वाराणसी. श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदाराजपक्षे रविवार को पहली बार बनारसपहुंचे।सबसे पहले उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा की और विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण कार्य को देखा। वे सारनाथ भी जाएंगे, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान मिलने के बाद पहला उपदेश (धम्मचक्र प्रवर्तन) दिया था। वे यहां स्तूप और संग्रहालय में रखे पुरावशेषों को भी देखेंगे।
पुरातात्विक संग्रहालय भी देखने जाएंगे
राजपक्षे पुरातात्विक खंडहर परिसर में धामेख स्तूप की परिक्रमा कर मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर पहुचेंगे, जहां बौद्ध सोसाइटी की तरफ से उनका पारंपरिक स्वागत किया जाएगा। राजपक्षे के दौरे को लेकरसुरक्षा-व्यवस्था का जायजा लेने श्रीलंकाई की सिक्योरिटी टीम के साथ ही भारतीय एजेंसियों के अफसर शुक्रवार को बनारस पहुंचे थे।।
from Dainik Bhaskar /uttar-pradesh/varanasi/news/sri-lanka-pm-mahendra-rajapaksa-kashi-visit-latest-news-and-updates-on-sarnath-temple-varanasi-126704273.html
via
वाराणसी. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी रविवार को संत रविदास की जयंती के कार्यक्रममें भाग लेंगी। वे 10 जनवरी को भी रविदास मंदिर में पूजा करने आई थीं। पिछले साल फरवरी में पार्टी महासचिव बनने के बाद वे 20 मार्च को पहली बार वाराणसी आई थीं। इसके बाद 16 मई और 19 जुलाई को यहां पहुंचीं। वाराणसी से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा सदस्य हैं। 2019 के चुनाव में यहां से उनके खिलाफ प्रियंका के उतरने की चर्चा थी।
कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने बताया कि प्रियंका गांधी लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्टसे सीधेसीरगोवर्धन स्थित रविदासमंदिर जाएंगी। यहां वह संत रविदास का दर्शन कर जयंती समारोहमें शामिल होंगी। इसके बाद वेकार्यकर्ताओं से भी मुलाकात कर सकती हैं।
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में जेल गए लोगों से मिलने पहुंची थीं प्रियंका
10 जनवरी को प्रियंका गांधी बनारस के राजघाट स्थित संत रविदास मंदिर में दर्शन करने पहुंची थीं। वहां से नावसे वेपंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ गई थीं। उन्होंने सीएएविरोध करने के दौरान19 दिसंबर को जेल गए लोगों से मुलाकात भी की थी। प्रियंकाकाशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन भी गई थीं।
संत रविदास मंदिर में वीआईपी
21 फरवरी 2008: बसपा प्रमुख मायावतीमंदिर में दर्शन पूजन को पहुंची थी। तब उन्होंने सोने की पालकी का अनावरण किया था।
नवंबर 2011:राहुल गांधी रविदास मंदिर में दर्शन पूजन करने गए थे, लंगर भी खाया।
22 फरवरी 2016: पीएम नरेंद्र मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंदकेजरीवाल भी अलग-अलग दर्शन करने पहुंचे थे।
वाराणसी. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी रविवार को संत रविदास की जयंती के कार्यक्रममें भाग लेंगी। वे 10 जनवरी को भी रविदास मंदिर में पूजा करने आई थीं। पिछले साल फरवरी में पार्टी महासचिव बनने के बाद वे 20 मार्च को पहली बार वाराणसी आई थीं। इसके बाद 16 मई और 19 जुलाई को यहां पहुंचीं। वाराणसी से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा सदस्य हैं। 2019 के चुनाव में यहां से उनके खिलाफ प्रियंका के उतरने की चर्चा थी।
कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय राय ने बताया कि प्रियंका गांधी लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्टसे सीधेसीरगोवर्धन स्थित रविदासमंदिर जाएंगी। यहां वह संत रविदास का दर्शन कर जयंती समारोहमें शामिल होंगी। इसके बाद वेकार्यकर्ताओं से भी मुलाकात कर सकती हैं।
सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में जेल गए लोगों से मिलने पहुंची थीं प्रियंका
10 जनवरी को प्रियंका गांधी बनारस के राजघाट स्थित संत रविदास मंदिर में दर्शन करने पहुंची थीं। वहां से नावसे वेपंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ गई थीं। उन्होंने सीएएविरोध करने के दौरान19 दिसंबर को जेल गए लोगों से मुलाकात भी की थी। प्रियंकाकाशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन भी गई थीं।
संत रविदास मंदिर में वीआईपी
21 फरवरी 2008: बसपा प्रमुख मायावतीमंदिर में दर्शन पूजन को पहुंची थी। तब उन्होंने सोने की पालकी का अनावरण किया था।
नवंबर 2011:राहुल गांधी रविदास मंदिर में दर्शन पूजन करने गए थे, लंगर भी खाया।
22 फरवरी 2016: पीएम नरेंद्र मोदी और दिल्ली के सीएम अरविंदकेजरीवाल भी अलग-अलग दर्शन करने पहुंचे थे।
from Dainik Bhaskar /uttar-pradesh/varanasi/news/congress-priyanka-gandhi-varanasi-today-latest-news-and-updates-on-sant-ravidas-63rd-jayanti-2020-126704450.html
via
लॉस एंजिल्स.92वें एकेडमी अवॉर्ड्स यानी ऑस्कर का आयोजन 9 फरवरी कोहोना है। इस साल भी भारतीय सिनेमा अवॉर्ड सेरेमनी में मौजूदगी दर्ज कराने में सफल नहीं हो पाया। जोया अख्तर की फिल्म ‘गली बॉय’ने भारतीय दर्शकों को उम्मीद जगाई थी, लेकिन फिल्म नॉमिनेशन नहीं पा सकी और लौटा दी गई। फिल्मकारों, कलाकारों और आलोचकों की नजर मेंऑस्कर जैसेप्रतिष्ठित अवॉर्ड में हमारे सिनेमा की लगातारअसफलता का कारण फिल्मों का गलत चयन और राजनीतिहै।
तीन बार ही ऑस्कर नॉमिनेशन तक पहुंची भारतीय फिल्में
