम्बार्डी की है, यहां पिछले महीने कोरोना का पहला मामला आया था। देखते ही देखते स्थिति खराब हो गई है। हजारों की संख्या में लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। उनके इलाज के लिए डॉक्टर कम पड़ गए हैं। ऐसे वक्त में चीन के मेडिकल एक्सपर्ट इटली पहुंचे हैं। वे कोरोना के इलाज और लॉकडाउन को सही तरीके से लागू करने में मदद करेंगे।

तस्वीर 20 मार्च की है। मिलान में लॉकडाउन के बावजूद लोग सुपर मार्केट में खरीददारी कर रहे थे।

लोम्बार्डी में राज्य सरकार पहले लॉकडाउन में ढ़ील देने के पक्ष में थी, अब ज्यादा जवान मांग रही
इटली के लोम्बार्डी में भी लॉकडाउन का कड़ाई से पालन नहीं हुआ। यहां पहले राज्य सरकार ने खुद भी इसमें ढील बरतने को लेकर सहमत थी, लेकिन अब लोम्बार्डी क्षेत्र के प्रेसीडेंट ने कहा है कि आर्मी के इस्तेमाल से लोगों को जबरदस्ती घर में कैद करने में मदद मिलेगी। हालांकि यहां आर्मी के 114 जवान ही पूरे लोम्बार्डी क्षेत्र में तैनात किए गए हैं। प्रेसीडेंट एट्टीलिओ फोनटाना ने कहा है कि यह संख्या बहुत कम है, लेकिन हम इसे लेकर पॉजिटिव हैं। पूरे क्षेत्र में सड़कों पर जवान गश्त करेंगे।

लोगों को रोकने के लिए मिलान के डूओमो स्कॉवयर पर तैनात सेना का जवान।

लोम्बार्डी में स्थिति बहुत खराब है, आईसीयू में नहीं बची जगह, दूसरे शहर भेजे जा रहे मरीज
डैनिला कॉनफालोनिरी मिलान शहर में नर्स हैं। न्यूज एजेंसी रायटर्स से कहती हैं कि यहां स्थिति इतनी डरावनी है कि कोरोना से मरने वाले लोगों की गिनती नहीं हो पा रही है। हम तनाव और डर के बीच काम कर रहे हैं। दुर्भाग्यबस हम लोम्बार्डी में स्थिति को नियंत्रित करने में असफल हैं। यहां बहुत विकट स्थिति है और हम मृतकों की गिनती भी नहीं कर रहे हैं। इटली से बाहर रहने वाले इस खबर को देखें और ध्यान दें कि यहां स्थिति कितनी खराब है। यह अकल्पनीय है।
लोम्बार्डी के बेरगामो स्थित एक हॉस्पिटल के डॉक्टर स्टेफानो मागंओनी सीएनएन से बातचीत में कहते हैं कि कोरोनावायरस ने इतनी भयानक तरीके से हिट किया है कि अब हमें आईसीयू मरीजों को देश के अन्य हिस्सों में भेजना पड़ रहा है, क्योंकि यहां अस्पतालों में जगह नहीं है। यहां पास स्थित ब्रेससीया शहर में भी सभी आईसीयू फुल हो चुके हैं।

तस्वीर 20 मार्च की है। इटली में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित मिलान में लॉकडाउन के बावजूद सड़कों पर ट्रैफिक था।

इटली में कोरोनावायरस से मरने वालों में 96% लोग 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं
इटली में मरने वाले लोगों में सबसे ज्यादा बुजुर्ग हैं। इटली के हेल्थ इंस्टीट्यूट की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना से 86% मौतें 70 से ज्यादा उम्र के लोगों की हुई हैं। 10% लोग 60 से 69 साल के बीच के हैं। इटली में जापान के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा बुजुर्ग आबादी है।

मिलान में पुलिस पार्कों में बैठे लोगों को जबरदस्ती निकाल रही है।


चीन ने क्या किया: 23 जनवरी को पहली बार वुहान में लॉकडाउन किया, इसके बाद 20 राज्यों में 70 करोड़ लोगों को घरों में कैद कर दिया

चीन ने हुबेई प्रांत के वुहान में 23 जनवरी को लॉकडाउन लागू किया था। यहीं से कोरोनावायरस शुरू हुआ था। पहला मामला 31 दिसंबर को सामने आया था। वुहान की आबादी 1.1 करोड़ है। इसके साथ ही चीन ने दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा लॉकडाउन लगाया था। इसके बाद 20 राज्यों और 16 बड़े शहरों को एक साथ बंद कर दिया गया। करीब 70 करोड़ लोग घरों में कैद कर दिए गए।


विशेषज्ञों ने कहा था कि चीनी अर्थव्यवस्था को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी
वुहान में जब चीन ने पहली बार लॉकडाउन किया तो दुनिया हतप्रभ थी। महामारी के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन को इस कदम की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। इतने बड़े लॉकडाउन से लोगों के साथ चीन की इकोनॉमी को बहुत बड़ा नुकसान होगा। इससे पहले आधुनिकदुनिया ने कहीं भी क्वारैंटाइन का इतना बड़ा मामला नहीं देखा था।

तस्वीर वुहान की है। यहां लॉकडाउन के बाद लोगों को घरों के बाहर खाने-पीने की चीजें दी जाती थीं।

जरूरी सेवाओं और मेडिकल इमरजेंसी को भी रोक दिया था
चीन ने स्कूल, ऑफिस, ट्रांसपोर्ट सर्विस, एयरपोर्ट, मेट्रो सेवा और लोगों के एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। इन प्रतिबंधों को घोषणा के कुछ ही घंटे के अंदर पूरे वुहान में लागू कर दिया गया। शहर से बाहर आने-जाने वाले वाहनों को रोक दिया गया, यहां तक जरूरी सेवाओं और मेडिकल इमरजेंसी को भी रोक दिया गया। सभी दुकानों को बंद कर दिया गया, इनमें फूड और मेडिसिन शॉप भी शामिल थीं। निजी वाहनों को बिना किसी परमीशन के जहां-तहां रोक दिया। लोगों को घरों से निकलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया। इसके लिए जगह-जगह पुलिस तैनात कर दी गई।


लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कम्युनिटी सेवा शुरू की
सरकार ने लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कम्युनिटी सेवा शुरू की। केवल कुछ जगहों पर फूड और अन्य जरूरी सेवाओं के लिए दुकानें खोली गईं। लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल शुरू किया। कुछ ही दिन बाद लॉकडाउन पॉलिसी को और कड़ाई के साथ लागू कर दी गई। हेल्थ वर्कर घर-घर जाकर हर एक व्यक्ति की जांच करने लगे, कोरोनावायरस का थोड़ा भी संदेह होने पर जबदरस्ती लोगों को क्वारैंटाइन किया जाने लगा। एक दिव्यांग बच्चे की घर में अकेले छोड़ दिए जाने से मौत हो गई, क्योंकि उसे खाना नहीं मिल पाया। उसके पिता और भाई को प्रशासन ने क्वारैंटाइन कर दिया था।

23 जनवरी को लॉकडाउन के कुछ ही घंटे बाद वुहान की सड़कें खाली हो गई थीं।

तब दुनिया ने चीन के इस सख्त पॉलिसी पर सवाल उठाए थे, अब नतीजे सामने
चीन ने वुहान के बाद अन्य 20 राज्यों में भी इस लॉकडाउन पॉलिसी को लागू कर दिया। दुनिया के तमाम देशों ने भी चीन के इस सख्त पॉलिसी पर सवाल उठाए। लेकिन चीनी सरकार के इस कदम के नतीजे दो महीने के अंदर ही दुनिया के सामने हैं। इस गुरुवार को चीन में पहली बार कोरोनावायरस का कोई नया मामला नहीं आया।


अब दुनिया के 20 से ज्यादा देशों में लॉकडाउन, 120 करोड़ लोग घरों में बंद
चीन के बाद दुनिया के 20 से ज्यादा देश लॉकडाउन लगा चुके हैं। करीब 120 करोड़ लोग घरों में बंद हैं, लेकिन कहीं पर भी इसका चीन जितना कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है। इसीलिए इन जगहों पर लॉकडाउन के बावजूद कोरोना के नए केसों में कमी नहीं आई है। डब्ल्यूएचओ ने भी माना है कि चीन ने लॉकडाउन के चलते कोरोनावायरस पर काबू पाने में कामयाबी पाई है।



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तस्वीर इटली के मिलान की है। यहां लोगों को हटाने के लिए सेना तैनात की गई है।


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जयपुर (महेश शर्मा/अनुराग बासीड़ा).विदेश से आई कोरोना महामारी ने परदेस में रहने वाले प्रियजनों को लेकर चिंता में डाल दिया है। एक ओर सरकार की एडवाइजरी है, दूसरी ओर प्रियजनों की एक-दूसरे को हर दिन दी जा रही सीख। विदेशों में हालात कुछ सामान्य हो रहे हैं। महामारी से संभलने के तरीके उन्होंने सीख लिए हैं। बातें छोटी भले ही हों, लेकिन महामारी के खिलाफ जंग में बड़े हथियार के तौर पर काम करने वाली हैं। भास्कर ने विदेशों में रह रहे कई लोगों से इस महामारी के दौरान निपटने के हालात को जाना कि लोगों ने क्या सावधानियां बरतीं।

सिंगापुर: कोविड एप से पता चलता-संक्रमित पास तो नहीं

श्रेय मेहता। (दाएं)

श्रेय मेहता के मुताबिक, सिंगापुर में स्थितियां अब नियंत्रण में हो रही हैं। क्योंकि,हमने बीमारी को मुंह नहीं लगाया। यहां हर मॉल, मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में रहने वाले का चेकअप हुआ है। हर आदमी को मास्क और सैनिटाइजर फ्री में बांटे गए। हेल्थ टीम ने जगह-जगह कैंप लगा रखे हैं। अब तो सरकार ने एक ‘कोविड-एप’ शुरू कर दिया है। ब्लूटूथ से पता लग जाता है कि कोई किस मरीज के पास से तो नहीं गुजरा।

सेल्फ स्टर्लाइजेशन; 24 घंटे बाद सामान घर में लाते हैं

सौरभ चौधरी स्पेन के मैड्रिड की पारला कम्युनिटी में कपड़ा व्यवसायी हैं।

बीकानेर के मुक्ताप्रसाद कॉलोनी के रहने वाले सौरभ चौधरी स्पेन के मैड्रिड की पारला कम्युनिटी में कपड़ा व्यवसायी हैं। यहां होम डिलीवरी ऐसी है कि हम पैसे बाहर रख देते हैं और डिलीवरी बाॅय सामान रख देता है। एहतियातन 24 घंटे बाद हम सामान घर में लाते हैं ताकि धूप में पैकेट सेल्फ स्टर्लाइज हो जाएं। यहां सरकार ने 600 यूरो से 6 लाख यूरो तक जुर्माना लगाया है। अभी तक 15 हजार चालान हो चुके हैं।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार अब तो फाइंनेंशियली सपोर्ट कर रही

सिडनी में रह रहे योगेश घोड़ेला।(बाएं)

सिडनी में रह रहे योगेश घोड़ेला की मानें तो जयपुर में परिवार के लोग और दोस्त चिंतित हैंजबकि मैं उन्हें लेकर चिंता में हूं।यहां महामारी का असर ज्यादा है, लेकिन उसी तेजी के साथ सरकार और लोगों का ऐसा सामंजस्य बना हुआ है कि अब नए मरीज आने से रुकेंगे। हम राशन की दिक्कत को झेल चुके हैं। खास बात यह है कि अगर किसी के पास पैसा नहीं है तो सरकार उसको पैसे की मदद कर रही है।

