अर्जेंटीना के स्टार फुटबॉलर लियोनल मेसी ने शनिवार को एक बड़ी उपलब्धि अपने नाम कर ली। उन्होंने एक क्लब के लिए खेलते हुए सबसे ज्यादा 643 गोल के मामले में ब्राजीलियन लेजेंड पेले की बराबरी कर ली है।
मेसी ने स्पेनिश क्लब बार्सिलोना के लिए अब तक 748 मैच में 643 गोल दागे हैं। इस दौरान उन्होंने 278 गोल असिस्ट भी किए। पेले ने मेसी को इस रिकॉर्ड के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे भी मेसी के बहुत बड़े फैन हैं।
👑 𝐊𝐈𝐍𝐆𝐒 🤴
Leo #Messi equals @Pele as the all time top goalscorer for one club WITH 643 goals! 🐐
सांतोस क्लब के लिए पेले ने 656 मैच खेले
वहीं, पेले ने ब्राजील के क्लब सांतोस के लिए 15 साल की उम्र में 1956 से खेलना शुरु किया था। उन्होंने क्लब के लिए 1974 तक 656 मैच खेले और 643 गोल दागे। पेले के ओवरऑल गोल को देखे जाएं तो उन्होंने 767 मैच में 831 गोल किए हैं। इसमें अपने देश ब्राजील के लिए उन्होंने 92 मैच में 77 गोल दागे हैं। नेशनल टीम के लिए पेले ने 16 साल की उम्र में खेलना शुरू किया था।
मेसी ने वेलेंसिया के खिलाफ एक गोल दागा
मेसी ने स्पेनिश टूर्नामेंट ला लिगा में शनिवार देर रात वेलेंसिया टीम के खिलाफ एक गोल दागा। इसी के साथ पेले के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। हालांकि, मेसी अपनी टीम बार्सिलोना को जिता नहीं सके। यह मैच 2-2 से ड्रॉ हुआ।
बार्सिलोना को मेसी ने 34 खिताब जिताए
मेसी ने बार्सिलोना के लिए 18 साल की उम्र में 16 अक्टूबर 2004 को डेब्यू किया था। तब से अब तक उन्होंने टीम को 10 ला लिगा और 4 UEFA चैम्पियंस लीग समेत 34 खिताब जिताए हैं। मेसी ने 2017 में कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया था, जो जून 2021 में खत्म होगा।
700 गोल करने वाले दुनिया के 7वें खिलाड़ी
मेसी 30 जून को ही 700 से ज्यादा गोल करने वाले दुनिया के 7वें खिलाड़ी बने हैं। इसमें अपने देश अर्जेंटीना के लिए किए गए 70 गोल भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा 805 गोल का रिकॉर्ड ऑस्ट्रिया के जोसेफ बिकन के नाम है।
केरल में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काबू नहीं हो पा रही है। यहां हर दिन 5-6 हजार केस आ रहे हैं। शनिवार को 6293 नए मरीज मरीज मिले, 4749 ठीक हो गए और 29 की मौत हुई। इस तरह इलाज करा रहे मरीजों की संख्या, यानी एक्टिव केस में 1515 की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यहां अभी 60 हजार 410 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस मामले में यह आज महाराष्ट्र को पीछे छोड़ सकता है। महाराष्ट्र में कुल 61 हजार 95 एक्टिव केस हैं। महाराष्ट्र में शनिवार को 3940 केस आए।
देश की बात करें तो शनिवार को 26 हजार 834 संक्रमितों की पहचान हुई, 29 हजार 758 ठीक हो गए और 342 की मौत हुई। अब तक कुल 1 करोड़ 31 हजार केस आ चुके हैं। इनमें से 95.79 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.45 लाख की मौत हो चुकी है। 3.03 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है।
कोरोना अपडेट्स
बीते नौ महीनों में रेलवे के करीब 30 हजार कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें फ्रंटलाइन में काम करने वाले 700 कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शनिवार को यह जानकारी दी।
दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी चौथे फेज में 21 दिसंबर से स्टूडेंट्स के लिए खुल जाएगी। दूसरे शहर से पहुंचने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी में क्लास अटेंड करने से पहले सात दिन तक क्वारैंटाइन होना पड़ेगा।
कर्नाटक में 10वीं और 12वीं के क्लासेज 1 जनवरी से शुरू हो जाएंगी। स्टूडेंट्स को स्कूल जाने के लिए अपने पैरेंट्स से लिखित अनुमति लेनी होगी। छठवीं से नवीं क्लास तक विद्यागम प्रोग्राम भी 1 जनवरी से शुरू हो जाएगा।
देश में कोरोना वैक्सीनेशन जनवरी से शुरू हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ हफ्तों में कुछ वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल मिल सकता है। दो कंपनियां इसके लिए आवेदन कर चुकी हैं। छह क्लीनिकल ट्रायल के एडवांस स्टेज में हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि अगस्त तक 30 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन पर केंद्र सरकार 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। पहले फेज का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
5 राज्यों का हाल
1. दिल्ली
यहां शनिवार को 1139 कोरोना मरीज मिले। 2168 लोग ठीक हुए और 32 की मौत हो गई। अब तक 6 लाख 15 हजार 914 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 5 लाख 59 हजार 305 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 10 हजार 251 की मौत हो चुकी है। 10 हजार 358 का इलाज चल रहा है।
2. मध्यप्रदेश
यहां शनिवार को 1085 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 1410 लोग ठीक हुए और 15 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 30 हजार 215 संक्रमितों की पहचान हो चुकी है। इनमें से 2 लाख 15 हजार 211 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 11 हजार 536 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस महामारी से 3468 मरीजों की मौत हो चुकी है।
3. गुजरात
यहां शनिवार को 1026 लोग संक्रमित पाए गए। 1252 लोग ठीक हुए और सात की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 34 हजार 289 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 2 लाख 18 हजार 35 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 12 हजार 27 मरीजों का इलाज चल रहा है। कुल 4227 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. राजस्थान
