Saturday, May 16, 2020

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उत्तर प्रदेश में कोरोना का संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 24 घंटों में प्रदेश में एक दिन में203 पॉजिटिव मरीज सामने आ चुके हैं जिससे संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 4258 तक पहुंच गयी है। इससे पहले मई के पहले सप्ताह में एक दिन में 177 मरीज अधिकतम सामने आए थे। हालांकि राहत की बात यह है कि एक दिन में अधिकतम 275 मरीज डिस्चार्ज भी हुए हैं। पॉजिटिव मरीजों में से अभी एक्टिव मरीज 1713 हैं।वहीं प्रयागराज में बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन के दौरान शिक्षकों की र्थमल स्क्रीनिंग करायी जा रही है। इस बीच नोएडा के अधिकारियों का कहना है कि मेट्रो को चलाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। अब बस सरकार के निर्देश का इंतजार है।

प्रयागराज में कॉपियों के मूल्यांकन के दौरान हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन
प्रयागराज में बोर्ड एक्जाम के कॉपियों का मूल्यांकन चल रहा है। इस दौरान शिक्षकों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। मूल्यांकन में शामिल होने होने वाले सभी शिक्षकों को जांच के बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए उन्हें बैठाया जाता है। जिससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा कम से कम रहे। भारत स्काउट गाइड के प्रिंसिपल वाईसी त्रिपाठी ने बताया कि हम सरकार की सभी गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन कर रहे हैं। टीचरों की थर्मल स्क्रीनिंग करने के साथ ही पूरे परिसर को सैनिटाइज करने का काम भी किया जा रहा है।

नोएडा मेट्रो चलाने की तैयारी पूरी, केंद्र व राज्य सरकार के निर्देश का इंतजार

नोएडा में मेट्रो यात्रियों की सेवा के लिए पूरी तरह से तैयार है। नई गाइडलाइन के साथ ही मेट्रो में यात्रा करनी होगी। अधिकारियों का कहना है कि उपर से निर्देश मिलते ही परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।
नोएडा में मेट्रो यात्रियों की सेवा के लिए पूरी तरह से तैयार है। नई गाइडलाइन के साथ ही मेट्रो में यात्रा करनी होगी। अधिकारियों का कहना है कि उपर से निर्देश मिलते ही परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।

नोएडा-ग्रेनो के बीच एक्वा लाइन पर अगले सप्ताह से मेट्रो चलाने की तैयारी है। शुक्रवार को एनएमआरसी अधिकारियों ने बैठक कर स्टेशन ओर मेट्रो की व्यवस्थाएं देखी। केंद्र व राज्य सरकार से निर्देश मिलते ही मेट्रो चलानी शुरू कर दी जाएगी। यात्रा करने वाले सभी यात्रियों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ हाथों को सैनेटाइज करना होगा। इसके अलावा आरोग्य सेतु एप मोबाइल में डाउनलोड होना भी अनिवार्य है। एनएमआरसी की एमडी रितु माहेश्वरी ने कहा कि मेट्रो चलाने के लिए एनएमआरसी पूरी तरह से तैयार है। सरकार से निर्देश मिलते ही नियमों के तहत मेट्रो चलानी शुरू कर दी जाएगी।

ऑटो से ही परिवार को लेकर लौट रहे घर

वाराणसी के नदेसर में एक पेट्रोल पम्प के बाहर ऑटो कीलंबी लाइन लग गई। इनमें ऐसे लोग भी शामिल थे जो महाराष्ट्र से ऑटो से ही अपने परिवार को लेकर गांव जा रहे हैं।

वाराणसी के नदेसर में एक पेट्रोल पम्प के बाहर ऑटो कीलंबी लाइन लग गई। इनमें ऐसे लोग भी शामिल थे जो महाराष्ट्र से ऑटो से ही अपने परिवार को लेकर गांव जा रहे हैं।

पूरे देश में मजदूरों और अन्य लोगों का महराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली, हरियाणा से पलायन जारी है। बहुत से परिवार हजारों रुपये देकर ऑटो से ही घर तक का सफर तय कर रहे हैं। वाराणसी मेंनदेसर पेट्रोल पंप पर रविवार को सीएनजी के लिए ऑटो की लाइन लगी गयी। इसमें मुम्बई के ऑटो भी शामिल हैं। बिहार जा रहे इमरान ने बताया कि महाराष्ट्र में खतरा बहुत बढ़ गया है। पैसे भी खत्म हो गए हैं। वहां ऑटो चलाता था। दोस्त और अपने परिवार को लेकर सासाराम वापस जा रहा हूं।

जिले में 24 घंटे में तीन की मौत
मेरठ में आठ नए मरीज मिले हैं।इनमें एसपी सिटी की एस्कॉर्ट में शामिल सिपाही, आशा कार्यकर्ता और डेढ़ साल का बच्चा शामिल है। अब तक मेरठ में 320 मरीज मिल चुके हैं। 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 114 लोग स्वस्थ हो चुके हैं।सीएमओ डॉ. राजकुमार ने बताया कि मृतका रशीद नगर निवासी जीशान फातिमा (52) को शुक्रवार सुबह करीब मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। अपराह्न करीब तीन बजे उनकी मौत हो गई। देर रात उन्हें कोरोना की पुष्टि हुई। इसके बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया।शनिवार रात मुसद्ददीलाल (68) की भी जान चली गई। वह शिव हरि कृष्णपुरम के रहने वाले थे। आठ मई से मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में भर्ती थे। इनके अलावा विनोद राठौर (50) दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल से 14 मई को रेफर किए गए थे। इनकी भी शनिवार को मौत हो गई। ये आगरा के रहने वाले थे।

