
नई दिल्ली (अमित कुमार निरंजन).जेएनयू पहले फीस वृद्धि, फिर सीएए और अब 5 जनवरी को नकाबपोशाें द्वारा कैंपस में की गई हिंसा को लेकर चर्चा में हैं। जेएनयू के हालात को लेकर कुलपति एम जगदेश कुमार से बातचीत के चुनिंदा अंश...
सवाल: आपने छात्रों से पहले बात क्यों नहीं की?
जवाब: काेई भी फैसला प्रक्रिया के तहत हाेता है। फीस बढ़ाने के मामले में भी कई प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद ही फैसला लिया था। हम यही प्रक्रिया फॉलो कर रहे थे। वैसे भी जेएनयू की संस्कृति बात से समाधान निकालने की है।
सवाल:छात्रों की शिकायतें भी ताे सुनी जानी चाहिए थीं?
जवाब:28 अक्टूबर के बाद कमेटी ने फैसला किया, इसके बाद अधिकारी छात्रों से बात करने गए। छात्रों ने उनका घेराव किया और उनसे इस्तीफा दिलवा दिया। मैं भी छात्रों से मिलने गया, पर वे हमले की नीयत से मेरी तरफ बढ़ने लगे।
सवाल:हालात बिगड़ने का अंदेशा था ताे सख्ती क्यों नहीं की?
जवाब:हमने इनसे (जेएनयूएसयू) से बात की कोशिश की पर इन्होंने माहौल खराब किया। ये हिंसक और उपद्रवी हो रहे हैं, एेसा पहली बार हो रहा है।
सवाल:हालात फीस के मुद्दे पर बिगड़े, सीएए या फिर नकाबपोशों को लेकर?
जवाब:इसके लिए पीछे जाना होगा। कुछ कहते हैं कि हम जेएनयू को बदल रहे हैं। जेएनयू का उद्देश्य है विश्व स्तरीय रिसर्च करना, इसके लिए छात्रों को तैयार करना। अभी जो हो रहा है उससे तो भविष्य नहीं बन पाएगा।
सवाल:भाजपा नेता, मंत्री जेएनयू को टुकड़े-टुकड़े गैंग का अड्डा कहते हैं, इसे कितना जायज मानते हैं?
जवाब:हमारा राष्ट्र लोकतांत्रिक देश है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। सभी को अपने विचार रखने का अधिकार है।
सवाल:दीपिका पादुकोण के आने पर आपका मत बदल जाता है। एेसा क्याें?
जवाब:मैंने कहा था कि महान हस्ती आंदोलनकारी छात्रों के साथ आएं, यह उनका अधिकार है। पर उन हजारों छात्रों के बारे में भी बोलें, जो पढ़ाई कर रहे हैं। जो प्रोफेसर पेड़ के नीचे बैठकर रिसर्च की बातें करते हों। क्या इनका मौलिक अधिकार नहीं है। दीपिका को इनके बारे में भी कुछ बोलना चाहिए।
सवाल:नकाबपोश जब जेएनयू में आए तब आप क्या कर रहे थे?
जवाब:5 जनवरी को शाम 4:30 बजे फैकल्टी के साथ मीटिंग खत्म हुई तो सिक्यूरिटी गार्ड ने छात्रों के समूह द्वारा तोड़फोड़ की जानकारी दी। मैंने वहां गार्ड्स भेजे। 5 बजे पुलिस बुलाई।
सवाल:हिंसा में शामिल कितने लोगों की अभी तक शिनाख्त हो पाई?
जवाब:जांच चल रही है, क्योंकि छात्रों के मुंह पर नकाब थे। घटना का दूसरा पहलू भी है। 3 जनवरी को जेएनयू के डेटा सेंटर पर करीब 15 नकाबपोशों ने तोड़फोड़ की थी। इसकी शिकायत की थी। फिर 4 जनवरी को हिंसा हुई।
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