Saturday, November 21, 2020

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जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने आर्टिकल 370 की वापसी का सपना दिखाने वाले नेताओं को कड़ा संदेश दिया है। भास्कर से विशेष बातचीत में उन्होंने फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती का नाम लिए बगैर कहा कि ये नेता संवैधानिक पदों पर रह चुके हैं। उन्हें बयानों में मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए।

सिन्हा ने यह साक्षात्कार ऐसे समय दिया है, जब राज्य में जिला विकास परिषद के चुनाव होने वाले हैं। पाक परस्त तत्वों ने आतंकी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। वहीं गुपकार अलायंस का मुद्दा भी गर्माया है।

  • देश 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने जा रहा है? जम्मू कश्मीर का क्या संदेश है?

जम्मू कश्मीर का एक ही संदेश है, जो संविधान सभा में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था- हमें खून के आखिरी कतरे तक देश की रक्षा, आन-बान के लिए दृढ़ संकल्पित रहना है।

  • कुछ तत्व अब भी कश्मीर के लोगों को अनुच्छेद 370 की वापसी का सपना दिखा रहे हैं?

सिर्फ हिंदुस्तान में ही लोगों को कुछ भी बोलने की आजादी है। संवैधानिक पदों पर रह चुके लोगों को अपने वक्तव्यों में मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। वे इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी गए हैं। क्या उन्हें फैसले का इंतजार नहीं करना चाहिए? जनता को उनकी इन बेतुकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।

  • आतंकी घुसपैठ से पाक बाज नहीं आ रहा। इसे नाकाम करने में कितनी सफलता मिल रही है?

मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है। आतंक के रहनुमा पड़ोसी देश के नापाक मंसूबों को हम कभी कामयाब नहीं होने देंगे। पड़ोसी मुल्क नहीं चाहता कि यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल हो, इसलिए वह आतंक फैला रहा है। ग्रास रूट डेमोक्रेसी की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने और 26/11 जैसी साजिश दोहराने के उसके मंसूबों को सुरक्षा बलों ने हाल ही में नाकाम किया है। सीमा पार से घुसपैठ पर भी हमने काफी हद तक काबू पा लिया है।

  • कश्मीरी युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए क्या योजना है?

अब तक पढ़े-लिखे लोगों का बड़ा तबका सरकारी नौकरी पर निर्भर था। हमने उन्हें स्व रोजगार के लिए प्रेरित किया है। बैक टू विलेज कार्यक्रम सेे पहले निर्णय लिया कि हर पंचायत से दो लड़के-लड़कियों को स्व रोजगार के लिए चुनेंगे। आज प्रदेश में डेढ़ माह में 12 हजार से ज्यादा युवा उद्यमी तैयार कर दिए हैं।

अगले पांच साल में 80% युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएंगे। हम इंडस्ट्रियल पॉलिसी भी ला रहे हैं। इससे 30 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा। यूथ स्किलिंग कार्यक्रम भी शुरू कर रहे हैं। टाटा समूह के दो सेंटर तैयार होने वाले हैं।

  • डोमिसाइल पॉलिसी को लेकर चिंताएं जाहिर की गईं। ये किस हद तक जायज हैं? क्या समाधान किया जा रहा है?

गृह मंत्री ने खुद साफ कर दिया था कि पॉलिसी से कोई डेमोग्राफिक परिवर्तन नहीं होगा, बल्कि 70 सालों से वंचित और हाशिये पर जी रहे लोगों जैसे पश्चिम पाकिस्तान के शरणार्थी, वाल्मीकि समाज, महिलाओं और गोरखा समाज के लोगों को उनके अधिकार दिए जाएंगे। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि कोई डेमोग्राफिक परिवर्तन न हुआ है, न होगा।

  • जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित बनाते वक्त गृह मंत्री ने वादा किया था कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा?

गृह मंत्री ने जो वक्तव्य संसद के पटल पर रखा है, वह हकीकत में अवश्य तब्दील होगा।

  • कश्मीरी महिलाओं की राजनीति में भागीदारी कैसे बढ़ाएंगे?

प्राचीन समय से कश्मीर में महिला सशक्तिकरण पर बल दिया गया है। पाकिस्तानी कबाइलियों के मुकाबले के लिए देश की पहली महिला गुरिल्ला फोर्स जम्मू कश्मीर में बनी थी। हां, राजनीतिक कारणों से उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले यहां राजनीति में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है। राजौरी जिले में ही 19 ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल चेयरपर्सन्स में 9 महिलाएं हैं। 111 महिला सरपंच हैं और 360 महिला पंच हैं। इसलिए ग्रास रूट डेमोक्रेसी में यहां महिलाओं की भागीदारी जबर्दस्त है।



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मनोज सिन्हा ने कहा, अब तक पढ़े-लिखे लोगों का बड़ा तबका सरकारी नौकरी पर निर्भर था। हमने उन्हें स्व रोजगार के लिए प्रेरित किया है। (फाइल फोटो)


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नमस्कार!
भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान से कहा कि वह आतंकियों का समर्थन बंद करे। मध्य प्रदेश के 5 जिलों में नाइट कर्फ्यू लागू होने के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी ऐसा ही फैसला लिया है। यहां जोधपुर-जयपुर समेत 8 जिलों में रात 8 से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू लगाया जाएगा।

बहरहाल, शुरू करते हैं न्यूज ब्रीफ।

आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर

  • गृह मंत्री अमित शाह का चेन्नई में आज दूसरा दिन। सुपरस्टार रजनीकांत से हो सकती है मुलाकात।
  • जी-20 समिट का दूसरा और आखिरी दिन। इस समिट की अध्यक्षता सऊदी अरब के किंग कर रहे हैं।

देश-विदेश
ED ने फेक TRP मामले में दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस

ED ने फेक TRP मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज किया है। मुंबई पुलिस ने कई चैनलों के वित्तीय लेनदेन से जुड़े दस्तावेज भी ED को सौंपे हैं। मुंबई पुलिस की क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट ने अब तक इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया है।

