Saturday, January 11, 2020

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नई दिल्ली. दिन: बुधवार। तारीख: 7 मई 2014। जगह: बेतिया, बिहार। भाजपा की चुनावी रैली। भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी बोल रहे हैं- 'भाइयो-बहनो... दिल्ली की धरती पर निर्भया का कांड हुआ। एक गरीब बेटी को जुल्म से मार दिया गया। उसपे बलात्कार हुआ। ये निर्भया का कांड आपकी आंख के सामने हुआ। ये नीच राजनीति है कि नहीं? आपने 1000 करोड़ रुपएका निर्भया का फंड बनाया, एक साल हो गया, एकपैसा खर्च नहीं किया। येनीच राजनीति है कि नहीं है? ये निर्भया के साथ धोखा है, ये नीच कर्म है कि नहीं है? नीच राजनीति कौन करता है?'

मोदी के इस बयान से लेकर आज तक 5 साल 8 महीने और 5 दिन हो गए हैं। यूपीए सरकार में बना निर्भया फंड आज भी है। लेकिन जिस निर्भया फंड को एक हजार करोड़ की राशि के साथ शुरू किया गया था। उसकी राशि मोदी सरकार में ही आधी कर दी गई। निर्भया फंड को शुरू करने के दो साल तक ही हजार करोड़ रुपए डाले गए, लेकिन पिछले तीन साल में इसमें 1600 करोड़ रुपए ही डाले गए। जबकि, मोदी सरकार आने के अगले ही साल यानी 2015-16 में इसके लिए कोई राशि ही नहीं दी गई। ये बात हम नहीं बल्कि खुद सरकार 27 जुलाई 2018 को लोकसभा में बताई थी। उस समय 11 विपक्षी सांसदों के सवाल पर महिला-बाल विकास मंत्रालय की तरफ से बताया गया था कि 2018-19 तक निर्भया फंड के लिए पब्लिक अकाउंट में 3,600 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए जा चुके हैं। 2018-19 के बजट में निर्भया फंड के लिए 500 करोड़ रुपए का आवंटन ही किया गया है, जो अभी तक का सबसे कम है।

27 जुलाई 2018 को लोकसभा में दिया सरकार का जवाब


5 साल में महिला सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 5670 करोड़ मंजूर, लेकिन 76% का ही इस्तेमाल ही नहीं
लोकसभा में 26 जुलाई 2019 को जुगल किशोर शर्मा, संजय जायसवाल और रीति पाठक ने निर्भया फंड के अंतर्गत शुरू हुए प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब मेंमहिला-बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने अलग-अलग मंत्रालयों के अधीन शुरू किए गए प्रोजेक्ट और उनके खर्च के बारे में बताया था। इन मंत्रालयों में गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, सड़क-परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, महिला-बाल विकास मंत्रालय, न्यायिक मंत्रालय और आईटी मंत्रालय शामिल थे। जवाब के मुताबिक, निर्भया फंड के अंतर्गत महिला सुरक्षा से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए 5670.41 करोड़ रुपए अलग-अलग मंत्रालयों को दिए जा चुके हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 1376.81 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं, जो सिर्फ 24% होता है। यानी 76% फंड का अभी तक इस्तेमाल ही नहीं हुआ।

26 जुलाई 2019 को लोकसभा में दिया सरकार का जवाब


राज्यों की हालत भी खराब: अभी तक जितना फंड दिया गया, उसमें से 9% से कम का ही इस्तेमाल
सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए निर्भया फंड शुरू तो कर दिया और इसके जरिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को राशि भी दी जा रही है। लेकिन, इसके बावजूद इन पैसों का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए राशि मिलती है। अकेले गृह मंत्रालय की तरफ से 1672.21 करोड़ रुपए की राशि दी गई है, लेकिन इसमें से 9% से भी कम यानी सिर्फ 146.98 करोड़ रुपए ही खर्च हुए हैं। गृह मंत्रालय की तरफ से सबसे ज्यादा राशि 390.90 करोड़ रुपए दिल्ली को दिए गए, लेकिन उसमें से सिर्फ 19.41 करोड़ ही खर्च हो पाए। इस बात की जानकारी 9 नवंबर 2018 को एक सवाल के जवाब में स्मृति ईरानी ने लोकसभा में दी थी।

अलग-अलग मंत्रालयों की तरफ से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी फंड और खर्च का ब्यौरा

29 नवंबर 2019 को लोकसभा में दिया सरकार का जवाब


महिला सुरक्षा के लिए तीन प्रमुख योजनाओं का क्या हुआ?
1) महिला पुलिस वॉलेंटियर स्कीम : 22% राशि ही खर्च हुई

जुलाई 2019 में इसे शुरू किया गया। इसके तहत कोई भी महिला या लड़की वॉलेंटियरिंग कर सकती है। इसके लिए हर महीने 1000 रुपए का मानदेय दिया जाता है। इस स्कीम के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से 16.23 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, लेकिन इसमें से 22% यानी 3.58 करोड़ ही खर्च हुए हैं।

2) वन स्टॉप सेंटर स्कीम : 13% राशि का ही इस्तेमाल हुआ
किसी भी तरह की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को एक ही छत के नीचे पुलिस, कानूनी, चिकित्सा सहायता और रहने की व्यवस्था मिल सके, इसके लिए 2015 में इस योजना को शुरू किया गया। इसके लिए निर्भया फंड के जरिए 311.14 करोड़ रुपए दिए गए, जिसमें से 43 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए हैं। यानी कि जितनी राशि दी गई, उसका सिर्फ 13% ही इस्तेमाल हो पाया।

3) महिला हेल्पलाइन योजना : 47% राशि को खर्च ही नहीं कर सके
महिलाओं की मदद के लिए केंद्र सरकार ने 2015 में इस योजना को शुरू किया गया था। इसके लिए सरकार की तरफ से 45.26 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। जबकि, 24.16 करोड़ रुपए ही इस योजना पर खर्च हुए हैं। महिला हेल्पलाइन के लिए सरकार की तरफ से जारी पैसे में से 47% राशि खर्च ही नहीं हो सकी।

क्या है निर्भया फंड?
दिसंबर 2012 में हुए निर्भया केस के बाद 2013-14 के बजट में तत्कालीन यूपीए सरकार ने निर्भया फंड की शुरुआत की। ये फंड महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन काम करता है। पहले दो साल इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसमें एक हजार करोड़ रुपए डाले थे। यही मंत्रालय निर्भया फंड की नोडल एजेंसी है। पहले यही मंत्रालय बाकी मंत्रालयों को फंड जारी करता था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार या राज्य सरकारों की तरफ से निर्भया स्कीम के तहत प्रोग्राम या प्रोजेक्ट मंत्रालय को दिए जाते हैं, जिसे संबंधित मंत्रालय मंजूर करता है और उसे इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय के पास भेजता है। इकोनॉमिक अफेयर्स मंत्रालय की तरफ से ही फंड जारी किया जाता है।



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Nirbhaya Fund Utilization Amount | Nirbhaya Fund Utilization By Narendra Modi, States Government News Updates On Nirbhaya Fund; Know Why Modi States Govt Failed to Utilize Nirbhaya Fund Amount


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