राज्य में शनिवार को 989 नए कोरोना संक्रमित पाए गए। 1259 लोग ठीक हुए और नौ की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 98 हजार 18 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 2 लाख 82 हजार 631 मरीज ठीक हो चुके हैं, 2608 की मौत हो चुकी है। 12 हजार 779 का इलाज चल रहा है।
5. महाराष्ट्र
यहां शनिवार को 3940 कोरोना संक्रमित पाए गए। 3119 लोग ठीक हुए और 74 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 92 हजार 707 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 17 लाख 81 हजार 841 लोग ठीक हो चुके हैं, 48 हजार 648 की मौत हो चुकी है, जबकि 61 हजार 95 का इलाज चल रहा है।
केरल में कोरोना संक्रमण की रफ्तार काबू नहीं हो पा रही है। यहां हर दिन 5-6 हजार केस आ रहे हैं। शनिवार को 6293 नए मरीज मरीज मिले, 4749 ठीक हो गए और 29 की मौत हुई। इस तरह इलाज करा रहे मरीजों की संख्या, यानी एक्टिव केस में 1515 की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यहां अभी 60 हजार 410 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस मामले में यह आज महाराष्ट्र को पीछे छोड़ सकता है। महाराष्ट्र में कुल 61 हजार 95 एक्टिव केस हैं। महाराष्ट्र में शनिवार को 3940 केस आए।
देश की बात करें तो शनिवार को 26 हजार 834 संक्रमितों की पहचान हुई, 29 हजार 758 ठीक हो गए और 342 की मौत हुई। अब तक कुल 1 करोड़ 31 हजार केस आ चुके हैं। इनमें से 95.79 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं और 1.45 लाख की मौत हो चुकी है। 3.03 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है।
कोरोना अपडेट्स
बीते नौ महीनों में रेलवे के करीब 30 हजार कर्मचारी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें फ्रंटलाइन में काम करने वाले 700 कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शनिवार को यह जानकारी दी।
दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी चौथे फेज में 21 दिसंबर से स्टूडेंट्स के लिए खुल जाएगी। दूसरे शहर से पहुंचने वाले छात्रों को यूनिवर्सिटी में क्लास अटेंड करने से पहले सात दिन तक क्वारैंटाइन होना पड़ेगा।
कर्नाटक में 10वीं और 12वीं के क्लासेज 1 जनवरी से शुरू हो जाएंगी। स्टूडेंट्स को स्कूल जाने के लिए अपने पैरेंट्स से लिखित अनुमति लेनी होगी। छठवीं से नवीं क्लास तक विद्यागम प्रोग्राम भी 1 जनवरी से शुरू हो जाएगा।
देश में कोरोना वैक्सीनेशन जनवरी से शुरू हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अगले कुछ हफ्तों में कुछ वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए अप्रूवल मिल सकता है। दो कंपनियां इसके लिए आवेदन कर चुकी हैं। छह क्लीनिकल ट्रायल के एडवांस स्टेज में हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि अगस्त तक 30 करोड़ लोगों के वैक्सीनेशन पर केंद्र सरकार 13 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। पहले फेज का खर्च केंद्र सरकार उठाएगी।
5 राज्यों का हाल
1. दिल्ली
यहां शनिवार को 1139 कोरोना मरीज मिले। 2168 लोग ठीक हुए और 32 की मौत हो गई। अब तक 6 लाख 15 हजार 914 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 5 लाख 59 हजार 305 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 10 हजार 251 की मौत हो चुकी है। 10 हजार 358 का इलाज चल रहा है।
2. मध्यप्रदेश
यहां शनिवार को 1085 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। 1410 लोग ठीक हुए और 15 की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 30 हजार 215 संक्रमितों की पहचान हो चुकी है। इनमें से 2 लाख 15 हजार 211 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 11 हजार 536 मरीजों का इलाज चल रहा है। इस महामारी से 3468 मरीजों की मौत हो चुकी है।
3. गुजरात
यहां शनिवार को 1026 लोग संक्रमित पाए गए। 1252 लोग ठीक हुए और सात की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 34 हजार 289 लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 2 लाख 18 हजार 35 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 12 हजार 27 मरीजों का इलाज चल रहा है। कुल 4227 लोगों की मौत हो चुकी है।
4. राजस्थान
राज्य में शनिवार को 989 नए कोरोना संक्रमित पाए गए। 1259 लोग ठीक हुए और नौ की मौत हो गई। अब तक 2 लाख 98 हजार 18 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 2 लाख 82 हजार 631 मरीज ठीक हो चुके हैं, 2608 की मौत हो चुकी है। 12 हजार 779 का इलाज चल रहा है।
5. महाराष्ट्र
यहां शनिवार को 3940 कोरोना संक्रमित पाए गए। 3119 लोग ठीक हुए और 74 की मौत हो गई। अब तक 18 लाख 92 हजार 707 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 17 लाख 81 हजार 841 लोग ठीक हो चुके हैं, 48 हजार 648 की मौत हो चुकी है, जबकि 61 हजार 95 का इलाज चल रहा है।
उत्तर से आ रही बर्फीली हवाओं ने अब मैदानी इलाकों को भी कंपकंपाना शुरू कर दिया है। राजस्थान के माउंट में लगातार छठे दिन बर्फ जमी रही। यहां तापमान माइनस 1.4 डिग्री दर्ज किया गया।
चूरू में पारा माइनस 0.1 डिग्री रिकॉर्ड हुआ। देश के सबसे ज्यादा ठंडे शहरों में 5 मध्यप्रदेश के शामिल हैं। एमपी की राजधानी भोपाल में भी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसके अलावा बिहार के 26 जिलों में मौसम विभाग ने शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। कड़कड़ाती ठंड पर पढ़िए सात राज्यों से रिपोर्ट...
