मोगा. मोगा में पंजाब पुलिस के हेड कांस्टेबल ने पत्नी और 3 ससुराल वालों की हत्या कर दी। घटना का कारणघरेलू विवाद बताया जा रहा है। घटना को रविवार सुबह करीब 6 बजे अंजाम दिया गया। पत्नी, सास, साले और साले की पत्नी की मौत हो चुकी है। जबकि साले की 10 साल की बच्ची घायल है। वारदात में पुलिस विभाग भी घिरता नजर आ रहा है। शनिवार शाम आरोपीका ससुराल में विवाद हुआ था। इस पर धर्मकोट पुलिस उसे हिरासत में लेकर चली गई थी। इसके बाद सुबह आकर आरोपीने एके-47 से वारदात को अंजाम दिया। बाद में उसने पुलिस को सरेंडर कर दिया।
मामला धर्मकोट के गांव जलालपुर का है। आरोपी कुलविंदर सिंह मोगा पुलिस लाइन में हेड कांस्टेबल के रूप मेंतैनात है। वह पुलिस के दंगाविरोधी दल को लीडकरता है। उसका पत्नी राजविंदर कौर के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा था। झगड़े के बाद पत्नी मायके चली जाती थी। इस बात को लेकर कुलविंदर मायके पक्ष के लोगों से भी बेहद खफा था। शनिवारदेर शाम उसका पत्नी और ससुराल वालों से झगड़ा हुआ था। पुलिस उस समय आरोपी को थाना धर्मकोट साथ ले गई थी। रविवार को मौका पाते ही सुबह वह ससुराल पहुंचा।
3 लोगोंने मौके पर तोड़ा दम
आरोपी नेससुराल पहुंचते ही सरकारी एके- 47 राइफल निकालीऔर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।घटना में पत्नी राजविंदर कौर, साला जसकरण सिंह और साले की पत्नी इंद्रजीत कौर की मौके पर ही मौत हो गई। 65 वर्षीय सास सुखविंदर कौर को गंभीर अवस्था में मोगा के सिविल अस्पताल में लाया गया था। यहां उपचार के दौरान उसकी भी मौत हो गई।
4 ने पड़ोसियों के घर मेंछिपकर जानबचाई
घटना मेंसाले जसकरण सिंह की 10 साल की बेटी जश्नप्रीत कौर घायल हो गई।वहीं, ससुर, छोटे साले और मारे गए साले के 2 बच्चों ने भागकर पड़ोसियों के घर छिपकर जान बचाई।बच्ची जश्नप्रीत कौर काेमथुरादास सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जश्नप्रीत का कहनाहै कि उसके फूफा ने जमीन के विवाद के चलते घर में आकर सोते समय परिवार पर गोलियां चलाई हैं।
आरोपी की दूसरी पत्नी थी मृतक इंद्रजीत कौर
वारदात के बाद आरोपी कुलविंदर ने छत पर चढ़कर जोर से चीखने लगा।पुलिस के पहुंचने पर आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस के मुताबिक, प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इंद्रजीत कौर उसकी दूसरी पत्नी थी और विवाद के बाद बेटी को लेकर मायके में चली गई थी।
खेल डेस्क. आईपीएल का 13वां सीजन 29 मार्च से शुरू होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टूर्नामेंट की तैयारियों के लिए चेन्नई सुपरकिंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 1 मार्च को टीम के साथ जुड़ जाएंगे। धोनी पिछले साल हुए वनडे वर्ल्ड कप के बाद से पेशेवर क्रिकेट से दूर हैं। तब टीम इंडिया सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 9 जुलाई को हार गई थी। धोनी ने टूर्नामेंट के बाद क्रिकेट से ब्रेक ले लिया था।
आईपीएल के सूत्र के मुताबिक, ‘‘धोनी 1 मार्च को अभ्यास के लिए कैम्प में पहुंचेंगे। कुछ सप्ताह अभ्यास करने के बाद 4-5 दिन की छुट्टी लेंगे। वे आईपीएल शुरू होने से ठीक पहले टीम से जुड़ जाएंगे।’’ धोनी इससे पहले इतनी जल्दी टीम के साथ कभी नहीं जुड़े। पिछले कई सीजन में वे आईपीएल शुरू होने से ठीक पहले टीम के साथ जुड़ते थे। तब वे टीम इंडिया के साथ रहते थे।
चेन्नई के खिलाड़ी 4-5 प्रैक्टिस मैच खेलेंगे
धोनी वर्ल्ड कप के बाद सिर्फ एक बार प्रैक्टिस करते नजर आए थे। वे 16 जनवरी को रांची में अभ्यास करते दिखे थे। वे 29 फरवरी को चेन्नई पहुंचेंगे। 1 मार्च से होने वाले कैम्प में टीम के 24 में से 15-16 खिलाड़ी शामिल होंगे। बाकी खिलाड़ी मार्च के दूसरे सप्ताह में कैम्प में पहुंचेंगे। खिलाड़ियों के बीच 3-4 प्रैक्टिस मैच भी खेले जाएंगे। इस दौरान प्रशंसकों को स्टेडियम में एंट्री मिलेगी। चेन्नई का पहला मैच 29 मार्च को मुंबई से होगा।
अहमदाबाद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने समाज में बढ़ती हिंसा और असंतुष्टि पर चिंता जताई है। भागवत ने कहा कि तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बढ़ रहा है। मिल मालिक, मजदूर, सरकार, जनता, छात्र और शिक्षक हर कोई आंदोलन कर रहा है।
‘हर जगह कलह चल रही है’
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘दुनिया इतनी पास आई कि पास आते-आते दुनिया ने दो विश्वयुद्ध कर डाले और तीसरे का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा कहते हैं कि एक अलग रूप में तीसरा महायुद्ध चल रहा है। यहां-वहां हर जगह मार-काट चल रही है। कौन सुखी है? कोई सुखी नहीं है। हर कोई आंदोलन कर रहा है। मिल मालिक, मजदूर, मालिक-सेवक आंदोलन कर रहे हैं। सरकार आंदोलन कर रही है तो जनता भी आंदोलन कर रही है। छात्रों और शिक्षकों का भी आंदोलन है। सभी दुखी, असंतुष्ट हैं और सभी में कलह चल रही है। विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली, लोग इतने निकट आ गए, लेकिन न तो कट्टरता कम हुई और न ही हिंसा। उग्रवादियों का संकट खत्म होने के बजाय बढ़ता जा रहा है।’’
अहमदाबाद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने समाज में बढ़ती हिंसा और असंतुष्टि पर चिंता जताई है। भागवत ने कहा कि तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा बढ़ रहा है। मिल मालिक, मजदूर, सरकार, जनता, छात्र और शिक्षक हर कोई आंदोलन कर रहा है।
‘हर जगह कलह चल रही है’
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘दुनिया इतनी पास आई कि पास आते-आते दुनिया ने दो विश्वयुद्ध कर डाले और तीसरे का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा कहते हैं कि एक अलग रूप में तीसरा महायुद्ध चल रहा है। यहां-वहां हर जगह मार-काट चल रही है। कौन सुखी है? कोई सुखी नहीं है। हर कोई आंदोलन कर रहा है। मिल मालिक, मजदूर, मालिक-सेवक आंदोलन कर रहे हैं। सरकार आंदोलन कर रही है तो जनता भी आंदोलन कर रही है। छात्रों और शिक्षकों का भी आंदोलन है। सभी दुखी, असंतुष्ट हैं और सभी में कलह चल रही है। विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली, लोग इतने निकट आ गए, लेकिन न तो कट्टरता कम हुई और न ही हिंसा। उग्रवादियों का संकट खत्म होने के बजाय बढ़ता जा रहा है।’’
