Saturday, September 26, 2020

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देश में कोरोना के आंकड़ों से अब कुछ उम्मीद बंध रही है। बीते नौ दिनों में आठ बार ऐसा हुआ है, जब नए संक्रमितों से ज्यादा मरीज ठीक हुए हैं। इस दौरान सिर्फ गुरुवार को नए संक्रमितों की संख्या ठीक होने वालों से ज्यादा रही थी। बीते पांच में से तीन दिन टेस्टिंग 11 लाख से ज्यादा हुई, लेकिन संक्रमितों का आंकड़ा 90 हजार से कम ही रहा है।

तारीख नए केस ठीक हुए टेस्टिंग
18 सितंबर 92973 95515 881911
19 सितंबर 92574 94389 1206806
20 सितंबर 87395 92926 731534
21 सितंबर 74493 102075 933185
22 सितंबर 83362 89657 953683
23 सितंबर 86703 87459 1156569
24 सितंबर 85921 81142 1492409
25 सितंबर 85717 93327 1341535
26 सितंबर 88759 92359 987861

शनिवार को 88 हजार 759 संक्रमितों की पहचान हुए, जबकि 92 हजार 359 ठीक हो गए। 1124 मरीजों की मौत हो गई। अब तक 59.90 लाख केस आ चुके हैं। 49.38 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, 94 हजार 534 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 9 लाख 56 हजार 511 मरीजों का इलाज चल रहा है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।

सीरम इंस्टीट्यूट का सरकार से सवाल
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कोरोना वैक्सीन को लेकर शनिवार को केंद्र से एक सवाल किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, ‘क्या केंद्र सरकार के पास कोविड-19 वैक्सीन की खरीददारी और डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए अगले एक साल में 80 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के लिए हैं? यह सवाल इसलिए, क्योंकि भारत में सभी के लिए वैक्सीन खरीदने और उसे बांटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को इतनी ही रकम की जरूरत होगी।’

कोरोना अपडेट्स

  • इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) का दुबई ऑफिस में एक साथ कई कर्मचारी पॉजिटिव पाए गए हैं। इन सभी को क्वारंटीन कर दिया गया है। इससे दुबई में आईसीसी एकेडमी में प्रैक्टिस करने वाली आईपीएल की टीमों पर असर पड़ सकता है।
  • पश्चिम बंगाल में 1 अक्टूबर से सिनेमा हॉल खोलने की इजाजत दे दी गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा, ‘जतरास, प्ले, ओएटी, सिनेमा, म्यूजिकल और डांस कार्यक्रम और मैजिक शो को 1 अक्टूबर से 50 या इससे कम लोगों के साथ खोलने की अनुमति होगी।’
  • स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि देश में अब 110 कंपनियां पीपीई किट बना रही हैं। हर दिन पांच लाख से ज्यादा पीपीई किट बनाई जा रही हैं।
  • ओडिशा के बारगढ़ जिले में कोरोना की फर्जी वैक्सीन बनाने वाले एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी प्रह्लाद बिसी (32) ने सिर्फ 12वीं तक पढ़ाई की है।
  • दुनिया में कोराना से जान गंवाने वालों की संख्या 9.90 लाख से ज्यादा हो गई है।
  • पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। उन्होंने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। वह अभी उत्तराखंड की यात्रा पर हैं।
  • देश में अब तक 7 करोड़ 12 लाख से ज्यादा लोगों की जांच हो चुकी है। इनमें 8.33% लोग संक्रमित मिले हैं। हर 10 लाख की आबादी में 50 हजार 803 लोगों की जांच हो रही है। इनमें 4200 लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं।

पांच राज्यों का हाल
1. मध्यप्रदेश

गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर पर कोरोना ने दस्तक दी है। शनिवार को उनके बेटे सुकर्ण की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। गृह मंत्री पिछले दिनों मास्क न पहनने के अपने बयान से चर्चा में आए थे। अगले दिन उन्होंने अपने बयान पर माफी मांगी थी। इसके बाद उसी दिन शाम को ग्वालियर और चंबल के दौरे पर वे फिर बिना मास्क के दिखे थे।

2. राजस्थान
शनिवार को कोरोना के 2045 नए पॉजिटिव केस सामने आए। जिसके बाद राज्य में कुल पॉजिटिव का आंकड़ा 1 लाख 26 हजार 775 हो गया है। वहीं, 14 लोगों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1426 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब तक 30.24 लाख से ज्यादा सैंपल जांचे जा चुके हैं। 1 लाख 59 हजार 94 लोग रिकवर भी हो चुके हैं।

3. बिहार
शनिवार को 1457 नए मरीज मिले। 1622 ठीक हो गए, जबकि पांच संक्रमितों की मौत हो गई। राज्य में अब तक 1 लाख 77 हजार 355 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 1 लाख 63 हजार 132 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 13 हजार 336 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 886 संक्रमितों की मौत हो चुकी है।

4. महाराष्ट्र
शनिवार को 20 हजार 419 नए मरीज मिले। 23 हजार 644 संक्रमित ठीक हो गए। 430 मरीजों की मौत हो गई। राज्य में अब तक संक्रमण के 13 लाख 21 हजार 176 केस आ चुके हैं। इनमें से 10 लाख 16 हजार 450 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 69 हजार 119 का अभी इलाज चल रहा है। अब तक 35 हजार 191 लोग यहां जान गंवा चुके हैं।

5. उत्तरप्रदेश
शनिवार को 4412 संक्रमितों की पहचान हुई। राहत की बात है कि प्रदेश में लगातार नए संक्रमितों के मुकाबले ठीक होने वालों की संख्या बढ़ रही है। शनिवार को यहां 6546 मरीज ठीक हुए। राज्य में रिकवरी रेट 83.64% हो गया है। एक्टिव मरीजों की संख्या घटकर 57 हजार 86 हो गई है। इसमें से 29 हजार 266 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। वहीं 2629 मरीज प्राइवेट व 145 मरीज सेमी पेड अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं।



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Coronavirus Outbreak India Cases LIVE Updates; Maharashtra Pune Madhya Pradesh Indore Rajasthan Uttar Pradesh Haryana Punjab Bihar Novel Corona (COVID 19) Death Toll India Today 22 September Mumbai Delhi Coronavirus News


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 11 बजे रेडियो पर 'मन की बात' कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित करेंगे। यह इस कार्यक्रम की 69वीं कड़ी होगी। प्रधानमंत्री इस बार कोरोना महामारी और किसान बिल पर अपनी बात रख सकते हैं। संसद में पारित हुए किसान बिलों को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसानों में खासी नाराजगी है।

पिछले महीने देश की टॉय इंडस्ट्री को बेहतर बनाने पर जोर दिया था
पिछले महीने मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘कोरोना काल में देश कई मोर्चों पर एकसाथ लड़ रहा है। यह भी ख्याल आता है कि घर में रहने वाले बच्चों का समय कैसे बीतता होगा? मैंने कहीं पढ़ा कि खिलौने के संबंध में रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि खिलौना वही अच्छा होता है जो अधूरा हो। बच्चे उसे खेल-खेल में तैयार करें। ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री सात लाख करोड़ रुपए की है, लेकिन भारत की इसमें हिस्सेदारी काफी कम है।

खिलौना वो हो जिसे बचपन खेले भी, खिलखिलाए भी। अब कंप्यूटर गेम्स का दौर है। इनमें ज्यादातर की थीम भारतीय होती है। आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है। असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है।’



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PM Narendra Modi Mann Ki Baat Live | PM Narendra Modi 69th Mann Ki Baat Today Speech Live News


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अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह (82) का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।

प्लेन हाईजैक होने के बाद आतंकियों को लेकर कंधार गए थे

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सिंह कपड़ा मंत्री भी रहे। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल थे। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे। 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। तब जसवंत ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही।

भाजपा से दो बार बाहर हुए

2012 में भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन, यूपीए के हामिद अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अपनी किताब में जसवंत ने मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 2010 में उनकी वापसी हुई 2014 में उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। उनकी बाड़मेर सीट से भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को उतारा। इसके बाद जसवंत ने फिर भाजपा छोड़ दी। निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसी साल उन्हें सिर में चोट लगी। इसके बाद से जसवंत कोमा में ही थे।



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Jaswant Singh, who was a minister in the Atal government, died at the age of 82, Modi said - he will be known for different kinds of politics


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अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह (82) का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।

प्लेन हाईजैक होने के बाद आतंकियों को लेकर कंधार गए थे

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सिंह कपड़ा मंत्री भी रहे। 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल थे। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे। 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। तब जसवंत ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही।

भाजपा से दो बार बाहर हुए

2012 में भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन, यूपीए के हामिद अंसारी के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अपनी किताब में जसवंत ने मुहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 2010 में उनकी वापसी हुई 2014 में उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। उनकी बाड़मेर सीट से भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को उतारा। इसके बाद जसवंत ने फिर भाजपा छोड़ दी। निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। इसी साल उन्हें सिर में चोट लगी। इसके बाद से जसवंत कोमा में ही थे।



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अनुष्का पर गावस्कर की टिप्पणी कंगना को नागवार गुजरी। मगर उन्होंने एक्ट्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जब मुझे हरामखोर कहा गया तब आप चुप थीं। उधर, भाजपा ने नई कार्यकारिणी बनाई लेकिन राम माधव को जगह नहीं दी। बहरहाल, चलिए शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ...