मध्यप्रदेश: भोपाल सहित पूरा प्रदेश सर्दी से ठिठुरा
उत्तर पूर्व से मध्यप्रदेश की तरफ आ रही बर्फीली हवाओं से राजधानी भोपाल समेत पूरा प्रदेश ठिठुर गया है। यहां शीतलहर जैसी कड़ाके की ठंड पड़ रही है। भोपाल में रात का तापमान 6.6 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.4 डिग्री कम रहा। यहां 0.1 डिग्री तापमान और कम होता तो शीतलहर मानी जाती। हालात यह हैं कि देश के 40 सबसे ठंडे शहरों में एमपी के 5 शहर शामिल हैं। जबलपुर, सागर और गुना जिलों में शीतलहर चली, धार और राजगढ़ जिलों में कोल्ड डे रहा।
मध्यप्रदेश के गुना के मधुसूदनगढ़ में कार की छत पर जमी बर्फ।
राजस्थान: माइनस में गया पारा, पड़ रही कड़कड़ाती ठंड
राजस्थान में लगातार तीसरे दिन रात का पारा माइनस में दर्ज हुआ। माउंट आबू में न्यूनतम तापमान -1.4 डिग्री और चूरू में - 0.1 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 48 घंटे में घना कोहरा छाने के आसार हैं। ज्यादातर शहरों में पिछले 24 घंटे में अधिकतम तापमान 4 से 5 डिग्री बढ़ा। हालांकि, रात होते-होते गलन महसूस होने लगी।
राजस्थान के माउंट आबू में पारा माइनस 1.4 डिग्री होने के बाद बर्फ जमने लगी है।
बिहार: पटना में पारा 6 डिग्री लुढ़का पारा
पटना सहित बिहार के 26 जिलों में शीतलहर का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना ने अगले दो दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान ठंड से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतने की चेतावनी दी गई है। इसके अलावा पटना सहित कई शहरों में कोल्ड डे जैसे हालात भी बन रहे हैं। मौसम का मिजाज यूं ही बना रहा और अधिकतम तापमान में थोड़ी और गिरावट आई, तो कोल्ड डे घोषित हो सकता है। उत्तर पश्चिम और पश्चिम की ओर से चलने वाली सर्द हवाएं बिहार में प्रवेश कर गई हैं, जिनकी रफ्तार 15 से 20 किमी प्रतिघंटे तक है।
बिहार के बेगूसराय में पारा 7 डिग्री पर पहुंच गया है, फोटो सुबह के समय छाई धुंध का है।
नई दिल्ली: NCR में टूटा 10 साल का रिकॉर्ड
दिल्ली एनसीआर में ठंड का कहर रुक नहीं रहा। शुक्रवार को दिल्ली एनसीआर में ठंड ने 10 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। दिल्ली में 4 डिग्री न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया। दिन में धूप खिलने के बाद भी सुबह और शाम को सर्दी ने लोगों को कंपा दिया। दिल्ली के लोधी रोड में सुबह मौसम विभाग ने 3,3 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया है, जो सामान्य तापमान से 4 डिग्री कम है। दिल्ली का औसत तापमान 3,9 दर्ज किया गया जो सामान्य से 4 डिग्री कम है। दिल्ली के आया नगर में 3.4, दिल्ली के सफदरजंग में 3.9, जाफरपुर में 4.6, पालम में 5.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
हिमाचल प्रदेश: ऊना में न्यूनतम तापमान शून्य पर पहुंचा
प्रदेश के 12 शहरों का तापमान जमाव बिंदु और उससे नीचे चला गया है। मनाली, केलांग, कल्पा, सुंदरनगर, मंडी, भुंतर, सोलन और चंबा में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पिछली रात हिमाचल में सीजन की सबसे ठंडी रात रही। मौसम विभाग ने प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी और सिरमौर के कई क्षेत्रों में घना कोहरा छाए रहने की चेतावनी जारी की है। इससे इन क्षेत्रों में 500 मीटर विजिबिलिटी रहेगी।
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में बर्फबारी के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है।
पंजाब: रात को सर्दी की थर्ड डिग्री; जालंधर सहित 6 जिले 30 से नीचे
पंजाब के अमृतसर का पारा 0.6 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, वहीं फिरोजपुर में 1.0 और पठानकोट में 2.2 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया गया। मोहाली में रात का पारा 6.6 व चंडीगढ़ का 4.3 रहा है। शहरों में लुधियाना सबसे ठंडा रहा यहां पीएयू के मुताबिक पारा 0.2 डिग्री रहा। जेएंडके में श्रीनगर में सीजन का सबसे ठंडा दिन रहा। वहां डल झील भी जम गई है। दिल्ली में सीजन का सबसे कम पारा 3.9 डिग्री रहा।
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर (दरबार साहिब) में धूप से बचने के लिए धूप सेंकते श्रद्धालु।
चंडीगढ़: चंडीगढ़ में दिन का पारा 20.3 डिग्री, बारिश की संभावना
रातें ठंडी हैं लेकिन दिन में अच्छी धूप निकल रही है जिससे पारा दिनों दिन चढ़ रहा है। शुक्रवार के मुकाबले शनिवार को अधिकतम तापमान 20.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 से 48 घंटे के बीच एक और वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हो रहा है। उससे बारिश होने की संभावना है। इसके बाद दिन और रात का तापमान गिरेगा। गहरी धुंध छा सकती है।