बिना काम घूमने वालों की गाड़ियां जब्त, लाइसेंस रद्द

सुजानगढ़ के प्रगतिनगर के महेंद्र गुलेरिया जो फिलहाल रोम में हैं।

सुजानगढ़ के प्रगतिनगर के महेंद्र गुलेरिया रोम के पार्को अज्जुर्राे, कॉलेवेरदे, रोमामें रेस्टॉरेंट चलाते हैं। 1 मार्च को रोम में 1 हजार नागरिक पॉजिटिव थे, अब (शनिवार तक) 46 हजार हो गए है। इसमें लोगों की लापरवाही ही मुख्य वजह रही। पुलिस अब अनावश्यक घूमने वालों की गाड़ियां जब्त कर रही है और उनका लाइसेंस 6 महीने के लिए रद्द कर रही है। पैदल घूमने वालो पर 260 यूरो जुर्माना लगाया जा रहा है। लोगों को स्टोर्स पर एक-एक कर एंट्री दी जा रही है।



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इटली का सेन कारलो स्कवायर लॉकडाउन के बाद खाली


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हेल्थ डेस्क. देश में कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू होगा। लोग घरों में कैद होंगे। इसी बीच, ज्यादातरनौकरीपेशा लोग घर से काम कर रहे हैं। यह एक तरह का आइसोलेशन है,जो मामलों में कमी लाता है। फिर भीएहतियात बरतने कीजरूरत है। जानिए वो 10 एहतियाती कदम जो घर या ऑफिस में ध्यान रखने की जरूरत है।

इन बातों का ध्यान रखने की जरूरत:

1)पेट्स को घुमाने ले जाएं तो साबुन से हाथ धोएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, पालतू जानवरों से कोरोना फैलने केअब तक प्रमाणनहीं मिले हैं। लेकिन,एहतियात के तौरपर इनके साथ संपर्क में आने पर साबुन से हाथ जरूर धोएं। एम्स केडायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, यह महज भ्रांति है किपालतु जानवर जैसे बिल्ली-कुत्ते से कोरोनावायरस फैलता है। यह वायरस केवल इंसान से इंसान में फैलता है।

2) नोट या करंसी छूते हैं तो भी हाथ धोएं
कोरोनावायरस करंसी नोट/सिक्कों के जरिए फैलता है या नहीं, इस पर अब तक कोई रिसर्च नहीं हुई है। अमेरिका में हुए शोध में कहा गयाथा कि 'सार्स कोरोना वायरस कागज को 72 घंटे तक और कपड़े को 96 घंटे तक संक्रमित रख सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना हैकि जिन देशों में कोरोना वायरस संक्रमण फैला है, वहां के करंसी नोट या सिक्के हाथ में लेने के बाद, अपने चेहरे, मुंह, नाक, कान या आंखको ना छुएं। ऐसे में कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा भुगतान ऑनलाइन ही करें। इसी तरह अगर दरवाजे का हैंडल या चारपहिया की स्टीयरिंग छूते हैं तो भी हाथ जरूर धोएं।

3) ऑफिस में हैं तो भी 3 फीट की दूरी बनाएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, घर हो या ऑफिस ऐसे लोग जो खांस या छींक रहे हैं उनसे एक मीटर या 3 फीट की दूरी जरूर बनाएं।खांसने या छींकने पर नाक और मुंह से निकलने वालीं बूंदों में मौजूद वायरस हवा में फैलता है और दूसरों तक पहुंचता हैइसलिए बचाव बेहदजरूरी है।

4)आंख, नाक और मुंह को न छुएं
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बिना हाथ धोऐ आंख, नाक और मुंह को न छुएं। हाथ के जरिए वायरस शरीर में पहुंच सकता है। दिन मेंकई बार साबुन से हाथ धोएं। सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ध्यान रखें यह 60% अल्कोहल वाला होना चाहिए।

5) डिस्पोजेबल मास्क दोबारा इस्तेमाल न करें
अगर कोरोना से संक्रमित इंसान से मिल रहे हैं, आसपास ऐसा कोई मामला है या हॉस्पिटल जा रहे हैं तो मास्क जरूर पहनें। ध्यान रखें इसेनाक, मुंह और ठोड़ी के ऊपर लगाएं। गैप न हो और ठीक से फिट हो। डिस्पोजेबल मास्क का दोबारा प्रयोग न करें और प्रयोग हो चुके मास्कको कीटाणुरहित करके बंद कूड़ेदान में डालें। मास्क का प्रयोग करते समय या उतारते समय गंदी बाहरी सतह को न छुएं। मास्क हटाने के बादहाथों को साबुन या अल्कोहल आधारित हैंड रब से धोएं।

6)थर्मल स्कैनिंग कराएं लेकिन लक्षणों पर भी नजर रखें
थर्मल स्‍कैनर बॉडी टेंपरेचर का पता कर केवल बुखार के बारे में बता सकता है। कोई इंसान कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं, उसका पता थर्मल स्कैनिंग से नहीं लगाया जा सकता है। संक्रमित व्‍यक्ति को बुखार आने में कम से कम 2 से 10 दिन तक का समय लगता है। शरीर का तापमान 98.6 फारेनहाइट पहुंच गया है तो डॉक्टरी सलाह लेने की जरूरत है। इसलिए अगर खांसी, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ हो तो डॉक्टर से बात करें।

7)बच्चे और बुजुर्ग दोनों को ध्यान रखने की जरूरत
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया के मुताबिक, कोरोनावायरस का खतरा बुजुर्गों और बच्चों दोनों को है। जिनकी उम्र 70 साल या अधिक हैऔर ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हार्ट डिसीज या पुरानी बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें खतरा ज्यादा है। इसलिए सभी एहतियात बरतने की जरूरत है।

8)वायरस का संक्रमण हुआ है या नहीं, ऐसे समझें
इसके लक्षण आमतौर पर सर्दी-जुकाम जैसे दिखते हैं। कफ, गले में सूजन, सिरदर्द, कई दिनों तक तेज बुखार और सांस लेने में दिक्कत हो तो यह कोरोनावायरस के संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में सतर्क होने की जरूरत है। विशेषज्ञ से सलाह लें।

9) 60% अल्कोहलकी मात्रा वालासैनिटाइजर जरूरी

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन की प्रोफेसर सैली ब्लूमफील्ड के मुताबिक, कोरोनावायरस का आवरण जिस तरह का है उस पर अल्कोहल जैल अटैक करने में समर्थ है। जिन सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा 60% से अधिक होती है,वे माइक्रोब्स को खत्म करने में असरदार साबित होते हैं। लेकिन,ध्यान रखें इसे कभी भी घर पर न तैयार करें, स्किन को नुकसान पहुंच सकता है।