from Dainik Bhaskar /national/news/bhagwat-said-the-danger-of-third-world-war-increased-mill-owners-laborers-government-public-students-and-teachers-are-all-agitating-126767494.html
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खेल डेस्क. एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एकेएफआई) ने पाकिस्तान को पत्र लिखकर कहा कि हमने सर्कल कबड्डी वर्ल्ड कप के लिए कोई टीम नहीं भेजी। जो टीम लाहौर गई, वह आधिकारिक नहीं है। उसे भारत के नामऔर तिरंगे के साथ खेलने की अनुमति नहीं है। इस टीम के खिलाफ खेल मंत्रालय की जांच चल रही है। लिहाजा, टीम को पाकिस्तान के साथ होने वाला टूर्नामेंट का फाइनल नहीं खेलने दिया जाए। दरअसल, भारतीय टीम बगैर किसी को सूचना दिए 7 फरवरी को वाघा बॉर्डर के रास्ते लाहौर पहुंचीथी। टीम के लाहौर पहुंचने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
भारतीय टीम में करीब 45 खिलाड़ी, 12 अधिकारी और कोच शामिल हैं। 8 फरवरी को खेल मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था, ‘‘पाकिस्तान जाने के लिए किसी ने भी कबड्डी खिलाड़ियों को अनुमति नहीं दी। खिलाड़ियों को वीजा देने में हमारी कोई भूमिका नहीं है। हम कबड्डी फेडरेशन से बात करेंगे कि उन्होंने इस दौरे की सूचना पहले संबंधित विभाग या मंत्रालय को दी या नहीं।’’
‘किसी टीम या खिलाड़ी को पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं’
एकेएफआई ने पत्र में पाकिस्तान से कहा, ‘‘हमने किसी भी कबड्डी टीम को पाकिस्तान जाने और टूर्नामेंट के लिए की अनुमति नहीं दी। पाकिस्तान फेडरेशन भी अनाधिकृत टीम को जर्सी या ट्रैक सूट पर भारतीय नाम का इस्तेमान करने की अनुमति न दे।’’
इस वर्ल्ड कप को एकेएफआई की मान्यता नहीं
पत्र में कहा, ‘‘एकेएफआई को पाकिस्तान में हो रहे कबड्डी वर्ल्ड कप की कोई जानकारी नहीं थी,न ही इस टूर्नामेंट के संबंध में पाकिस्तान ने हमें कोई आधिकारिक न्योता दिया था। वैसे भी यह कबड्डी वर्ल्ड कप एकेएफआई द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। इसमें कोई भी भारतीय खिलाड़ी या टीम बगैर मान्यता के शामिल नहीं हो सकता।’’इंटरनेशनल कबड्डी फेडरेशन (आईकेएफ) के अध्यक्ष जनार्दनसिंह गहलोत ने 11 फरवरी को कहा था कि यह वर्ल्ड कप अपेक्स बॉडी द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है।
सर्कल कबड्डी तय मानकों से अलग
पाकिस्तान में आयोजित सर्कल कबड्डी वर्ल्ड कप है, जो कबड्डी मानकों से अलग है। यह एशियाई खेलों का एक हिस्सा है। तय मानकों के मुताबिक, एक कबड्डी टीम में 80 किलो वजन के 7 खिलाड़ी होते हैं, जबकि सर्कल कबड्डी में वजन का कोई प्रतिबंध नहीं है। साथ ही इस टूर्नामेंट में एक टीम में 8 खिलाड़ी खेलते हैं। इसके अलावा खेल का मैदान भी गोलाकार ही रखा जाता है।
नई दिल्ली. जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में दो महीने पहले नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई का एक वीडियो सामने आया है। जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की ओर से रिलीज किए गए इस वीडियो को यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी का बताया जा रहा है। 49 सेकंड की क्लिप में दिल्ली पुलिस के जवान लाइब्रेरी में बैठे बच्चों पर लाठीचार्ज करते दिख रहे हैं।
एक व्यक्ति को पुलिस के लाइब्रेरी में घुसने से पहले ही टेबल के पीछे छिपते देखा जा सकता है। पुलिस के कुछ जवान उसको पीटते हैं और फिर पढ़ाई कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज करते हैं। इस दौरान स्टूडेंट्स लाइब्रेरी से बाहर भागते हुए देखे जा सकते हैं।
15 दिसंबर को जामिया यूनिवर्सिटी में हुआ था हिंसक प्रदर्शन
दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के पास उपद्रवी भीड़ ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 8 वाहन फूंक दिए और पथराव किया। उपद्रवियों काे खदेड़ते हुए पुलिस यूनिवर्सिटी में घुस गई। लाइब्रेरी और बाथरूम में घुसकर तोड़फोड़ और लाठीचार्ज कर छात्रों को बाहर निकाला। पुलिस का कहना था कि कुछ उपद्रवी कैम्पस में दाखिल हो गए थे, जिनके पीछे पुलिस गई। बल प्रयोग में करीब 100 से अधिक छात्र जख्मी हुए थे। 52 छात्रों को हिरासत में लिया गया था। हालांकि, प्रदर्शन के बाद सभी छात्रों को छोड़ दिया गया।
कुलपति ने कहा था- पुलिस के खिलाफ एफआईआर कराएंगे
जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने घटना के बाद कहा था कि पुलिस बिना इजाजत कैम्पस में घुसी और मासूम छात्रों को पीटा। हमारी एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई। जरूरत पड़ी तो हम इस मामले में हाईकोर्ट जाएंगे। हालांकि, कुलपति के इस जवाब पर छात्रों ने नारेबाजी की और कहा था कि हमें आपकी बात पर भरोसा नहीं है।
नई दिल्ली/बीजिंग. चीन में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 1667 हो गई है। वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत में शनिवार को 139 मौतें दर्ज की गई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग नेरविवार कोबताया कि हुबेई में एक दिन में 1843 नए मामले सामने आए हैं। हुबेई प्रांत में कोरोनावायरस के नए मामलों में लगातार तीसरेदिन कमी दर्ज की गई है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग नेबताया कि हुबेई प्रांत के बाहर वाले इलाकों में शनिवार तक कोरोनावायरस के 166 मामले दर्ज किए गए। 31 प्रांतीय स्तर के क्षेत्रों में वायरस के 2009 नए मामलों की पुष्टि की गई है, जिसमें 1843 मामले हुबेई प्रांत के हैं।
कोरोनावायरस का पहला मामला दिसंबर में सामने आया
कोरोनावायरस का मामला सबसे पहले पिछले साल दिसंबर में हुबेई प्रांत में सामने आया था। अब तक यहां सबसे ज्यादा 1596 लोगों की मौत हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस एडहोनम ग्रेबिसिएस ने कहा कि हमने चीन से इस बारे में जानकारी मांगी है कि महामारी का निदान कैसे किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस का आधिकारिक नाम कोविड-19 रखा है।
वायरस के कारण चीन से बाहर 3 मौतें दर्ज
