Saturday, July 4, 2020

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जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के सर्कुलर रोड पर आतंकियों ने सीआरपीएफ के गश्ती दल को निशाना बनाकर आईईडी ब्लास्ट किया। इसके बाद फायरिंग कर दी। हमले में एक जवान जख्मी हो गया। बताया जा रहा है कि आतंकी बड़ा नुकसान पहुंचाना चाहते थे, लेकिन कामयाब नहीं हुए। सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंद कर आतंकियों की तलाश शुरू कर दी है।

4 दिन पहले सोपोर में हुआ था हमला

जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर कस्बे में सीआरपीएफ की पार्टी पर बुधवार को आतंकियों ने हमला किया था। फायरिंग में 1 जवान शहीद हो गया थाऔर 3 जख्मी हुए थे। आतंकियों की फायरिंग की चपेट में आए 1 नागरिक की भी मौत हो गई थी। मारे गए व्यक्ति के साथ उनका 3 साल का पोता भी था। सिक्योरिटी फोर्सेज ने बच्चे को सुरक्षित निकाल लिया था।

मई में ऐसा ही हमला नाकाम किया था

सुरक्षाबलों ने 28 मई को एक ऐसे ही हमले को नाकाम किया था। उन्हें बांदीपोरा जिले मेंराजपुरा रोड पर शादीपुरा के पास एक सफेद सेंट्रो कार मिली थी, जिसमें आईईडी (इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस)मिली थी। कार केअंदरड्रम में विस्फोटकरखा था। खबर लगते हीसुरक्षाबलों ने आसपास का इलाका खाली करा लिया। इसके बाद बम डिस्पोजल स्क्वाड ने कार को उड़ा दिया। विशेषज्ञों का अनुमान है कि कार में करीब 40-50 किलो विस्फोटक था।

पुलवामा हमले में 350 किलो आईईडी का इस्तेमाल हुआ था

  • 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर में पुलवामा के अवन्तीपुरा इलाके में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला हुआ था। गोरीपुरा गांव के पास हुए इस हमले में 44 जवान शहीद हो गए थे।

  • आत्मघाती ने विस्फोटक से लदी गाड़ी सीआरपीएफ जवानों को ले जा रही बस से टकरा दी थी। हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। पुलवामा हमला कश्मीर में 30 साल का सबसे बड़ा आतंकी हमला था। आतंकियों ने हमले के लिए 350 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया था।


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हमला सीआरपीएफ के गश्ती दल को निशाना बनाकर किया गया। आतंकी बड़ा नुकसान पहुंचाना चाहते थे, लेकिन वे कामयाब नहीं हुए।


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देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख 73हजार 904 हो गई है। शनिवार को रिकॉर्ड24018 मरीज बढ़े और 14 हजार 327 ठीक भी हो गए। covid19india.org के मुताबिक, महाराष्ट्र में 7074 पॉजिटिव मिले। राज्य में2 लाख से ज्यादा मरीजहो गए, जबकि 8671 लोगों की मौत हो चुकी है।

उधर, भारत और रूस के बीच संक्रमितों का अंतर 611 बचा है। हम आज रूस को पीछे छोड़कर मरीजों के मामले में तीसरे स्थान पर आ जाएंगे। अभी अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे स्थान पर है। इन दोनों देशों के बाद भारत में ही रोजाना संक्रमण के सबसे ज्यादा नए केस आ रहे हैं।

दुनिया के टॉप- 5 देश

देश संक्रमण के मामले
अमेरिका 29,35,770
ब्राजील 15,78,376
रूस 6,74,515
भारत 6,73,904
पेरू 2,99,080

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश:यहां शनिवार को 307 नए मरीज सामने आए और 5 की जान गई। भोपाल में 51, इंदौर में 34, मुरैना में 78 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 14 हजार 604 हो गई, इनमें से 2772 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 398 लोगों की मौत हुई है।

महाराष्ट्र:यहां शनिवार को 7074 संक्रमित मिले और 295 लोगों की मौत हुई। मुंबई में 1163, ठाणे में 2199 और पुणे में 1502 मामले बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 2 लाख 64 हो गई, इनमें से 83 हजार 295 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 8671 ने जान गंवाई।

राज्य की जेलों में 31 कैदी और 3 सुरक्षाकर्मी पॉजिटिव मिले।महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने गर्भवती हेल्थवर्कर्स के लिए वर्क फ्रॉम होम की मांग की।

उत्तरप्रदेश:यहां शनिवार को 757 नए मरीज सामने आए और 24 की जान गई। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 77, गाजियाबाद में 86 और लखनऊ में 80 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 26 हजार 554 हो गई, इनमें से 7627 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 773 लोगों की मौत हुई है।

राजस्थान:यहां शनिवार को 480 नए मरीज सामने आए और 7 की जान गई। जयपुर में 40, जालोर में 42 और धौलपुर में 39 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 19 हजार 532 हो गई, इनमें से 3445 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 447 लोगों की मौत हुई है।

बिहार:यहां शनिवार को 349 संक्रमित मिले और 4 लोगों की मौत हुई। पटना में 24, सहारसा में 53 और मुजफ्फरपुर में 44 केस बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 11 हजार 457 हो गई, इनमें से 2881 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 88 ने जान गंवाई है।



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यह फोटो दिल्ली की है। राजधानी में अब तक हुए 5.96 लाख से अधिक टेस्ट हो चुके हैं। इनमें से 45% से ज्यादा टेस्ट हॉट-स्पॉट और उनके आस-पास रैपिड एंटिजन जांच शुरू करने के बाद पिछले 16 दिनों में किए गए।


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देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख 73हजार 904 हो गई है। शनिवार को रिकॉर्ड24018 मरीज बढ़े और 14 हजार 327 ठीक भी हो गए। covid19india.org के मुताबिक, महाराष्ट्र में 7074 पॉजिटिव मिले। राज्य में2 लाख से ज्यादा मरीजहो गए, जबकि 8671 लोगों की मौत हो चुकी है।

