Saturday, September 12, 2020

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अमेरिकी अखबार न्यूज वीक ने (11 सितंबर) अपने आर्टिकल में गलवान को लेकर चौंकाने वाली बातें लिखीं हैं। इस आर्टिकल के मुताबिक, 15 जून को गलवान में हुई झड़प में चीन के 60 से ज्यादा सैनिक मारे गए। दुर्भाग्य से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही भारतीय क्षेत्र में आक्रामक मूव के आर्किटेक्ट थे, लेकिन उनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इसमें फ्लॉप हो गई। पीएलए से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा रही थी।

आर्टिकल में कहा गया है कि भारतीय सीमा पर चीन की सेना की विफलता के परिणाम सामने आएंगे। चीनी आर्मी ने शुरुआत में शी जिनपिंग से इस विफलता के बाद फौज में विरोधियों को बाहर करने और वफादारों की भर्ती करने की बात कही है। जाहिर है, बड़े अफसरों पर गाज गिरेगी। सबसे बड़ी बात यह कि विफलता के चलते चीन के आक्रामक शासक जिनपिंग जो कि पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष भी हैं और इस नाते पीएलए के लीडर भी, वो भारत के जवानों के खिलाफ एक और आक्रामक कदम उठाने के लिए उत्तेजित होंगे।

जिनपिंग के जनरल सेक्रेटरी बनने के बाद पीएलए की घुसपैठ बढ़ी
दरअसल, मई की शुरुआत में ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के दक्षिण में चीन की फौजें आगे बढ़ीं। यहां लद्दाख में तीन अलग-अलग इलाकों में भारत-चीन के बीच टेम्परेरी बॉर्डर है। सीमा तय नहीं है और पीएलए भारत की सीमा में घुसती रहती है। खासतौर से 2012 में शी जिनपिंग के पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनने के बाद।

जून में चीन के सैनिकों ने भारत को चौंकाया

मई में हुई घुसपैठ ने भारत को चौंका दिया था। फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के क्लिओ पास्कल ने बताया कि मई के महीने में रूस ने भारत को यह बताया था कि तिब्बत के स्वायत्तशासी क्षेत्र में चीन का लगातार युद्धाभ्यास किसी इलाके में छिपकर आगे बढ़ने की तैयारियां नहीं हैं। लेकिन, 15 जून को चीन ने गलवान में भारत को चौंका दिया। यह सोचा-समझा कदम था और चीन के सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए।

गलवान में बहादुरी से लड़े भारतीय जवान

गलवान में भारत-चीन के बीच हुई झड़प दोनों देशों में 40 साल बाद पहली खतरनाक भिड़ंत थी। विवादित इलाकों में घुसना चीन की आदत है। दूसरी ओर, 1962 की हार से लकवाग्रस्त हो चुकी भारतीय लीडरशिप और जवान सुरक्षात्मक रहते हैं। लेकिन, गलवान में ऐसा नहीं हुआ। यहां चीन के कम से कम 43 सैनिकों की जान गई। पास्कल ने बताया कि यह आंकड़ा 60 के पार हो सकता है। भारतीय जवान बहादुरी से लड़े और चीन खुद को हुए नुकसान को नहीं बताएगा।

भारतीय जवान अब बोल्ड एंड बेटर
अगस्त के आखिर में 50 साल में पहली बार भारत ने आक्रामक रवैया अपनाया। हाल ही में जिन ऊंचाई वाले इलाकों को चीन ने हथिया लिया था, भारत ने उन पर फिर से अपना कब्जा कर लिया। चीन की सेना तब चौंक गई, जब उनकी ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जे की कोशिशों को भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। चौंके हुए चीनी सैनिकों को वापस लौटना पड़ा।

ज्यादातर दक्षिणी इलाके अब भारत के पास हैं, जो कभी चीन के पास थे। अब चीन की सेना ऐसे इलाकों की तरफ बढ़ सकती है, जहां कोई उनकी रखवाली के लिए नहीं है। लेकिन, युद्ध में ये इलाके कितने काम के होंगे, ये अभी साफ नहीं है। भारत घुसपैठियों को मौका नहीं दे रहा है। पास्कल ने बताते हैं कि आप भारतीय जवानों को ज्यादा आक्रामक या रक्षात्मक तौर पर आक्रामक कह सकते हैं। पर, वास्तव में वो बोल्ड एंड बेटर हैं।



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कुछ दिन पहले ही 15 जून को गलवान हुई झड़प का एक वीडियो सामने आया था। यह फोटो उसी वीडियो से ली गई है, जिसमें चीन और भारत के सैनिक झड़प करते दिखाई दिए।


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स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए गाइडलाइन (प्रोटोकॉल) जारी की हैं। इसमें कहा गया है कि रोज योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन करें। सुबह या शाम वॉक भी जरूर करें, उतनी ही स्पीड में चलें, जितनी आपको जरूरी लगे।

देश में 24 घंटे में कोरोना के 94 हजार 406 मरीज मिले हैं। इसके साथ ही अब तक 47 लाख 54 हजार 668 लोग संक्रमित हो चुके हैं। देश में अब तक 37 लाख 2 हजार 299 लोग ठीक हो चुके हैं। एक दिन में शनिवार को 1111 मौतें हो चुकी हैं। मरने वालों की कुल संख्या अब 78 हजार 637 हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।


1. मध्यप्रदेश
प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। यहां बीते 43 दिन में 852 मौतें हुई हैं। शनिवार को प्रदेश में 37 मौतें हुईं, जो 6 महीने में एक दिन में सबसे ज्यादा हैं। शनिवार को भोपाल में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के ओेएसडी की भी कोरोना से मौत हो गई। वहीं, 52 जिलों में से सिर्फ डिंडौरी ही इकलौता है, जहां कोरोना से कोई मौत नहीं हुई। इंदौर में व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक में कहा गया कि दुकान खोलने या कारोबार करने से कोरोना नहीं फैलता। इसकी जगह धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक लगे। लोग यहां शामिल होते हैं और शहरभर में घूमते हैं।

2. राजस्थान
राज्य में शनिवार को 1669 मामले सामने आए। इनमें जोधपुर में 280, जयपुर में 335, कोटा में 152, अलवर में 109, अजमेर में 101, बीकानेर में 56, नागौर में 47, प्रतापगढ़ में 27, पाली में 44, बाड़मेर में 24, झालावाड़ में 24, गंगानगर में 32, भरतपुर में 22, हनुमानगढ़ में 17, बारां में 23, सिरोही में 25, उदयपुर में 80, चित्तौड़गढ़ में 21, झुंझुनू में 20, राजसमंद में 22 संक्रमित मिले। कोरोना की वजह से 24 घंटे में 14 मौतें हुईं। राज्य में मरने वालों की संख्या 1221 हो गई है।

3. बिहार
राज्य में शनिवार को 1,421 नए मरीज बढ़े। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 56 हजार 866 हो गया है। राज्य सरकार के मुताबिक अभी 16 हजार 610 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में मरीजों का आंकड़ा 10 लाख के पार हो गया है। 24 घंटे के अंदर यहां 22 हजार 84 नए मरीज बढ़े। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या अब 10 लाख 37 हजार 765 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 7 लाख 28 हजार 512 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 79 हजार 768 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 29 हजार 115 लोगों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में शनिवार को कोरोना मरीजों का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया। पिछले 24 घंटे के अंदर संक्रमण के 6,786 नए मामले सामने आए। अब तक 3 लाख 5 हजार 831 लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 2 लाख 33 हजार 527 लोग ठीक भी हो चुके हैं, जबकि 4,349 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में रिकवरी रेट 76.35% हो गया है, जबकि मौत की दर 1.42% है। अब तक 73 लाख 58 हजार 471 लोगों की जांच हो चुकी है।



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Health Ministry told the post-recovery protocol - daily yoga, pranayama, meditation and walk once a day; 47.54 lakh cases in the country so far


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कोरोनावायरस की वैक्सीन कब आएगी? कब तक आएगी? सबसे पहले कहां आएगी? कैसे मिलेगी? कीमत क्या होगी? और दुनिया में हर एक इंसान तक ये कैसे पहुंचेगी? ये जो सवाल हैं, आज दुनिया के हर इंसान के जेहन में चल रहे हैं। एक साथ चल रहे हैं। बार-बार चल रहे हैं। आइए इनका सच जानते हैं।
दुनियाभर की 20 से ज्यादा फार्मास्युटिकल कंपनियां और सरकारें दिन-रात कोरोनावायरस वैक्सीन बनाने के काम में लगी हैं। वे वैक्सीन को लेकर रूलबुक लिख रही हैं। रोज इसे अपडेट भी कर रही हैं। यानी कितनी प्रगति हुई। लेकिन अभी तक महज 10% वैक्सीन ट्रायल सफल हुए हैं।
वहीं, एक अनुमान के मुताबिक यदि वैक्सीन बन जाती है तो दुनियाभर में इसकी सप्लाई के लिए करीब 8000 जंबो जेट्स की जरूरत होगी।

वैक्सीन आई तो क्या कामयाब होगी?