कोरोनावायरस की चपेट में आकर एशिया के बाहर पहली मौत फ्रांस में हुई है। एक चीनी पर्यटक की शुक्रवार को मौत हो गई। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री एग्नेस बुजिन ने शनिवार को कहा-पीड़ित एक 80 साल का पर्यटक था, जो चीन के हुबेई प्रांत से आया था। इससे पहले वायरस के कारण चीन से बाहर केवल तीन मौतें दर्ज की गई हैं, जो कि हॉन्गकॉन्ग, जापान और फिलीपींस में हुई थीं। फ्रांस में अब तक कोरोनावायरस के कुल 11 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
नई दिल्ली/भोपाल.कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान के बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई है। उन्होंने वचन पत्र में जनता से किए वादे पूरे नहीं करने पर सड़क पर उतरने की बात कही थी। इसे लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। सवाल पूछे जाने पर कमलनाथ ने साफ कहा- तो उतर जाएं...। मुख्यमंत्री शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने सरकार परसिंधिया के हमलों को लेकर नाराजगी जाहिर की थी।
दिल्ली में समन्वय समिति की बैठक के बाद कमलनाथ ने कहा था- ''कांग्रेस का वचन पत्र 5 साल के लिए है, न कि 5 महीने के लिए। यानी वचन पत्र में जो भी वादे किए गए हैं वे पांच साल में पूरे कर लिए जाएंगे। वचन पत्र के वादों को पूरा करने को लेकर पार्टी अध्यक्ष से चर्चा की है।'' वहीं, प्रदेश के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने एक समारोह में कहा था कि धन की कमी के कारण वचन पत्र में शामिल कुछ वादे पूरे नहीं हो पाए। सिंधिया कांग्रेस के बड़े नेता हैं। उन्हें सड़कों पर उतरने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री से चर्चा कर सभी मुद्दे सुलझा लिए जाएंगे।
वचन पत्र का एक-एक वाक्य पूरा हो, नहीं तो सड़क पर उतरूंगा: सिंधिया
सिंधिया ने गुरुवार को टीकमगढ़ की सभा में कहा, ''मैंने चुनाव से पहले भी अतिथि शिक्षकों की मांग सुनी थी। मैं भरोसा देता हूं कि आपकी जो मांग हमारी सरकार के वचन पत्र में है, वो वचन पत्र हमारे लिए ग्रंथ है। इसका एक-एक वाक्य पूरा न हुआ तो खुद को सड़क पर अकेला मत समझना। आपके साथ सड़क पर सिंधिया भी उतरेगा। सरकार बने हुए एक साल हुआ है, थोड़ा सब्र हमारे शिक्षकों को रखना होगा। हमारी बारी आएगी, ये भरोसा आपको दिलाता हूं और अगर बारी न आए तो चिंता मत करो, मैं आपकी ढाल और तलवार बनूंगा।''
यह पहली बार नहीं है जब सिंधिया ने कमलनाथ सरकार पर टिप्पणी की है। वे पिछले साल जनसभाओं में कर्जमाफी और बाढ़ राहत सर्वे को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठा चुके हैं।
मप्र समन्वय समिति की बैठक से जल्दी चले गए सिंधिया
नई दिल्ली में शनिवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ के निवास पर बुलाई गई मप्र समन्वय समिति की बैठक से सिंधिया जल्दी उठकर चले गए। हालांकि,मप्र प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि उन्होंने मुझे पहले ही बता दिया था कि वह बैठक से कुछ और कार्यों की वजह से जल्दी चले जाएंगे। बावरिया ने कहा कि समन्वय समिति की बैठक में पार्टी नेताओं के बीच आपसी बयानबाजी को लेकर अनुशासन बनाने पर भी चर्चा हुई है। इसके साथ ही सरकार की एक साल के कार्य और निर्णय को लेकर जनता पर उसके असर और आगामी पंचायत चुनावों में कांग्रेस की रणनीति को लेकर चर्चा हुई।
from Dainik Bhaskar /mp/bhopal/news/jyotiraditya-scindia-kamal-nath-mp-chief-minister-on-congress-general-secretary-guest-teachers-vachan-patra-statement-126759868.html
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लखनऊ (विजय उपाध्याय).तीन ज्योतिर्लिंग (बाबा विश्वनाथ, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर) को जोड़ने वाली ‘काशी महाकाल एक्सप्रेस’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को हरी झंडी दिखाएंगे। यह हमसफर क्लास की विशेष ट्रेन होगी। यात्रियों को भक्तिमय माहौल मिले, इसलिए ट्रेन में भजन-कीर्तन बजेंगे। बोगी की गतिविधि पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी को ‘लाइन मॉनीटरिंग सिस्टम’ से जोड़ा गया है। ट्रेन में 9 एसी थ्री कोच, पैंट्री कार, दो ब्रेकवॉन कोच होंगे। यह देश की तीसरी निजी ट्रेन होगी, लेकिन इसमें क्रू मेंबर लड़कियां नही होगीं। हर बोगी में कॉफी और चाय की वेंडिंग मशीन होगी, जिसके लिए पैसे नहीं चुकाने होंगे।
इस ट्रेन के हर कोच में 5 सुरक्षाकर्मी तैनातहोंगे, कुल 1080 सीटें होंगी। न्यूनतम किराया 1629 रु. होगा।
ट्रेन हफ्ते में दो दिन मंगलवार और गुरुवार को वाराणसी से चलेगी। यह लखनऊ, कानपुर, बीना, भाेपाल, उज्जैन होते हुए इंदौर तक पहुंचेगी।
इंदौर से बुधवार और शुक्रवार को उज्जैन, भोपाल, बीना, कानपुर औरलखनऊ होकर वाराणसी जाएगी।
ट्रेन 82403 हर रविवार को वाराणसी से इलाहाबाद, कानपुर, बीना होते हुए इंदौर पहुंचेगी।
82404 हर सोमवार इंदौर, उज्जैन, संत हिरदाराम नगर, बीना, कानपुर, इलाहाबाद होकर वाराणसी पहुंचेगी।
70% सीटें पैक होने के बाद किराया 10%, 90% सीटें पैक होने पर 20% बढ़ेगा
आईआरसीटीसी ने इसके लिए बुकिंग शुरू कर दी है। ट्रेन में डायनाॅमिक फेयर रहेगा। यानी 70 फीसदी सीटें पैक होने के बाद प्रति सीट का किराया 10 फीसदी बढ़ेगा। 90% से ज्यादा सीटें पैक होने के बाद किराया 20% बढ़ेगा। हर यात्री का 10 लाख रुपए तक का बीमा भी रहेगा। ट्रेन में सिर्फ शाकाहारी भोजन ही मिलेगा।
नई दिल्ली.आईआईटी दिल्ली ने ऐसा साॅफ्टवेयर बनाया है, जिससे इस मानसून से न केवल एक हफ्ते पहले बाढ़ की सटीक जानकारी मिल सकेगी, बल्कि गंगा में हो रहे प्रदूषण का भी पता चल सकेगा।आने वाले मानसून सेआईआईटी दिल्ली मौसम विभाग को बाढ़ के छोटे-छोटे क्षेत्राें के नाम और प्रभावितों की संख्या बताएगा। यह सॉफ्टवेयर आईआईटी दिल्ली और आईएनआरएम (इंटरग्रेटेड नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट) कंसल्टेंट्स ने मिलकर तैयार किया है।
आईएनआरएम कंसल्टेंस स्टार्टअप को आईआईटी दिल्ली ने प्रमोट किया है। यह स्टार्टअप आईआईटी दिल्ली में 20 साल पहले बनाया गया था। इस टीम में 10 वैज्ञानिक हैं। इन्हाेंने बारिश, नमी, तापमान, नदी जैसे एक दर्जन आंकड़ों का जटिल विश्लेषण कर यह सॉफ्टवेयर तैयार किया है। इसकी मदद से हर रोज पूरे देश की नदियों के फ्लो और बारिश की गणना एक साथ की जाती है। सॉफ्टवेयर से नदी संबंधी लाइव जानकारी मिलती है। आम लोग भी ऑनलाइन सॉफ्टवेयर की मदद से नदियों के फ्लो की जानकारी लाइव देख सकते हैं।
