क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रही है। इसमें पेड़ पर लटकती लाश दिख रही है। बताया जा रहा है कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में 18 वर्षीय भाजपा कार्यकर्ता की टीएमसी के लोगों ने हत्या कर दी। और उसकी टीशर्ट पर लिख दिया- ये भाजपा में शामिल होने की सजा है।
सोशल मीडिया पर यूजर टीएमसी के नेताओं पर निशाना साधते हुए पूछ रहे हैं कि हाथरस में इंसाफ की मांग करने का ढोंग करने वालों को पश्चिम बंगाल में हुई ये हत्या क्यों नहीं दिखती?
ये पश्चिम बंगाल का एक 18 साल का लड़का त्रिलोचन महतो है। जिसका TMC कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी और उसके टीशर्ट पर लिख दिया 'ये भाजपा में शामिल होने का सज़ा है।'
और आज TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन यूपी गए है कानून व्यवस्था पर ज्ञान छिलने। घिनौनी राजनीति देख रहे हो इनके pic.twitter.com/aR2FU9OU61
अलग-अलग की वर्ड सर्च करने पर सामने आई कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में हाल में हुई बीजेपी नेता की हत्या वाली बात सही है।
4 अक्टूबर ( रविवार) को पश्चिम बंगाल के टीटागढ़ में भाजपा नेता मनीष शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। हालांकि, मनीष की हत्या गोली मारकर हुई। जाहिर है वायरल हो रही फोटो का इस हत्याकांड से कोई संबंध नहीं है।
वायरल हो रही फोटो को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें गृह मंत्री अमित शाह के एक ट्वीट में यही फोटो मिली। इस ट्वीट से पता चलता है कि फोटो के साथ वायरल हो रहा घटना का विवरण बिल्कुल सही है। लेकिन, ये हत्याकांड 2 साल पुराना है।
Deeply hurt by the brutal killing of our young karyakarta, Trilochan Mahato in Balarampur,West Bengal. A young life full of possibilities was brutally taken out under state’s patronage. He was hanged on a tree just because his ideology differed from that of state sponsored goons. pic.twitter.com/nHAEK09n7R
ट्वीट का हिंदी अनुवाद है : पश्चिम बंगाल के बलरामपुर में हमारे युवा कार्यकर्ता, त्रिलोचन महतो की निर्मम हत्या से दुखी हूं। संभावनाओं से भरे एक युवा जीवन को राज्य के संरक्षण में क्रूरता से निकाला गया। यह पेड़ पर सिर्फ इसलिए लटका हुआ है, क्योंकि उसकी विचारधारा राज्य प्रायोजित गुंडों से अलग थी।
न्यूज एजेंसी ANI के इस ट्वीट से भी ये पुष्टि होती है कि घटना 2 साल पुरानी है।
BJP Worker Trilochan Mahato murder case: A 45-year-old man was arrested earlier today in connection with the case. Body of Trilochan Mahato was found hanging from a tree in Balarampur's Khudigora jungle (West Bengal) on May 30, 2018.
इंटरनेट पर क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी की पांच साल की बेटी को रेप की धमकियां मिल रही हैं। वजह? क्योंकि उस नन्ही बच्ची के पिता की टीम आईपीएल मैच में हार गई। लोग धोनी से गुस्सा हैं, लेकिन निकाल उनकी पांच साल की बेटी पर रहे हैं। इंटरनेट पर इस खबर के बाद मैं अगली खबर पर पहुंचती हूं।
गुजरात में एक 12 साल की बच्ची रेप के बाद प्रेग्नेंट हो गई। फिर तीसरी खबर दिखाई देती है, गुजरात में एक 44 साल के आदमी ने 3 नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार किया। फिर चौथी खबर, छत्तीसगढ़ में बलात्कार का शिकार नाबालिग बच्ची की मौत। पांचवी खबर केरल में 10 साल की बच्ची के साथ रेप।
यूं तो इन सारी खबरों का आपस में कोई रिश्ता नहीं, लेकिन एक ही तार से मानो सब जुड़ी हैं। हर वो मनुष्य, जिसने आपके मुल्क में स्त्री की देह में जन्म लिया है, वो सुरक्षित नहीं। वो हर वक्त आपके निशाने पर है।
लोगों ने पांच साल की बच्ची के लिए जैसी भाषा और शब्दों का इस्तेमाल किया है, सोचकर ही मेरे हाथ कांप रहे हैं। मैं कल्पना कर रही हूं उस नन्ही जान की, जो इस वक्त आइसक्रीम और गुब्बारे के लिए जमीन पर लोट रही होगी। झूठ-मूठ नाराज होने का नाटक कर रही होगी। उसे पता ही नहीं कि यह दुनिया उसके लिए कितनी डरावनी, कितनी हिंसक है।
और आप जो इसे पढ़ रहे हैं तो पढ़ते हुए अपनी पांच साल की बेटी को जेहन में रखिएगा और उन सारी नन्ही बच्चियों को, जिनसे आप प्यार करते हैं और जिन्हें एक खरोंच भी लग जाए तो आप छटपटा जाते हैं।
मर्द का चरित्र तो ऐसा है कि अगर उसे किसी मर्द से कोई दिक्कत हो तो वो हमला उससे जुड़ी महिलाओं पर करता है। उसकी मां, बहन, पत्नी, बेटी को निशाना बनाता है। फिर चाहे वो बच्ची पांच साल की मासूम ही क्यों न हो। क्या अभी भी आपको आश्चर्य है इस बात पर कि हमारे समाज में तीन महीने से लेकर तीन साल की बच्चियों तक के साथ रेप क्यों होते हैं।
लोगों को अनुराग कश्यप के विचारों से, उनके ट्विटर पर लिखने से दिक्कत हुई तो उन्होंने अनुराग की बेटी आलिया को बलात्कार की धमकी दे डाली। इम्तियाज अली ने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा कोई काम पसंद न आए तो लोग मेरी बेटी और पत्नी को धमकियां देने लगते हैं। लोगों को फरहान अख्तर से दिक्कत होती है तो वो उनकी बहन को निशाना बनाने लगते हैं।
सेलिब्रिटियों को दरकिनार भी कर दें तो आपके साथ क्या होता है? आपको गाली देनी हो तो मर्द आपकी मां, आपकी बहन को गालियां देते हैं। फेसबुक पर आपकी लिखी कोई बात उन्हें नागवार गुजरी तो वो इनबॉक्स में आकर आपकी बहन के साथ बलात्कार करने की धमकी देकर जाते हैं। वो आपका रेप करने की धमकी नहीं देते।
दिक्कत आपसे है तो भी मरेगी आपकी बहन, आपकी मां, आपकी बेटी। मैं सबके लिए नहीं कह रही, लेकिन जवाब में शायद आप भी ऐसा ही करते होंगे। अपनी बहन को मिली गाली के बदले में गाली देने वाले की बहन को गाली देते होंगे।
सारे मर्द यही करते हैं। एक-दूसरे की मां-बहनों-बेटियों को निशाना बनाते रहते हैं। वो कभी एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाने, एक-दूसरे के साथ हिंसा करने की बात नहीं कहते। उनके निशाने पर हर वक्त कोई औरत ही है। और आपको न इस बात की तकलीफ है, न आपका सिर शर्म से झुका हुआ है। हम औरतें हैं कि दुख में, शर्मिंदगी में गड़ी जा रही हैं।
कोई दिन ऐसा नहीं जाता कि जब सुबह का अखबार खोलो और देश के कोने-कोने से आई बलात्कार की चार खबरें हमारा इंतजार न कर रही हों। कैसा होगा वो समाज, जिसका दिन इन सूचनाओं के साथ शुरू होता है कि उसने कितनी लड़कियों के साथ कहां-कहां बलात्कार किया, कितनों को जिंदा जलाकर मार डाला, कितनों के मुंह पर तेजाब फेंका, कितनों की ऑनर किलिंग की। हमें शर्म आती है कि हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं।
रेप रोकने के नाम पर सख्त कानून बनाकर समझ लेते हैं कि हमारा काम पूरा हो गया। और वैसे भी सख्त कानून बनाने से अपराध रुक जाते तो अब तक तो बलात्कार रुक जाने चाहिए थे। सच तो ये है कि डंडा लेकर खड़े होने से नहीं रुकते रेप।
रेप रुकते हैं, रेप की संस्कृति के बारे में बात करने से, उस इतिहास, परवरिश और संस्कार पर चोट करने से, जो रेप की इजाजत देती है, जो लड़कों को भरी बस और ट्रेन में मास्टरबेट करने की इजाजत देती है। जो अपनी लड़कियों को सिखाती है, रेप से कैसे बचो, लेकिन अपने बेटों से कभी नहीं कहती, किसी लड़की का रेप मत करो।