कॉमेडियन भारती को NCB ने गिरफ्तार किया

कॉमेडियन भारती सिंह को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में भारती और उनके पति हर्ष ने गांजा लेने की बात कुबूल कर ली है। भारती के प्रोडक्शन ऑफिस और घर से 86.5 ग्राम गांजा भी बरामद किया गया है। हर्ष से देर रात तक एजेंसी ने पूछताछ की। भारती को आज कोर्ट में पेश किया जा सकता है।

अहमदाबाद में 57 घंटे का कर्फ्यू, शहर में सन्नाटा; मंदिरों में ताले
कोरोना की दूसरी लहर से गुजरात खासा परेशान है। अहमदाबाद की हालत ज्यादा खराब है। यहां शुक्रवार रात 9 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक के लिए कर्फ्यू लगाया गया। शहर में सन्नाटा रहा और मंदिरों में ताले लटके। पुलिस ने लोगों की तारीफ की है, क्योंकि कर्फ्यू लागू करने के लिए महकमे को डंडे नहीं चलाने पड़े।

कर्फ्यू का खौफ: कर्फ्यू लगा तो अफवाहें भी उड़ीं। लोग खरीदारी के लिए बाजारों में टूट पड़े। सब्जियां दोगुने भाव में बिकीं। दूध की खपत 2 लाख लीटर बढ़ गई। और किराना तो एक दिन में 10 करोड़ रुपए का बिक गया।

चेन्नई में समर्थकों से मिलने के लिए गृह मंत्री ने तोड़ा प्रोटोकॉल
गृह मंत्री अमित शाह दो दिन के चेन्नई दौरे पर हैं। वे यहां 67,000 करोड़ रु के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन-शिलान्यास करेंगे। शाह एयरपोर्ट के बाहर प्रोटोकॉल तोड़कर गाड़ी से नीचे उतरे और भाजपा और AIDMK कार्यकर्ताओं को हाथ हिलाकर विश करते दिखे। AIDMK ने कहा कि राज्य में अगले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के साथ गठबंधन रहेगा।

बाइडेन की पत्नी जिल की पॉलिसी एडवाइजर होंगी माला अडिगा
प्रेसिडेंट इलेक्ट जो बाइडेन की पत्नी जिल बाइडेन का पॉलिसी डायरेक्टर भारतवंशी अमेरिकी माला अडिगा को बनाया गया है। माला एकेडमिक स्ट्रैटजिस्ट हैं। वे बराक ओबामा के दूसरे कार्यकाल में बतौर एडवाइजर काम कर चुकी हैं।

भास्कर डेटा स्टोरी
20% तक महंगा होने वाला है आपका मोबाइल बिल

देश में अब तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनियां हैं। पहली वोडाफोन-आइडिया, दूसरी एयरटेल और तीसरी रिलायंस जियो। तीनों ही कंपनियां 20% टैरिफ बढ़ाने की तैयारी में हैं। मतलब अब आपका हर महीने का मोबाइल बिल 20% बढ़ने वाला है।
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पॉजिटिव खबर
सत्तू का बिजनेस शुरू किया, 10 लाख रु सालाना टर्नओवर

यह कहानी है बिहार के मधुबनी जिले में रहने वाले सचिन कुमार की। मुंबई में नौकरी छोड़कर बिहार के फेमस सत्तू को वर्ल्ड फेमस बनाने के लिए गांव लौटे। फिर स्टार्टअप शुरू किया। इसका नाम है सत्तुज। सालाना टर्नओवर 10 लाख रुपए है।
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सुर्खियों में और क्या है...

  • जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के नौशेरा सेक्टर में शनिवार सुबह पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में भारतीय सेना के हवलदार पाटिल संग्राम शिवाजी शहीद हो गए।
  • रोहित शर्मा ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वनडे और टी-20 मिलाकर 11 दिन में 6 मैच होने थे। मैंने सोचा कि IPL के बाद खुद को फिट करूं, ताकि टेस्ट खेल सकूं।
  • गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले में सड़क हादसे में एक ही परिवार के 7 लोगों की मौत हो गई। हादसा मालवन हाईवे पर शनिवार को सुबह 5.30 बजे हुआ।
  • वर्ल्ड नंबर-1 नोवाक जोकोविच ने कहा- अगर ऑस्ट्रेलियन ओपन होता है और टूर्नामेंट में अगर 10% लोग भी स्टेडियम पहुंचते हैं, तो ये बड़ी बात होगी।


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NCB arrested comedian Bharti Singh; ED entry in fake TRP case and 57-hour curfew in Ahmedabad. Top News Morning Briefing Today From Dainik Bhaskar On 12 november 2020


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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार को सुबह 10 बजे मध्य प्रदेश में कोरोना की स्थिति की समीक्षा करेंगे। बैठक में उन जिलों की रिपोर्ट पर चर्चा होगी, जहां संक्रमण तेजी से फैल रहा है। शिवराज ऐसे जिलों के कलेक्टर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की करेंगे।

बैठक में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की सिफारिशें भी रखी जाएंगी। माना जा रहा है कि इन सिफारिशों के आधार पर बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि शनिवार को अपने-अपने जिलों में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की बैठक कर रिपोर्ट भेजें।

5 जिलों में नाइट कर्फ्यू लगाया गया

प्रदेश में कोरोना के मामलों में तेजी देखते हुए सरकार ने 5 जिलों में 21 नवंबर से नाइट कर्फ्यू लागू कर दिया है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, रतलाम और विदिशा में रात 10 से सुबह 6 बजे तक कर्फ्यू रहेगा। नाइट कर्फ्यू के पहले दिन इन जिलों में सख्ती दिखाई गई। भोपाल में कर्फ्यू तो रात 10 बजे लगाया जाना था, पर दुकानदारों ने आपसी सहमति से रात 8 बजे दुकानें बंद करने का फैसला लिया है। इंदौर की मशहूर छप्पन दुकान रात 9 बजे ही बंद हो गई।



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शिवराज की रिव्यू मीटिंग में जिलों से आई क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप की रिपोर्ट भी रखी जाएगी।


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Comedian bharti singh and his husband harsh arrest. laughter, drunk, spent the day questioning, night spent in custody


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कहानी- वेद व्यास ने चार वेदों का संपादन किया, महाभारत की रचना की। उनके बेटे शुकदेव शादी नहीं करना चाहते थे। तब गृहस्थी की समझ लेने के लिए व्यासजी ने उनको राजा जनक के पास भेजा।

राजा जनक बहुत विद्वान थे। उस समय जनक का वैवाहिक जीवन आदर्श था। गृहस्थ होने के बाद भी वे वैरागी स्वभाव के थे। पिता के कहने पर शुकदेव राजा जनक से मिलने चल दिए। रास्ते में वे सोच रहे थे कि एक राजा से मैं क्या बात करूंगा?