रामपुर में एक दिन में 19 पॉजिटिव

शनिवार को रामपुर में कोरोना के 19 नये मामले सामने आए हैं। ये सभी लोग अहमदाबाद से ट्रेन से 12 मई को आए थे। इनके सैंपल 12 मई को लिए गए थे, जिसकी रिपोर्ट शनिवार को आई है। 117 लोगों के भेजे गए सैंपल में से 19 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। रामपुर में कोरना के मामलों की संख्या बढ़कर 57 हो गई है, जिसमें से 34 सक्रिय हैं। एक दिन में कोरोना के 19 मामले रामपुर में अब तक का रिकॉर्ड है।



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यह तस्वीर प्रयागराज की है। यहां बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन किया जा रहा है। यहां आने वाले सभी शिक्षकों की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है और उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग के तहत बैठाया जा रह है।


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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि खुले में कीटाणुनाशक (डिसइन्फेक्टेंट) छिड़कने से कोरोनावायरस नहीं मरता, बल्कि ऐसा करना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को यह चेतावनी जारी की।

डब्ल्यूएचओ ने बताया कि गलियों और बाजारों में डिसइन्फेक्टेंट के स्प्रे या फ्यूमिगेशन से फायदा इसलिए नहीं होता, क्योंकि धूल और गंदगी की वजह से वह निष्क्रिय हो जाता है। यह भी जरूरी नहीं कि केमिकल स्प्रे से सभी सतह कवर हो जाएं और इसका असर उनती देर रह पाए जितना रोगाणु को खत्म करने के लिए जरूरी होता है।

सीधे किसी व्यक्ति पर स्प्रे करने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं

डब्ल्यूएओ का कहना है कि किसी व्यक्ति पर डिसइन्फेक्टेंट का स्प्रे किसी भी सूरत में नहीं करना चाहिए। इससे शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकते हैं। ऐसा करने से संक्रमित व्यक्ति के जरिए वायरस फैलने का खतरा भी कम नहीं होता। क्लोरीन और दूसरे जहरीले केमिकल से लोगों को आंखों और स्किन से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। सांस लेने में दिक्कत और पेट-आंत से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।

डिसइन्फेक्टेंट में भीगे कपड़े से सफाई करनी चाहिए

इनडोर एरिया में भी स्प्रे और फ्यूमिगेशन सीधे नहीं करना चाहिए, बल्कि इसमें कपड़े या वाइप को भिगोकर सफाई करनी चाहिए। कोरोनावायरस अलग-अलग वस्तुओं और कामकाज वाली जगहों की सतह पर हो सकता है। यह किस सतह पर कितनी देर टिक सकता है, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है।



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ये तस्वीर गुवाहाटी की है, जहां म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के कर्मचारी सड़कों पर डिसइन्फेक्टेंट का छिड़काव कर रहे हैं।


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आज नहीं तो कल कोरोना की भयावहता कम हो जाएगी, लेकिन अपने पीछे बहुत से सवाल छोड़ जाएगी, सवाल कि लॉकडाउन में फंसे मासूमों की परवाह किसी ने क्यों नहीं की, थोपे गए पलायन के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा?अंतहीन सफर में हजारों कदम मंजिल तक पहुंचने से पहले ही क्यों थम गए, क्यों समय से पहले ही बोझ तले दबे मासूम समझदार हो गए। दम तोड़ती माताओं के बच्चों को ममता की छांव क्यों नसीब नहीं हुई, क्यों गरीबी में जीते मजदूरों की किसी ने परवाह नहीं की। जिम्मेदारों ने क्यों इसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं समझा, क्यों लगातार चलने और थकने पर भी रुकने की इच्छा नहीं हुई। बेबसी के आगे क्यों हौसले पस्त पड़ गए, क्यों किसी की इन पर करुणा दृष्टि नहीं पड़ी। जरूरत पर क्यों इन्हें अकेला छोड़ दिया, क्यों अचानक दुनिया में अस्थिरता फैल गई। पलायन का दर्द क्यों झेलना पड़ा, क्यों मुश्किल के दौर में रिश्तों में भी अपनापन नहीं रहा और आखिर क्यों गरीबों पर ये मुसीबत कहर बन कर टूट पड़ी। सिस्टम से सवाल करती ऐसी ही 15 तस्वीरें...

बड़ी मुश्किल है घर की डगर

यूपी के बलरामपुर निवासी बलरामसिंह यादव आठ साथियों के साथ 16-17 मार्च को माउंट आबू घूमने आएथे,लेकिन लॉकडाउन में फंस गए। लगातार पैदल चलने से उसकेपैरों में छाले पड़ गए तो अपनी शर्ट को फाड़कर पट्टी बांध ली। अन्य प्रवासी मजदूरों का भी हाल यही है। कई मजदूर जुगाड़ की गाड़ी से ही घर के सफर पर निकल पड़े हैं।

सिजेरियन के 15 दिन बाद ही गांव जाने की मजबूरी

सिजेरियन डिलीवरी के बाद जहां 10 दिन तक हॉस्पिटल भी मां को डिस्चार्ज नहीं करता, वहीं हालात ने सवा महीना पूरा होने से पहले ही एक मां को 15 दिन के बच्चे की परवरिश के लिए शहर छोड़कर गांव जाने पर मजबूर कर दिया। मां की अपनी हालत ऐसी है कि जमीन पर बैठा भी नहीं जा सकता, लेकिन औलाद की खातिर मां सब कुछ सहन करने को तैयार हो गई। 15 दिन की आयशा को गोद में लेकर जब जमीन पर बैठना मुश्किल हुआ तो पुलिस ने अपनी इंसानियत दिखाते हुए महिला को कुर्सी पर बिठाया, पानी पिलाया औ खाने के लिए भी पूछा।

रोजगार पर लगे ताले, खाने के पड़े लाले, पैरों में छाले....

प्रवासी मजदूर हालात के मारे व किस्मत से बेचारे बन रह गए हैं। इसी बेबसी को सैकड़ों प्रवासियों ने साइकिल से जोड़ दिया है। टूटी फूटी साइकिल पर घरेलू सामान व अपनों को समेटकर ये पैदल सैकड़ों किमी का सफर पैदल नापने रोजाना निकल रहे हैं। इन्हें बस चलते जाना है। साइकिल पर सवार मासूम बच्चा सोते हुए। इस धूप में नींद के लिए उसे छांव और पंखे की जरूरत ही नहीं पड़ी।

फर्ज: यह पिता है, कोई सरकार नहीं...