इसलिए कानून बनाने से ज्यादा जरूरी है एक बार अपने जमीर में झांककर देखना। अपने आसपास अगली बार जब कोई मर्द मां-बहन की गालियां दे तो उसे वहीं रोक देना। हर गलत चीज पर सवाल करना। अगली बार अपने दोस्त को कोसने के लिए जब आपके मुंह से गाली निकले, चाहे गुस्से या मजाक में तो जरा ठहरकर सोचें दो मिनट।
आप वही कर रहे हैं, जिसके बारे अभी-अभी पढ़कर आपको बुरा लगा है। आप ही हैं समाज। आपको ही अपनी भाषा, अपनी सोच, अपनी समझ दुरुस्त करने की जरूरत है।
5 साल की जीवा धोनी को बलात्कार की धमकी देने वाले अपनी असली पहचान के साथ सामने नहीं आए हैं। वो नकाबपोश यहीं कहीं, हमारे आसपास छिपे बैठे हैं। शायद हममें से कोई एक। अगर आप उन्हें पहचान नहीं पा रहे, उन पर सवाल नहीं कर रहे तो आप समस्या का समाधान नहीं, बल्कि समस्या का हिस्सा हैं।
पहले बेटे की जन्म के समय मौत के बाद शिल्पा ने औलाद के लिए बड़ी मिन्नतें की। पांच साल बाद जब बिटिया का जन्म हुआ तो नाम रखा ट्विंकल। ट्विंकल जो किसी सितारे की तरह चमकती थी। घर के इस कोने से उस कोने तक दौड़ती रहती। उसे किसी एक जगह बिठाकर रखना मुश्किल होता। ढाई साल की उम्र में वो पांच साल के बच्चे की तरह बातें करती थी।
पापा, चाचा, दादा को जब वो दौड़कर गले लगाती तो सारी थकान दूर हो जाती। जब वो दुनिया की फिक्र में होते तो अपनी मीठी ज़बान में कुछ ऐसा मासूम सवाल पूछती कि वो सबकुछ भूल बस उसी के जवाब देने लग जाते।
अभी उसने स्कूल जाना शुरू ही किया था। मां उसे स्कूल छोड़ने जाती, उसका हाथ थामे-थामे अपना बचपन भी जी लेती। कॉलेज जाने, नौकरी करने के वो सपने फिर से देख लेती जो बचपन में देखे तो थे लेकिन पूरे ना हो सके थे। वो खुद तो बहुत ज्यादा नहीं पढ़ सकीं थीं लेकिन ट्विंकल को दुनिया की सबसे अच्छी शिक्षा देना चाहती थीं। ट्विंकल जब स्कूल की ओर भागती तो मां को लगता कि वो जरूर कुछ ना कुछ बनेगी।
ट्विंकल पेन पकड़ना सीख गई थी। अक्षरों पर पेन फिराने लगी थी। घर की दीवारों पर जहां तक उसके हाथ जाते वो कलाकारी कर देती। मां का डांटने का मन होता, लेकिन वो डांटने के बजाए मन ही मन हंसती। ढाई साल की इस मासूम की मौजूदगी ने घर को स्वर्ग बना दिया था। मां तो उसे नजर से ओझल ही ना होने देती। ट्विंकल अपने परिवार की पूरी दुनिया बन गई थी।
फिर एक मनहूस दिन ने परिवार की इस सबसे बड़ी खुशी को सबसे बड़ा गम बना दिया।
दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर अलीगढ़ जिले के टप्पल कस्बे में मई 2019 में ढाई साल की मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद दरिंदों ने हत्या कर दी थी।
वो 30 मई 2019 का दिन था। ट्विंकल घर के बाहर खेल रही थी, जहां वो रोज खेलती थी। मां छोटे-मोटे काम में लगी थी। कुछ देर बाद ट्विंकल को देखा तो वो वहां नहीं थी। कोई दरिंदा इस घर के इकलौते फूल को नोच ले गया।
शिल्पा शर्मा को नहीं मालूम कि कौन उसे कब उठा ले गया। तीन दिन बाद दो जून को घर के पास एक खंडहर मकान में ट्विंकल की लाश मिली। सड़ी-गली। शरीर के कई अंग गायब थे। ऐसा लग रहा था जैसे उसे दरिंदगी करके फेंका गया है। उसकी लाश को देखने वालों का कहना है कि शायद उसे कुत्तों ने नोंच लिया था।
बेटी के साथ हुई इस दरिंदगी ने परिवार को तोड़ कर रख दिया। दिल्ली से करीब 90 किलोमीटर दूर अलीगढ़ जिले के टप्पल कस्बे में ढाई साल की मासूम के रेप और हत्या की खबर जैसे ही फैली लोगों में आक्रोश भड़क गया। जिसने सुना सन्न रह गया। ट्विंकल को इंसाफ दिलाने के लिए रैलियां निकलीं, प्रदर्शन हुए, मोमबत्तियां जलाई गई।
टीवी कैमरे ट्विंकल के घर पहुंच गए। उसकी रोती बिलखती मां को देश ने देखा। जिसने भी इस परिवार को देखा वो उनके गम में शामिल हो गया। लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था। सरकार इस गुस्से को समझ रही थी। घटना में शामिल संदिग्धों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया। परिवार को छह महीने के भीतर इंसाफ दिलाने का वादा किया गया। सरकार के वादों की बौछार ने परिवार का गुस्सा शांत कर दिया।
मुझे याद है जब मैं ट्विंकल के घर गई थी उसकी मां शिल्पा शर्मा बेसुध पड़ी थी। रो-रोकर उनकी आंखें लाल हो चुकी थीं, चेहरा सूख गया था। उन्होंने मुझे उसके छोटे-छोटे सेंडल दिखाए थे। किताबें दिखाईं थीं, सहेजकर रखे खिलौने दिखाए थे। वो पेंसिल दिखाईं थी जिन्हें ट्विंकल के नन्हें-नन्हें हाथों को थामना था। उस मासूम ट्विंकल को देखकर ये यकीन करना मुश्किल था कि कोई इस फूल जैसी बच्ची से भी दरिंदगी कर सकता है।
इस घटना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हुए थे, लोगों ने कैंडल जलाकर इंसाफ की मांग की थी।
हाल ही में जब मैं ट्विंकल के घर पहुंची तो यहां एक नई दुकान के उद्घाटन का प्रसाद बंट रहा था। ट्विंकल के चाचा कपिल ने बताया, 'बीते डेढ़ साल से भैय्या बहुत परेशान रहते थे। उस डिप्रेशन से निकल ही नहीं पा रहे थे। ये छोटी सी दुकान खुलवाई है ताकि उनका मन काम में लग सके और वो उस दुख से बाहर आ जाएं।'
परिवार के लोग हंसने-बोलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन शिल्पा शर्मा ने वही उदासी ओढ रखी थी। उनका चेहरा पहले से ज्यादा खाली था। अब उनका नजरिया सरकार और न्याय व्यवस्था के प्रति तीखा हो गया है।
दरअसल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि ना होने की वजह से अदालत में बस ट्विंकल के कत्ल का मामला पहुंचा है। परिवार को भरोसा दिया गया था कि सुनवाई फास्टट्रैक अदालत में होगी, लेकिन ऐसा भी नहीं हो सका। बल्कि डेढ़ साल बीत जाने के बाद अभी तक इस मामले में गवाहों के बयान तक नहीं हो सके हैं। इस मामले में जाहिद, मेहंदी हसन और असलम नाम के तीन आरोपी जेल में है। शगुफ्ता नाम की महिला की जमानत हो गई है।
शिल्पा कहती हैं, 'मैं जब भी उस गली की ओर जाती हूं मेरा खून खौलने लगता है। जी करता है कि अपने हाथों से उस वहशी का कत्ल कर दूं। खून का घूंट पीकर रह जाती हूं। ये दर्द मुझे हर दिन झेलना पड़ता है।'
तारीख पर तारीख
शिल्पा शर्मा कहती हैं, 'सरकार इंसाफ को कोर्ट पर छोड़ देती है। कोर्ट कुछ नहीं करती। तारीख पर तारीख चलती जाती है। कभी तीन तारीख कभी चार तारीख। डेढ़ साल हो गया है मुक़दमा चलते हुए। हर बार तारीख पड़ती है फिर रद्द हो जाती है। हमें बताया जाता है कि इस दिन सुनवाई होगी। हम फिर पूछते हैं तो बताया जाता है कि सुनवाई आगे बढ़ गई है। डेढ़ साल से बस तारीख ही पड़ रही है, सुनवाई नहीं हो रही है।'
परिवार ने आज भी उस मासूम से जुड़ी हर एक चीज को संभाल कर रखा है।
सुनवाई में हो रही देरी पर सवाल करते हुए शिल्पा कहती हैं, 'हमसे कहा जा रहा है कि देरी कोरोना की वजह से हो रही है। सुशांत के मामले में तो देरी नहीं हो रही है। अदालत-सीबीआई सब लगे हैं। फिर हमारी बेटी के लिए ही कोरोना का बहाना क्यों। उसके दरिंदों को फांसी क्यों नहीं दी जा रही है। या सुशांत अलग थे और हमारी बेटी अलग है? इंसाफ तो सबके लिए बराबर होना चाहिए?'