कुछ समय बाद शुकदेव जनक के महल के द्वार पर पहुंच गए। वहां द्वारपाल ने शुकदेव को रोक लिया। जब शुकदेव ने कहा कि उन्हें राजा से मिलना है, तो द्वारपाल ने कहा कि पहले आपको हमारे प्रश्न के उत्तर देने होंगे, उसके बाद ही आप राजा से मिल सकते हैं।

जनक के द्वारपाल भी बहुत विद्वान थे। उन्होंने शुकदेव से पूछा कि बताइए सुख और दुख क्या हैं?

शुकदेव भी बुद्धिमान थे। उन्होंने कहा, 'सुख और दुख को अलग-अलग देखना नादानी है। ये दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जीवन में सुख आएगा, तो कभी दुख भी आएगा। इनका आना-जाना चलता रहता है। सिर्फ देखने का नजरिया महत्वपूर्ण है।'

द्वारपाल ने दूसरा प्रश्न पूछा कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र कौन है?

शुकदेव ने उत्तर दिया कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु और सबसे बड़ा मित्र वह स्वयं ही होता है।

ये उत्तर सुनकर द्वारपाल ने कहा, 'आप विद्वान हैं। आपके उत्तरों में तर्क है। आप राजा जनक से मिल सकते हैं।'

सीख- अपनी तैयारी पूरी गहराई के साथ करनी चाहिए। किसी ज्ञानी से मिलने के लिए हमारा आचरण भी उनके स्तर का ही होना चाहिए। जब आप किसी विद्वान के पास जाएंगे, तो हर कदम आपको परीक्षा देनी होती है। आपको सभी परीक्षाओं में अपनी समझदारी से सफल भी होना है।



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इन दिनों दिल्ली में घर से बाहर निकलते ही कुछ देर में आपकी आंखों में जलन और सिर भारी सा होने लगेगा। कई लोगों को तो सांस लेने में तकलीफ तक होने लगती है। इस साल दिल्ली में 10 अक्टूबर तक हवा ठीक-ठाक थी, लेकिन इसके बाद से हवा की क्वालिटी खराब होती चली गई और दिवाली के अगले दिन सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई। हर साल अक्टूबर-नवंबर आते-आते दिल्ली की हवा दमघोंटू हो जाती है और बीमार लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। इसकी एक बड़ी वजह पड़ोसी राज्यों हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाए जाने को माना जाता है।

इस समय किसान खेत से धान की फसल काटकर गेहूं बोने की जल्दी में होते हैं और खेत साफ करने के लिए धान की पराली को आग लगा देते हैं। रविवार शाम हुई बारिश की फुहारों और हवा के बदले रुख ने दिल्ली की हवा को कुछ साफ कर दिया और AQI मॉडरेट स्तर पर पहुंच गया। मंगलवार प्रदूषण के मामले में दिल्ली के लिए एक अच्छा दिन था। एयर क्वालिटी इंडेक्स 130 तक पहुंच गई, जबकि दिन का औसत 170 रहा।

दिल्ली की हवा में हुए इस बेहतर बदलाव के लिए सरकार की कोई नीति नहीं, बल्कि मौसम ही जिम्मेदार है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगले एक-दो दिनों में दिल्ली की हवा फिर से खराब होने लगेगी। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉर कास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) विभाग देश के महानगरों में हवा की गुणवत्ता पर नजर रखता है। सफर के मुताबिक, आने वाले दिनों में हवा और खराब होगी।

आग पर निगरानी रखने वाली संस्थाएं डेटा इकट्ठा करने के लिए सैटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल करती हैं। सफर के डेटा के मुताबिक, 6 नवंबर को पराली जलाए जाने के 4200 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, लेकिन 17 नवंबर को ये आंकड़ा दस से भी कम था। मौसम विभाग के वैज्ञानिक वीके सोनी का कहना है कि बहुत संभव है कि बादलों ने सैटेलाइट के विजन को रोक दिया हो।

खरीफ सीजन में पंजाब में 2018 में आग की करीब 50 हजार और 2019 में करीब 52 हजार घटनाएं रिकॉर्ड की गईं थीं।

सफर के डेटा के मुताबिक, बीते शुक्रवार को 14% पीएम 2.5 पराली जलाए जाने की वजह से था, जबकि शनिवार को ये बढ़कर 32% हो गया। मंगलवार को दिल्ली की हवा में पराली जलाए जाने की वजह से होने वाला पीएम 2.5 प्रदूषण सिर्फ 3% था यानी न के बराबर। हवा में घुले पीएम 2.5 कण बेहद सूक्ष्म होते हैं और ये फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।

प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदम
दिल्ली-NCR में प्रदूषण पर नजर रखने के लिए बनाए गए वायु गुणवत्ता आयोग ने 9 नवंबर को जारी आदेश में तुरंत 10 कदम उठाने को कहा था। इनमें पर्सनल व्हीकल के इस्तेमाल को कम से कम करना, बेहद जरूरी ना होने पर यात्रा ना करना, वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा देना, धूल को कंट्रोल करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों का सख्ती से पालन कराना, बायोमास और सॉलिड वेस्ट को जलाने पर सख्त पाबंदी लगाना शामिल है।

धूल प्रभावित क्षेत्रों में पानी का छिड़काव करना, अधिक प्रदूषण वाले इलाकों में एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल करना, आतिशबाजी और पराली जलाए जाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करवाने के दिशा-निर्देश भी आयोग ने दिए थे।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने भी 11 नवंबर को जारी आदेश में हरियाणा और पंजाब सरकारों से पराली और दिल्ली में कचरा जलाए जाने से रोकने के लिए कहा था। CPCB अपने समीर मोबाइल ऐप के जरिए AQI की जानकारी देता है। इस ऐप पर लोग पॉल्यूशन से जुड़े निर्देशों और नियमों के उल्लंघन की शिकायत भी कर सकते हैं। हालांकि, हमने जब इस ऐप को दिल्ली के कई इलाकों में चेक किया, तो कोई शिकायत दर्ज नहीं मिली।