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस(एम्स) में रुमेटोलॉजी डिपॉर्टमेंट में एचओडी डॉक्टर उमा कुमार कहती हैं कि कोई भी वैक्सीन आने के बाद इफेक्टिव होगी या नहीं, ये अभी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि सभी कंपनियां अभी जल्दबाजी में वैक्सीन बनाने में जुटी हैं। दूसरी सबसे अहम बात होगी कि वैक्सीनेशन के बाद जो इम्युनिटी डेवलप हो रही है, वो प्रोटेक्टिव है कि नहीं। यह बात धीरे-धीरे पता चलेगी।

क्या साइड इफेक्ट्स भी संभव हैं?

संभव है। लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो रहे हैं कि नहीं हो रहे, इसे देखने के लिए कुछ समय का इंतजार करना पड़ता है। एक स्टडी के मुताबिक कोरोना से बनने वाली एंटीबॉडीज करीब पांच महीने तक ही प्रभावी हैं। ऐसे में कुछ कहा नहीं जा सकता कि वैक्सीन कितनी प्रभावी होंगी, क्योंकि दुनिया में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी हुई है। इसलिए हमें इसके रिजल्ट को देखने के लिए लंबा इंतजार करना होगा।

वैक्सीन का काम क्या?

डॉक्टर उमा कुमार के मुताबिक वैक्सीन के बहुत सारे टाइप होते हैं। यह लोकल इम्युनिटी डेवलप करती है। ये शरीर में दोबारा किसी इंफेक्शन को बढ़ने नहीं देती है। अगर कोरोना की वैक्सीन ने 80% भी संक्रमण को कंट्रोल कर दिया तो समझ लीजिए कामयाब है, क्योंकि 20% लोग तो हर्ड इम्युनिटी से बच जाएंगे।

कैसे बनती है वैक्सीन?

इंसान के खून में व्हाइट ब्लड सेल होते हैं जो उसके रोग प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा होते हैं। बिना शरीर को नुकसान पहुंचाए वैक्सीन के जरिए शरीर में बेहद कम मात्रा में वायरस या बैक्टीरिया डाल दिए जाते हैं। जब शरीर का रक्षा तंत्र इस वायरस या बैक्टीरिया को पहचान लेता है तो शरीर इससे लड़ना सीख जाता है।
दशकों से वायरस से निपटने के लिए दुनियाभर में जो टीके बने उनमें असली वायरस का ही इस्तेमाल होता आया है।

कितने लोगों को वैक्सीन देनी होगी?

कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए यह माना जा रहा है कि 60 से 70 फीसदी लोगों को वैक्सीन देने की जरूरत होगी।

वैक्सीन बनाने में कितने साल लग जाते हैं?

  • कोई भी वैक्सीन किसी संक्रामक बीमारी को खत्म करने के लिए बनाई जाती है। अमूमन एक वैक्सीन को बनाने में करीब 5 से 10 साल लग जाते हैं। इसके बावजूद इसकी सफलता की कोई गारंटी नहीं होती है।
  • वैक्सीन से आज तक सिर्फ एक मानव संक्रमण रोग पूरी तरह खत्म हुआ है और वो है स्मालपॉक्स। लेकिन इसमें करीब 200 साल लगे।
  • इसके अलावा पोलियो, टिटनस, खसरा, कंठमाला का रोग, टीबी के लिए भी वैक्सीन बनाई गई। ये काफी हद तक सफल भी रही हैं, लेकिन आज भी हम इन बीमारियों के साथ जी रहे हैं।
  • डॉक्टर उमा कहती हैं कि यदि एक-डेढ़ साल के अंदर वैक्सीन लॉन्च होती है तो इतने कम समय में फास्ट ट्रैक करके उसकी खामियों को नहीं पकड़ सकते हैं। इसका इम्पैक्ट बाद में दिखेगा। कई बार वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स से न्यूरोलॉजिकल, पैरालिसिस जैसी समस्याएं भी आती हैं।

वैक्सीन आने की उम्मीद कब तक कर सकते हैं?

  • कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन का ट्रायल बड़े पैमाने पर दुनियाभर में चल रहा है। इसमें हजारों लोग शामिल हैं। दुनियाभर में अभी करीब 20 कंपनियां वैक्सीन ट्रायल में लगी हैं, जिनमें से करीब 10% ही कामयाबी के रास्ते पर हैं।
  • एक वैक्सीन के निर्माण में अमूमन 5 से 10 साल लग जाते हैं। लेकिन अच्छी बात है कि कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए कुछ महीने के अंदर ही बड़ी संख्या में मैन्युफैक्चरर्स और इंवेस्टर्स आगे आ गए हैं। उन्होंने अपने करोड़ों रुपए दांव पर भी लगा रखा है।
  • रूस ने स्पूतनिक-5 नाम की वैक्सीन लॉन्च भी कर दी है और अक्टूबर से इसे देशभर में लोगों को लगाना शुरू भी कर दिया जाएगा। चीन ने भी वैक्सीन बनाने का दावा किया है, वो इसे पहले अपने सैनिकों को लगाने की बात कह रहा है।
  • लेकिन दुनिया के तमाम देश और स्वास्थ्य संस्थाएं इन दोनों वैक्सीन पर सवाल उठा रही हैं, क्योंकि ये रिकॉर्ड समय में बनाई गई हैं, जो आजतक नहीं हुआ।
  • WHO की लिस्ट में जिन वैक्सीन का नाम है, उनके ट्रायल अभी तीसरे फेज में ही हैं। इनमें से कुछ कंपनियों को कहना है कि वे इस साल के अंत तक वैक्सीन बनाने का काम पूरा कर लेंगी। पर WHO का कहना है कि वैक्सीन का निर्माण अगले साल जून तक ही संभव है।


वैक्सीन सबसे पहले किसे दिया जाएगा?

  • डॉक्टर उमा बताती हैं कि वैक्सीन यदि आती है तो इसे सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स और हाई रिस्क ग्रुप को दिया जाएगा। इसके बाद 20% आबादी को लगाई जाएगी।

दुनिया के देश वैक्सीन खरीदने के लिए क्या कर रहे हैं?

  • दुनियाभर के तमाम देश फार्मा कंपनियों से वैक्सीन लेने के लिए करार कर रहे हैं। इसके अलावा अलग-अलग देश वैक्सीन बनाने और खरीदने के लिए समूह भी बनाने में जुटे हैं।
  • ब्रिटेन ने छह कंपनियों के साथ 10 करोड़ वैक्सीन डोज के लिए करार किया है। वहीं, अमेरिकी सरकार ने अगले साल जनवरी तक 30 करोड़ वैक्सीन डोज का बंदोबस्त करने की बात कही है। सीडीसी ने फार्मा कंपनियों को 1 नवंबर तक वैक्सीन को लॉन्च करने का समय भी बता दिया है।

गरीब देशों में कैसे पहुंचेगी वैक्सीन?

  • वैक्सीन खरीदने को लेकर दुनिया के हर देश की स्थिति एक जैसी नहीं है। WHO के अस्सिटेंट डायरेक्टर जनरल डॉक्टर मारियाजेला सिमाओ का कहना है कि हमारे सामने चुनौती है कि जब ये वैक्सीन बने तो सभी देशों के लिए उपलब्ध हो, न कि सिर्फ उन्हें मिले जो ज्यादा पैसे दें। हमें वैक्सीन नेशनलिज्म को चेक करना होगा।
  • WHO एक वैक्सीन टास्क फोर्स बनाने के लिए भी काम कर रहा है। इसके लिए उसने महामारी रोकथाम ग्रुप सीईपीआई के साथ काम शुरू किया है। इसके अलावा वैक्सीन अलायंस ऑफ गवर्नमेंट एंड आर्गेनाइजेशन(गावी) के साथ भी बातचीत कर रहा है।
  • अब तक 80 अमीर देशों ने ग्लोबल वैक्सीन प्लान को ज्वॉइन किया है। इस प्लान का नाम कोवैक्स है। इसका मकसद इस साल के अंत तक 2 बिलियन डॉलर रकम जुटाना है, ताकि दुनिया भर के देशों को कोरोना की वैक्सीन मुहैया कराई जा सके। हालांकि इसमें अमेरिका नहीं है। ये समूह दुनिया के 92 गरीब देशों को भी वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं।

वैक्सीन की कीमत क्या होगी?