पीड़िता के पिता बनवारी लाल शर्मा कहते हैं, 'पहले हमें मुकदमे को हाई कोर्ट और फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने का आश्वासन दिया गया। बड़ी धाराएं लगाने का आश्वासन दिया गया। पहले पांच महीनों तक मुकदमा अदालत में पहुंचा ही नहीं। फिर कहने लगे कि कोरोना हो रहा है। हमसे कहा गया था छह महीने में इंसाफ मिलेगा। डेढ़ साल हो गया है, इंसाफ की झलक भी नजर नहीं आई है।'
इस मामले में परिवार के वकील का कहना है चार्जशीट दायर हो गई है और अब गवाहों के बयान होने हैं। बयान के लिए अदालत ने अगली तारीख दी है। इससे पिछली तारीख रद्द हो गई थी। एडवोकेट रामबाबू बताते हैं, पोस्टमार्टम में बच्ची के अंग ही नहीं मिले थे, डॉक्टर रेप की रिपोर्ट किस आधार पर देते। अब अदालत में कत्ल का मामला चल रहा है।
टप्पल की जिन गलियों में ट्विंकल को इंसाफ दिलाने के लिए रैलियां निकालीं गईं थीं वो अब शांत हैं। यहां सबकुछ सामान्य हो चुका है। यहां के लोगों के लिए ढाई साल की वो बच्ची अब बस धुंधली याद बन गई है।
हैदराबाद जैसे इंसाफ की मांग
शिल्पा शर्मा कहती हैं, 'मुझे सबसे अच्छा हैदराबाद कांड लगा है। वहां चारों के चारों मार दिए। अब हैदराबाद में कभी दोबारा इस तरह का कांड नहीं होगा। यूपी में हर दिन रेप की खबर आ रही है। जो हैदराबाद में हुआ है, यूपी में हो जाएगा तो ऐसी खबरें आना बंद हो जाएंगी। यदि सरकार के बस का इंसाफ करना नहीं है तो अपराधियों को जनता के बीच में छोड़ दें। जनता अपने आप सब संभाल लेगी।'
शिल्पा शर्मा ने वो अखबार सहेज कर रख लिए हैं जिनमें ट्विंकल से जुड़ी खबरें छपीं थीं। लेकिन, इनके पन्ने पलटते हुए उनके हाथ कांपने लगते हैं। ट्विंकल से जुड़ा हर सामान उन्होंने सहेज लिया है। मैं चाहती हूं कि उसके बारे में और बात करूं लेकिन कपिल मुझे रोक देते हैं। वो कहते हैं, 'घर में आज खुशी का दिन है। उसकी याद पूरे परिवार को रुला देगी।' ये कहते-कहते उनकी अपनी आंख में आंसू थे। उनके वॉट्सऐप स्टेटस पर अब भी बेटी की तस्वीर है और लिखा है, 'आई मिस माय एंजल।'
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फ्रेंच ओपन 2020 के मेन्स सिंगल्स का फाइनल दुनिया के नंबर-1 खिलाड़ी नोवाक जोकोविच और वर्ल्ड नंबर-2 राफेल नडाल के बीच खेला जाएगा। स्पेनिश प्लेयर नडाल के पास यह खिताब जीतकर वर्ल्ड नंबर-4 रोजर फेडरर के 20 ग्रैंड स्लैम खिताबों की बराबरी करने का मौका होगा।
नडाल के नाम अभी 19 ग्रैंड स्लैम खिताब हैं। उन्होंने सबसे ज्यादा 12 बार फ्रेंच ओपन खिताब अपने नाम किया है। वहीं, सर्बिया के जोकोविच ने अब तक 17 ग्रैंड स्लैम खिताब अपने नाम किए हैं।
खिलाड़ी
देश
ग्रैंड स्लैम जीते
कुल
रोजर फेडरर
स्विट्जरलैंड
5 यूएस ओपन, 8 विंबलडन, 6 ऑस्ट्रेलियन और 1 फ्रेंच ओपन
20
राफेल नडाल
स्पेन
4 यूएस ओपन, 12 फ्रेंच ओपन, 1 ऑस्ट्रेलियन और 2 विंबलडन
19
नोवाक जोकोविच
सर्बिया
3 यूएस ओपन, 8 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 5 विंबलडन और 1 फ्रेंच ओपन
17
'रोलां गैरो' पर नडाल का पलड़ा भारी
फ्रेंच ओपन में दोनों के बीच यह 8वां मुकाबला होगा। अब तक खेले गए 7 मैचों में नडाल ने 6 जबकि जोकोविच ने एक में जीत हासिल की है। वहीं दोनों के बीच हुए पिछले 5 मुकाबलों में से 3 में जोकोविच और 2 में नडाल ने जीत दर्ज की। दोनों अब तक 8 ग्रैंड स्लैम फाइनल्स में आमने-सामने आ चुके हैं, जिसमें दोनों ने 4-4 में जीत दर्ज की है। ओवरऑल की बात करें, तो दोनों के बीच अब तक कुल 55 मुकाबले हुए हैं, जिसमें से 29 मैचों में जोकोविच ने और 26 मैचों में नडाल ने जीत हासिल की है।
नडाल के बाद बोर्ग ने सबसे ज्यादा फ्रेंच ओपन खिताब जीते
खिलाड़ी
देश
फ्रेंच ओपन जीते
राफेल नडाल
स्पेन
12
ब्योन बोर्ग
स्वीडन
6
मैट्स विलेंडर
स्वीडन
3
गुस्तावो कुएर्टन
ब्राजील
3
इवान लेंडल
चेक रिपब्लिक
3
सेमीफाइनल में जोकोविच को बहाना पड़ा था पसीना
नोवाक जोकोविच ने सेमीफाइनल मुकाबले में 5वीं वरीयता प्राप्त ग्रीस के स्टेफानोस सितसिपास को 6-3, 6-2, 5-7, 6-4, 6-1 से हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। वहीं, नडाल सेमीफाइनल में अर्जेंटीना के डिएगो श्वार्जमैन को 6-3, 6-3, 7-6 (7/0) से हराकर फाइनल में पहुंचे थे।
फ्रेंच ओपन इतिहास में नडाल ने हारे हैं केवल 2 मैच
जोकोविच उन दो खिलाड़ियों में शामिल हैं, जिन्होंने नडाल को फ्रेंच ओपन के किसी भी मैच में हराया है। जोकोविच ने 2015 के क्वार्टरफाइनल में नडाल को हराया था। उनसे पहले 2009 में स्वीडन के रॉबिन सोडरलिंग भी नडाल को चौथे राउंड के मैच में हरा चुके हैं।
आईपीएल के 13वें सीजन में आज चौथा डबल हेडर (एक दिन में 2 मैच) खेला जाएगा। पहला मुकाबला दोपहर में 3.30 बजे दुबई में सनराइजर्स हैदराबाद (एसआरएच) और राजस्थान रॉयल्स (आरआर) के बीच होगा। इसके बाद शाम 7.30 बजे अबु धाबी में पॉइंट्स टेबल में टॉप पोजिशन के लिए मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स के बीच टक्कर होगी।
डेविड वॉर्नर की कप्तानी में हैदराबाद ने इस सीजन में खेले 6 मैचों में से 3 में जीत दर्ज की है। टीम 6 पॉइंट के साथ पॉइंट्स टेबल में चौथे स्थान पर है। वहीं, राजस्थान ने टूर्नामेंट में शानदार शुरुआत की थी, लेकिन लगातार 4 मैच हारकर वह 7वें स्थान पर है। ऐसे में उसके सामने टूर्नामेंट में बने रहने के लिए हैदराबाद के खिलाफ हर हाल में जीत दर्ज करने की चुनौती होगी।
दिल्ली-मुंबई में से जीतने वाली टीम टॉप पर पहुंचेगी
इसके बाद शाम को टूर्नामेंट की टॉप-2 टीमें दिल्ली और मुंबई आमने-सामने होंगी। दिल्ली इस मैच को जीतकर प्ले-ऑफ की ओर एक कदम ओर बढ़ाना चाहेगी। वहीं, मुंबई के पास दिल्ली को हराकर पॉइंट्स टेबल में टॉप पर जाने का मौका होगा।
हैदराबाद-राजस्थान के महंगे खिलाड़ी
हैदराबाद के सबसे महंगे खिलाड़ी डेविड वॉर्नर हैं। उन्हें फ्रेंचाइजी सीजन का 12.50 करोड़ रुपए देगी। इसके बाद टीम के दूसरे महंगे खिलाड़ी मनीष पांडे (11 करोड़) हैं। वहीं, राजस्थान में कप्तान स्मिथ 12.50 करोड़ और संजू सैमसन 8 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।
मुंबई-दिल्ली के महंगे खिलाड़ी
मुंबई में कप्तान रोहित शर्मा सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन का 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में हार्दिक पंड्या का नंबर आता है, उन्हें सीजन के 11 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, दिल्ली में ऋषभ पंत 15 करोड़ और शिमरॉन हेटमायर 7.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।
पिच और मौसम रिपोर्ट
दुबई और अबु धाबी में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। दुबई में तापमान 25 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। वहीं, अबु धाबी में तापमान 26 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। दोनों जगह पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी।
दुबई में टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। वहीं, अबु धाबी में टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी। दुबई में इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 61 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 55.74% रहा है। वहीं, अबु धाबी में पिछले 44 टी-20 में पहले गेंदबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.81% रहा है।
दुबई में रिकॉर्ड
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 61
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 34
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 26
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 144
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 122
अबु धाबी में रिकॉर्ड
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 44
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 25
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128
मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार खिताब जीता
आईपीएल इतिहास में मुंबई ने सबसे ज्यादा 4 बार (2019, 2017, 2015, 2013) खिताब जीता है। पिछली बार उसने फाइनल में चेन्नई को 1 रन से हराया था। मुंबई ने अब तक 5 बार फाइनल खेला है। वहीं, दिल्ली अकेली ऐसी टीम है, जो अब तक फाइनल नहीं खेल सकी। हालांकि, दिल्ली टूर्नामेंट के शुरुआती दो सीजन (2008, 2009) में सेमीफाइनल तक पहुंची थी।
हैदराबाद ने 2 और राजस्थान ने एक बार खिताब जीता
हैदराबाद ने 3 बार (2009, 2016 और 2018) फाइनल में जगह बनाई और 2 बार (2009 और 2016) खिताब अपने नाम किया। वहीं, राजस्थान ने आईपीएल (2008) का पहला सीजन अपने नाम किया था।
आईपीएल में हैदराबाद का सक्सेस रेट राजस्थान से ज्यादा
लीग में सनराइजर्स हैदराबाद का सक्सेस रेट 53.50% है। एसआरएच ने अब तक कुल 114 मैच खेले हैं, जिनमें उसने 61 मैच जीते और 53 हारे हैं। वहीं, राजस्थान का सक्सेस रेट 50.66% है। राजस्थान ने अब तक कुल 153 मैच खेले हैं, जिनमें उसने 77 जीते और 74 हारे हैं। 2 मैच बेनतीजा रहे।
मुंबई का सक्सेस रेट दिल्ली से ज्यादा
आईपीएल में मुंबई इंडियंस का सक्सेस रेट दिल्ली कैपिटल्स से ज्यादा है। मुंबई ने अब तक लीग में अब तक कुल 193 मैच खेले हैं। इनमें उसने 113 जीते और 80 हारे हैं। ऐसे में मुंबई का सक्सेस रेट 58.29% है। वहीं, दिल्ली ने अब तक खेले कुल 183 मैचों में से 82 जीते और 99 हारे हैं। 2 मैच बेनतीजा रहे। दिल्ली का सक्सेस रेट 45.02% है।
राजस्थान के बूकना गांव में दबंगों ने पुजारी बाबूलाल वैष्णव की जलाकर हत्या कर दी थी। परिवार ने अंतिम संस्कार से पहले 50 लाख रुपए मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की। बाद में सीएम गहलोत ने 10 लाख रु मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का आश्वासन दे दिया। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...