वाहनों का प्रदूषण
नोएडा के जिस इलाके में मैं रहती हूं, वहां तक आते-आते रास्ते में पुलिस के कम से कम पांच बैरीकेड मिलते हैं, जहां मास्क की चेकिंग की जाती है। बैरिकेड लगे होने की वजह से कई जगह वाहन रोकने की स्थिति बन जाती है और जाम सा लग जाता है। इस दौरान वाहनों से धुआं निकलता रहता है।

बैरीकेड पर रुके एक कार सवार कहते हैं, 'बेवजह हो रहे इस प्रदूषण की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। प्रशासन का फोकस जुर्माना वसूलने पर है, समस्या के समाधान पर नहीं। सफर से जुड़े वैज्ञानिक कहते हैं, 'पराली जलाया जाना NCR में होने वाले प्रदूषण का एक कारण तो है, लेकिन सिर्फ यही वजह नहीं है। वाहनों से निकलता धुआं भी हवा में जहरीले तत्व घुलने की बड़ी वजह है।

इस साल पंजाब में जली सबसे ज्यादा पराली

सफर के डेटा के मुताबिक, 6 नवंबर को पराली जलाए जाने के 4200 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के मुताबिक, इस साल 22 सितंबर से 17 नवंबर के बीच सिर्फ पंजाब में ही पराली जलाए जाने के 74,236 मामले रिकॉर्ड किए गए। 2016 के बाद से ये सबसे ज्यादा है। खरीफ के सीजन में 2016 में पंजाब में आग की 80,879 घटनाएं रिकॉर्ड की गईं थीं। 2017 में आंकड़ा 43,660, 2018 में 49,905 और 2019 में 51,946 था।

कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा पराली जलाए जाने में हुई बढ़ोतरी के पीछे किसानों के गुस्से को देखते हैं। शर्मा कहते हैं, 'पंजाब के किसानों में सरकार की नीतियों को लेकर गुस्सा है। ये भी पराली ज्यादा जलाए जाने की एक वजह हो सकती है।' वहीं, भारतीय किसान यूनियन के नेता हरिंदर सिंह लखोवाल कहते हैं कि कृषि विधेयकों को लेकर किसानों में भड़का गुस्सा ज्यादा पराली जलाए जाने की सबसे बड़ी वजह है।

देवेंद्र शर्मा कहते हैं, 'प्रदूषण की वजह सिर्फ पराली ही नहीं है, बल्कि कई और कारण हैं। किसान जानते हैं कि पराली जलाने से सबसे पहले नुकसान किसान परिवार को ही होता है। किसान जानता है, लेकिन पराली जलाना उसकी मजबूरी है, क्योंकि उसे जल्द से जल्द गेहूं की बुवाई के लिए खेत साफ करना होता है। पंजाब सरकार ने पराली जलाए जाने से रोकने के लिए किसानों को मशीनें बेची हैं। अब तक 74 हजार मशीनें बेची जा चुकी हैं, लेकिन ये समाधान नहीं है।'

शर्मा कहते हैं, 'किसान आर्थिक मदद की मांग करते हैं। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को 100 रुपए क्विंटल के हिसाब से इन्सेंटिव देने का आदेश दिया था। लेकिन, सरकारों ने इसे भी लागू नहीं किया।' पंजाब में हर साल 200 लाख टन पराली निकलती है। किसी भी सरकार या निजी कंपनी के लिए इसे मैनेज करना बहुत मुश्किल होगा।

देवेंद्र शर्मा कहते हैं, 'सरकार को ह्यूमन कैपिटल में इन्वेस्ट करना होगा, लेकिन सरकार का जोर मशीनों में इन्वेस्ट करने पर है। अगर सरकार जुलाई-अगस्त में किसानों को सौ रुपए क्विंटल का इन्सेंटिव देने का वादा करती, तो किसान सितंबर तक कुछ ना कुछ इंतजाम कर लेते। नीतियां बनाने वालों को समझना होगा कि गलती उनकी भी है। जब तक प्रभावी नीतियां नहीं बनेंगी, ये समस्या और बढ़ती रहेगी।'



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CPCB ने भी 11 नवंबर को जारी आदेश में हरियाणा और पंजाब सरकारों से पराली जलाए जाने से रोकने के लिए कहा था।- फाइल फोटो


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सत्तू... नाम तो सुना ही होगा। सबसे ज्यादा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में फेमस है, इसे खाया भी जाता है और पिया भी जाता है। इसे बिहारी फास्ट फूड भी कह सकते हैं, ऐसा फास्ट फूड, जिसका किसी भी तरह का साइड इफेक्ट नहीं होता। सत्तू से कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं, इसमें लिट्टी-चोखा से लेकर सत्तू पराठे तो अब देशभर में लोग खाना पसंद करते हैं। बिहार में तो इसके नाम से एक लोक पर्व भी है, जो अप्रैल महीने में मनाया जाता है, नाम है सतुआन। इस स्टोरी में हम सत्तू का जिक्र इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज की खुद्दार कहानी में हम जिस शख्स की बात करने जा रहे हैं, उसके जीवन का लक्ष्य सत्तू को दुनिया भर में पहुंचाना है।

बिहार के मधुबनी जिले में रहने वाले सचिन कुमार ने मुंबई में अपनी सेटल्ड नौकरी छोड़कर बिहार के फेमस सत्तू को वर्ल्ड फेमस बनाने के लिए ​अपने गांव लौटकर एक स्टार्टअप शुरू किया है, नाम है सत्तुज। सचिन इसके जरिए सत्तू को प्रोसेस कर अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट्स बना रहे हैं, इसमें सत्तू पाउडर, रेडीमेड एनर्जी ड्रिंक और लिट्टी-चोखा रेडीमेड मसाला शामिल हैं।

