खेल डेस्क. ऑस्ट्रेलिया के सितंबर 2019 जंगलों में आग लगी है। इसी दौरान 20 जनवरी से 2 फरवरी तक ऑस्ट्रेलियन ओपन टेनिस टूर्नामेंट होगा। यह आग ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया और न्यू साउथ वेल्स राज्य के तटीय इलाके में सबसे ज्यादा फैली है। जबकि टूर्नामेंट का आयोजन विक्टोरिया की राजधानी मेलबर्न में होगा। स्टेडियम में सुरक्षा के लिए मौसम वैज्ञानिक और एयर क्वालिटी एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे। टूर्नामेंट में रोजर फेडरर, राफेल नडाल, सेरेना विलियम्स, मारिया शारापोवा, नोवाक जोकोविच, नाओमी ओसाका, निक किर्गियोस और स्टेफानोस सितसिपास जैसे बड़े खिलाड़ी शामिल होंगे।
वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को ईरान के लोगों से कहा कि वह उनके साथ खड़े हैं और प्रदर्शनों की निगरानी कर रहे हैं। ईरान ने 8 जनवरी को यूक्रेन के विमान को मार गिराया था। ईरान ने शनिवार को कबूला कि उसकी सेना ने गलती से यूक्रेन के यात्री विमान को निशाना बना दिया। सरकार की तरफ से जारी बयान में इसे इंसानी भूल (ह्यूमन एरर) बताया गया। इस घटना के बाद से ईरान में सैकड़ों लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
ट्रम्प ने ट्वीट किया- ईरान के बहादुर और लंबे समय से पीड़ित लोगों के साथ मैं अपने कार्यकाल की शुरुआत से खड़ा हूं। मेरा प्रशासन आपके साथ खड़ा रहेगा। उधर, ईरान के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कुछ ईरानी औद्योगिक कंपनियों और अधिकारियों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की है। शुक्रवार को अमेरिका ने इराक में अमेरिकी सेनाओं पर अपने मिसाइल हमले के जवाब में कार्रवाई करते हुए ईरान पर और ज्यादा प्रतिबंध लगाए। ट्रम्प ने फारसी में भी ट्वीट किए।
دولت ایران باید به گروههای حقوق بشر اجازه بدهد حقیقت کنونی اعتراضات در جریان مردم ایران را نظارت کرده و گزارش بدهند. نباید شاهد کشتار دوباره ی معترضان مسالمت آمیز و یا قطع اینترنت باشیم. جهان نظاره گر این اتفاقات است.
The government of Iran must allow human rights groups to monitor and report facts from the ground on the ongoing protests by the Iranian people. There can not be another massacre of peaceful protesters, nor an internet shutdown. The world is watching.
न्यूज एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के विनिर्माण, खनन और कपड़ा क्षेत्रों के साथईरान के वरिष्ठ अधिकारियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसवी ने कहा कि दुर्भाग्य से अमेरिकी हमारे साथ एकतरफा, अवैध और बुरा बर्ताव कर रहे हैं। अमेरिकियों ने उन उद्योग क्षेत्रों पर प्रतिबंध लगाए हैं, जो सीधे लाखों लोगों के दैनिक जीवन से जुड़े हैं। इन प्रतिबंधों से ईरान के प्रति अमेरिका की शत्रुतापूर्ण नीतियों का पता चलता है।
ब्रिटेन के राजदूत को कुछ घंटों के लिए हिरासत में लिया गया
ईरान में ब्रिटेन के राजदूत रॉब मैकेयर को यहां विरोध प्रदर्शन आयोजित करने और उसमें हिस्सा लेने के कारण शनिवार शाम को कुछ घंटों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। समाचार एजेंसी तस्नीम की रिपोर्ट के मुताबिक, तेहरान में अमीर कबीर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के बाहर यूक्रेन विमान हादसे के खिलाफ सैकड़ों छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें मैकेयर भी शामिल हुए। छात्रों ने रैली निकालकर इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान लोगों नेसुलेमानी कीतस्वीर भी फाड़ी
रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कथित रूप से ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कार्प्स (आईआरजीसी) के कमांडर कासिम सुलेमानी की एक तस्वीर फाड़ी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग भी किया। कमांडर सुलेमानी की पिछले सप्ताह अमेरिकी ड्रोन हमले में मौत हो गई थी। मैकेयर पर प्रदर्शनकारियों को उकसाने का आरोप है। उन्हें गिरफ्तार करने के कुछ ही घंटों बाद रिहा कर दिया गया, लेकिन इस संबंध में समन भेजकर उनसे जवाब तलब किया जाएगा।
दुबई. संयुक्त अरब अमीरात के दुबई में शनिवार कोभारी बारिश हुई। इसके चलते दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट में पूरे दिन हवाई सेवा बाधित रही। बारिश के चलते एयरपोर्ट के सभी रनवे पर जलभराव हो गया। इससे यहां आने वाली कई फ्लाइट्स को रद्द करना पड़ा। अन्य विमानों को दूसरे एयरपोर्ट्स पर भी डायवर्ट किया गया।
एयर इंडिया की चेन्नै-दुबई फ्लाइट एआई-905 शनिवार को दुबई एयरपोर्ट में लैंड होने के बावजूद जलभराव के चलते रनवे से पार्किंग बे तक नहीं पहुंच पाई। इसके अलावा कालीकट से दुबई जाने वाले फ्लाइट एआई-937 एयरपोर्ट पर उतर भी नहीं पाई। इसे बाद में अल-मख्तूम एयरपोर्ट रवाना किया गया।
एयर इंडिया के प्रवक्ता के मुताबिक, शनिवार को भारी बारिश के अनुमान के चलते एआई 995/996 (दिल्ली-दुबई-दिल्ली), एआई 983/984 (मुंबई-दुबई-मुंबई), एआई 951/952 (हैदराबाद-दुबई-हैदराबाद) और एआई 905/906 (चेन्नई-दुबई-चेन्नw) कैंसल हुईं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एयरपोर्ट रनवे के फोटो-वीडियो
दुबई में भारी बारिश के कई फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए। इनमें से एक वीडियो में दुबई एयरपोर्ट के रनवे पर पानी भरा हुआ देखा जा सकता है। दुबई एयरपोर्ट ने बयान जारी कर कहा, कई फ्लाइट्स देरी से रवाना हो रही हैं। रविवार को भी भारी आसार के चलते अगले 24 घंटे तक फ्लाइटों के लेट होने का सिलसिला जारी रहेगा। यात्री सीधेएयरलाइंस से संपर्क कर समय से एयरपोर्ट पहुंचें।
बारीपदा. ओडिशा के मयूरभंज जिले में एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी पिछले 10 साल से कबूतर और अन्य पक्षियों को दानाखिला रहा है। इस वजह से सूरज कुमार को लोग बर्डमैन कॉपकहकर पुकारते हैं। वे जब सड़क पर दाना लेकर निकलते हैं, तो पक्षी उनके हाथ पर आकर बैठ जाते हैं। वे कहते हैं इससे मुझे सुकून मिलता है।
52 साल के सूरज शहर के कई इलाकों में भूखे पक्षियों को दाना डालते हैं। वे कहते हैं कि मुझे खुशी होती है, जब वे मेरे पास आते हैं और मेरे हाथ से खाना खाते हैं। कभी-कभी वे उस वक्त भी आकर मेरे कंधे में बैठ जाते हैं, जब मैं ड्यूटी पर होता हूं। इसी वजह से इलाके के लोग उनकी सराहना भी करते हैं।
भारी भीड़ के बीचपक्षी सूरज को पहचान लेते हैं
सूरज ने बताया कि पक्षी उसे भरी भीड़ में पहचान सकते हैं। स्थानीय लोग भी बताते हैं कि कबूतर हर सुबह उनका इंतजार करते देखे जा सकते हैं। वे भोजन निकालने से पहले ही सूरजकी तरफ आने लगते हैं। सूरजबताते हैं कि मुझे अच्छा लगता है कि इन कबूतरों और पक्षियों की वजह से पहचान मिली। मैं गायों और अन्य जानवरों को भी खाना खिलाता हूं। सभी हर रोज मेरा इंतजार करते हैं। अब मैं उन्हें निराश नहीं कर सकता हूं। सूरज के सीनियर अफसर भी तारीफ करते हैं। अफसर अभिमन्यु नायक कहते हैं कि वह हर काम में बेहद वक्त के पाबंद हैं। ड्यूटीभीउतनी ईमानदारी से करते हैं।
जालंधर. सिख धर्म के पवित्र तीर्थस्थल करतारपुर साहिब जाने के लिए बनाए गए कॉरिडोर को 9 नवंबर को शुरू किया गया था। 12 नवंबर को गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व था। इसे दो महीने हो चुके हैं। इस दौरान पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब जाने वाले यात्रियों से 4.82 करोड़ रुपए कमाए, जो 10.52 करोड़ पाकिस्तानी रुपए के बराबर है। हालांकि, करतारपुर कॉरिडोर से पाकिस्तान को हर महीने 21 करोड़ रुपए कमाने का अनुमान था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान यहां आने वाले हर श्रद्धालु से 20 डॉलर(करीब 1400 रुपए) फीस लेता है।
हर दिन 5 हजार श्रद्धालु जा सकते हैं, औसतन 550 जा रहे
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक भारत से एक दिन में 5 हजार श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर से दर्शन करने जा सकते हैं। 7 जनवरी तक 33 हजार 979 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिसका औसत करीब 550 प्रतिदिन है। नवंबर में 11 हजार 49, दिसंबर में 19 हजार 425 और नए साल में 7 जनवरी तक 3 हजार 505 श्रद्धालुओं ने गुरुघर के दर्शन किए। इसके अलावा 5 हजार 746 श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो पंजीयन होने के बाद भी करतारपुर साहिब दर्शन करने नहीं गए। अब तक सबसे ज्यादा 1962 श्रद्धालु 15 दिसंबर को गए थे।