न तो मजदूरों की घर वापसी थम रही है न उनसे जुड़ी दर्द और दुख की कहानियां। ऐसी ही एक तस्वीर आंध्र प्रदेश के कुर्नूल से अपने घर छत्तीसगढ़ तक के 1200 किमी के सफर पर निकले पिता की सामने आई है। लॉकडाउन में काम से नाता टूटा तो घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। सफर लंबा और बेहद कठिन है। साथ में दो बेटियां भी हैं। उनके नन्हें कदम इस दूरी को भला कैसे नाप पाएंगे। सरकार भले ही भूल जाए पर पिता कैसे अपना फर्ज भूल सकता है। पिता ने बेटियों के लिए इस तरह की कांवड़ बना दी। अब दोनों बेटियां पिता की छांव में घर तक का सफर तय कर रही हैं।

18 दिन में ही देख ली दुनिया

इस बच्ची का जन्म लॉकडाउन के बीच 18 दिन पहले हुआ है। लेकिन इस छोटे से समय में उसने जान लिया कि जीवन कितना कठिन है। बच्ची के पिता मजदूरी करते थे। काम बंद होने से घर में खाने का संकट आ गया। शनिवार दोपहर मां नीतू देवी 40 डिग्री तापमान के बीच बच्ची को गोद में ले जींद की विश्वकर्मा कॉलोनी से 7 किमी. पैदल चलकर राजकीय पीजी कॉलेज पहुंची, तब जाकर उन्हें खाना नसीब हुआ। यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले इस परिवार के पास अब घर भेजे जाने का मैसेज भी आ गया है,लेकिन बस के लिए 24 घंटे का और इंतजार करना होगा।

मां! घर कब पहुंचेंगे...

यह तस्वीर भोपाल बायपास की है। महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश जा रहे मजदूरों का मिनी ट्रक यहां रुका तो तेज धूप में मां की गोद में बैठी चार साल की बच्ची यही पूछती रही- मां! घर कब पहुंचेंगे।

घर वापसी के बेरहम सफर पर मासूम बचपन

ये तस्वीरें भोपाल और आसपास के बाहरी इलाकों की हैं। ये बचपन भी अपने मजदूर-मजबूर माता-पिता के साथ सफर में है। इनकी मासूम आंखें हर वक्त यही पूछती हैं कि क्या घर लौटना इतना मुश्किल होता है?

नींद नहीं मानती

यह परिवार गृहस्थी का जरूरी सामान अपनी बाइक पर लादकर गुजरात से अपने घर बिहार लौट रहा है। करीब पांच साल का बच्चा बाइक के लगभग टैंक पर बैठा है। सफर लंबा है... नींद आई तो आगे रखे बैग पर सिर टिकाकर सो गया।

ऐसी बेबसी...मां-बेटी के पास एक ही जोड़ी चप्पल

अजमेर से मध्य प्रदेश के पन्ना के लिए निकली इन मां-बेटी के पास हौसला और उम्मीद के सिवाय कुछ नहीं है। 750 किमी के लंबे सफर में मां-बेटी के पास एक ही जोड़ी चप्पल है, जिसे वे बदल-बदल कर पहनते हैं। चप्पल टूटने के डर से वे कई किमी चप्पल हाथ में लेकर चत रहे हैं।

इस मासूम के पास बस मां थी...

छतरपुर में कपड़ा लगे ट्रक के पलटने से 6 लोगों की मौत हो गई। इसी में सवार यूपी की गुड़िया ने भी मौके पर दम तोड़ दिया। 5 साल की बेटी आलिया गंभीर घायल है। 2 साल का बेटा शव के पास बैठा बिलखता रहा। उसके पिता की भी 6 महीने पहले मौत हो चुकी है।

नेता जी, आपके परिवार का कोई बच्चा बिना दूध और खाने के तड़पता, तब आप क्या करते

घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ने जीरकपुर(पंजाब) पहुंचे प्रवासियों को खाने के लाले भी पड़े हैं। पैसा न होने से वे खाने का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। शनिवार को सिंगपुरा बस अड्‌डे पर किसी संस्था के कुछ लोग बिस्कुट बांटने पहुंचे तो एक-एक बिस्कुट के लिए दर्जनों हाथ उठे, वहीं कुछ छोटे बच्चे तेज धूप में नंगे पांव घूमते दिखे।

बेबसी की भागमभाग

बठिंडा में एम्स का प्रोजेक्ट रुक गया है। यहां पश्चिम बंगाल के मजदूर बिहार व झारखंड के लोगों के घर जाने के बाद ट्रेन की मांग कर रहे हैं। घर जाने की मांग पर अड़े हंगामा कर रहे मजदूरों को पुलिस समझने गई तो पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस ने सख्ती की तो प्रदर्शन कर रहे मजदूर भागते हुए नजर आए। फोटो : अश्विनी काका

यमुनानगर के गांवके सरकारी स्कूल में रोके गए प्रवासी

हरियाणा के यमुनानगर में प्रवासी मजदूर शनिवार को सड़क पर उतर आए। उन्होंने नए बने बाइपास हाईवे पर जाम लगा दिया। इस दौरान गांव के लोगों ने उन्हें समझाया, लेकिन वे नहीं माने। कुछ ने वहां पर पथराव कर दिया। इसी दौरान सूचना पुलिस को दी गई। इस दौरान पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ा।

स्ट्रेचर पर जिदंगी...