उधर, भारत और रूस के बीच संक्रमितों का अंतर 611 बचा है। हम आज रूस को पीछे छोड़कर मरीजों के मामले में तीसरे स्थान पर आ जाएंगे। अभी अमेरिका पहले और ब्राजील दूसरे स्थान पर है। इन दोनों देशों के बाद भारत में ही रोजाना संक्रमण के सबसे ज्यादा नए केस आ रहे हैं।

दुनिया के टॉप- 5 देश

देश संक्रमण के मामले
अमेरिका 29,35,770
ब्राजील 15,78,376
रूस 6,74,515
भारत 6,73,904
पेरू 2,99,080

5 राज्यों का हाल

मध्यप्रदेश:यहां शनिवार को 307 नए मरीज सामने आए और 5 की जान गई। भोपाल में 51, इंदौर में 34, मुरैना में 78 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 14 हजार 604 हो गई, इनमें से 2772 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 398 लोगों की मौत हुई है।

महाराष्ट्र:यहां शनिवार को 7074 संक्रमित मिले और 295 लोगों की मौत हुई। मुंबई में 1163, ठाणे में 2199 और पुणे में 1502 मामले बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 2 लाख 64 हो गई, इनमें से 83 हजार 295 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 8671 ने जान गंवाई।

राज्य की जेलों में 31 कैदी और 3 सुरक्षाकर्मी पॉजिटिव मिले।महिला एवं बाल विकास मंत्री यशोमति ठाकुर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने गर्भवती हेल्थवर्कर्स के लिए वर्क फ्रॉम होम की मांग की।

उत्तरप्रदेश:यहां शनिवार को 757 नए मरीज सामने आए और 24 की जान गई। गौतमबुद्धनगर (नोएडा) में 77, गाजियाबाद में 86 और लखनऊ में 80 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 26 हजार 554 हो गई, इनमें से 7627 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 773 लोगों की मौत हुई है।

राजस्थान:यहां शनिवार को 480 नए मरीज सामने आए और 7 की जान गई। जयपुर में 40, जालोर में 42 और धौलपुर में 39 पॉजिटिव केस बढ़े। राज्य में संक्रमितों की संख्या 19 हजार 532 हो गई, इनमें से 3445 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 447 लोगों की मौत हुई है।

बिहार:यहां शनिवार को 349 संक्रमित मिले और 4 लोगों की मौत हुई। पटना में 24, सहारसा में 53 और मुजफ्फरपुर में 44 केस बढ़े। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 11 हजार 457 हो गई, इनमें से 2881 एक्टिव केस हैं। कोरोना से अब तक 88 ने जान गंवाई है।



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भारत की जमीनी सीमा करीब 15 हजार किमी है और यह 6 देशों से लगती है। इनमें से पाकिस्तान और चीन ही हैं, जिनसे हमारा हमेशा से सीमा विवाद रहा है। पाकिस्तान के साथ जो अनसुलझी सीमा का हिस्सा है, उसे लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) कहा जाता है और चीन के साथ जहां सीमा विवाद है, उसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) कहते हैं। एलएसी की लंबाई करीब 3500 किमी है।

क्या है एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन?

भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी की स्थिति पूरी तरह स्पष्ट है। यहां दोनों देशों के साइन, तारों की फैंसिंग और पोजिशन साफ-साफ देखे जा सकते हैं। जबकि चीन के साथ लगी एलएसी पर कई जगह न तो तारों की फैंसिंग है और न ही किसी तरह का साइन। ऐसी ही कुछ जगहों पर दोनों देशों के अपने-अपने दावे हैं। दोनों ही देशों ने इस तरह की 23 जगहों को चिन्हित कर रखा है। इन्हें एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन (एडीपी) कहा जाता है।

कहां-कहां हैं एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन?

एलएसी से सटे पश्चिमी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के मध्य हिस्से, सिक्किम और पूर्वी अरुणाचल में 23 इलाके एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन में आते हैं। इन इलाकों में दोनों ही देश एक-दूसरे की सेनाओं को अपने-अपने दावे वाली सीमा पर पेट्रोलिंग करने की इजाजत देते रहे हैं। पिछले दशक में जब भी यहां दोनों ओर की सेनाएं पेट्रोलिंग के दौरान आमने-सामने आई तो तनाव बढ़ा है। कभी-कभी ये घटनाएं धक्का-मुक्की तक सीमित रहीं तो कभी-कभी यह मुक्केबाजी तक भी पहुंची हैं।

छोटी-बड़ी झड़प के बाद एलएसी पर हालात सामान्य कैसे हो जाते हैं?

एलएसी पर कई बार छोटी-बड़ी झड़पें हुईं, लंबे दिनों तक तनाव रहा। लेकिन दोनों ही देश स्थिति को फिर से पूरी तरह नियंत्रण में लाते रहे हैं। यही कारण रहा है कि सीमा पर मुक्केबाजी तो हो जाती है लेकिन करीब 50 सालों से यहां गोली नहीं चली।

तनाव को कम करने के लिए दोनों ही देशों ने आपसी रजामंदी से सिस्टम और प्रोटोकॉल तय किए हैं और यह अब तक कारगर साबित हुएहैं। इसके तहत बॉर्डर पर तैनात दोनों ओर के अधिकारियों की बातचीत का दौर चलता है। इनमें कर्नल लेवल के कमांडिंग ऑफिसर या ब्रिगेड कमांडर लेवल के अधिकारी शामिल होते हैं।

कभी-कभी मेजर जनरल स्तर की मीटिंग भी होती है। इसके बाद राजनयिक स्तर पर बातचीत की प्रक्रिया भी होती है। मिलिट्री लेवल से लेकर राजनयिक स्तर पर सालभर होने वाली इन मीटिंग्स के जरिए सीमा पर उठने वाले मुद्दों का समाधान होता रहता है।

एलएसी पर शांति के लिए कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स कितने मददगार?