ननकाना साहिब पर हमले के बाद मामूली कमी आई
3 जनवरी को पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कुछ लोगों ने पथराव कर दिया था। इस घटना के बाद करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में मामूली कमी आई है। घटना वाले दिन 3 जनवरी को 392, उसके अलगे दिन 4 जनवरी को 572, 5 जनवरी को 938, 6 जनवरी को 226 और 7 जनवरी को 277 लोग ही करतारपुर साहिब दर्शन करने के लिए गए।
प्रसाद में हलवा की जगह लड्डू
पाकिस्तान का आस्था के नाम पर बहुत बड़ा बिजनेस प्लान था। प्रसाद से भी अच्छी-खासी कमाई की योजना बनाई है। गुरु मर्यादा के अनुसार, गुरुद्वारों में हलवे का प्रसाद दिया जाता है, लेकिन करतारपुर गुरुद्वारे में पाकिस्तान ने इसे बदल डाला। श्रद्धालुओं को पिन्नी (बेसन कीमिठाई) का प्रसाद दिया जाएगा। 100 ग्राम प्रसाद के लिए पाकिस्तान ने हर श्रद्धालु से 151 रुपए लेनातय किया है।
लोकसभा में भी उठा था प्रसाद का मुद्दा
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि करतारपुर साहिब से वापस लौटने वाले श्रद्धालुओं के प्रसाद को सुरक्षा जांच के तहत खोजी कुत्तों से सुंघवाया जाता है। पिछले दिनों ‘नगर कीर्तन’ ले जाए जाने के दौरान सीमा पर पालकी से ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को उतारा गया। करतारपुर से वापस आने वालों के प्रसाद को खोजी कुत्ते सूंघते हैं। सुरक्षा जांच जरूरी है, लेकिन प्रसाद को इससे अलग रखा जाना चाहिए।
कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के दो दिन के दौरे पर हैं। बेलूर मठ में रविवार को उन्होंने कहा किनागरिकता कानून किसी की नागरिकता छीनेगा नहीं बल्कि देगा, गांधीजी मानते थे भारत को पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को सिटीजनशिप देनी चाहिए।
दूसरे दिन आज कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने कल हावड़ा में रामकृष्ण मिशन मुख्यालय में रात गुजारी। वहीं, सैंकड़ों लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के विरोध में रात भर प्रदर्शन किया। कोलकाता के कई जगहों पर शनिवार को सीएए का विरोध हुआ। सबसे ज्यादा धर्मताला में प्रदर्शनकारी जुटे। सभी प्रदर्शनकारी वामदल, कांग्रेस और विभिन्न यूनिवर्सिटी के छात्र थे।
सीएए और एनआरसी के खिलाफ रानी रश्मोनी रोड पर तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई ने धरना किया। इससे पहले, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मोदी से मुलाकात के बाद शाम पांच बजे तृणमूल छात्र परिषद के धरने में शामिल हो गईं और छात्रों को संबोधित किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस का बैरिकेड भी तोड़ दिया। कुछ छात्रों का कहना था कि वे मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री मोदी के बीच बातचीत को लेकर नाराज हैं। वामदल और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री चिट फंड घोटाले में ईडी और सीबीआई के दबाव में हैं। इस घटोले के आरोप में कुछ तृणमूल के नेता भी आरोपी हैं। तृणमूल ने दोनों नेताओं के बीच के मुलाकात को गैर-राजनीतिक बताया।
ममता ने कहा, “वे बंगाल आए थे इसलिए उनके साथ यह बस एक शिष्टाचार भेंट थी। मैंने प्रधानमंत्री से कहा कि सीएए, एनआरसी और एनपीआर को राज्य की जनता स्वीकार नहीं कर रही है। मैंने उन्हें इस कदम पर फिर से सोचने का अनुरोध किया। मैंने उन्हें याद दिलाया कि चक्रवात बुलबुल से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 7 हजार करोड़ सहित 38 हजार करोड़ रुपए केंद्र पर बकाया है।” ममता ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली पहुंचकर दोनों मुद्दों पर चर्चा का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री आज नेताजी सुभाष डॉक पर कोचीन-कोलकाता इकाई के अपग्रेजेज शिप रिपेयर फैसिलिटी का भी उद्घाटन करेंगे।
जालंधर. सिख धर्म के पवित्र तीर्थस्थल करतारपुर साहिब जाने के लिए बनाए गए कॉरिडोर को 9 नवंबर को शुरू किया गया था। 12 नवंबर को गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व था। इसे दो महीने हो चुके हैं। इस दौरान पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब जाने वाले यात्रियों से 4.82 करोड़ रुपए कमाए, जो 10.52 करोड़ पाकिस्तानी रुपए के बराबर है। हालांकि, करतारपुर कॉरिडोर से पाकिस्तान को हर महीने 21 करोड़ रुपए कमाने का अनुमान था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान यहां आने वाले हर श्रद्धालु से 20 डॉलर(करीब 1400 रुपए) फीस लेता है।
हर दिन 5 हजार श्रद्धालु जा सकते हैं, औसतन 550 जा रहे
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक भारत से एक दिन में 5 हजार श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर से दर्शन करने जा सकते हैं। 7 जनवरी तक 33 हजार 979 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिसका औसत करीब 550 प्रतिदिन है। नवंबर में 11 हजार 49, दिसंबर में 19 हजार 425 और नए साल में 7 जनवरी तक 3 हजार 505 श्रद्धालुओं ने गुरुघर के दर्शन किए। इसके अलावा 5 हजार 746 श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो पंजीयन होने के बाद भी करतारपुर साहिब दर्शन करने नहीं गए। अब तक सबसे ज्यादा 1962 श्रद्धालु 15 दिसंबर को गए थे।
ननकाना साहिब पर हमले के बाद मामूली कमी आई
3 जनवरी को पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कुछ लोगों ने पथराव कर दिया था। इस घटना के बाद करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में मामूली कमी आई है। घटना वाले दिन 3 जनवरी को 392, उसके अलगे दिन 4 जनवरी को 572, 5 जनवरी को 938, 6 जनवरी को 226 और 7 जनवरी को 277 लोग ही करतारपुर साहिब दर्शन करने के लिए गए।
प्रसाद में हलवा की जगह लड्डू
पाकिस्तान का आस्था के नाम पर बहुत बड़ा बिजनेस प्लान था। प्रसाद से भी अच्छी-खासी कमाई की योजना बनाई है। गुरु मर्यादा के अनुसार, गुरुद्वारों में हलवे का प्रसाद दिया जाता है, लेकिन करतारपुर गुरुद्वारे में पाकिस्तान ने इसे बदल डाला। श्रद्धालुओं को पिन्नी (बेसन कीमिठाई) का प्रसाद दिया जाएगा। 100 ग्राम प्रसाद के लिए पाकिस्तान ने हर श्रद्धालु से 151 रुपए लेनातय किया है।
लोकसभा में भी उठा था प्रसाद का मुद्दा
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि करतारपुर साहिब से वापस लौटने वाले श्रद्धालुओं के प्रसाद को सुरक्षा जांच के तहत खोजी कुत्तों से सुंघवाया जाता है। पिछले दिनों ‘नगर कीर्तन’ ले जाए जाने के दौरान सीमा पर पालकी से ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को उतारा गया। करतारपुर से वापस आने वालों के प्रसाद को खोजी कुत्ते सूंघते हैं। सुरक्षा जांच जरूरी है, लेकिन प्रसाद को इससे अलग रखा जाना चाहिए।
from Dainik Bhaskar /punjab/jalandhar/news/pakistan-was-expected-to-earn-21-crores-rupees-every-month-only-482-crores-was-received-from-the-devotees-in-two-months-126492892.html
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भोपाल.कैंसर से लड़कर जिंदगी जीतने वाली ताहिरा कश्यप शुक्रवार को भोपाल में थीं। आयुष्मान खुराना की पत्नीताहिरा(35) एक नई पहचान बना रही हैं। लेखक, निर्देशक तो वो पहले सी थीं, लेकिन 25 महीने कैंसर से संघर्ष ने उनकी पर्सनैलिटी में मोटिवेशन की चमक भर दी है।दैनिक भास्कर की कविता राजपूत के साथ ताहिरा कश्यप ने अपनी जिंदगी और उसके सबक शेयर करते हुए बातचीत की।
ताहिरा की जुबानी, उनकी जिंदगी और सबक
‘‘जिंदगी और करिअर में वापसी करते हुएमैं बेहद खुश हूं। कम समय में बहुतबदलाव आए हैं। जिंदगी की तरफ देखने का नजरिया बदला हैलेकिन यह बदलाव मेरे जीवन में दो साल पहले ही आ गया था,जब मैंनेप्रार्थना-जप करने शुरू किए थे । जब कैंसर से सामना हुआ तो मुझे ऐसा नहीं लगा कि किसी पर इसका ठीकरा फोडूं,शोक मनाऊंया उसे एक ट्रैजिक तरीके से लूं। मैंनेकैंसरसे लड़ने की ठानी और जीत गई।’’
‘‘मैंने सीखा कि सभी कीजिंदगी में परेशानियां आती हैं।कोई पारिवारिक,कोई सेहत तो कोईपैसों से जुड़ीपरेशानियों से जूझता है,लेकिन मैंने कैंसर को एक परेशानी या मुसीबत नहीं समझा। मैं तो ये मानती हूं कि अगर हमें जीवन में आगे बढ़ना है तो परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा।’’
