Saturday, January 11, 2020

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जालंधर. सिख धर्म के पवित्र तीर्थस्थल करतारपुर साहिब जाने के लिए बनाए गए कॉरिडोर को 9 नवंबर को शुरू किया गया था। 12 नवंबर को गुरु नानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व था। इसे दो महीने हो चुके हैं। इस दौरान पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब जाने वाले यात्रियों से 4.82 करोड़ रुपए कमाए, जो 10.52 करोड़ पाकिस्तानी रुपए के बराबर है। हालांकि, करतारपुर कॉरिडोर से पाकिस्तान को हर महीने 21 करोड़ रुपए कमाने का अनुमान था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान यहां आने वाले हर श्रद्धालु से 20 डॉलर(करीब 1400 रुपए) फीस लेता है।

हर दिन 5 हजार श्रद्धालु जा सकते हैं, औसतन 550 जा रहे
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक भारत से एक दिन में 5 हजार श्रद्धालु करतारपुर कॉरिडोर से दर्शन करने जा सकते हैं। 7 जनवरी तक 33 हजार 979 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिसका औसत करीब 550 प्रतिदिन है। नवंबर में 11 हजार 49, दिसंबर में 19 हजार 425 और नए साल में 7 जनवरी तक 3 हजार 505 श्रद्धालुओं ने गुरुघर के दर्शन किए। इसके अलावा 5 हजार 746 श्रद्धालु ऐसे भी हैं, जो पंजीयन होने के बाद भी करतारपुर साहिब दर्शन करने नहीं गए। अब तक सबसे ज्यादा 1962 श्रद्धालु 15 दिसंबर को गए थे।

ननकाना साहिब पर हमले के बाद मामूली कमी आई
3 जनवरी को पाकिस्तान में स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर कुछ लोगों ने पथराव कर दिया था। इस घटना के बाद करतारपुर साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में मामूली कमी आई है। घटना वाले दिन 3 जनवरी को 392, उसके अलगे दिन 4 जनवरी को 572, 5 जनवरी को 938, 6 जनवरी को 226 और 7 जनवरी को 277 लोग ही करतारपुर साहिब दर्शन करने के लिए गए।

प्रसाद में हलवा की जगह लड्‌डू
पाकिस्तान का आस्था के नाम पर बहुत बड़ा बिजनेस प्लान था। प्रसाद से भी अच्छी-खासी कमाई की योजना बनाई है। गुरु मर्यादा के अनुसार, गुरुद्वारों में हलवे का प्रसाद दिया जाता है, लेकिन करतारपुर गुरुद्वारे में पाकिस्तान ने इसे बदल डाला। श्रद्धालुओं को पिन्नी (बेसन कीमिठाई) का प्रसाद दिया जाएगा। 100 ग्राम प्रसाद के लिए पाकिस्तान ने हर श्रद्धालु से 151 रुपए लेनातय किया है।

लोकसभा में भी उठा था प्रसाद का मुद्दा
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि करतारपुर साहिब से वापस लौटने वाले श्रद्धालुओं के प्रसाद को सुरक्षा जांच के तहत खोजी कुत्तों से सुंघवाया जाता है। पिछले दिनों ‘नगर कीर्तन’ ले जाए जाने के दौरान सीमा पर पालकी से ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को उतारा गया। करतारपुर से वापस आने वालों के प्रसाद को खोजी कुत्ते सूंघते हैं। सुरक्षा जांच जरूरी है, लेकिन प्रसाद को इससे अलग रखा जाना चाहिए।



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करतारपुर साहिब वह स्थान है, जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 17 साल व्यतीत किए थे।


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