दोनों ही आर्मी एलएसी पर पेट्रोलिंग के दौरान पहले से तय कुछ उपायों का पालन करतीहैं। इन्हें कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स (सीबीएमएस) कहा जाता है। अलग-अलग दावों वाले 23 इलाकों में इनका खास तौर पर ध्यान रखा जाता है।

उदाहरण के तौर पर दोनों ओर के सैनिक पेट्रोलिंग के दौरान हथियार तो रख सकते हैं लेकिन इन्हें इस तरह से पीठ के पीछे लटकाया जाता है, जिससे कि दूसरी ओर खड़े सैनिकों को खतरा महसूस न हो। दोनों ही देश की आर्मी युद्ध वाली पोजिशन नहीं बना सकती, न ही इन इलाकों में किसी तरह का निर्माण कार्य कर सकती है। इन कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स के कारण ही 1967 के बाद भारत-चीन सीमा पर गोली नहीं चली है।

गलवान घाटी एरिया ऑफ डिफरिंग परसेप्शन में नहीं, फिर भी यहां झड़प क्यों हुई?

लद्दाख की 857 किमी लंबी बॉर्डर में से 368 किमी का हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है। बाकी बची 489 किमी लंबी सीमा एलएसी है। इस बार गर्मी में लद्दाख के तीन अलग-अलग इलाकों में भारतीय और चीनी सैनिकों की पेट्रोलिंग के दौरान कभी छोटी तो कभी बड़ी झड़प हुई। ये तीन इलाके थे- पैंगॉन्ग त्सो (फिंगर एरिया), हॉट स्प्रिंग्स और गलवान घाटी।

गलवान घाटी उन 23 इलाकों में शामिल नहीं है, जिन्हें दोनों ही देशों ने अलग-अलग मत वाली जगह के नाम पर चिन्हित कर रखा है। यानी यह इलाका दोनों ही देशों की रजामंदी के साथ भारत का हिस्सा माना जाता रहा है। इसके बावजूद गलवान में चीनी सैनिक घुसे और भारत द्वारा बनाई जा रही सड़क पर आपत्ति उठाने लगे।

6 जून को तनाव कम करने पर रजामंदी हुई, फिर 15 जून को खूनी झड़प का क्या कारण रहा?
6 जून को हुई लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की मीटिंग के दौरान लद्दाख के इन तीनों इलाकों में तनाव कम करने पर रजामंदी हो गई थी। इसके तहत स्टेप बाय स्टेप धीरे-धीरे दोनों सेनाओं के पीछे हटने से लेकर हर तरह से तनाव कम किया जाना था। यह प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। इस प्रक्रिया की प्रोग्रेस जांचने के दौरान ही 15 जून की रात को झड़प खूनी हो गई और दोनों ओर से कई सैनिक मारे गए।

गलवान में अब क्या स्थिति है?

मिलिट्री लेवल पर 2 राउंड की बातचीत हुई है और दोनों ही आर्मी तनाव कम करने के लिए अपनी पुरानी पॉजिशन पर लौटने को राजी हो चुकी हैं। अब क्योंकि यह एक स्टेप बाय स्टेप और धीरे-धीरे चलने वाली प्रक्रिया है तो बस यह ध्यान रखने की जरूरत है कि इस दौरान इसी प्रक्रिया के दौरान कोई नया विवाद शुरू न हो जाए।

भारतीय सेना कितनी तैयार?

भारतीय सेना पहाड़ियों पर लड़ने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित, अनुभवी और आत्मविश्वास से भरी हुई है। सेना पूरी तरह तैयार है और अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम भी है। आर्मी हमेशा बुरे से बुरी स्थिति से निपटने के लिए अपनी योजना बनाकर रखती है, जबकि उसकी उम्मीद सबसे बेहतर स्थिति की होती हैं।

हालांकि, कुछ और भी फैक्टर हैं जिनका खयाल रखा जाना बेहद जरूरी होता है। जैसे- अगर झड़प होती है तो इसके एक बड़े ऑपरेशन में बदलने की आशंका रहेगी। और फिर यह सिर्फ इस इलाके तक ही सीमित नहीं रहेगी, इसका दायरा बढ़ सकता है। ऐसे में हाई लेवल मीटिंग में ही यह तय होगा कि देश हित में सेना किस रेंज तक काएक्शन ले सकती है।

मोदी के लेह जाकर जवानों से मिलने का क्या असर होगा?

प्रधानमंत्री मोदी का लद्दाख जाना सिर्फ सेना के लिए नहीं बल्कि पूरे देश का हौसला बढ़ाने वाला कदम है। फील्ड में जाकर जवानों से मिलने से पीएम को ऑपरेशन और सैनिकों के मनोबल का सीधा फीडबैड मिला है। इसके अलावा ये दुनिया और चीन को मजबूत जवाब है।

सरहद तक जानेवाली सड़कों को सुधारने और हथियार-लड़ाकू विमान की खरीद की उनकी इच्छाशक्ति बेहद अहम है। इस सबके बीच जो सबसे ज्यादा कड़ा संदेश है वो ये कि भारत शांति से ये मसला सुलझाना चाहता है लेकिन हमारी जमीन को खतरा होता है तो हम उसे और देशहित को बचाने को कुछ भी करेंगे।



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India China Border Dispute Area | India Pakistan China News, Ladakh Galwan Valley Update; Know What Is The Border Dispute Between India and China


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दो जुलाई 2019 की बात है। ठीक एक साल पहले इलाहाबाद से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने इस दिन देश के रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने सियाचिन में तैनात भारतीय जवानों को मिलने वाले कपड़ों की गुणवत्ता पर उठ रहे सवालों का जिक्र किया था। साथ ही उन्होंने इस मामले में जरूरी कार्रवाई करने की अपील रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से की थी।

भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने अपनी ही सरकार को यह पत्र इसलिए लिखा क्योंकि उन्हें कुछ शिकायतें मिली थी। ऐसी शिकायतें जो सियाचिन में तैनात जवानों को मिलने वाले उपकरणों की खरीद पर गंभीर सवाल खड़े कर रही थी। दरअसल, यह पत्र लिखे जाने से लगभग दो हफ्ते पहले ही भारतीय सेना की एमजीओ (मास्टर जनरल ऑर्डिनेन्स) ब्रांच ने एक टेंडर जारी किया था। इस टेंडर के अनुसार सियाचिन जैसे इलाकों में तैनात जवानों के लिए कुछ स्नो सूट खरीदे जाने थे। इसी खरीद में होने वाली संभावित गड़बड़ियों की सूचना रीता बहुगुणा जोशी को मिली थी।

यह कोई पहला मौका नहीं था, जब रक्षा मंत्री के कार्यालय को स्नो सूट की खरीद में होने वाली गड़बड़ियों के बारे में चेताया गया हो। इससे पहले भी देश के रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय को ऐसी कई शिकायतें मिल चुकीं थीं। भारतीय सेना को स्नो सूट सप्लाई करने वाली एक कंपनी पर बीते कई सालों से सवाल उठ रहे थे। इस कंपनी के स्नो सूट की लगातार शिकायतें आ रही थी, कंपनी पर वित्तीय गड़बड़ियां करते हुए भारत सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने के आरोप थे और इसके बाद भी यह कंपनी लगातार टेंडर हासिल करती जा रही थी।

यही कारण था कि जब जून 2019 में भारतीय सेना ने एक बार फिर से टेंडर जारी किया तो इस मामले पर नजर रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देश के रक्षा मंत्री को चेताया। लिहाजा यह खरीद कुछ समय के लिए तो टाल दी गई लेकिन शिकायतकर्ताओं की आशंका आज भी अपनी जगह बनी हुई है। उनका आरोप है कि इस कंपनी की पैठ इतनी मजबूत है कि कई विवादों से घिरने के बाद भी यह कंपनी ब्लैकलिस्ट होना तो दूर, भविष्य में दोबारा टेंडर हासिल करने में कामयाब हो सकती है।

ठीक 1 साल पहले भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने स्नो सूट की क्वालिटी को लेकर रक्षा मंत्री को पत्र लिखा था।

इन आशंकाओं को बल मिलने के कई कारण हैं। इन कारणों को समझने की शुरुआत वहीं से करते हैं जहां से इस पूरे मामले की शुरुआत हुई थी..

24 अगस्त 2015 के दिन श्रीलंका के निवासी एस सत्यजीत ने भारत के रक्षा मंत्रालय को एक गोपनीय पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे श्रीलंकाई कंपनी ‘रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड’ भारतीय सेना को खराब गुणवत्ता के उत्पाद बेच कर धोखा दे रही है। ये वही कंपनी थी जो सियाचिन में इस्तेमाल होने वाले कई तरह के उत्पाद भारतीय सेना को बेच रही थी। एस. सत्यजीत खुद लंबे समय तक इस कंपनी में एक वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर काम कर चुके थे।

सत्यजीत ने लिखा था, "साल 2008 और 2009 में हुए परीक्षण और फील्ड ट्रायल के दौरान तो कंपनी ने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद भेजे थे लेकिन प्रोडक्शन के दौरान उसने निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाए। लिहाजा 2012 से लेकर 2015 तक इस कंपनी ने भारतीय सेना को घटिया उत्पाद बेचकर दो मिलियन डॉलर से भी ज्यादा का चूना लगाया है।"

यह पत्र भेजने के करीब चार महीने बाद भी जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो 28 दिसंबर 2015 को सत्यजीत ने दूसरा पत्र रक्षा मंत्रालय को भेजा। इसमें उन्होंने लिखा, "मेरी शिकायत के बाद कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारी ने मुझसे संपर्क किया था और इस मामले की सारी जानकारी ली थी। उन्होंने एक महीने के भीतर ही मुझसे मिलने को भी कहा था, लेकिन उस दिन के बाद से न तो उन्होंने मुझसे कोई सम्पर्क किया और न ही किसी और ने मेरी इस शिकायत का संज्ञान लिया।"

इस पत्र में सत्यजीत ने आगे लिखा, "जब रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का भारत सरकार से सौदा तय हुआ था, उस वक्त भारत में यूपीए की सरकार थी। लेकिन अब भारत में भाजपा की सरकार है और मुझे उम्मीद थी कि इस सरकार में जालसाजी करने वाली रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन, मुझे हैरानी है कि नई सरकार भी इस भ्रष्ट कंपनी और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी कर रही है।"

सत्यजीत ने रक्षा मंत्रालय को चेताया भी था कि अगर इस कंपनी के खिलाफ अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो भविष्य में यह भारतीय सेना के साथ और भी बड़ा धोखा कर सकती है। सत्यजीत की यह चेतावनी आगे जाकर सही साबित हुई। जुलाई 2017 को रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड ने भारतीय सेना से एक और टेंडर हासिल कर लिया। इस बार यह मामला पहले से भी ज्यादा गंभीर था क्योंकि अब तक कई शिकायतें रक्षा मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी, राष्ट्रीय मीडिया में भी इस बारे में खबरें प्रकाशित हो चुकी थी और खुद भारतीय सेना की आंतरिक रिपोर्ट्स में भी रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड के उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो चुके थे।

22 जून 2015 को जारी हुई भारतीय सेना की एक आंतरिक रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा गया था कि "सियाचिन ग्लेशर के कई हिस्सों में रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड के स्नो सूट कारगर साबित नहीं हुए हैं।" इसके अलावा भारतीय सेना की उत्तरी कमांड के कमांडर लेफ्टिनें जनरल पट्याल भी डीजीक्यूए को पत्र लिखकर इन स्नो सूट्स की खराब गुणवत्ता के बारे में बता चुके थे। (दैनिक भास्कर के पास इन पत्रों की कॉपी मौजूद है।)

रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड को 2017 में दोबारा टेंडर मिलना सिर्फ इसलिए ही हैरान नहीं करता क्योंकि इस कंपनी की शिकायत लगातार आ रही थी या इसके उत्पाद सेना की आंतरिक जांच में खराब पाए गए थे। बल्कि यह इसलिए भी हैरान करता है क्योंकि इस बार मास्टर जनरल ऑर्डिनेन्स (भारतीय सेना) के सामने इस कंपनी को टेंडर देने से बेहतर विकल्प मौजूद थे। जहां एक तरफ रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड 2010 के बने ‘स्नो सूट’ (एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोदिंग सिस्टम) की कीमत 285 डॉलर प्रति सूट लगा रही थी वहीं एक अन्य कंपनी ने 2017 के बने आधुनिक स्नो सूट की कीमत 278 डॉलर प्रति सूट तय की थी।

यानी इस दूसरी कंपनी के स्नो सूट रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड की तुलना में न सिर्फ आधुनिक और अपग्रेडेड थे बल्कि इनकी कीमत भी आठ डॉलर प्रति सूट कम थी। इसके साथ ही जहां रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड अपने उत्पादों की डिलिवरी के लिए 240 दिनों का समय मांग रही थी वहीं दूसरी कंपनी 180 दिनों में ही यह डिलिवरी देने को तैयार थी। इन तमाम तथ्यों के बावजूद भी रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड को तीस हजार स्नो सूट का कॉन्ट्रैक्ट दे दिया गया। इसके चलते सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। आगे चलकर सेना के आंतरिक ऑडिट में यह तथ्य पकड़ में आया और साल 2018 में इसकी आधिकारिक जांच शुरू हुई।

रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड की गड़बड़ियों से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य और भी है। साल 2017 में अपने जिस स्नो सूट की कीमत इस कंपनी ने 285 डॉलर रखी थी, वही सूट ये कंपनी साल 2012-13 से भारत सरकार को 384 डॉलर का बेचते आ रही थी।

यानी सालों से रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड अपने सूट को जिस दाम पर बेच रही थी, 2017 में अचानक उसी सूट को सीधा सौ डॉलर प्रति सूट कम के दाम पर बेचने को तैयार हो गई। यह तथ्य सीधे तौर से सत्यजीत द्वारा उठाई गई उन शिकायतों को बल देता है जिनका जिक्र अपने पत्र में करते हुए उन्होंने लिखा था कि रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड निम्न गुणवत्ता के स्नो सूट बहुत भारी दामों पर भारतीय सेना को बेच कर चूना लगा रही है।

सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र भी कहा जाता है। बीते तीन दशकों में यहां तैनात सैकड़ों जवान सिर्फ यहां के मौसम के चलते ही अपनी शहादत दे चुके हैं। माइनस 50 डिग्री तक गिर जाने वाले तापमान में तैनात जवानों को यहां असल लड़ाई पड़ोसी देश के सैनिकों या घुसपैठियों से नहीं बल्कि मौसम से ही लड़नी होती है।

ऐसे में इन जवानों के लिए आधुनिक उपकरण और अत्यधिक ठंड में भी शरीर को गर्म रखने वाले ‘स्नो सूट’ ही बचाव का सबसे मजबूत हथियार होते हैं। इन उपकरणों की गुणवत्ता से कोई भी समझौता सीधे-सीधे जवानों की जिंदगी से खिलवाड़ करने जैसा है। लेकिन भास्कर की यह पड़ताल बताती है कि हमारे जवानों की जिंदगी से यह खिलवाड़ बीते कई सालों से लगातार किया जा रहा है।

रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड की गड़बड़ियों का खुलासा सबसे पहले सत्यजीत ने साल 2015 में रक्षा मंत्रालय को पत्र लिख कर किया था। लेकिन इसके बाद से कई सांसद और भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली कई संस्थाएं भी इस बारे में रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय तक को चेतावनी दे चुकी हैं। सांसद पप्पू यादव से लेकर रीता बहुगुणा जोशी और ‘ट्रान्स्पेरेन्सी इंटरनेशनल इंडिया’ तक इस बारे में रक्षा मंत्रालय को लिख चुका है।

इस मामले के शिकायतकर्ताओं में शामिल रहे एक व्यक्ति कहते हैं, "रेनवियर जैसी कंपनियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश में सरकार कांग्रेस की है या भाजपा की। हर सरकार में इन बड़ी कंपनियों की जबरदस्त पैठ होती है। कांग्रेस सरकार में भी यह कंपनी कॉन्ट्रैक्ट पा रही थी और इस सरकार में भी पा रही है। कोई आश्चर्य नहीं अगर इतनी शिकायतें और गड़बड़ियों के बाद भी भविष्य में इसी कंपनी को फिर से कॉन्ट्रैक्ट दे दिया जाए।"

(इस पूरे मामले में दैनिक भास्कर ने रक्षा मंत्रालय और मास्टर जनरल ऑर्डिनेन्स (एमजीओ) से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।)

(एस सत्यजीत बदला हुआ नाम है। शिकायतकर्ता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भास्कर उनका असली नाम प्रकाशित नहीं कर रहा है)



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श्रीलंका के निवासी एस सत्यजीत ने अगस्त 2015 को भारत के रक्षा मंत्रालय को एक गोपनीय पत्र भेजा। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे श्रीलंकाई कंपनी ‘रेनवियर प्राइवेट लिमिटेड’ भारतीय सेना को खराब गुणवत्ता के उत्पाद बेच कर धोखा दे रही है। जनवरी 2016 में उन्होंने तीसरी बार ऐसा पत्र भेजा लेकिन कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।


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6 जुलाई से सावन महीना शुरू हो रहा है। लेकिन, ये 12 में से 5 ज्योतिर्लिंग के लिए ही है। अन्य 7 ज्योतिर्लिंगों के लिए सावन महीने की शुरुआत 21 जुलाई से होगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र का कहना है कि ऐसी स्थिति हिंदू पंचांग की व्यवस्था के कारण हर साल बनती है। देश के उत्तर, मध्य और पूर्वी राज्यों में पूर्णिमा के बाद नए हिंदी महीने की शुरुआत होती है। इसे पूर्णिमांत महीना कहा जाता है। मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इसमें शामिल हैं। यहां 6 जुलाई से सावन मास शुरू होगा।