‘‘अगर हमारे सामने कोई चैलेंज नहींहोगातो आप खुद को बदल नहीं सकते और नहीआप एक बेहतर इंसानबनसकते हैं। ऐसे में जब कैंसरसे सामना हुआतो मैंने यही ठाना कि मुझे इससे उभरकरखुद काएक बेहतर वर्जन बनकरदुनिया केसामने आना है। इसके बाद मैंने अपनेनिगेटिव साइड्सपर काम करना शुरू किया। हां,कैंसर से सबसेबड़ा सबक यह सीखाहै कि जिंदगी को कभी हल्के में मत लीजिए,क्योंकि जब ऐसीपरिस्थिति सामने आती है तो जिंदगी के हर एक लम्हे की कीमत समझ आने लगती है। अब मैं हर सांस के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं औरउनके प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर करनानहीं भूलती।’’
ताहिरा कहती हैं कि हमारी सोसायटीमें खूबसूरती के मायने ही अलग हैं,जैसे लंबे बाल होना चाहिए,नैन- नक्श तीखें हों, चेहरा लुभावना होवगैरह, वगैरह। और,मैं भी पहले यही सोचती थी लेकिन कैंसर ने खूबसूरतीको लेकरमेरी सोच और परिभाषा बदल दी। जब बाल झड़ने शुरू हुए तो यह सच है कि यह नॉर्मल बात नहीं थी तब मैंने टोपी पहननी शुरू की,थोड़े दिन एक्सटेंशन लगाएरखा।फिर एक दिन लगा,अब बस,यह मैं अपने साथ क्या कर रही हूं और मैंने अपने पूरा सिर मुंडवा लिया और यकीन मानिए,उस दिन मुझे लगा कि पहले से बहुत सेक्सी लग रहीहूं।
‘‘दरअसल,लोगअपनीकमियों को दिखाना नहीं चाहते, लेकिन यकीन कीजिए यही हमें और खुबसूरत दिखाती हैं। मैंने कैंसर के दौरान हर पल यही सोचा कि मुझे इससे जीतना है इसलिए मैं अंदर से खुश थी,लोग सोचते थे कि कैंसर में कोई इंसान खुश कैसे रह सकता है, लेकिन मैं खुश थी क्योंकि मैंने अंदर से सोच लिया था कि मुझे इससे हारना नहीं है,सामना करना है।यह सोचना भी नहीं है कि हार जाऊंगी तो जब आप पहले से ही अपनी जीत को सेलिब्रेट करने लगते हैं तो आप खुश ही रहोगे।’’
‘परेशान करने वाली चीजों की तरफ ध्यान नहीं दिया’
ताहिरा के मुताबिक, ‘‘मेरे संघर्ष और पीड़ा को बांटने में परिवार का बहुत सपोर्ट रहा। आयुष्मानहर तरह सेसाथ खड़े रहे। वह इस दौरान हर पल मेरे पास रहना चाहते थे लेकिन मैंने उन्हें समझाया कि आपकी फिल्मों पर इतना पैसा लगा है।कई लोगोंका करिअर और जिंदगीआपकीफिल्म से जुड़ी हुई है।अस्पताल में जो होना है वो तो होगा,आप काम पर जाओ, औररही बात सिम्पैथी की तो वो रात को काम से लौटकर दे देना।वो दिन भर अपना काम करते,रात को अस्पताल आ जाते और सुबह फिर चले जाते थे।’’
‘‘हमें साथ में काफी लंबा सफर तय किया है वो मेरे साथ हमेशा चट्टान की तरह खड़े रहे। मेरे माता-पिताऔर बाकी फैमिलीनेभी काफीसपोर्ट किया। बेटा तब6साल और बेटी4साल की थी तो उन्हें पता ही नहीं चला कि उनकी मां किस दौर से गुजर रही है।उनके लिए कैंसर सर्दी-जुकाम जैसा ही शब्द था,लेकिन अब घर में बीमारी के थोड़े बहुत साइड इफेक्ट्स देखते हैं तो उन्हें कुछ-कुछ समझ आता है।’’
‘‘मैंने खुद से एक वादा किया था कि गलत और परेशान करने वाली चीजों की तरह देखना ही नहीं है।आप यकीन नहीं मानेंगी,मेरी कीमोथेरेपी को एक साल बीतने को हैं और अब जाकर मैंने देखा है कि कैंसर की सर्जरी कैसे होती है,उससे पहले बीमारी के दौरान मैंने कभी नहीं देखा कि कीमोथेरेपी,सर्जरी के साइड इफेक्ट्स क्या होते हैं,कैसे होती है,मैंने सोचा कि जो भी है,मुझे उस दिशा में सोचना ही नहीं।एक सलाह सबको देना चाहूंगी कि बीमारी के बारे में कभी भी गूगल मत कीजिए,शुरुआत से ही बीमारी के साइड इफेक्ट्स के बारे में पढ़ेंगे-सोचेंगे तो आपके साथ भी वही होगा।’’
‘‘मुझे नहीं लगता कि मैं कोई ऐसी केस हिस्ट्री हूं लेकिन मैं उस हर माध्यम तक जाना चाहूंगी जिससे लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैले। समाज में महिलाओं को कैंसर के कारण कई दर्द झेलने पड़ते हैं,परिवार उन्हें छोड़ देते हैं या कैंसर डिटेक्ट होने में ही बहुत देर हो जाती है तोइन सबके समाधान कीदिशामें जरुरकुछ अच्छाकरती रहूंगी।’’
भोपाल. देश के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार तिरुपति बालाजी अब आंध्र प्रदेश से बाहर निकलने की तैयारी में हैं। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानमट्रस्ट अपनी नई योजना के मुताबिक देशभर के पिछड़े और आदिवासी इलाकों में तिरुपति मंदिरों का निर्माण करने वाला है। इस प्रोजेक्ट के तहत पहला मंदिर आंध्र प्रदेश के ही अमरावती में बनना तय किया गया है। यह तिरुपति से लगभग 400 किमी दूर है। इस मंदिर को मूल तिरुपति की तर्ज पर ही भव्य रूप दिया जाएगा। इसके डिजाइन, ले-आउट पर काम हो चुका है। भूमि पूजन भी हो चुका है।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानमट्रस्ट के पीआरओ टी रवि के मुताबिक पहले चरण में इसके लिए फंड जुटाया जा रहा है। अभी इसके प्रचार प्रसार पर काम किया जा रहा है। श्रीवाणी ट्रस्ट (श्री वेंकटेश्वरा आलेयला निर्माणमट्रस्ट) के जरिए आम लोगों से धन राशि जुटाई जा रही है। इसके लिए प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपए दान राशि तय की गई है। श्रद्धालु इससे ज्यादा भी दान कर सकते हैं। इस ट्रस्ट में राशि दान करने वाले व्यक्ति को तिरुपति बालाजी के वीआईपी दर्शन कराने का प्रावधान है। आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में मंदिर बनाने के पीछे कारण है, उस इलाके को मुख्यधारा से जोड़ना। मंदिर बनने से वहां रोजगार और विकास के रास्ते खुलेंगे।
रवि ने बताया कि जिस गति से मंदिर निर्माण के लिए फंड इकट्ठा होगा, इसके आधार पर तय किया जाएगा कि किन राज्यों या इलाकों में कितने मंदिरों का निर्माण किया जाएगा। श्रीवाणी ट्रस्ट से लोग लगातार जुड़ रहे हैं, लेकिन ये प्रोजेक्ट हाल ही में शुरू हुआ है। इसे गति मिलने में थोड़ा समय लग सकता है। इस पर तिरुमाला तिरुपति देवस्थानमट्रस्ट लगातार काम कर रहा है।
मंदिरों के रखरखाव का भी काम होगा
अमरावती प्रोजेक्ट के साथ ही अगले चरण में देश के उन स्थानों पर पर मंदिर बनाने की योजना है, जहां पिछड़ा, अति-पिछड़ा या आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं। ट्रस्ट ऐसी जगहों पर धार्मिक परंपराओं, वैदिक कर्म और धार्मिक गतिविधियों को बढ़ाने के उद्देश्य से काम कर रहा है। इसके साथ ही श्रीवाणी ट्रस्ट पौराणिक महत्व के स्थानों और मंदिरों के रखरखाव आदि का काम भी करेगा।
शुरुआती दिनों में लगभग 3.2 करोड़ का दान
श्रीवाणी ट्रस्ट को लेकर लोगों में भी उत्साह दिखाई दे रहा है। शुरुआती दिनों में ही ट्रस्ट ने करीब 3.2 करोड़ रुपए का फंड जुटा लिया है। इसमें प्रति व्यक्ति 10 हजार रुपए दान राशि है, जिसमें भगवान तिरुपति के विशेष दर्शन कराने का प्रावधान है।
अमरावती में 25 एकड़ में बनेगा तिरुपति मंदिर
अमरावती में बीते साल तिरुपति मंदिर जैसा ही मंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन हो चुका है। करीब 25 एकड़ भूमि पर बनने वाले इस मंदिर की वर्तमान लागत लगभग 150 करोड़ रुपए होगी। इसके लिए तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट और आंध्र सरकार दोनों ही काम कर रहे हैं। ये मंदिर हू-ब-हू तिरुपति की नकल होगा। इसमें चालुक्य और चोल काल का वास्तुहोगा, जो आगम शास्त्र पर आधारित है।
तिरुपति ट्रस्ट - एक नजर में
मंदिर - 2000 साल पुराना
देवता - भगवान विष्णु और लक्ष्मी के अवतार वेंकटेश्वर और पद्मावती देवी
कुल संपत्ति - करीब 12 हजार करोड़ की धन राशि और 9 हजार किलो सोना
दर्शनार्थी - रोजाना औसतन 60 हजार
व्यवस्था - 47 हजार दर्शनार्थियों के एक साथ ठहरने की
बालाजी का शृंगार - लगभग 550 किलो सोने के आभूषण मौजूद
भोजन - देश की सबसे बड़ी भोजनशालाओं में से एक, एक समय में 4 से 5 हजार लोग खाना खाते हैं
प्रसाद - साल में 10 करोड़ से ज्यादा लड्डू प्रसाद की बिक्री, हर दिन लगभग 3 लाख लड्डू बिकते हैं
पानीपत.2019 में शूटिंग के चार वर्ल्ड कप हुए। 10 मीटर मिक्स्ड टीम इवेंट में चारों बार भारत ने स्वर्ण पदक जीता। स्वर्ण जीतने वाली इस टीम में देश के दो युवा शूटर सौरभ चौधरी और मनु भाकर थे। मनु अभी 17 साल की हैं। वेइस साल होने वाले टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियों में जुटी हैं। साथ ही दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में बीए ऑनर्स कर रही हैं। सुबह दो घंटे पढ़ाई करती हैं। फिर पूरा दिन शूटिंग रेंज में गुजरता है। 2019 में मिक्स्ड इवेंट में वेसफल रहीं, लेकिन सिंगल्स में उन्हें कुछ दिल तोड़ने वाली हार भी झेलनी पड़ी। म्यूनिख विश्व कप में वह एक नंबर पर चल रही थीं। अचानक उनकी पिस्टल टूटी और गोल्ड जीतने का सपना भी टूट गया,लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा है। मनु कहती हैं किहारना भी जीतने की तरह जरूरी है। हार से ही जीतने की एनर्जी मिलती है। शूटर मनु भाकर से भास्कर की विशेष बातचीत..