ये हैं बिहार समस्तीपुर के पवन देवी और चंदन कुमार। चंदन की दोनों किडनी खराब हैं। वे डायलिसिस पर हैं। पीजीआई आए थे ट्रांसप्लांट करवाने। ऑपरेशन होना था कि लॉकडाउन हो गया। पांच साल के बेटे के साथ पीजीआई की रोटरी सराय में आश्रय लिया। हफ्ते में दो डायलिसिस होतेहैं। एक दिन चंदन फिसलकर गिरे तो उनका पैर भी टूट गया। लॉकडाउन की वजह से ऑटो-रिक्शा सब बंद है। चंदन अब चल फिर नहीं सकते इसलिए पवन देवी ने सराय से स्ट्रैचर लिया और पति का डायलिसिस करवाने नयागांव के लिए चल पड़ी।



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लो! बचपन बड़ा हो गया, अपने पैरों पर खड़ा हो गया; एक हाथ में रोटी तो दूसरे में मासूम भाई। तस्वीर रायपुर रेलवे स्टेशन की है। इसमें ये बच्चा एक हाथ में अपने भाई को संभाल रहा है, दूसरे हाथ में रोटी है और धूप का सफर...। फोटो- भूपेश केशरवानी


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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि खुले में कीटाणुनाशक (डिसइन्फेक्टेंट) छिड़कने से कोरोनावायरस नहीं मरता, बल्कि ऐसा करना लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।डब्ल्यूएचओ ने शनिवार को यह चेतावनी जारी की।

डब्ल्यूएचओ ने बताया कि गलियों और बाजारों में डिसइन्फेक्टेंट के स्प्रे या फ्यूमिगेशन से फायदा इसलिए नहीं होता, क्योंकि धूल और गंदगी की वजह से वह निष्क्रिय हो जाता है। यह भी जरूरी नहीं कि केमिकल स्प्रे से सभी सतह कवर हो जाएं और इसका असर उनती देर रह पाए जितना रोगाणु को खत्म करने के लिए जरूरी होता है।

सीधे किसी व्यक्ति पर स्प्रे करने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं

डब्ल्यूएओ का कहना है कि किसी व्यक्ति पर डिसइन्फेक्टेंट का स्प्रे किसी भी सूरत में नहीं करना चाहिए। इससे शारीरिक और मानसिक नुकसान हो सकते हैं। ऐसा करने से संक्रमित व्यक्ति के जरिए वायरस फैलने का खतरा भी कम नहीं होता। क्लोरीन और दूसरे जहरीले केमिकल से लोगों को आंखों और स्किन से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं। सांस लेने में दिक्कत और पेट-आंत से जुड़ी बीमारियां भी हो सकती हैं।

डिसइन्फेक्टेंट में भीगे कपड़े से सफाई करनी चाहिए

इनडोर एरिया में भी स्प्रे और फ्यूमिगेशन सीधे नहीं करना चाहिए, बल्कि इसमें कपड़े या वाइप को भिगोकर सफाई करनी चाहिए। कोरोनावायरस अलग-अलग वस्तुओं और कामकाज वाली जगहों की सतह पर हो सकता है। यह किस सतह पर कितनी देर टिक सकता है, इस बारे में सटीक जानकारी नहीं है।



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आज नहीं तो कल कोरोना की भयावहता कम हो जाएगी, लेकिन अपने पीछे बहुत से सवाल छोड़ जाएगी, सवाल कि लॉकडाउन में फंसे मासूमों की परवाह किसी ने क्यों नहीं की, थोपे गए पलायन के लिए क्यों मजबूर होना पड़ा?अंतहीन सफर में हजारों कदम मंजिल तक पहुंचने से पहले ही क्यों थम गए, क्यों समय से पहले ही बोझ तले दबे मासूम समझदार हो गए। दम तोड़ती माताओं के बच्चों को ममता की छांव क्यों नसीब नहीं हुई, क्यों गरीबी में जीते मजदूरों की किसी ने परवाह नहीं की। जिम्मेदारों ने क्यों इसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं समझा, क्यों लगातार चलने और थकने पर भी रुकने की इच्छा नहीं हुई। बेबसी के आगे क्यों हौसले पस्त पड़ गए, क्यों किसी की इन पर करुणा दृष्टि नहीं पड़ी। जरूरत पर क्यों इन्हें अकेला छोड़ दिया, क्यों अचानक दुनिया में अस्थिरता फैल गई। पलायन का दर्द क्यों झेलना पड़ा, क्यों मुश्किल के दौर में रिश्तों में भी अपनापन नहीं रहा और आखिर क्यों गरीबों पर ये मुसीबत कहर बन कर टूट पड़ी। सिस्टम से सवाल करती ऐसी ही 15 तस्वीरें...

बड़ी मुश्किल है घर की डगर

यूपी के बलरामपुर निवासी बलरामसिंह यादव आठ साथियों के साथ 16-17 मार्च को माउंट आबू घूमने आएथे,लेकिन लॉकडाउन में फंस गए। लगातार पैदल चलने से उसकेपैरों में छाले पड़ गए तो अपनी शर्ट को फाड़कर पट्टी बांध ली। अन्य प्रवासी मजदूरों का भी हाल यही है। कई मजदूर जुगाड़ की गाड़ी से ही घर के सफर पर निकल पड़े हैं।

सिजेरियन के 15 दिन बाद ही गांव जाने की मजबूरी

सिजेरियन डिलीवरी के बाद जहां 10 दिन तक हॉस्पिटल भी मां को डिस्चार्ज नहीं करता, वहीं हालात ने सवा महीना पूरा होने से पहले ही एक मां को 15 दिन के बच्चे की परवरिश के लिए शहर छोड़कर गांव जाने पर मजबूर कर दिया। मां की अपनी हालत ऐसी है कि जमीन पर बैठा भी नहीं जा सकता, लेकिन औलाद की खातिर मां सब कुछ सहन करने को तैयार हो गई। 15 दिन की आयशा को गोद में लेकर जब जमीन पर बैठना मुश्किल हुआ तो पुलिस ने अपनी इंसानियत दिखाते हुए महिला को कुर्सी पर बिठाया, पानी पिलाया औ खाने के लिए भी पूछा।

रोजगार पर लगे ताले, खाने के पड़े लाले, पैरों में छाले....