  • पं. मिश्र ने बताया कि पश्चिम और दक्षिण भारत में अमावस्या के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है। जिसे अमांत महीना कहते हैं। इस वजह से हर साल गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु सहित दक्षिण भारत में 15 दिन की देरी से सावन की शुरुआत होती है। इन राज्यों में 7 ज्योतिर्लिंग आते हैं, यहां 21 जुलाई से सावन शुरू होगा। इनके अलावा नेपाल और इसके पास के भारतीय राज्यों के साथ हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सौर कैलेंडर के अनुसार त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए इन जगहों में सावन की तारीखें अलग-अलग होती हैं।

7 ज्योतिर्लिंग, जहां 21 जुलाई से शुरू होगा सावन

अमांत कैलेंडर के कारण गुजरात के सोमनाथ और नागेश्वर, महाराष्ट्र के भीमाशंकर, त्र्यंब्यकेश्वर और घ्रुश्मेश्वर, आंध्रप्रदेश के मल्लिकार्जुन, तमिलनाडु के रामेश्वर ज्योतिर्लिंग में सावन की शुरुआत 21 जुलाई से हो रही है और इसका आखिरी दिन 19 अगस्त को रहेगा। यहां सावन के सोमवार भी चार ही होंगे।

5 ज्योतिर्लिंग जहां सावन रहेगा 6 जुलाई से

पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार मध्यप्रदेश के महाकाल और ओंकारेश्वर, उत्तराखंड के केदारनाथ, उत्तरप्रदेश के काशी विश्वनाथ, बिहार के वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग की पूजा के लिए सावन महीने की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है। इसका आखिरी दिन 3 अगस्त रहेगा।


नेपाल के पशुपतिनाथ
नेपाल, हिमाचल और उत्तराखण्ड के कुछ हिस्सों में सावन महीने की शुरुआत 16 जुलाई से होगी और इसका आखिरी दिन 15 अगस्त को रहेगा। इन जगहों पर सौर कैलेंडर के अनुसार त्योहार मनाए जाते हैं।

15 दिनों का अंतर लेकिन त्योहारों की तारीख एक
देश के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में अमांत कैलेंडरर के कारण और पूर्णिमांत कैलेंडर के कारण सावन की तारीखों में 15 दिन का अंतर रहता है। लेकिन रक्षाबंधन, नवरात्रि, दशहरा, दीपावली और होली जैसे त्योहारों की तारीखें एक ही रहती हैं। उत्तर और मध्य भारत में जहां रक्षाबंधन पर्व सावन के आखिरी दिन मनाया जाता है। वहीं दक्षिण और पश्चिमी राज्यों में सावन के बीच में ये पर्व मनाया जाता है। लेकिन, तारीख में बदलाव नहीं होता है।



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Hindu Calendar Sawan Somvar Vrat Start Date 2020 | Sawan Month Start From 21st July, Know Date In Jyotirlingas and Nepal Pashupatinath Temple


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देश में कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद से ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री उथल-पुथल मची हुई है। जहां दर्जनों टीवी शोज बंद होने वालेहैं वहीं, कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जो सिनेमाघरों के बजाय OTT प्लेटफॉर्म (ओवर द टॉप प्लेटफॉर्म) का रुख कर रही है। इस बदलाव से दर्शकों के साथ-साथ नएप्लेटफॉर्म को काफी फायदा भी हुआ है।

ओटीटी मार्केट लैंडस्केप रिपोर्ट 2020 के मुताबिक भारत में वर्तमान में वीडियो, म्यूजिक, पॉडकास्ट और ऑडियो स्ट्रीमिंग कैटेगरी के 95 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं।लॉकडाउन के साथ मार्च की शुरुआत से अब तक ओटीटी प्लेटफार्म पर इंडियन यूजर्स के एवरेज टाइम स्पेंट में करीब 60% की बढ़ोतरीहुई है

  • हर तरह के यूजर्स के लिए कुछ न कुछ

कोरोना लॉकडाउन के दौरानतीन महीनों में जब बड़ी स्क्रीन्स बंद हो गई तो टीवी और मोबाइल-लैपटॉप पर चलने वाले OTT प्लेटफॉर्म की पौ-बारह हो गई। लॉकडाउन और महामारी के बीचइनके दर्शक काफी बढ़ गए हैं। तीन महीनों से लगातार लोग अपने घरों पर ही हैं। ऐसे में टीवी शोज के साथ-साथ महिलाओं और गृहणियों ने भी न्यूज चैनलों में रूचि दिखाई है।

ऑरमैक्स मीडिया के शैलेषकपूर का मानना है कि आने वाले दो सालों तक न्यूज चैनलों को फायदा मिलने वाला है। जब तक कोरोनावायरस से जुड़ी खबरें न्यूज चैनलों पर दिखाई जाती रहेगी,लोग लगातार रुचि लेते रहेंगे।

डेटा लैब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2020 में लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कंटेंट की खपत 35% तक बढ़ी।

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म को फायदा

लॉकडाउन के साथ ही देशभर के सभी सिनेमाघरों में ताले डाल दिए गए हैं। ऐसे में सभी सिनेमा प्रेमियों ने नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, हॉटस्टार और अन्य ओटीटी प्लेटफॉर्म की तरफ रुख कर लिया है।

नतीजा ये रहा कि अब महीनों से अटकी हुई फिल्मों को भी इन्हीं के जरिए दर्शकों को दिखाया जा रहा है। वहीं बताया जा रहा है कि कई बड़ेओटीटी प्लेटफॉर्म वालों ने मौके का फायदा उठाते हुए फिल्मों के राइट्स खरीदने के लिए बड़ी रकम इन्वेस्ट करने का प्लान बनाया है।