सवालः आप पहले मार्शल आर्ट्स, बॉक्सिंग, टेनिस खेलती थीं, राष्ट्रीय स्तर पर कामयाबी भी मिली, फिर निशानेबाज कैसे बनीं?
मनुः शुरू से खिलाड़ी बनने की इच्छा थी। बहुत से स्पोर्ट्स ट्राई किए। खेलते-खेलते शूटिंग के बारे में पता चला। मम्मी-पापा ने इसे भी ट्राई करने के लिए कहा तो मैंने शूटिंग शुरू की। काफी अच्छा खेल है, जितनी मेहनत करते हो, उतनी नजर आती है। इसी वजह से फिर इसे चुना।
सवाल: अगर टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय टीम में जगह मिली तो तैयारी कितनी अलग होगी?
मनुः ओलिंपिक की टीम जब भी घोषित हो,मैं अपनी ट्रेनिंग तो वही रखने वाली हूं, जो कर रही हूं। बस थोड़ा सा टाइम और कॉन्सट्रेशन पर काम करना है।
सवाल: पिछले साल म्यूनिख विश्व कप में आपने 10 मीटर में ओलिंपिक कोटा हासिल किया। 25 मीटर के फाइनल में पिस्टल टूट गई। इस तरह की घटनाएं क्या सिखाती हैं?
मनुः वहां मैं बहुत अच्छा शूट कर रही थी। शुरू से लेकर आखिर तक मैं पहले नंबर पर चल रही थी। मेराचांस थाकोटा और मेडल जीतने का, अचानक मेरी पिस्टल के बोल्ट या चैंबर में से कुछ टूट गया, इस वजह से शॉट फायर नहीं हो पाया। इस वजह से मैं बाहर हो गई। मेरे लिए बहुत हार्ट ब्रेकिंग था, लेकिन मैंने जल्दी ही रिकवर कर लिया।
सवाल : मनु भाकर, साक्षी मलिक, फोगाट बहनों को खेल में मिली कामयाबी के बाद हरियाणा में बेटियों के नजरिए में क्या फर्क आया?
मनुः पहले की अपेक्षा अब बहुत सी लड़कियां खेलों में आ रही हैं। उनके परिवार वाले भी बहुत प्रोत्साहित करते हैं। उनके अंदर भी बहुत कॉन्फिडेंस आया है। काफी पॉजिटिविटी आई है सोसाइटी में, इससे काफी सारा पॉजिटिव इंप्रेशन जा रहा है।
सवाल: पिछले साल 10 मीटर मिक्स्ड टीम (एयर पिस्टल) इवेंट में आपने 4 वर्ल्ड कप गोल्ड जीते, व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा में तैयारियों के लिहाज से कितना फर्क है?
मनुः मिक्स्ड डबल में काफी अच्छा साल रहा। मैं इंडिविजुएल ज्यादा फोकस करती हूं, क्योंकि आप इंडिविजुअल स्कोर बराबर रखने की कोशिश करते हो। इस वजह से दोनों ने इंडिविजुएल फोकस किया तो ऐसे नतीजे आए।
सवालः पढ़ाई और कड़ी प्रैक्टिस के बीच तालमेल कैसे बनातीहैं?
मनुः पढ़ाई और खेल के बीच बैलेंस करना बहुत मुश्किल हो रहा है लेकिन फिर भी दोनों करती हूं। खेल के शेड्यूल के बाद भी दो घंटे हर रोज पढ़ाई करती हूं।
सवालः दिनभर का शेड्यूल कैसा होता है?
मनुः सुबह 6 बजे उठ जाती हूं। इसके बाद 7 बजे तक तैयार होकर 9 बजे तक पढ़ाई करती हूं। इसके बाद शूटिंग रेंज पहुंचती हूं और प्रैक्टिस शुरू करती हूं। दोपहर में लंच ब्रेक होता है। शाम तक वहीं प्रैक्टिस करती हूं।
सवालः किसी भी मैच के दौरान दिमाग में क्या चल रहा होता है? कैसे फोकस रखते हैं?
मनुः दिमाग में जो विचार आते हैं, उन्हें रोक नहीं सकते। खेल के दौरान दिमाग में काफी सारी चीजें चल रही होती हैं, हम उन्हें रोक नहीं पाते। लेकिन उस दौरान किसी और चीज के बारे में सोचकर उससे बाहर निकलने कोशिश करती हूं। क्योंकि दिमाग का काम ही सोचना है। अगर खेल के बारे में ही सोचती हूंतो दिमाग पर प्रेशर आ जाता है, इसलिए बहुत सी चीज न सोचकर किसी एक चीज के बारे में सोचती हूं।
सवालः सोशल मीडिया पर कितना टाइम देतीहैं?
मनुः सोशल मीडिया तो मैं बहुत कम यूज करती हूं। हफ्ते में एक-दो बार यदि किसी पर पोस्ट डालना हो तो चलाती हूं। सोशल मीडिया फॉलोअर्स को देखकर अच्छा लगता है कि इतने लोग फोलो करते हैं, मुझे सपोर्ट करते हैं, आइडियल मानते हैं। मैं पूरी कोशिश करती हूं कि अपने साथ-साथ देश को भी गर्व महसूस कराऊं।
सवालः युवा दिवस पर क्या संदेश देना चाहेंगी?