चंडीगढ़ के बॉटेनिकल गार्डन के पास खड़ी एक कार के शीशे पर जमी ओस। (फोटो : अश्वनी राणा)
राजकोट की रहने वाली रुखसाना हुसैन को लोग चायवाली के नाम से पहचानते हैं। 12वीं क्लास तक पढ़ाई करने वाली रुखसाना द चायवाली के नाम से टी स्टॉल चलाती हैं। इससे पहले वे रजिस्ट्रार ऑफिस में कंप्यूटर ऑपरेटर थीं। दो साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़कर टी स्टॉल शुरू किया। आज रुखसाना तंदूरी चाय बनाने में एक्सपर्ट हैं। अब वे रोजाना 1 हजार रुपए की चाय बेच लेती हैं।
रुखसाना जब रजिस्ट्रार के ऑफिस में नौकरी करती थीं, तब उनकी महीने की सैलरी सिर्फ 4 हजार रुपए थी। इस तनख्वाह में अपना और घर का खर्च निकालना बेहद मुश्किल था। लेकिन, अब इस स्टॉल से वे महीने के 15 हजार रुपए से ज्यादा कमा लेती हैं। रोजाना सिर्फ चार घंटे में वे 500 रुपए से ज्यादा की कमाई कर लेती हैं।
बचपन से घर में चाय बनाती आ रही हैं
रुखसाना कहती हैं- मैं घर में बचपन से ही चाय बनाती आ रही हूं। घर में सबको मेरे हाथ की चाय इतनी पसंद थी कि सिर्फ मुझे ही चाय बनाने के लिए कहा जाता था। इसी के चलते, अक्सर मेरे मन में यही ख्याल आता था कि क्यों न अपना रेस्टोरेंट खोल लूं। हालांकि, रेस्टोरेंट खोलने लायक पैसे तो थे नहीं, इसलिए एक छोटे केबिन से ही काम शुरू कर दिया। आगे जाकर एक रेस्टोरेंट जरूर खोलूंगी।
रुखसाना की तंदूरी चाय इसलिए खास है क्योंकि वे इसके लिए सीक्रेट मसाले का उपयोग करती हैं।
टी स्टॉल खोलने के बारे में जब रुखसाना ने पहली बार घर में बात की, तो सभी नाराज होने लगे। घर के लोगों ने कहा कि लड़की होकर चाय का स्टॉल चलाओगी। तुम्हें पता भी है वहां किस-किस तरह के लोग आते हैं। लेकिन रुखसाना अपनी जिद पर अड़ी रहीं। वे कहती हैं- घरवालों के विरोध के बावजूद मैंने चाय की दुकान लगाने की कोशिश शुरू कर दी थी। कुछ ही दिनों में मेरी कामयाबी देखकर परिवार वालों ने मेरे फैसले की तारीफ करनी शुरू कर दी। अब तो मुझे उनसे हर तरह का सपोर्ट मिलने लगा है।
चाय पसंद आई, तो बढ़ते गए ग्राहक
रुखसाना कहती हैं- मैंने चाय का बिजनेस 2018 में शुरू किया। शुरुआत में मैं सिर्फ आधे लीटर दूध की चाय बनाती थी। लेकिन, ग्राहक बढ़ते चले गए और अब तो रोजाना 10 लीटर दूध लग जाता है। एक बार ग्राहकों ने दुकान पर आना शुरू किया और उन्हें चाय पसंद आई, तो फिर वे ही रेग्युलर ग्राहक बन गए। लोग अपने साथ और ग्राहकों को भी लाने लगे। आज रुखसाना का टी स्टॉल द चायवाली के नाम से फेमस हो चुका है। वे अब इसकी चेन शुरू करना चाहती हैं।
सीक्रेट मसाले हैं तंदूरी चाय की खासियत
रुखसाना की तंदूरी चाय इसलिए खास है, क्योंकि वे इसके लिए सीक्रेट मसाले का इस्तेमाल करती हैं। स्मोकी फ्लेवर की इस चाय का मसाला वे खुद ही तैयार करती हैं। ऑर्डर पर तुरंत मिट्टी के कुल्हड़ में चाय गर्म करती हैं, जिसका स्वाद लोगों को बेहद पसंद आता है। मिट्टी के कुल्हड़ में गर्मागर्म चाय देने के चलते ही वे चाय पार्सल नहीं करतीं।
तंदूरी चाय बेचकर रुखसाना रोज सिर्फ चार घंटे में ही 500 रुपए से ज्यादा कमा लेती हैं।
रुखसाना बताती हैं कि शुरुआत में यह अजीब लगता था कि एक लड़की चाय की दुकान चलाए, क्योंकि ज्यादातर यह काम लड़के ही करते हैं। लेकिन, यह मेरी गलतफहमी थी। आज ढेरों ग्राहक मेरे काम की तारीफ कर मुझे प्रोत्साहित करते हैं। वे मेरी बनाई चाय की तारीफ किए भी नहीं थकते। मैं रोजाना शाम 5.30 बजे टी स्टॉल खोलती हूं और रात के 9 बजे तक काम करती हूं। अब तो कई रेगुलर कस्टमर हैं, जिन्हें दुकान खुलने और बंद होने का समय पता है। इनमें से कई ग्राहक तो इस चाय के बारे में सोशल मीडिया पर भी कई पोस्ट कर चुके हैं।
रुखसाना का टी स्टॉल द चायवाली के नाम से फेमस हो चुका है। अब वे इसकी चेन शुरू करना चाहती हैं।
ग्राहक बोले- इस चाय का टेस्ट लाजवाब
रुखसाना के टी स्टॉल पर रोजाना चाय पीने आने वाले मनसुखभाई बताते हैं- मैं यहां पिछले डेढ़ महीने से रोजाना चाय पीने आता हूं। एक भी दिन चाय का टेस्ट नहीं बदला। बेटी इतनी टेस्टी चाय बनाती है कि अब इसकी लत लग गई है। चाय की खासियत के बारे में बात करते हुए मनसुखभाई कहते हैं कि रुखसाना ऑर्गेनिक तरीके से चाय बनाती है। इसीलिए इसका टेस्ट इतना अच्छा है।
17 दिसंबर को ब्रिटेन की एक हाईकोर्ट ने 9 साल की बच्ची की मौत के लिए एयर पॉल्यूशन को जिम्मेदार ठहराया। बच्ची का नाम एला किस्सी डेब्रह (Ella Kissi-Debrah) था। यह दुनिया का पहला मामला है, जब किसी बच्ची की मौत एयर पॉल्यूशन से हुई है। एला लंदन के साउथ ईस्ट में जहां रहती थी, वहां एयर क्वालिटी बहुत खराब थी और एक बिजी रोड थी। एला की मौत साल 2013 में अस्थमा के गंभीर अटैक की वजह से हुई थी। वह कई बार कार्डियक अरेस्ट से जूझ चुकी थी और सांस से जुड़ी बीमारी से परेशान थी। मौत के बाद आई रिपोर्ट में यह साबित हुआ कि एला ने एयर पॉल्यूशन और अस्थमा के कारण दम तोड़ा था।