‘किसानों को बारिश का पहले ही पता चल जाएगा’
सॉफ्टवेयर बनाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले प्रो. अश्विनी कुमार गोसाई ने बताया,‘‘सॉफ्टवेयर से किसानों को 5-7 दिन पहले बताया जा सकेगा किकितनी बारिश होने वाली है और मिट्टी में कितनी नमी हो सकती है। अभी बारिश की जानकारी तो मिलती है, लेकिन यह पता नहीं चलता कि इससे खेतों में कितनी नमी हो जाएगी।’’ दावा है कि यह टेक्नाेलॉजी दुनिया में पहली बार इस्तेमाल हो रही है। इसमें डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) का इस्तेमाल किया गया। डीईएम के आंकड़े वैश्विक स्तर पर तैयार किया हुआ डाटा है। डीईएम से मौसम की स्थिित, किसी विशेष क्षेत्र में नदी, बाढ़, मिट्टी, तापमान संबंधी सारी जानकारी मिल जाती है।
यह भी बताएगा कि गंगा में कब कितना कचरा डाला
प्रो. गोसाई के मुताबिक, सॉफ्टवेयर के अगले स्तर पर काम चल रहा है। कुछ माह में इसकी मदद से गंगा नदी में प्रदूषण की सटीक जानकारी मिल जाएगी। इससे यह भी पता लग सकेगा कि गंगा में कब-कब कितना कचरा, इंडस्ट्रियल वेस्ट डाला जाता है। इतना ही नहीं, गंगा सफाई के लिए किए जा रहे प्रयासों की लाइव गणना भी हो सकेगी, जिससे पता लग सकेगा कि जो पहल हो रही है, वह कितनी स्थायी या अस्थायीहै।
from Dainik Bhaskar /delhi/delhi-ncr/news/software-will-help-in-cleaning-ganga-common-people-will-also-get-live-information-of-river-pollution-126760016.html
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वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंचेंगे। वहपंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट ऊंचीप्रतिमा का लोकार्पण करेंगे। यहां1200 करोड़ रुपएकी 48 परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। इसमें34 योजनाओंका उद्घाटन और14 का शिलान्यास होना है। प्रधानमंत्रीआईआरसीटीसी की महाकाल एक्सप्रेस को वीडियो लिंक के जरिए हरी झंडी दिखाएंगे। यह प्राइवेट ट्रेन 3 धार्मिक शहरों- वाराणसी, उज्जैन और ओमकारेश्वर को जोड़ेगी। मोदी काशी में 6 घंटेबिताएंगे। पीएमपिछली बार यहां 6 जुलाई 2019 को आए थे।
बीएचयू के अस्पतालों का उद्घाटन
प्रधानमंत्रीबीएचयू में 430 बेड सुपर स्पेशलटी अस्पताल और 74 बेड के साइकिऐट्री अस्पताल का उद्घाटन भी करेंगे। इसके अलावा वह जगदगुरुविश्वाराध्य गुरुकुल के शताब्दी समारोह के समापन समारोह में शामिल होंगे। वे यहां सिद्धांत शिखामणि ग्रंथ के 19 भाषाओं में अनुदित संस्करण और इसके मोबाइल ऐप का भी विमोचन करेंगे।
'काशी एक, रूप अनेक'
मोदी 'काशी एक, रूप अनेक' कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। अमेरिका, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया समेत विभिन्न देशों से आए खरीदारों और दस्तकारों के साथ बातचीत भी करेंगे। 'काशी एक, रूप अनेक' पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में आयोजित होने वाला दो दिवसीय कार्यक्रम है। इसमें उत्तर प्रदेश के उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा।
पंडित दीनदयाल की सबसे ऊंची प्रतिमा का अनावरण
पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 63 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया जाएगा।
वाराणसी में 10 एकड़ में 39.75 करोड़ की लागत से पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति उपवन बनाया गया है। इसमेंपंडित दीनदयाल की 63 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित की गई है।यह मूर्ति 200 से अधिक शिल्पकारों ने मिलकर बनाई है।इस स्मारक में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और समय से संबंधित जानकारियां हैं। मोदी स्मृति उपवन और मूर्ति का लोकार्पण करेंगे।
from Dainik Bhaskar /uttar-pradesh/varanasi/news/narendra-modi-up-varanasi-visit-today-latest-news-and-updates-unveil-statue-of-pandit-deendayal-upadhyaya-126763936.html
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बगदाद. इराक की राजधानी बगदाद में रविवार तड़के अमेरिकी दूतावास के पास कई रॉकेटों से हमला किया गया। अमेरिकी सैन्य सूत्रों ने कहा कि हमले के बाद दूतावास परिसर सुरक्षा अलार्म बजने लगा। हालांकि, यह साफ नहीं हो सका कि कितने रॉकेट गिराए गए। हमले में कोई हताहत नहीं हुआ। इराक की कट्टरपंथी गुटहशद अल शाबी के ईरान समर्थित गुट हरकत अल-नुजाबा ने शनिवार को कहा था कि अमेरिकी सैनिकों को अपने देश से बाहर करने के लिएउल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। इसके कुछ घंटों के बाद ही अमेरिकी दूतावास पर हमला हुआ।
न्यूज एजेंसी एएफपी के संवाददाताओं के मुताबिक, उन्होंनेकई धमाकेसुने। हमले के समय ग्रीन जोन के पास एयरक्राफ्ट चक्कर लगा रहे थे। ग्रीन जोन बगदाद का हाई सिक्योरिटीवाला इलाका है, जहां कई देशों के दूतावास स्थित हैं।
अमेरिका ने हमले के लिए हश्द अल-शाबी को जिम्मेदार ठहराया
अक्टूबर के बाद से यह 19वां हमला था, जिसमें या तो दूतावास को या इराक में तैनात 5200 अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाया गया। हमलों का कभी किसी ने दावा नहीं किया,लेकिन अमेरिका ने ईरान समर्थित गुटों में हशदअल-शाबी के नेटवर्क पर उंगली उठाई है। यह आधिकारिक तौर पर इराक के सुरक्षाबलों में शामिल है।
जनरल सुलेमानी की मौत के बाद से ही पश्चिमी देशों में तनाव
दिसंबर के अंत में उत्तरी इराकबेस पर रॉकेट हमले में एक अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर मारा गया था।अमेरिका ने पश्चिमी इराक में कट्टरपंथी गुट हशद अल शाबी के खिलाफ जवाबी हमला किया था। 3 जनवरी को बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी और हशद अल शाबी के डिप्टी कमांडर अबु महदी अल-मुहांदिस की मौत हो गई थी। इसके बाद इराक ने तत्काल अमेरिकी सैनिकों को अपने देश से जाने के लिए कहा था। सुलेमानी की मौत के बाद ही पश्चिमी देशों में तनाव है।