आज इन 4 इवेंट्स पर रहेगी नजर 1. आईपीएल में आज डबल हेडर मुकाबले। पहला मैच सनराइजर्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स के बीच दुबई में दोपहर 3.30 बजे से होगा। दूसरा मैच मुंबई इंडियंस और दिल्ली कैपिटल्स के बीच अबु धाबी में शाम 7.30 बजे से होगा। 2. आज फ्रेंच ओपन में मेन्स सिंगल्स का फाइनल होगा। मुकाबले में वर्ल्ड नंबर-1 सर्बिया के नोवाक जोकोविच और वर्ल्ड नंबर-2 स्पेन के राफेल नडाल आमने-सामने होंगे। 3. टीआरपी घोटाले में रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास खानचंदानी, सीओओ हर्ष भंडारी, सीओओ प्रिया मुखर्जी को मुंबई पुलिस ने समन जारी किया। सभी को आज सुबह 9 बजे पूछताछ के लिए बुलाया गया है। 4. प्रधानमंत्री मोदी आज प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का शुभारंभ करेंगे। मध्य प्रदेश के 44 गांव भी इस योजना में शामिल किए गए हैं।
अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें
1. ईडी को सुशांत के बैंक खातों में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत नहीं मिले
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में एक के बाद एक कई दावे गलत साबित हो रहे हैं। पहले एम्स के पैनल ने हत्या की आशंका को खारिज किया। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुशांत के बैंक खातों से मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिलने की बात से इनकार किया है। रिपोर्ट में ईडी के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सुशांत के परिवार की ओर से गलतफहमी के चलते आरोप लगाए गए।
2. पटना के महादलित टोलों से रिपोर्ट, जहां लालू टैंकर लेकर जाते थे
बिहार में चुनाव है। बात पटना के महादलित इलाके के हालात की। यहां पिछले साल 26 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे सरकारी अमले के साथ पहुंचे थे। भाषण दिया। झंडा फहराया। गांव के विकास के लिए घोषणाएं कीं। लौट गए। यहां कभी लालू भी आते थे। साथ में पानी का टैंकर ले जाते थे। गंदे बच्चों को नहलाते। बाल संवारते। पढ़ने-लिखने का बोलते। जानें इस गांव का हाल।
3. रामविलास पंचतत्व में विलीन, लोगों के सहारे चिराग ने पूरी की अंतिम क्रिया
लोकजनशक्ति पार्टी के संस्थापक रहे रामविलास पासवान शनिवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। बेटे चिराग पासवान ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार पटना में गंगा नदी पर बने दीघा घाट पर हुआ। मगर पिता को मुखाग्नि देते समय चिराग गश खाकर गिर पड़े। लोगों ने उन्हें संभाला। इसके बाद उन्होंने अंतिम क्रिया पूरी की। जिसने भी यह दृश्य देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।
4. नवाजुद्दीन ने कहा- गांव में आज भी हमें नीची जाति का समझा जाता है
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की मानें तो उनके गांव (बुढ़ाना, उत्तर प्रदेश) में आज भी उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक इंटरव्यू में वे हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए गैंगरेप और मारपीट पर अपनी राय रख रहे थे। उन्होंने कहा कि गांव में जाति व्यवस्था इस कदर गहराई तक समाई हुई है कि फिल्मों में उनकी लोकप्रियता के बावजूद भी उन्हें बख्शा नहीं जाता है।
5.TATA को मिस्त्री का 'टाटा', दोनों के रिश्ते खत्म होने के करीब
देश में सबसे ज्यादा चर्चा शापूरजी पालोनजी ग्रुप (SP ग्रुप) और टाटा ग्रुप के बीच चले रहे विवाद की है। यह इतना बढ़ गया है कि करीब 9 दशकों से जुड़े दोनों ग्रुप अलग होने जा रहे हैं। अब दोनों के रिश्ते खत्म होने से टाटा ग्रुप पर आर्थिक रूप से क्या असर होगा? उसके पास SP ग्रुप से टाटा संस के शेयर्स वापस लेने के कितने ऑप्शंस हैं? आइए जानते हैं बिजनेस एक्सपर्ट्स की राय।
6. अमेरिका का दावा- एलएसी पर 60 हजार चीनी सैनिक तैनात
लद्दाख में भारत-चीन की सेनाओं में जारी तनाव के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बड़ा दावा किया है। उनका कहना है कि चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर 60,000 सैनिक तैनात किए हैं। उधर, अमेरिकी एनएसए रॉबर्ट ओ’ब्रायन ने कहा कि अब वह वक्त आ गया है, जब यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि चीन से बात करने से कोई फायदा नहीं होगा।
7. ट्रम्प ने सिर्फ नौ दिन में कोविड-19 को हराया; जानिए कैसे?
कोविड-19 महामारी को दुनियाभर में नौ से ज्यादा महीने हो गए हैं। इसने किसी को नहीं छोड़ा। दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प को भी नहीं। दस लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इतना होने के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प सिर्फ नौ दिन के ट्रीटमेंट में ठीक हो गए हैं। मगर कैसे? पढ़िए भास्कर एक्सप्लेनर में।
from Dainik Bhaskar /national/news/new-twist-in-sushant-case-nawazuddin-is-also-troubled-by-casteism-the-lamp-fell-while-offering-fire-to-the-father-60-thousand-chinese-soldiers-deployed-on-lac-127801738.html
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(लव कुमार दुबे) डायन के नाम पर शुक्रवार काे तीन महिलाओंं काे निर्वस्त्र कर पीटने और बिना कपड़े के नाचने का दबाव बनाने की घटना के बाद नारायणपुर गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के सभी पुरुष फरार हैं। सिर्फ महिलाएं हैं, वह भी सहमी हुई हैं। शनिवार काे डीसी-एसपी गांव पहुंचे ताे पीड़िताएं उनसे दाेषियाें काे पकड़ने की गुहार लगा रही थीं। इस मामले में पुलिस ने 33 नामजद और 55 अज्ञात लाेगाें पर केस दर्ज कर दाे लोगों काे गिरफ्तार कर लिया है।
दैनिक भास्कर शनिवार काे गांव पहुंचा ताे पीड़िताओं ने दिल दहला देने वाली आपबीती सुनाई। झाेपड़ीनुमा घर में अकेले रह रही 75 साल की विधवा ने कहा-आराेपी बलि रजवार की दाेनाें बेटियां डायन कहकर एक-एक कर हमारे कपड़े उतारने की बात कह रही थी और बाप हमारे कपड़े उतार रहा था। हम लाेगाें पर चावल छिड़का जा रहा था और इज्जत काे सरेआम तार-तार किया जा रहा था।
अब आराेपी हमें धमकी दे रहा है। वहीं 40 साल की दूसरी पीड़िता ने कहा-सात युवक हम तीनाें काे पकड़े हुए थे। आंख-मुंह बंद कर रखा था। पुलिस ने भीड़ काे खदेड़ा और हमें तन ढंकने के कपड़े दिए।
मां-बेटे के रिश्ते काे शर्मसार करने पर उतारू थे, भाग कर बचाई जान
तीसरी पीड़िता 55 साल की महिला ने कहा- आराेपी मां-बेटे के रिश्ते काे शर्मसार करने पर उतारू थे। हमें पीटा गया। गांववाले मेरे बेटे काे ओझा बताकर पकड़ लाए। उसकी भी पिटाई करने लगे। इसी दाैरान मैं वहां से भाग निकली। अगर मैं भागी नहीं हाेती ताे बेटे से कभी आंख नहीं मिला पाती।
डीसी-एसपी से गुहार-दाेषियाें काे सजा दिलाएं
डीसी राजेश कुमार पाठक और एसपी श्रीकांत एस खाेटरे शनिवार काे गांव पहुंचे। पीड़िताओं की एक ही गुहार थी कि दाेषियाें काे सजा दिलाएं। डीसी ने कहा- दाेषियाें पर कड़ी कार्रवाई हाेगी। वहीं एसपी ने कहा कि दाे-तीन दिन के भीतर सभी आरोपी जेल में हाेंगे।
भास्कर ने उठाया था मुद्दा
नारायणपुर गांव में पंचायत कर महिलाओं काे अर्धनग्न हाेकर नाचने काे कहा गया। इनकार करने पर पिटाई की। एक महिला की आंख फाेड़ने की भी काेशिश की। भास्कर ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
from Dainik Bhaskar /local/jharkhand/news/the-victims-were-going-to-their-daughter-in-law-and-the-father-was-removing-clothes-the-police-gave-clothes-to-cover-his-body-127801622.html
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इतनी बड़ी दुनिया में कोई ऐसी जगह होगी, जहां औरतों को डर न लगता हो। यूएन ने कुछ साल पहले एक स्टडी की थी और दुनिया के उन देशों की लिस्ट बनाई थी, जहां की सड़कें और सार्वजनिक जगहें औरतों के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक हैं।
हम औरतों को कतई आश्चर्य नहीं हुआ ये पढ़कर कि भारत को उस सूची में कोई सम्मानजनक जगह नहीं मिली थी। यहां की सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर हर दूसरे मिनट किसी-न-किसी लड़की के साथ छेड़छाड़ हो रही थी।
अभी दो दिन पहले एक लड़की ने ट्विटर पर अपना एक अनुभव लिखा है। उसे दौड़ने और साइकिल चलाने का शौक है। लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि वो पैदल या साइकिल लेकर सड़क पर निकली हो और उसे कोई बुरा अनुभव न हुआ हो।
कभी कोई छाती पर हाथ मारकर जाता है तो कोई बीच सड़क अपनी पैंट की जिप खोलकर खड़ा हो जाता है। कोई लगातार पीछा करता है तो कोई बगल से अश्लील टिप्पणी करके गुजर जाता है। उसने हर अलग दिन, हर अलग वक्त पर जाकर देख लिया। कहानी नहीं बदलती,न उसका डर, न गुस्सा, न तकलीफ।
इन बातों का नतीजा ये कि सड़कें औरतों के लिए बहुत खतरनाक हैं। सड़क पर डर लगे तो औरत घर को भागती है। लेकिन घरों का क्या है, चलिए थोड़ा अपने घरों की भी थोड़ी पड़ताल कर लेते हैं।मेरी पिछली कॉलोनी में बगल में एक सुंदर सा घर था। घर में एक सुंदर सी औरत रहती थी। वो पांच महीने प्रेग्नेंट थी। उस घर से अकसर आदमी की चीखने और औरत के रोने की आवाज आती।
एक बार मैंने किचन की खिड़की से देखा, आदमी ने उसकी चोटी पकड़कर उसका सिर दीवार पर दे मारा। एक बार पुलिस भी आई थी, लेकिन घरेलू मामला कहकर, आदमी को बाबाजी की तरह ज्ञान देकर, रूह अफजा पीकर चलती बनी। उस घर से औरत के रोने की आवाजें आनी बंद नहीं हुईं।
लॉकडाउन के दिनों में सारे बड़े अखबारों में एक खबर छपी थी। 25 मार्च से लेकर 31 मई के बीच 1477 महिलाओं ने घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज की। इतने कम समय के भीतर घरेलू हिंसा के इतने केस पिछले 10 सालों में भी नहीं आए थे।