इस घटना ने अब एयर पॉल्यूशन से होने वाले हेल्थ रिस्क को लेकर सतर्क किया है। भारत में एयर पॉल्यूशन एक बड़ी समस्या है। 2019 में सभी रिस्क फैक्टर्स में जहरीली या प्रदूषित हवा सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हुई है।
दुनिया के 30 पॉल्यूटेड शहरों में भारत के 21 शहर शामिल
दुनिया के सबसे पॉल्यूटेड 30 शहरों में से भारत के 21 शहर शामिल हैं। एक स्टडी की मानें तो भारत में 14 करोड़ लोग जिस हवा में सांस लेते हैं, वह WHO की सेफ लिमिट से 10 गुना ज्यादा प्रदूषित है। इसमें सबसे ज्यादा 51% इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन, 27% वाहनों से, 17% पराली जलाने और 5% पटाखों की वजह से होता है। ऐसे में सबसे बड़ा चैलेंज भारतीयों के सामने अपने हेल्थ रिस्क को लेकर है।
रायपुर से हेल्थ एक्सपर्ट निधि पांडे कहती हैं कि बढ़ते प्रदूषण और कोरोनावायरस ने लोगों के हेल्थ रिस्क को बढ़ा दिया है। इससे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इससे ब्रीदिंग प्रॉब्लम, फेफड़ों पर असर, इम्युनिटी पर असर और कई तरह की मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
एक्सपर्ट्स की मानें तो हम एयर पॉल्यूशन से पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह सकते हैं, लेकिन कुछ जरूरी बदलाव करके बचाव कर सकते है। ऐसे में हम आपको कुछ फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनी डाइट में शामिल कर एयर पॉल्यूशन से बचाव कर सकते हैं।
डाइट में इन चीजों को शामिल करें तो एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारी से बच सकते हैं
एक्सपर्ट कहती हैं कि अगर हम अपनी डाइट में विटामिन-C वाले फ्रूट, सब्जियों में रूट वेजिटेबल, फूडग्रेन, दूध, केसर और लहसुन-अदरक शामिल करते हैं, तो हम अपने शरीर पर एयर पॉल्यूशन के खतरे को कम कर सकते हैं। इन सभी में हमें यह जानना जरूरी है कि अगर हम विटामिन-C वाले फ्रूट ले रहें हैं, तो इनमें किन फलों को शामिल कर सकते हैं?
इन 5 ग्राफिक्स से समझते हैं कि किस तरह की डाइट हमें एयर पॉल्यूशन से होने वाली बीमारियों से बचा सकती है?
मेरी दो आंखें थीं, एक चली गई अब बस एक ही रह गई है, ये कहते-कहते हरचरण सिंह की आंखों में ठहरे आंसू उनके गालों तक चले आए। दिसंबर की सर्द रात में उनका चेहरा भीग गया। पंजाब के संगरूर के रहने वाले हरचरण सिंह टिकरी बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल हैं। पांच साल पहले उनके तीस साल के बेटे ने सल्फास खाकर खुदकुशी कर ली थी।
हरचरण सिंह को वो मंजर आज भी याद है जब उनके बेटे ने सल्फास की डेढ़ गोली घोलकर पी ली थी। उनका जवान बेटा घर के आंगन में बेसुध पड़ा था। पड़ोसियों की भीड़ इकट्ठा थी। वो खबर सुनकर दौड़कर घर पहुंचे थे, लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी अपने बेटे को बचा नहीं पाए थे।
चार किल्ले जमीन के मालिक हरचरण सिंह ने खेती करने के लिए कर्ज लिया जो ब्याज के साथ बढ़ता ही चला गया। वो याद करते हैं, 'आढ़तियों के 3 लाख रुपए देने थे। 1.60 लाख का लोन था, एक लाख रुपए किसान क्रेडिट कार्ड के थे, 90 हजार रुपए और थे। कुल मिलाकर 7 लाख रुपए के करीब कर्ज था।'
हरचरण सिंह का समाजसेवी बेटा कर्ज उतारने के लिए जो काम मिल रहा था, वह कर रहा था। लेकिन कर्ज था कि बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन जब परिवार सुबह चाय पी रहा था तो उनके बेटे ने पूछा कितना कर्ज बाकी रह गया है। हरचरण बोले, 'सात लाख'। ये सुनते ही सकते में आए बेटे ने कहा, 'बापू तू तो कह रहा था कि लोन खत्म हो जाएगा, ये तो बढ़े ही जा रहा है।' उस दिन के बाद से हरचरण सिंह ने कभी अपने बेटे को खुश नहीं देखा और आखिरकार एक दिन उसने खुदकुशी कर ली। हरचरण सिंह का बड़ा बेटा चला गया है, लेकिन कर्ज अभी बाकी है।
पंजाब के संगरूर के रहने वाले हरचरण सिंह के बेटे ने कर्ज के चलते जहर खाकर अपनी जान दे दी थी।
वो कहते हैं, 'बड़ा परिवार है। घर में शादी हुई तो कर्ज ले ले लिया, कोई बीमार पड़ गया तो कर्ज लिया, खेतों में पैसा लगा, मशीनरी में लगा। कर्ज बढ़ता ही गया।' वो ज्यादातर गेहूं की खेती करते हैं। कहते हैं, 'खाने के लिए भी गेहूं रोकना पड़ता है। सारा बेच नहीं पाते। जो गेहूं बेचते थे उससे खर्च पूरा नहीं हो पाता था।' हरचरण सिंह अपनी झुकी कमर लिए लंगड़ाते हुए भारी कदमों से ट्रॉलियों की भीड़ की तरफ मुड़े और दिसंबर की सर्द रात के धुंधलके में खो गए।
पंजाब सरकार के मुताबिक 2000 से अक्टूबर 2019 तक 3300 से ज्यादा किसानों ने कर्ज की वजह से आत्महत्या की है। इनमें से 97 फीसदी किसान मालवा इलाके के ही हैं। सतलुज के दक्षिण में बसे मालवा में पंजाब के 22 में से 14 जिले आते हैं। यहां ज्यादातर किसानों के पास एक से पांच एकड़ तक जमीन है। संगरुर जिले में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है।