केवल तीन बार ही भारतीय फिल्में ऑस्कर नॉमिनेशन तक पहुंच सकीं हैं। पहली बार साल 1958 में फिल्म ‘मदर इंडिया’ को बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था, लेकिन केवल एक वोट के कारण ‘नाइट ऑफ कैबिरिया’ से हार गई थी। 1988 में आई मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे’ भी इस कैटेगरी में नॉमिनेट हो चुकी है। आशुतोष गोवारिकर की ‘लगान’ को भी बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के लिए 2002 में ऑस्कर नॉमिनेशन मिला था।
ऑस्कर के लिए भारत में ऐसे सिलेक्ट की जाती हैं फिल्में
फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक ऑस्कर में भेजे जाने के लिए फिल्मों को आमंत्रित किया जाता है। वेबसाइट पर 2019 को जारी नोटिफिकेशन के अनुसार फिल्म निर्माता मुंबई स्थित ऑफिस में फिल्म एंट्री भेजते हैं। अगर फिल्म एफएफआई द्वारा जारी की गई कुछ शर्तों को पूरा करती है तो फेडरेशन उसफिल्म पर विचार करताहै।
नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने दिल्ली चुनाव में मतदान के बाद शनिवार को पार्टी मीटिंग में हिस्सा लिया। केंद्रीय मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हुई इस बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आम आदमी पार्टी के जीत के दावों को नकारते हुए कहा कि एग्जिट पोल्स गलत हो सकते हैं। इसलिए भाजपा एग्जैक्ट पोल्स (सटीक नतीजों) का इंतजार करेगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा, “दिल्ली चुनाव भाजपा ही जीतेगी और एग्जिट पोल्स और अंतिम नतीजों में बड़ा अंतर होगा। लोकसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल्स गलत साबित हुए थे।”
जावड़ेकर ने आगे कहा, “हमने जमीनी सच्चाई देखी है और इससे अच्छी प्रतिक्रिया मिलती दिख रही है। हम 11 फरवरी को सत्ता में आएंगे। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी एग्जिट पोल्स के गलत होने की बात कही है।” दूसरी तरफ भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने रिपोर्टर्स से बातचीत के दौरान कहा कि पार्टी के वोटर्स दिल्ली में काफी देर से वोट देने के लिए निकले। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल्स की गणित ठीक नहीं होती, इसके आंकड़े सिर्फ 4 से 5 बजे तक के ही होते हैं। एग्जिट पोल्स पहले भी गलत साबित हुए हैं।” लेखी ने साफ किया कि मीटिंग में नेताओं के बीच एग्जिट पोल्स पर भी चर्चा हुई।
from Dainik Bhaskar /national/news/wait-for-exact-polls-exit-polls-can-be-wrong-union-minister-prakash-javadekar-on-delhi-elections-after-meeting-with-amit-shah-126710081.html
via
अहमदाबाद. 1987 में अयोध्या में रामलला मंदिर की डिजाइन तैयार करने वाले शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा मानते हैं किडिजाइन में बदलाव नहीं होना चाहिए। ट्रस्ट को पुराने डिजाइन पर ही निर्माण शुरू कराना चाहिए। सोमपुरा का परिवार 16 पीढ़ियों से मंदिर बना रहा है। अक्षरधाम, सोमनाथ और अंबाजी जैसे कई आस्था स्थल सोमपुरा परिवार के डिजाइन पर ही बने हैं।
चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के आग्रह पर मंदिर की डिजाइन तैयार की थी। वे बताते हैं कि राम मंदिर के लिए बंसी पहाड़पुर के सैंडस्टोन का ही इस्तेमाल होना चाहिए। इन पत्थरों की उम्र 1500 साल मानी जाती है। राम मंदिर के लिए 60 प्रतिशत पत्थर-शिल्प की नक्काशी हो चुकी है। उनमें बदलाव नहीं होना चाहिए। अब उन्हें डिस्टर्ब किया जाता है तो पत्थर तराशने में पिछले 25-30 साल में जो मेहनत हुई है, वह व्यर्थ चली जाएगी। नए काम में व्यर्थ ही समय लगेगा। देखें चंद्रकांत सोमपुरा का वीडियो इंटरव्यू...
ऑटो एक्सपो से सौरभ कुमार की रिपोर्ट.ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में चल रहेऑटो एक्सपो 2020 में करोड़ों की लग्जरी गाड़ियां शोकेस की गईहैं।इनके सामने खड़ी मॉडलरौनकको और बढ़ाती हैं। ऑटो एक्सपो में पहुंचने वाले विजिटर्स इन मुस्कुराती हुई मॉडल्स के साथ फोटो क्लिक कराते नजर आते हैं। देखकर लगता होगा किखड़े रहकर बसमुस्कुराने की कितनी आसान जॉब होती है। इस जॉब के लिए सिर्फ खूबसूरती चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। इस मॉडल्स की मुस्कुराहट के पीछे छिपा होती है खामोशी और संघर्ष। भास्कर ने ऐसी ही कुछ मॉडल से बातचीत की, जिन्होंने मुस्कुराते हुए चहरों के पीछे की कहानी बताई। बताया कि उन्हें दिन में 11 घंटे खड़े रहने के महज 3 से 4 हजार रुपए मिलते हैं।
ठंड में शार्ट ड्रेस में खड़े होना बड़ी चुनौती
ऑटो एक्सपो के हुंडई के हॉल नंबर 3 में मॉडलिंग करने वाली मॉडल राधिका गोयल ने बताया कि ऑटो एक्सपो में करीब 10 से 11 घंटे खड़े रहना पड़ता है। इस बीच डेढ़, दो घंटे की शिफ्ट होती है। इस दौरान हर आने जाने वाले के साथ फोटो क्लिक करते हुए मुस्कुराना पड़ता है। इन मॉडल की मानें, तो दिल्ली-एनसीआर की फरवरी की ठंड में शार्ट ड्रेस में खड़ा रहना होता है, जो काफी चुनौती भरा होता है। राधिका ने बताया कि एक्सपो पहुंचने के लिए उन्हें सुबह 4 बजे उठना पड़ता है और फिर रात के 9 बजे तक घर पहुंचती हैं। हाई हील्स पहनकर 10 से 11 घंटे खड़े रहने की वजह से ऐड़ियां दुखने लगती हैं। इसकी वजह से रात में नींद तक नहीं आती है। वहीं लगातार मुस्कुराने की वजह से लगता है कि गाल खिंच गए हैं।
कैसे होता है सिलेक्शन
मॉडल ने बातचीत में बताया कि उन्हें Crew4events की तरफ से मॉडलिंग के लिए सिलेक्ट किया जाता है। पिछले सात सालों से ऑटो एक्सपो के लिए मॉडल का सिलेक्शन क्रू4इवेंट्स के जरिए किया जाता है। इसके बाद जिस क्लाइंट के लिए मॉडलिंग करनी होती है, उस क्लाइंट की तरफ से दोबारा सिलेक्शन होता है। राधिका के मुताबिक, सिलेक्शन की प्रक्रिया काफी डिप्रेशन वाली होता है। कई मॉडल को जब उनके लुक्स की वजह से रिजेक्ट कर दिया जाता है, तो वेडिप्रेशन तक में चली जाती हैं।