10) दूसरे देश से आयातित सामानों को कुछ दिन न छुएं
वेबसाइट वेब एमडी के मुताबिक, दुनियाभर के देशों से आने वाली चीजों को कुछ दिन न छुएं। कई दिनों तक इनकी सतह पर वायरस रहता है। इसके अलावा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।



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Coronavirus Disease 2019 (COVID-19); What To Do, How To Prevent Corona - Prevention Explained In Hindi Details


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हेल्थ डेस्क. देश में कोरोनावायरस के मामले बढ़ रहे हैं। इसे लेकर डर का माहौल है। इसका बच्चों पर क्या असर पड़ रहा है, इसे समझनाजरूरी है। 22 मार्च को देशभर में जनता कर्फ्यू लगाया जाना है, ऐसे में बच्चों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने बच्चों में स्ट्रेस को समझने और सावधानी बरतने के लिए गाइडलाइन जारी की है ताकि पेरेंट्स जरूरी कदम उठा सकें।

डब्ल्यूएचओ के 4 कदम जो बच्चों का तनाव दूर करेंगे

  • स्ट्रेस होने पर बच्चों में अलग-अलग लक्षण दिखते हैं। जैसे बहुत ज्यादा गुस्सा करना, बिस्तर पर पेशाब करना, परेशान दिखना, खुद को हर चीज से अलग कर लेना। ऐसे बदलाव दिखने पर पेरेंट्स को अलर्ट होने की जरूरत है।
  • ऐसी स्थिति में उनकी हर बात को ध्यान से सुनें। समय-समय पर उनसे बात करते रहें और उनके हर सवाल का जवाब प्यार और धैर्य के साथदें। संभव हो तो उनके साथ समय बिताएं और इंडोर गेम्स खेलें।
  • कोशिश करें कि ऐसी स्थिति में बच्चे पेरेंट्स या घर के मेंबर के साथ ही रहेंया केयरटेकर मौजूद हो तो वह इनका खास ध्यान रखें। अगर बच्चेसे दूर हैं तो उनसे कनेक्ट रहें। कुछ घंटों के अंतराल पर उनसे फोन पर बातचीत करते रहें।जितना हो सके,उन्हें सामान्य माहौल जैसा ही महसूस कराएं। उनके मन में डर का माहौल न बनने दें।
  • जो भी वर्तमान परिस्थिति है,उससे उन्हेंरूबरू कराएं। बीमारी से कैसे बचें,इसके बारे में उन्हें उनकी उम्र के हिसाब से समझाने की कोशिश करें।

एक्सपर्ट एडवाइज: बच्चों को छींकने, हाथ धोने और साफ-सफाई के तरीके समझाएं

  • किड्सस्टॉपप्रेस वेबसाइट की एडिटर मानसी जवेरी के मुताबिक, बच्चों का स्ट्रेस दूर करने के लिए उन्हें छींकने, हाथ धोने और साफ-सफाई रखने के तरीके समझाएं। उन्हें रोजाना की आदतें सुधारने और कीटाणु से बचने के लिए जरूरी सावधानी समझाने का यह सबसे जरूरी समय है। पेरेंट्स बच्चों को बताएं कि 'यह चिंता की बात नहीं।'
  • बच्चों को स्पॉटिफाय, साउंड क्लाउड, एपल पॉडकास्ट, अलेक्सा, सावनजैसे ऐप्सपर विभिन्न प्रकार के डिजिटल ऑडियो के एपिसोड्स (पॉडकास्ट) सुना सकतेहैं। जैसे कि कहानियां, लोक कथा, प्रख्यात लोगों के ऑडियो, खेल और कई अन्य जानकारियां।
  • बच्चों के लिए उनकी उम्र के हिसाब से किताबें,इनडोर-गेम्स भी सिखा सकतेहैं।
  • घर पर मौजूद सामान और DIY (डू इट युअरसेल्फ) वीडियोज दिखाकर उन्हें नई चीजें बनाना सिखा सकतेहैं। बच्चों की इम्युनिटी बेहतर करने के लिए इम्युनिटी बूस्टर ड्रिंक, सोंठ के लड्डू, खजूर पाक और हल्दी दूध बनाकर दे सकतेहैं।


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Coronavirus WHO (COVID-19) Tips On Helping children with exam stress


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वॉशिंगटन/न्यूयॉर्क. दुनिया भर में सैकड़ों लोग कोरोना की चपेट में हैं, लेकिन इसे रोकने के मौजूदा कदम पर्याप्त नहीं हैं। अगर हालातया लापरवाही का आलम यूं ही बना रहा तो अगले तीन महीनों में यानी जुलाई तक अकेले अमेरिका में ही 94 लाख लोग संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे। हालांकि, लॉकडाउन, भीड़ पर बैन, क्वारैंटाइन जैसी सख्ती से 50 फीसदी घट जाएंगे। महीने भर की देरी से ही 67 लाख लोग प्रभावित होंगे। ये नतीजे अमेरिकी आंकड़ों पर आधारित हैं, लेकिन पूरी दुनिया के लिए लागू हो सकते हैं।

अमेरिका में अब तक 230 मौतें

महामारी विशेषज्ञ एश्ले ट्यूट कहती हैं- इस रिसर्च का उद्देश्य यह समझने में मदद करना है कि व्यवहार बदलने या गतिविधियां रोकने की जरूरत क्यों है। कई देशों ने दिखाया है कि एक मजबूत प्रतिक्रिया महामारी के चक्र को तोड़ सकती है। अमेरिका में 19000 संक्रमित हैं। 230 मौतें भी हो चुकी हैं।



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प्रतीकात्मक तस्वीर।


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सिडनी/न्यूयॉर्क (साथ में विशेष इनपुट: द न्यूयॉर्क टाइम्स से अनुबंध के तहत).दुनियाभर में कोरोनावायरस का खतरा लगातार बढ़ रहा है। लोगों के मन में कई तरह के भय और भ्रम हैं। मन में कई तरह के सवाल हैं। ऐसे में हमने डॉ. जॉन और डॉ. विलियम से समझा कि आखिर इस परेशानी से हमें कब तक छुटकारा मिल सकता है। साथ ही यह कैसे हमारे शरीर को बीमार करता है, इसका हमारे शरीर के अंगों पर कैसा प्रभाव पड़ता है। ये दोनों ही इस समय कोरोनावायरस के संक्रमण और इसके असर को समझाने वाले दुनिया के प्रमुख विशेषज्ञ हैं।