संगरुर से ही आई गुरमील कौर महिलाओं के एक समूह के साथ बैठी हैं। ये सब सुनाम तहसील के जखेपल हम्बलवास गांव की रहने वाली हैं। ये गांव किसानों की आत्महत्या के लिए बदनाम है। गुरमील कौर के पति ने 6 लाख रुपए के कर्ज के चलते 2007 में खुदकुशी कर ली थी। तब उनका बेटा सिर्फ पांच साल का था। गुरमील के पास दो किल्ले जमीन हैं जो उन्होंने बंटाई पर दे रखी है। वो बताती हैं, 'हर वक्त कर्ज उतारने की टेंशन लगी रहती थी। आखिरकार पति ने पेस्टीसाइड पीकर जान दे दी।'
संगरुर से आई गुरमील कौर के पति ने छह लाख रुपए के कर्ज के चलते साल 2007 में खुदकुशी कर ली थी।
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 25 दिनों से जारी प्रदर्शन में शामिल गुरमील कौर कहती हैं कि उनके पति ने तो आत्महत्या कर ली, वो नहीं चाहती कि उनके बेटे के सामने भी ऐसे ही मुश्किल हालात हों और इसलिए ही वो किसान आंदोलन में शामिल होने आई हैं। पति की आत्महत्या के बाद किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की। वो कहती हैं, 'मैंने बहुत ही मुश्किल हालात में अपने बेटे को पाला है। अब सरकार ऐसे कानून बना रही है जो किसानों के लिए और मुश्किलें पैदा करेंगे।'
हरमिंदर कौर के पति ने खेत में ही फांसी लगा ली थी। उनके दो बच्चे हैं जिनमें से एक अपाहिज है। हरमिंदर कौर कहती हैं, 'पति ने तो दस साल पहले जान दे दी, लेकिन कर्ज अभी भी चल रहा है। खेती करने के लिए कर्ज लिया था। कर्ज कम नहीं हुआ बढ़ता ही गया। वो टेंशन में रहने लगे थे, टेंशन की दवा भी ली लेकिन, कुछ अच्छा नहीं हुआ। फिर एक दिन वो खेत पर गए और वहीं लटक गए।'
हरमिंदर कौर अब किसानों के धरने में शामिल हैं। वो कहती हैं, 'दस साल से हम नरक में रह रहे हैं, लेकिन कोई हमारी सुध लेने नहीं आया, कर्ज का एक पैसा भी माफ नहीं हुआ।' बलजीत कौर के पति गुरचरण सिंह ने भी पांच लाख रुपए के कर्ज की वजह से खेत में ही जहर पीकर जान दे दी थी। बलजीत कौर 26 नवंबर से ही किसानों के धरने में शामिल हैं। वो कहती हैं, 'हमारे आदमियों ने खुदकुशी कर ली। दिन रात टेंशन में नींद नहीं आती। अब हम यहां अपने बच्चों के लिए बैठे हैं। कम से कम बच्चों का तो जीवन बचा रहे।'
हरमिंदर कौर के पति ने खेत में ही फांसी लगा ली थी।
वो कहती हैं, 'हमने कभी सोचा नहीं था कि ऐसे सड़कों पर चूल्हे लगाने पड़ेंगे। हम यहां इतनी ठंड में सड़क पर सो रहे हैं। हम दुखियारी औरतें हैं, उन्हें हमारा दर्द भी नहीं दिख रहा। प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारी आमदनी दोगुनी करेंगे। लेकिन कोरोना की आड़ लेकर ये काले कानून पास कर दिए। हमने प्रधानमंत्री को वोट दिया था, कुर्सी पर बिठाया था। हमें पता नहीं था कि हमारे वोट लेकर अडानी-अंबानी के लिए काम करेगा। अडानी-अंबानी का हमें ना नाम पता है ना शक्ल, हम बस प्रधानमंत्री को जानते हैं।'
जखेपल गांव से ही आए हरनेक सिंह अपना दर्द सुनाना चाहते हैं। एक एकड़ जमीन के मालिक उनके भाई ने इसी साल अप्रैल में आत्महत्या कर ली थी। उस पर छह लाख का कर्ज था। हरनेक सिंह कहते हैं, 'कर्ज में दबे भाई ने फंदा लगाकर जान दे दी। उसने कर्ज उतारने की बहुत कोशिश की लेकिन, उतार नहीं पाया। अब पीछे दो बेटे रह गए हैं, बस उनका कुछ हो जाए।' हरनेक सिंह इस उम्मीद में आंदोलन में शामिल होने आए हैं कि कोई उनका दर्द सुनेगा और उनके भतीजों के लिए कुछ करेगा। भाई को याद करते-करते उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।
जखेपल के जत्थे में शामिल लोगों के मुताबिक उनके गांव में बीते दस सालों में कर्ज में दबे डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की है। इनके परिवारों को नए कृषि कानूनों से कोई उम्मीद नहीं है। अपनी दर्दनाक कहानियां सुनाते-सुनाते इनके दिल अब ठंडे हो गए हैं और शायद इनसे ज्यादा दिल उनके ठंडे हैं जो इनके गम की तरफ देखना भी नहीं चाहते। बलजीत कहती हैं, 'हमने अपने पति खोए हैं लेकिन अपने बेटों को नहीं खोने देंगे। जब तक ये कानून वापस नहीं होते, यहीं दिल्ली की सड़कों पर सोएंगे।'
अमेरिका ने भारत, ताइवान और थाईलैंड को करंसी मैनिपुलेटर देशों की मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया है। इस लिस्ट में चीन, जर्मनी, इटली समेत 6 और देश शामिल हैं। भारत को डेढ़ साल बाद एक बार फिर इस लिस्ट में डाला गया है।
आखिर करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या होता है? अमेरिका किन देशों को इस लिस्ट में डालता है? इस लिस्ट में डाले जाने से क्या फर्क पड़ता है? भारत को दोबारा इस लिस्ट में क्यों डाला गया? आइये जानते हैं...
करंसी मैनिपुलेटर का मतलब क्या है?