अगर 1477 सुनने भर से आपका दिल बैठा जा रहा है तो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट भी पढ़ लें, जो कहती है कि घरेलू हिंसा की शिकार 86 फीसदी औरतें कभी हिंसा की रिपोर्ट नहीं करतीं, न पुलिस के पास जाती हैं और न ही मदद मांगती हैं। हिंसा की रिपोर्ट करने और मदद मांगने वाली औरतों का प्रतिशत सिर्फ 14 है और उनमें से भी सिर्फ 7 फीसदी औरतें पुलिस और न्यायालय तक पहुंच पाती हैं।
यानी हमारे महान देश के महान घरों में वास्तव में रोज मर्द के जूते खा रही औरतों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है, जितनी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की फाइलों में दर्ज है। एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर तीसरे मिनट एक औरत अपने घर में पिटती है।
मुंबई हाईकोर्ट की उस नामी महिला वकील की तरह, जो महीने में चार-पांच बार ढेर सारा मेकअप लगाकर कोर्ट जाती थी। चेहरे पर फाउंडेशन की मोटी पर्त और आंखों के नीचे ढेर सारा कंसीलर। कोई कुछ कहता नहीं था, लेकिन जब वो नजरें चुराकर बात करती और हर आधे घंटे में आईने में अपना मेकअप चेक करती तो साथ की वकील औरतें समझ जाती थीं पिछली रात की कहानी। पिछली रात वो फिर पिटी थी अपने पति से।
पिटी तो प्रीती सिंह भी थी अपने बॉयफ्रेंड कबीर सिंह से, जिस पर हॉल में खूब तालियां बजी थीं। चार दिन बाद फिल्म के डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा ने एक इंटरव्यू में कहा कि "वो प्यार ही क्या, जिसमें थप्पड़ मारने की आजादी न हो। बकौल वांगा मर्द की पिटाई भी उसका प्यार ही है।"
आदमी जितना ज्यादा प्यार करता है, औरत उतना ज्यादा मेकअप लगाती है ताकि प्यार की निशानियों को छिपा सके। घर में आए मेहमानों का मुस्कुराकर स्वागत करती है, सबसे झूठ बोलती है, रसोई में छिपकर रोती है क्योंकि उसे बचपन से यही सिखाया गया है कि बोलने में तुम्हारी ही बदनामी है। हिंसा मर्द करता है और बदनामी औरत की होती है। रेप भी मर्द करता है, लेकिन चरित्र खराब औरत का होता है।
बीच सड़क पैंट खोलकर खड़ा आदमी होता है, डर औरत को लगता है। कपड़े मर्द उतारता है, अपना मुंह औरत छिपाती फिरती है। बेशर्मी मर्द करता है, उस बेशर्मी पर शर्मिंदा औरतें होती हैं। छेड़खानी मर्द करता है, घर में बंद औरतों को किया जाता है। नंगा पुरुष समाज है और औरतों के कपड़ों पर जांच आयोग बिठा रखा है। बलात्कारी मर्द है और बलात्कार से बचने का पाठ औरतों को सिखाया जाता है।
थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने अपने सर्वे में यूं ही नहीं कहा था भारत को औरतों के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश। क्योंकि, आपके देश में हम औरतों को कहीं भी सुरक्षा और सुकून का एक कोना नसीब नहीं है। सड़क पर जाएं तो छेड़खानी और बलात्कार होगा, घर में रहें तो हमें पीटा जाएगा। पलटकर जवाब देंगे तो बेशर्म और मुंहफट कहलाएंगे, डरना बंद कर देंगे तो चरित्रहीन।
मेरी दादी कहती थी कि लेखपाल शुक्ला की बीवी इसलिए पिटती है क्योंकि 32 गज की उसकी जबान चलती है। वो पलटकर जवाब देती है। जब मर्द को गुस्सा आए तो चुप हो जाना चाहिए। मर्द से औरत की कोई बराबरी नहीं। फिर हर बार अंत में उनका एक ही ब्रम्ह वाक्य होता था,अपना ही आदमी है। पीटता है तो क्या हुआ, प्यार भी तो करता है।
वही कबीर सिंह की तरह। वो लड़की को पीटता है तो क्या हुआ, प्यार भी तो करता है। लेकिन, कभी सोचा है कि इस प्यार के बदले में किसी दिन औरतें भी पलटकर प्यार का जवाब प्यार से देने लगीं तो क्या होगा।
रामविलास पासवान के निधन के बाद मोदी सरकार में भाजपा के अलावा NDA गठबंधन के सिर्फ रामदास अठावले (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया) बचे हैं। जबकि, केंद्रीय कैबिनेट में तो भाजपा से बाहर का कोई नहीं है, क्योंकि अठावले भी राज्य मंत्री (मिनिस्टर ऑफ स्टेट) हैं। उनके पास सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री की जिम्मेदारी है।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय कैबिनेट में शुरुआत में NDA गठबंधन से शिवसेना के अरविंद सावंत, शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल और लोकजनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान थे।
JDU केंद्र सरकार में शामिल नहीं, लेकिन समर्थन जारी
शिवसेना महाराष्ट्र में सरकार के फॉर्मूले को लेकर पिछले साल ही NDA से अलग हो गई थी। अकाली दल ने पिछले महीने किसान बिलों के विरोध में सरकार का साथ छोड़ दिया था। इससे पहले अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट में फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर का पद छोड़ दिया था। नीतीश कुमार की पार्टी JDU का कोई सदस्य मोदी कैबिनेट में नहीं है, लेकिन NDA का हिस्सा होने के नाते सरकार को समर्थन जारी रखा है।
मोदी कैबिनेट में 24 मंत्रियों ने शपथ ली थी, अब 21 रह गए
पिछले साल 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा 57 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इनमें 24 कैबिनेट मिनिस्टर, 9 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 24 राज्य मंत्री शामिल थे। अरविंद सावंत, हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे और रामविलास पासवान के निधन के बाद अब 21 कैबिनेट मंत्री बचे हैं। रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन के बाद राज्य मंत्रियों की संख्या 24 से घटकर 23 रह गई है।
from Dainik Bhaskar /national/news/narendra-modi-nda-cabinet-minister-after-ram-vilas-paswan-death-only-ramdas-athawale-in-national-democratic-alliance-127798922.html
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जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के चिनगाम इलाके में सुरक्षाबलों ने शनिवार को 2 आतंकी मार गिराए। उनके पास एक M4 राइफल और एक पिस्टल मिली है। आतंकियों के छिपे होने के इनपुट पर सिक्योरिटी फोर्सेज ने शुक्रवार रात सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। इस दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी तो एनकाउंटर शुरू हो गया।
एक हफ्ते में 7 आतंकी ढेर
बुधवार को शोपियां जिले के सगुन इलाके में सुरक्षाबलों ने 3 आतंकी मार गिराए थे। एनकाउंटर 16 घंटे चला था। इससे पहले पुलवामा जिले के अवंतीपोरा के संबूरा इलाके में 27 सितंबर को 2 आतंकी मारे गए थे।
कोरोना के दौर में लोग खुश रहने के तरीके ढूंढ़ रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिक माइंडफुलनेस थैरेपी और एक्सरसाइज को कारगर बता रहे हैं। हाल ही में आई कुछ स्टडी में यह पता चला है कि माइंडफुलनेस से पुराने दर्द, तनाव, डिप्रेशन, घबराहट से निजात मिल सकती है। इसके अलावा मोटापा भी कम हो सकता है।
माइंडफुलनेस थैरेपी क्या है? यह कैसे काम करती है? इसके बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि माइंडफुलनेस एक तरह का ध्यान है, जिसकी मदद से आप वर्तमान में रहते हैं और चीजों पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं।
साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर निशा खन्ना कहती हैं कि जो चीजें हमारे सामने हैं, उसे हूबहू स्वीकार करना ही माइंडफुलनेस है। इसके लिए हमें अपने पांचों सेंस आर्गन्स का अधिकतम इस्तेमाल करना होता है। इसमें ध्यान लगाने के लिए हमें किसी तय वक्त की जरूरत भी नहीं है।
माइंडफुलनेस में हम जिस लम्हा, जहां होते हैं, वहीं अपना पूरा ध्यान लगाते हैं। उस पल को पूरी तरह से महसूस करना और जीना होता है। बस इसके लिए कमर सीधी रखकर कुर्सी पर या फिर चौकड़ी मारकर जमीन पर बैठें। माइंडफुलनेस की रेग्युलर प्रैक्टिस से हम खुश रहना सीख जाते हैं।
माइंडफुलनेस को समझने के लिए हमें क्या करना होगा?
डॉक्टर निशा खन्ना बताती हैं कि माइंडफुलनेस का मतलब होता है कि बहुत ज्यादा भविष्य के बारे में न सोचें, वर्तमान में जीएं। आज का आनंद लें और जो कुछ कर रहे हैं, उसी पर फोकस करें। इसे समझने के लिए इन 6 बातों पर ध्यान दें...।
भविष्य के बारे में न सोचें: कई बार हमारा अधिकांश समय भविष्य के बारे में सोचने में बीत जाता है। इसके चक्कर में हम अपने वर्तमान को खराब कर लेते हैं। इसलिए हमारी पहली कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने दिल और दिमाग को शांत रखें। यदि ऐसा आप करते हैं तो आप हमेशा बेहतर कर पाएंगे।
हमारा फोकस खुद पर हो: बहुत ज्यादा सोचने से भी काम बिगड़ता है। इसलिए हमें अपने किसी भी काम को धैर्य के साथ करना चाहिए। हमारा फोकस खुद पर होना चाहिए, दूसरों पर नहीं। हमें अपने शरीर और इमोशन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि जब आप क्रोधित होते हैं तो समस्याओं को ज्यादा बढ़ाते हैं।
सच को स्वीकार करना सीखें: मान लीजिए आपकी तबियत खराब है और आप यह मानने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, जब यह आप स्वीकार करेंगे, तभी इससे बाहर आने की कोशिश करेंगे। सकारात्मक सोचेंगे। लाइफ में कुछ भी आराम से नहीं मिलने वाला है। यदि आप दर्द को महसूस नहीं करेंगे, तो खुशी नहीं पाएंगे। इसलिए चीजों को स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए।
5 सेंस आर्गन्स का इस्तेमाल करें: जब चीजों को समझना और स्वीकार करना शुरू कर देंगे तो लाइफ में सबकुछ सही होगा। यदि आपने किसी के बारे में बुरा सोच रखा है और आगे वह सही निकला, तो इससे आपकी धारणा टूटेगी। इसलिए हर स्थिति में हमें अपने 5 सेंस आर्गन्स को मैक्सिमम इस्तेमाल करना है। किसी को ध्यान से सुनें। सेल्फ अवेयर रहें।
सच को तलाशें: हममें ऐक्सैप्टैंस आ जाने के बाद लाइफ आसान हो जाती है। आप जो भी कर रहे हैं, उसमें सच को तलाशें। सामने वाले को हूबहू स्वीकार करें। इसे ऐसे समझें कि जब अब ठंडे पानी से नहाते हैं, तो वो पानी गर्म नहीं हो जाता है।
एक समय पर एक काम करें: ध्यान में हम इस तरह की आदत भी डाल सकते हैं। जैसे- हम एक समय पर एक ही काम करें। किसी को सुन रहे हैं तो उसे पूरा सुनें। सामने वाले को पूरा बोलने का मौका दें। इसके बाद जब हम शांत होंगे तो चीजें आसान हो जाएंगी।
माइंडफुलनेस को लेकर रिसर्च क्या कहती हैं?