कितनी होती है कमाई
राधिका ने बताया किपेशे से चार्टर्डअकाउंटेंट हूं,लेकिन फैशन की दुनिया उन्हें आकर्षित करती थी। इसलिए मॉडलिंग की दुनिया में आने के बारे में सोचा,लेकिन फैशन की दुनिया में आने के बाद इसकी चुनौतियों से रुबरू होना पड़ा। फैशन इंडस्ट्री में घरेलू मॉडल को विदेशी मॉडल के मुकाबले आधे पैसे मिलते हैं। विदेशी मॉडल को एक दिन के करीब 14 से 15 हजार रुपए मिलते हैं, जबकि घरेलू 5 से 7 साल एक्सपीरिएंस वाली मॉडल को 7 हजार रुपए तक मिलते हैं। वहीं नई मॉडल को 3 हजार तक मिलते हैं। वहीं काम मिलने को लेकर काफी दुविधा रहती है। जब कोई बड़ा इवेंट होता है, तब ही काम मिलता है वरना खर्च निकालना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं विदेशी मॉडल की आने की वजह से इस फील्ड में कॉम्पटीशनबढ़ गया है। राधिका के मुताबिक 5 फुट 2 इंज से कम हाइट वाली मॉडल को रैंप पर चलने का मौका नहीं दिया जाता है, जबकि विदेशी मॉडल के आमतौर पर इससे ज्यादा ही हाइट होती है।
मॉडलिंग का पैमानाक्या है
उम्र- 18 से ज्यादा होनी चाहिए
हाइट- लड़की की हाइट 5 फुट 8 इंच और लड़कियों के लिए 5 फुट 2 इंच होनी चाहिए
अपीयरेंस - खूबसूरत पर्सनैलिटी, स्लिम बॉडी
भाषा - अच्छी हिंदी और अंग्रेजी
ब्रांड के बारे में अच्छी जानकारी
क्या सुविधाएंमिलती हैं
ट्रैवल और खाने का खर्च
ड्रेस
फुट वियर
एसेसरीज
एक पहलू ऐसा भी: 2016 की ऑटो एक्सपो की बोलती तस्वीर
2016 में ग्रेटर नोएडा में हुई ऑटो एक्सपो के 13वें पड़ाव की यह तस्वीर वायरल हुई थी। हिंदुस्तान टाइम्स के फोटोग्राफर सुनील घोष ने यह तस्वीर उतारी थी और इसे एचटी की वेबसाइट पर प्रकाशित किया था और इसका शीर्षक दिया था -‘Lecherous men’, heels that hurt: A model’s life at Auto Expo. बाद में यह तस्वीर reditt.com परUnholy Stare @ Auto Expo 2016 थ्रेड से पब्लिश हुई थी।
इस तस्वीर में एक पुलिसकर्मी और दो मॉडल हैं जो ब्रेक में हॉल नंबर 9 के बाहर थोड़ा सुस्ता रही हैं और एक कप कॉपी से थकान मिटाने की कोशिश कर रही है। पुलिसकर्मी बड़े गौर से बीच में बैठीं मॉडल के कॉफी के कप को देख रहा है, जबकि उसका ध्यान कहीं ओर है। दांयी ओर, एकदम कोने में बैठी मॉडल नंगे पैर हैं क्योंकि हाई हील के कारण उसके तलवे दर्द करने लगे थे।
सोशल मीडिया पर इस तस्वीर पर बहुत से कमेंट आए। कुछ लोगों ने पुलिसकर्मी के घूरने को गलत बताया और कुछ ने मॉडल को नसीहत दी। हालांकि, बहुत से लोगों ने मॉडल्स के साथ सहानुभूति भी जताई और उनके काम को सराहा। कुल मिलाकर यह तस्वीर ऑटो एक्सपो के एक और पहलू से रूबरू कराती है जो दिखने में तो बहुत ग्लैमरस लगता है, लेकिन उसमें उतना ही दर्द भरा है।
विजयवाड़ा. आंध्र प्रदेश सरकार ने महिला सुरक्षा को लेकर एक पहल की है। इसके तहत राजमुंदरी मे देश का पहला ‘दिशा’ महिला पुलिस स्टेशन खोला गया है। आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने शनिवार को इसका उद्घाटन किया। राज्य में 18 ‘दिशा’ पुलिस स्टेशन स्थापित किए जाएंगे। ये पुलिस स्टेशन 24 घंटे कार्य करेंगे। दिशा कंट्रोल रूम भी 24 घंटे काम करेंगे। इसके लिए 52 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
महिला पुलिस स्टेशन का नाम तेलंगाना में पिछले साल जिंदा जली दुष्कर्म पीड़िता दिशा के नाम पर रखा गया है। डीजीपी गौतम सवांग ने बताया कि तेलंगाना में दिसंबर में हुए ‘दिशा’ दुष्कर्म और हत्या मामले के बाद सीएम ने दिशा एक्ट लाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था- ‘दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को 21 दिन में मौत की सजा दिलाने के लिए दिशा एक्ट 2019 कानून बनाया जाएगा।’ आंध्र सरकार ने एपी दिशा एक्ट-2019 प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति के पास भेजा था।’
थाने में फोरेंसिक लैब और विशेष अदालत भी
दिशा थाने में मामले की जांच के अलावा फोरेंसिक लैब और विशेष अदालत होगी। कोर्ट में 21 दिन में मामले की सुनवाई पूरी की जाएगी। आरोपियों के खिलाफ दिशा कानून के अनुसार कार्रवाई करके कड़ी सजा दी जाएगी। इसके अलावा दिशा एप और महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जाएगा।’
लखनऊ.‘‘मैं इतना इमोशनल तो नहीं हूं, पर मैं आपसे मिलकर बहुत इमोशनल हो गया।ये मेरे लिए बहुत गौरव की बात है कि आपसे इस डिफेंस एक्सपो में मुलाकात हुई।’’अर्नब चटर्जी चौंकते हुए बोले। उनके सामने परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय के पिता गोपीचंद पाण्डेय और मां मोहिनी खड़ी थीं। अर्नब कैप्टन मनोज पाण्डेय के प्लाटून के साथी रहे हैं। कैप्टन मनोज पाण्डेय के माता-पिता हमारे साथ डिफेंस एक्सपो की सैर पर थे।
डिफेंस एक्सपो में दाखिल होते ही मिग-21 शान से खड़ा था। लोग उसके अगल-बगल, आगे-पीछे खड़े होकर फोटो खिंचा रहे थे। तब शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय की मां मोहिनी को उनके बीच के दो जवान याद आ गए। मोहिनी कहती हैं- ‘‘मनोज के दो साथी थे चेतन और मयूर मयंक। दोनों जगुआर से अंबाला से उड़े थे। एक ही जहाज में दोनों थे और वह पहाड़ियों में कहीं क्रैश हो गया था। दोनों ही शहीद हो गए थे। उसमें से एक बच्चा तो कन्नौज का था। दोनों मनोज के जूनियर थे। मयूर को तो बेस्ट पायलट का अवार्ड भी मिला था। अभी 2002 की ही तो बात है।’’