मनुः खेल, पढ़ाई या फिर किसी अन्य एक्टिविटी में युवा जितनी मेहनत करेंगे, उसमें उतना निखरते जाते हैं। किसी भी फिल्ड में जितनी मेहनत करोगे, सफलता जरूर मिलेगी। बस उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
बेंगलुरू. न्याय में बेवजह की देरी राेकने के लिए सुप्रीम काेर्ट के चीफ जस्टिस एसए बाेबडे अदालताें में आर्टिफिशियल सिस्टम लागू करने की संभावनाएं खंगाल रहे हैं। उन्हाेंने शनिवार काे बेंगलुरू में न्यायिक अधिकारियाें के सम्मेलन में यह बात कही। अदालताें में बड़ी संख्या में लंबित मुकदमाें के मद्देनजर उनकी टिप्पणी अहम है। चीफ जस्टिस ने साफ किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जजाें की जगह नहीं लेगा। सिर्फ फैसले के दाेहराव वाले, मैथेमेटिकल और मैकेनिकल हिस्साें के लिए इसकी मदद ली जा सकती है।
सीजेआई ने कहा, “कई बार जज भी मुझसे इस तकनीक को लाने पर सवाल कर चुके हैं। मैं साफ करना चाहता हूं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानी जजाें की जगह नहीं लेने जा रहा। यह इंसानी विवेक की जगह नहीं ले सकती।” उन्हाेंने कहा कि अदालताें के लिए यह सुनिश्चित करना अहम है कि न्याय मिलने में बेवजह देरी न हाे। इस मकसद से अदालताें के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित करने की संभावनाएं हैं। जल्दी न्याय मिले, यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी
हमारे पास जाे भी प्रतिभाएं और काैशल हैं, उनका इस्तेमाल करके सुनिश्चित करना चाहिए कि एक उचित समय के भीतर लाेगाें काे न्याय मिले। न्याय में देरी किसी भी व्यक्ति के कानून हाथ में लेने की वजह नहीं हाेनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने केस दायर किए जाने से पहले मध्यस्थता की व्यवस्था की भी जाेरदार पैरवी की। उन्हाेंने कहा कि यह आज के वक्त की जरूरत है।
पहले एआई के इस्तेमाल का समर्थन कर चुके हैं चीफ जस्टिस
सीजेआई बनने से पहले जस्टिस बोबडे ने कहा था कि अदालतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उच्च तकनीक जरूरी है। पिछले महीने नागपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में भी उन्होंने चर्चा के दौरान एआई की खूबियां गिनाई थीं। हालांकि, पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा ने कोर्ट के कामकाज में एआई के इस्तेमाल पर चिंता जताई थी। उन्होंने चीफ जस्टिस बोबडे से अपील की कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को फैसलों की प्रक्रिया में शामिल करने से पहले इसके अच्छे और बुरे पहलुओं को देख लें।
नागपुर. देश में हर साल पांच लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इस दुर्घटना में डेढ़ लाख लोगों की मौत हो जाती है और करीब 3 लाख लोग घायल हो जाते हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नितिन गडकरी ने शनिवार को एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा लगातार कई कदम उठाए जाने के बाद भी मृतकों की संख्या में कोई कमी नहीं आ पाई है। गडकरी ने ‘रोड सेफ्टी वीक’ का शुभारंभ किया जो कि देश भर में 17 जनवरी तक चलेगा।
गडकरी ने कहा, “सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश के जीडीपी को दो फीसदी का नुकसान होता है। वहीं, इन दुर्घटनाओं में मारे जाने वालों में से 62% लोग 18 से 35 वर्ष आयु वर्ग के होते हैं।” उन्होंने दुर्घटनाओं की संख्या में 29% कमी और हताहतों में 30% की कमी लाने के लिए उन्होंने तमिलनाडु सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोगों में जागरूकता और यातायात नियमों का पालन करने के साथ ही पुलिस, आरटीओ, एनजीओ एवं अन्य के एकजुट प्रयास से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ सकती है।
2018 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 0.46% बढ़ोतरी हुई
इससे पहले, पिछले साल नवंबर में परिवहन मंत्रालय ने ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2018' नाम से रिपोर्ट जारी की थी जिसमें कहा गया था कि 2017 के मुकाबले 2018 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में 0.46% बढ़ोतरी हुई थी। इसमें मृतकों की संख्या में 2.37% बढ़ोतरी हुई थी। वहीं, 2017 की तुलना में 2018 में घायलों की संख्या में 0.33% की कमी दर्ज की गई थी।
कन्नौज में सड़क हादसे में 20 लोग जिंदा जल गए
उत्तर प्रदेश के कन्नौज में शुक्रवार रात ट्रक से टक्कर के बाद एसी बस आग लग गई थी। हादसे में 20 लोगों के जिंदा जलने की खबर है। पुलिस के मुताबिक, बस में करीब 43 यात्री सवार थे। बचाए गए 25 में से 23 अस्पताल में भर्ती हैं। बस फर्रुखाबाद से जयपुर जा रही थी। हादसा इतना भयानक था कि फंसे यात्रियों को निकलने तक का मौका नहीं मिला था।
बेंगलुरू. न्याय में बेवजह की देरी राेकने के लिए सुप्रीम काेर्ट के चीफ जस्टिस एसए बाेबडे अदालताें में आर्टिफिशियल सिस्टम लागू करने की संभावनाएं खंगाल रहे हैं। उन्हाेंने शनिवार काे बेंगलुरू में न्यायिक अधिकारियाें के सम्मेलन में यह बात कही। अदालताें में बड़ी संख्या में लंबित मुकदमाें के मद्देनजर उनकी टिप्पणी अहम है। चीफ जस्टिस ने साफ किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जजाें की जगह नहीं लेगा। सिर्फ फैसले के दाेहराव वाले, मैथेमेटिकल और मैकेनिकल हिस्साें के लिए इसकी मदद ली जा सकती है।
सीजेआई ने कहा, “कई बार जज भी मुझसे इस तकनीक को लाने पर सवाल कर चुके हैं। मैं साफ करना चाहता हूं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानी जजाें की जगह नहीं लेने जा रहा। यह इंसानी विवेक की जगह नहीं ले सकती।” उन्हाेंने कहा कि अदालताें के लिए यह सुनिश्चित करना अहम है कि न्याय मिलने में बेवजह देरी न हाे। इस मकसद से अदालताें के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम विकसित करने की संभावनाएं हैं। जल्दी न्याय मिले, यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी
हमारे पास जाे भी प्रतिभाएं और काैशल हैं, उनका इस्तेमाल करके सुनिश्चित करना चाहिए कि एक उचित समय के भीतर लाेगाें काे न्याय मिले। न्याय में देरी किसी भी व्यक्ति के कानून हाथ में लेने की वजह नहीं हाेनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने केस दायर किए जाने से पहले मध्यस्थता की व्यवस्था की भी जाेरदार पैरवी की। उन्हाेंने कहा कि यह आज के वक्त की जरूरत है।
पहले एआई के इस्तेमाल का समर्थन कर चुके हैं चीफ जस्टिस
सीजेआई बनने से पहले जस्टिस बोबडे ने कहा था कि अदालतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और उच्च तकनीक जरूरी है। पिछले महीने नागपुर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के कार्यक्रम में भी उन्होंने चर्चा के दौरान एआई की खूबियां गिनाई थीं। हालांकि, पूर्व सीजेआई आरएम लोढ़ा ने कोर्ट के कामकाज में एआई के इस्तेमाल पर चिंता जताई थी। उन्होंने चीफ जस्टिस बोबडे से अपील की कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को फैसलों की प्रक्रिया में शामिल करने से पहले इसके अच्छे और बुरे पहलुओं को देख लें।
from Dainik Bhaskar /national/news/chief-justice-speaks-artificial-intelligence-cannot-replace-human-mind-it-will-only-speed-up-works-in-court-126498279.html
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श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के 5 महीने बाद भी तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूकअब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। राज्य को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन चुनाव कब होंगे, इस पर सस्पेंस कायम है। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है। बड़े नेता नजरबंद हैं। इसके बावजूद सियासी हलकों में सरगर्मी तेज है। इसकी वजह हैं पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग जैसे नेता, जो अनुच्छेद 370 को भुलाकर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं। साथ ही राज्यों काे विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 का मुद्दा उठा रहे हैं। चर्चा है कि राज्य में किसी नए दल का गठन भी हो सकता है।
पूर्व मंत्री बुखारी के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने बीते मंगलवार उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसमें उन्होंने राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बहाल करने की मांग की थी। उन्हीं के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने हाल ही में 16 विदेशी राजनयिकों से श्रीनगर के एक होटल में मुलाकात की थी। इस कदम से नाराज पीडीपी ने 8 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
अनुच्छेद 370 को भुलाने और उसे खोखला बताने वाले 2 बयान
अनुच्छेद 370 हटने का दर्द कभी नहीं जाएगा, लेकिन हमें आखिरकार इसे भुलाकर आगे बढ़ना होगा। जिंदगी चलती रहती है। हम जो हासिल कर सकते हैं, हमें उसके लिए कोशिशें करनी चाहिए। हमें यहां के लोगों के हक पर बात करनी चाहिए।
अल्ताफ बुखारी, पूर्व मंत्री, पीडीपी से निष्कासित
अनुच्छेद 370 तो खोखला था। इस पर महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी भड़काऊ बयान जैसी थी। उनकी टिप्पणी से नुकसान हुआ। अब राज्यों को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 को जम्मू-कश्मीर में लागू करने की मांग होनी चाहिए। अनुच्छेद 371 कुछ पहाड़ी राज्यों में लागू है। वहां स्थानीय लोगों को वैसे ही अधिकार मिले हुए हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर के लोगों को पहले मिले हुए थे।
मुजफ्फर बेग, पूर्व उपमुख्यमंत्री, पीडीपी
अनुच्छेद 371 क्या है?