दुनिया के सामने बड़ा सवाल है कि आखिर कोरोना वायरस से संक्रमण के नए मामले आना कब रुकेंगे? भास्कर ने इसका जवाब ऑस्ट्रेलिया में डॉक्टरों के बड़े संगठन रॉयल ऑस्ट्रेलेशन कॉलेज ऑफ फिजिशियन के प्रेसिडेंट इलेक्ट और मशहूर श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. जॉन विल्सन से जानने की कोशिश की। डॉ. विल्सन बताते हैं कि रोज कितने नए केस सामने आ रहे हैं,यह बात उस देश की स्वास्थ्य सेवाओं और जिम्मेदारों के प्रयास पर निर्भर करती हैं। मौजूदा आंकड़ों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जून माह के शुरुआत में दुनियाभर में नए केस सामने आने की संख्या में कमी आनी शुरू हो सकती है। डॉ. विल्सन कहते हैं कि अच्छी बात यह है कि वायरस की संरचना को वैज्ञानिकों ने समझ लिया है, इसीलिए इसके टीके बनाने के शुरुआती परिणाम सकारात्मक रहे हैं।

संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ और अमेरिका की वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन डॉ. विलियम शैफनर कहते हैं कि यह वायरस खतरनाक है,क्योंकि इसका जेनेटिक मटैरियल कोशिकाओं के मेटाबॉलिज्म को हाइजैक करता है। वोकोशिकाओं को संक्रमित करके खुद की संख्या बढ़ाते हैं। डॉ. शैफनर कहते हैं कि संक्रमण की अफवाहों को लेकर परेशान नहीं होना है। अगर सूखी खांसी, बुखार जैसे लक्षण नहीं हैं तो डरकर जांच कराने की जरूरत नहीं है।

8 चरणों में कोरोना का हमला, कैसे हर एक सांस चुनौती बन जाती है?

1.किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से छोटी बूंदों के माध्यम से वायरस दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। सामान्य व्यक्ति की नाक, मुंह या आंखों से वायरस उसके शरीर में पहुंच जाता है। यहां से वायरस सीधे नैसल पैसेज (नाक का रास्ता) के पीछे और गले के पीछे की म्यूकस मेम्ब्रेन में पहुंचता है।

2.यहां वायरस खुद को कोशिकाओं से जोड़ लेते हैं। कोरोना के कण नुकीले होते हैं। इनकी सतह से प्रोटीन निकला होता है, जो कोशिकाओं की झिल्ली से चिपक जाता है।

3. वायरस जेनेटिक मटैरियल कोशिका में प्रवेश कर जाता है। कोशिकाएं अब सामान्य तरह से काम नहीं कर पातीं। उसके मेटाबॉलिज्म पर अतिक्रमण हो जाता है। संक्रमित कोशिकाओं की मदद से वायरस की संख्या बढ़ने लगती है। ज्यादा कोशिकाएं संक्रमित होने लगती हैं। शरीर कोरोना फैक्ट्री बन जाता है।

4.यहीं से संक्रमित व्यक्ति का गला खराब होता है और उसे सूखी खांसी शुरू हो जाती है। यह कोरोना से संक्रमित व्यक्ति का सबसे पहला लक्षण हैं। यह कई बार हल्के होते हैं।

5.अब वायरस श्वास नली में प्रवेश करता है। यहां से फेफड़े की चिकनी झिल्ली में सूजन शुरू हो जाती है। इस स्थिति में आते-आते कई बार मरीज को दर्द होने लगता है। उसे अपने लक्षण ज्यादा स्पष्ट पता लगते हैं।

6. फेफड़े की थैली (जिसमें हवा रहती है) नष्ट होने लगती है। इससे फेफड़ों को काम करने में परेशानी शुरू हो जाती है। रक्त में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड निकालने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

7.सूजन बढ़ने, ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने से फेफड़े के हिस्से में द्रव, पस और मृत कोशिकाएं जमा होने लगती हैं। इससे निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।

8. कई मरीजों में खतरा इतना बढ़ता है कि वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। एक्यूट रेस्पायरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो जाता है। इसमें फेफड़ों में इतना द्रव जमा हो जाता है कि सांस लेना नामुमकिन हो जाता है। मरीज की मौत हो जाती है।



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डॉ. विलियम शैफनर और डॉ. जॉन विल्सन।


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दिल्ली.22 जनवरी 2020 को पूरी दुनिया में कोराेनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या महज 580 थी। 6 मार्च को यह आंकड़ा 1,02,050 पर पहुंच गया। अगले 12 दिनों में यानी 18 मार्च को संक्रमित लोगों की संख्या दुनिया भर में 2 लाख के पार पहुंच गई। साफ है कि लोगों के मेलजोल ने कोरोना संक्रमण की रफ्तार को बेहद तेज कर दिया। ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नाइल्स बेकर ने अपनी किताब ‘माॅडलिंग टू इंफाॅर्म इंफेक्शियस डिसीज कंट्रोल’ में इस बीमारी से लड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को सबसे बड़ा हथियार बताया है। उन्होंने दावा किया है कि यदि 25 फीसदी लोग भी मेलजोल आधा कर दें तो संक्रमण को 81 फीसदीतक कम किया जा सकता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और राेकथाम केंद्र ने 50 या उससे ज्यादा लोगों के एकत्रित होने पर अगले आठ सप्ताह तक रोक लगाने की अनुशंसा की है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 22 मार्च को लोगों से घरों से बाहर न निकलने की अपील की है, इसे जनता कर्फ्यू का नाम दिया गया है।