थोड़ी दूर चलते ही चीता हेलिकॉप्टर देख कर दोनों रोमांचित हो उठे। बोले- ‘‘एनडीए के दौरान जब हम मनोज के पास जाते थे तो ऐसे ही वहां भी डेमो वगैरह खड़े रहते थे। हम लोग निशान देख कर समझ जाते हैं कि वह कौन सा हथियार है।’’ पिता गोपीचंद्र ने बताया कि मनोज ने मां को हेलीकाॅप्टर में बिठाया भी था। तोपों को देख कर मां बोलीं,‘आप लोगों को लगता होगा कि यह बहुत धीरे चलतीहै। लेकिन हम लोगों ने देखा है यह बहुत तेज भागतीहै। इसको इसी तरह से डिजाइन किया गया है। हम लोग अभी 15 जनवरी को सेना दिवस पर दिल्ली गए थे। हमें सेना से बुलावा आया था। वहां हमने इन तोपों को चलते हुए देखा। ये तो पहाड़ियों पर भी चढ़ जाती हैं।’’
गोपीचंदकहते हैं,‘‘मनोज कभी हम लोगों से आर्मी की बात नहीं करता था। न ही कभी बताता था कि कौन सी गन लेकर चलता है... वहां क्या-क्या करता है... घर पर आकर टीशर्ट और हाफ पेंट में बच्चों में रम जाता था। वह बचपन से ही पढ़ने में होशियार था। सैनिक स्कूल में पहुंचने पर उसके मन में सिर्फ और सिर्फ सेना में जाने का मकसद था, जिसे उसने पूरा किया।’’
हम आगे बढ़ रहे थे कि अचानक से एक सूटेड-बूटेड रौबदार व्यक्ति सामने से अपनी फैमिली के साथ आकर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और अपना परिचय देते हुए बोला- मैं कर्नल आलोक... क्या आप कैप्टन मनोज पाण्डेय के माता-पिता हैं। हां में जवाब सुनते ही वेखुश हो गए और परिवार का हाल-चाल पूछने लगे और जाते हुए पूरा एक्सपो घुमने की ताकीद भी करते गए। इस दौरान मनोज की मां का हाथ अपने हाथों में पकड़े रहे जैसे उनकी अपनी मां हो। आगे बढ़ते ही मां मोहिनी कहती हैं कि मेरा बेटा चला गया, लेकिन ये सम्मान कमा कर गया है। हमें उस पर गर्व है।यह भीकहती हैं कि मनोज ने अपने ओहदे का कभी फायदा नहीं उठाया। भीड़ की वजह से हमें जैसे अभी बताना पड़ा ना कि हम कैप्टन मनोज पाण्डेय के माता-पिता हैं, लेकिन अगर मनोज होते तो वह यहां से वापस लौट गए होते, लेकिन अपना परिचय नहीं देते। वह नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से किसी आम आदमी को तकलीफ हो या उसे किसी हीन भावना से ग्रसित होना पड़े। वह कहते थे कि सेना का कार्ड बड़ी मुश्किल से मिलता है। और उससे भी बड़ी बात यह कि सबको नहीं मिलता है। इसका सम्मान रखना चाहिए।’
ग्राउंड का लंबा चक्कर लगाते हुए हम लोग हॉल नंबर-4 में पहुंचे, जहां सेना की वर्दी पहने एक पुतला खड़ा था। मां मोहिनी उसे एक टक निहारती रहीं, फिर नम आंखों से कहती हैं ‘बेटे को वर्दी में देखने का सपना था जो अब ताउम्र नहीं पूरा हो सकेगा। वह जब घर आता तो कभी वर्दी नहीं पहनता। न ही वहां की बातें ही बताता। अभी कई सपने थे। बच्चे की शादी होनी थी। उसके बच्चे देखने थे। सब ख्वाहिशें अधूरी रह गईं।
हम उस वक्त सुंदरम इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के स्टाल पर खड़े थे, जहां मनोज के छोटे भाई मनमोहन के कलीग भी खड़े थे। उन्होंने स्टाल के मालिक अर्नब से परिचय कराया तो अर्नब भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि वह और मनोज दोनों एक ही प्लाटून के साथ थे। मनोज सीनियर थे। मुझे नहीं मालूम था कि मैं आपसे कभी मिल पाऊंगा। यह मेरे लिए गौरव की बात है। मैं आपके साथ एक पिक्चर लेना चाहता हूं। इस बातचीत के दौरान मनोज के माता-पिता की आंखें भी नम हो रही थीं।
एक स्टॉल पर बंदूक देख गोपीचंदकहते हैं कि ‘घर में सिक्यूरिटी रीजन की वजह से बंदूक तो है, पर कभी चलाई नहीं। न ही कभी शौक रहा। दिल्ली के प्रगति मैदान का डिफेंस एक्सपो भी देखा है। सेना के कई कार्यक्रमों में शिरकत की, जहां बड़े-बड़े हथियारों की प्रदर्शनी देखी। पर हर बार सोचता हूं कि मनोज के साथ ऐसी जगहों पर घूमता तो मजा कुछ और होता। बेटा वर्दी में होता और हम उसके बगल में होते। पर दो साल की नौकरी में वह इतना कुछ कर गए कि जब तक सेना रहेगी मनोज का नाम भी रहेगा। बड़े-बड़े अधिकारी बोलते हैं कि मनोज होते तो जनरल की रैंक से रिटायर होते।’
अयोध्या. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में पूर्व अयोध्या राजघराने के विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को शामिल करने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।विमलेंद्र ने एक बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। कई लोग राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान पर भी सवाल उठा रहे हैं। मिश्र परिवार ने 1994-95 में करीब 10 एकड़ जमीन, जो उनकी मां के नाम थी, उसे विहिप की राम जन्मभूमि न्यास को दान की थी, जिसकी कीमत उस समय96 लाख रुपए थी। विमलेंद्र मोहन ने भास्कर से कहा, ‘‘प्रभु श्रीराम की कृपा से रातभर में ही अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई, इससे ज्यादा और क्या मिलेगा।’’ कहा जा रहा है कि विमलेंद्र मोहन राम मंदिर आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे। इस पर वे कहते हैं- ये भी तो जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से संबंध रखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता।
10 एकड़ जमीन पर ही बनी है विहिप की कार्यशाला
मिश्र परिवार द्वारा दी गई जमीन पर विहिप की कार्यशाला बनी। वहां पर कई वर्षों से राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम चल रहा है। अब इसकी कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है। विहिप के मंदिर आंदोलन के दौरान विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल से केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ही कड़ी का काम करते थे। मिश्र ने भास्कर से ट्रस्ट को लेकर बात की। पढ़िए इनसे बातचीत केप्रमुख अंश...