सचिन कहते हैं ‘हमने अपने वेंडर से पैकेजिंग से लेकर हर चीज फाइनल की थी और हमने उनसे रिक्वेस्ट की थी कि 14 अप्रैल को सतुआन पर्व मनाया जाता है और इस दिन सत्तू खाने और पीने का काफी महत्व होता है। इसलिए अगर हमारे पास पहला स्टॉक आ जाए तो मैं पहला पैकेट अपने मम्मी-पापा को देना चाहता हूं।’

सचिन ने सत्तू की सही प्रोसेसिंग के लिए फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग भी ली, ताकि उनके प्रोडक्ट्स में सभी चीजें सही मात्रा में हो।

सचिन कहते हैं कि पाउलो कोएल्हो ने अपनी किताब द अल्केमिस्ट में लिखा है कि 'And, when you want something, all the universe conspires in helping you to achieve it.' और इसी का हिंदी वर्जन हमने शाहरुख खान की फिल्म में सुना है कि 'अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हे उससे मिलाने में लग जाती है।' तो मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, किस्मत की बात है कि 14 अप्रैल 2018 को हमारे पास उसका पहला पैकेट आया। फिर हमने इसी दिन अपनी कंपनी गो रूरल फूड बेवरेजेस के तहत अपने ब्रांड सत्तुज की शुरुआत की।

मुम्बई की नौकरी छोड़ सचिन ने गांव आकर सत्तू पर पायलट स्टडी शुरू की

सत्तुज के सफर के बारे में सचिन बताते हैं ‘MBA के दौरान मैंने एंटरप्रेन्योरशिप की पढ़ाई की। मेरी फैमिली का रिटेल का बिजनेस था। उस दौरान मुझे लगा कि हम जो बिजनेस कर रहे हैं, उसमें हम बाहर का सामान लाकर बिहार में बेचते हैं, लेकिन बिहार का एक भी सामान हम बिहार से बाहर नहीं बेच रहे हैं। पढ़ाई के दिनों से ही मन में था कि ऐसा कुछ करें जिससे बिहार का नाम बाहर देशों तक पहुंचे, लेकिन यह सब करना इतना आसान नहीं था।’

MBA कम्प्लीट करने के बाद सचिन को मुंबई में एक अच्छी जगह नौकरी मिल गई। कुछ साल बाद अमेरिका जाने का भी मौका मिला, लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लग रहा था, वो अपने बिहार की जमीन पर कुछ अपना ही करना चाहते थे। 2008 में सचिन नौकरी छोड़कर अपने घर लौट आए। सचिन के इस फैसले से घर में कोई भी खुश नहीं था। इस दौरान वो हमेशा अपने आसपास ऐसा कुछ ढूंढ़ने की कोशिश करते रहे, जिसके जरिए वो बिहार की अलग पहचान बना सकें। उनकी यह तलाश सत्तू पर जाकर खत्म हुई।

सचिन कहते हैं कि यह रेडी मिक्स ड्रिंक ग्लूटेन फ्री, वीगन और प्रिजर्वेटिव फ्री है। ये कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का अच्छा और हेल्दी ऑप्शन भी है।

2016 से सचिन ने सत्तू पर एक पायलट स्टडी शुरू की। उन्होंने अलग-अलग शहरों में यात्राएं कर यह समझा कि आखिर लोग सत्तू के बारे में कितना जानते हैं। सचिन बताते हैं, ‘इस दौरान हमारे सामने बहुत-सी चौंकाने वाली जानकारियां आईं। किसी को सत्तू बनाना नहीं आता था तो किसी के पास इतना वक्त नहीं होता था कि तमाम चीजें जुटा कर सत्तू बना सके। तब हमने तय किया कि हम मार्केट में सत्तू को रेडी-टू-मेड ड्रिंक के तौर पर लॉन्च करेंगे। हमने एक छोटा ड्रिंक पैक तैयार किया जो ट्रैवलिंग के दौरान आसानी से साथ रखा जा सके।’

यंग जेनरेशन को सत्तू बोरिंग लगता था इसलिए इसकी पैकेजिंग को अलग बनाया

सचिन ने सत्तू की सही प्रोसेसिंग के लिए फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग भी ली, ताकि उनके प्रोडक्ट्स में सभी चीजें सही मात्रा में हो। फिर उन्होंने प्रोडक्ट तैयार कराया और FSSAI सर्टिफिकेशन भी लिया। सचिन कहते हैं, 'हमने सत्तू को नया रूप देने के साथ-साथ इसकी पैकेजिंग को भी अलग बनाया। क्योंकि, नई जेनरेशन को सत्तू काफी बोरिंग लगता था, इसलिए हमने अपने प्रोडक्ट को बाकी ड्रिंक्स जैसे ही पै​क किया।'

सचिन के इस स्टार्टअप के लिए उन्हें IIM कोलकाता से लोन और इंडियन एंजेल नेटवर्क (IAN) और बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन (BIA) से फंडिंग मिली है।

शुरुआत में सचिन ने सत्तू के तीन फ्लेवर्स बाजार में उतारे, इसमें जल-जीरा, स्वीट और चॉकलेट फ्लेवर शामिल थे। इसकी कीमत 20 रुपये लेकर 120 रुपये तक रखी, पैकिंग सैशे और डिब्बे में की गई। इसके साथ पेपर का एक गिलास और एक चम्मच भी दिया गया। यानी ग्राहक को बस गिलास में पाउडर और पानी को मिलाना और पीना है। सचिन कहते हैं कि यह रेडी मिक्स ड्रिंक ग्लूटेन फ्री, वीगन और प्रिजर्वेटिव फ्री है। ये कार्बोनेटेड ड्रिंक्स का अच्छा और हेल्दी ऑप्शन भी है।

सत्तुज बिहार का पहला स्टार्टअप जिसे IAN और BIA से फंडिंग मिली है

सचिन के इस स्टार्टअप के लिए उन्हें IIM कोलकाता से लोन और इंडियन एंजेल नेटवर्क (IAN) और बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन (BIA) से फंडिंग मिली है। सत्तुज बिहार का पहला स्टार्टअप है जिसे इन दोनों नेटवर्क्स से फंडिंग मिली है।