  • इसकी कीमत वैक्सीन पर निर्भर करेगी कि वो किस तरह की है और कितनी डोज ऑर्डर हुई है। फार्मा कंपनी मॉडर्ना को यदि वैक्सीन बेचने की अनुमति मिलती है ते वह एक डोज को 3 से 4 हजार के बीच बेच सकती है।
  • सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि वो भारत में एक डोज की कीमत करीब 250-300 रुपए रखेगी। गरीब देशों में भी कम दाम पर बेचेगी।

दुनिया भर में वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूट कैसे होगी?
इस काम में WHO, यूनिसेफ, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स जैसी संस्थाओं का अहम रोल होगा। उन्हें इसके लिए दुनियाभर में एक कोल्ड चेन बनानी होगी। जिसमें कूलर ट्रक, सोलर फ्रिज जैसी व्यवस्थाएं भी करनी होंगी, ताकि वैक्सीन को सही तापमान में सहेज कर रखा जा सके और आसानी से कहीं भी पहुंचाया जा सके। सामान्य तौर पर वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखा जाता है।
कोविड-19 वैक्सीन अपडेट क्या है?

  • दुनियाभर में कोविड-19 के लिए 180 वैक्सीन बन रहे हैं।
  • 35 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स के स्टेज में है। यानी इनके ह्यूमन ट्रायल्स चल रहे हैं।
  • 9 वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं। यानी यह सभी वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल्स के अंतिम फेज में रहै।
  • इन 9 वैक्सीन में ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (ब्रिटेन), मॉडर्ना (अमेरिका), गामालेया (रूस), जानसेन फार्मा कंपनीज (अमेरिका), सिनोवेक (चीन), वुहान इंस्टिट्यूट (चीन), बीजिंग इंस्टिट्यूट (चीन), कैनसिनो बायोलॉजिक्स (चीन) और फाइजर (अमेरिका) के वैक्सीन शामिल हैं।
  • 145 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स स्टेज में है। यानी लैब्स में इनकी टेस्टिंग चल रही है।


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WHO News: World Health Organization (WHO) Update On Coronavirus Vaccine Date and Expert On Control of COVID-19 Epidemic


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स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से ठीक हुए मरीजों के लिए गाइडलाइन (प्रोटोकॉल) जारी की हैं। इसमें कहा गया है कि रोज योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन करें। सुबह या शाम वॉक भी जरूर करें, उतनी ही स्पीड में चलें, जितनी आपको जरूरी लगे।

देश में 24 घंटे में कोरोना के 94 हजार 406 मरीज मिले हैं। इसके साथ ही अब तक 47 लाख 54 हजार 668 लोग संक्रमित हो चुके हैं। देश में अब तक 37 लाख 2 हजार 299 लोग ठीक हो चुके हैं। एक दिन में शनिवार को 1111 मौतें हो चुकी हैं। मरने वालों की कुल संख्या अब 78 हजार 637 हो चुकी है। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।


1. मध्यप्रदेश
प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। यहां बीते 43 दिन में 852 मौतें हुई हैं। शनिवार को प्रदेश में 37 मौतें हुईं, जो 6 महीने में एक दिन में सबसे ज्यादा हैं। शनिवार को भोपाल में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के ओेएसडी की भी कोरोना से मौत हो गई। वहीं, 52 जिलों में से सिर्फ डिंडौरी ही इकलौता है, जहां कोरोना से कोई मौत नहीं हुई। इंदौर में व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक में कहा गया कि दुकान खोलने या कारोबार करने से कोरोना नहीं फैलता। इसकी जगह धार्मिक, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक लगे। लोग यहां शामिल होते हैं और शहरभर में घूमते हैं।

2. राजस्थान
राज्य में शनिवार को 1669 मामले सामने आए। इनमें जोधपुर में 280, जयपुर में 335, कोटा में 152, अलवर में 109, अजमेर में 101, बीकानेर में 56, नागौर में 47, प्रतापगढ़ में 27, पाली में 44, बाड़मेर में 24, झालावाड़ में 24, गंगानगर में 32, भरतपुर में 22, हनुमानगढ़ में 17, बारां में 23, सिरोही में 25, उदयपुर में 80, चित्तौड़गढ़ में 21, झुंझुनू में 20, राजसमंद में 22 संक्रमित मिले। कोरोना की वजह से 24 घंटे में 14 मौतें हुईं। राज्य में मरने वालों की संख्या 1221 हो गई है।

3. बिहार
राज्य में शनिवार को 1,421 नए मरीज बढ़े। इसी के साथ संक्रमितों का आंकड़ा अब 1 लाख 56 हजार 866 हो गया है। राज्य सरकार के मुताबिक अभी 16 हजार 610 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है।

4. महाराष्ट्र
राज्य में मरीजों का आंकड़ा 10 लाख के पार हो गया है। 24 घंटे के अंदर यहां 22 हजार 84 नए मरीज बढ़े। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या अब 10 लाख 37 हजार 765 हो गई है। राहत की बात है कि इनमें 7 लाख 28 हजार 512 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 2 लाख 79 हजार 768 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। 29 हजार 115 लोगों की मौत हो चुकी है।

5. उत्तरप्रदेश
राज्य में शनिवार को कोरोना मरीजों का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया। पिछले 24 घंटे के अंदर संक्रमण के 6,786 नए मामले सामने आए। अब तक 3 लाख 5 हजार 831 लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 2 लाख 33 हजार 527 लोग ठीक भी हो चुके हैं, जबकि 4,349 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि राज्य में रिकवरी रेट 76.35% हो गया है, जबकि मौत की दर 1.42% है। अब तक 73 लाख 58 हजार 471 लोगों की जांच हो चुकी है।



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आर्टिकल में कहा गया है कि भारतीय सीमा पर चीन की सेना की विफलता के परिणाम सामने आएंगे। चीनी आर्मी ने शुरुआत में शी जिनपिंग से इस विफलता के बाद फौज में विरोधियों को बाहर करने और वफादारों की भर्ती करने की बात कही है। जाहिर है, बड़े अफसरों पर गाज गिरेगी। सबसे बड़ी बात यह कि विफलता के चलते चीन के आक्रामक शासक जिनपिंग जो कि पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष भी हैं और इस नाते पीएलए के लीडर भी, वो भारत के जवानों के खिलाफ एक और आक्रामक कदम उठाने के लिए उत्तेजित होंगे।

जिनपिंग के जनरल सेक्रेटरी बनने के बाद पीएलए की घुसपैठ बढ़ी
दरअसल, मई की शुरुआत में ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के दक्षिण में चीन की फौजें आगे बढ़ीं। यहां लद्दाख में तीन अलग-अलग इलाकों में भारत-चीन के बीच टेम्परेरी बॉर्डर है। सीमा तय नहीं है और पीएलए भारत की सीमा में घुसती रहती है। खासतौर से 2012 में शी जिनपिंग के पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनने के बाद।

जून में चीन के सैनिकों ने भारत को चौंकाया

मई में हुई घुसपैठ ने भारत को चौंका दिया था। फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के क्लिओ पास्कल ने बताया कि मई के महीने में रूस ने भारत को यह बताया था कि तिब्बत के स्वायत्तशासी क्षेत्र में चीन का लगातार युद्धाभ्यास किसी इलाके में छिपकर आगे बढ़ने की तैयारियां नहीं हैं। लेकिन, 15 जून को चीन ने गलवान में भारत को चौंका दिया। यह सोचा-समझा कदम था और चीन के सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए।

गलवान में बहादुरी से लड़े भारतीय जवान

गलवान में भारत-चीन के बीच हुई झड़प दोनों देशों में 40 साल बाद पहली खतरनाक भिड़ंत थी। विवादित इलाकों में घुसना चीन की आदत है। दूसरी ओर, 1962 की हार से लकवाग्रस्त हो चुकी भारतीय लीडरशिप और जवान सुरक्षात्मक रहते हैं। लेकिन, गलवान में ऐसा नहीं हुआ। यहां चीन के कम से कम 43 सैनिकों की जान गई। पास्कल ने बताया कि यह आंकड़ा 60 के पार हो सकता है। भारतीय जवान बहादुरी से लड़े और चीन खुद को हुए नुकसान को नहीं बताएगा।