भास्कर: क्या कभी सोचा था कि मंदिर निर्माण के ट्रस्ट में प्रमुख 9 में ट्रस्टियों में आपको जगह मिलेगी और मंदिर निर्माण से सीधे जुड़ेंगे? विमलेंद्र मोहन: सपने में भी नहीं सोचा था। जो जिम्मेदारी मिलीहै,अब इस पर खरा उतरना है। यह सब प्रभु राम की कृपा ही होगी, जिससे यह संभव हो पाया। उनकी असीम कृपा से ही सेवा का अवसर मिला है।
भास्कर: किस तरह से ट्रस्ट में शामिल हुए। इसमें किसका सहयोग मिला? विमलेंद्र मोहन: मैंने कोई प्रयास नहीं किया। मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरा नाम श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल किया जा रहा है। मैं तो किसी से मिला भी नहीं,लेकिनअब मेरे पास जो कुछ है वह प्रभु राम के लिए समर्पित है।
भास्कर: राम मंदिर के निर्माण को लेकर आपके विचार मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक क्या रहे? विमलेंद्र मोहन: मैं भव्य राम मंदिर के निर्माण का सदैव समर्थक रहा। मंदिर के लिए तन-मन-धन से सहयोग की भावना रख कर काम किया है। अब इसके निर्माण में भी हर तरह से सहयोग करने के लिए तैयार रहूंगा।
भास्कर: रिसीवर बनने के बाद अधिग्रहीत परिसर की व्यवस्था में क्या बदलाव करना चाहेंगे? विमलेंद्र मोहन: अभी मैं इसका जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। बैठक जल्द ही होगी। ट्रस्ट की बैठक में वरिष्ठ जो तय करेंगे, वही होगा। यह नीतिगत मामला है। अकेले कोई सदस्य कुछ तय नहीं कर सकता।
भास्कर: राम मंदिर निर्माण से सीधा जुड़ने से कैसा अनुभव कर रहे हैं? विमलेंद्र मोहन: जिम्मेदारी जो भी मिलेगी, उस पर समर्पण भावना से काम करके खरा उतरने की कोशिश करूंगा। प्रभु श्रीराम की कृपा से ही एक ही दिन में अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई। इससे बड़ा क्या मिलेगा। अब तो यही इच्छा है किप्रभु राम के भव्य मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू हो जाए।
भास्कर: आरोप यह भी लग रहे हैं कि आप राम मंदिर आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे? विमलेंद्र मोहन: जीवन में यह जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से संबंधरखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता। हमारे सभी लोगों से अच्छे संबंध हैं। इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
अयोध्या. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में पूर्व अयोध्या राजघराने के विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को शामिल करने को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।विमलेंद्र ने एक बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। कई लोग राम मंदिर आंदोलन में उनके योगदान पर भी सवाल उठा रहे हैं। मिश्र परिवार ने 1994-95 में करीब 10 एकड़ जमीन, जो उनकी मां के नाम थी, उसे विहिप की राम जन्मभूमि न्यास को दान की थी, जिसकी कीमत उस समय96 लाख रुपए थी। विमलेंद्र मोहन ने भास्कर से कहा, ‘‘प्रभु श्रीराम की कृपा से रातभर में ही अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई, इससे ज्यादा और क्या मिलेगा।’’ कहा जा रहा है कि विमलेंद्र मोहन राम मंदिर आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे। इस पर वे कहते हैं- ये भी तो जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से संबंध रखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता।
10 एकड़ जमीन पर ही बनी है विहिप की कार्यशाला
मिश्र परिवार द्वारा दी गई जमीन पर विहिप की कार्यशाला बनी। वहां पर कई वर्षों से राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम चल रहा है। अब इसकी कीमत करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है। विहिप के मंदिर आंदोलन के दौरान विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल से केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से वार्ता के दौरान विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ही कड़ी का काम करते थे। मिश्र ने भास्कर से ट्रस्ट को लेकर बात की। पढ़िए इनसे बातचीत केप्रमुख अंश...
भास्कर: क्या कभी सोचा था कि मंदिर निर्माण के ट्रस्ट में प्रमुख 9 में ट्रस्टियों में आपको जगह मिलेगी और मंदिर निर्माण से सीधे जुड़ेंगे? विमलेंद्र मोहन: सपने में भी नहीं सोचा था। जो जिम्मेदारी मिलीहै,अब इस पर खरा उतरना है। यह सब प्रभु राम की कृपा ही होगी, जिससे यह संभव हो पाया। उनकी असीम कृपा से ही सेवा का अवसर मिला है।
भास्कर: किस तरह से ट्रस्ट में शामिल हुए। इसमें किसका सहयोग मिला? विमलेंद्र मोहन: मैंने कोई प्रयास नहीं किया। मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरा नाम श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल किया जा रहा है। मैं तो किसी से मिला भी नहीं,लेकिनअब मेरे पास जो कुछ है वह प्रभु राम के लिए समर्पित है।
भास्कर: राम मंदिर के निर्माण को लेकर आपके विचार मंदिर आंदोलन से लेकर अब तक क्या रहे? विमलेंद्र मोहन: मैं भव्य राम मंदिर के निर्माण का सदैव समर्थक रहा। मंदिर के लिए तन-मन-धन से सहयोग की भावना रख कर काम किया है। अब इसके निर्माण में भी हर तरह से सहयोग करने के लिए तैयार रहूंगा।
भास्कर: रिसीवर बनने के बाद अधिग्रहीत परिसर की व्यवस्था में क्या बदलाव करना चाहेंगे? विमलेंद्र मोहन: अभी मैं इसका जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। बैठक जल्द ही होगी। ट्रस्ट की बैठक में वरिष्ठ जो तय करेंगे, वही होगा। यह नीतिगत मामला है। अकेले कोई सदस्य कुछ तय नहीं कर सकता।
भास्कर: राम मंदिर निर्माण से सीधा जुड़ने से कैसा अनुभव कर रहे हैं? विमलेंद्र मोहन: जिम्मेदारी जो भी मिलेगी, उस पर समर्पण भावना से काम करके खरा उतरने की कोशिश करूंगा। प्रभु श्रीराम की कृपा से ही एक ही दिन में अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गई। इससे बड़ा क्या मिलेगा। अब तो यही इच्छा है किप्रभु राम के भव्य मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू हो जाए।