  • ये फिल्मे होंगीडिजिटली रिलीज

आयुष्मान खुराना और अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म गुलाबो-सिताबो 12 जून को अमेजन प्राइम पर रिलीज की गई है। ये फिल्म पहले थिएटर में रिलीज की जाने वाली थी मगर, मेकर्स ने इसे डिजिटली रिलीज करने का फैसला लिया। इसके अलावा ये फिल्में भी जल्द ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होंगी-

  • दिल बेचारा- डिज्नी प्लस हॉटस्टार- 24 जुलाई
  • शकुंतला देवी- अमेजन प्राइम- 31 जुलाई 2020
  • गुंजन सक्सेना- नेटफ्लिक्स
  • झुंड- अमेजन प्राइम
  • लूडो- अमेजन प्राइम
  • लक्ष्मी बॉम्ब- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
  • सड़क 2- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
  • भुजः प्राइड ऑफ इंडिया-डिज्नी प्लस हॉटस्टार
  • बिग बुल-डिज्नी प्लस हॉटस्टार
  • लूटकेस- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
  • खुदा हाफिज-डिज्नी प्लस हॉटस्टार
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली अपकमिंग फिल्में।

इन फिल्मों के अलावा ' इंदू की जवानी','रुही अफ्जा', 'मिमी' जैसी फिल्में भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज की जाने वाली हैं। कुछ दिनों पहले खबरें थीं कि सलमान खान की फिल्म राधे को भी डिजिटली रिलीज किया जाएगा। हालांकि, मेकर्स ने बड़े बजट की रिकवरी ना हो पाने के चलते इससे इनकार कर दिया है।

  • आईपीएल ना होने से हॉटस्टार को नुकसान

ऑरमैक्स मीडिया के शैलेष कपूर बताते हैं, हर साल इंडियन प्रीमियर लीग को हॉटस्टार पर स्ट्रीम किया जाता था जिससे युवाओं द्वारा बढ़-चढ़कर सब्सक्रिप्शन लिया जाता था। इस साल महामारी के चलते आइपीएल नहीं हुए हैं, जिससे हॉटस्टार कोनुकसान हुआ था। अबहॉटस्टार ने डिज्नी के कंटेट को भी दिखना शुरू किया, जिससे कुछ बैलेंस बन सका। हॉटस्टार ने डिज्नी प्लस हॉटस्टार वीआईपी की शुरुआत की है जिसमें कई बड़ी फिल्में दिखाई जाएंगी। इसके पीछे ज्यादा ऑडियंस का लालच स्पष्टहै।

  • अब प्रोड्यूसर्स के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे- सुभाष घई

नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और अभिलाषा प्रोड्क्‍शन ने हाल ही में अंतरराष्‍ट्रीय वेबीनार इनसाइट 8.0 का आयोजन किया। इसमें बॉलीवुड और हॉलीवुड की मशहूर हस्तियां शामिल हुई थीं, जहां डिजिटल मीडिया के विस्‍तार से पैदा हुए अवसर और सिनेमा के सामने चुनौतियों के बारे में बात हुई। इस दौरान फिल्म मेकर सुभाष घई ने बताया कि कोविड-19 के दौरान ओटीटी प्‍लेटफॉर्म का भले ही विस्‍तार हुआ है, लेकिन देश में मल्‍टीप्‍लेक्‍स और सिनेमा घर का कोई विकल्‍प नहीं है।

वेब सीरीज हो या फिल्‍म सभी के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण कंटेंट है। लोग स्‍थानीय कंटेंट पसंद करते हैं, लेकिन इसे कहने का तरीका आना चाहिए। सुभाष घई के मुताबिक, डिजिटल प्‍लेटफॉर्म की वजह से अब किसी प्रोडक्शनहाउस के चक्‍कर काटने की जरूरत नहीं है। यदि कंटेंट में दम है तो उसे लोग हाथों हाथ लेंगे और वह फिर आमदनी का जरिया बन जाएगा।

  • पुराने शोज के पुनः प्रसारण से बढ़ी चैनल की टीआरपी

कोविड 19 के चलते 19 मार्च सेसभी टीवी शोज की शूटिंग रोक दी गई थी, जिसके बाद से दूरदर्शन समेत कई चैनलों ने 90 के दशक के पॉपुलर शोज को पुनः प्रसारित करने का फैसला लिया। 'रामायण' और 'महाभारत' शोज को लोगों का इतना प्यार मिला किटॉप 10 चैनलों की लिस्ट से बाहर रहने वाला दूरदर्शन शो एक बार में पहले नंबर पर आ गया। वहीं इस शो ने भी बीएआरसी की टीआरपी रिपोर्ट लिस्ट में पहले नंबर पर स्थान हासिल किया।

अप्रैल में जारी की गई BARC की टीआरपी रिपोर्ट।
  • रामायण शो के पुनः प्रसारण ने तोड़ा विश्व रिकॉर्ड

लॉकडाउन के बाद रामानंद सागर के पॉपुलर शो 'रामायण' का पुनः प्रसारण 27 मार्च से शुरू किया गया था। इस शो के पहले एपिसोड कोदर्शकों ने 1 करोड़ 70 लाख बार देखा। शो कोइतना प्यार मिला कि इसने वर्ल्ड रिकॉर्ड तक तोड़ दिया। चैनल द्वारा ट्विटर पर जानकारी दी गई थी कि रामायण के पुनः प्रसारण ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है।

इस शो को 7.7 करोड़ दर्शकों ने देखा है। इसी के साथ ये दुनिया का सबसे ज्यादा देखा गया शो भी बन चुका है। दूरदर्शन के बाद अब इसे स्टार भारत में दिखाया जा रहा है और अबभी ये टीआरपी की लिस्ट में टॉप 5 पर बना हुआ है।

टॉप 5 हाई टीआरपी रेटिंग वाले शो में तीन पुराने शोज शामिल थे।
  • लॉकडाउन के चलते ऑफ एयर होंगेये शोज

तीन महीने के लॉकडाउन के चलते कई शोज अब जल्द ही बंद किए जा रहे हैं। इनमें 'बेहद 2', 'नजर 2', 'दिल जैसे धड़के धड़कने दो', 'पटियाला बेब्स', 'इशारों-इशारों में', 'दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ', 'इश्क सुभान अल्लाह', 'ये जादू है जिन्न का', 'दिल ये जिद्दी है' शामिल हैं।