भारतीय जवान अब बोल्ड एंड बेटर
अगस्त के आखिर में 50 साल में पहली बार भारत ने आक्रामक रवैया अपनाया। हाल ही में जिन ऊंचाई वाले इलाकों को चीन ने हथिया लिया था, भारत ने उन पर फिर से अपना कब्जा कर लिया। चीन की सेना तब चौंक गई, जब उनकी ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जे की कोशिशों को भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। चौंके हुए चीनी सैनिकों को वापस लौटना पड़ा।

ज्यादातर दक्षिणी इलाके अब भारत के पास हैं, जो कभी चीन के पास थे। अब चीन की सेना ऐसे इलाकों की तरफ बढ़ सकती है, जहां कोई उनकी रखवाली के लिए नहीं है। लेकिन, युद्ध में ये इलाके कितने काम के होंगे, ये अभी साफ नहीं है। भारत घुसपैठियों को मौका नहीं दे रहा है। पास्कल ने बताते हैं कि आप भारतीय जवानों को ज्यादा आक्रामक या रक्षात्मक तौर पर आक्रामक कह सकते हैं। पर, वास्तव में वो बोल्ड एंड बेटर हैं।



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जापान की वर्ल्ड नंबर-9 जापान की नाओमी ओसाका ने यूएस ओपन का खिताब जीता। उन्होंने फाइनल में बेलारूस की विक्टोरिया अजारेंका को 1-6, 6-3, 6-3 से हराया। ओसाका ने तीन साल में दूसरी बार यूएस ओपन जीता है। वे 26 साल में पहला सेट हारने के बाद फाइनल जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं। उनसे पहले 1994 में स्पेन की अरांत्जा सांचेज विकारियो ने स्टेफी ग्राफ से पहला सेट हारने के बाद फाइनल जीता था।

ओसाका को प्राइज मनी के तौर पर 3 मिलियन डॉलर (करीब 22 करोड़ 54 लाख रुपए) मिले। हालांकि, इसमें पिछले साल के मुकाबले 8.50 लाख डॉलर (करीब 6 करोड़ 36 लाख) की कटौती की गई।

22 साल की ओसाका का तीसरा ग्रैंड स्लैम खिताब

ओसाका ने पहला सेट 1-6 से गंवा दिया था, लेकिन फिर वापसी करते हुए अगले दो सेट जीतने के साथ ही मुकाबला अपने नाम कर लिया। 22 साल की ओसाका का ये तीसरा ग्रैंड स्लैम खिताब है।

ओसाका ने 2018 में पहली बार यूएस ओपन जीता था

इससे पहले ओसाका ने 2018 में यूएस ओपन जीता था। तब उन्होंने 6 बार की विजेता सेरेना विलियम्स को शिकस्त दी थी। एक साल बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीता था। ओसाका ने सेमीफाइनल में जेनिफर ब्रैडी को 7-6(1), 3-6, 6-3 से मात दी थी।

अजारेंका 7 साल बाद ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचीं थीं

अजारेंका 7 साल बाद किसी ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचीं थी। उनके पास तीसरा खिताब जीतने का मौका था। वे लगातार दो साल 2012 और 2013 में ऑस्ट्रेलियन ओपन चैम्पियन रही हैं। बेलारूस की इस खिलाड़ी ने पिछले महीने ही वेस्टर्न एंड सदर्न ओपन (सिनसिनाटी मास्टर्स) खिताब जीता है। उनका फाइनल ओसाका से ही होने वाला था, लेकिन हैमस्ट्रिंग इंजरी के कारण जापानी स्टार फाइनल से हट गईं और अजारेंका को चैम्पियन घोषित किया गया था।

मैं मैच को बिना विवाद के खत्म करना चाहती थी: ओसाका

ओसाका ने कहा कि मैंने हमेशा मैच पॉइंट के बाद सभी को ऑफिशियल्स के साथ झगड़ते देखा है। ऐसे में मुझे लगता है कि इसमें आप अपने को चोट पहुंचा सकते हैं। इसलिए मैं चाहती थी कि मैं सुरक्षित मैच खत्म करूं।

निराश नहीं, लेकिन हारने से दुखी हूं: अजारेंका

अजारेंका ने कहा मैं निराश नही हूं। हालांकि, हारने से दुखी हूं। मैं नजदीक होने के बावजूद जीत नहीं सकी। मैं इसको लेकर ज्यादा नहीं सोच रही हूं? मैं जीती या हारी, लेकिन मैं ज्यादा बदलने वाली नहीं हूं। यह केवल एक अनुभव था। मेरे पास दो हफ्ते के शानदार समय था। मैने इसका भरपूर मजा उठाया।



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यूएस ओपन ट्रॉफी के साथ जापान की नाओमी ओसाका(दाएं) और विक्टोरिया अजारेंका। ओसाका ने 2018 में पहली बार यूएस ओपन जीता था।


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(प्रमोद कुमार) सरकार ने घोषणा की थी कि पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपए वैक्सीन रिसर्च पर खर्च किए जाएंगे। लेकिन ये किसे दिए गए जिम्मेदार ये नहीं बता रहे हैं। इसका खुलासा हुआ तेलंगाना के आईटी मिनिस्टर के डीओ लेटर से। हाल ही में वैक्सीन वितरण की योजना बनाने और आर्थिक मदद की स्थिति स्पष्ट करने के लिए तेलांगना सरकार के आईटी एवं उद्योग मंत्री केटीरामाराव ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है।

भास्कर के पास इस डीओ लेटर की प्रति है। इस पत्र के बाद भास्कर ने भी स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से लेकर आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव से इस बारे में जानने की कोशिश की। हमने फोन पर उनसे संपर्क करने के अलावा उन्हें 1 सितंबर को ही ई-मेल भी कर दिया, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई।

वहीं आईसीएमआर दिल्ली के साइंटिस्ट एवं पीआरओ एलके शर्मा कहते हैं कि ‘हमारा भारत बायोटेक के साथ वैक्सीन पर रिसर्च चल रहा है। हमने भारत बायोटेक के एमडी के एक इंटरव्यू में देखा था कि उन्होंने फंड की डिमांड नहीं की है। लेकिन फंड रिलीज के बारे में हमें जानकारी नहीं है। आईसीएमआर तो सरकारी संस्था है उसे जो भी जरूरत होती है उसे सरकार पूरी करती है।’

वहीं हैदराबाद की जीनोम वैली (जहां कोविड वैक्सीन पर काम कर रहीं तीनों बड़ी कंपनियां है) के सीईयो शक्ति नागप्पन कहते हैं कि हम नीति आयोग से बात करने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार ने नीति आयोग के विनोद के पाॅल को नीति बनाने का काम सौंपा है लेकिन अभी तक कोई नीति नहीं बनी है। कंपनियों को भी नहीं पता कि वैक्सीन सरकार खरीदेगी या क्या पॉलिसी होगी? हमें कितना प्रोडक्शन करना चाहिए? सरकार की क्या डिमांड है? इसको लेकर हमने पत्र लिखे हैं।

इतने लोगों से पूछा फंड से किसकी मदद की

क्या तेलंगाना सरकार के पत्र पर कोई कार्रवाई करेंगे? क्या सरकार ने वैक्सीन रिसर्च पर देश की किसी कंपनी की मदद की है? जैसे सवालों को लेकर हमने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और मिनिस्ट्री ऑफ प्लानिंग एवं सांख्यिकी मंत्रालय में राव इंद्रजीत सिंह, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, वैक्सीन नीति की अध्यक्षता कर रहे नीति आयोग के विनोद के पाल, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत एवं आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव का पक्ष जानने के लिए 01 सितंबर को मेल किए। लेकिन 12 दिन में भी किसी ने जबाब नहीं दिया।

हमने फोन पर भी संपर्क का प्रयास किया। नीति आयोग के विनोद के पाॅल के सचिव टीपी शंकर ने बात करने का विषय पूछा और बताया कि सर बहुत बिजी है। मैं आपका मैसेज देकर बात कराने की कोशिश करुंगा। नीति आयोग भारत सरकार के उपाध्यक्ष राजीव कुमार से बात करने की कोशिश की गई। इनके पीएस रविंद्र प्रताप सिंह ने फोन पर कहा कि ऑफिस के नंबर पर बात करिए और फोन काट दिया।