भास्कर: आरोप यह भी लग रहे हैं कि आप राम मंदिर आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे? विमलेंद्र मोहन: जीवन में यह जरूरी नहीं कि दूसरे दलों से संबंधरखने वाला प्रभु श्रीराम का भक्त नहीं हो सकता। हमारे सभी लोगों से अच्छे संबंध हैं। इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
from Dainik Bhaskar /uttar-pradesh/lucknow/news/former-royal-family-member-vimalinder-mohan-donated-10-acres-of-land-for-vhp-workshop-close-to-ashok-singhal-126709072.html
via
लखनऊ.‘‘मैं इतना इमोशनल तो नहीं हूं, पर मैं आपसे मिलकर बहुत इमोशनल हो गया।ये मेरे लिए बहुत गौरव की बात है कि आपसे इस डिफेंस एक्सपो में मुलाकात हुई।’’अर्नब चटर्जी चौंकते हुए बोले। उनके सामने परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय के पिता गोपीचंद पाण्डेय और मां मोहिनी खड़ी थीं। अर्नब कैप्टन मनोज पाण्डेय के प्लाटून के साथी रहे हैं। कैप्टन मनोज पाण्डेय के माता-पिता हमारे साथ डिफेंस एक्सपो की सैर पर थे।
डिफेंस एक्सपो में दाखिल होते ही मिग-21 शान से खड़ा था। लोग उसके अगल-बगल, आगे-पीछे खड़े होकर फोटो खिंचा रहे थे। तब शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय की मां मोहिनी को उनके बीच के दो जवान याद आ गए। मोहिनी कहती हैं- ‘‘मनोज के दो साथी थे चेतन और मयूर मयंक। दोनों जगुआर से अंबाला से उड़े थे। एक ही जहाज में दोनों थे और वह पहाड़ियों में कहीं क्रैश हो गया था। दोनों ही शहीद हो गए थे। उसमें से एक बच्चा तो कन्नौज का था। दोनों मनोज के जूनियर थे। मयूर को तो बेस्ट पायलट का अवार्ड भी मिला था। अभी 2002 की ही तो बात है।’’
थोड़ी दूर चलते ही चीता हेलिकॉप्टर देख कर दोनों रोमांचित हो उठे। बोले- ‘‘एनडीए के दौरान जब हम मनोज के पास जाते थे तो ऐसे ही वहां भी डेमो वगैरह खड़े रहते थे। हम लोग निशान देख कर समझ जाते हैं कि वह कौन सा हथियार है।’’ पिता गोपीचंद्र ने बताया कि मनोज ने मां को हेलीकाॅप्टर में बिठाया भी था। तोपों को देख कर मां बोलीं,‘आप लोगों को लगता होगा कि यह बहुत धीरे चलतीहै। लेकिन हम लोगों ने देखा है यह बहुत तेज भागतीहै। इसको इसी तरह से डिजाइन किया गया है। हम लोग अभी 15 जनवरी को सेना दिवस पर दिल्ली गए थे। हमें सेना से बुलावा आया था। वहां हमने इन तोपों को चलते हुए देखा। ये तो पहाड़ियों पर भी चढ़ जाती हैं।’’
गोपीचंदकहते हैं,‘‘मनोज कभी हम लोगों से आर्मी की बात नहीं करता था। न ही कभी बताता था कि कौन सी गन लेकर चलता है... वहां क्या-क्या करता है... घर पर आकर टीशर्ट और हाफ पेंट में बच्चों में रम जाता था। वह बचपन से ही पढ़ने में होशियार था। सैनिक स्कूल में पहुंचने पर उसके मन में सिर्फ और सिर्फ सेना में जाने का मकसद था, जिसे उसने पूरा किया।’’
हम आगे बढ़ रहे थे कि अचानक से एक सूटेड-बूटेड रौबदार व्यक्ति सामने से अपनी फैमिली के साथ आकर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और अपना परिचय देते हुए बोला- मैं कर्नल आलोक... क्या आप कैप्टन मनोज पाण्डेय के माता-पिता हैं। हां में जवाब सुनते ही वेखुश हो गए और परिवार का हाल-चाल पूछने लगे और जाते हुए पूरा एक्सपो घुमने की ताकीद भी करते गए। इस दौरान मनोज की मां का हाथ अपने हाथों में पकड़े रहे जैसे उनकी अपनी मां हो। आगे बढ़ते ही मां मोहिनी कहती हैं कि मेरा बेटा चला गया, लेकिन ये सम्मान कमा कर गया है। हमें उस पर गर्व है।यह भीकहती हैं कि मनोज ने अपने ओहदे का कभी फायदा नहीं उठाया। भीड़ की वजह से हमें जैसे अभी बताना पड़ा ना कि हम कैप्टन मनोज पाण्डेय के माता-पिता हैं, लेकिन अगर मनोज होते तो वह यहां से वापस लौट गए होते, लेकिन अपना परिचय नहीं देते। वह नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से किसी आम आदमी को तकलीफ हो या उसे किसी हीन भावना से ग्रसित होना पड़े। वह कहते थे कि सेना का कार्ड बड़ी मुश्किल से मिलता है। और उससे भी बड़ी बात यह कि सबको नहीं मिलता है। इसका सम्मान रखना चाहिए।’
ग्राउंड का लंबा चक्कर लगाते हुए हम लोग हॉल नंबर-4 में पहुंचे, जहां सेना की वर्दी पहने एक पुतला खड़ा था। मां मोहिनी उसे एक टक निहारती रहीं, फिर नम आंखों से कहती हैं ‘बेटे को वर्दी में देखने का सपना था जो अब ताउम्र नहीं पूरा हो सकेगा। वह जब घर आता तो कभी वर्दी नहीं पहनता। न ही वहां की बातें ही बताता। अभी कई सपने थे। बच्चे की शादी होनी थी। उसके बच्चे देखने थे। सब ख्वाहिशें अधूरी रह गईं।
हम उस वक्त सुंदरम इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के स्टाल पर खड़े थे, जहां मनोज के छोटे भाई मनमोहन के कलीग भी खड़े थे। उन्होंने स्टाल के मालिक अर्नब से परिचय कराया तो अर्नब भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि वह और मनोज दोनों एक ही प्लाटून के साथ थे। मनोज सीनियर थे। मुझे नहीं मालूम था कि मैं आपसे कभी मिल पाऊंगा। यह मेरे लिए गौरव की बात है। मैं आपके साथ एक पिक्चर लेना चाहता हूं। इस बातचीत के दौरान मनोज के माता-पिता की आंखें भी नम हो रही थीं।
एक स्टॉल पर बंदूक देख गोपीचंदकहते हैं कि ‘घर में सिक्यूरिटी रीजन की वजह से बंदूक तो है, पर कभी चलाई नहीं। न ही कभी शौक रहा। दिल्ली के प्रगति मैदान का डिफेंस एक्सपो भी देखा है। सेना के कई कार्यक्रमों में शिरकत की, जहां बड़े-बड़े हथियारों की प्रदर्शनी देखी। पर हर बार सोचता हूं कि मनोज के साथ ऐसी जगहों पर घूमता तो मजा कुछ और होता। बेटा वर्दी में होता और हम उसके बगल में होते। पर दो साल की नौकरी में वह इतना कुछ कर गए कि जब तक सेना रहेगी मनोज का नाम भी रहेगा। बड़े-बड़े अधिकारी बोलते हैं कि मनोज होते तो जनरल की रैंक से रिटायर होते।’
from Dainik Bhaskar /uttar-pradesh/lucknow/news/one-day-with-the-parents-of-param-vir-chakra-winner-martyr-captain-manoj-pandey-mother-said-sapna-remained-incomplete-i-wish-i-could-come-here-with-manoj-126708805.html
via