आज इन 5 इवेंट्स पर रहेगी नजर

1. भारतीय वायु सेना राजस्थान, हरियाणा और बिहार में रिक्रूटमेंट रैली निकालेगी। इस लिंक पर https://airmenselection.cdac.in/CASB/ रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।

2. IPL में आज किंग्स इलेवन पंजाब और राजस्थान रॉयल्स आमने-सामने होंगे। टॉस शाम 7 बजे होगा। मैच शाम साढ़े सात बजे शुरू होगा।

3. JEE एडवांस्ड 2020 परीक्षा आज देशभर के 1150 केंद्रों में होगी।

4. मन की बात कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री मोदी आज लोगों से सुझाव मांगेंगे।

5. इस साल का आखिरी ग्रैंड स्लैम फ्रेंच ओपन पेरिस में आज से शुरू होगा।

अब कल की 6 महत्वपूर्ण खबरें

1. दीपिका पादुकोण ने ड्रग्स चैट की बात कबूली

NCB ने दीपिका पादुकोण से साढ़े पांच घंटे पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक, दीपिका और उनकी मैनेजर करिश्मा प्रकाश ने ड्रग्स चैट की बात कबूल की है। इसी मामले में श्रद्धा कपूर से 6 घंटे और सारा अली खान से भी NCB ने पांच घंटे पूछताछ की। दोनों एक्ट्रेसेस ने ड्रग्स लेने की बात से इनकार किया है।

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2. अनिल अंबानी बोले- परिवार और पत्नी मेरा खर्च उठा रहे

रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने शुक्रवार को कहा कि वह (अंबानी) गहने बेचकर वकीलों की फीस चुका रहे हैं। उनका खर्च परिवार और पत्नी उठा रहे हैं। चीन के तीन सरकारी बैंकों से लोन लेने के मामले में अनिल अंबानी पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन की हाईकोर्ट में पेश हुए थे।

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3. अब मथुरा में शाही मस्जिद को हटाने की मांग

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर का मामला स्थानीय कोर्ट में पहुंचा है। इसमें 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए स्वामित्व मांगा गया है। और शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है। हालांकि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव का कहना है कि उनका इस केस से कोई लेना-देना नहीं है।

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4. एशिया के सबसे बड़े स्लम धारावी से ग्राउंड रिपोर्ट

मुंबई के धारावी में अब तक 3 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जून में यहां कोरोना पर कंट्रोल हो गया था। दस दिन से मरीज फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। 'धारावी मॉडल' की दुनियाभर में तारीफ हो रही थी, तो अचानक क्या हुआ कि यहां दोबारा कोरोना ब्लास्ट हो गया? पढ़िए इस ग्राउंड रिपोर्ट में।

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5. विराट का खेल खराब हुआ, ट्रोलर्स ने अनुष्का को निशाना बनाया

विराट कोहली की टीम आईपीएल में किंग्स इलेवन पंजाब से हार गई। लेकिन, इसका ठीकरा एक बार फिर उनकी पत्नी और एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा के सिर फूटा। वैसे यह पहली बार नहीं हुआ। जब-जब विराट का खेल मैदान में खराब हुआ, ट्रोलर्स ने सोशल मीडिया पर अनुष्का को ही निशाना बनाया है।

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6. कोविड में चुनाव कैसे करवाते हैं, दक्षिण कोरिया और ताइवान ने दिखाया

दक्षिण कोरिया में कोविड-19 मरीजों को घर बैठे वोटिंग और पीपीई सूट्स के विकल्प मिले। ताइवान में महामारी के बीच चुनाव हुए तो वहां वायरस के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वीडियो जारी किए गए। अब भारत-अमेरिका की बारी है; जानिए दोनों देशों से मिला सबक हम कैसे आजमाएंगे?

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अब 27 सितंबर का इतिहास

1290: चीन में चिली की खाड़ी में भूकंप से करीब एक लाख लोगों की मौत हुई।

1833: महान समाज सुधारक राजा राममोहन रॉय का निधन।

1932: मशहूर फिल्मकार यश चोपड़ा का जन्म हुआ।

1998: सर्च इंजन गूगल की स्थापना हुई।

अब जिक्र महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का, जिन्होंने 1905 में आज ही के दिन e=mc स्क्वेयर का सिद्धांत पेश किया था। पढ़ें, इक्वेशन के जरिए उन्हीं की कही एक बात...



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Kangana's new pang now with Anushka; Ambani paying the fees of lawyers by selling jewelry; Ram Madhav not included in BJP's new team


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आज दो अहम दिन है। पहला, वर्ल्ड टूरिज्म डे। दूसरा, डॉटर्स डे। दोनों का ही अपना महत्व है। वहीं, भारत के राजनीतिक और न्यायपालिका के इतिहास में भी दो महत्वपूर्ण घटनाक्रम आज ही के दिन हुए थे।

सबसे पहले बात, वर्ल्ड टूरिज्म डे की

  • कोरोनावायरस की मार जिस सेक्टर पर सबसे ज्यादा पड़ी है, वह टूरिज्म सेक्टर है। इस साल वर्ल्ड टूरिज्म डे न केवल संस्कृति और विरासत को सहेजने और प्रोत्साहित करने में ट्रेवल सेक्टर का महत्व भी रेखांकित कर रहा है। इस साल यह टूरिज्म इंडस्ट्री के भविष्य पर दोबारा सोचने के लिए भी प्रेरित कर रहा है। यूएन वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) के अनुसार कोविड-19 की वजह से टूरिज्म से जुड़े 100 से 120 मिलियन जॉब्स सीधे-सीधे प्रभावित हुए हैं। टूरिज्म में आया निगेटिव इम्पैक्ट ही है कि यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट ने ग्लोबल जीडीपी में 1.5 से 2.8% की गिरावट का अनुमान लगाया है।
  • 1970 में 27 सितंबर को ही यूएन में UNWTO के नियमों को मंजूरी दी थी। यह ग्लोबल टूरिज्म के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि थी। इसी दिन को यादगार बनाने के लिए 1980 से हर साल पूरी दुनिया में 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य टूरिज्म के प्रति जागरुकता बढ़ाना है ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्य प्रदान किए जा सके।

आज डॉटर्स डे भी...

  • कुछ समय पहले तक भारत में बेटे की चाहत बहुत ज्यादा होती थी। बालिका भ्रूण हत्या की शिकायतें भी तेजी से बढ़ रही थी। तब लड़कियों से भेदभाव के खिलाफ और लैंगिक समानता के मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने के लिए डॉटर्स डे मनाया जाने लगा। आम तौर पर लड़कियों को समर्पित यह दिन सितंबर के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस साल 27 सितंबर को भारत में डॉटर्स डे मनाया जाएगा। यूएस, यूके, कनाडा और जर्मनी समेत कुछ और देश हैं जो डॉटर्स डे मनाएंगे। कुछ देशों में 25 सितंबर को कुछ देशों में 1 अक्टूबर को भी डॉटर्स डे मनता है। इसकी शुरुआत कब हुई, कोई नहीं जानता। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया की वजह से इसका चलन तेजी से बढ़ा है।

दो साल पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पति परमेश्वर नहीं है!

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एडल्टरी (व्यभिचार) को अपराध बताने वाले कानून को रद्द कर दिया। उस समय के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों वाली बेंच ने आईपीसी के सेक्शन 497 को अवैध करार दिया। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि हमारे लोकतंत्र की खूबी ही मैं, तुम और हम की है। एडल्टरी चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपराध नहीं है। यह शादियों में परेशानी का नतीजा हो सकता है उसका कारण नहीं। इसे अपराध कहना गलत होगा। फैसले में यह भी कहा गया कि पति अपनी पत्नी का आका नहीं हो सकता।

इतिहास में आज के दिन को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है...