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पीएम केयर्स फंड से 100 करोड़ रुपए वैक्सीन रिसर्च पर खर्च करने का खुलासा तेलंगाना के आईटी मिनिस्टर के डीओ लेटर से हुआ।


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(मनीषा भल्ला) एंटरटेनमेंट सेक्टर देश में तेजी से बढ़ रहा है। साल 2023 तक ओटीटी इंडस्ट्री में 45% ग्रोथ की संभावना है। कोरोना ने तो इस संभावना को दोगुना कर दिया है। हालांकि, पहले जहां देश में अमेजॉन और नेटफ्लिक्स जैसे विदेशी प्लेटफॉर्म्स का ही दबदबा था, वहीं, अब ओरिजनल कंटेंट के मामले में भारतीय प्लेटफॉर्म्स उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

कुछ भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म तो इनसे आगे ही हैं। लेट्सओटीटीग्लोबल डॉट कॉम की मलेशिया स्थित संपादक डॉ. सुनीता कुमार बताती हैं कि भारत में करीब एक से डेढ़ साल पहले 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म थे, लेकिन अब इनकी संख्या दोगुनी होकर 80 से भी ज्यादा हो गई है।

पांच महीनों में 30% की ग्रोथ

  • नए भारतीय प्लेटफॉर्म में तेलुगु कंटेंट वाला एप आहा, उड़िया कंटेंट वाला प्लेटफॉर्म ऑले और बंगाली ओटीटी प्लेटफॉर्म हॉयचॉय जैसे एप प्रमुख हैं। दक्षिण के फिल्म प्रोड्यूसर सीवी कुमार ने भी रीगल टॉकीज़ नाम से नया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। वहीं, यशराज फिल्म्स का ओटीटी लॉन्च होने वाला है। मार्च से लेकर जुलाई तक देश में ओटीटी सेक्टर में 30 फीसदी की ग्रोथ देखी गई।
  • रेडसीर कंसल्टिंग की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में इस दौरान सब्सक्राइबर की संख्या 22.2 मिलियन से बढ़कर 29 मिलियन हो गई। भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑल्ट बालाजी की सीनियर वाइस प्रेज़ीडेंट (डायरेक्ट रेवेन्यू, मार्केटिंग एंड एनालेटिक्स) दिव्या दीक्षित बताती हैं ‘ऑल्ट बालाजी की लाइब्रेरी में 64 ऑरिजनल सीरीज़ हैं। हमारे कंटेंट के बल पर आज हमारे पास 8.5 मिलियन मासिक से ज्यादा एक्टिव यूज़र हैं और 35 मिलियन सब्सक्राइबर हैं।

भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म हंगामा डिजीटल मीडिया के सीओओ सिधार्थ रॉय के अनुसार भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म के बाजार के बढ़ने की एक बड़ी वजह ऑरिजनल कंटेंट (ऑरिजनल सीरीज़) है। क्षेत्रिय भाषाओं में भी कंटेट परोसने से बाज़ार ने और तरक्की की है। कोरोना की वजह से वर्क फ्रॉम होम ने इस इंडस्ट्री को और पुश किया है। हंगामा पर कोरोना काल में कुल 66 फीसदी सब्सक्राइबर बढ़े हैं। जिसमें टायर-2 सिटी में 65 फीसदी और टायर-3 सिटी में 86 फीसदी सब्सक्राइबर बढ़े।

ऐसे हैं देशी-विदेशी में मुकाबला
फिल्म-ओटीटी ट्रेड एनालिस्ट गिरीश वानखेड़े बताते हैं, ‘हाल ही में डिज्नी हॉटस्टार पर आई सड़क-2, खुदा हाफिज़ फिल्में पिट गईं, नेटफलिक्स की मिसीज़ सीरीयल किलर, घोस्ट सीरीज की भी आलोचना हुई। अमेजॉन प्राइम पर आई पेंगुइन और लॉ दर्शकों ने नकार दीं। वहीं, भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर आई ऑरिजनल वेबसीरीज़ ‘एक थी बेगम’ और ‘आश्रम’ ने कुछ ही दिनों में रिकॉर्ड कायम कर दिया। दूसरे ओटीटी पर भी अच्छा कंटेंट आया।



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OTT platform doubled in one and half year, Indian OTT ahead in original content


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(डीडी वैष्णव) कुछ समय पहले देशभर की सीमाओं पर बीएसएफ को आतंकियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए जा चुके हैं। इससे पाकिस्तानी आतंकी संगठन परेशान हैं, क्योंकि उनकी नकली नोट और ड्रग्स तस्करी से कमाई बंद हो गई है। इसके लिए अब आतंकियों ने सिंध मॉड्यूल को छोड़ मुल्तान मॉड्यूल अपना लिया है।

सिंध मॉड्यूल में तस्करी मुख्य रूप से पंजाब सेक्टर से होती थी। अब मुल्तान मॉड्यूल में गुजरात और राजस्थान बॉर्डर टारगेट पर हैं। यही कारण है कि पिछले एक माह में ही गुजरात-राजस्थान से लगी सीमा पर बीएसएफ ने इन ग्रुपों के दो बड़े प्रयास फेल कर दिए।

तीन दिन पहले 9 सितंबर को घुसपैठ हुई तो दो आतंकियों को बीएसएफ ने गोली से उड़ा दिया और 8 किलो हेरोइन जब्त की। इससे पहले, 9 अगस्त को एक घुसपैठिए को मार गिराया था, जबकि 10 से 11 भाग गए थे। इससे भी 2.7 किलो हेरोइन मिली थी। बीएसएफ के अनुसार, आतंकियों की कमाई के लिए आईएसआई, आतंकी ग्रुप और सीमा पर बसे गांव के तस्कर मिलकर काम करते हैं और नकली नोट और ड्रग्स भेजते हैं।

सरहद के दोनों ओर फैला तस्करी का सिंध मॉड्यूल टूटा, दो दशक से फैला था नेटवर्क

पाक के सिंध से करीब दो दशक से रोशन खान का तस्करी नेटवर्क सरहद के दोनों ओर फैला हुआ हैं। इनकी खेप खांडू खां के खेत में फेंकी जा चुकी है। 8 अगस्त को कच्छ और बाड़मेर के बीच बॉर्डर पर एक साथ 10-12 लोगों ने घुसने का प्रयास किया।

एक मारा गया, बाकी भाग गए। इसके बाद एटीएस और राजस्थान पुलिस ने पहले खांडू खां और बाद उसके बेटे मुश्ताक को दबोचकर सिंध मॉड्यूल बिगाड़ दिया। इस मॉड्यूल के संपर्क में रहने वाले दो तस्कर गंगानगर में पकड़े जा चुके हैं। साथ ही बॉर्डर के पास आने वालों को सीधी गोली मारने के आदेश हो गए। इससे सिंध मॉड्यूल टूट गया।

1 किलो के पैकेट में डेढ़ किलो हेरोइन, नकली होने का शक

बीएसएफ में गुजरात सीमांत के प्रवक्ता डीआईजी एमएल गर्ग का कहना है कि जब्त हेरोइन की क्वालिटी पर संदेह हैं। पश्चिमी बॉर्डर पर बीते एक माह में 33 किलो और पंजाब फ्रंटियर ने 2020 के में 377 किलो हेरोइन जब्त की है।

इंटरनेशनल ड्रग्स मार्केट में हेरोइन का एक पैकेट 1 किलो का ही आता है। उस पर बनाने वालों का मार्का भी होता है। लेकिन इन पैकेटों में डेढ़ से दो किलो हेरोइन है और कोई मार्का भी नहीं है। पाकिस्तान में इसे 4-5 लाख रुपए प्रति किलो की दर से खरीदकर भेजा जा रहा है, जबकि असली हेरोइन की कीमत 5 करोड़ रुपए किलो तक होती है।



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ड्रग्स की तस्करी इस तरह के कैप्सूल के जरिए की जाती है।


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देशभर में आज मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (NEET) होगी। परीक्षा में करीब 15 लाख छात्रों के बैठने की उम्मीद है। लेकिन, परीक्षा से पहले शनिवार को ही तमिलनाडु में खुदकुशी के तीन मामले सामने आए हैं। इसके बाद NEET का विरोध शुरू हो गया है।