अनुच्छेद 371 राज्यों को विशेष दर्जा देता है। इसमें करीब 10 प्रावधान हैं। यह विकास कार्यों और कानून व्यवस्था जैसे मामलों में केंद्र और राज्यों को विशेषाधिकार देता है। अभी यह 10 राज्यों में लागू है। जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में यह राज्यपाल के जरिए केंद्र को कुछ विशेष क्षेत्रों में विकास बोर्ड बनाने का अधिकार देता है। वहीं, नगालैंड और मिजोरम में यह अनुच्छेद वहां की विधानसभा को धार्मिक-सामाजिक मामलों में फैसले करने का अधिकार देता है।
नई पार्टी बनने की सुगबुगाहट
अब तक 13 नेता पीडीपी छोड़ चुके हैं। 8 नेताओं को पीडीपी ने विदेशी राजनयिकों से मुलाकात करने पर पार्टी से बाहर कर दिया। माना जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी पीडीपी छोड़ चुके नेताओं के साथ मिलकर नई पार्टी बना सकते हैं। वहीं, कश्मीर में भाजपा के पंच और सरपंच जल्द ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनका मानना है कि राज्य की राजनीति में आए खालीपन को वे भर सकते हैं। हालांकि, भाजपा आज तक कश्मीर घाटी में कोई विधानसभा सीट नहीं जीत सकी है।
सियासी हलचल के 5 चेहरे
1# अल्ताफ बुखारी : कश्मीर के कारोबारी, पीडीपी से बाहर
बुखारी कश्मीर के बड़े कारोबारी हैं। वे 84 करोड़ की संपत्ति के साथ 2014 के विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर उम्मीदवार रहे हैं। जनवरी 2019 में ही उन्हें पीडीपी से निकाल दिया गया था। बुखारी 370 को भुलाकर आगे बढ़ने की खुलकर बात कर रहे हैं। अगस्त के बाद इस तरह का सार्वजनिक बयान देने वाले वे पहले नेता हैं। बुखारी के नेतृत्व वाले गुट ने युवाओं से जुड़ा मुद्दा भी उछाल दिया है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को रोजगार और प्रोफेशनल कोर्सेस में आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही युवाओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए। बुखारी पीडीपी से अलग हो चुके हैं, लेकिन अपनी पूर्व नेता महबूबा मुफ्ती समेत सभी तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंदी से छोड़ने और अगस्त से जेलों में बंद करीब 1200 लोगों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं।
2# मुजफ्फर बेग : पीडीपी नेता, लेकिन 370 पर पार्टी से अलग राय
पूर्व डिप्टी सीएम मुजफ्फर बेग 371 का मुद्दा उठा रहे हैं। वे 370 पर महबूबा मुफ्ती के स्टैंड को भी खुलकर गलत ठहरा रहे हैं। हालांकि, वे अभी पीडीपी में कायम हैं।
3# इल्तिजा मुफ्ती : महबूबा की बेटी
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती 370 हटाने के विरोध में चल रही मुहिम का चेहरा बनी हुई हैं। उनका कहना है कि कोई किसी भी दल में हो, यह वक्त है जब 370 की बहाली के लिए सभी साथ आएं।
4# मुस्तफा कमाल, फारुख अब्दुल्ला के भाई
फारुख और उमर अब्दुल्ला अगस्त से नजरबंद हैं। फारुख के भाई मुस्तफा कमाल नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक 370 की बहाली नहीं हो जाती, तब तक पार्टी कोई चुनाव नहीं लड़ेगी। अनुच्छेद 371 लागू होता है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन 370 पर हमारा स्टैंड कायम है।
5# खालिदा शाह, फारुख अब्दुल्ला की बहन
फारुख अब्दुल्ला की बहन और आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष खालिदा शाह का भी कहना है कि सरकार ने 370 हटाकर बड़ी गलती की है। 370 को उसके मूल स्वरूप में दोबारा बहाल करना चाहिए। जो अनुच्छेद 371 की बात करेंगे, उन्हें गद्दार माना जाना चाहिए।
श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के 5 महीने बाद भी तीन पूर्व मुख्यमंत्री फारूकअब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। राज्य को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन चुनाव कब होंगे, इस पर सस्पेंस कायम है। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लागू है। बड़े नेता नजरबंद हैं। इसके बावजूद सियासी हलकों में सरगर्मी तेज है। इसकी वजह हैं पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी और पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग जैसे नेता, जो अनुच्छेद 370 को भुलाकर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं। साथ ही राज्यों काे विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 का मुद्दा उठा रहे हैं। चर्चा है कि राज्य में किसी नए दल का गठन भी हो सकता है।
पूर्व मंत्री बुखारी के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने बीते मंगलवार उपराज्यपाल जीसी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसमें उन्होंने राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बहाल करने की मांग की थी। उन्हीं के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने हाल ही में 16 विदेशी राजनयिकों से श्रीनगर के एक होटल में मुलाकात की थी। इस कदम से नाराज पीडीपी ने 8 नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
अनुच्छेद 370 को भुलाने और उसे खोखला बताने वाले 2 बयान
अनुच्छेद 370 हटने का दर्द कभी नहीं जाएगा, लेकिन हमें आखिरकार इसे भुलाकर आगे बढ़ना होगा। जिंदगी चलती रहती है। हम जो हासिल कर सकते हैं, हमें उसके लिए कोशिशें करनी चाहिए। हमें यहां के लोगों के हक पर बात करनी चाहिए।
अल्ताफ बुखारी, पूर्व मंत्री, पीडीपी से निष्कासित
अनुच्छेद 370 तो खोखला था। इस पर महबूबा मुफ्ती की टिप्पणी भड़काऊ बयान जैसी थी। उनकी टिप्पणी से नुकसान हुआ। अब राज्यों को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 371 को जम्मू-कश्मीर में लागू करने की मांग होनी चाहिए। अनुच्छेद 371 कुछ पहाड़ी राज्यों में लागू है। वहां स्थानीय लोगों को वैसे ही अधिकार मिले हुए हैं, जैसे जम्मू-कश्मीर के लोगों को पहले मिले हुए थे।
मुजफ्फर बेग, पूर्व उपमुख्यमंत्री, पीडीपी
अनुच्छेद 371 क्या है?
अनुच्छेद 371 राज्यों को विशेष दर्जा देता है। इसमें करीब 10 प्रावधान हैं। यह विकास कार्यों और कानून व्यवस्था जैसे मामलों में केंद्र और राज्यों को विशेषाधिकार देता है। अभी यह 10 राज्यों में लागू है। जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में यह राज्यपाल के जरिए केंद्र को कुछ विशेष क्षेत्रों में विकास बोर्ड बनाने का अधिकार देता है। वहीं, नगालैंड और मिजोरम में यह अनुच्छेद वहां की विधानसभा को धार्मिक-सामाजिक मामलों में फैसले करने का अधिकार देता है।
नई पार्टी बनने की सुगबुगाहट
अब तक 13 नेता पीडीपी छोड़ चुके हैं। 8 नेताओं को पीडीपी ने विदेशी राजनयिकों से मुलाकात करने पर पार्टी से बाहर कर दिया। माना जा रहा है कि अल्ताफ बुखारी पीडीपी छोड़ चुके नेताओं के साथ मिलकर नई पार्टी बना सकते हैं। वहीं, कश्मीर में भाजपा के पंच और सरपंच जल्द ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनका मानना है कि राज्य की राजनीति में आए खालीपन को वे भर सकते हैं। हालांकि, भाजपा आज तक कश्मीर घाटी में कोई विधानसभा सीट नहीं जीत सकी है।
सियासी हलचल के 5 चेहरे
1# अल्ताफ बुखारी : कश्मीर के कारोबारी, पीडीपी से बाहर
बुखारी कश्मीर के बड़े कारोबारी हैं। वे 84 करोड़ की संपत्ति के साथ 2014 के विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर उम्मीदवार रहे हैं। जनवरी 2019 में ही उन्हें पीडीपी से निकाल दिया गया था। बुखारी 370 को भुलाकर आगे बढ़ने की खुलकर बात कर रहे हैं। अगस्त के बाद इस तरह का सार्वजनिक बयान देने वाले वे पहले नेता हैं। बुखारी के नेतृत्व वाले गुट ने युवाओं से जुड़ा मुद्दा भी उछाल दिया है। उनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को रोजगार और प्रोफेशनल कोर्सेस में आरक्षण मिलना चाहिए। साथ ही युवाओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए। बुखारी पीडीपी से अलग हो चुके हैं, लेकिन अपनी पूर्व नेता महबूबा मुफ्ती समेत सभी तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को नजरबंदी से छोड़ने और अगस्त से जेलों में बंद करीब 1200 लोगों को रिहा करने की मांग कर रहे हैं।
2# मुजफ्फर बेग : पीडीपी नेता, लेकिन 370 पर पार्टी से अलग राय
पूर्व डिप्टी सीएम मुजफ्फर बेग 371 का मुद्दा उठा रहे हैं। वे 370 पर महबूबा मुफ्ती के स्टैंड को भी खुलकर गलत ठहरा रहे हैं। हालांकि, वे अभी पीडीपी में कायम हैं।
3# इल्तिजा मुफ्ती : महबूबा की बेटी
महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती 370 हटाने के विरोध में चल रही मुहिम का चेहरा बनी हुई हैं। उनका कहना है कि कोई किसी भी दल में हो, यह वक्त है जब 370 की बहाली के लिए सभी साथ आएं।
4# मुस्तफा कमाल, फारुख अब्दुल्ला के भाई
फारुख और उमर अब्दुल्ला अगस्त से नजरबंद हैं। फारुख के भाई मुस्तफा कमाल नेशनल कॉन्फ्रेंस के बड़े नेता हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक 370 की बहाली नहीं हो जाती, तब तक पार्टी कोई चुनाव नहीं लड़ेगी। अनुच्छेद 371 लागू होता है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन 370 पर हमारा स्टैंड कायम है।
5# खालिदा शाह, फारुख अब्दुल्ला की बहन
फारुख अब्दुल्ला की बहन और आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस की अध्यक्ष खालिदा शाह का भी कहना है कि सरकार ने 370 हटाकर बड़ी गलती की है। 370 को उसके मूल स्वरूप में दोबारा बहाल करना चाहिए। जो अनुच्छेद 371 की बात करेंगे, उन्हें गद्दार माना जाना चाहिए।
खेल डेस्क. न्यूजीलैंड दौरे के लिए भारतीय टीम का चयन आज मुंबई में किया जाएगा। टीम इंडिया 24 जनवरी से छह हफ्ते के लिए न्यूजीलैंड जाएगी। वहां पांच टी-20, तीन वनडे और दो टेस्ट खेलेगी। पीठ की चोट से परेशान हार्दिक पंड्या की टीम में वापसी मुश्किल हो गई है। वे चयन से एक दिन पहले ही फिटनेस टेस्ट में फेल हो गए। वहीं, टेस्ट में रिजर्व ओपनर के तौर पर लोकेश राहुल और शुभमन गिल में से किसी एक को चुना जा सकता है। टीम इंडिया पिछले साल न्यूजीलैंड में पांच वनडे की सीरीज 4-1 से जीती थी। वहीं, तीन टी-20 की सीरीज में 1-2 से हार का सामना करना पड़ा था।
चयनकर्ता सीमित ओवरों के लिए 16 या 17 सदस्यीय टीम की घोषणा कर सकते हैं। इस दौरान टी-20 वर्ल्ड कप भी वे ध्यान में रखेंगे। टीम इंडिया ने श्रीलंका के खिलाफ शुक्रवार को खत्म हुए तीन टी-20 की सीरीज को 2-0 से अपने नाम किया था, लेकिन इस दौरान हार्दिक टीम के साथ नहीं थे। वे भारत-ए टीम के साथ न्यूजीलैंड जाने वालेथे। फिटनेस टेस्ट में फेल होने के कारण उनकी जगह विजय शंकर को भेजा गया।
हार्दिक टी-20 वर्ल्ड कप प्लान के अहम हिस्सा: बीसीसीआई
बीसीसीआई के एक पदाधिकारी ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘हार्दिक को लेकर केवल इस बात की जांच करना है कि वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए फिट हैं या नहीं। वे भारत के टी-20 वर्ल्ड कप प्लान के अहम हिस्सा हैं।’ हार्दिक टीम इंडिया के लिए पिछला मैच सितंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बेंगलुरु में खेले थे। हार्दिक पिछला वनडे वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले थे।
वनडे में रहाणे की वापसी संभव
वनडे टीम की सबसे कमजोर कड़ी केदार जाधव हैं। न्यूजीलैंड में जाधव की तकनीकी खामियां सामने आ सकती हैं। हाल के दिनों में ज्यादा ओवर नहीं खेलने को देखते हुए उन्हें टीम से बाहर किया जा सकता है। अगर टीम तकनीकी मजबूती के पहलू को देखती है तो अजिंक्य रहाणे वापसी कर सकते हैं। सूर्यकुमार यादव भी उनके साथ इस दौड़ में शामिल हैं। दूसरी ओर, टेस्ट टीम में सिर्फ तीसरे ओपनर के स्थान पर ही विचार किया जाना है।
टेस्ट में नवदीप सैनी पांचवें तेज गेंदबाज हो सकते हैं
घरेलू सीरीज के लिए रिजर्व ओपनर के तौर पर चुने गए युवा शुभमन गिल चयन के हकदार हैं, लेकिन लोकेश राहुल की मौजूदा फॉर्म और टेस्ट क्रिकेट में उनके अनुभव पर विचार किया जा सकता है। गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह, उमेश यादव, मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा का साथ निभाने के लिए पांचवें तेज गेंदबाज के तौर पर नवदीप सैनी को दल में रखा जा सकता है।
नई दिल्ली.दिन: बुधवार। तारीख: 7 मई 2014। जगह: बेतिया, बिहार। भाजपा की चुनावी रैली। भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बोल रहे हैं- 'भाइयो-बहनो... दिल्ली की धरती पर निर्भया का कांड हुआ। एक गरीब बेटी को जुल्म से मार दिया गया। उसपे बलात्कार हुआ। ये निर्भया का कांड आपकी आंख के सामने हुआ। ये नीच राजनीति है कि नहीं? आपने 1000 करोड़ रुपएका निर्भया का फंड बनाया, एक साल हो गया, एकपैसा खर्च नहीं किया। येनीच राजनीति है कि नहीं है? ये निर्भया के साथ धोखा है, ये नीच कर्म है कि नहीं है? नीच राजनीति कौन करता है?'