सचिन बताते हैं, ‘इंडियन एंजेल नेटवर्क के बहुत बड़े इन्वेस्टर हरि बालसुब्रमण्यम से मैं एक इवेंट में मिला था। मैंने वहां हरि सर को एक गिलास सत्तू पिलाया था। 5 मिनट के अंदर ही उन्होंने हमें कमिटमेंट किया कि वो हमारे स्टार्टअप को फंडिंग देंगे। मैंने कभी नहीं ​सोचा ​था कि बिना किसी बिजनेस प्रपोजल, पीपीटी, स्लाइड्स के सिर्फ प्रोडक्ट देखकर ​कमिटमेंट मिल जाएगा और वो भी सत्तू पिलाकर। उन्होंने तुरंत BIA को भी फोन किया, इसके बाद बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन ने भी तय किया कि क्यों न बिहार के स्टार्टअप में इन्वेस्ट किया जाए।’

आज सचिन की कंपनी में 10 लोग काम करते हैं। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और अपनी वेबसाइट के जरिए देश भर में अपने प्रोडक्ट पहुंचा रहे हैं। सचिन ने अपने हर प्रोडक्ट पर मेड इन बिहार लिखा है। पिछले फाइनेंशियल ईयर में सचिन की कंपनी का रेवेन्यू 10 लाख रुपए रहा। वहीं इस साल लॉकडाउन के बावजूद भी उनकी कंपनी ने यह आंकड़ा नवंबर में ही क्रॉस कर लिया है।



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बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले सचिन कुमार सत्तू का बिजनेस करते हैं। चाहते हैं ये दुनियाभर में मशहूर हो।


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साल 2020 जाते-जाते काफी उठापटक में मूड में है। लगभग ढाई सौ बरस पुराने लोकतंत्र अमेरिका में पहली बार महिला उप-राष्ट्रपति बनी। मानो इतना ही काफी न हो, उनके पति ने पत्नी का हाथ बंटाने के लिए नौकरी छोड़ने का ऐलान कर दिया। इधर हमारे यहां भी जानलेवा मंजर दिख रहे हैं। टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' के 12वें सीजन में अब तक दो करोड़पति बने। दोनों ही महिलाएं। हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन के सामने बैठी वे औरतें अपनी मालूमात के साथ एकदम सहज थीं। जैसे अलग-अलग विषयों की जानकारी रखना उनके लिए सांस लेने जितना स्वाभाविक हो।

उनके पास जवाब थे- सवाल चाहे राजनीति का हो, फिल्म, या फिर किसी मजहब का। जीतकर लौटती उन विजेताओं के चेहरे पर नक्काशीदार घमंड नहीं था, बल्कि भरपूर खेलकर लौटने का सुख था। टीवी पर एपिसोड का प्रोमो आते ही मानो पैर के नीचे सुरसुरी छूट गई। एक के बाद एक खबरें लिखी गईं। पढ़िए तो लगेगा, जैसे उनकी जीत मर्द जात के चेहरे पर तमाचा हो। मानो सोई मर्दानगी को झकझोरा जा रहा हो कि देखो, अब तो औरतें भी जीतने लगीं। मियां, अब तो होश में आओ।

ये पहली दफा नहीं, हर साल बोर्ड के नतीजे आते ही यही हाल होता है। अखबारी हेडलाइंस गाती हैं- लड़कियों ने लड़कों से मारी बाजी... पहली नजर में ये एकदम उजली हेडलाइन है। लड़कियों को मजबूत दिखाती हुई। लेकिन नजरों में जरा-भी तजुर्बा हो तो तुरंत समझ आता है कि ये हेडलाइन लड़कियों की जीत का जश्न कम, लड़कों की हार पर शर्म ज्यादा है। पुरुषों से खचाखच भरा मीडिया औरतों की जीत पर अक्सर उनके निजी दर्द उड़ेलने लगता है।

वैसे देखा जाए तो अब तक पुरुषों की जीत ठीक वैसी ही थी, जैसे मुकाबले में केवल एक खिलाड़ी का उतरना। बिना किसी रुकावट वो जीतता चला गया और इतना जीता कि जीत उसके शरीर का हिस्सा हो गई। गांव के चौराहों से लेकर शहरों के चमचमाते ड्रॉइंग रूम तक हर जगह पुरुष काबिज रहे, जो राजनीति पर चर्चा करते...क्रिकेट के छक्के-चौके पर सीटियां बजाते और किसी कानून पर ज्ञान-गंगा बहाते। इतना ज्ञान कि नील नदी के किनारे पसरे मगरमच्छ को देखकर उसकी नस्ल तक बता दें।

इधर जानकार मर्दों की नासमझ जनानियां पल्लू कमर में खोंचे सरपट यहां से वहां भागतीं कि चौका निपटे तो खेत का काम कर डालें। या फिर खेत खाली हो तो त्यौहार मुंह फाड़े इंतजार करते होते। अब ऐसी औरत जाने भी तो भला क्या! उसका सारा गणित रसोई की घट-बढ़ में चुक जाता। सारा सामान्य ज्ञान फलाने गांव के ढिकाने नातेदारों में खपता। नतीजा, ज्ञानी मर्द ने तपाक से ऐलान कर दिया कि औरतों को न तो देश-दुनिया की मालूमात है, और न राजनीति की। विज्ञान-गणित की तो क्या ही कहें।

फिर वैसा ही हुआ भी। हल्दी-मसालों से महमहाती औरत ने किताबें शादी में मिली रेशमी साड़ी में लपेटकर रख दीं और बिसार दी गईं। बस, तब से यही सिलसिला चला आ रहा है। औरत को पहली नजर में कमजोर ही माना जाता है, जब तक कि वो खुद को साबित न कर दे। इसके उलट, पुरुष को तब तक मजबूत या जानकार माना जाता है, जब तक कि वो इस बात को गलत न साबित कर दे।

ये दोहरापन केवल मर्दों के भीतर नहीं, बदकिस्मती से औरतों के खून में भी खुद अपने ही लिए ये डर बहने लगा। इसे रिसर्च की भाषा में Goldberg paradigm कहते हैं। इसके तहत पूरी दुनिया के मर्दों और औरतों को कुछ पढ़ाया गया। पढ़ाने से पहले बता दिया गया कि लेख फलां पुरुष का है। एक दूसरे ग्रुप को वही लेख फलां महिला का कहकर पढ़ने को दिया गया। पढ़ने के बाद दोनों समूहों की राय एकदम अलग थी। एक ही आर्टिकल को उन लोगों ने शानदार कहा, जिन्हें वो किसी मर्द का लिखा लगा था। वहीं औरत के लिखे पर उन्हीं शब्दों ने बेहद कम नंबर पाए।