शाजापुर.मध्य प्रदेश में एक दिन की नवजात के शरीर पर धारदार हथियार से गंभीर घाव और फिर मौत होने के मामले में दिल दहला देने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस के मुताबिक, आरोपी मंजू ने 13 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी कराने के बाद घर पहुंचते ही फूल सी बच्चीके सीने में हंसिया घोंप दिया था। इसके बाद पेट और गर्दन पर भी वार कर किए। मासूम की चीखें सुनकर पड़ोसी आ गए। इसके बाद ही उसने वार करना बंद किया। मंजू ने यह सब बेटा नहीं होने के गुस्से में किया।
मंजू के परिजन बेटी को जिंदा देख उसे शाजापुर जिला अस्पताल ले गए। शुरुआती इलाजके बाद डॉक्टरों ने नवजात को इंदौर के एमवाय अस्पताल भेज दिया। यहां जिंदगी और मौत से जूझ रही मासूम ने इलाज के दौरान 14 फरवरी को दम तोड़ दिया। पुलिस के मुताबिक, यहां परिजन ने डॉक्टरों के सामने डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग की झूठी कहानी डॉक्टरों को बताई थी।
सख्ती से पूछताछ की तो टूट गई मंजू
शनिवार सुबह ही पुलिस ने मंजू और उसके पति समेत 4 रिश्तेदारों को हिरासत में ले लिया था। थाने ले जाकर सख्ती से पूछताछ की तो मंजू टूट गई। उसने कहा कि बेटा नहीं होने पर उसने वारदात को अंजाम दिया। मंजूको एक बेटी पहले से है। इसके बाद एक बार गर्भपात हो गया।
यह था मामला
मंजू ने 12 फरवरी की रात 12.25 बजे अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था। ब्लीडिंग होने पर डॉक्टरों ने उसे शाजापुर रैफर कर दिया। 13 फरवरी की सुबह 10 बजे परिजन ने अधूरा इलाज कराकर मंजू की छुट्टी करा ली। इसके बाद 13 फरवरी की दोपहर 3.30 बजे वापस अस्पताल आए। इस दौरान नवजात पूरी तरह घायल थी।
श्रीनगर. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से पहले आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) ने धमकी भरा वीडियो जारी किया है। जैश ने वीडियो में बदला लेने की बात कही है। साथ ही कहाकि हत्यारों को माफ नहीं किया जाएगा। ट्रम्प और अमेरिकी की फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प 24-25 फरवरी को भारत आने वाले हैं।
वीडियो में भारत सरकार को धमकी दी गई है। इसमें कहा गया है कि जिस तरह से आपने मुसलमानों को परेशान किया और उनकी बस्तियों को उजाड़ा,उसका बदला लिया जाएगा। वीडियो में कुरान शरीफ का हवाला देते हुए एक व्यक्ति कहता है- हमने शांति बहाल करने को लेकर बहुत बातें सुनी है। अब कोई बहाना नहीं चलेगा। अब अनर्गल बातें करने का समय नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि वीडियो और इसकी सामग्री ट्रम्प के दौरे के दौरान पाकिस्तान का यह दिखाने का प्रयास है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से कश्मीरी नाराज हैं। वे आतंकी हमले कर सकते हैं।
आतंकी बैठक में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी भी शामिल
इस बीच, सुरक्षा एजेंसियों को वीडियो से संबंधित एक इनपुट मिला है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में पीओके में आतंकी समूहों की एक बैठक हुई थी। उस बैठक में आईएसआई और पाकिस्तान सेना के अधिकारी भी मौजूद थे। बैठक में तय किया गया कि आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को सक्रिय किया जाए।
सूत्रों के अनुसार, यह भी चर्चा की गई कि कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को पाकिस्तानी आतंकियों के बजाय ज्यादा जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। एक आदेश जारी किया गया है कि हिजबुल को लश्कर-ए-तैयबा और जैश से सभी आतंकी गतिविधियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
सुरक्षा बलों के काफिलों पर आत्मघाती हमले की योजना
सूत्रों ने कहा कि कश्मीरियों में भय पैदा करने के लिए पुलिस, सुरक्षा बलों और शहरी क्षेत्रों में आम लोगों पर हमले की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा, सुरक्षा बलों के काफिलों और शिविरों पर बड़े आत्मघाती हमले करने की भी कोशिश की जा रही है।
शाजापुर.मध्य प्रदेश में एक दिन की नवजात के शरीर पर धारदार हथियार से गंभीर घाव और फिर मौत होने के मामले में दिल दहला देने वाला खुलासा हुआ है। पुलिस के मुताबिक, आरोपी मंजू ने 13 फरवरी को अस्पताल से छुट्टी कराने के बाद घर पहुंचते ही फूल सी बच्चीके सीने में हंसिया घोंप दिया था। इसके बाद पेट और गर्दन पर भी वार कर किए। मासूम की चीखें सुनकर पड़ोसी आ गए। इसके बाद ही उसने वार करना बंद किया। मंजू ने यह सब बेटा नहीं होने के गुस्से में किया।
मंजू के परिजन बेटी को जिंदा देख उसे शाजापुर जिला अस्पताल ले गए। शुरुआती इलाजके बाद डॉक्टरों ने नवजात को इंदौर के एमवाय अस्पताल भेज दिया। यहां जिंदगी और मौत से जूझ रही मासूम ने इलाज के दौरान 14 फरवरी को दम तोड़ दिया। पुलिस के मुताबिक, यहां परिजन ने डॉक्टरों के सामने डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग की झूठी कहानी डॉक्टरों को बताई थी।
सख्ती से पूछताछ की तो टूट गई मंजू
शनिवार सुबह ही पुलिस ने मंजू और उसके पति समेत 4 रिश्तेदारों को हिरासत में ले लिया था। थाने ले जाकर सख्ती से पूछताछ की तो मंजू टूट गई। उसने कहा कि बेटा नहीं होने पर उसने वारदात को अंजाम दिया। मंजूको एक बेटी पहले से है। इसके बाद एक बार गर्भपात हो गया।
यह था मामला
मंजू ने 12 फरवरी की रात 12.25 बजे अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था। ब्लीडिंग होने पर डॉक्टरों ने उसे शाजापुर रैफर कर दिया। 13 फरवरी की सुबह 10 बजे परिजन ने अधूरा इलाज कराकर मंजू की छुट्टी करा ली। इसके बाद 13 फरवरी की दोपहर 3.30 बजे वापस अस्पताल आए। इस दौरान नवजात पूरी तरह घायल थी।
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हेल्थ डेस्क. कोरोनावायरस चमगादड़ से फैला या दूसरे जीव से, साफतौर पर भले ही यह साबित नहीं हो पाया हो लेकिन ज्यादातर रिसर्च इसकी ओर इशारा कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी मंगलवार को अपने बयान में यही इशारा किया। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ऐसे सबूतों की संख्या बढ़ रही है, जो बता रहे हैं चमगादड़ में कोरोनवायरस था। बड़ा सवाल है कि दुनियाभर में ज्यादातर वायरस चमगादड़ से ही क्यों फैले? भारत में निपाह, दूसरे देशों में इबोला और रैबीज के मामलों में भी चमगादड़ के नाम पर मुहर लग चुकी है। रिसर्च स्टोरी में पढ़िए क्या है चमगादड़ का कोरोनावायरस से कनेक्शन...