यह अमेरिकी सरकार के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की ओर से दिया जाने वाला एक लेबल है। जब अमेरिका को ऐसा लगता है कि कोई देश अनुचित करंसी प्रैक्टिस में शामिल है और इससे अमेरिकी डॉलर की वैल्यू कम होती है, तो उस देश के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। कहने का मतलब है कि जब कोई देश जानबूझकर अपनी करंसी की वैल्यू किसी न किसी तरीके से कम करता है, तो उससे दूसरे देशों की करंसी के मुकाबले उसे फायदा होता है। विदेशी करंसी को डी-वैल्यू करने से उस देश की एक्सपोर्ट कॉस्ट घट जाती है।
इसके लिए अमेरिका ने तीन पैरामीटर तय किए हैं। इन तीन में से जिन देशों पर दो पैरामीटर लागू होते हैं, उसे अमेरिका अपनी मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल देता है। और जिन देशों पर तीनों पैरामीटर लागू होते हैं, उन्हें करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर देता है। इस बार अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में 8 देश हैं, जबकि दो देशों को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित किया है।
करंसी मैनिपुलेटर के लिए कौन-से पैरामीटर हैं?
अमेरिका से उस देश के बायलैटरल ट्रेड सरप्लस 12 महीने के दौरान 20 अरब डॉलर से ज्यादा होना।
करंट अकाउंट सरप्लस का एक साल के भीतर देश की जीडीपी का कम से कम 2% होना।
12 महीन में कम से कम 6 बार फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज का जीडीपी का 2% होना।
इस लिस्ट से क्या फर्क पड़ता है?
जो देश इस लिस्ट में डाला जाता है, उस समय उस पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन, ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट में उस देश को लेकर सेंटिमेंट नेगेटिव हो सकता है।
भारत को इस लिस्ट में दोबारा क्यों डाला गया?
अमेरिका ने मई 2019 में भारत को इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। उस वक्त अमेरिका की ओर से तय तीन पैरामीटर्स में से दो पैरामीटर भारत पर लागू नहीं होते थे। उस वक्त भारत का सिर्फ बाइलेटरल ट्रेड सरप्लस 20 अरब डॉलर से अधिक था।
अमेरिकी ट्रेड डिपार्टमेंट के रिव्यू में इस बार भी भारत का बाइलेटरल ट्रेड 20 अरब डॉलर से ज्यादा है। जून 2020 तक के पहले चार क्वार्टर में ये 22 अरब डॉलर रहा। वहीं, भारत का फॉरेन एक्सचेंज का नेट परचेज 64 अरब डॉलर का रहा, जो जीडीपी का 2.4% है। पिछले 12 में से 10 महीने ऐसे रहे जब भारत का फॉरेन एक्सचेंज नेट परचेज जीडीपी का 2% से ज्यादा रहा।
इन दो पैरामीटर्स के कारण एक बार फिर भारत अमेरिका की करंसी मैनिपुलेटर मॉनिटरिंग लिस्ट में आ गया है।
भारत के अलावा और कौन से देश इस लिस्ट में हैं?
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स की ताजा रिपोर्ट में भारत के साथ ताइवान और थाईलैंड को इस लिस्ट में डाला है। इसके अलावा चीन, जापान, साउथ कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर और मलेशिया भी इस लिस्ट में हैं। ये देश पहले से ही इस लिस्ट में थे।
अमेरिका ने भारत को अक्टूबर 2018 में इस लिस्ट में डाला था। मई 2019 में उसे इस लिस्ट से बाहर कर दिया था। डेढ़ साल बाद एक बार फिर भारत को इस लिस्ट में डाल दिया गया है।
वियतनाम और स्विट्जरलैंड को अमेरिका ने करंसी मैनिपुलेटर घोषित कर दिया है। इन दोनों देशों पर अमेरिका द्वारा तय तीनों पैरामीटर लागू होते हैं।
कोई देश इस लिस्ट से कैसे बाहर आएगा?
जो देश एक बार मॉनिटरिंग लिस्ट में आ जाता है, उसे कम से कम दो बार लगातार इससे बाहर रहना होता है। तभी अमेरिका उसे इस लिस्ट बाहर करता है। अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे यह तय हो सके कि उसकी इकोनॉमी में जो सुधार हो रहे हैं, वे टैम्परेरी नहीं हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के एक कमेंट को लेकर सोशल मीडिया पर डुगडुगी बज रही है। कोर्ट की टिप्पणी औरतों को लेकर है, तो जाहिर तौर पर मर्दाना आवाजें बैंक बैलेंस जितनी खनक और वजन लिए हैं। दरअसल एक मामले की सुनवाई के दौरान फैसला-पसंद पुरुषों की कोर्ट ने एलान कर दिया कि शादी के वादे पर जिस्मानी रिश्ते बनाना कोई समझदारी नहीं। औरतें अगर ऐसा करती हैं तो वादा टूटने पर वे इसे रेप नहीं कह सकतीं।
कोर्ट की ये बात धड़ल्ले से शेयर हो रही है। 'जागो औरत, जागो' की तर्ज पर हिदायतों का पुलिंदा खुल पड़ा। बहुतेरे कमेंट्स मर्दों को दिलासा दे रहे हैं कि डरो मत, अब रिश्ते से बचाने के लिए तुम्हारे साथ खुद कोर्ट खड़ी है। आखिर कौन मर्द किसी 'जूठी' औरत से शादी करना चाहेगा, भले ही वो उसकी खुद की जूठन हो!