  • 1290ः चीन में चिली की खाड़ी में भूकंप से करीब एक लाख लोगों की मौत हुई।
  • 1760ः मीर कासिम ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से बंगाल के नवाब बने।
  • 1825ः इंग्लैंड में स्टॉकटन-डार्लिंगटन लाइन की शुरुआत के साथ दुनिया का पहला सार्वजनिक रेल परिवहन शुरू हुआ।
  • 1833ः महान समाज सुधारक राजा राममोहन रॉय का निधन।
  • 1871ः सरदार वल्लभ भाई पटेल के बड़े भाई एवं स्वतंत्रता सेनानी विट्ठलभाई पटेल का जन्म।
  • 1905ः महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने ई=एमसी स्क्वेयर का सिद्धांत पेश किया।
  • 1958ः मिहिर सेन ब्रिटिश चैनल को तैरकर पार करने वाले पहले भारतीय बने।
  • 1961ः सिएरा लियोन संयुक्त राष्ट्र का सौवां सदस्य बना।
  • 1996ः तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया।
  • 2001: केंद्र सरकार ने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को प्रतिबंधित किया। इसे लेकर लखनऊ में हिंसा भड़की और चार लोगों की मौत हुई।
  • 2014: अभिनेत्री से राजनेता बनीं तमिलनाडू की पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता को 18 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट ने दोषी माना और चार साल की जेल की सजा सुनाई।
  • 2015: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सेन होजे से कैलिफोर्निया की यात्रा खत्म कर लौटे। इस दौरान उन्होंने भारत को अगली सिलिकन वैली बनाने का वादा किया था।


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कोविड-19 की वजह से ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को जोरदार झटका लगा है। अलग-अलग सर्वे, स्टडी रिपोर्ट्स दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर इसके प्रतिकूल असर की बात कर रही हैं। इसके बाद भी इंडस्ट्री के कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि कोविड-19 एक स्पीडब्रेकर है।

यूएन वर्ल्ड टूरिज्म डे से दो दिन पहले जॉब्स वेबसाइट इंडीड ने कहा कि कई यूरोपीय देशों में टूरिज्म से जुड़े जॉब्स में 25% तक की गिरावट आई है। इंडीड की रिपोर्ट के मुताबिक टूरिज्म और हॉस्पिटेलिटी से जुड़ी जॉब पोस्टिंग्स और सर्च में करीब 40% तक की गिरावट आई है।

यूनाइटेड नेशंस ने कहा कि टूरिज्म सेक्टर के भविष्य पर दोबारा विचार करने का वक्त आ गया है। इसमें यह भी देखना होगा कि अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों के जरिए यह सेक्टर किस तरह टिकाऊ विकास लक्ष्यों को हासिल करने में अपना योगदान दे सकता है।

वहीं, पिछले साल यानी ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिवनेस रिपोर्ट 2019 में छह रैंकिंग की छलांग लगाकर 40वें से 34वें स्थान पर पहुंचे भारत में भी हालात बहुत अच्छे नहीं है। 2019 में इस सेक्टर ने भारत में कुल जॉब्स के 12.75% का प्रतिनिधित्व किया और 8.75 करोड़ नए जॉब्स उपलब्ध कराए। लेकिन, छह महीने के लॉकडाउन ने ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री की कमर तोड़ दी है। इससे इस सेक्टर के लिए खड़े रहना मुश्किल हो रहा है।

अतुल्य भारतः स्वागत के लिए हो रहा है तैयार

  • भारत में यह सेक्टर अब धीरे-धीरे खुलने लगा है। उत्तराखंड ने पहल करते हुए टूरिज्म के लिए जाने वालों के लिए कोविड-निगेटिव सर्टिफिकेट की आवश्यकता खत्म कर दी है। उन्हें राज्य में आने से पहले सिर्फ वेब पोर्टल https://ift.tt/2SrsGUE पर रजिस्टर करना होगा।
  • अनलॉक 4.0 के तहत सितंबर से लोगों को देश में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए ई-पास की आवश्यकता खत्म कर दी गई है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक कंटेनमेंट ज़ोन के बाहर अधिक से अधिक गतिविधियों को दोबारा शुरू किया जा सकता है। इंटर-स्टेट और इंटर-डिस्ट्रिक्ट मूवमेंट पर कोई प्रतिबंध नहीं रह गया है।

भारत में 1.25 लाख करोड़ रुपए का नुकसान

  • केअर रेटिंग्स की एक स्टडी के मुताबिक, कोविड-19 इंफेक्शन और भारतीय टूरिज्म इंडस्ट्री को 1.25 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। ट्रैवल से जुड़े प्रतिबंधों और लॉकडाउन की वजह से इसका इम्पैक्ट बढ़ गया।
  • फिक्की ने जून में ट्रैवल एंड टूरिज्म रिपोर्ट जारी की। यह कहती है कि भारत में इस सेक्टर को 16.7 बिलियन डॉलर को नुकसान हुआ है। करीब पांच करोड़ नौकरियां खतरे में हैं। भारत में एविएशन सेक्टर को 11.2 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और करीब 29 लाख नौकरियां खतरे में हैं।
  • भारतीय होटल उद्योग को भी महामारी का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और अनुमानित नुकसान 6.3 बिलियन डॉलर रहा। यह नुकसान बढ़कर 14 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसमें संगठित और असंगठित सेग्मेंट के होटल्स और एकमोडेशन शामिल हैं।
  • हालांकि, यह रिपोर्ट भविष्य के लिए बहुत ही उज्ज्वल तस्वीर पेश कर रही है। इसके मुताबिक, 2019 में डोमेस्टिक टूरिस्ट की सेग्मेंट में हिस्सेदारी 83% थी, जो 2028 तक बढ़कर करीब 89% तक पहुंच जाएगी। यानी विदेशी टूरिस्ट पर निर्भरता कम हो जाएगी।

दुनियाभर में 10 करोड़ नौकरियां खतरे में

अलग-अलग सर्वे रिपोर्ट्स में पूरी दुनिया में ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को 2.7 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। करीब 10 करोड़ नौकरियां खतरे में बताई हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक एविएशन सेक्टर को ही करीब 314 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ और करीब 2.5 करोड़ नौकरियां खतरे में आ गई हैं।

इन 10 टूरिस्ट डेस्टिनेशंस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ

  1. मालदीव्सः हिंद महासागर में भारत और श्रीलंका के दक्षिण-पश्चिम में स्थित मालदीव्स पूरी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करता है। मालदीव्स की जीडीपी में टूरिज्म इंडस्ट्री की हिस्सेदारी 38.92% है।
  2. ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्सः कैरेबियन सी के नौ द्वीपों का यह समूह पुअर्तो रिको से 64 किमी पूर्व में है। 19 मार्च से विदेशी पर्यटकों के आने पर पाबंदी है। यहां जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 32.96% है।
  3. मकाऊ: चीन के इस स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव रीजन ने चीन से नजदीकी की वजह से शुरुआत में ही कोरोना के मामले दर्ज हुए थे। यहां जीडीपी में 28.05% हिस्सेदारी टूरिज्म की है।
  4. अरुबा: यह कैरेबियन में डच आइलैंड है। यहां सिर्फ 101 कोरोना केस रिकॉर्ड हुए हैं। जून में कोई केस नहीं आया। यहां जीडीपी का 27.64% टूरिज्म से आता है।
  5. वनुआतु: यह आइलैंड प्रशांत महासागर के दक्षिण में है। 26 मार्च को सीमा ब्लॉक कर दी थी और फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगाए थे। आइलैंड की जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 18.16% है।
  6. कैप वर्डे: यह एटलांटिक ओशन का आइलैंड है। यहां जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 17.66% है। यहां 800 केस दर्ज हुए। 30 जून से यहां फ्लाइट्स की आवाजाही शुरू हो गई है।
  7. सेंट लुसियाः यह कैरेबियन सी का आइलैंड है। यहां 20 कोविड पॉजिटिव केस आए हैं। 4 जून से कुछ शर्तों के टूरिज्म खोला है। यहां टूरिज्म की जीडीपी में हिस्सेदारी 15.61% है।
  8. बेलिज: इस कैरेबियाई देश में जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 14.95% है। बेलिज में 22 कोविड पॉजिटिव केस रजिस्टर हुए। एयरपोर्ट्स और पोर्ट्स के साथ ही क्रूज ट्रिप्स फिलहाल बंद है।
  9. फिजी आइलैंड्सः दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित इस देश में 20 से कम केस आए हैं। देश की सीमा 25 मार्च से बंद थी। जीडीपी में टूरिज्म की हिस्सेदारी 14.09% है।
  10. माल्टाः यह यूरोपीय देश है। यह दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक है। यहां 600 केस दर्ज हुए हैं। आइलैंड के टूरिज्म की जीडीपी में 14.08% हिस्सेदारी है।


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World Tourism Day 2020: Impact Of Novel Coronavirus Disease (COVID-19) On Domestic Travel And Indian Tourism Industry


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क्या ये महज संयोग है कि अब जब तीन फेज में चुनाव की घोषणा हो चुकी है तो याद आना स्वाभाविक है कि बिहार के हालिया चुनावी अतीत में इससे पहले 2005 में भी तीन चरणों में चुनाव हुए थे। और क्या इसे भी महज एक संयोग माना जाए कि उस बार के चुनाव में सत्ता की गाड़ी पटरी से सिर्फ इसलिए उतर गई थी कि रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अच्छी खासी 29 सीट लेकर इतराने लगी थी। नतीजा ये हुआ कि लोजपा 29 सीट से बनी चाभी जेब में रखकर तोलमोल ही करती रह गई और इससे पहले कि उसकी चाल किसी खाने फिट बैठती, राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया।

अक्टूबर में दोबारा चुनाव हुए। पासवान की सीटें घटकर 10 पर आ गईं। बाद के तीन चुनाव में 4, 6 और 5 फेज में वोटिंग हुई यानी अक्टूबर 2005 के चुनाव 4 फेज में पूरे हुए तो दिसंबर 2010 में चुनाव आयोग ने 6 फेज में चुनाव प्रक्रिया पूरी कराई। पिछली बार 5 फेज में वोटिंग हुई थी और नतीजे 12 नवंबर को आए थे। इस बार 10 को आएंगे।