परीक्षा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए एग्जाम सेंटर्स की संख्या 2,546 से बढ़ाकर 3,843 कर दी गई है। हर रूम में अब केवल 12 कैंडिडेट ही परीक्षा देंगे, पहले यह संख्या 24 थी। कोरोना के चलते यह परीक्षा पहले ही दो बार टाली जा चुकी है। पहले यह एग्जाम 3 मई को होने थे, फिर इसे 26 जुलाई के लिए टाला गया और अब ये परीक्षा आज यानी 13 सितंबर को हो रही है।

तमिलनाडु में खुदकुशी के बाद NEET का विरोध
नीट से पहले ही शनिवार को तमिलनाडु में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद से ही नीट का विरोध शुरू हो गया। धर्मपुरी, मदुरई और नमक्कल में एक लड़की और दो लड़कों ने खुदकुशी कर ली। इनकी उम्र 19 से 21 साल के बीच है। नमक्कल में मोतीलाल ने खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि वह पहले दो बार NEET दे चुका था।

मदुरई में सब इंस्पेक्टर की बेटी ज्योतिश्री दुर्गा ने खुदकुशी कर ली। पुलिस ने बताया कि परिवार को उसके मेडिकल इंट्रेंस को लेकर बहुत उम्मीदें थीं, पर लड़की परीक्षा को लेकर डरी हुई थी। धर्मपुरी में खुदकुशी करने वाले आदित्य ने पिछले साल नीट दी थी, लेकिन वह क्लियर नहीं कर पाया था। तब से ही वह इस साल परीक्षा देने की तैयारी कर रहा था।

तमिलनाडु में खुदकुशी की घटनाओं के बाद एक बार फिर से नीट का विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर भी इसका विरोध किया गया। नीट में असफल होने पर तमिलनाडु में खुदकुशी का पहला मामला 2017 में सामने आया था। तब अरैयालुर में अनीता नाम की लड़की ने नीट क्लियर ना कर पाने पर खुदकुशी कर ली थी।

NEET के लिए एसओपी
सोशल डिस्टेंसिंग के लिए छह फीट दूरी रखनी होगी। कैंडिडेट्स 3 लेयर वाले मॉस्क और ग्लब्स पहनेंगे।
कोरोना पॉजिटिव ना होने का एफिडेविट देना होगा। एंट्री से पहले थर्मल स्कैनिंग की जाएगी।
बुखार, सर्दी, खांसी वाले छात्र या किसी अन्य कर्मी को एग्जाम सेंटर में एंट्री नहीं मिलेगी।
स्टूडेंट एक-दूसरे से पेन या पेंसिल नहीं ले सकेंगे। घर से सादे कागज पर अंगूठे का निशान लगाकर लाना होगा।

ड्रेस कोड
स्टूडेंट्स को जींस, सलवार सूट, कुर्ता, लंबी स्कर्ट, पतलून, टी-शर्ट, शर्ट पहनने की इजाजत दी गई है।
फुल स्लीव शर्ट, बड़े बटन वाले कपड़े नहीं पहन सकते हैं।
जूते नहीं पहन सकते, खुले पैर की सैंडल या चप्पल पहनना होगा। ज्वेलरी पहनने की इजाजत नहीं है।
केवल धर्म से जुड़ी चुनिंदा ज्वेलरी पहनने की इजाजत है।



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कोरोना के चलते हर रूम में अब केवल 12 कैंडिडेट ही परीक्षा देंगे, पहले यह संख्या 24 थी। - फाइल फोटो


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देशभर में आज मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (NEET) होगी। परीक्षा में करीब 15 लाख छात्रों के बैठने की उम्मीद है। लेकिन, परीक्षा से पहले शनिवार को ही तमिलनाडु में खुदकुशी के तीन मामले सामने आए हैं। इसके बाद NEET का विरोध शुरू हो गया है।

परीक्षा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए एग्जाम सेंटर्स की संख्या 2,546 से बढ़ाकर 3,843 कर दी गई है। हर रूम में अब केवल 12 कैंडिडेट ही परीक्षा देंगे, पहले यह संख्या 24 थी। कोरोना के चलते यह परीक्षा पहले ही दो बार टाली जा चुकी है। पहले यह एग्जाम 3 मई को होने थे, फिर इसे 26 जुलाई के लिए टाला गया और अब ये परीक्षा आज यानी 13 सितंबर को हो रही है।

तमिलनाडु में खुदकुशी के बाद NEET का विरोध
नीट से पहले ही शनिवार को तमिलनाडु में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों ने खुदकुशी कर ली। इसके बाद से ही नीट का विरोध शुरू हो गया। धर्मपुरी, मदुरई और नमक्कल में एक लड़की और दो लड़कों ने खुदकुशी कर ली। इनकी उम्र 19 से 21 साल के बीच है। नमक्कल में मोतीलाल ने खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि वह पहले दो बार NEET दे चुका था।

मदुरई में सब इंस्पेक्टर की बेटी ज्योतिश्री दुर्गा ने खुदकुशी कर ली। पुलिस ने बताया कि परिवार को उसके मेडिकल इंट्रेंस को लेकर बहुत उम्मीदें थीं, पर लड़की परीक्षा को लेकर डरी हुई थी। धर्मपुरी में खुदकुशी करने वाले आदित्य ने पिछले साल नीट दी थी, लेकिन वह क्लियर नहीं कर पाया था। तब से ही वह इस साल परीक्षा देने की तैयारी कर रहा था।

तमिलनाडु में खुदकुशी की घटनाओं के बाद एक बार फिर से नीट का विरोध शुरू हो गया। सोशल मीडिया पर भी इसका विरोध किया गया। नीट में असफल होने पर तमिलनाडु में खुदकुशी का पहला मामला 2017 में सामने आया था। तब अरैयालुर में अनीता नाम की लड़की ने नीट क्लियर ना कर पाने पर खुदकुशी कर ली थी।

NEET के लिए एसओपी
सोशल डिस्टेंसिंग के लिए छह फीट दूरी रखनी होगी। कैंडिडेट्स 3 लेयर वाले मॉस्क और ग्लब्स पहनेंगे।
कोरोना पॉजिटिव ना होने का एफिडेविट देना होगा। एंट्री से पहले थर्मल स्कैनिंग की जाएगी।
बुखार, सर्दी, खांसी वाले छात्र या किसी अन्य कर्मी को एग्जाम सेंटर में एंट्री नहीं मिलेगी।
स्टूडेंट एक-दूसरे से पेन या पेंसिल नहीं ले सकेंगे। घर से सादे कागज पर अंगूठे का निशान लगाकर लाना होगा।

ड्रेस कोड
स्टूडेंट्स को जींस, सलवार सूट, कुर्ता, लंबी स्कर्ट, पतलून, टी-शर्ट, शर्ट पहनने की इजाजत दी गई है।
फुल स्लीव शर्ट, बड़े बटन वाले कपड़े नहीं पहन सकते हैं।
जूते नहीं पहन सकते, खुले पैर की सैंडल या चप्पल पहनना होगा। ज्वेलरी पहनने की इजाजत नहीं है।
केवल धर्म से जुड़ी चुनिंदा ज्वेलरी पहनने की इजाजत है।



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31 साल की ऊर्जा अपने पति निकुंज के साथ मुंबई में रहती हैं। उनके परिवार में कभी किसी को कैंसर नहीं हुआ। इस बारे में कभी सोचा भी नहीं था कि इतनी बड़ी बीमारी उन्हें भी हो सकती है।

लॉकडाउन का वक्त उन पर कुछ इस तरह से भारी हुआ, जिसका अंदाजा खुद उन्हें भी नहीं था। ऊर्जा ने 30 मार्च से अपना कैंसर ट्रीटमेंट शुरू किया था। उन्हें 14 अगस्त के दिन डॉक्टर ने कैंसर फ्री बताया। ऊर्जा ने कैंसर से किस तरह जंग जीती और किन तकलीफों का सामना किया, वे अपनी आपबीती को शब्दों के माध्यम से कुछ इस तरह बयां कर रही हैं:

मैं वह वक्त नहीं भूल सकती, जब कैंसर की शुरुआत हुई थी। मुझे खाना निगलने और चबाने में तकलीफ हो रही थी। इसलिए मैंने मुंबई में गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट वेदांत कारवीर को दिखाया। उन्होंने मुझे एंडोस्कोपी कराने की सलाह दी। एंडोस्कोपी करने के दौरान उसकी नली मेरे गले में नहीं जा रही थी। तभी मुझे ये बताया गया कि मेरे गले में गांठ है।

