
अहमदाबाद. 1987 में अयोध्या में रामलला मंदिर की डिजाइन तैयार करने वाले शिल्पकार चंद्रकांत सोमपुरा मानते हैं किडिजाइन में बदलाव नहीं होना चाहिए। ट्रस्ट को पुराने डिजाइन पर ही निर्माण शुरू कराना चाहिए। सोमपुरा का परिवार 16 पीढ़ियों से मंदिर बना रहा है। अक्षरधाम, सोमनाथ और अंबाजी जैसे कई आस्था स्थल सोमपुरा परिवार के डिजाइन पर ही बने हैं।
चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक सिंघल के आग्रह पर मंदिर की डिजाइन तैयार की थी। वे बताते हैं कि राम मंदिर के लिए बंसी पहाड़पुर के सैंडस्टोन का ही इस्तेमाल होना चाहिए। इन पत्थरों की उम्र 1500 साल मानी जाती है। राम मंदिर के लिए 60 प्रतिशत पत्थर-शिल्प की नक्काशी हो चुकी है। उनमें बदलाव नहीं होना चाहिए। अब उन्हें डिस्टर्ब किया जाता है तो पत्थर तराशने में पिछले 25-30 साल में जो मेहनत हुई है, वह व्यर्थ चली जाएगी। नए काम में व्यर्थ ही समय लगेगा। देखें चंद्रकांत सोमपुरा का वीडियो इंटरव्यू...
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