यानी मसला जानकारी का नहीं, बल्कि इस बात का है कि काम किसने किया- मर्द ने या औरत ने। खुद को पारदर्शी बताने के फेर में मर्द जमात ने कई शोध किए। जनाना-मर्दाना दिमाग की तस्वीर तक निकाल डाली। भारी-मोटे शब्दों में खूब संभलते हुए बताया कि औरत दरअसल गाने-बजाने, खुशबूदार खाना पकाने और बच्चे संभालने में ही मर्द से बेहतर है। औरत में किडनी, लीवर की तरह ही एक अंग ममता का होता है। वो नर्स बन उल्टियां तो साफ कर सकती है, लेकिन डॉक्टर बन ब्रेन सर्जरी नहीं कर सकती।

दरियादिली से छलछलाते कई मर्दों ने लगभग पुचकारते हुए बताया कि औरत नक्शे भूलती हैं तो ये उनका नहीं, कुदरत का दोष है। उसने औरत को दिमाग ही वैसा नहीं दिया। कुल मिलाकर बची-खुची तार्किक औरतों का पानी उतारने की गरज से ये सारी खोजें हुईं। अब सवाल ये आता है कि अगर औरत के दिमाग का बायां हिस्सा ज्यादा तेज है तो आर्ट गैलरी में पुरुष कलाकारों की भीड़ कैसे है। खुद की किताबें लिख सकने वाली औरत किताबों का विषय बनकर ही क्यों रह गई। सवाल तो ढेर सारे हैं। अनाम औरत कलाकारों के एक ग्रुप गुरिल्ला गर्ल्स ने एक स्टडी की। इसमें पाया गया कि मॉडर्न आर्ट में केवल 4 फीसदी ही महिला कलाकार हैं। इसके बाद भी नंगी तस्वीरों के जखीरे का 76 फीसदी औरतों की तस्वीरों से अटा पड़ा है।

अब धीरे-धीरे ही सही सवालों का कुकुरमुत्ता उगने लगा है। बहुत-धीरे सही, औरतें संदूक खोल रेशमी साड़ी में दबी वो बिसरी किताब निकाल रही हैं। अब आपकी बारी है। जनरल नॉलेज में जीत को औरतों की किस्मत कहने की बजाए खुलकर बधाई दें। गणित या विज्ञान को पुरुषों का विषय कहना बंद कर दें और किडनी के बगल में ममता नाम का अंग आप भी ट्रांसप्लांट करवा लें। तब दायरे दोनों के बढ़ेंगे।



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A woman can be a nurse to clean up vomiting, but a doctor cannot do brain surgery


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आपका मोबाइल बिल हर महीने अब महंगा हो सकता है। देश की तीन बड़ी टेलीकॉम कंपनियां वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो टैरिफ में 20% की बढ़ोतरी करने की तैयारी में हैं। सबसे पहले वोडाफोन-आइडिया टैरिफ बढ़ा सकती हैं। उसके बाद एयरटेल और जियो भी टैरिफ प्लान महंगा कर सकती हैं। टैरिफ बढ़ने का मतलब ये हुआ कि अगर आप पहले हर महीने मोबाइल बिल पर 100 रुपए खर्च करते थे, तो अब आपको 120 रुपए खर्च करने होंगे। लेकिन सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ है कि कंपनियां टैरिफ बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं? आइए जानते हैं...

ऐसा इसलिए, ताकि यूजर से होने वाली कमाई बढ़ सके

रिलायंस जियो के आने के बाद से टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा नुकसान हुआ है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि जियो के आने से पहले तक देश में 9 प्राइवेट कंपनियां थीं, लेकिन अब सिर्फ जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ही बचीं।

जियो के आने से टेलीकॉम इंडस्ट्री में प्राइस वॉर छिड़ गया। नतीजा ये हुआ कि कंपनियों को अपने टैरिफ की कीमतें घटानी पड़ीं। इससे उनके रेवेन्यू पर तो असर पड़ा ही, साथ ही एक यूजर से होने वाली कमाई भी कम हो गई।

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के मुताबिक, जियो के आने से पहले जून 2016 में कंपनियां एक यूजर से हर महीने औसतन 155 रुपए कमाती थीं। इसमें से 126 रुपये कॉलिंग और दूसरी सर्विसेस से, जबकि 29 रुपये इंटरनेट डेटा से कमाती थीं। इसे एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) कहते हैं। जून 2020 में कंपनियों का औसत ARPU 90 रुपये पहुंच गया है। वह भी इसलिए क्योंकि कंपनियों ने बीच में टैरिफ बढ़ा दिया था। वरना जून 2018 में कंपनियों को ARPU तो 69 रुपये हो गया था।

20% बढ़ोतरी से आप पर और कंपनियों पर क्या असर होगा?

आप यानी यूजर परः जाहिर है 20% टैरिफ बढ़ने से आपका मोबाइल रिचार्ज भी 20% महंगा हो जाएगा। अगर अभी आप महीनेभर में 100 रुपये का रिचार्ज कराते हैं, तो बढ़ोतरी के बाद आपको 120 रुपये का रिचार्ज कराना होगा।

कंपनियों परः 20% टैरिफ बढ़ने से कंपनियों का ARPU बढ़ जाएगा। इससे इनकी कमाई भी बढ़ेगी। जैसे- सितंबर 2020 में जियो का ARPU 145 रुपये रहा। 20% बढ़ोतरी के बाद ये 174 रुपये तक हो सकता है। यानी, जियो एक यूजर से हर महीने औसतन 174 रुपये कमाएगी। सितंबर 2020 तक जियो के पास 40.56 करोड़ यूजर हैं। यानी, उसे 7,057 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई हो सकती है। हालांकि, ये आंकड़ा अनुमानित है और कम या ज्यादा हो सकता है। ये कंपनियां सर्विस पर क्या और कितना चार्ज बढ़ाएंगी, उस हिसाब से ये बढ़ या घट सकता है।