खेल डेस्क. अंडर-19 वर्ल्ड कप का फाइनल भारत-बांग्लादेश के बीच रविवार को दक्षिण अफ्रीका के पोश्चफेस्ट्रूम में खेला जाएगा। मौजूदा चैम्पियनभारत का यह 7वां फाइनल है। टीम केपास 5वीं बार खिताब जीतने का मौका है। टीम इंडिया इस बार टूर्नामेंट में एक भी मैच नहीं हारी।उसनेसेमीफाइनल में पाकिस्तान को 10 विकेट से हराया था।यशस्वी जायसवाल ने 105 रन की पारी खेली थी। भारत 2000 में पहली बार चैम्पियन बना था। इसके बाद 2006 में उपविजेता, 2008 में विजेता, 2012 में विजेता, 2016 में उपविजेता और 2018 में विजेता बना। बांग्लादेश पहली बार किसी आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचा है। उसने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को 6 विकेट से हराया था।
भारत मौजूदा वर्ल्ड कप में सभी 5 मैच जीता
भारत ने ग्रुप स्टेज के पहले मैच में श्रीलंका को 90 रन से हराया था, जबकि दूसरे में पहली बार वर्ल्ड कप खेल रहे जापान को 10 विकेट से शिकस्त दी। उस मैच में भारत ने जापान को 42 रन पर ऑलआउट किया था। आखिरी ग्रुप मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को 44 रन (डकवर्थ लुइस नियम) से मात दी। भारत ने क्वार्टरफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 74 रन से मात दी। सेमीफाइनल में उसने पाकिस्तान पर 10 विकेट से जीत दर्ज की। उसने पाकिस्तान को टूर्नामेंट के इतिहास में लगातार चौथी बार हराया था।
बांग्लादेश ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को हराया था
बांग्लादेश ने ग्रुप स्टेज में तीन में से दो मुकाबले जीते। जबकि बारिश के कारण एक मैच बेनतीजा रहा। बांग्लादेश ने पहले लीग मुकाबले में जिम्बाब्वे को 9 विकेट से हराया था। उसने दूसरे लीग मैच में स्कॉटलैंड को 7 विकेट से मात दी। पाकिस्तान के खिलाफ हुआ तीसरा लीग मैच बारिश के कारण बेनतीजा रहा। क्वार्टरफाइनल में बांग्लादेश ने मेजबान दक्षिण अफ्रीका को 104 रन से हराया। न्यूजीलैंड को हराकर उसने फाइनल में जगह बनाई।
यशस्वी जायसवाल वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज
यशस्वी जायसवाल इस टूर्नामेंटमें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। उन्होंने 5 मैच में 156 की औसत से 312 रन बनाए हैं। इसमें 1 शतक और3 अर्धशतक शामिल हैं। इस दौरान वे सिर्फ दो मैचों में ही आउट हुए। वहीं रवि बिश्नोई ने भारत के लिए सबसे ज्यादा 13 विकेट लिए हैं। इसके अलावा कार्तिक त्यागी ने भी 11 विकेट हासिल किए हैं।
पिच और मौसम की रिपोर्ट
भारत ने सेन्यूस पार्क पोश्चफेस्ट्रूम के मैदान पर ही पाकिस्तान को सेमीफाइनल में करारी शिकस्त दी थी। मैदान से कुछ दूरी पर मूई नदी है। यहां तेज हवा चलती हैं, जिसकी वजह से तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है। इस विकेट पर शुरुआत में तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है। हालांकि, कुछ वक्त बाद उछाल कम हो जाता है और बल्लेबाज स्ट्रोक्स खेल सकते हैं। इस विकेट पर 270 का स्कोर किया जा सकता है। पिछले मुकाबले में पाकिस्तान ने सिर्फ 172 रन बनाए थे। भारत 10 विकेट से जीता था। इस मैच बारिश खलल डाल सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, मैच में बारिश होने की 50 प्रतिशत आशंका है। तापमान करीब 20 डिग्री सेल्सियस रहेगा।
नई दिल्ली. नोवेल कोरोनोवायरस की वजह से 810 चीन के नागरिकों की मौत हो गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शनिवार को कहा कि जो विदेशी 15 जनवरी को या उसके बाद चीन गए, उन्हें भारत आनेकी अनुमति नहीं दी जाएगी। डीजीसीए ने शनिवार को एयरलाइंस को दिए अपने सर्कुलर में कहा कि पांच फरवरी से पहले चीनी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा निलंबित कर दिए गए हैं। उधर, चीन में कोरोनावायरस से 810 लोगों की मौत हो गई है। जबकि हॉन्गकॉन्ग और फिलीपींस में 1-1 युवक की जान गई है। चीन में अब तक 37111 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
हालांकि, डीजीसीए ने स्पष्ट किया कि ये वीजा प्रतिबंध एयरक्रू पर लागू नहीं होंगे। एयरक्रू चीनी नागरिक या चीन से आने वाले अन्य विदेशी नागरिक हो सकते हैं। 15 जनवरी या उसके बाद चीन जाने वाले विदेशियों को भारत-नेपाल, भारत-भूटान, भारत-बांग्लादेश या भारत-म्यांमार भूमि सीमाओं समेत किसी भी हवाई, भूमि या बंदरगाह से भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
इंडिगो और एयर इंडिया ने चीन के लिए उड़ानें निलंबित की
भारतीय एयरलाइंस में इंडिगो और एयर इंडिया ने दोनों देशों के बीच अपनी सभी उड़ानें निलंबित कर दी हैं। स्पाइसजेट की दिल्ली से हॉन्गकॉन्ग के लिए उड़ान सेवा अभी जारी है। 1 और 2 फरवरी को एयर इंडिया ने चीनी शहर वुहान से भारतीय नागरिकोंको निकालने के लिए अपने दो विशेष विमान भेजे थे। सात मालदीव के नागरिकों समेत 647 भारतीयों को वहां से नई दिल्ली लाया गया था।
चीन ने कोरोनावायरस का नाम एनसीपी रखा
चीन ने कोरोनावायरस का नाम बदलकर नोवेल कोरोनावायरस निमोनिया (एनसीपी) रखा है। सरकार ने कहा है कि वहां की सरकारी संस्थाओं द्वारा इसे एनसीपी के नाम से जाना जाएगा। वायरस की वजह से चीन में 30 से ज्यादा शहरों को लॉकडाउन कर दिया गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत में 780 लोगों की मौत हो चुकी है।
नई दिल्ली. नोवेल कोरोनोवायरस की वजह से 810 चीन के नागरिकों की मौत हो गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने शनिवार को कहा कि जो विदेशी 15 जनवरी को या उसके बाद चीन गए, उन्हें भारत आनेकी अनुमति नहीं दी जाएगी। डीजीसीए ने शनिवार को एयरलाइंस को दिए अपने सर्कुलर में कहा कि पांच फरवरी से पहले चीनी नागरिकों को जारी किए गए सभी वीजा निलंबित कर दिए गए हैं। उधर, चीन में कोरोनावायरस से 810 लोगों की मौत हो गई है। जबकि हॉन्गकॉन्ग और फिलीपींस में 1-1 युवक की जान गई है। चीन में अब तक 37111 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
हालांकि, डीजीसीए ने स्पष्ट किया कि ये वीजा प्रतिबंध एयरक्रू पर लागू नहीं होंगे। एयरक्रू चीनी नागरिक या चीन से आने वाले अन्य विदेशी नागरिक हो सकते हैं। 15 जनवरी या उसके बाद चीन जाने वाले विदेशियों को भारत-नेपाल, भारत-भूटान, भारत-बांग्लादेश या भारत-म्यांमार भूमि सीमाओं समेत किसी भी हवाई, भूमि या बंदरगाह से भारत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।
इंडिगो और एयर इंडिया ने चीन के लिए उड़ानें निलंबित की
