Friday, December 18, 2020

easysaran.wordpress.com

अब यह तो बिना कहे ही समझा जा सकता है कि दुनियाभर में हम सभी का ‘इम्यूनिटी’ और इसे बढ़ाने वाली तमाम चीजों पर ध्यान है। यही हमारा लक्ष्य, हमारा मंत्र बन गया है। यह इस साल का सबसे ज्यादा गूगल किया गया शब्द भी था। जबकि इम्यूनिटी मानव स्वास्थ्य का आधार रही है, लेकिन यह समझने के लिए कि इस उपहार पर ध्यान देने की कितनी ज्यादा जरूरत है, हमें एक महामारी की जरूरत पड़ी।

आने वाले वर्ष में, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती संख्या के बीच, हमारा मंत्र दरअसल इंफ्लेमेशन को कम रखना होगा। इंफ्लेमेशन यानी किसी बीमारी पर शरीर की वह प्रतिक्रिया जिसमें किसी हिस्से में सूजन, जलन, खुजली, लाल निशान पड़ना, फोड़े आदि लक्षण देखे जाते हैं। इंफ्लेमेशन नियंत्रित रखना होगा क्योंकि यही आज की सभी बीमारियों की जड़ है।

कैंसर, वजन बढ़ना, पैनक्रियाटाइटिस से लेकर डाइबिटीज, किडनी रोग और ऑटोइम्यूनिटी (स्वप्रतिरक्षित रोग) तक, कोई भी बीमारी देखें, उसमें इंफ्लेमेशन होता है और मेडिकल की दुनिया में उन्हें इंफ्लेमेटरी बीमारियां कहते हैं। इंफ्लेमेशन जरूरी है और यह बुरी चीज नहीं है। यह पैथोजेन, बैक्टीरिया या किसी बाहरी तत्व आदि के प्रति हमारे रोगप्रतिरोधी तंत्र की जैविक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। लेकिन जरूरी यह है कि इंफ्लेमेशन सही समय पर बंद और शुरू हो।

इंफ्लेमेशन अगर लगातार हो तो यह बुरा है और कई बीमारियों का कारण बन सकता है। साथ ही, कभी-कभी इसके कुछ कारक हमारे रोगप्रतिरोधी तंत्र को झांसा देकर इसे शुरू कर सकते हैं, जिससे ऑटोइम्यून बीमारी हो सकती है। अगर हम लंबी बीमारियों को हराना चाहते हैं तो दीर्घकालीन या स्थायी इंफ्लेमेशन और उसके हमारे शरीर पर असर को समझना जरूरी है क्योंकि इनके मूल कारण इंफ्लेमेशन पर कोई ध्यान नहीं देता।

ज्यादातर मामलों में सही तरीका अपनाकर हम स्थायी इंफ्लेमेशन को बंद कर सकते हैं (जेनेटिक को छोड़कर)। अनियंत्रित इंफ्लेमेशन जीन को भी प्रभावित कर घातक बीमारियों का कारण बन सकता है। एक इंफ्लेमेशन वाला और एसिडिक माहौल कैंसर की कोशिका को बढ़ने के लिए आदर्श होता है क्योंकि ऐसे माहौल में ऑक्सीजन की कमी होती है। इसलिए, बीमारियां रातोरात शरीर में नहीं आतीं। उनके लिए एक सहायक माहौल जरूरी होता है और इंफ्लेमेशन उनमें से एक कारण हो सकता है।
इंफ्लेमेशन सिर से लेकर पांव तक, शरीर के हर अंग और कोशिका को प्रभावित कर सकता है। वास्तव में आज डॉक्टरों को कोरोना संक्रमण के कारण ‘साइटोकाइन स्टॉर्म’(रोगप्रतिरोधी तंत्र की अति सक्रियता) के मामले देखने में आ रहे हैं, जो कि आक्रामक इंफ्लेमेशन का ही मामला है, जो कि शरीर में संक्रमण की वजह से होता है। यह खून, नसों, अंगों का प्रभावित करता है और कई बार घातक भी होता है।
इंफ्लेमेशन कई कारणों से हो सकता है। इनमें रिफाइंड या प्रोसेस्ड फूड खाना, एसिडिटी, कब्ज, ज्यादा खाना, नींंद की कमी, जरूरत से ज्यादा व्यायायम, शराब का सेवन, धूम्रपान, लगातार एक्स-रे किरणों का सामना, धूप में ज्यादा रहना, संक्रमण (वायरस, बैक्टीरियल), प्रदूषण व कुछ इलाज व दवाओं का सेवन शामिल है।
इससे बचने के लिए ढेर सारे भोजन उपलब्ध हैं। सीधे प्रकृति से आए किसी भी संपूर्ण और अनप्रोसेस्ड खाने में इंफ्लेमेशन को रोकने के गुण होते हैं। इंफ्लेमेशन को जीवनशैली में बदलाव लाकर भी नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे प्रकृति के साथ समय बिताएं, सही तरीके से उपवास करें, चाय, कॉफी, शराब का सीमित सेवन करें, ग्लूटन और डेरी उत्पाद को डाइट से हटा दें (खासतौर पर जब इंफ्लेमेशन का स्तर पहले ही ज्यादा हो)। इसके अलावा खुश रहें। डीप ब्रीदिंग (गहरी सांस लेना) और ध्यान भी अपना सकते हैं।
अगर कोई वाकई में बेहतर महसूस करना चाहता है तो उसे इंफ्लेमेशन पर ध्यान देने की जरूरत है। यह हेल्थकेयर और ज्यादातर सिम्पटोमैटिक तरीकों में बड़ी कमी है और इसीलिए हम लंबी बीमारी में फंस जाते हैं। आप कितनी ही गोली-दवाइयां खा लें, कोई भी बीमारी तब त नहीं खत्म होगी, जब तक उसकी जड़, अनियंत्रित इंफ्लेमेशन पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। वह इंफ्लेमेशन जो हमारी जीवनशैली के इर्द-गिर्द ही है और सौभाग्य से हमारे नियंत्रण में है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
ल्यूक कोटिन्हो, हॉलिस्टिक लाइफस्टाइल कोच


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mvajdD
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via