थ्योरी कई,लेकिन केंद्र में चमगादड़ बरकरार
एक्सपर्ट की राय : कनेक्शन तो है सिर्फ साबित होना बाकी
अमेरिका के ऑन्टेरियो वेटरनेरी कॉलेज के प्रोफेसर स्कॉट वीज जानवरों से फैलने वाली बीमारियों पर रिसर्च कर रहे हैं। प्रोफेसर स्कॉट के मुताबिक, कोरोनावायरस का चमगादड़ से कनेक्शन तो है लेकिन यह इंसानों तक पहुंचना कैसे अब तक सामने नहीं आ पाया है। चीनी वैज्ञानिकों ने भले ही पैंगोलिन से चमगादड़ और फिर चमगादड़ से इंसान में वायरस पहुंचने की बात कही हो, लेकिन यह बात पूरी तरह साबित नहीं हो पाई है।
चीनी वैज्ञानिकों का पक्ष : पैंगोलिन से चमगादड़ में पहुंचा वायरस
अब तक वुहान में कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह चमगादड़ और सांप को माना जा रहा था लेकिन चीनी वैज्ञानिकों ने रिसर्च में एक नया खुलासा किया है। चीन की साउथ चाइना एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं नेकोरोनावायरस के लिए पैंगोलिन को जिम्मेदार ठहराया है।शोधकर्ता शेन योंगी और जिओ लिहुआ के मुताबिक,वायरस पैंगोलिन से चमगादड़ और इससे इंसान में पहुंचा। इसे समझने के लिए 1 हजार जंगली जानवरों के सेंपल लिए। मरीजों से लिए गए सैंपल में मौजूद कोनोरावायरस और पैंगोलिन का जीनोम सिक्वेंस (आनुवांशिक अनुक्रम) 99 फीसदी तक एक जैसा है।
डब्ल्यूएचओ का बयान : चमगादड़ से दूसरे जानवर में पहुंचा वायरस
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, इंसान सीधी तौर पर चमगादड़ के संपर्क में नहीं आते, इसलिए इसका पता लगाना और जरूरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हो सकता है चमगादड़ ने दूसरे जानवर को संक्रमित किया हो जिससे वायरस इंसान तक पहुंचा हो।
माइक्रोबायोलॉजिस्ट का तर्क : यह कई तरह के वायरस का वाहक
टोरंटो हेल्थ साइंस सेंटर की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ समीरा मुबारेका कहती हैं, यह पहली बार नहीं है जब इंसानों में किसी बीमारी की वजह के रूप में चमगादड़ का नाम आया है। यह कई तरह के वायरस का वाहक है जोपहले भी साबित हो चुका है। चमगादड़ की कुछ प्रजातियां रेबीज और निपाह वायरस की भी वाहक रही हैं। जुलाई 2019 में कनाडा के वैंकूवर आइलैंड में रेबीज से 23 साल के एक व्यक्तिकी मौत हुई। जांच में पुष्टि हुई कि रेबीज का वाहक चमगादड़ था।
कई वायरस का समूह है कोरोनावायरस
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, कोरोना वायरस खास किस्म के वायरस का एक समूह है जो विशेषतौर पर जानवरों में पाया जाता है। इसे वैज्ञानिक 'जूनोटिक' कहते हैं। इसका मतलब है दुर्लभ स्थिति में यह जानवरों से निकलकर इंसानों को संक्रमित कर सकता है। कुछ चुनिंदा कोरोनावायरस ऐसे हैं जो इंसानों के लिए काफी खतरनाक माने जाते हैं। जैसे मिडिल ईस्ट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम (MERS) का कारण बनने वाला मेर्स वायरस। और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेट्री वायरस (सार्स)। इसलिए आसान भाषा में कहें तो सार्स भी एक तरह का कोरोनावायरस है, लेकिन नया वायरस ज्यादा खतरनाक है।शोधकर्ताओं के मुताबिक, दुनियाभर मेंचमगादड़ 200 से अधिक कोरोनावायरस के वाहक हैं,लेकिन चीन के वुहान से फैलेकोरोनावायरस के बारे में ज्यादातर विशेषज्ञों का कहना है यह चमगादड़ (हॉर्सशू बैट) के जरिएफैला।
वायरस चमगादड़ को संक्रमित क्यों नहीं कर पाता?
चमगादड़ पर 50 साल से अधिक समय से रिसर्च कर रहे वेस्टर्न ऑन्टेरियो युनिवर्सिटी के प्रो ब्रॉक फेंटॉन के मुताबिक,चमगादड़ में एक समय में कई वायरस हो सकते हैं। यह उसकी खासियत में से एक है लेकिन वायरस उसे संक्रमित नहीं कर पाते। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर स्टीफन लुबी निपाह वायरस पर पिछले 12 साल से रिसर्च कर रहे हैं। उनका कहना है कि रात को निकलने वाले चमगादड़ के शरीर में एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडीज पाई जाती हैं। इसी कारण से वायरस चमगादड़ को प्रभावित नहीं कर पाता। यह वायरस चमगादड़ के शरीर में सुप्त अवस्था में पड़ा रहता है, जिसे शेडिंग कहते हैं। जब चमगादड़ कोई फल खाता है या ताड़ी जैसा कोई पेय पीता है तो वायरस चमगादड़ से उन चीजों में प्रसारित हो जाता है। ये वायरस चमगादड़ के मल-मूत्र द्वारा भी दूसरे जीवों और खासतौर पर स्तनाधारियों को संक्रमित कर सकता है। संक्रमित होने पर अजीब तरह का बुखार आता है जो सही समय पर इलाज न मिलने से जानलेवा बन जाता है। 2018 में केरल में फैले निपाह वायरस का वाहक भी चमगादड़ था।
चीन में क्यों फैल रहे कोरोना वायरस के मामले
चीन की जलवायु और जैव-विविधता के कारण वहां चमगादड़ की कई प्रजाति पाई जाती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, चीन में कई तरह के कोरोनावायरस भी मौजूद हैं। यहां आबादी बढ़ने के कारण तेजी से जंगल काटे जा रहे हैं। चमगादड़ों के लिए रहने की जगह घट रही है, धीरे-धीरे ये इंसानों के करीब पहुंच रहे हैं और संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। चीन में जानवरों में चमगादड़ और सांप जैसे जीवों का मांस और सूप पीने का भी चलन है। मामलों के बढ़ने की एक वजह ये भी है। हाल ही में चीन में एक लिस्ट वायरलहुई थी, जिसमें वुहान के बाजार में जानवरों से तैयार होने वाले उत्पादों की कीमतें लिखी थीं। लिस्ट में लोमड़ी, मगरमच्छ, भेड़िए के बच्चे, सांप, चूहे, मोर, ऊंट के मांस समेत 112 जानवरों से बने उत्पादों का जिक्र था।
कब-कब चमगादड़ से फैले वायरस
2002 में चमगादड़ से फैले सार्स से दुनियाभर में 774 मौते हुईं। सार्स वायरस पहले चमगादड़ से बिल्ली और इससे इंसानों तक पहुंचा।
2018 में केरल में निपाह वायरस का वाहक भारतीय फलभक्षी चमगादड़ था, इससे 17 मौतें हुई थीं।
इसके अलावा इबोला, रैबीज, हेंद्र और मारबर्ग वायरस के मामलों में भी वाहक चमगादड़ ही था।
महिला-पुरुष में से किसे ज्यादा खतरा