मोदी के इस बयान से लेकर आज तक 5 साल 8 महीने और 5 दिन हो गए हैं। यूपीए सरकार में बना निर्भया फंड आज भी है। लेकिन जिस निर्भया फंड को एक हजार करोड़ की राशि के साथ शुरू किया गया था। उसकी राशि मोदी सरकार में ही आधी कर दी गई। निर्भया फंड को शुरू करने के दो साल तक ही हजार करोड़ रुपए डाले गए, लेकिन पिछले तीन साल में इसमें 1600 करोड़ रुपए ही डाले गए। जबकि, मोदी सरकार आने के अगले ही साल यानी 2015-16 में इसके लिए कोई राशि ही नहीं दी गई। ये बात हम नहीं बल्कि खुद सरकार 27 जुलाई 2018 को लोकसभा में बताई थी। उस समय 11 विपक्षी सांसदों के सवाल पर महिला-बाल विकास मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि 2018-19 तक निर्भया फंड के लिए पब्लिक अकाउंट में 3,600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं। 2018-19 के बजट में निर्भया फंड के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन ही किया गया है, जो अभी तक का सबसे कम है।
5 साल में महिला सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 5670 करोड़ मंजूर, लेकिन 76% का ही इस्तेमाल ही नहीं
लोकसभा में 26 जुलाई 2019 को जुगल किशोर शर्मा, संजय जायसवाल और रीति पाठक ने निर्भया फंड के अंतर्गत शुरू हुए प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब मेंमहिला-बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन शुरू किए गए प्रोजेक्ट और उनके खर्च के बारे में बताया था। इन मंत्रालयों में गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, महिला-बाल विकास मंत्रालय, न्यायिक मंत्रालय और आईटी मंत्रालय शामिल थे। जवाब के मुताबिक, निर्भया फंड के अंतर्गत महिला सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 5670.41 करोड़ रुपए अलग-अलग मंत्रालयों को दिए जा चुके हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 1376.81 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं, जो सिर्फ 24% होता है। यानी 76% फंड का अभी तक इस्तेमाल ही नहीं हुआ।
राज्यों की हालत भी खराब: अभी तक जितना फंड दिया गया, उसमें से 9% से कम का ही इस्तेमाल
सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए निर्भया फंड शुरू तो कर दिया और इसके जरिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को राशि भी दी जा रही है। लेकिन, इसके बावजूद इन पैसों का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए राशि मिलती है। अकेले गृह मंत्रालय की तरफ से 1672.21 करोड़ रुपए की राशि दी गई है, लेकिन इसमें से 9% से भी कम यानी सिर्फ 146.98 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। गृह मंत्रालय की तरफ से सबसे ज्यादा राशि 390.90 करोड़ रुपए दिल्ली को दिए गए, लेकिन उसमें से सिर्फ 19.41 करोड़ ही खर्च हो पाए। इस बात की जानकारी 9 नवंबर 2018 को एक सवाल के जवाब में स्मृति ईरानी ने लोकसभा में दी थी।
अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी फंड और खर्च का ब्यौरा
महिला सुरक्षा के लिए तीन प्रमुख योजनाओं का क्या हुआ?
1) महिला पुलिस वॉलेंटियर स्कीम : 22% राशि ही खर्च हुई
जुलाई 2019 में इसे शुरू किया गया। इसके तहत कोई भी महिला या लड़की वॉलेंटियरिंग कर सकती है। इसके लिए हर महीने 1000 रुपए का मानदेय दिया जाता है। इस स्कीम के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से 16.23 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, लेकिन इसमें से 22% यानी 3.58 करोड़ ही खर्च हुए हैं।
2) वन स्टॉप सेंटर स्कीम : 13% राशि का ही इस्तेमाल हुआ
किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को एक ही छत के नीचे पुलिस, कानूनी, चिकित्सा सहायता और रहने की व्यवस्था मिल सके, इसके लिए 2015 में इस योजना को शुरू किया गया। इसके लिए निर्भया फंड के जरिए 311.14 करोड़ रुपए दिए गए, जिसमें से 43 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं। यानी कि जितनी राशि दी गई, उसका सिर्फ 13% ही इस्तेमाल हो पाया।
3) महिला हेल्पलाइन योजना : 47% राशि को खर्च ही नहीं कर सके
महिलाओं की मदद के लिए केंद्र सरकार ने 2015 में इस योजना को शुरू किया गया था। इसके लिए सरकार की तरफ से 45.26 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। जबकि, 24.16 करोड़ रुपए ही इस योजना पर खर्च हुए हैं। महिला हेल्पलाइन के लिए सरकार की तरफ से जारी पैसे में से 47% राशि खर्च ही नहीं हो सकी।
क्या है निर्भया फंड?
दिसंबर 2012 में हुए निर्भया केस के बाद 2013-14 के बजट में तत्कालीन यूपीए सरकार ने निर्भया फंड की शुरुआत की। ये फंड महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन काम करता है। पहले दो साल इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसमें एक हजार करोड़ रुपए डाले थे। यही मंत्रालय निर्भया फंड की नोडल एजेंसी है। पहले यही मंत्रालय बाकी मंत्रालयों को फंड जारी करता था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार या राज्य सरकारों की तरफ से निर्भया स्कीम के तहत प्रोग्राम या प्रोजेक्ट मंत्रालय को दिए जाते हैं, जिसे संबंधित मंत्रालय मंजूर करता है और उसे इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय के पास भेजता है। इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय की तरफ से ही फंड जारी किया जाता है।
नई दिल्ली.दिन: बुधवार। तारीख: 7 मई 2014। जगह: बेतिया, बिहार। भाजपा की चुनावी रैली। भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बोल रहे हैं- 'भाइयो-बहनो... दिल्ली की धरती पर निर्भया का कांड हुआ। एक गरीब बेटी को जुल्म से मार दिया गया। उसपे बलात्कार हुआ। ये निर्भया का कांड आपकी आंख के सामने हुआ। ये नीच राजनीति है कि नहीं? आपने 1000 करोड़ रुपएका निर्भया का फंड बनाया, एक साल हो गया, एकपैसा खर्च नहीं किया। येनीच राजनीति है कि नहीं है? ये निर्भया के साथ धोखा है, ये नीच कर्म है कि नहीं है? नीच राजनीति कौन करता है?'