ये 2020 है। 15 साल बाद चीजें फिर कुछ वैसी ही दिशा में जाती दिख रही हैं। चुनाव तीन फेज में होने जा रहे हैं। हालांकि, हालात देख तो यही लगता है कि कोरोना के कारण न तो आयोग अभी इसके लिए पूरी तरह सहज था और न ही एनडीए छोड़ बाकी राजनीतिक दल।

पार्टियां तो खैर कभी भी अंतिम क्षण तक तैयार नहीं हुआ करतीं। बीते 4-5 चुनाव में तो कम से कम यही दिखाई दिया है। चुनाव तारीखों की घोषणा होने के बाद इस बार भी राजनीतिक जमीन पर जैसा बवाल मचा हुआ है, उसमें 2005 (फरवरी) दोहराने जैसी आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

‘बिहार 2020’ में सीधे-सीधे झांकें तो एनडीए और यूपीए दो ही गठबंधन सामने दिखाई देते हैं, लेकिन शायद इतना ही नहीं है। एनडीए में ऊपर से जो भी दिखे, अंदर सबकुछ उतना भी सामान्य नहीं है। अंतर सिर्फ इतना है कि उस बार ‘चुनाव बाद’ सौदेबाजी मची थी और तब पिता (रामविलास पासवान) केंद्र में थे, इस बार पुत्र (चिराग पासवान) केंद्र में हैं और चुनाव-पूर्व सौदेबाजी का घमासान जारी है।

इसके कई सिरे हैं। चिराग का लगातार नीतीश पर आक्रामक होना और भाजपा या उसके नेतृत्व पर कोई टिप्पणी न करने में कई संकेत पढ़े जा रहे हैं। कुछ मुखर तो कुछ अंदर-अंदर समझे जाने लायक।

गिरिराज सिंह ने एक दिन पूर्व चिराग में ‘क्षमता’ देख एक संकेत दिया, तो चुनाव घोषणा के साथ जदयू (केसी त्यागी) ने आक्रामक बयान देकर अलग संदेश दे दिया। नीतीश कुमार ‘मांझी को हम संभाल लेंगे, चिराग भाजपा देख ले’ जैसा बयान देकर अपनी मंशा पहले ही साफ कर चुके हैं।

ये संकेत और संदेश यही बता रहे हैं कि भाजपा और जदयू तो अपने-अपने पलड़े झाड़-पोंछकर संभाल चुके हैं, लोजपा को देखना है कि वह अपना कांटा कहां और कितना फिट कर पाती है। पर्यवेक्षक तो मान ही रहे हैं कि चिराग ने ‘कद से ज्यादा’ सौदेबाजी का आग्रह नहीं छोड़ा तो लोजपा का किनारे लगना तो तय ही है, उसे ‘इस जिद के साथ’ ठौर कहां मिलेगा, कहना आसान नहीं है।

143 सीट पर दावेदारी अलग बात है, मोर्चे से अलग होकर इतना बड़ा ‘मोर्चा’ खोल पाना दूर की कौड़ी लाना होगा। महागठबंधन की जमीन भी बहुत साफ नहीं है। इतनी समतल तो बिलकुल नहीं कि फसल आसान दिखाई दे। राजद और कांग्रेस के साथ ही इस मोर्चे में वाम दल (भाकपा, माकपा, भाकपा-माले) बड़ा फैक्टर हैं।

वाम मोर्चे में भी अकेले तीन सीट के साथ माले का पलड़ा भारी है, लेकिन बाकी दोनों शून्य वाले भी अपनी पुरानी जमीन तलाशने की जुगत में हैं। उपेन्द्र कुशवाहा और मुकेश सहनी को लेकर अभी बहुत कुछ साफ नहीं है। मौजूदा हालात में कांग्रेस को लेकर भी बहुत दावे से नहीं कहा जा सकता कि ‘राजद और कांग्रेस’ इतनी आसानी से सीटों की साझेदारी फार्मूले पर सहमत हो पाएंगे।

हालांकि, ‘दोनों गठबंधनों’ का सच एक ही है कि न इन्हें कोई और न उन्हें कोई ठौर। यानी मौजूदा हालात में न भाजपा का गुजारा जदयू के बिना है, और कांग्रेस का हाथ भी राजद के साथ बिना मजबूत होने से रहा।हालांकि, इस सारी कवायद के बीच एक ‘तीसरे मोर्चे’ की सम्भावना की तलाश को भी सिरे से नकारा नहीं जा सकता।

माना जा रहा है कि किसी गठबंधन में जगह न मिलने पर कई छोटे दल इस तौर पर अपनी खिचड़ी पका सकते हैं। वैसे एक ‘चौथा सिरा’ असदुद्दीन ओवैसी का भी रहेगा ही, जो कैसी खिचड़ी पकाएंगे, किसके गले की फांस बनेंगे और किसके लिए शहद, अभी तय करना जल्दबाजी होगा।

फिलहाल कोरोना काल के इन विपरीत हालात में चुनावों का होना इस बार अगर निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी चुनौती है तो राजनीतिक दलों के लिए भी यह बड़ी चुनौती पेश करने जा रहा है। यह भी सम्भव है कि 'कोरोना अनुशासन' के आईने में ‘2020’ शायद आगे आने वाले वर्षों की राजनीति के लिए ‘चुनाव सुधार’ की एक नई जमीन भी तैयार कर जाए, जिसका समय के साथ स्वागत करना होगा।

हालांकि, चुनाव सुधार की एक नई और उर्वर जमीन तो नब्बे के दशक में तत्कालीन निर्वाचन आयुक्त टीएन शेषन के दौर में भी तैयार हुई थी। उस अचानक उर्वर हुई जमीन को मठ्ठा डालकर फिर कैसे उसी ‘बंजर प्रदेश’ का हिस्सा बना दिया गया, हम सबने नजदीक से देखा-महसूस किया है।

इन चुनावों का एक और भी सिरा है...
चुनाव तारीखों का ऐलान हालांकि उसी गुणा-गणित के साथ हुआ दिखाई दिया है जिसकी सम्भावना थी। माना जा रहा था कि किसी भी हालत में चुनाव प्रक्रिया यानी मतगणना तक का दौर दस नवम्बर से पहले जरूर पूरा कर लिया जाएगा। इसका कारण भी साफ है। 14 को दीवाली है और 20 नवम्बर को छठ।

जाहिर है अगर सब कुछ ‘मनोनुकूल’ रहा तो मौजूदा परिदृश्य में जीत के प्रति आश्वस्त एनडीए ‘जीत’ के पहले ही ‘दीवाली मनाना’ चाहेगा। ये अलग बात है कि 2005 की तर्ज पर तीन चरण और ‘लोजपा की जिद’ किसी करवट न बैठी तो नतीजे गड्ड-मड्ड होने भी तय हैं।

और तब उन हालात में किसी नई जोड़तोड़ की सम्भावना या नए उलटफेर से इनकार भी तो नहीं किया जा सकता है। हालांकि, चुनाव पूर्व 'चैनली सर्वे' से अलग राय और नजर रखने वाला एक पक्ष यह कहने से संकोच नहीं कर रहा कि इस बार के चुनाव में वोटर का मन ‘अंदर से कुछ, बाहर से कुछ’ के अंदाज में कोई नया उलटफेर कर दे तो बहुत आश्चर्य नहीं होगा।



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Nitish Kumar: Bihar Assembly Election Conditions BJP LJP Update | Nitish Kumar To Tejashwi Yadav Chirag Paswan Parties Issues On Gathbandhan Seat Sharing


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बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है, लेकिन एनडीए में सीटों के बंटवारे का काम अभी तक नहीं हो पाया है। सीट बंटवारे को लेकर सहयोगी दलों के बीच नूरा-कुश्ती चल रही है। बिहार के कुमार और लोक जनशक्ति पार्टी के चिराग आर-पार के मूड में नजर आ रहे हैं। इस सबके बीच भाजपा इंतजार करो की नीति अपनाए हुए है।

एनडीए में झगड़ा जदयू और लोजपा के बीच ही है। लोजपा का कहना है कि नीतीश के साथ गठबंधन पर फैसला चिराग पासवान लेंगे। साथ ही लोजपा राज्य में 143 सीटों पर चुनाव लड़ने की रणनीति भी बना रही है। वहीं, जदयू के बड़े नेता चिराग पर हमलावर हैं। उनके बयानों से साफ है कि नीतीश कुमार इस बार चिराग को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं।

हालांकि, इस पूरे विवाद पर नीतीश के अजीज और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है कि यह झगड़ा क्षणिक है। जल्द ही सबकुछ सुलझा लिया जाएगा। बिहार में गठबंधन मजबूरी नहीं है, बल्कि जरूरत है। यहां अकेले कोई भी दल सरकार नहीं बना सकता।

सुशील मोदी कुछ भी कहें, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि बिहार में हर बार की तरह इस बार भी मजबूरी का नाम एनडीए है। वरिष्ठ पत्रकार और लंबे वक्त से बिहार की राजनीति को करीब से देख रहे अरविंद मोहन कहते हैं कि भाजपा की नीतीश मजबूरी हैं, क्योंकि उनके पास राज्य में कोई बड़ा लीडर नहीं है।