टैरिफ बढ़ाने को क्यों मजबूर हुईं कंपनियां? इसके दो कारण हैं

पहलाः जियो को छोड़ बाकी दो कंपनियां घाटे में

सितंबर तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक, जियो ही इकलौती ऐसी टेलीकॉम कंपनी है, जो फायदे में रही। सितंबर तिमाही यानी जुलाई से सितंबर तक उसे 2,844 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। वोडाफोन-आइडिया को इस तिमाही में 7,218 और एयरटेल को 763 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

दूसराः बकाया AGR भी चुकाना है

टेलीकॉम कंपनियों पर बकाया AGR चुकाने के मामले में सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, कंपनियों को अगले 10 साल में बकाया AGR चुकाना है। जबकि, 31 मार्च 2021 तक कुल बकाये का 10% देना है। सितंबर 2020 तक एयरटेल पर 88,251 करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 1.14 लाख करोड़ रुपये का कर्ज भी है। इन्हीं दोनों कंपनियों के ऊपर सबसे ज्यादा AGR है।

AGR यानी एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू टेलीकॉम कंपनियां सरकार को यूजेज और लाइसेंसिंग फीस के लिए चुकाती हैं।



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Mobile Bill Calling Tariffs Rise Again News; What Is Average Revenue Per User (Arpu) Reliance Jio Vodafone Idea Airtel


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कोरोना का असर हमारी सेहत के साथ घूमने-फिरने पर भी पड़ा है। फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन इन इंडियन टूरिज्म ऐंड हॉस्पिटैलिटी (FAITH) के मुताबिक सिर्फ टूरिज्म सेक्टर को 15 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान है। कुछ ट्रैवल एजेंसियों ने इसे ट्रैक पर लाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का फॉर्मूला भी अपनाया, लेकिन ये कामयाब नहीं हुआ।

ऐसे में अब ट्रैवल कंपनियों ने वर्चुअल ट्रैवलिंग की नया तरीका पेश किया है। कंपनियों का मानना है कि इसके जरिए टूरिज्म बढ़ेगा और उन्हें हो रहे नुकसान की भरपाई हो सकेगी।

वर्चुअल ट्रैवलिंग क्या है?

वर्चुअल ट्रैवलिंग का मतलब घर बैठे देश-दुनिया घूमना। आप अपने मोबाइल, स्मार्ट टीवी और लैपटॉप के जरिए दुनिया के किसी भी जगह का लाइव व्यू ले सकते हैं। इसके जरिए गाइड डिजिटली इक्विप्ड होकर आपको जगहों का लाइव-व्यू देता है। साथ ही उस जगह की बारीकियों और खूबियों के बारे में भी जानकारी देता है।

वर्चुअल ट्रैवलिंग कैसे करें?

ऑनलाइन विजिटर बनकर आप वर्चुअल ट्रैवलिंग का आनंद उठा सकते हैं। मोबाइल पर ऐसे कई ऐप मौजूद हैं, जो वर्चुअल ट्रैवलिंग को आसान बनाते हैं।

जानिए वर्चुअल ट्रैवलिंग करने के 5 खास तरीके-

1. डिजनी वर्ल्ड के जरिए

डिजनी वर्ल्ड वर्चुअल ट्रैवलिंग की सर्विस प्रोवाइड कर रहा है। यह आमतौर पर बच्चों की टूर और ट्रैवल साइट्स को अपनी वेबसाइट पर ऑफर करता है। आप इसके वेबसाइट पर साइन-अप कर वर्चुअल ट्रैवलिंग एक्सेस कर सकते हैं।

2. ऑनलाइन म्यूजियम विजिट के जरिए

ब्रिटिश म्यूजियम लंदन समेत दुनिया के कई म्यूजियम में आप ऑनलाइन विजिट कर सकते हैं। वहां पर मौजूद गाइड वेबकैम के जरिए आपको उसकी बारीकियां और खूबियां बताएगा। टूर कंपनी ट्रैवल लेजर अपनी वेबसाइट पर यह सुविधा उपलब्ध करा रही है।

3. गूगल स्ट्रीट व्यू के जरिए

गूगल स्ट्रीट व्यू से आप दुनिया की किसी बाजार और टूरिज्म साइट पर घर बैठे ही विजिट कर सकते हैं। इसके लिए आपको बस एक अच्छे फोन और बेहतर इंटरनेट नेटवर्क की जरूरत होगी। यह ऐप एंड्रॉइड और IOS पर उपलब्ध है।

4. VR ट्रैवल ऐप के जरिए

VR ट्रैवलिंग के कई मोबाइल ऐप्लिकेशन उपलब्ध हैं। इन्हें एंड्रॉइड और IOS पर डाउनलोड किया जा सकता है। आप इन्हें डाउनलोड कर 3D व्यू में दुनिया की 10 हजार ट्रैवल और टूरिस्ट प्लेस पर विजिट कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें- दवाएं, एक्स्ट्रा कपड़े, चार्जर रखना बिल्कुल न भूलें, इन 8 तरीकों से अपने सफर को आरामदायक बना सकते हैं...

5. ऑनलाइन होटल, जू और पार्क विजिट के जरिए

दुनिया में ऐसे बहुत होटल, पार्क और जू हैं, जहां इंसान लाइफ में एक बार जरूर विजिट करना चाहता है। ऐसी बहुत सारी वेबसाइट्स हैं, जो ऑनलाइन होटल, जू और पार्क विजिट करा रही हैं। आप घर बैठे बहुत कम पैसों को खर्च कर अपनी यह ख्वाहिश पूरी कर सकते है।

वर्चुअल ट्रैवलिंग को ऐसे करें एक्सेस

वर्चुअल ट्रैवलिंग एक नया कॉन्सेप्ट है। इसे एक्सेस करने के लिए बहुत से मोबाइल ऐप और वेबसाइट मौजूद हैं। आप ऐप डाउनलोड कर या वेबसाइट पर जाकर इसके लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसमें रजिस्ट्रेशन करने का प्रॉसेस सोशल मीडिया पर अकाउंट खोलने जैसा आसान है।



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