हाल ही में कोरोनवायरस के संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले पुरुषों में पाए गए हैं। चीन की वुहान यूनिवर्सिटी ने इस पर रिसर्च भी की है। वुहान यूनिवर्सिटी के हॉस्पिटल में रिसर्च के दौरान 52 फीसदी पुरुष कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए। हॉस्पिटल में मरीजों के आंकड़ों पर गौर किया तो सामने आएकुल भर्ती मरीजों में 68 फीसदी पुरुष थे। शोधकर्ताओं के मुताबिक, पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की रोगों से लड़ने की क्षमता यानी इम्युनिटी ज्यादा होती है। चीन में सार्स वायरस के संक्रमण के दौर में भी 55 साल तक के पुरुषों में मामले अधिक देखे गए थे।
डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस का नाम कोविड-19 रखा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को नोवेल कोरोनावायरस का नया आधिकारिक नाम ‘कोविड-19’ रखा। को- कोरोना, वि- वायरस और डी का मतलब डिजीज है। चीन के हेल्थ कमीशन ने 8 फरवरी को कोरोनावायरस का नाम बदलकर नोवेल कोरोनावायरस निमोनिया (एनसीपी) कर दिया था।
दिल्ली में आज भीखभी मिलती नहीं उन्हें,
था कल तलक दिमागजिन्हें ताज-ओ-तख्तका
मीर तक़ीमीर के इस शेर को आप अपनी समझ के हिसाब से भाजपा या कांग्रेस से जोड़कर देख सकते हैं। इस शेर के साथ इन दो पार्टियों का जिक्र सिर्फ इसलिए, क्योंकि 7 साल पहले तक यही दोनों दल थे, जो दिल्ली में सत्ता हासिल करने का दम रखते थे, लेकिन अब ये पार्टियां दहाई का आंकड़ा तक नहीं छू पा रहीं। कांग्रेस पिछले दो चुनावों से खाली हाथ है, वहीं भाजपा इस बार 300 से ज्यादा सांसद, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की फौज उतारने के बाद भी सीटों का आंकड़ा 3 से 8 पर ही ले जा सकी। चुनाव के नतीजे क्या होंगे, ये दिल्लीवासी तो शुरू से ही जानते थे, लेकिन मेरे, आपके और बाकी देशवासियों के लिए ये समझना इतना आसान नहीं था। मैं अपनी बात करूं तो चुनाव कवरेज के लिए जब मैं दिल्ली पहुंचा तो शुरुआत के 3 दिनों में ही समझ आ गया कि आम आदमी पार्टी की टक्कर में भाजपा कहीं नहीं है। मैं कांग्रेस का जिक्र यहां नहीं कर रहा और इसका कारण बताना भी शायद जरूरी नहीं। एक और बात... मीर का यह शेर इसलिए लिखा क्योंकि पुरानी दिल्ली के कूचा चालान में मीर ने कई साल गुजारे। अहमद शाह अब्दाली ने जब दिल्ली पर कब्जा करने के बाद उसे लूटा तो वे लखनऊ चले गए। कहते हैं कि मीरदिल्ली को बड़ा याद करते थे और दिल्ली के लोगों की समझ की बड़ी तारीफ किया करते थे। दिल्ली को याद करते हुए ही उन्होंने इसे लूटने वालों के हश्र को बयां करते हुए यह शेर लिखा था।
अब इतिहास में ज्यादा न उलझते हुए मुद्दे की बात करते हैं।..तो कहानी कुछ ऐसी है कि 17 जनवरी को मैं दिल्ली पहुंचा और ठीक तीन दिन बाद जब भोपाल से एक साथी काकॉल आया। उसने पूछा- कौन जीत रहा है? और मेरा जवाब था- ‘‘शायद भाजपा को एक भी सीट न मिले।’’मैंने फोन कॉल से पहले इस बारे में कुछ नहीं सोचा था। सामने वाले ने यह सवाल किया और अनायास ही यह जवाब निकला। शायद यह जवाब इसलिए निकला, क्योंकि मैं उन तीन दिनों में तीनों पार्टियों के दफ्तरों और दिल्ली की 15 से 20 विधानसभाओं में तफरीह कर चुका था। लोगों से जो प्रतिक्रिया मुझे मिली, उसी से यह जवाब आया। जवाब देते वक्त एक गणित भी दिमाग में था और वह यह कि उन 3 दिनों में तकरीबन 100 लोगों से बात हुई होगी और शायद 3 या 4 लोग ही ऐसे थे जो केजरीवाल सरकार से नाखुश थे। तीनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं से बात करने के दौरान उनके हाव-भाव से जो सार मिला, वो भी मेरे एकतरफा जवाब में अहम भूमिका निभा रहाथा।
ये बस तीन दिनों की बात थी। जैसे-जैसे दिन गुजरने लगे और भाजपा का चुनाव प्रचार तूफानी होता गया तो मन में यह ख्याल कई बारआया कि एक हारी हुई लड़ाई लड़ने के लिए भाजपा इतना सब कुछ क्यों झोंक रही है, लेकिन जब नतीजे आए तो यह भी साफ हो गया। अगर भाजपा इतना संसाधन नहीं झोंकती तो शायद उसके हाथ खाली ही रह जाते। चुनाव नतीजों के बाद दैनिक भास्कर के रिपोर्टर संतोष कुमार के साथ बातचीत में भाजपा के एक बड़े नेता ने इस बात का जिक्र भी किया कि जनवरी में भाजपा हाईकमान के पास 18% से कम वोट मिलने की रिपोर्ट पहुंची। इस रिपोर्ट में 70 की 70 सीटें आम आदमी पार्टी को जाती हुई बताई गईं। इसी के बाद भाजपा ने हारी हुई लड़ाई को लड़कर हार-जीत का अंतर कम करने के लिए इतनी मेहनत की। नतीजे के दिन जब मैं भाजपा कार्यालय में था, तो शुरुआती रुझानों के दौरान कार्यकर्ताओं के एक ग्रुप को यह कहते हुए भी सुना कि अगर यहां एक भी सीट भाजपा को मिल रही है तो समझिए कि वो अमित शाह की मेहनत का नतीजा है।
शुरुआती रुझानों के वक्त भाजपा दफ्तर के बाहर पसरा सन्नाटा
बात को फिर से थोड़ा सा पीछे ले जाते हैं। पहले दिन जब दिल्ली पहुंचा तब तक बिजली, पानी, स्कूल औरअस्पताल की जगह शाहीन बाग चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका था। मैंने सोचा कि पहले दिन शाहीन बाग ही जाया जाए। रात 11 बजे शाहीन बाग पहुंचा। छोटे-बड़े सैकड़ों तिरंगों से पटे इस बाग में छोटे-छोटे समूहों में आजादी के नारे लग रहे थे। यहां एक बात साफ कर दूं कि ये सीएए और एनआरसी से आजादी के नारे थे, देश से आजादी के नहीं। यहां मंच से हिंदुस्तान में अमन-चैन के लिए प्रार्थना हो रही थी। लोग अलग-अलग अंदाज में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। 5 से 7 दुकानें थीं, जहां तिरंगे से जुड़ी कई तरह की चीजें खरीदेने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही थी। 3-4 ग्रुप्स में युवा प्रदर्शन में शामिल लोगों के चेहरे पर तिरंगा पोत रहे थे।इन्हीं में से एक शख्स ने बताया कि इतने लोग चेहरे पर तीन रंग लगवा रहे हैं कि हाथ दर्द देने लगते हैं।
भाजपा शाहीन बाग में चल रहे जिस प्रदर्शन को देशद्रोही गतिविधिसाबित करने पर तुली हुई थी, लेकिन वहां मैंने ऐसा कुछ नहीं पाया। यानी इतना साफ हो चुका था कि भाजपा के पास चुनाव लड़ने के लिए कोई मुद्दा नहीं है और शायद इसीलिए वह ध्रुवीकरण के जरिए हारी हुई जंग लड़ना चाहती है। 17 जनवरी से लेकर 11 फरवरी तक हर दूसरे दिन मैं शाहीन बाग पहुंच जाता और मैंने हर बार वहां का नजारा वैसा ही पाया। बल्कि ये कहें कि यह और दिलचस्प होता गया। 15 दिसंबर से गुस्से के साथ शुरू हुआ यह प्रदर्शन एक खुशनुमा माहौल में बदल चुका था।
शाहीन बाग में अपने अंदाज में विरोध प्रदर्शन करते एक बुजुर्ग