सुशील मोदी हैं, लेकिन वे केंद्रीय लीडरशिप को पसंद नहीं। रही बात नीतीश की, तो उन्हें दूसरों के साथ ही सवारी करनी है। भाजपा-जदयू के बीच अंधा और लंगड़े वाली दोस्ती है। दैनिक भास्कर के बिहार स्टेट एडिटर और करीब 7 साल से राज्य की राजनीति पर नजर रख रहे सतीश सिंह कहते हैं कि चिराग पासवान ने एनडीए के साथ थर्ड फ्रंट का भी रास्ता खोज रखा है।

यदि एनडीए में उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती दिखीं तो वे नए रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।

बिहार एनडीए में पिछले आम चुनाव से ही सबकुछ ठीक नहीं है

बिहार एनडीए में पिछले लोकसभा चुनाव से ही सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले राज्य की 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर भाजपा- जदयू-लोजपा में नोकझोंक होती रही, फिर मोदी 2.0 सरकार के कैबिनेट में नीतीश ने अपने एक भी सांसद को मंत्री बनने के लिए नहीं भेजा। इसके साथ ही नीतीश ने इशारों-इशारों में मोदी-शाह टीम को बता दिया कि आप केंद्र की राजनीति करें, हमें बिहार की करने दें।

कुशवाहा और चिराग के बीच हो रही ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री रहने की डील

सतीश सिंह बताते हैं कि थर्ड फ्रंट में चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी, उपेंद्र कुशवाह की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी और मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी शामिल हो सकती है।

उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के बीच ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बनने के फॉर्मूले पर भी बात हो रही है। पप्पू यादव कॉर्डिनेटर की भूमिका में हैं। लोजपा के साथ जो पार्टियां थर्ड फ्रंट में आ सकती हैं, वो कुछ समय पहले तक महागठबंधन का हिस्सा रही हैं।

हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा की नीतीश कुमार से भी बातचीत चल रही है। लेकिन इसमें उपेंद्र कुशवाहा की ज्यादा सीट पाने की महत्वाकांक्षा आड़े आ सकती है। ऐसा पिछले लोकसभा चुनाव में भी हुआ था, तब उन्होंने केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद एनडीए छोड़ दिया था। दरअसल, कुशवाहा केंद्र की राजनीति से ज्यादा बिहार की राजनीति में दखल रखना चाहते हैं।

एनडीए में दरार अंदरूनी है

जिस तरह जदयू केंद्र सरकार में शामिल नहीं है, उसी तरह लोजपा बिहार सरकार में साझीदार नहीं है। इससे बिहार एनडीए के तीनों दलों में अंदरूनी दूरी या दरार की झलक कभी-कभी साफ दिखाई देती है।

वहीं, केंद्र में बुलंद, लेकिन बिहार में मंद पड़ी भाजपा नीतीश कुमार की ‘पिछलग्गू’ वाली पीड़ा से मुक्ति तो चाहती है, पर खुलकर बोल नहीं पा रही। इस पर सतीश सिंह कहते हैं कि लोजपा दबाव की राजनीति तो हर बार करती है, लेकिन इस बार वह भाजपा के इशारे पर काम कर रही है।

लोजपा यह पहले ही साफ कर चुकी है कि यदि वह अकेली चुनाव में जाती है तो केंद्र में एनडीए से बाहर नहीं होगी। इसका मतलब साफ है कि राज्य में भाजपा-लोजपा का मुकाबला फ्रेंडली होगा। इसी तरह झारखंड में भी हुआ था।

उधर, शुक्रवार को भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि चिराग पासवान युवा हैं और सही राजनीतिक सोच के साथ काम करने वाले हैं। लोजपा 200% एनडीए में है और आगे भी रहेगी। इसमें कोई संदेह नहीं है।

वहीं, जदयू को भाजपा का रवैया नहीं भा रहा है। खासकर लोजपा को लेकर। जदयू नेताओं का कहना है कि चिराग पासवान बार-बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर रहे हैं और भाजपा उन्हें रोक-टोक भी नहीं रही है।

पिछले साल जून में नीतीश ने कैबिनेट विस्तार किया, पर भाजपा के एक भी मंत्री को नहीं शामिल किया

पिछले साल 2 जून को बिहार में नीतीश सरकार के कैबिनेट का विस्तार हुआ। लेकिन इसमें भाजपा का एक भी मंत्री शामिल नहीं हुआ। जदयू के 8 नए मंत्रियों ने शपथ ली थी। नीतीश ने भाजपा और लोजपा को एक भी मंत्री पद नहीं दिया।

नीतीश कुमार जुलाई 2017 में महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हुए थे, इसके बाद यह सरकार का दूसरा कैबिनेट विस्तार था। तब शपथ के ठीक बाद जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा था कि हम भविष्य में भी केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल नहीं होंगे।

अरविंद मोहन कहते हैं, लोकतंत्र में हर वोट की वैल्यू दो होती है। ध्रुवीकरण वोटर की ताकत ज्यादा होती है, उसका फायदा भाजपा को ही होता है। यह बात जदयू को पता है, इसलिए वह भाजपा के साथ ही बनी हुई है।

2019 लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को फाइनल करने के लिए नीतीश को दिल्ली जाना पड़ा था

2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर ताबड़तोड़ राजनीति हुई। तब बिहार में एनडीए के चार घटक दल थे। इनमें भाजपा, जदयू, लोजपा और रालोसपा शामिल थी। लेकिन इनके बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने के लिए पटना से लेकर दिल्ली तक भागदौड़ होती रही।

आखिरकार नीतीश को खुद दिल्ली जाना पड़ा, तब जाकर भाजपा-जदयू-लोजपा के बीच 17-17-6 फॉर्मूले के तहत सीटें बटी थीं। जदयू आखिर तक 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक रही थी। लेकिन इस सबके बीच रालोसपा एनडीए छोड़ गई।

सतीश सिंह कहते हैं कि इस बार भाजपा-जदयू और जीतनराम मांझी की ‘हम’ का एक साथ चुनाव लड़ना लगभग तय है। बस बात लोजपा की तरफ से फंस रही है। लोजपा यदि एनडीए से टूटती है तो जदयू के वोट में सेंध निश्चित है। दरअसल, बिहार की करीब-करीब हर सीट पर पासवान के कम से कम 8 से 10 हजार वोट हैं।

अरविंद मोहन कहते हैं कि लोजपा 143 सीटों पर लड़ने की बात कर रही है तो बहुत हद तक संभव है कि वो भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार न उतारे। लोजपा दबाव की राजनीति इसलिए करती है, क्योंकि उसे अपना भविष्य देखना है। उसके पास राज्य में 5 से 10% वोट हैं। इस बार दलित पॉलिटिक्स पर निर्भर करता है, किसकी सरकार बनेगी। जिस तरफ दलित जाएंगे, उसकी ही सरकार बनेगी।

2020 में चार दलों का गठबंधन बन रहा संकट

2020 में यदि चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और नीतीश एनडीए के साथ रहे तो सीट शेयरिंग का फॉर्मूला काफी जटिल होने जा रहा है। राज्य में 243 सीटें हैं। भाजपा के अभी राज्य में 53 विधायक हैं। 2015 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 157 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

लोजपा 42 सीटों पर लड़ी थी, इनमें से 2 पर जीत हासिल कर सकी। जदयू 101 सीटों पर लड़ी थी और 71 विधायक चुने गए थे। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने एनडीए से अलग होकर राजद-कांग्रेस के साथ महागठबंधन किया था।

सतीश सिंह कहते हैं कि भाजपा ने इस बार जदयू से साफ कह दिया कि वह राज्य में बराबर सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। इसलिए मामला सिर्फ सहयोगी दलों की सीटों को लेकर ही फंसा है। वहीं, जदयू भाजपा की रणनीति से डर रही है। उसे लग रहा है कि यदि राज्य में भाजपा ने ज्यादा सीटें हासिल कर लीं तो वो चुनाव के बाद सीएम पद भी मांग सकती है। वैसे भी राज्य में हमेशा से भाजपा का स्ट्राइक रेट जदयू से बेहतर रहा है।

फैक्ट क्या कहते हैं?