अब एक साल पीछे लौटते हैं। साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पुरुष किसी औरत से शादी का वादा कर यौन संबंध बनाए और फिर वादा खिलाफी करे तो वो बलात्कारी है। कोर्ट ने ये बात छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर को घेरे में लेते हुए कही, जो इसी वादे पर एक औरत के करीब गया और फिर शादी कहीं और कर ली। जांच में पाया गया कि डॉक्टर का उस औरत से शादी का कोई इरादा ही नहीं था।
सफेद चोगा पहने ये डॉक्टर साहब अकेले नहीं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का साल 2016 का डेटा बताता है कि उनके पास 10,068 ऐसे मामले आए, जिनमें रेप के पीछे शादी का भरोसा था। साल 2015 में ये संख्या 7,655 रही। मामले देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट्स को बारीकी से जांच करने की हिदायत दी।
कोर्ट के मुताबिक- ये देखना जरूरी है कि क्या मर्द वाकई औरत से शादी करने का 'इरादा' रखता था। या फिर केवल यौन सुख के लिए उससे जुड़ा। गौर करें- इरादा! अगर मर्द अपने इरादे नेक साबित कर सके, तो वो रेप का दोषी नहीं रहेगा। तब ये धोखा प्यार से मन भर जाने की श्रेणी में आएगा और फिलहाल प्यार में ऊब या धोखे के लिए कोर्ट के पास कोई सजा नहीं।
कानूनी दांवपेंच में न उलझें तो भी एक बात यहां बार-बार आती है, औरत इस भरोसे के साथ मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात बनाती है कि आगे चलकर वे शादी करेंगे। वहीं मर्दों के लिए शरीर का जुड़ना शादी के लिए खास वजह नहीं। हां, लेकिन बीवी उन्हें कुंआरी ही चाहिए। ऐसी कि जिसे मर्द तो दूर, सूरज की किरणों ने भी न छुआ हो। सारी ही दुनियावी-आसमानी किताबें भी सीख देती हैं कि बीवी अपने खाविंद को जो सबसे प्यारा तोहफा दे सकती है, वो है उसका अनछुआ होना। औरत की यौनिक शुद्धता को उसका अकेला धर्म बताने वाली 'प्योरिटी इंडस्ट्री' खड़ी हो चुकी है, जो जूठी औरतों को दोबारा जोड़ने की मोटी रकम वसूलती है।
लड़कों को पाल-पोसकर बड़ा करते हुए उन्हें भला मर्द बनने की ट्रेनिंग नहीं मिलती, लेकिन लड़कियों के लिए नीति-ज्ञान की ढेर किताबें हैं। सारी किताबों में एक ही बात कि लड़की की नैतिकता, उसके दिल-दिमाग नहीं, बल्कि उसकी छातियों या पैरों के आसपास बसती है।
ये सीख दुनियाभर की लड़कियों के बचपन का हिस्सा है। बीते दिनों सऊदी की अपनी एक दोस्त से बात हो रही थी। बेहद हसीन। गहरे भूरे बाल और भेद देने वाली कत्थई आंखें मानो एक-दूसरे के लिए ही बनी हों। चाहने वालों का हुजूम मुश्किल से ही साथ छोड़ता। उसने अपनी शादी की खबर दी। बधाई देती, उससे पहले ही हिचकियों ने रोक लिया। पता चला कि होने वाला पति उसे वर्जिनिटी को लेकर कुरेदता है।
खूब पढ़ी-लिखी और वजीफा पा चुकी दोस्त को भावी पति पर गुस्सा नहीं, बल्कि खुद को लेकर डर था कि कहीं वो समझ न जाए। फोन रखते-रखते मैंने पूछ ही डाला, क्या तुम लड़के की प्योरिटी को लेकर पक्का हो! वो हंसने लगी, जैसे कोई बचकाना सवाल सुन लिया।
औरतों को बड़ा ही ऐसे किया जाता है कि वे अपने शरीर को लेकर संकोच और शर्मिंदगी से भरी रहें। जहां कपड़ों को तौलिए से छिपाकर सुखाया जाता हो, वहां शादी से पहले यौन संबंध जैसी बात ही कहां आती है। सोच की इस सीली कोठरी में पली लड़कियां घर से बाहर निकलती हैं। पढ़ती हैं। नौकरी करती हैं। लेकिन रुतबेदार काम भी उन्हें बचपन की सीख भुला नहीं पाता। यही कारण है कि वे प्यार या फिर जिस्मानी जरूरत के लिए भी शादी जैसी बड़ी बात का मुंह जोहती हैं। किसी औरत में ये जरूरत समझने के लिए मर्द को माइंड मॉनिटर लगाने की जरूरत नहीं। वो फटाक से शादी की कैंडी थमा देता है।
औरत की सुख में भरी आंखें जब खुलती हैं तो साथी जा चुका होता है, भरोसा छीज चुका होता है। भरोसा और तथाकथित शुद्धता दोनों ही खो चुकी इन औरतों पर समाज टूट पड़ता है। हाल ही में छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष ने ऐसी ही एक बात कह दी। वे कहती हैं कि लड़कियां राजी-खुशी रिश्ता बनाती हैं, लिव-इन में रहती हैं और फिर रिश्ता टूटने पर FIR करने पहुंच जाती हैं। अध्यक्ष के बयान पर राजनेता आपस में गुत्थमगुत्था हैं। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट की जज प्रतिभा रानी ने भी बयान दिया था कि धोखा खाई औरतें बदला लेने के लिए मर्दों को रेपिस्ट कह देती हैं।
हो सकता है, इक्का-दुक्का औरतें इतने दम-खम वाली हों कि बदले के लिए खुद का रेप विक्टिम कहलाना मंजूर कर सकें। लेकिन बाकी औरतों का क्या? शरीर की शुद्धता को डरी हुई औरतें असल रेप को भी सामने नहीं ला पातीं। वे मान लेती हैं कि रेप ने उन्हें किसी लायक नहीं छोड़ा। मानो औरत का शरीर न हुआ, चिप्स का पैकेट हो गया, जिसे मर्द मालिक आराम से बैठकर चुभलाने वाला था। अब पैकेट से बाहर पड़ी चिप्स को भला कौन पूछे। बस्स। वे ठहर जाती हैं। सारी पढ़ाई, सारे तजुर्बे एक तरफ, औरत की इज्जत एक तरफ।
अब कल्पना करें, ऐसी दुनिया की जहां औरत को जांघों की नैतिकता की बजाए खुद पर भरोसे का पाठ सिखाया जाए। जहां वे अपने शरीर को अपनी जायदाद मान सकें, किसी प्रेमी या पति की नहीं। ऐसी दुनिया में कोई मर्द, किसी औरत का रेप शादी के बहाने तो नहीं ही कर सकेगा। और न ही रेप से औरत की आत्मा तार-तार होगी। बल्कि इस जुर्म को खुली आवाज में वो वैसे ही बता सकेगी, जैसे कोई जमीन पर हकमारी की बात बताता है।