मोदी के इस बयान से लेकर आज तक 5 साल 8 महीने और 5 दिन हो गए हैं। यूपीए सरकार में बना निर्भया फंड आज भी है। लेकिन जिस निर्भया फंड को एक हजार करोड़ की राशि के साथ शुरू किया गया था। उसकी राशि मोदी सरकार में ही आधी कर दी गई। निर्भया फंड को शुरू करने के दो साल तक ही हजार करोड़ रुपए डाले गए, लेकिन पिछले तीन साल में इसमें 1600 करोड़ रुपए ही डाले गए। जबकि, मोदी सरकार आने के अगले ही साल यानी 2015-16 में इसके लिए कोई राशि ही नहीं दी गई। ये बात हम नहीं बल्कि खुद सरकार 27 जुलाई 2018 को लोकसभा में बताई थी। उस समय 11 विपक्षी सांसदों के सवाल पर महिला-बाल विकास मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि 2018-19 तक निर्भया फंड के लिए पब्लिक अकाउंट में 3,600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं। 2018-19 के बजट में निर्भया फंड के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन ही किया गया है, जो अभी तक का सबसे कम है।
5 साल में महिला सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 5670 करोड़ मंजूर, लेकिन 76% का ही इस्तेमाल ही नहीं
लोकसभा में 26 जुलाई 2019 को जुगल किशोर शर्मा, संजय जायसवाल और रीति पाठक ने निर्भया फंड के अंतर्गत शुरू हुए प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब मेंमहिला-बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन शुरू किए गए प्रोजेक्ट और उनके खर्च के बारे में बताया था। इन मंत्रालयों में गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, महिला-बाल विकास मंत्रालय, न्यायिक मंत्रालय और आईटी मंत्रालय शामिल थे। जवाब के मुताबिक, निर्भया फंड के अंतर्गत महिला सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 5670.41 करोड़ रुपए अलग-अलग मंत्रालयों को दिए जा चुके हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 1376.81 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं, जो सिर्फ 24% होता है। यानी 76% फंड का अभी तक इस्तेमाल ही नहीं हुआ।
राज्यों की हालत भी खराब: अभी तक जितना फंड दिया गया, उसमें से 9% से कम का ही इस्तेमाल
सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए निर्भया फंड शुरू तो कर दिया और इसके जरिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को राशि भी दी जा रही है। लेकिन, इसके बावजूद इन पैसों का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए राशि मिलती है। अकेले गृह मंत्रालय की तरफ से 1672.21 करोड़ रुपए की राशि दी गई है, लेकिन इसमें से 9% से भी कम यानी सिर्फ 146.98 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। गृह मंत्रालय की तरफ से सबसे ज्यादा राशि 390.90 करोड़ रुपए दिल्ली को दिए गए, लेकिन उसमें से सिर्फ 19.41 करोड़ ही खर्च हो पाए। इस बात की जानकारी 9 नवंबर 2018 को एक सवाल के जवाब में स्मृति ईरानी ने लोकसभा में दी थी।
अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी फंड और खर्च का ब्यौरा
महिला सुरक्षा के लिए तीन प्रमुख योजनाओं का क्या हुआ?
1) महिला पुलिस वॉलेंटियर स्कीम : 22% राशि ही खर्च हुई
जुलाई 2019 में इसे शुरू किया गया। इसके तहत कोई भी महिला या लड़की वॉलेंटियरिंग कर सकती है। इसके लिए हर महीने 1000 रुपए का मानदेय दिया जाता है। इस स्कीम के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से 16.23 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, लेकिन इसमें से 22% यानी 3.58 करोड़ ही खर्च हुए हैं।
2) वन स्टॉप सेंटर स्कीम : 13% राशि का ही इस्तेमाल हुआ
किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को एक ही छत के नीचे पुलिस, कानूनी, चिकित्सा सहायता और रहने की व्यवस्था मिल सके, इसके लिए 2015 में इस योजना को शुरू किया गया। इसके लिए निर्भया फंड के जरिए 311.14 करोड़ रुपए दिए गए, जिसमें से 43 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं। यानी कि जितनी राशि दी गई, उसका सिर्फ 13% ही इस्तेमाल हो पाया।
3) महिला हेल्पलाइन योजना : 47% राशि को खर्च ही नहीं कर सके
महिलाओं की मदद के लिए केंद्र सरकार ने 2015 में इस योजना को शुरू किया गया था। इसके लिए सरकार की तरफ से 45.26 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। जबकि, 24.16 करोड़ रुपए ही इस योजना पर खर्च हुए हैं। महिला हेल्पलाइन के लिए सरकार की तरफ से जारी पैसे में से 47% राशि खर्च ही नहीं हो सकी।
क्या है निर्भया फंड?
दिसंबर 2012 में हुए निर्भया केस के बाद 2013-14 के बजट में तत्कालीन यूपीए सरकार ने निर्भया फंड की शुरुआत की। ये फंड महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन काम करता है। पहले दो साल इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसमें एक हजार करोड़ रुपए डाले थे। यही मंत्रालय निर्भया फंड की नोडल एजेंसी है। पहले यही मंत्रालय बाकी मंत्रालयों को फंड जारी करता था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार या राज्य सरकारों की तरफ से निर्भया स्कीम के तहत प्रोग्राम या प्रोजेक्ट मंत्रालय को दिए जाते हैं, जिसे संबंधित मंत्रालय मंजूर करता है और उसे इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय के पास भेजता है। इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय की तरफ से ही फंड जारी किया जाता है।
from Dainik Bhaskar /db-originals/news/nirbhaya-fund-utilization-by-narendra-modi-states-government-news-updates-on-nirbhaya-fund-amount-126495797.html
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कोच्चि .केरल के कोच्चि शहर में प्रशासन ने शनिवार को दो बहुमंजिला रिहायशी इमारतों होली फेथ एच-20 और अल्फा सेरेन को विस्फोट कर गिरा दिया। 19 मंजिला होली फेथ में 90 और 16 मंजिला अल्फा सेरेन में 80 फ्लैट थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में ऐसी चार इमारतों को समुद्र तटीय निर्माण नियमों के उल्लंघन के कारण गिराने का आदेश दिया था। दो अन्य इमारतें गोल्डन कायालोरम और जैन कोरल रविवार को गिराई जाएंगी। कोर्ट ने चारों इमारतें गिराने के लिए 138 दिन दिए थे। अधिकारियों के मुताबिक होली फेथ और अल्फा सेरेन को गिराने में करीब 800 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। सुरक्षा के लिहाज से इमारतों से 200 मीटर के दायरे में धारा-144 लगा दी गई थी। आसपास ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध था। सुरक्षाबलों के हेलीकॉप्टरों ने वायुक्षेत्र और नौकाओं ने समुद्री क्षेत्र का मुआयना किया। सड़कों पर करीब 500 पुलिसकर्मी तैनात थे। इनके अलावा 300 लोगों की टीम यातायात और भीड़ को नियंत्रित कर रही थी।
800 किलो बारूद लगा, धारा-144 लगानी पड़ी
कार्रवाई से 4 घंटे पहले आसपास के इलाकों को खाली कराया गया। लोगों से कहा गया कि वे घर छोड़ने से पहले बिजली उपकरण, खिड़कियां-दरवाजे बंद कर दें, ताकि आग और प्रदूषण से बचा जा सके।
कुछ लोगों ने कहा कि उन्होंने इन इमारतों में एक-एक करोड़ रुपए में फ्लैट खरीदे थे। उनका सपना टूट गया। बता दें कि कोर्ट ने प्रत्येक फ्लैट मालिक को 25-25 लाख रुपए मुआवजा का आदेश दिया था।
नई दिल्ली.नई दिल्ली. जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शनिवार को सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि अभी हम भविष्य में काम आने वाली ट्रेनिंग दे रहे हैं। हमारा जोर संख्याबल पर नहीं, गुणवत्ता पर है। हम तय करेंगे कि हमारे लोग अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
नरवणे ने यह भी कहा कि तीनों सेनाओं के भीतर तालमेल बेहद जरूरी है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) इस क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। सेना बदलाव की प्रक्रिया में है। हम हमेशा यह तय करने की कोशिश करेंगे कि हमें बेस्ट मिले। हमारे सामने जो भी चुनौतियां आएं भविष्य में हम उनके लिए तैयार रहें। यही हमारा फोकस है।संविधान के प्रति निष्ठा ही हर वक्त हमारी मार्गदर्शक होनी चाहिए। हम संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को आधार बनाकर ही आगे बढ़ेंगे।
31 दिसंबर को नरवणे सेना प्रमुख बनाए गए
पूर्व सेना प्रमुख बिपिन रावत के इस्तीफा देने के बाद नरवणे ने 31 दिसंबर को 28वें सेना प्रमुख का पदभार संभाला। जनरल विपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाए गए। इससे पहले,जनरलनरवणेगुरुवार को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्रसियाचिन पहुंचे थे।
नई दिल्ली.नई दिल्ली. जनरल मनोज मुकुंद नरवणे शनिवार को सेना प्रमुख बनाए जाने के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि अभी हम भविष्य में काम आने वाली ट्रेनिंग दे रहे हैं। हमारा जोर संख्याबल पर नहीं, गुणवत्ता पर है। हम तय करेंगे कि हमारे लोग अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
नरवणे ने यह भी कहा कि तीनों सेनाओं के भीतर तालमेल बेहद जरूरी है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) इस क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। सेना बदलाव की प्रक्रिया में है। हम हमेशा यह तय करने की कोशिश करेंगे कि हमें बेस्ट मिले। हमारे सामने जो भी चुनौतियां आएं भविष्य में हम उनके लिए तैयार रहें। यही हमारा फोकस है।संविधान के प्रति निष्ठा ही हर वक्त हमारी मार्गदर्शक होनी चाहिए। हम संविधान में निहित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को आधार बनाकर ही आगे बढ़ेंगे।
31 दिसंबर को नरवणे सेना प्रमुख बनाए गए
पूर्व सेना प्रमुख बिपिन रावत के इस्तीफा देने के बाद नरवणे ने 31 दिसंबर को 28वें सेना प्रमुख का पदभार संभाला। जनरल विपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाए गए। इससे पहले,जनरलनरवणेगुरुवार को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्रसियाचिन पहुंचे थे।
from Dainik Bhaskar /national/news/general-narwanes-first-press-conference-after-becoming-army-chief-training-future-emphasizing-quality-not-numbers-126492398.html
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