भारतीय एयरलाइंस में इंडिगो और एयर इंडिया ने दोनों देशों के बीच अपनी सभी उड़ानें निलंबित कर दी हैं। स्पाइसजेट की दिल्ली से हॉन्गकॉन्ग के लिए उड़ान सेवा अभी जारी है। 1 और 2 फरवरी को एयर इंडिया ने चीनी शहर वुहान से भारतीय नागरिकोंको निकालने के लिए अपने दो विशेष विमान भेजे थे। सात मालदीव के नागरिकों समेत 647 भारतीयों को वहां से नई दिल्ली लाया गया था।
चीन ने कोरोनावायरस का नाम एनसीपी रखा
चीन ने कोरोनावायरस का नाम बदलकर नोवेल कोरोनावायरस निमोनिया (एनसीपी) रखा है। सरकार ने कहा है कि वहां की सरकारी संस्थाओं द्वारा इसे एनसीपी के नाम से जाना जाएगा। वायरस की वजह से चीन में 30 से ज्यादा शहरों को लॉकडाउन कर दिया गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत में 780 लोगों की मौत हो चुकी है।
from Dainik Bhaskar /national/news/coronavirus-outbreak-india-live-news-updates-on-china-wuhan-hubei-coronavirus-death-toll-and-travel-alert-126708091.html
via
श्रीनगर से इकबाल. जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगने के 5 महीने बाद उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती पर भी यही कानून लगा दिया गया है। इस तरह अब तीनों पूर्व सीएम पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लग चुका है। इसके तहत किसी को भी बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रखा जा सकता है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने कश्मीर से सॉफ्ट सेपरेटिज्म यानी जुबां पर लोकतंत्र और दिल में अलगाववाद की सियासत को खत्म करने के लिए तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाने का कदम उठाया है।
पीएसए 1978 में बना था
पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 में जम्मू-कश्मीर में लागू कर दिया गया था। पहले तो यह कानून लकड़ी की तस्करी करने वालों के खिलाफ बना था, लेकिन धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल अन्य आपराधिक मामलों में भी होने लगा। इसका खासकर तब इस्तेमाल किया गया, जब 2010 में जम्मू-कश्मीर में कई महीनों तक हालात खराब रहे। तब लोग सड़कों पर थे। प्रदर्शन के दौरान करीब 110 लोग मारे गए थे। कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला थे। 2016 में जब हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद भी घाटी में हालात खराब हो गए थे। तब भी कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया था। उस वक्त महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री थीं। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद भी कई लोगों और नेताओं पर पीएसए लगा दिया गया। कुछ को जम्मू-कश्मीर से बाहर अन्य राज्यों की जेलों में भेज दिया गया।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के जनरल सेक्रेटर अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के नेता सरताज मदनी (महबूबा के मामा) पर भी पीएसए लगा है। सागर पर आरोप है कि उन्होंने 370 और 35ए हटाने के खिलाफ आवाज उठाई थी और पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं को भड़काया था। सरताज मदनी पर पीएसए इस बुनियाद पर लगा दिया गया कि उनकी 2009 में शोपियां जिले में दो लड़कियों आसिया और नीलोफर के कथित रेप-मर्डर केस में भूमिका थी। आरोप था कि मदनी ने रेप-मर्डर के लिए लोगों को मोबलाइज किया और भारत के खिलाफ प्रदर्शन किए।
तीनों पूर्व सीएम से पीएसए हटा तो थर्ड फ्रंट बनने में मुश्किलें आएंगी
साफ है कि फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगने के बाद मोदी सरकार यह संदेश देना चाहती है कि घाटी में बने पॉलिटिकल वैक्यूम में परिवारवाद के लिए अब कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 370 हटाए जाने के फैसले के संदर्भ में भी कश्मीर की राजनीति में परिवारवाद के बारे में बोल चुके हैं। जानकारों का मानना है कि भाजपा चाहती है कि घाटी में एक फ्रेंडली ग्रुप जैसी सियासी जमात सामने आए। संकेत हैं कि पीडीपी के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व में एक थर्ड फ्रंट बन सकता है। बताया जाता है कि अगर तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा कर दिया जाए तो शायद तीसरे फ्रंट के बनने में मुश्किलें आ सकती हैं। हालांकि, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के दौर में कई लोगों पर पीएसए लगा दिया गया और उसके बाद हालात बहुत खराब हो गए, लेकिन इसके बावजूद कश्मीरीनेकां और पीडीपी को ही वोट देकर सरकार में लाए।
सॉफ्ट सेपरेटिज्म खत्म!
पीएसए के जरिए केंद्र सरकार यह भी संदेश देना चाहती है कि वह सॉफ्ट सेपरेटिज्म को खत्म करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस वोट बटोरने के लिए सॉफ्ट सेपरेटिज्म का इस्तेमाल करती रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में संसद में कहा था कि महबूबा ने 5 अगस्त के फैसले के बाद यह बयान दिया था कि हिंदुस्तान ने कश्मीर को धोखा दे दिया है। इसी तरह उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि अगर 370 हटेगा तो ऐसा भूकंप आएगा, जिससे कश्मीर को आजादी हासिल होगी। मोदी ने कहा था कि क्या कोई इस तरह की भाषा बर्दाश्त करेगा?
महबूबा का ट्विटर हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चला रहीं
महबूबा मुफ्ती का ट्विटर हैंडल उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती चला रही हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाना लोकतंत्र के खिलाफ है। ये सरकार 9 साल के बच्चों पर भी देशद्रोह का आरोप लगा देती है। सवाल यह है कि हम कब तक खामोश देखते रहेंगे।
कश्मीर की राजनीति में नए सवाल
1) तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर पीएसए लगाए जाने के बाद कई लोगों ने उनसे हमदर्दी जताई और सोशल मीडिया पर इसके खिलाफ लिखा। सबसे बड़ा सवाल ये है कि इससे कश्मीर में इन तीनों पूर्व सीएम की सियासत पर क्या असर पड़ेगा? क्या उन्हें आने वाले दिनों में सियासी फायदा होगा या नुकसान होगा? 2) ये नेता कब रिहा होंगे और रिहाई के बाद वे क्या स्ट्रैटजी अपनाएंगे? 3) जम्मू-कश्मीर की सियासत भविष्य में किस ओर जाएगी? 4) क्या कोई थर्ड फ्रंट बनेगा?