एक रिपोर्ट के अनुसार 25 प्रतिशत कोरोना संक्रमण के मामलों में लोगों को यह पता ही नहीं था कि वे इसकी चपेट में हैं। ऐसे लोगों ने अनजाने में ही दूसरों को संक्रमित कर दिया। बच्चों के मामले में यह और भी चिंताजनक है, क्योंकि बड़ों की तुलना में उनमें इसके लक्षण बहुत देर से नजर आते हैं। लोगों के संपर्क में आकर होने वाले संक्रमण से बचने के लिए सामूहिक आयोजन, कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं रद्द कर दी गई हैं। आइए जानते हैं वास्तव में सोशल डिस्टेंसिंग किस तरह फायदेमंद है।

पीड़ित लोग अनजाने में दूसरों को भी संक्रमित कर रहे हैं

  • 25% कोरोना संक्रमण के मामलों में लोगों को यह पता ही नहीं था कि वे इसकी चपेट में हैं। ऐसे लोग अनजाने में दूसरों को संक्रमित कर रहे हैं। यह दावा ब्रिटेन के सेंटर फॉर मैथेमेटिकल मॉडलिंग ऑफ इन्फेक्शियस डिसीज ने किया है।
  • कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति औसतन 3.3 लोगों को संक्रमित कर रहा है। इस संख्या को वायरस का रीप्रोडक्टिव नंबर भी कहते हैं।
  • यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के महामारियों के विशेषज्ञ डॉ. जेफ मार्टिन कहते हैं कि ये रीप्रोडक्टिव नंबर जैसे-जैसे बढ़ेगा, बीमारी उतनी ही तेजी से फैलेगी।

बीमारी बढ़ने के 4 कारण, दो पर हम रोक लगा सकते हैं

डॉ. जेफ मार्टिन कहते हैं कि ऐसे वायरस से संक्रमण के चार कारण होते हैं। पहला- वायरस कितना अधिक संक्रमित कर सकता है, दूसरा- लोगों को इससे कितनी जल्दी संक्रमण हो सकता है, तीसरा- लोग आपस में कितना मिल रहे हैं और चौथा- लोग कितनी देर तक आपस में मिल रहे हैं। ऐसे में पहले दो कारण तो वायरस के स्वभाव पर निर्भर करते हैं, लेकिन अंतिम दो कारणों को हम लोगों से मिलना-जुलना कम करके खत्म कर सकते हैं।

मजबूरी में बाहर किसी से मिलें तो एक मीटर की दूरी रखें
कोरोनावायरस के आने के बाद सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चित शब्दों में से एक है ‘सोशल डिस्टेंसिंग’। सामान्य शब्दों में इसका अर्थ है किसी बीमारी को फैलने से रोकने के लिए स्वस्थ और अस्वस्थ व्यक्ति के बीच संपर्क की आशंका को कम करना।

सोशल डिस्टेंसिंग में व्यक्ति से 3 से 6 फीट दूरी बनाए रखने की सलाह दी जाती है। डब्ल्यूएचओ ने एक मीटर दूरी बनाए रखने को कहा है।

घर में कैद रहना, किसी को आने-जाने ना देना सोशल डिस्टेंसिंग नहीं है

1. घर में हमेशा बंद रहना
सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब घर में बंद रहना नहीं, बल्कि अन्य लोगों से निर्धारित दूरी बनाए रखना है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यात्रा करने से बचें जब तक आवश्यक न हो, यात्रा न करें। घर से ही काम करें और सामाजिक समारोह में न जाएं। जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के डॉ. गेरार्डो चाॅवेल के अनुसार, लोग जितना आपसी संपर्क घटाएंगे, वायरस का संक्रमण उतना कम होगा।
2. घर पर किसी को न आने देना

यह निर्भर करता है कि आपके परिवार के सदस्य कौन हैं और कितने स्वस्थ हैं। दो पहलुओं का ध्यान रखना है। पहला: जो सदस्य घर आ रहे हैं, वे बीमार न हों या उन्हें संक्रमण का खतरा/संभावना न हो। दूसरा: वह वृद्ध न हों। अगर परिवार के युवा और स्वस्थ सदस्य आना चाहते हैं तो इसमें कोई समस्या नहीं है। यह ध्यान रखें की गैदरिंग छोटी ही हो।

3. बच्चों को खेलने न देना
फिलहाल आउटडोर एक्टिविटी से बचना चाहिए। हॉर्वर्ड मेडिकल स्कूल की मनोवैज्ञानिक डॉ. नेहा चौधरी कहती हैं, यह ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चे अधिक ट्रैफिक या भीड़भाड़ वाले इलाके में खेलने न जाएं। फिर भी अगर बच्चे जाना चाहते हैं तो खुली और साफ जगह पर भेजें। बच्चे बार-बार हाथों से चेहरे को छूते हैंइसलिए उन्हें हैंड सैनेटाइजर जरूर दें।

4. बाजार न जाना
बाजार जाएं, लेकिन जरूरत का सारा सामान खरीद लें, ताकि बार-बार जाने की आवश्यकता ना पड़े। जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. केटलिन रिवर्स के अनुसार, शॉपिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल करना भी हानिकारक हो सकता है। हैंड सैनेटाइजर साथ रखें और घर आकर साबुन या हैंडवॉश से हाथ जरूर धोएं। वृद्ध शॉपिंग से बचें।

बड़ा उदाहरण :समझिए घर में रहना कितना जरूरी है

केस-1 :ऐसा करना खतरनाक
1918 में फैली महामारी के दौरान अमेरिका के फिलाडेल्फिया शहर के हेल्थ कमिश्नर विल्मर क्रूसेन ने 28 सितंबर को परेड की इजाजत दे दी। इसके बाद संक्रमण तेजी से फैला। 12 हजार के करीब मौतेंहुईं।

केस-2:ऐसा करना फायदेमंद

इसी समय अमेरिका के सेंट लुइस शहर में हेल्थ कमिश्नर मैक्स स्टार्कलॉफ ने विरोध के बावजूद स्कूल, सिनेमा और खेल आयोजनों को बंद कर दिया था। संक्रमण कम हुआ, करीब 1700 लोगों की मौत हुई।