मेकर्स का मानना है कि तीन महीने बाद शो को शुरू करने पर दर्शकों को दोबारा कहानी से कनेक्ट कर पाना काफी मुश्किल होगा इसलिए ये बड़ा फैसला लिया गया है। वहीं खबर ये भी है कि एकता कपूर के शो 'नागिन 4' को भी जल्द खत्म करके 'नागिन 5' शुरू किया जाएगा, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।

जल्द बंद होने जा रहे हैं ये टीवी शोज।


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Tv And Ott Report- TV world changed in the Corona era and OTT platformss are going high with upcoming movies


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गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेह का दौरा करके चीन से चल रहे सीमा विवाद में भारत का रुख स्पष्ट कर दिया। मई की शुरुआत से ही भारत-चीन के सैनिकों के बीच सीमा पर झड़पें बढ़ गई थीं। 15 जून की रात झड़प ज्यादा हिंसक हो गई और 20 वीर भारतीय सैनिक शहीद हो गए।

इसी बीच,भारत-चीन सीमा विवाद से जुड़ी अफवाहों ने भी लोगों को खूब परेशान किया। कभी ये अफवाहें फर्जी वीडियो या फोटो की शक्ल में आईं। तो कभी बड़ी हस्तियों के भारत-चीना सीमा विवाद से जुड़े फर्जी बयान वायरल किए गए। इसी बीच, दैनिक भास्कर की फैक्ट चेक टीम ने इन दावों की पड़ताल कर पाठकों तक झूठ पहुंचने से रोकने की जिम्मेदारी निभाई।

पढ़ें इस विवाद से जुड़े वे 10 बड़े दावे। जो हमारी पड़ताल में फर्जी निकले।

वायरल दावा- एक वीडियो शेयर किया गया। दावा था कि ये गलवान घाटी की उस मुठभेड़ का वीडियो है, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए।

सामने आई सच्चाई-यह वीडियो 2 साल पुराना निकला। इसका गलवान घाटी वाली घटना से कोई संबंध नहीं।

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

वायरल दावा- चीन से चल रहे सीमा विवाद के बीच आरबीआई ने बैंक ऑफ चाइना को भारत में ब्रांच खोलने की अनुमति दी।

सामने आई सच्चाई -2 साल पहले ही बैंक ऑफ चाइना को भारत में ब्रांच शुरू करने की अनुमति मिल चुकी है। इसका वर्तमान सीमा विवाद से कोई संबंध नहीं।

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वायरल दावा- पीएम मोदी ने चीनी सीमा पर 41 एयरपोर्ट बनाए। जबकि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह चीन के डर से 10 साल तक अरुणाचल के दौर पर नहीं गए।

सामने आई सच्चाई -अक्टूबर 2009 में डॉ मनमोहन सिंह ने अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था। केंद्र सरकार ने चीनी सीमा पर बनी हवाई पटि्टयां या एयरपोर्ट की संख्या कभी आधिकारिक तौर पर जारी नहीं की है। इस तरह दोनों दावे फेक निकले।

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

वायरल दावा- चीन के हिस्से वाली पैंगोंग झील को अब भारतीय सेना ने कैप्चर कर लिया है।

सामने आई सच्चाई-दोनों देश की सरकारों या सेनाओं की तरफ से जारी किया गया, ऐसा कोई बयान नहीं मिला। दावा फर्जी निकला।

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

वायरल दावा- सैनिकों की लाश का एक फोटो। दावा था कि ये गलवान घाटी में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों की लाश हैं।

सामने आई सच्चाई-यह आतंकी संगठन बोको हरम द्वारा मारे गए 105 नाइजीरियन सैनिकों की पांच साल पुरानी फोटो है। जिसे गलत दावे के साथ वायरल किया गया।

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

वायरल दावा- तिरंगे में लिपटे ताबूतों की एक फोटो। जिसे 15 जून की रात गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों का बताकर शेयर किया गया।

सामने आई सच्चाई- फोटो पड़ताल में 1 साल पुरानी निकली। इसका गलवान घाटी में शहीद हुए भारतीय जवानों से कोई संबंध नहीं है।

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वायरल दावा- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत-चीन विवाद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में ट्वीट किया है। ट्वीट की एक स्क्रीनशॉट भी शेयर की जा रहा था।

सामने आई सच्चाई-वायरल हो रहे स्क्रीनशॉट बेंजामिन नेतन्याहू नाम के एक फर्जी ट्विटर हैंडल के हैं।

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वायरल दावा-बॉयकॉट चाइना लिखे हुए प्रोडक्ट्स का उत्पादन चीन में ही किया जा रहा है।

सामने आई सच्चाई-चीन से दूसरे देशों में प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट करने वाले व्यापारी ने कहा कि चीन में ऐसा करना गैरकानूनीहै। इस तरह दावा भ्रामक निकला।

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वायरल दावा-जंगी जहाजों की एक फोटो वायरल हुई। इसके आधार पर दावा किया गया कि भारत चीन के बीच चल रहे तनाव में भारत का साथ देते हुए जापान ने समुद्र के रास्ते चीन को घेर लिया है।

सामने आई सच्चाई-वायरल हो रही फोटो तीन साल पहले हुए मालाबार सैन्य अभ्यास की है। इसे गलत दावे के साथ वायरल किया गया।

पूरी पड़ताल पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

वायरल दावा- एक पत्र के आधार पर दावा किया गया कि एनएसए अजीत डोभाल ने चीनी सेना के भारतीय सीमा में प्रवेश की बात स्वीकारी है।

सामने आई सच्चाई-अजीत डोभाल ने ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा। नवंबर 2019 के एक पत्र से छेड़छाड़ कर सोशल मीडिया पर यह भ्रामक खबर फैलाई गई।

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10 big fake news related to India-China dispute


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