  • 2019 आम चुनाव में भाजपा का रिकॉर्ड जदयू से बेहतर था

2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने कोटे की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल की थी। जदयू को 17 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, लोजपा ने अपने कोटे की सभी 6 सीटें जीत ली थीं।

  • 2014 आम चुनाव में जदयू 40 में से सिर्फ 2 सीटें जीत सकी थी

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2014 में नीतीश कुमार एनडीए के साथ नहीं, बल्कि अकेले लड़े थे। एनडीए में भाजपा, रालोसपा, लोजपा और उस समय जीतनराम मांझी की पार्टी हम शामिल थी। भाजपा 29, लोजपा 7 और रालोसपा 4 पर लड़ी थी, जबकि जदयू ने अकेले चुनाव लड़ा था और 40 में से सिर्फ 2 पर उसे जीत मिली थी। भाजपा 29 में 22 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी।

  • 2009 में जदयू 25 और भाजपा 15 पर लड़ी थी

2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू और भाजपा के गठबंधन ने एक साथ चुनाव लड़ा था। नीतीश की पार्टी 25 सीटों पर चुनाव लड़ी, जिसमें 20 पर जीत मिली थी और भाजपा 15 पर लड़कर 12 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। 2004 में जदयू और भाजपा के बीच सीट फॉर्मूला 26-14 था।

  • भाजपा का सीट जीतने का औसत जदयू से बेहतर

2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू सहयोगी थे। इसमें भाजपा, जदयू से कम सीटों पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन उसके जीतने का औसत जदयू से बेहतर रहा था। भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी और 91 जीतने में सफल रही, जबकि जदयू 141 सीटों पर चुनाव लड़कर 115 जीतने पर सफल रही थी। इसी तरह 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू 25 सीटों पर चुनाव लड़ी और 20 जीती, जबकि भाजपा ने 15 में से 12 जीती थी।



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भारी छूट का ऐड देखा है आपने? छूट तो मिलती है लेकिन एक छोटा सा * भी लगा होता है, जो कहता है जो भी मिलेगा शर्तों के साथ मिलेगा। कोरोनाकाल में बिहार चुनाव भी ऐसे ही * के साथ हो रहा है। इसमें रैलियां तो होंगी, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के * के साथ। प्रचार तो होगा, लेकिन 5 लोग ले जाने के * के साथ। नामांकन में भी दो ही लोगों के साथ जाने का * लगा होगा। इन्हीं * को हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर ने कुछ ऐसा देखा...



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आईपीएल के 13वें सीजन का 9वां मैच राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच आज शारजाह में खेला जाएगा। पिछले 5 मुकाबलों में पंजाब ने राजस्‍थान को 4 बार शिकस्त दी है। वहीं 2014 में शारजाह में ही दोनों टीमों का आमना-सामना हुआ था, जिसमें पंजाब ने राजस्थान को 7 विकेट से हराया था।

लीग में यह पंजाब का तीसरा और राजस्थान का दूसरा मैच है। पंजाब ने 1 मैच जीता और 1 में उसे हार मिली। वहीं राजस्थान ने अपने पहले मुकाबले में चेन्नई सुपरकिंग्स को हराया था। पिछले मैच की तरह इस मैच में भी राजस्थान को संजू सैमसन और पंजाब को कप्तान लोकेश राहुल से काफी उम्मीदें होंगी।

लीग में सबसे बड़ा स्कोर बनाने वाले भारतीय हैं राहुल
बेंगलुरु के खिलाफ राहुल ने शानदार 132 रन की पारी खेली थी। यह लीग में किसी भी भारतीय बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर है। इससे पहले ऋषभ पंत ने 128 रन की नाबाद पारी खेली थी। इस मामले में क्रिस गेल 175 के स्कोर के साथ टॉप पर काबिज हैं। सबसे ज्यादा शतक के मामले में भी गेल (6) सबसे आगे हैं।

दोनों टीम के महंगे खिलाड़ी
राजस्थान में कप्तान स्मिथ 12.50 करोड़ और संजू सैमसन 8 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं। वहीं, पंजाब में कप्तान लोकेश राहुल 11 करोड़ और ग्लेन मैक्सवेल 10.75 करोड़ रुपए कीमत के साथ सबसे महंगे प्लेयर हैं।

पिच और मौसम रिपोर्ट
शारजाह में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 27 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। यहां हुए पिछले 13 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 69% रहा है।

  • इस मैदान पर हुए कुल टी-20: 13
  • पहले बल्लेबाजी करने वाली टीम जीती: 9
  • पहले गेंदबाजी करने वाली टीम जीती: 4
  • पहली पारी में टीम का औसत स्कोर: 149
  • दूसरी पारी में टीम का औसत स्कोर: 131

रॉयल्स टीम में स्मिथ, सैमसन और आर्चर की-प्लेयर्स
राजस्थान रॉयल्स में कप्तान स्मिथ के अलावा संजू सैमसन और डेविड मिलर अहम बल्लेबाज हैं। ऑलराउंडर्स में टॉम करन और श्रेयस गोपाल रह सकते हैं। इनके अलावा बॉलिंग डिपार्टमेंट में इंग्लैंड को वर्ल्ड कप जिताने वाले जोफ्रा आर्चर के अलावा जयदेव उनादकट और बड़े प्लेयर रहेंगे।

पंजाब में गेल, राहुल और मैक्सवेल पर अहम जिम्मेदारी
पंजाब टीम में कप्तान लोकेश राहुल के साथ सबसे अनुभवी दिग्गज वेस्टइंडीज के क्रिस गेल और ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर ग्लेन मैक्सवेल पर अहम जिम्मेदारी होगी। ओपनर बल्लेबाज मयंक अग्रवाल भी अच्छे फॉर्म में चल रहे हैं। बॉलिंग डिपार्टमेंट में टीम के लिए मोहम्मद शमी और शेल्डन कॉटरेल अहम भूमिका में रहेंगे। रवि बिश्नोई और मुरुगन अश्विन जैसे युवा गेंदबाज भी पंजाब को मजबूती प्रदान करेंगे।

हेड-टु-हेड
राजस्थान और पंजाब के बीच आईपीएल में कांटे की टक्कर रही है। दोनों के बीच अब तक 19 मुकाबले खेले गए। राजस्थान ने 10 और पंजाब ने 9 मैच जीते। पिछले सीजन की बात करें तो पंजाब ने दोनों मुकाबलों में पंजाब ने राजस्थान को हराया था।

आईपीएल में राजस्थान का सक्सेस रेट पंजाब से ज्यादा
आईपीएल का पहला खिताब (2008) जीतने वाली राजस्थान रॉयल्स ने लीग में अब तक 148 मैच खेले, जिसमें 76 जीते और 70 हारे हैं। 2 मुकाबले बेनतीजा रहे। वहीं, अपने पहले खिताब का इंतजार कर रही पंजाब ने अब तक 178 में से 83 मैच जीते और 95 हारे हैं। इस तरह लीग में रॉयल्स की जीत सक्सेस रेट 51.35% और पंजाब का 46.62% रहा।



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एक नामी न्यूज चैनल पर खबर चल रही है। सुशांत सिंह राजपूत की मौत की तफ्तीश में जुटे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने भेजा इन अभिनेत्रियों को समन। फिर एक-एक कर स्क्रीन पर उनका नाम आता है। पीछे स्क्रीन पर उनकी तस्वीर और उनकी फिल्मों के वीडियो क्लिप्स।

दीपिका पादुकोण, जब एंकर दीपिका के फोन में घुसकर उसकी निजी चैट सार्वजनिक कर रहा है, पीछे पीले रंग की बिकनी में उनका वीडियो दिखाया जा रहा है। पर्दे पर खट से दृश्य बदलता है और अब वो गाढ़े हरे रंग के गाउन में नशे में धुत्त डांस फ्लोर पर नाच रही हैं। कुछ 30 सेकेंड में दृश्य फिर बदलता है। अब वो एक कार में चार लड़कों के साथ हैं। फिर एक फोटो आती है, जिसमें उन्होंने नीले रंग की बिकनी पहन रखी है।

फिर दूसरी फोटो, जिसमें चेहरे से ज्यादा फोकस उनकी छातियों और क्लीवेज पर है। फिर तीसरी फोटो, हॉट पैंट में, फिर एक कामुक वीडियो। इसमें से एक भी फोटो, एक भी वीडियो उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का नहीं है। जींस-टॉप में एयरपोर्ट पर दिखती, बैडमिंटन खेलती, काम पर जाती, इंटरव्यू देती, अवॉर्ड लेती, भाषण देती दीपिका पादुकोण। हर वीडियो उनकी फिल्मों से लिया गया है, जिसमें वो कोई एक किरदार में हैं। वो खुद दीपिका पादुकोण नहीं हैं।

बैकग्राउंड में चल रही इन नंगी तस्वीरों के साथ एंकर गला फाड़-फाड़कर चिल्ला रहा है कि कैसे बॉलीवुड की औरतें नशे में डूबी हुई हैं। फिर एक-एक कर और भी नाम आते हैं और पीछे उनकी वैसी ही तस्वीरें और वीडियो। श्रद्धा कपूर, सारा अली खान, रकुल सिंह प्रीत। इन्हें चुनते हुए बस एक बात का पूरा एहतियात बरता गया है कि गलती से भी कोई तस्वीर पूरे कपड़ों में न हो।

मैं एक के बाद दूसरे वीडियो से गुजरती जा रही हूं। तभी वीडियो पॉज होता है और बीच में एक विज्ञापन आने लगता है। एक मर्द लिफ्ट में है। एक बुजुर्ग स्त्री भी साथ में है, आदमी अपने फ्लोर का बटन दबाता है। तभी लिफ्ट में एक गोरी, सुंदर, कमनीय देह वाली स्त्री घुसती है। उसकी पीठ खुली है। मर्द अचानक लिफ्ट के ढेर सारे बटन दबा देता है। विज्ञापन खत्म हो जाता है। स्क्रीन पर एक लाइन लिखकर आती है- मेन विल बी मेन।