प्रवासी मजदूर हालात के मारे व किस्मत से बेचारे बन रह गए हैं। इसी बेबसी को सैकड़ों प्रवासियों ने साइकिल से जोड़ दिया है। टूटी फूटी साइकिल पर घरेलू सामान व अपनों को समेटकर ये पैदल सैकड़ों किमी का सफर पैदल नापने रोजाना निकल रहे हैं। इन्हें बस चलते जाना है। साइकिल पर सवार मासूम बच्चा सोते हुए। इस धूप में नींद के लिए उसे छांव और पंखे की जरूरत ही नहीं पड़ी।

फर्ज: यह पिता है, कोई सरकार नहीं...

न तो मजदूरों की घर वापसी थम रही है न उनसे जुड़ी दर्द और दुख की कहानियां। ऐसी ही एक तस्वीर आंध्र प्रदेश के कुर्नूल से अपने घर छत्तीसगढ़ तक के 1200 किमी के सफर पर निकले पिता की सामने आई है। लॉकडाउन में काम से नाता टूटा तो घर लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। सफर लंबा और बेहद कठिन है। साथ में दो बेटियां भी हैं। उनके नन्हें कदम इस दूरी को भला कैसे नाप पाएंगे। सरकार भले ही भूल जाए पर पिता कैसे अपना फर्ज भूल सकता है। पिता ने बेटियों के लिए इस तरह की कांवड़ बना दी। अब दोनों बेटियां पिता की छांव में घर तक का सफर तय कर रही हैं।

18 दिन में ही देख ली दुनिया

इस बच्ची का जन्म लॉकडाउन के बीच 18 दिन पहले हुआ है। लेकिन इस छोटे से समय में उसने जान लिया कि जीवन कितना कठिन है। बच्ची के पिता मजदूरी करते थे। काम बंद होने से घर में खाने का संकट आ गया। शनिवार दोपहर मां नीतू देवी 40 डिग्री तापमान के बीच बच्ची को गोद में ले जींद की विश्वकर्मा कॉलोनी से 7 किमी. पैदल चलकर राजकीय पीजी कॉलेज पहुंची, तब जाकर उन्हें खाना नसीब हुआ। यूपी के आजमगढ़ के रहने वाले इस परिवार के पास अब घर भेजे जाने का मैसेज भी आ गया है,लेकिन बस के लिए 24 घंटे का और इंतजार करना होगा।

मां! घर कब पहुंचेंगे...

यह तस्वीर भोपाल बायपास की है। महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश जा रहे मजदूरों का मिनी ट्रक यहां रुका तो तेज धूप में मां की गोद में बैठी चार साल की बच्ची यही पूछती रही- मां! घर कब पहुंचेंगे।

घर वापसी के बेरहम सफर पर मासूम बचपन

ये तस्वीरें भोपाल और आसपास के बाहरी इलाकों की हैं। ये बचपन भी अपने मजदूर-मजबूर माता-पिता के साथ सफर में है। इनकी मासूम आंखें हर वक्त यही पूछती हैं कि क्या घर लौटना इतना मुश्किल होता है?

नींद नहीं मानती

यह परिवार गृहस्थी का जरूरी सामान अपनी बाइक पर लादकर गुजरात से अपने घर बिहार लौट रहा है। करीब पांच साल का बच्चा बाइक के लगभग टैंक पर बैठा है। सफर लंबा है... नींद आई तो आगे रखे बैग पर सिर टिकाकर सो गया।

ऐसी बेबसी...मां-बेटी के पास एक ही जोड़ी चप्पल

अजमेर से मध्य प्रदेश के पन्ना के लिए निकली इन मां-बेटी के पास हौसला और उम्मीद के सिवाय कुछ नहीं है। 750 किमी के लंबे सफर में मां-बेटी के पास एक ही जोड़ी चप्पल है, जिसे वे बदल-बदल कर पहनते हैं। चप्पल टूटने के डर से वे कई किमी चप्पल हाथ में लेकर चत रहे हैं।

इस मासूम के पास बस मां थी...

छतरपुर में कपड़ा लगे ट्रक के पलटने से 6 लोगों की मौत हो गई। इसी में सवार यूपी की गुड़िया ने भी मौके पर दम तोड़ दिया। 5 साल की बेटी आलिया गंभीर घायल है। 2 साल का बेटा शव के पास बैठा बिलखता रहा। उसके पिता की भी 6 महीने पहले मौत हो चुकी है।

नेता जी, आपके परिवार का कोई बच्चा बिना दूध और खाने के तड़पता, तब आप क्या करते

घर जाने के लिए ट्रेन पकड़ने जीरकपुर(पंजाब) पहुंचे प्रवासियों को खाने के लाले भी पड़े हैं। पैसा न होने से वे खाने का इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। शनिवार को सिंगपुरा बस अड्‌डे पर किसी संस्था के कुछ लोग बिस्कुट बांटने पहुंचे तो एक-एक बिस्कुट के लिए दर्जनों हाथ उठे, वहीं कुछ छोटे बच्चे तेज धूप में नंगे पांव घूमते दिखे।

बेबसी की भागमभाग

बठिंडा में एम्स का प्रोजेक्ट रुक गया है। यहां पश्चिम बंगाल के मजदूर बिहार व झारखंड के लोगों के घर जाने के बाद ट्रेन की मांग कर रहे हैं। घर जाने की मांग पर अड़े हंगामा कर रहे मजदूरों को पुलिस समझने गई तो पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस ने सख्ती की तो प्रदर्शन कर रहे मजदूर भागते हुए नजर आए। फोटो : अश्विनी काका

यमुनानगर के गांवके सरकारी स्कूल में रोके गए प्रवासी

हरियाणा के यमुनानगर में प्रवासी मजदूर शनिवार को सड़क पर उतर आए। उन्होंने नए बने बाइपास हाईवे पर जाम लगा दिया। इस दौरान गांव के लोगों ने उन्हें समझाया, लेकिन वे नहीं माने। कुछ ने वहां पर पथराव कर दिया। इसी दौरान सूचना पुलिस को दी गई। इस दौरान पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ा।

स्ट्रेचर पर जिदंगी...