बच्चे और सोशल डिस्टेंसिंग: 13% बच्चों को कोरोना था, पर लक्षण दिखे ही नहीं

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के एक अध्ययन के मुताबिक, चीन में जिन 2143 छोटे बच्चों में कोरोनावायरस पाया गया, उनमें 13 फीसदी में इसके लक्षण ही नजर नहीं आए थे। यानी छोटे बच्चों में सोशल डिस्टेंसिंग और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि उनके वायरस के संक्रमित होने पर हो सकता है कि लक्षण समझ ही न आएं।बच्चों को खेलने ले जाने या रिश्तेदारों के घर भेजने में सावधानी बरतना जरूरी है। इस दौरान उनके सैनेटाइजेशन और साफ-सफाई पर विशेष जोर दें।

खतरे को समझिए

पहली स्थिति : अगर सामान्य मेलजोल जारी रहे तो

एक संक्रमित व्यक्ति अगर सामान्य सामाजिक मेलजोल रखता है तो 5 दिन में 2.5 लोगों को बीमारी दे सकता है, जिससे इसी दर पर 30 दिन में 406 लोग संक्रमित हो सकते हैं।

दूसरी स्थिति : 50% कम मेलजोल यानी एक व्यक्ति से 15 लोग बीमार

तीसरी स्थिति :75% कम मेलजोल यानी एक व्यक्ति से 2.5 लोग बीमार



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थाईलैंड के अस्पताल की लिफ्ट में कुछ इस तरह दिखे लोग।


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नई दिल्ली.कोरोनावायरस के संपर्क में आने वाले 80% से ज्यादा लोग मामूली तौर पर ही बीमार पड़े। करीब 14% गंभीर रूप से बीमार पड़े और महज 5% लोग अति गंभीर श्रेणी में पाए गए। हालांकि, संक्रमण से सबसे ज्यादा खतरा गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को है। यह खुलासा चीन में कोरोनावायरस के मरीजों के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद किया गया।

13% बच्चों में संक्रमण मिला, 6% ही गंभीर रूप से बीमार पड़े

चाइनीज सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमित 72,314 लोगों के डेटा का विश्लेषण किया है। मेडिकल जर्नल पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि चीन में बच्चों के 2143 केसों में 13% ही पॉजिटिव मिले, लेकिन इनमें सिर्फ 6% बच्चे ही गंभीर रूप से बीमार पड़े। विशेषज्ञों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भले ही युवाओं पर वायरस का असर कम है, लेकिन इसके खतरों को गंभीरता से लेना होगा।

पुरुषों की मौत दोगुना ज्यादा

44,672 संक्रमित लोगों के विश्लेषण से पता चला है कि महिला-पुरुष के संक्रमित होने के समान मौके हैं। इनमें 51.4% पुरुष और 48.6% महिला हैं। लेकिन, मृतकों में 63.8% पुरुष और 36.2% महिला हैं।

इटली, चीन में बीमारी का पैटर्न एक जैसा

चीन और इटली में संक्रमण का एक जैसा पैटर्न दिख रहाहै। इटली में वायरस से मरने वालों की औसत आयु 80.5 और संक्रमित लोगों की 63 वर्ष है। हालांकि, फ्रांस में वायरस से संक्रमित आधे से ज्यादा 60 साल से कम के हैं। इस ट्रेंड से दुनिया सकते में है।



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ट्रेन में पैसेंजर की स्क्रीनिंग करते हुए


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जयपुर.कोरोनावायरस के चलते राजस्थान के इतिहास में पहली बार लॉकडाउन किया गया है। दवा, किराना, मीडिया और चिकित्सा जैसी जरूरी सेवाएं छोड़कर सबकुछ बंद रहेगा। ऐसा भी पहली बार हो रहा है, जब किसी महामारी की वजह से लॉकडाउन किया गया है। दुनिया में सबसे पहला लॉकडाउन अमेरिका ने 9/11 आतंकी हमले के बाद तीन दिन के लिए किया था। इसके बाद 2013 को बोस्टन को आतंकियों की खोज के लिए लॉकडाउन किया गया था। नवंबर 2015 में पेरिस हमले के बाद संदिग्धों को पकड़ने के लिए ब्रुसेल्स लॉकडाउन किया गया था।

लॉकडाउन क्या है?

  • लॉकडाउन वहव्यवस्था है, जो महामारीया किसी आपदा के वक्त शहर में सरकारी तौर पर लागू होती है।
  • लॉकडाउन में उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती, उन्हें सिर्फ दवा या अनाज जैसी जरूरी चीजों के लिए बाहर आने की इजाजत मिलती है।बैंक से पैसा निकालने भी जा सकते हैं।

लॉकडाउन का असर 5 सवालों से समझें

1. मेरी राेजमर्रा की जरूरताें का क्या हाेगा, क्या उपलब्ध होंगी?
जवाब-
सब्जी, दूध, दवाएं आदि राेज काम आने वाली जरूरी वस्तुएं इस लाॅकडाउन से बाहर रहेंगी।

2. मैं पार्क में वाॅक कर सकूंगा और दूसरे रोजमर्रा केकाम?
जवाब- यह लाॅकडाउन आपकी जिंदगी काे अधिक सुरक्षित बनाने के लिए है। आप घर से बाहर जाएंगे ताे दूसराें के संपर्क में आजाएंगे, जाे आपकी सेहत के लिए जानलेवा भी हाे सकता है। लाॅकडाउन इसीलिए है। अति आवश्यक हाेने पर ही आपकाे अपने घर से बाहर निकलना हाेगा।

3. क्या मैं अपने वाहन से बाहर जा सकूंगा?
जवाब- लाॅकडाउन का मतलब ही यही है कि आप अपनी चार दीवारी में सीमित हाे जाएं। हां, किसी आवश्यक काम जैसे मेडिकल इमरजेंसी में एंबुलेंस की सेवाएं ली जा सकती हैं। काेई अन्य आपातकाल हाे ताे आपकाे सुरक्षा-व्यवस्था से जुड़े प्रशासन के लाेगाें से मदद लेनी हाेगी।

4. परिवार में वैवाहिक कार्यक्रमाें का क्या हाेगा?
जवाब- अभी काेराेनावायरस से वैसे ही हालात खराब हैं। ऐसे में किसी भी सामूहिक सामाजिक कार्यक्रम के आयाेजन की अनुमति ही नहीं है। आवश्यक ही हाे ताे इसकी मंजूरी स्थानीय प्रशासन से लेनी हाेगी।