विज्ञापन खत्म, खबर दोबारा शुरू हो चुकी है। एक बार फिर दीपिका उसी पीली बिकनी में पर्दे पर हैं। कैमरा चेहरे को छोड़ बाकी हर जगह फोकस है। एंकर का फोकस भी बिगड़ा नहीं है। वो हाथ हवा में झटकता है, आंखें चौड़ी करता है और चिल्लाता है- बॉलीवुड की नशेड़ी औरतें। बीच में एक जगह सुशांत सिंह राजपूत का भी नाम आता है और तुरंत स्क्रीन पर तस्वीर उभरती है- जींस-टीशर्ट में सौम्यता से मुस्कुराते सुशांत की, उसके तुरंत बाद गुलाबी बिकनी में रकुल सिंह प्रीत।

ये देखकर हमें क्या समझ आता है?
यही कि बॉलीवुड की औरतें नशे में डूबी हुई हैं। सिर्फ वही हैं, जो ड्रग्स लेती हैं, लड़के सब संस्कारी हैं, उनके फोन में कोई ऐसी चैट नहीं, जिसे सूंघता नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो उनके घर तक पहुंच जाए। जिसे पढ़कर संस्कारी देश के संस्कारी बेटों के चरित्र पर कोई आंच आए। जांच के दौरान जब गवाहों ने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत ड्रग्स लेते थे तो जनता और मीडिया ने हेडलाइन चलाई- सुशांत को ड्रग्स देती थीं रिया चक्रवर्ती। राजा बेटा लेता नहीं था, डायन गर्लफ्रेंड देती थी।

और ऐसा नहीं है कि ये कहने वाले सब अजनबी ट्रोलर्स हैं। मेरे घर के वॉट्सऐप ग्रुप में मामा, चाचा, काका, मौसा, फूफा मीम्स भेज रहे हैं। अतरंगी कपड़ों में रणवीर सिंह की तस्वीरें हैं, नीचे अंग्रेजी में लिखा है- 'व्हैन योर वाइफ शॉप फॉर यू आफ्टर टेकिंग ड्रग्स। एक और मीम है, रणवीर सिंह ने एक बिखरे बालों वाली नशे में धुत्त लड़की को कंधे पर उठा रखा है। नीचे लिखा है- 'बीवी को एनसीबी के दफ्तर ले जाते रणवीर सिंह।'

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने शनिवार को दीपिका पादुकोण से साढ़े पांच घंटे, श्रद्धा कपूर से 6 घंटे और सारा अली खान से पांच घंटे पूछताछ की।

मेरी बहन ने फेसबुक पर एक पोस्टर शेयर किया है और लिखा है- 'दीपिका पादुकोण को जेल की सलाखों के पीछे देखना चाहते हैं तो इसे शेयर करें।' एक महीने पहले उसी बहन ने पोस्ट लिखकर देश के माता-पिताओं से गुजारिश की थी कि अपने बेटों को लिव इन वाली चुड़ैलों से कैसे बचाएं।

तो ऐसा नहीं है कि ये सब किसी और दुनिया में हो रहा है। ये मेरे घर में हो रहा है। ये आपके भी घर में हो रहा है। ये हमारे टीवी स्क्रीन पर हो रहा है। सब संस्कारी लड़के दूध में हॉरलिक्स में डालकर पी रहे हैं और बर्बाद लड़कियां नशे में धुत्त हैं। और इन सबके बीच लड़कों की कमजोरियों, गलतियों और दरिंदगी तक को हंसी में उड़ा देने वाले चुटकुले भी चल रहे हैं। टैगलाइन है- 'बॉयज विल भी बॉयज मेन विल बी मेन।

बेचारे लड़के ही तो हैं, लड़कों से गलती हो जाती है। वैसे अगर आपको याद हो तो नेताजी ने तो भरे मंच से कहा था रेप करने वाले लड़कों के लिए, 'लड़के हैं, गलती हो जाती है। अब एक सच्ची कहानी सुनाती हूं। ये सोचना आपका काम है कि अलग-अलग नजर आती इन सारी कहानियों के तार आपस में कैसे जुड़े हैं।

फेसबुक पर महिलाओं के एक क्लोज्ड ग्रुप में एक बार लेबनान के एक अमीर घर की लड़की ने अपनी कहानी लिखी थी। शादी के बाद उसे पता चला कि उसके पति का किसी और स्त्री के साथ अफेयर है। इस सदमे और तकलीफ के बीच ही पहले बच्चे का जन्म घर पर ही हुआ। जबकि उसे दिक्कत थी, लेकिन हॉस्पिटल नहीं ले गए।

बच्चा तो पैदा हुआ लेकिन गर्भाशय लटककर बाहर आ गया। फिर उसे ठीक करने के लिए एक ऑपरेशन कराया गया, लेकिन उसके बाद से उसके पेट के निचले हिस्से में दर्द रहने लगा। इतना कि सेक्स करना तकरीबन असंभव हो गया। पति उस दूसरी औरत को घर ले आया।

वो रोई-चीखी तो उसके सास-ससुर और यहां तक कि उसके मां-बाप ने भी कहा कि गलती तुम्हारी है। कमी तुझमें है। तुम पति को खुश नहीं रख पाई, वो डिप्रेशन और ड्रग्स की शिकार हो गई।14 साल बाद जब वो ये कहानी सुना रही थी तो डिप्रेशन, ड्रग्स, पति और ससुराल से आजाद होने और अपने पैरों पर खड़े होने के बाद।

उसकी कहानी के जवाब में दुनिया के और तमाम मुल्कों और शहरों की औरतों ने अपनी कहानी सुनाई और बताया कि कैसे वो भी अकेले ही जिम्मेदार ठहराई गई हैं मर्द की हर गलती की। रेप हुआ तो उनकी गलती, छेड़खानी हुई तो उनकी गलती, पति का अफेयर हुआ तो उनकी गलती, उन्हें मार पड़ी तो उनकी गलती, वो घर से निकाली गईं तो उनकी गलती।

प्रेग्नेंट हो गईं तो उनकी गलती और नहीं हो पा रही तो भी उनकी ही गलती। सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की तो रिया चक्रवर्ती की गलती। बॉलीवुड में ड्रग्स चलता है तो वहां की सारी औरतों की गलती। सब गलती सिर्फ और सिर्फ औरतों की गलती। मर्द सारे पाक-साफ, पवित्र, महान, गंगाजल से नहाए, ईश्वर का अवतार।

दुनिया का इतिहास उठाकर देख लीजिए, अरबों पन्ने कम पड़ जाएं उस कहानी को कहने में कि जितनी बार मर्दों के सारे अपराधों का जिम्मेदार औरतों को ठहराया गया। सिर्फ इतना ही नहीं, कभी उनका गला काट दिया गया, कभी सरेआम फांसी पर टांगा गया।

इंग्लैंड की पहली महिला शासक क्वीन एलिजाबेथ प्रथम की मां एन्न बॉयल को भरे बाजार फांसी दी गई थी क्योंकि उन्होंने अपने पति से झूठ बोला था। अभी इतनी जगह और वक्त नहीं कि पूरी कहानी सुना सकूं। एक फिल्म है 'द अदर बॉयलन गर्ल।' ढूंढ़कर देख लीजिए ताकि कुछ देर दिल पर हाथ रखकर रो सकें, ये मेरे बचपन की घटना है।

इलाहाबाद के एक बड़े नामी लेखक की बेटी ने 16 साल की उम्र में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मेरे अवचेतन में आज भी उसके मरने से ज्यादा वो डरावनी कहानियां जिंदा हैं, जो मैंने घर की औरतों और मर्दों के मुंह से सुनी थी। लड़की का चरित्र खराब था, वो प्रेग्नेंट हो गई थी।

घर के जिस लड़के ने उसकी कहानी सबसे ज्यादा चटखारे लेकर सुनाई, उसी ने बाद में एक दिन मौका पाकर मेरे सीने पर भी हाथ मारने की कोशिश की। हालांकि, ऐसा होने से न मैं बदनाम हुई, न गाली खाई, न मरी क्योंकि मैंने ये बात किसी को बताई ही नहीं।

औरतें चुप रहें तो सब ठीक रहता है। पर्दे में रहें, गाय बनकर खूंटे से बंधी रहें, मुंह न खोलें तो न चैनल पर गालियां पड़ती हैं, न नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो चैट खंगालता है, न सलाखों के पीछे डालता है। न दुनिया डायन कहती है, जेएनयू जाकर बताएंगी कि वो सिर्फ सुंदर ही नहीं है, राजनीतिक समझ भी रखती हैं तो कीमत तो चुकानी पड़ेगी न।

और ये सारी कीमतें औरतें अकेले चुकाती हैं, राजा बेटे पर कोई आंच नहीं आती। इतिहास की किताबें पढ़ते हुए ऐसा लगता था हमें कि बर्बर मध्ययुग का अंत हो चुका। जैसे कहा था फोबी वॉलर ब्रिज ने अपने कॉमेडी शो में कि 'पहले हॉर्नी औरतें फांसी पर चढ़ाई जाती थीं, अब उन्हें एम्मी दिया जाता है। लेकिन, ये अब भी मेरे देश का सच नहीं।