ये हैं बिहार समस्तीपुर के पवन देवी और चंदन कुमार। चंदन की दोनों किडनी खराब हैं। वे डायलिसिस पर हैं। पीजीआई आए थे ट्रांसप्लांट करवाने। ऑपरेशन होना था कि लॉकडाउन हो गया। पांच साल के बेटे के साथ पीजीआई की रोटरी सराय में आश्रय लिया। हफ्ते में दो डायलिसिस होतेहैं। एक दिन चंदन फिसलकर गिरे तो उनका पैर भी टूट गया। लॉकडाउन की वजह से ऑटो-रिक्शा सब बंद है। चंदन अब चल फिर नहीं सकते इसलिए पवन देवी ने सराय से स्ट्रैचर लिया और पति का डायलिसिस करवाने नयागांव के लिए चल पड़ी।



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लो! बचपन बड़ा हो गया, अपने पैरों पर खड़ा हो गया; एक हाथ में रोटी तो दूसरे में मासूम भाई। तस्वीर रायपुर रेलवे स्टेशन की है। इसमें ये बच्चा एक हाथ में अपने भाई को संभाल रहा है, दूसरे हाथ में रोटी है और धूप का सफर...। फोटो- भूपेश केशरवानी


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कोरोनावायरस को रोकने के लिए चल रहा लॉकडाउन का तीसरा फेजरविवार कोखत्म हो जाएगा। हालात को देखते हुए साेमवार से चौथे चरण का लॉकडाउन तय माना जा रहा है, जो दो हफ्तों यानी 31 मई तक रह सकता है।इसके लिए केंद्र सरकार नई गाइडलाइंस आज जारी कर सकती है।

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब और ओडिशा के 30 से ज्यादा नगरनिकायों में पूर्ण पाबंदी लागू रह सकती है।सूत्रों ने बताया कि चौथे चरण में घरेलू विमान सेवाएं, मेट्रो, बस और ऑटो रिक्शा को सीमित दायरे में छूट मिल सकती है।इस चरण में नाई की दुकानों, रेस्टोरेंट्स, स्थानीय बाजारों, घरेलू सामान सुधारने वाली दुकानों को कड़ी शर्तों के साथ ग्रीन औरऑरेंज जोन में खोलने की मंजूरी देने की तैयारी है।

राज्यों के किन शहरों में रह सकती है सख्त पाबंदी

राज्य शहर
मध्य प्रदेश भोपाल और इंदौर
राज स्थान जयपुर, जोधपुर, उदयपुर
महाराष्ट्र मुंबई, औरंगाबाद, पुणे, पालघर, सोलापुर, नासिक और ठाणे
उत्तर प्रदेश आगरा और मेरठ
दिल्ली दिल्ली
पंजाब अमृतसर
तमिलनाडु कुड्डालोर, चेंगलपट्टू, अरियालुर, विल्लुपुरम, तिरुवल्लूर और ग्रेटर चेन्नई
गुजरात अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत
तेलंगाना ग्रेटर हैदराबाद
ओडिशा बरहमपुर
बंगाल हावड़ा और कोलकाता
आंध्र प्रदेश कुरनुल

ज्यादातर राज्यों ने इस महीने के आखिर तक लॉकडाउन जारी करने का सुझाव दिया
तीसरे लॉकडाउन के बाद के हालात को लेकर विभिन्न राज्यों ने केंद्र को भेजे अपने सुझावों में लॉकडाउन को इस महीने तक जारी रखने की बात कही है। ज्यादातर राज्यों ने कहा है कि छूट बढ़नी चाहिए और रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन के निर्धारण में राज्य को अधिक स्वायत्तता मिले। मंत्रालय ने भी इसे संज्ञान में लेकर जिंदगी का जोखिम और दोनों को ध्यान में रखते हुए एक विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किया है।

कैसेरहे लॉकडाउन के तीन फेज

देश में अब तक तीन फेज में 25 मार्च से 14 अप्रैल, 15 अप्रैल से 3 मई और 4 मई से 17 मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया। इसबीच, गृह मंत्रालयचौथे फेज के लिए आजनई गाइडलाइंस जारी करेगा। बताया जा रहा है कि कुछ इलाकों में हवाई और बस सेवाएं शुरू हो सकती हैं।
पहला फेज: 25 मार्च से 14 अप्रैल तक, यह21 दिन का रहा। इस दौरान सिर्फ जरूरी सामानकी दुकानें खोलने की अनुमति दी गई।
दूसरा फेज: 15 अप्रैल से 3 मई, यह 19 दिन का रहा। हॉटस्पॉट (रेड जोन) को छोड़कर ऑरेंज और ग्रीन जोन में दुकानें खोलने की परमिशन दी गई।
तीसरा फेज: 4 मई से 17 मई , यह 12 दिन का है। हॉटस्पॉट (रेड जोन) को छोड़कर ऑरेंज और ग्रीन जोन में दुकानें खोलने की परमिशन दी गई। इसके अलावा, प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेनें और बस चलाई गईं। स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं।फैक्ट्रियों में शर्तों के साथ काम करने की परमिशन दी गई। इसके अलावा, वंदे भारतऔर समुद्र सेतुमिशन के जरिए दूसरे से फंसे भारतीयों को भारत लाया जा रह है।



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दुनिया में कोरोनावायरस से अब तक 47 लाख 19 हजार 812 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 18 लाख 11 हजार 611 ठीक हुएहैं। वहीं, मौतों का आंकड़ा 3 लाख 13 हजार 215 हो गया है। नेपाल में शनिवार को महामारी से पहली मौत हुई। यहां एक 29 साल की महिला की जान चली गई। उधर, अमेरिका, स्पेन, रूस और ब्रिटेन के बाद पांचवा सबसे ज्यादा प्रभावित दश ब्राजील हो गया है। यहां अब तक 2.33 लाख मरीज मिल चुके हैं।