5. क्या लाॅकडाउन में सरकारी और प्राइवेट संस्थान बंद हैं?
जवाब- सब बंद हैं। सिर्फ जरूरी सेवाओंसे जुड़े विभाग के ऑफिस ही खुले रहेंगे।



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जयपुर में कोरोना के चलते बाजार बंद हैं।


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वॉशिंगटन.दुनिया के 183 देश इस वक्त कोरोनावायरस की चपेट में हैं,लेकिन वैज्ञानिकों ने इसकीपॉजिटिव साइड इफेक्ट भी खोज निकाला है। प्रदूषण कम होने के कारण चीन में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का स्तर काफी कम हुआ है। आसमान साफ दिखने लगा है। इटली में वेनिस की नहरों का पानी भी साफ हो गया है। अमेरिका में भी प्रदूषण का स्तर गिरा है। संक्रमण को रोकने के लिए चीन में औद्योगिक गतिविधियां अस्थाई तौर पर रुक गई हैं।

एक महीने में चीन में कच्चे तेल और कोयले की खपत भी 36% घटी है। साथ ही चीन में फरवरी में कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन 20 करोड़ टन कम हुआ है, जो बीते साल से 25% कम है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्शल बर्क ने बताया है कि चीन में बीते 100 दिनों में कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन की वजह से करीब 50 से 75 हजार लोग प्री-मैच्योर मौत (समय से पहले) से बच गए।

अमेरिका में ट्रैफिक घटा, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 10% कम

कोरोना संक्रमण फैलने के बाद अमेरिका के कई शहरों में भी औद्योगिक गतिविधियां कम हुई हैं। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार अकेले न्यूयॉर्क शहर में ट्रैफिक 25% घटा है। कार्बन मोनोऑक्साइड 50% और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 10% घटा है। एशिया, उत्तरी अमेरिका और यूरोप को मिला लें तो दुनिया का 88% कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन यहीं से हो जाता है। आवर वर्ल्ड इन डेटा की रिपोर्ट के अनुसार, चीन और अमेरिका मिलकर दुनिया का 42% कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करते हैं।

10 साल में पहली बार साफ दिखा मुंबई का आसमान

भारत में भी प्रदूषण कम हुआ है। कोरोना से सुरक्षा के मद्देनजर ज्यादार लोग घरों में कैद हैं। कर्मचारी घरों में रहकर काम कर रहे हैं। ऐसे में मुंबई में आसमान और हवा साफ होने लगी है। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा- 10 साल में पहली बार आसमान साफ दिखाई दिया।



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यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा ने सैटेलाइट इमेज के जरिए जनवरी में दुनिया के प्रमुख शहरों के वातावरण में घातक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन दिखाया था।
जनवरी में उत्तरी इटली में नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर काफी ज्यादा था जबकि मार्च में यह पूरी तरह गायब हो गया।


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नई दिल्ली (पवन कुमार).विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार कह रहा है कि कोरोना‌वायरसके संक्रमण को रोकने के लिए अधिक से अधिक लोगों में संक्रमण की जांच होनी चाहिए,लेकिन हमारी सरकार का मानना है कि जरूरत से ज्यादा जांच करने से लोगों में दहशत होगी और यह गैर जरूरी है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि हर व्यक्ति जिसको सर्दी, खांसी और जुकाम है उसे फिलहाल जांच कराने की जरूरत नहीं है। विदेश से आए ऐसे लोग जिनमेंइसका लक्षण मिल रहा है, उसे 14 दिन अलग रखना और जांच करना अनिवार्य है। किसी कोरोनावायरस मरीज के संपर्क में आने वाला व्यक्ति, जिसमें लक्षण दिखे उसकी जांच को अनिवार्य किया गया है। इसके बाद ऐसेलोग जो संक्रमितमरीजों के इलाज और प्रबंधन में लगे हैं, उनमें यदि लक्षण देखा जाता तो उनकी जांच को अनिवार्य किया गया है।

14 हजार 811 लोगों को सैंपल जांचे गए

आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. आर. गंगाखेड़कर ने भास्कर को बताया कि 20 मार्च की शाम छह बजे तक देश मेें कुल 15 हजार 701 नमूनों की जांच गए। जिसमें 14 हजार 811 लोग शामिल थे। (कुछ मरीज ऐसे थे जिनके नमूने को दो बार जांचा गया)। इतनी संख्या में जांच होने के बाद भी भारत में अभी तक मरीजों की संख्या 270 ही है। ऐसी स्थिति में सभी लोग जिनमें फ्लू की वजह से सर्दी-खांसी-जुकाम है सबकी जांच संभव नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि प्राथमिकता यह है कि जो भी लोग संक्रमित मरीज के संपर्क में आए हैं उनकी जांच की जाए।

स्रोत: स्थिति 21 मार्च सुबह 10 बजे तक।
आंकड़े विभिन्न देशों की हेल्थ मिनिस्ट्री वेबसाइट्स, मीडिया रिपोर्ट्स और डब्ल्यूएचओ पर आधारित

65 हजार से ज्यादा लोगों पर सर्विलांस

अभी देश में करीब 5500 लोगों (शुक्रवार तक) को क्वारेंटाइन में रखा गया है। 65 हजार से ज्यादा लोगों पर सर्विलांस किया जा रहा है। इन लोगों में यदि बीमारी का लक्षण दिखता है तो इनकी जांच को प्राथमिकता दी जाएगी। नमूनों की जांच की क्षमता बढ़ाई जा रही है। 121 सरकारी लैब में जांच की व्यवस्था की गई है। सभी में औसत हर दिन 90 जांच और जरुरत पड़नेे पर क्षमता दोगुनी की जा सकती है। इसके अलावा 10 जगहों पर ऐसी मशीन लगाने की व्यवस्था कर ली गई है जहां रोज एक लैब में 1400 नमूनों की जांच की क्षमता होगी।



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20 मार्च की शाम छह बजे तक देश मेें कुल 15 हजार 701 नमूनों की जांच हुई ।


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