खैर, यह शाहीन बाग की बात थी, जो पूरे चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होकर भी आखिर में मुद्दा नहीं बन पाया क्योंकि लोगों ने मुफ्त बिजली, पानी व स्कूलों और अस्पतालों में अच्छी सुविधाओं के नाम पर वोट किया। पहले दिन मैं जब रेलवे स्टेशन से अपने एक महीने के नए ठिकाने के लिए आगे बढ़ रहे थे तो कैब ड्राइवर ने जो हाल दिल्ली का बयां किया, वही हाल अगले 26 दिनों तक सुनने को मिला। दिल्ली के सफर की शुरुआत में मिले इस पहले बाशिंदे से मैंने सिर्फ इतनी पूछा था कि क्या माहौल है इस बार? वो शुरू हुआ और 1 घंटे में मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं को फ्री बस टिकट से लेकर सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई और सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं बेहतर करने जैसी केजरीवाल सरकार की योजनाओं की तारीफें करता रहा। उस बाशिंदे का नाम तो अब ध्यान नहीं लेकिन जो बातें उसने कही, वही बातें दिल्ली के हर कोने से सुनने को मिली।
मोटे-मोटे तौर पर कहें तो इन 26 दिनों में अगर हमने 1000 लोगों से बात की तो 900 से ज्यादा लोगों ने इन्हीं चार मुद्दों के आधार पर केजरीवाल को वोट देने की बात कही। हां, यहां एक बात जरूर कहूंगा कि यहां जितने भी लोगों से बात हुई, उनमें से 80% से ज्यादा लोगों की पीएम पद के लिए पहली पसंद नरेंद्रमोदी ही थे। एक लाइन जो शायद 100 से ज्यादा बार सुनी, वो यही थी कि केंद्रमें मोदी जी जैसा ही नेता होना चाहिए और दिल्ली में केजरीवाल। लोगों की यह राय 8 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव से मिलती है, जब यहां की जनता ने सातों सीटें भाजपा को दी थी। लोकसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों में से 65 पर भाजपा को लीड थीऔर बाकी 5 पर कांग्रेस। आम आदमी पार्टी वोट शेयर के मामले में भी तीसरे पायदान पर थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में जनता ने पूरा उलट मतदान किया। ओडिशा का चुनाव हो या दिल्ली का। केंद्र और राज्य के लिए जनता की अलग-अलग पसंद एक बात तो साफ करती है कि लोगों पर अब एक ही पार्टी का रंगनहीं है। वे अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर एक ही समय अंतराल में केन्द्र और राज्य के लिए अलग-अलग सरकारें चुन सकते हैं।
चांदनी चौक विधानसभा में लोगों की प्रतिक्रिया
अपने इस दौरे में मुझे केजरीवाल सरकार के खिलाफ बोलने वाले भी मिले, लेकिन इनकी संख्या कम ही थी। इन लोगों का कहना था कि बिजली-पानी तो सिर्फ गरीब तबके के वोट हासिल करने के लिए फ्री किए गए। पिछले 5 साल में नई सड़कें नहीं बनीं। ट्रैफिक इतना बेकार हो गया है कि हम बाजार जा रहे हैं, लेकिन वहां आज पहुंच पाएंगे या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं। एक शख्स ने तो यह तक कह दिया कि आप भोपाल से हैं। आपके राज्य के दो शहर इंदौर और भोपाल पिछले कुछ साल से सफाई के मामले में नम्बर-1 और नम्बर-2 हैं, लेकिन देश की राजधानी में हर जगह कूड़े के ढेर सड़ रहे होते हैं। इन लोगों का यह भी कहना रहा कि हमें नहीं पता होता है कि दिल्ली में कौन सा काम केजरीवाल सरकार के बस का है, कौन सा काम केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आता है और कौन सा काम दिल्ली की नगर निगमों के अंतर्गत आता है, लेकिन हम इतना कह सकते हैं कि जो भी काम केजरीवाल ने नहीं कराया, उसके लिए वे केन्द्र और एमसीडी की भाजपा सरकार को दोषी करार दे देते हैं। लेकिन जिन योजनाओं को अपनी उपलब्धियां बताकर वे लोगों से वोट मांग रहे हैं, क्या वो सब केंद्र की रजामंदी के बिना हो गया?
बहरहाल,केजरीवाल सरकार के कामकाज से खुश लोगों की संख्या पहले दिन से आखिरी दिन तक ज्यादा ही रही। और वही नतीजों में भी दिखा। हां, ज्यादा पैसा जोड़ने वाले लोग केजरीवाल की योजनाओं से खुश नहीं थे, क्योंकि उनके लिए 5 साल में कुछ नहीं बदला था। शायद इसका कारण ज्यादा कमाई वाले लोगों का चुनाव के लिए उदासीन होना हो सकता है। दरअसल, दिल्ली में ज्यादा कमाई वाले कम ही लोग वोट देने के लिए निकलते हैं।इसके उलट कम कमाई वाले लोग वोटिंग में जमकर हिस्सा लेते हैं।वो कहते हैं ना कि वोट कीमती होता है, आप वोट देंगे तभी आपकी बात सुनी भी जाएगी, वोट नहीं देंगे तो कोई नेता भला क्यों आप पर ध्यान देगा। गरीब तबके के लोगों को इस बात की समझ है, शायद इसीलिए वे उत्साह के साथ वोट करते हैं। अमीर तबके को शायद सरकारसे कोई मतलब नहीं। हां, ये बस कोई पूछे तो सरकार को कोस जरूर सकते हैं।
कवरेज की इस भागदौड़ के बीच मैं दिल्ली की चटपटी गलियों में स्वाद के चटकारे भी लेतारहा। मूलचंद के पराठे से लेकर चांदनी चौक की रबड़ी जलेबी का स्वाद सबसे ज्यादा याद रहेगा। एक और बात जो याद रहेगी वो यह कि गालिब की हवेली देखने की तमन्ना पूरी हो गई। चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन से करीब 500 मीटर दूर इस हवेली केआधेसे ज्यादा हिस्से पर लोग कब्जा कर चुके हैं। हवेली का जो थोड़ा बहुत हिस्सा बचा हुआ है, वहां गालिब को आप अपने बीच महसूस कर सकते हैं।
चावड़ी बाजार से लगी हुई गालिब की हवेली का एक दृश्य
भाजपा और आप का तूफानी चुनाव प्रचार चलता रहा। भाजपा नेताओं की जनसभाओं में शाहीन बाग, पाकिस्तान, धारा-370, अयोध्या में मंदिर, सीएए-एनआरसी के मुद्दे हावी रहे। आप का पूरा फोकस अपने कामों को जनता तक पहुंचाने पर रहा। भाजपा नेताओं की ओर से कुछ भड़काऊ बयान भी आए, जो शायद भाजपा का एक प्रयोग मात्र था। वैसे तो भाजपा के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के रंग का असर आप पर भी था। आप ने भी अपने घोषणापत्र में देशभक्ति का सिलेबस लाने की बात कर दी। बड़ी बात है कि केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से किसी ने सवाल नहीं कियाकि आखिर आपको देशभक्ति का सिलेबस लाने की जरुरत क्यों पड़ रही है? अफसोस, मुझे भी यह मौका नहीं मिला।बहरहाल, दिल्ली में केजरीवाल फिर से 5 साल के लिए चुन लिए गए हैं। उम्मीद है पिछले बार की तरह इस बार केंद्र और राज्य के बीच झगड़े सामने नहीं आएंगे। आखिरी में कांग्रेस की हालत पर हबीब जालिबकाएक शेर साझा करूंगा….
अब वो फिरते हैं इसी शहर में तन्हा लिए दिल को
इक जमाने में मिज़ाज उन का सर-ए-अर्श-ए-बरीं था
नतीजे वाले दिन दोपहर 1 बजे कांग्रेस दफ्तर की एक झलक