कोरोनावायरस : 10 सबसे ज्यादा प्रभावित देश

देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए
अमेरिका 15,07,773 90,113 3,39,232
स्पेन 2,76,505 27,563 1,92,253
रूस 2,72,043 2,537 58,226
ब्रिटेन 2,40,161 34,466 उपलब्ध नहीं
ब्राजील 2,33,511 15,662 89,672
इटली 2,24,760 31,763 1,22,810
फ्रांस 1,79,365 27,625 61,066
जर्मनी 1,76,247 8,027 1,52,600
तुर्की 1,48,067 4,096 1,08,137
ईरान 1,18,392 6,937 93,147

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अमेरिका: एक दिन में 1237 जान गई
अमेरिका में 24 घंटे में 1237 लोगों की मौत हुई है। यहां मरने वालों की संख्या 90 हजार 113 हो गई है, जबकि संक्रमण के 15 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क में शनिवार को 157 लोगों की मौत हुई है। छह दिनों से यहां मौतों की संख्या 200 के नीचे है। राज्य में अब तक 28 हजार लोगों की जान जा चुकी है।

टेक्सास में ग्रॉसरी शॉप में जाने के लिए लाइन में लगे लोग।

ब्रिटेन: 19 लोग गिरफ्तार
लंदन में शनिवार को लोगों ने लॉकडाउन के खिलाफ प्रदर्शन किया। साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का भी उल्लंघन किया। पुलिस ने इस दौरान 19 लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस के मुताबिक लोग लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ हाइड पार्क में प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान लोगों का एक समूह काफी नजदीक आ गया। इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। 10 लोगों पर जुर्माना भी लगाया गया है। ब्रिटेन में 13 मई से लॉकडाउन के नियमों में कुछ ढील देते हुए लोगों को पार्कों में जाने की इजाजत दी गई थी।

इजरायल: 2 नए मामले
इजरायल में 24 घंटे के दौरान संक्रमण के केवल दो नए मामले सामने आए हैं और एक व्यक्ति की मौत हुई है। यहां शनिवार से स्कूल दोबारा खोल दिए गए हैं। यहां संक्रमण के 16,608 मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 268 लोगों की मौत हुई है। स्कूलों में कक्षाएं छोटे-छोटे समूहों में आयोजित की जा रही हैं। सभी छात्रों को परिजन के हस्ताक्षर वाला हेल्थ सर्टिफिकेट भी दिखाना होगा। मास्क पहनना भी अनिवार्य होगा। बच्चों को एक-दूसरे से 6.5 फीट की दूरी बनाए रखनी होगी। 20 मई से लोगबीच पर जा सकेंगे। वहीं, 50 से ज्यादा लोगों के एक स्थान पर जमा होने पर पाबंदी जारी रहेगी।

जर्मनी: लोगों का प्रदर्शन
जर्मनी में लोग शनिवार को लॉकडाउन के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। खास बात ये है कि जर्मनी में ज्यादातर पाबंदियां हटाई जा चुकी हैं। चांसलर एंजेला मर्केल पहले ही कह चुकी हैं कि संक्रमण से बचने के लिए कुछ बंदिशें जारी रखना सरकार की मजबूरी है। यहां अब तक आठ हजार लोग मारे जा चुके हैं, जबकि एक लाख 76 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं।



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तस्वीर ब्राजील के मनौस शहर की है। इस पोस्टर में स्वास्थ्यकर्मी लोगों से घर में रहने की अपील कर रहे हैं।


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कोरोनावायरस को रोकने के लिए चल रहा लॉकडाउन का तीसरा फेजरविवार कोखत्म हो जाएगा। हालात को देखते हुए साेमवार से चौथे चरण का लॉकडाउन तय माना जा रहा है, जो दो हफ्तों यानी 31 मई तक रह सकता है।इसके लिए केंद्र सरकार नई गाइडलाइंस आज जारी कर सकती है।

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पंजाब और ओडिशा के 30 से ज्यादा नगरनिकायों में पूर्ण पाबंदी लागू रह सकती है।सूत्रों ने बताया कि चौथे चरण में घरेलू विमान सेवाएं, मेट्रो, बस और ऑटो रिक्शा को सीमित दायरे में छूट मिल सकती है।इस चरण में नाई की दुकानों, रेस्टोरेंट्स, स्थानीय बाजारों, घरेलू सामान सुधारने वाली दुकानों को कड़ी शर्तों के साथ ग्रीन औरऑरेंज जोन में खोलने की मंजूरी देने की तैयारी है।

राज्यों के किन शहरों में रह सकती है सख्त पाबंदी

राज्य शहर
मध्य प्रदेश भोपाल और इंदौर
राज स्थान जयपुर, जोधपुर, उदयपुर
महाराष्ट्र मुंबई, औरंगाबाद, पुणे, पालघर, सोलापुर, नासिक और ठाणे
उत्तर प्रदेश आगरा और मेरठ
दिल्ली दिल्ली
पंजाब अमृतसर
तमिलनाडु कुड्डालोर, चेंगलपट्टू, अरियालुर, विल्लुपुरम, तिरुवल्लूर और ग्रेटर चेन्नई
गुजरात अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत
तेलंगाना ग्रेटर हैदराबाद
ओडिशा बरहमपुर
बंगाल हावड़ा और कोलकाता
आंध्र प्रदेश कुरनुल

ज्यादातर राज्यों ने इस महीने के आखिर तक लॉकडाउन जारी करने का सुझाव दिया
तीसरे लॉकडाउन के बाद के हालात को लेकर विभिन्न राज्यों ने केंद्र को भेजे अपने सुझावों में लॉकडाउन को इस महीने तक जारी रखने की बात कही है। ज्यादातर राज्यों ने कहा है कि छूट बढ़नी चाहिए और रेड, ऑरेंज, ग्रीन जोन के निर्धारण में राज्य को अधिक स्वायत्तता मिले। मंत्रालय ने भी इसे संज्ञान में लेकर जिंदगी का जोखिम और दोनों को ध्यान में रखते हुए एक विस्तृत दिशा-निर्देश तैयार किया है।

