Tuesday, June 30, 2020

easysaran.wordpress.com

आज भारत-चीन सीमा पर संकट का सामना करने के लिए उसी देशप्रेम की जरूरत है, जिसका परिचय राममनोहर लोहिया और अटल बिहारी वाजपेयी ने साठ साल पहले दिया था। वर्ष 1962 के चीन युद्ध से पहले चीन पर कड़वा सच बोलने से सब कतराते थे। या तो वे नेहरू से घबराते थे, या माओ के मोह में फंस जाते थे। इस माहौल में सबसे पहले राम मनोहर लोहिया ने चीन से देश की सुरक्षा को खतरे और नेहरू की लापरवाही के प्रति देश को आगाह किया था।

युद्ध के बाद संसद में अटल बिहारी वाजपेयी ने भी भारत-चीन संबंध का कड़वा सच सामने रखा था। आज फिर चुप्पी का पर्दा डालने की कोशिश है। ऐसे में इस चुनौती का सामना करने के लिए हम सबसे पहले सच का सामना करें, भारत-चीन संबंध के विवाद के सात कड़वे सच बिना लाग-लपेट के देश के सामने पेश किए जाएं।

पहला कड़वा सच: चीन की फौज एलएसी को पार कर हमारी 40-60 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा करके बैठ गई है। इसकी पुष्टि सैटेलाइट तस्वीरों से हुई है। हमारी सेना और विदेश मंत्रालय के बयानों से भी यही आशय निकलता है। प्रधानमंत्री का कहना सच नहीं है कि ‘ना कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई वहां घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट दूसरे के कब्जे में है’। कड़वा सच यह है कि प्रधानमंत्री के बयान को चीन ने जमकर भुनाया। पूरा सच यह है कि 62 के युद्ध के बाद भी चीन द्वारा कब्जे की यह पहली घटना नहीं थी। पर कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने इतनी नासमझी का बयान नहीं दिया था।

दूसरा कड़वा सच: चीन अपना कब्जा नहीं छोड़ेगा। दोनों सेनाओं के पीछे हटने जैसी खबर भ्रामक है। कड़वा सच यह है कि हमारी जमीन पर जिस चीनी चौकी को हटाने के लिए हमारे 20 जवान शहीद हुए थे, ठीक उसी जगह चीन ने और बड़ी चौकी बना ली है। बातचीत में चीन का रुख वही है जिसे हरियाणवी में कहते हैं ‘पंचों की बात सर माथे, लेकिन परनाला वहीं गिरेगा!’ पूरा सच यह है कि चीन दो कदम आगे लेकर, एक कदम पीछे खींचने वाला खेल कई बार दोहरा चुका है।

तीसरा कड़वा सच: चीन का यह कब्जा सरकार की लापरवाही के कारण हुआ। सितंबर में चीन के आक्रामक रुख का इशारा मिला था। मार्च तक चीन तैयारी कर चुका था। अप्रैल में सरकार को चीन के इरादों का पता लग गया था। मई में कब्जा हुआ। सेना और राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था की चेतावनी के बावजूद सरकार ने आंखें बंद रखीं। इसकी कोई गारंटी नहीं कि कोई दूसरी सरकार यह गफलत ना करती। लेकिन यह तय है राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में यह सरकार दूसरों से बेहतर नहीं है।

चौथा कड़वा सच: चीन की फौज को मुंहतोड़ जवाब निहत्थे सैनिकों ने दिया, सरकार ने नहीं। हमारी सेना को आक्रामक चीनी फौजियों का मुकाबला करने की जो छूट गलवान घाटी मुठभेड़ के बाद मिली, वह पहले नहीं दी गई थी। सच यह है कि पाकिस्तान और बाकी पड़ोसियों के सामने शेर की तरह गुर्राने वाली इस सरकार के मुंह में चीन के मामले में दही जम गया था।

पांचवां कड़वा सच: आज चीन से युद्ध करके कब्ज़ा छुड़ाना संभव नहीं है। एटम बॉम्ब के रहते खुले युद्ध का विकल्प न भारत के पास है, न चीन के। जमीनी लड़ाई में पराक्रम और मानसिक बल में हमारी फौज किसी से उन्नीस नहीं है। लेकिन पहले से काबिज चीनी फौज को इन इलाकों में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का फायदा है। इसकी जिम्मेदारी जितनी इस सरकार की है, उतनी ही पिछली सरकारों की भी।

छठा कड़वा सच: फिलहाल कूटनीति के जरिए चीन को मना या झुका लेना संभव नहीं दिखता। बेशक बहुत से देश चीन से नाराज हैं, लेकिन वे भारत के सवाल पर चीन से संबंध खराब नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री भले ही ट्रम्प को अपना यार समझें, लेकिन ट्रम्प को भारत की चिंता नहीं है। उधर पड़ोस के बाकी देशों से हमने उचित-अनुचित झगड़ा मोल ले रखा है।

सातवां कड़वा सच: भारत के किसी बॉयकॉट या बैन से चीन की अर्थव्यवस्था पर बहुत फर्क नहीं पड़ेगा। फिलहाल चीनी वस्तुओं का आयात रोकने से भारत को ही नुकसान होगा। दोनों अर्थव्यवस्थाओं में यह असंतुलन नई बात नहीं है। इसके लिए भी केवल वर्तमान सरकार को दोषी नहीं ठहरा सकते।

एक स्वतंत्र, सार्वभौम राष्ट्र होने के नाते हमें सीमा पर चीन की दादागिरी का सामना करना होगा। लेकिन इस चुनौती का सामना जनता की आंख में धूल झोंकने से नहीं होगा, किसी सांकेतिक नौटंकी से नहीं होगा। भारत को अपने तरीके से, अपना समय चुनकर, अपने चुनिंदा क्षेत्र में चीन की इस चुनौती का जवाब देना होगा। इसके लिए पूरे देश को एकजुट होकर संकल्प लेना होगा। इस राष्ट्रीय एकता को बनाने और देश के सामने पूरा सच रखने की शुरुआत प्रधानमंत्री को करनी होगी।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
सेफोलॉजिस्ट और अध्यक्ष, स्वराज इंडिया


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3eUuz5G
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via