जर्नल ऑफ द अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन में प्रकाशित स्टडी से पता चला है कि माइंडफुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (MBSR) कोर्स क्रोनिक पेन और तनाव के मरीजों के लिए फायदेमंद है। MBSR कोर्स के तहत घबराहट, चिंता, तनाव और दर्द से जूझ रहे लोगों को 8 हफ्तों तक माइंडफुलनेस ट्रेनिंग दी जाती है। स्टडी में शामिल 89% लोगों का कहना है कि इस प्रोग्राम की मदद से उन्हें दर्द का सामना करने के नए तरीके मिले, जबकि, 11% लोग सामान्य रहे।
ब्रिटेन के बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया है कि माइंडफुलनेस एक्सरसाइज से मोटापा कम हो सकता है। इसके लिए कुछ टूल्स भी बनाए हैं। पहला माइंडफुल कंस्ट्रक्शनल डायरी और दूसरी माइंडफुल चॉकलेट प्रैक्टिस।
कैसेर फैमिली फाउंडेशन की स्टडी के मुताबिक गूगल, इंटेल और एटेना जैसी कंपनियों में माइंडफुल प्रैक्टिस शुरू करने से वर्कप्लेस पर तनाव कम हुआ है। इसके अलावा प्रोडक्टिविटी, सोच का दायरा और काम पर फोकस बढ़ा है। रिसर्च में पाया गया है कि करीब 40% अमेरिकी लोगों का मानना है कि कोरोनावायरस महामारी के चलते उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है।
2018 में आई इंडियन जर्नल ऑफ पैलिएटिव केयर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 19.3% वयस्क आबादी क्रोनिक दर्द से जूझ रही है। अगर आंकड़ों में बात की जाए तो यह संख्या 18 से 20 करोड़ के बीच हो सकती है।
कल पढ़िए... माइंडफुलनेस के 18 फायदों और इस एक्सरसाइज को करने के 5 खास तरीकों के बारे में...
याद करिए वो दौर, जब लॉकडाउन के सन्नाटे में सिर पर बैग रखे, कमर पर बच्चों को टिकाए लोग चले जा रहे थे। इस चिंता से दूर कि वो जहां जा रहे हैं, वहां तक पहुंचने में कितने दिन लगेंगे। बस चिंता थी तो पेट भरने की। इस उम्मीद में निकल रहे थे कि आज भूखे चल पड़ेंगे तो कल अपने गांव-घर पहुंचकर खाना मिल ही जाएगा। इनकी कोई खास पहचान तो नहीं थी। बस इन्हें प्रवासी मजदूर कहा जा रहा था।
ज्यादातर प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के थे। क्योंकि, इसी साल बिहार में चुनाव भी होने हैं, तो लगा तो था कि चुनाव में मुद्दा बनेगा, लेकिन ऐसा अभी तक तो नहीं दिख रहा है। उस समय राज्य सरकारों ने वादा तो किया था कि जो प्रवासी मजदूर लौट रहे हैं, उन्हें अपने राज्य में ही रोजगार दिया जाएगा। लेकिन, क्या वाकई ऐसा हुआ है। इसे जानने के लिए हमने लॉकडाउन में अपने घर लौटकर आए लोगों से बात की।
15 लाख से ज्यादा मजदूर लौटे थे बिहार
सितंबर में जब संसद शुरू हुई तो लोकसभा में प्रवासी मजदूरों के डेटा को लेकर सवाल पूछा गया था। इसका जवाब श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष सिंह गंगवार ने दिया। जवाब के मुताबिक, लॉकडाउन के दौरान 1.04 करोड़ से ज्यादा प्रवासी मजदूर अपने घर लौटे थे। इनमें सबसे ज्यादा 32.49 लाख मजदूर उत्तर प्रदेश और 15 लाख मजदूर बिहार लौटकर आए थे।
बिहार से कितने लोग पलायन करते हैं, इसका सबसे ताजा डेटा 2011 का है। इस डेटा के मुताबिक, उस समय तक 2.72 करोड़ से ज्यादा लोग पलायन कर चुके थे। इनमें से 7 लाख से ज्यादा रोजगार की वजह से बिहार छोड़ने को मजबूर हुए थे। जबकि, 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने शादी की वजह से बिहार छोड़ा था। हालांकि, इनमें से 98% से ज्यादा महिलाएं ही थीं।
हर 5 साल में सरकार तो बनती है, लेकिन रोजगार नहीं मिलता
गया, नवादा, बिहार शरीफ, औरंगाबाद, जहानाबाद और अरवल जैसे जिलों में जब रोजगार को लेकर युवाओं से बात की गई, तो कई बातें सामने आईं। नरेश सिंह, बब्बन शर्मा, राजेश यादव और दिनेश दांगी जहानाबाद के रहने वाले हैं। चारों गुजरात की एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। लॉकडाउन में वापस लौट आए हैं।
चारों का कहना है, कपड़ा फैक्ट्री में हममें से कोई चेकर, कोई सुपरवाइजर तो कोई मैकेनिक सुपरवाइजर था। हम सभी ये सोचकर लौटे थे कि यहीं आसपास कोई अच्छा काम मिल जाएगा, पर ऐसा अब तक कुछ भी नहीं हुआ। इनका कहना है कि बेशक विधानसभा चुनाव हर 5 साल में आता है और जैसे-तैसे नई सरकार भी बन जाती है, पर जो भी पार्टी सत्ता में अब तक रही है, वो रोजगार दिलाने के फ्रंट पर नाकाम ही रही है।
गया के ही रहने वाले सचिन सिंह, राजेश सिंह, रोशन महतो, जीवन मिश्रा चंडीगढ़ में इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट बनाने वाली कंपनी में काम करते थे। वो बताते हैं, हम लॉकडाउन में घर लौटे थे और अभी तक इसी आस में हैं कि जल्द ही कुछ होगा। हम सभी आईआईटी पास हैं, पर हमारे लिए यहां कोई काम नहीं है। हमारे यहां सरकार बिजली, पानी, सड़क में ही सिमट कर रह गई, जबकि पंजाब की सरकार इससे काफी आगे बढ़ चुकी है।
दूसरे राज्यों में प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले युवा कहते हैं, बिहार में एक भी ऐसा इलाका नही है, जिसे राज्य या राष्ट्रीय स्तर के औद्योगिक क्षेत्र के नाम से जाना जाता हो और वहां हजारों युवा काम करते हों।
राजेश सिन्हा, धनेश चंद्रवंशी, विशेष चंद्रवंशी और राजीव सिंह बिहार शरीफ के रहने वाले हैं। इनका कहना है, लालू राज से लेकर नीतीश राज तक, हर सरकार में यही हाल रहा है। हालांकि, वो ये भी कहते हैं कि नीतीश सरकार में स्किल डेवलपमेंट पर खासा जोर दिया गया है, लेकिन इससे रोजगार नहीं मिलता न। स्किल डेवलपमेंट सेंटर से युवाओं में स्किल तो आ जाती है, लेकिन जब राज्य में इंडस्ट्रीज और फैक्ट्रीज ही नहीं हैं, तो रोजगार कहां से मिलेगा?
गया जिले के धर्मेंद्र तांती, दिनेश रजवार, अंशु पाठक, ज्ञानेश शर्मा बताते हैं कि जब लॉकडाउन लगा था, तो सरकार की तरफ से रोजगार सृजन के लिए हर जिले को 50 लाख रुपए मिले थे। इन पैसों से युवाओं को रोजगार दिलाने की योजना थी, पर अब तक ये ग्राउंड पर नहीं आ सकी है।
बिहार सरकार के 2019-20 के इकोनॉमिक सर्वे में बिहार में बेरोजगारी दर के आंकड़े दिए गए थे। हालांकि, ये आंकड़े 2017-18 के थे। इन आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 6.8% और शहरी इलाकों में 9% थी। जो नेशनल एवरेज से कहीं ज्यादा थी। देश में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 5.3% थी, जबकि शहरी इलाकों में 7.7% थी। इन आंकड़ों की माने तो सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर के मामले में बिहार टॉप-10 राज्यों में था।
तो क्या वोट डालेंगे ये लोग?
जब खुद युवाओं का कहना है कि सरकारें रोजगार मुहैया करने में नाकाम रही हैं, तो सवाल उठता है कि क्या ये लोग वोट करेंगे? इस पर कुछ युवाओं का कहना है, जो सरकार या नेता अब तक रोजगार दिलाने में नाकाम ही रहे हैं, तो ऐसे में उनके लिए वोट करने का कोई मतलब नहीं रह जाता है।
कुछ युवा ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि जब वोटिंग की तारीख आएगी, तब तक वो अपने काम के सिलसिले में यहां से जा चुके होंगे। हालांकि, राजेश विश्वकर्मा जैसे कुछ युवा ऐसे भी हैं जो जातीय समीकरण का हवाला देते हुए वोट डालने की बात करते हैं।
क्या हो रहा है वायरल: सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें पुलिस के जवान एक घर में घुसकर कागज जब्त करके ले जाते दिख रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि वीडियो हाथरस का है। और इसमें दिख रही पुलिस 19 वर्षीय मृतक पीड़ित के घर में घुस कर बर्बरता कर रही है।
और सच क्या है?
इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि यूपी पुलिस ने हाथरस पीड़ित के घर में घुसकर छानबीन की है।
वीडियो की फ्रेम्स को गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें सोशल मीडिया पर ही कुछ अन्य पोस्ट मिलीं। जिनमें इस वीडियो को उन्नाव का बताया गया है।
उन्नाव में एक परिवार को अपनी जमीन पर पुलिस चौकी बनाने का विरोध करना भारी पड़ गया,
विरोध करने पर पुलिस ने घर में घुसकर जरूरी कागज अपने साथ ले गई पुलिस, माखी थानाक्षेत्र के चकलवंशी कस्बे का मामला,घटना@yadavakhileshpic.twitter.com/VSNlPAh3bp
Patrika Uttar Pradesh के यूट्यूब चैनल पर भी हमें यहीं वीडियो मिला। वीडियो के डिस्क्रिप्शन से पुष्टि होती है कि ये हाथरस का नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश के सफीपुर थाना क्षेत्र का है। सफीपुर थाना उन्नाव जिले में आता है, न कि हाथरस में।
पत्रिका वेबसाइट की ही एक अन्य रिपोर्ट से पता चलता है कि पुलिस दलित परिवार के घर पर चौकी बनाना चाहती थी। परिवार जब कोर्ट से इस मामले में स्टे लेकर आ गया। तब गुस्साई पुलिस ने घर में घुसकर दस्तावेज जब्त कर लिए और महिलाओं से बदसलूकी की। इन सबसे स्पष्ट है कि यूपी के ही उन्नाव में पुलिस और दलित परिवार के बीच चल रहे जमीनी विवाद के वीडियो को गलत दावे के साथ हाथरस का बताकर शेयर किया जा रहा है।
ई बिहार है। जेकरा हियां के राजनीति ठीक से बुझा जाता है ना, उसको अन्हार (अंधेरा) घर में भी सब साफ-साफ लउके (दिखने) लगता है। समझे...! आज जो चिराग पासवान एतना फाएं-फाएं कर रहे हैं, उनको अंदाजा है कि रिजल्ट आने के बाद क्या स्थिति होगी? आदमी को ज़्यादा नहीं उड़ना चाहिए !...मटका का कुर्ता और पजामा पहने ये सज्जन एक सांस में इतना सब बोल गए।
जवाब नाई की दुकान में बैठकर अखबार पढ़ रहे चचा ने हौले से अपने अंदाज में दिया। बोले, ‘ई बात त बीजेपी को न कहना चाहिए। ऊ लोग त बोलबे नहीं कर रहा है। बोल भी रहा है तो ऐसे जिससे की सांपो मर जाए और लाठियो ना टूटे! सब कह त यही रहा है कि चिराग और बीजेपी में सेटिंग है।’
बतकही का ये दंगल पटना के फुलवारी शरीफ विधानसभा के फरीदपुर चौक पर छिड़ा है। दिन सात अक्टूबर और दोपहर का समय। अक्टूबर का महीना आ चुका है लेकिन गर्मी कम नहीं हुई है। हमेशा गुलजार रहने वाले इस चौक पर तो कई कोनों पर अलग-अलग गर्मी दिख रही है। मैंने भी एक कोना पकड़ लिया है...यह एक चाय की दुकान है।
नीतीश सरकार में उद्योग मंत्री रहे श्याम रजक यहीं से विधानसभा पहुंचते रहे हैं। अभी दो महीने पहले ही वो जदयू छोड़कर आरजेडी में शामिल हुए। कयास लगाए जा रहे थे कि इसी सीट को बचाने के लिए ही वो जदयू से आरजेडी में आए, लेकिन उनकी पारम्परिक सीट माले के खाते में चली गई है। हो सकता है कि सीट हाथ से निकलने से श्याम रजक दुखी हों, लेकिन यहां चल रही बहस में उनका ज़िक्र अभी तक नहीं आया है।
थोड़ी देर पहले तक लकड़ी की बेंच पर बैठकर अख़बार पढ़ रहे सज्जन, उसी अखबार से हवा करते हुए बोले, ‘सीधी सी बात है। बिहार में नीतीश कुमार से अच्छा सीएम फेस दूसरा नहीं है। पंद्रह साल नीतीश ने अच्छा काम किया है। इसी पर उन्हें वोट मिलेगा और वो फिर से सरकार बनाएंगे। इसमें मुझे तो कोई दुविधा नहीं दिख रही है। पानी से लेकर बिजली और सुरक्षा व्यवस्था सब तो इस आदमी ने ठीक कर दिया। केवल बदलाव के लिए तो बदलाव तो नहीं होना चाहिए न।’
सधे हुए अंदाज में आई इस टिप्पणी ने अब तक हो रही बातचीत का रुख़ पूरी तरह से मोड़ दिया। शुरू में जिन सज्जन ने चिराग पासवान को खरी-खोटी सुनाई थी, वो अब नीतीश की तरफ मुड़ गए। बोले, ‘ई थोड़ा नहीं, बहुत ज़्यादा हो गया। क्या ठीक कर दिए? अपराध होईए रहा है। लूट-मार और बैंक डकैती से अखबार हर रोज भरा रहता है। नल-जल योजना पूरी तरह से फेल है और सबसे ज्यादा तो शराबबंदी फेल हुआ है। घर-घर खुलेआम पहुँच रहा है। पिछले दस साल में किए क्या हैं वो?’
बहस में थोड़ी तल्ख़ी आ गयी है। नीतीश सरकार की तारीफ करने वाले सज्जन ने एक-एक कर ऐसे जवाब देना शुरू किया,जैसे प्रवक्ता हों, ‘अपराध कोइयो सरकार नहीं रोक पाएगी। अभी इस चौक पर हम सब बैठे हैं। हमरा दिमाग ख़राब हो जाए और हम तुमको गोली मार दें तो सरकार क्या करेगी? बचा लेगी तुमको? ई मर्डर रोक लेगी सरकार? नल-जल एक अच्छी योजना है, लेकिन वार्ड और मुखिया मिलकर लूट रहा है।
ई रोकना भी सरकार के बस से बाहर की बात है। हमको-आपको रोकना है लेकिन हमरे भाई मुखिया है, आपका भतीजा वार्ड में है तो कैसे रोकिएगा? बोलिए? नल-जल का पैसा लूटने वाला इंग्लैंड से नहीं न आ रहा है? रही बात शराबबंदी की तो, ऊ त जब तक आपके जैसे शौकीन लोग नहीं मानेंगे तब तक नहीं रुकेगा।’
एक बात नोटिस करने लायक है। शराब और शराबबंदी का ज़िक्र आते ही ज़्यादातर बिहारी मतदाता रोमांचित हो जाते हैं। वो हसेंगे। लजाएंगे लेकिन कभी भी इसका खुलकर समर्थन नहीं करेंगे। शायद यही वजह है कि पूरे बिहार में शराबबंदी के बारे में लोग ‘कहीं बंद नहीं है’ कहते हुए मिल जाएंगे।
चिराग पासवान की राजनीति से शुरू हुई बहस नीतीश तक आकर गर्म हो चुकी है। नीतीश सरकार का बचाव करने वाले सज्जन ख़ुद को इसका विजेता भी मान रहे हैं। हालांकि इस गर्मी ने थोड़ी शांति भी ला दी है। अब मेरे एंट्री लेने का समय आ गया है।
मैंने शांत पड़ती सभा में एक सवाल उछाला, ‘फुलवारी शरीफ से कौन जीतेगा? खुद को विजेता मान चुके और नीतीश सरकार का बचाव कर रहे थोड़ा उम्रदराज सज्जन तपाक से बोले, ‘जदयू का जीत पक्का है। माले-उले का वोट नहीं है हियां। श्याम रजक रहते तो बात दूसरी थी।’
इससे पहले कि वो मुझसे मेरा नाम पूछते, मैंने सीधा सवाल कर दिया, ‘आप जितने अच्छे से नीतीश कुमार की तारीफ कर रहे हैं, उतने अच्छे से तो जदयू के कई प्रवक्ता भी नहीं कर पाते। एक बात बताइए, अगर बीजेपी और नीतीश में से चुनना हो तो किसे चुनेंगे?’
अपना चश्मा ठीक करते हुए वो बोले, ‘बीजेपी को चुनेंगे। सन 1970 से पार्टी के कैडर भोटर हैं भाई।’ जैसी कि आशंका थी, इस जवाब के साथ ही उन्होंने मेरा नाम, पता पूछ लिया। पता चला पत्रकार हैं तो सब एक साथ हंस पड़े। चिराग पासवान से अपनी बात शुरू करने वाले साहब बोले, ‘अरे! तब त आप खड़े-खड़े सारा रस ले लिए। हम सोच ही रहे थे कि दुकान पर ई नया आदमी कौन है लेकिन आप चुप्पे-चाप बैइठल थे सो नहीं पूछे।’
अंबानी भाइयों के अलग होने के बाद अब देश में सबसे ज्यादा चर्चा शापूरजी पालोनजी ग्रुप (SP ग्रुप) और टाटा ग्रुप के बीच चले रहे विवाद की है। यह विवाद इतना बढ़ गया है कि करीब 9 दशकों से जुड़े दोनों ग्रुप अलग होने जा रहे हैं। इस बारे में दैनिक भास्कर ने बिजनेस एक्सपर्ट्स से बात कर यह जानने की कोशिश की कि दोनों के रिश्ते खत्म होने से खासतौर पर टाटा ग्रुप पर आर्थिक रूप से क्या असर होगा और उसके पास SP ग्रुप से टाटा संस के शेयर्स वापस लेने के कितने ऑप्शंस हैं। यह भी कि SP ग्रुप को इससे कितना फायदा होने वाला है?