कैसेरहे लॉकडाउन के तीन फेज

देश में अब तक तीन फेज में 25 मार्च से 14 अप्रैल, 15 अप्रैल से 3 मई और 4 मई से 17 मई तक लॉकडाउन घोषित किया गया। इसबीच, गृह मंत्रालयचौथे फेज के लिए आजनई गाइडलाइंस जारी करेगा। बताया जा रहा है कि कुछ इलाकों में हवाई और बस सेवाएं शुरू हो सकती हैं।
पहला फेज: 25 मार्च से 14 अप्रैल तक, यह21 दिन का रहा। इस दौरान सिर्फ जरूरी सामानकी दुकानें खोलने की अनुमति दी गई।
दूसरा फेज: 15 अप्रैल से 3 मई, यह 19 दिन का रहा। हॉटस्पॉट (रेड जोन) को छोड़कर ऑरेंज और ग्रीन जोन में दुकानें खोलने की परमिशन दी गई।
तीसरा फेज: 4 मई से 17 मई , यह 12 दिन का है। हॉटस्पॉट (रेड जोन) को छोड़कर ऑरेंज और ग्रीन जोन में दुकानें खोलने की परमिशन दी गई। इसके अलावा, प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेनें और बस चलाई गईं। स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं।फैक्ट्रियों में शर्तों के साथ काम करने की परमिशन दी गई। इसके अलावा, वंदे भारतऔर समुद्र सेतुमिशन के जरिए दूसरे से फंसे भारतीयों को भारत लाया जा रह है।



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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 20 लाख करोड़ रुपए के कोविड-19 राहत पैकेज का पांचवां और आखिरी ब्रेकअप बताएंगी। पिछले चार दिन से वे शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थीं, लेकिन आज सुबह 11 बजे करेंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकारी कंपनियों (पीएसयू) से जुड़े ऐलान हो सकते हैं।पिछले चार दिनों में एमएसएमई, किसान, खेती और रिफॉर्म पर जोर रहा था। शनिवार को कोल, मिनरल, डिफेंस और एविएशन समेत कुल 8 सेक्टर से जुड़ी घोषणाएं की गई थीं।

1. 50 कोल ब्लॉक निजी क्षेत्र को मिलेंगे, रेवेन्यू सरकार से साझा करना होगा
2. मिनरल सेक्टर में निजी निवेश बढ़ाया जाएगा
3. डिफेंस प्रोडक्शन में मेक इन इंडिया, एफडीआई 49% से बढ़ाकर 74% होगा
4. एयर स्पेस का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा, एयरलाइन कंपनियों को सालाना 1000 करोड़ की बचत होगी
5. केंद्र शासित प्रदेशों में पावर डिस्ट्रिब्यूशन का काम निजी कंपनियों को दिया जाएगा
6. सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी सेक्टर के लिए 8100 करोड़ रुपए
7. स्पेस सेक्टर में भी निजी कंपनियों को मौके मिलेंगे
8. पीपीपी के जरिए रिएक्टर शुरू होंगे, किफायती इलाज पर रिसर्च शुरू हो सकेगी

अब तक 18 लाख 66 हजार करोड़ के ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 अप्रैल को कहा था कि मार्च में 1.70 लाख करोड़ के पैकेज और आरबीआई की घोषणाओं को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज दिए जाएंगे। आम लोगों और अर्थव्यवस्था को कोरोना के असर से बचाने के लिए ये राहत दी जाएगी। इसमें से अब तक करीब 18 लाख 66 हजार करोड़ के ऐलान हो चुके हैं।



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वित्त मंत्री ने शनिवार को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में एफडीआई लिमिट 49% से बढ़ाकर 74% करने का ऐलान किया था।


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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 20 लाख करोड़ रुपए के कोविड-19 राहत पैकेज का पांचवां और आखिरी ब्रेकअप बताएंगी। पिछले चार दिन से वे शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थीं, लेकिन आज सुबह 11 बजे करेंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकारी कंपनियों (पीएसयू) से जुड़े ऐलान हो सकते हैं।पिछले चार दिनों में एमएसएमई, किसान, खेती और रिफॉर्म पर जोर रहा था। शनिवार को कोल, मिनरल, डिफेंस और एविएशन समेत कुल 8 सेक्टर से जुड़ी घोषणाएं की गई थीं।

1. 50 कोल ब्लॉक निजी क्षेत्र को मिलेंगे, रेवेन्यू सरकार से साझा करना होगा
2. मिनरल सेक्टर में निजी निवेश बढ़ाया जाएगा
3. डिफेंस प्रोडक्शन में मेक इन इंडिया, एफडीआई 49% से बढ़ाकर 74% होगा
4. एयर स्पेस का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा, एयरलाइन कंपनियों को सालाना 1000 करोड़ की बचत होगी
5. केंद्र शासित प्रदेशों में पावर डिस्ट्रिब्यूशन का काम निजी कंपनियों को दिया जाएगा
6. सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी सेक्टर के लिए 8100 करोड़ रुपए
7. स्पेस सेक्टर में भी निजी कंपनियों को मौके मिलेंगे
8. पीपीपी के जरिए रिएक्टर शुरू होंगे, किफायती इलाज पर रिसर्च शुरू हो सकेगी

अब तक 18 लाख 66 हजार करोड़ के ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 अप्रैल को कहा था कि मार्च में 1.70 लाख करोड़ के पैकेज और आरबीआई की घोषणाओं को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज दिए जाएंगे। आम लोगों और अर्थव्यवस्था को कोरोना के असर से बचाने के लिए ये राहत दी जाएगी। इसमें से अब तक करीब 18 लाख 66 हजार करोड़ के ऐलान हो चुके हैं।



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वित्त मंत्री ने शनिवार को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में एफडीआई लिमिट 49% से बढ़ाकर 74% करने का ऐलान किया था।


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