रेडिएशन के कारण ऊर्जा के गले की स्किन अंदर तक डैमेज हो गई।

तब डॉक्टर ने मुझे सीटी स्कैन और खून की जांच कराने की सलाह दी। उन्हीं रिपोर्ट के आधार पर मुझे तत्काल परेल स्थित ग्लोबल हॉस्पिटल जाने के लिए कहा। यहां जांच से पता चला कि गले में 90% ब्लॉकेज है। उस वक्त मेरी हालत इतनी खराब थी कि मैं मुंह से खाना और पानी दोनों नहीं ले पा रही थी। इसलिए मेरी नाक में नली लगाई गई ताकि मुझे जरूरी पोषण इस नली के जरिये दिया जा सके।

फिर पांच दिन बाद मेरी बायोप्सी की रिपोर्ट आई जिससे ये पता चला कि मुझे इसोफेगस का कैंसर है। मैं कैंसर की तीसरी स्टेज पर पहुंच चुकी थी। जब मुझे इस बीमारी के बारे में पता चला तो मुझे ये लगा कि मेरी जिंदगी खत्म हो गई है। मुझे इस बात का भी आश्चर्य था कि मुझसे पहले मेरे परिवार में कभी किसी को कैंसर नहीं हुआ।

कीमोथैरेपी होने की वजह से ऊर्जा के बाल झड़ गए।

डॉ. रोहित मालदे ने मेरे ठीक होने के 50% चांस बताए। उन्होंने मुझे 35 रेडिएशन और 6 कीमोथैरेपी कराने के लिए कहा। कीमोथैरेपी की वजह से मेरे बाल झड़ गए और रेडिएशन के कारण मेरे गले की स्किन अंदर तक डैमेज हो गई। उसकी वजह से 29 रेडिएशन के बाद ही मेरा ट्रीटमेंट रुकवा दिया गया। ऐसे हालात में मेरा वजन कम होना भी मेरे लिए मुसीबत बना।

मैंने कभी इस बीमारी के बारे में नहीं सुना और न ही मुझे ये पता था कि मेरा इलाज भी हो सकता है। मुझे मेरी जिंदगी में चारों ओर अंधेरा नजर आ रहा था। तब मैंने अपने पति निकुंज के साथ मेरे अंकल जो डॉक्टर भी हैं, अशोक लोहाणा से बात की। उन्होंने हमें नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई में डॉ. रोहित मालदे से मिलने की सलाह दी।

जब मैंने अपना ट्रीटमेंट शुरू किया था, तब मेरा वजन 36 किलो था। डॉक्टर्स ने मुझे साफ तौर पर यह बता दिया था कि अगर अब एक किलो भी वजन कम हुआ तो मेरा इलाज नहीं हो पाएगा। तब मैंने नानावटी हॉस्पिटल की चीफ डाइटीशियन डॉ. उषा किरण सिसोदिया की मदद ली। उनके बताए डाइट चार्ट को फॉलो कर पांच महीने में मेरा वजन 46 किलो हो गया।

ऊर्जा को चिंता थी कि हर वक्त उसके साथ रहने वाले निकुंज को कोरोना इंफेक्शन न हो जाए।

लॉकडाउन की वजह से मेरे लिए हफ्ते में 5 दिन अस्पताल जाकर ट्रीटमेंट लेना भी मुश्किल रहा। इंफेक्शन के डर से मेरे फूड पाइप को लेकर हमें अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ी क्योंकि ये डर हमेशा लगा रहता था कि कोरोना महामारी का असर कहीं इस बीमारी की वजह से मुझे या हर वक्त साथ रहने वाले मेरे पति निकुंज को न हो जाए।

जब मेरा इलाज शुरू हुआ था तो मुझे ये लग रहा था कि मैं कैंसर से जंग हार जाऊंगी लेकिन जब मुझे अपनी बॉडी से पॉजिटिव सिग्नल मिलने लगे तो इस बात का अहसास होने लगा कि इस बीमारी को मैं हराकर ही रहूंगी।

नानावटी हॉस्पिटल के डॉक्टर रोहित मालदे और भारत चौहाण ने मेरी भरपूर सहायता की। इस ट्रीटमेंट के दौरान मैंने अपनी आवाज खो दी थी। ऐसे में मेरे माता-पिता, मेरे दोस्त और अस्पताल के स्टाफ ने मेरी मदद की। ऐसे मुश्किल वक्त में मुझे उन लोगों से हौसला मिला जो वीडियो कॉल करके मेरी हिम्मत बढ़ाते थे और मैं अपनी तकलीफ उन्हें सिर्फ साइन लैंग्वेज में समझा पाती थी।

जो लोग इस वक्त कैंसर पेशेंट हैं और अपना इलाज करा रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि अपने डॉक्टर पर पूरा भरोसा रखें। इस बीमारी को जानने के लिए पूरी तरह गूगल पर भरोसा न करें क्योंकि कैंसर के हर पेशेंट का हर स्टेज में इलाज अलग होता है। इंटरनेट पर शत प्रतिशत विश्वास करना ठीक नहीं है। इस बीमारी से जुड़ी हर छोटी बात को भी डॉक्टर से पूछें, क्योंकि वही हैं जो आपको सही सलाह और ट्रीटमेंट दोनों दे सकते हैं।

आखिर मैं यही कहूंगी कि हालात चाहे कितने ही मुश्किल क्यों न हों, कभी खुद को कम मत समझो। सबसे पहले अपनी सेहत का ध्यान रखिए।

आपका शरीर जो भी सिग्नल आपको दे रहा है, उसे नजरअंदाज मत करिए क्योंकि समय रहते अगर आपको अपनी बीमारी के बारे में पता चलेगा तो ही आप सही समय पर उसका इलाज करवा सकेंगे।



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Fight with cancer in difficult situations of lockdown, they showed that if you are encouraged, you can win through difficult circumstances of life.


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मोबाइल गेमिंग समय व्यतीत करने का एक माध्यम तो है, लेकिन इससे कई परिवार बर्बाद भी हुए हैं। ऐसी ही एक घटना राजस्थान के कोटा में देखने मिली। कोटा में रहने वाला 14 वर्षीय राज (परिवर्तित नाम) पब्जी और दूसरे गेम खेलता रहता था। तनाव में रहने लगा। कोटा की रेलवे कॉलोनी सीआई हंसराज बताते हैं कि राज 5 जून को रात 3 बजे तक गेम खेल रहा था।

उसने रात करीब 3 बजे अपने भाई से बोला था कि उसे नींद नहीं आ रही है और वो कंप्यूटर रूम में काम करने जा रहा हैं। 6 जून सुबह 5.30 बजे बाद जब राज की मां उठी तो उसने देखा कि कंप्यूटर रूम की लाइट जली हुई हैं, इस पर वो कमरे में गई। कमरे की कुंडी अंदर से लगी हुई थी रोशनदान से देखा तो बेटा फांसी पर लटका दिखा।

मोबाइल गेम कैसे कमाई करते हैं

  • पेड गेम्स खरीदना पड़ता है या सब्सक्रिप्शन लेना पड़ता है।
  • कुछ गेम्स फ्री हैं लेकिन अगले लेवल को खेलने, नए हथियार पाने, कॉस्मेटिक स्किन्स पाने आदि के लिए पैसे चुकाने पड़ते हैं।
  • कई गेम फ्री में खेलने के लिए विज्ञापन देखना होता है।

दादा के 2.34 लाख खर्च किए: नई दिल्ली में रहने वाला 15 वर्ष का बच्चा पिछले करीब एक साल से पब्जी खेलता था, लेकिन खास रैंक नहीं पा सका था। ऊपर रैंक पर पहुंचने, अलग प्लेयर लेने, अलग लुक के लिए उसे यूसी (खेलने के लिए मार्डर्न हथियार और जैकेट) की जरूरत थी। इन्हें खरीदने के लिए उसे पैसों की जरूरत पड़ी। एक दिन उसे दादा का डेबिट कार्ड मिल गया। उसने एक दोस्त के पेटीएम से कार्ड को लिंक कर दिया। और जरूरत के अनुसार रुपए ट्रांसफर कर यूसी खरीदता रहा। 8 सितंबर को मोबाइल बच्चे के दादा के पास रखा था, तभी मैसेज आया कि 2500 रुपए खाते से निकल गए और बैलेंस 225 रुपए ही बचा।

पब्जी को इसलिए भाता है भारत

  • 15 करोड़ रुपए राजस्व रहा है पब्जी का पिछले माह भारत में। दुनिया में पब्जी ने अब तक 3 अरब डॉलर से ज्यादा कमाई की है।
  • 73 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड हुआ है पब्जी। 17.5 करोड़ बार भारत में जो सर्वाधिक है।