बस चार कदम बढ़े थे हम थोड़ा बेहतर, थोड़ा न्यायपूर्ण, थोड़ा मानवीय होने की ओर कि 40 कदम पीछे ढकेल दिए गए हैं। अगर इस देश का पॉपुलर मेन स्ट्रीम मीडिया, न्यायिक संस्थाएं, जांच एजेंसियां एक-एक कर सिर्फ औरतों को निशाना बना रही हैं और कोई इस पर सवाल भी नहीं कर रहा तो ये बात डराने वाली है। और हम औरतों को इस बात से और ज्यादा डर लग रहा है कि औरतों के लिए इतनी तेजी से डरावने होते जा रहे इस देश से मर्दों को डर नहीं लग रहा।

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Sushant Singh Rajput's death Drugs Case: Rakul Preet, Deepika Padukone,Sara Ali Khan Narcotics Control Bureau (NCB)


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नरेंद्र कुमार शर्मा की जुहू बीच पर पान की दुकान है। वे छ: भाई हैं। हर भाई को दो महीने के लिए दुकान पर धंधा करने को मिलता है। इस दो महीने में अस्सी से नब्बे हजार रुपए तक की कमाई हो जाती है। परिवार में सब मिलाकर 40 लोग हैं। पिछले 34 सालों से यह सिलसिला ऐसा ही चला आ रहा था लेकिन लॉकडाउन ने इसे तोड़ दिया।

अब मुंबई तो अनलॉक हो गई लेकिन बीच अभी भी लॉक हैं। यहां धंधा करने की परमिशन किसी को नहीं मिली है। नरेंद्र एक सेठ के पास काम कर रहे हैं। कहते हैं, दुकान चलाने का टर्न अभी मेरे बड़े भाई का है। लेकिन वो चाहकर भी खोल नहीं सकते। अगले महीने मेरा टर्न आएगा, शायद तब तक परमिशन मिल जाए।

दो महीने पान की दुकान चलाते हो, फिर सालभर क्या करते हो? इस पर कहते हैं दूसरी जगह काम करते हैं। पान की दुकान पिताजी ने खोली थी और वो जुहू बीच पर है। यहां दूसरी दुकान खोलने की परमिशन नहीं है। इसलिए बारी-बारी से चलाते हैं, क्योंकि कमाई अच्छी हो जाती है।

नरेंद्र कुमार शर्मा पिछले 34 सालों से जुहू बीच पर पान की दुकान चला रहे हैं।

20 से 25 हजार लोग रोज आते थे
नरेंद्र ही नहीं उनके जैसे ढेरों लोग ऐसे हैं, जिनकी जिंदगी बीच के सहारे ही चल रही थी। इसमें फेरी लगाने वाले, ठेला लगाने वाले, फोटोग्राफी करने वाले, स्टॉल लगाने वालों से लेकर जादू दिखाने वाले तक शामिल हैं। साढ़े चार किमी लंबा जुहू मुंबई का सबसे बड़ा बीच है। इसके पांच से छ एंट्री पॉइंट हैं और लॉकडाउन के पहले यहां हर रोज 20 से 25 हजार लोगों का आना आम था।

वीकेंड में ये संख्या तीन गुना तक बढ़ जाती थी, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलता था लेकिन अब सब ठप्प पड़ा है। जुहू बीच हॉकर्स एसोसिएशन के मेंबर खेमराज अग्रवाल कहते हैं, सात महीने में यहां के व्यापारियों का तीन से चार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।

भेल, कोल्ड-ड्रिंक, आईस्क्रीम, वड़ा पाव, भाजी पाव जैसे आयटम यहां पर स्टॉल से बेचे जाते हैं। इनमें काम करने वाले वर्कर्स में अधिकतर यूपी, बिहार, उड़ीसा, केरल जैसे राज्यों के लोग थे जो लॉकडाउन लगते ही यहां से चले गए। कोरोना के डर से वो अभी आ भी नहीं रहे और उन्हें बुला भी लें तो धंधा कुछ नहीं है।

मुंबई तो अब अनलॉक हो चुकी है लेकिन बीच पर जो दुकानें हैं, वो बंद हैं। यहां काम करने वाले बेरोजगार हैं।

मुंबई में अभी टिकना मुश्किल है...
अभी सुबह 5 से 9 और शाम को 5 से 7 बजे तक बीच पर लोगों को आने की परमिशन दी गई है, लेकिन दुकानें नहीं खोली जा सकतीं। शुक्रवार को जब हम बीच पर पहुंचे तो कैमरा हाथ में लिए विनोद पंडित मिले। वे कई सालों से जुहू बीच पर ही फोटोग्राफी कर रहे हैं। इसी से उनका गुजर बसर चलता है।

लॉकडाउन लगा तो गांव चले गए थे। दस दिन पहले वापस आए लेकिन अब फिर अपने गांव जाने का सोच रहे हैं, क्योंकि कोई फोटो खिंचवाने वाला नहीं है। पहले जब लोग आते थे तो महीने का पंद्रह से बीस हजार रुपए आसानी से कमा लेते थे। कहते हैं, बिना काम के मुंबई में ज्यादा टिकना बहुत मुश्किल है।

विनोद पंडित बीच पर लोगों की फोटो लिया करते हैं, इससे पहले अच्छी कमाई हो जाती थी लेकिन अब गुजर बसर नहीं कर पा रहे।

एक कमरे में दस-पंद्रह लोगों के रहने की मजबूरी...
यही कहानी बीच पर कुल्फी बेचने वाले सुभाष सिंह की भी है। जिस कंपनी की कुल्फी बेचते हैं, उसने सुभाष को ठहरने की व्यवस्था फ्री में दी है लेकिन एक कमरे में दस से बारह लोग रहते हैं। अब ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे फॉलो करें? सुभाष के परिवार में पांच भाई हैं, सब गांव में रहते हैं।

आप महीने का कितना कमा लेते हो? इस पर बोले, बारह से पंद्रह हजार की बचत हो जाती है। सब कुल्फी बेचने वाले एक ही कमरे में रहते हैं। सबके परिवार गांव में हैं। अपना बनाते-खाते हैं और यहीं पड़े रहते हैं। चार-चार माह में पैसा जोड़कर घर भेज देते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई-लिखाई हो सके।

लेकिन अभी तो हालत ऐसी है कि जो कुल्फी ला रहे हैं, वो ही गल जा रही है, क्योंकि खरीदने वाला कोई नहीं है। कुछ लोग आ रहे हैं, लेकिन कोरोना के डर से कुल्फी नहीं खरीद रहे।

सुभाष जिस कमरे में रहते हैं, वो आठ-दस लोग और रहते हैं। कहते हैं हर कोई पेट पालने के लिए मुंबई में है।

वो महिला सीधे दौड़ते हुए पानी में घुस गई थी
पिछले दिनों गणेश उत्सव के दौरान एक महिला दौड़ते हुए आई और सीधे पानी की तरफ बढ़ने लगी। वो काफी अंदर चली गई थी, तब मुझे कुछ गड़बड़ लगी तो मैं उसके पीछे दौड़ा और उसे पकड़कर पानी से बाहर निकाला। दरअसल वो सुसाइड करने आई थी। इस महिला की जान बचाने वाले थे लाइफगार्ड सागर ठाकुर।

सागर बेवाच लाइफगार्ड एसोसिएशन के साथ बीच पर लोगों की जान बचाने का काम करते हैं। इसके अलावा वो बीच पर ही एक रेस्टोरेंट में नौकरी भी करते थे। कोरोना के चलते उनकी नौकरी चली गई। कहते हैं, तब से दिनभर बीच पर ही रहता हूं। हमारे साथ 125 लोगों की टीम है, जो फ्री में यह काम कर रही है।

महिला सुसाइड क्यों कर रही थी? इस पर सागर ने बताया कि हम उसे पुलिस के पास ले गए थे। उसने पुलिस को बताया कि कामधंधा कुछ नहीं है। जिंदगी से परेशान हो गई हूं। इसलिए मरना चाहती हूं। कुछ समय पहले एक बीस साल का लड़का भी ऐसे भी सुसाइड के लिए जुहू बीच पर आया था, उसे भी बड़ी मुश्किल से बचाया।

सागर बेवाच लाइफगार्ड एसोसिएशन से जुड़े हैं। ये लोग बिना कोई शुल्क लिए बीच पर लोगों की जान बचाने का काम करते हैं।

मुंबई में जुहू के अलावा वर्सोवा, गिरगांव चौपाटी, मड आइलैंड, अक्सा, मार्वे, कळंब ऐसे बीच हैं, जहां काफी संख्या में टूरिस्ट पहुंचते थे। अब सभी बीच पर सुबह और शाम के समय ही आने-जाने की परमिशन दी गई है लेकिन यहां दुकानें खोलने की मनाही है।

यदि कुछ दिन और यूं ही सब बंद रहता है तो बीच के सहारे अपनी जिंदगी काट रहे लोगों पर बड़ी आफत आ जाएगी। जुहू हॉकर्स सोसायटी के मेंबर गणेश तंवर कहते हैं, सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए। अभी जिन लोगों से काम करवा रहे हैं, उन्हें आधा पगार दे रहे हैं। अधिकतर वर्कर बिहार के थे। अभी लौटे नहीं हैं। कोरोना बढ़ रहा है इसलिए दुकानें खुलने की अभी कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही।



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