मिस्त्री परिवार और टाटा फैमिली के बीच रिश्तों की शुरुआत 1930 में हुई थी। कहा जाता है कि तब जेआरडी टाटा को स्टील फैक्ट्री बनाने के लिए पैसों की जरूरत थी। उस वक्त पालोनजी शापूरजी मिस्त्री ने ही उनकी मदद की थी और उन्हें दो करोड़ रुपए दिए थे। इसके बदले में जेआरडी ने उन्हें टाटा संस के 12.5% शेयर्स दिए थे। यही हिस्सेदारी आज 18.37% तक पहुंच गई है। इसकी मार्केट वैल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब हो चुकी है।
रिश्ते बिगड़ने की वजह
SP ग्रुप की कमान संभालने वाले सायरस मिस्त्री को 2012 में 10 साल के लिए टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन उनके काम करने के तौर-तरीकों से नाखुश होकर सिर्फ 4 साल (2016) में ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया था।
ऐसा भी कहा जाता है कि सायरस मिस्त्री के कामकाज के तरीके से न सिर्फ टाटा की कंपनियों को आर्थिक नुकसान हो रहा था, बल्कि टाटा ग्रुप के उसूल भी पीछे छूट रहे थे। इन्हीं बातों के मद्देनजर उन्हें चेयरमैन पद से हटाने का फैसला लिया गया था।
अब मिस्त्री सभी कारोबारी रिश्ते खत्म करना चाहते हैं
सायरस मिस्त्री को 2016 में चेयरमैन पद से हटाने के बाद से ही दोनों बिजनेस समूहों के बीच मतभेद जारी हैं। SP ग्रुप 18.37% शेयर और 1.75 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन के साथ टाटा संस में सबसे बड़ा माइनॉरिटी स्टेकहोल्डर है। बिगड़ते रिश्तों के चलते सायरस मिस्त्री ने टाटा संस में से अपनी हिस्सेदारी बेचने और टाटा ग्रुप के साथ सभी कारोबारी रिश्ते खत्म करने का फैसला किया है।
टाटा ग्रुप के लिए मुश्किल
मिस्त्री परिवार ने टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी बेचने की बात कही है। हालांकि, उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि ये शेयर्स वे टाटा ग्रुप को ही देंगे। एक जानी मानी ब्रोकिंग फर्म के मुंबई स्थित सीनियर रिसर्च एनालिस्ट ने बताया कि सायरस मिस्त्री के मूड को देखते हुए कहा जा सकता है कि वे किसी बाहरी व्यक्ति को भी ये शेयर्स बेच सकते हैं। मिस्त्री का यही फैसला टाटा ग्रुप के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन सकता है। अभी मिस्त्री से शेयर्स खरीदने के लिए इतनी बड़ी रकम अपने समूह या बाहर से मैनेज करना टाटा के लिए थोड़ा मुश्किल होगा।
SP ग्रुप के मुकाबले टाटा ग्रुप 20 गुना बड़ा
सायरस मिस्त्री की कोर्ट में दी गई अर्जी के मुताबिक, टाटा संस में SP ग्रुप के शेयर्स की वैल्यू 1.75 लाख करोड़ रुपए के करीब है। यह रकम SP ग्रुप के कुल वैल्यूएशन के मुकाबले तीन गुना है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 तक SP ग्रुप का वैल्यूशन 8.1 अरब डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपए) था।
ग्रुप का मुख्य बिजनेस इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन का है। इसके अलावा एनर्जी, रियल एस्टेट, वॉटर मैनेजमेंट और फायनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में भी वह है। उसकी तुलना में टाटा ग्रुप 20 गुना बड़ा है। टाटा का वैल्यूएशन करीब 12.5 लाख करोड़ रुपए है।
टाटा के पास क्या विकल्प हैं?
1. TCS के कुछ शेयर बेच दें
इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवायजरी सर्विसेज (IIAS) की रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ग्रुप अगर SP ग्रुप के शेयर्स खरीदेगा तो उसे TCS की कुछ हिस्सेदारी बेचनी पड़ सकती है। SP ग्रुप के शेयर्स खरीदने के लिए TCS का करीब 16% हिस्सा टाटा संस को बेचना पड़ सकता है। ऐसा करने से TCS में उसकी होल्डिंग 72% से घटकर 56% पर आ जाएगी।
2. बाहरी निवेश
अंग्रेजी बिजनेस अखबार ‘मिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्त्री फैमिली से शेयर्स खरीदने के लिए टाटा संस सोवरिन वैल्थ फंड्स समेत कई निवेशकों से बात कर रही है। जानकारों के मुताबिक, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन यूरोप के कई इंवेस्टमेंट फंड्स के संपर्क में भी हैं। हालांकि, इसमें पूरा मामला वैल्यूएशन पर आकर अटकेगा।
3. SP ग्रुप से समझौता
मुंबई के एक स्टॉक ब्रोकर के मुताबिक, टाटा अपने शेयर बाहर जाने से रोकने के लिए एसपी ग्रुप से समझौता कर सकते हैं। टाटा और मिस्त्री परिवार के बीच शेयर्स के लेनदेन के लिए कोई पारसी व्यक्ति मध्यस्थता कर सकता है। मामला संभालने के लिए रतन टाटा इस कोशिश में भी लगे हुए हैं। बिजनेस वर्ल्ड में इस बात से सभी सहमत नहीं हो सकते, लेकिन इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता।
4. SP ग्रुप से थोड़े-थोड़े शेयर खरीदने का ऑप्शन
अगर दोनों ग्रुप के बीच समझौता हो जाता है तो टाटा ग्रुप को SP ग्रुप के 18.37% शेयर्स कई हिस्सों में खरीदने का ऑप्शन मिल सकता है। इससे टाटा ग्रुप पर फायनेंशियल भार भी कम हो जाएगा और समय मिलने के चलते उसके लिए पैसों की व्यवस्था करना भी आसान हो जाएगा।
टाटा ग्रुप की इनकम बढ़ी
टाटा ग्रुप का रेवेन्यू फाइनेंशियल ईयर 2020 में 11 लाख करोड़ रुपए था। बीते 10 साल में ग्रुप की इनकम में 68.65% का इजाफा हुआ है। टाटा समूह की 17 कंपनियां स्टॉक मार्केट में लिस्टेड हैं। कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 14.33 लाख करोड़ रुपए होता है। इसमें से 10.60 लाख करोड़ रुपए मार्केट कैप अकेले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का है। इस तरह देखें तो ग्रुप के लिए TCS एक फायनेंशियल ड्राइविंग फोर्स है।
आईपीएल के 13वें सीजन में आज डबल हेडर (एक दिन में 2 मैच) होगा। लीग का 24वां मैच किंग्स इलेवन पंजाब और कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के बीच दोपहर साढ़े 3 बजे से अबु धाबी में खेला जाएगा। वहीं, लीग का 25वां मुकाबला महेंद्र सिंह धोनी की चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) और विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) के बीच शाम साढ़े 7 बजे से दुबई में होगा।
सीजन में लगातार 4 मैच हारने के बाद पंजाब के सामने कोलकाता के खिलाफ हर हाल में जीत दर्ज करने की चुनौती होगी। वहीं, पिछले मैच में चेन्नई के खिलाफ जीत दर्ज करने के बाद कोलकाता की टीम आत्मविश्वास से भरी हुई है। पॉइंट्स टेबल में केकेआर चौथे और पंजाब 8वें नंबर पर है।
चेन्नई के लिए जीत जरूरी
इसके बाद धोनी और कोहली की टीम का आमना-सामना होगा। बेंगलुरु का प्रदर्शन अब तक ठीक रहा है, लेकिन चेन्नई के खिलाफ उसका रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। वहीं, चेन्नई ने सीजन में 6 में से 4 मैच हारे हैं। ऐसे में यहां से हर मैच उसके लिए अहम हो गया है। पॉइंट्स टेबल में आरसीबी 5वें और सीएसके छठवें नंबर पर है।
पंजाब-कोलकाता के सबसे महंगे खिलाड़ी
कोलकाता के सबसे महंगे खिलाड़ी पैट कमिंस हैं। उन्हें सीजन के 15.50 करोड़ रुपए मिलेंगे। इसके बाद सुनील नरेल का नबंर आता है, जिन्हें सीजन के 12.50 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, पंजाब में कप्तान लोकेश राहुल 11 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल 10.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।
चेन्नई-बेंगलुरु के सबसे महंगे खिलाड़ी
सीएसके में कप्तान धोनी सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन के 15 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में केदार जाधव का नाम है, जिन्हें इस सीजन में 7.80 करोड़ रुपए मिलेंगे। वहीं, आरसीबी में कप्तान कोहली सबसे महंगे खिलाड़ी हैं। टीम उन्हें एक सीजन के 17 करोड़ रुपए देगी। उनके बाद टीम में एबी डिविलियर्स का नाम है, जिन्हें इस सीजन में 11 करोड़ रुपए मिलेंगे।
पिच और मौसम रिपोर्ट
दुबई और अबु धाबी में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। दुबई में तापमान 24 से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। वहीं, अबु धाबी में तापमान 28 से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। दोनों जगह पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। दुबई में टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। वहीं, अबु धाबी में टॉस जीतने वाली टीम पहले गेंदबाजी करना पसंद करेगी।
दुबई में इस आईपीएल से पहले यहां हुए पिछले 61 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 55.74% रहा है। वहीं, अबु धाबी में पिछले 44 टी-20 में पहले गेंदबाजी करने वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 56.81% रहा है।
दुबई में रिकॉर्ड
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 61
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 34
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 26
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 144
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 122
अबु धाबी में रिकॉर्ड
इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 44
पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 19
पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 25
पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 137
दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 128
कोलकाता ने 2 बार खिताब जीता, पंजाब को अब भी इंतजार
आईपीएल इतिहास में कोलकाता ने अब तक दो बार फाइनल (2014, 2012) खेला और दोनों बार चैम्पियन रही है। वहीं, पंजाब ने अब तक एक बार भी खिताब नहीं जीता है। 2014 में उसने फाइनल में जगह जरूर बनाई थी, लेकिन उसे कोलकाता के हाथों 3 विकेट से हार का सामना करना पड़ा था।
चेन्नई ने 3 बार खिताब जीता, बेंगलुरु का खाता अभी नहीं खुला
महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई ने लगातार दो बार 2010 और 2011 में खिताब जीता था। पिछली बार यह टीम 2018 में चैम्पियन बनी थी। वहीं चेन्नई पांच बार( 2008, 2012, 2013, 2015 और 2019) आईपीएल की रनरअप भी रही। वहीं, आरसीबी ने 2009 में अनिल कुंबले और 2011 में डेनियल विटोरी की कप्तानी में फाइनल खेला था। 2016 में विराट की कप्तानी में भी टीम फाइनल में पहुंची।
आईपीएल में कोलकाता का सक्सेस रेट पंजाब से ज्यादा
आईपीएल में कोलकाता का सक्सेस रेट 52.73% है। केकेआर ने अब तक कुल 183 मैच खेले हैं। जिसमें उसने 95 मैच जीते और 88 हारे हैं। वहीं, पंजाब का सक्सेस रेट 45.32% है। पंजाब ने अब तक कुल 182 मैच खेले हैं। जिसमें उसे 83 मैचों में जीत मिली और 99 में हार का सामना करना पड़ा।
आईपीएल में चेन्नई का सक्सेस रेट सबसे ज्यादा
आईपीएल में चेन्नई का सक्सेस रेट सबसे जयादा 60.29% है। सीएसके ने अब तक कुल 171 मैच खेले हैं। 102 मैच जीते हैं और 68 मैच हारे हैं। एक मैच बेनतीजा रहा। वहीं, बेंगलुरु का सक्सेस रेट 47.52% है। आरसीबी ने अब तक कुल 186 मैच खेले हैं। 87 मैच जीते हैं और 95 हारे हैं। 4 मैच बेनतीजा रहा।