(स्रोत: स्टैटिस्टा, मोबाइल मार्केटिंग एसोसिएशन की रिपोर्ट, सेंसर टॉवर व मीडिया रिपोर्ट्स)



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देश में करीब 27 करोड़ लोग मोबाइल पर अलग-अलग गेम खेलते हैं। पब्जी ने पिछले माह हमने 15 करोड़ रु. कमाए हैं। पब्जी की डाउनलोडिंग में सर्वाधिक हिस्सेदारी हमारी ही रही है। (फाइल फोटो)


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बारिश शुरू होते ही इंदौर नगर निगम दिखावे के मेंटेनेंस की फाइल तैयार कर लेता है, जून में ठेकेदारों का टेंडर निकाल दिया जाता है। शहर की 332 किलोमीटर डामर की सड़कों के मेंटेनेंस के लिए निगम हर साल 10 करोड़ रुपए खर्च करता है। एक तगारी में धूला चूरी और सीमेंट के मिश्रण को गड्‌ढे में भरकर मेंटेनेंस कर दिया जाता है। फोटो जूनी इंदौर मुक्तिधाम मार्ग की है

जब ठेकेदार के कर्मचारी से पूछा कि गड्‌ढे भरने के लिए क्या डाल रहे हो तो एक ने कहा चूरी की धूल है। थोड़ी सीमेंट मिलाई है। इससे गड्‌ढा भर जाएगा क्या? पूछने पर कर्मचारी कोई जवाब नहीं दे सका। बैरिकेड्स लगाकर मेंटेनेंस किए गए गड्‌ढे पर उसने बोरा जरूर डाल दिया। ऐसा ही पैचवर्क पूरे एमआर-10 पर दिखा। एक ही बारिश में फिर वहां गड्‌ढे उभरने लगे हैं।

यह बाढ़ नहीं बारिश का जमा पानी है

फोटो बिहार के मुजफ्फरपुर की है। यह घर बाढ़ के पानी से नहीं बल्कि बारिश के पानी से चारों तरफ से घिरा है। आने-जाने का कोई रास्ता नहीं बचा है। चारों तरफ से 3 से 4 फीट पानी जमा है। मजबूरी में आने-जाने के लिए लोगों को बांस का पुल (चचरी) का सहारा लेना पड़ रहा है। घर से हाईवे तक चचरी बनाई है। फोटो छपरा एनएच किनारे स्थित सरैया प्रखंड के जगतपुर दकरिया की है।

बधाई उज्जैन

बधाई हो... उज्जैन, जिले के बाद अब शहर की औसत बारिश का कोटा भी पूरा हो चुका है। मानसून की आधिकारिक रूप से विदाई होने के 18 दिन पहले ही औसत बारिश की पूर्ति हो गई है। जबकि एक दिन पहले ही जिले की औसत बारिश का कोटा भी पूरा हो चुका है। शनिवार को भी शहर में दिनभर तेज धूप निकली लेकिन शाम को मौसम बदला और एक घंटे में ही एक इंच से अधिक बारिश हो गई।

डेढ़ घंटे यातायात थमा रहा

शुक्रवार रात से शनिवार तक मध्य प्रदेश के 32 जिलों के 75 शहरों व कस्बों में बारिश हुई। बुरहानपुर में 50 मिनट में साढ़े तीन इंच पानी बरस गया। अधिकांश सड़कें कमर तक जलमग्न हो गईं। हाईवे पर डेढ़ घंटे यातायात थमा रहा। फोटो शनिवारा चौक की है।

कलेक्शन सेंटर के बाहर अंतिम वक्त तक कॉपी लिखते रहे विद्यार्थी

कोरोना संकट के कारण इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की यूजी की फाइनल एग्जाम की कॉपियां जमा करने अंतिम दिन कॉलेजों में छात्रों की खासी भीड़ उमड़ी। कई कॉलेजों में सुबह से लंबी कतारें लगी। ओल्ड जीडीसी, होलकर साइंस एवं अन्य कॉलेजों में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए प्रोफेसर की टीम लगी थी, लेकिन कई कॉलेजों में ऐसा नहीं हो पाया।

संक्रमण से बचाने के लिए छात्रों को घर बैठे एग्जाम दिलवाई गई। फोटो इंदौर के ओल्ड जीडीसी की है। घर से परीक्षा देने के बाद छात्राएं सेंटर पर कॉपी जमा करने पहुंची। अंतिम दिन होने के कारण भीड़ काफी थी ऐसे में कुछ छात्राएं समय का फायदा उठाकर सेंटर के बाहर ही कॉपियां लिखने लगीं।

पांच दिन बाद नवजात को मिला मां का आंचल

छत्तीसगढ़ के बांका जिले के कसबा गांव में ससुराल वालों के दहेज की खातिर महिला के साथ मारपीट कर नवजात शिशु को छीनने के मामले में आखिरकार डीआईजी की पहल पर पांच दिन बाद शिशु को मां की ममता के आंचल का छांव मिला। पुलिसिया दबाव के बाद कोमल के ससुर रामरतन सिंह, सास रीता देवी ने शिशु को थाना लाकर सुपुर्द किया।

पुलिस के कहने पर कोमल के हाथों में नवजात को सौंपा गया। अपने बच्चे को गोद में लेते ही कोमल की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। मां अपने कलेजे के टुकड़े को सीने से लगाकर चूमती रही। कोमल ने बताया कि आज दुनिया की सभी खुशियां मिल गई हैं।

2500 सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में जुटे

वर्दीधारी खुद वर्दीवालों से इंसाफ मांग रहे हैं। पुलिस की तर्ज पर स्थाई रूप से बहाल करने की मांग को लेकर शनिवार को झारखंड के 2500 सहायक पुलिस कर्मियों ने रांची के मोरहाबादी मैदान में प्रदर्शन किया। इनका कहना था कि उन्हें जिले में ड्यूटी लेने की बात कहकर बहाल किया गया था। लेकिन उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है। पुलिस अधिकारी दिनभर उन्हें मनाने में जुटे रहे। प्रदर्शनकारी रात में भी मैदान में डटे थे।

ये गलत बात है

राजस्थान के पाली जिले का लूनी बांध 2 दिनों से ओवरफ्लो है। इसे देखने के लिए ग्रामीण परिवार के साथ पहुंच रहे हैं। पर छोटे-छोटे बच्चों की उनके माता-पिता को बांध पर फोटो लेना कहीं भारी ना पड़ जाए। बांध पर काई जमी है। जिससे हादसा होने का खतरा बना रहता है तथा जान भी जा सकती है। शनिवार को एक परिवार के सदस्यों ने ढाई साल के अपने ही बेटे को एक हाथ से पकड़ कर फोटो खिंचवा रहा था। इस दौरान उसी के भाई का लड़का दो महिलाओं के बीच बिना हाथ पकड़े ही खड़ा था।

कैंटीन में हो रहा सब्जी का इस्तेमाल

केरल में त्रिशूर जिले की पुलिस जब्त किए गए वाहनों में सब्जियां उगा रही है। इन सब्जियों का इस्तेमाल पुलिस कैंटीन में हो रहा है। चेरुतुरुती पुलिस स्टेशन के अधिकारी रंगराज ने बताया कि हमें पहली फसल पिछले हफ्ते मिली। जिसे हमने अपनी पुलिस कैंटीन में भेज दिया था। पुलिस स्टेशन के कंपाउंड में कई वाहन खड़े हैं, जो जंग खा रहे हैं। उनमें अब भिंडी, पालक, बरबटी समेत कई अन्य सब्जियां उगाने की योजना है।

174 दिन बाद चली बुंदेलखंड एक्सप्रेस

23 मार्च से बंद बुंदेलखंड एक्सप्रेस शनिवार को फिर से पटरी पर दौड़ी। मंडुआडीह (बनारस) के लिए रवाना हुई इस ट्रेन में पहले दिन ग्वालियर से 380 यात्री सवार हुए। पहली पसंद स्लीपर कोच रहा। इसमें 252 यात्री सवार हुए। शेष यात्रियों ने एसी के विभिन्न कोचों में आरक्षण कराया था। यह ट्रेन मंडुआहीड से रविवार को ग्वालियर के लिए रवाना होगी।



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This picture is of the Juni Indore Muktidham Marg, but this route has not got rid of the pits till date; Bundelkhand Express departs after 174 days, 380 passengers leave


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