Tuesday, January 7, 2020

कहां चला गया था निर्भया का दोस्त... पिता ने खोला राज, कहा- घटना से उबरने में बेटे को लंबा वक्त लगा, दोषी फांसी के हकदार थे

गोरखपुर. 7 साल 22 दिन पहले दिल्ली में निर्भया के साथ चलती बस मेंदरिंदगी करने वालों को फांसी दिए जाने की तारीख और समय मुकर्रर कर दिया गया। घटना वाली रातबस में निर्भया के साथ उसका दोस्त अवनींद भी था। अवनींद्र यहांगोरखपुर कारहनेवालाहै।इस केस में वहचश्मदीद गवाह था। हालांकि, इस केस के बाद निर्भया का यह दोस्त अचानक लापता हो गया। मंगलवार को जब फांसी का ऐलान हुआ तो अवनींद्र के पिता भानु प्रताप पांडेय सामने आए। उन्होंने दोषियों काडेथ वाॅरंट जारी होने के बाद कोर्ट केफैसले पर संतोष जताया है।कहा-घटना ने बेटे को झकझोर दिया था, उसे इससे उबरने में लंबा वक्त लगा।

16 दिसंबर2012 की रात दिल्ली में पैरामेडिकल छात्रा 'निर्भया' से 6 लोगों ने चलती बस में दरिंदगी की गई थी। गंभीर जख्मों के कारण निर्भया ने26 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था।

निर्भया केस में दोषीपवन, अक्षय, विनय और मुकेश को मंगलवार को फांसी की सजा सुनाई गई। ट्रायल के दौरान मुख्य दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। एक अन्य दोषी नाबालिग होने की वजह से 3 साल बादसुधार गृह से छूट चुका है।

अब निर्भया को शांतिमिलेगी
पेशे से अधिवक्ता भानु प्रताप पांडेय ने कहा- निर्भया तो वापस नहीं आ सकती है। लेकिन, उसके मन को अब शांति मिली होगी। अवनीन्‍द्र के बारे में पूछे जाने पर भानुप्रतापबताते हैं कि घटना से उबरने के लिए बेटा विदेश चला गया। वहांजॉब कर रहाहै।अभी भी उस रात की घटना को याद कर अवनींद्र घबरा जाते हैं। वे उससे उबरने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे दरिंदों को संदेश देना चाहते हैं कि वहऐसा न करें। क्‍योंकि उनका भी हश्र यही होगा। नाबालिग आरोपियों के सवाल पर पांडेयकहते हैं कि तीन साल काफी नहीं हैं। अपने यहां के कानून की व्‍यवस्‍था के कारण वो बच गया। इसका हम सभी को अफसोस है। जब तक कानून में संशोधन नहीं होगा, ऐसे नाबालिग कानून का लाभ पाते रहेंगे।

ऐसे मामलों में अभी कानून में बदलाव की जरूरत

भानु प्रताप ने कहा- सभी दोषी इसी के हकदार थे। पूरा देश और वे भी इस फैसले से संतुष्‍ट हैं। ऐसे दरिंदों को फांसी की सजा मिलनी ही चाहिए थी। हालांकि निर्भया के माता-पिता से उनकी बातचीत नहीं हो पाई। कहा- उन्‍होंने अपनी बच्‍ची को खोया है। उसकी कमी को कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। माता-पिता ने लंबी लड़ाई लड़ी है। पूरा देश उनके साथ खड़ा रहा। सरकार को आगे आनापड़ा और संविधान में संशोधन कर ऐसा कानून लाना पड़ा। हालांकि अभी इसमें और बदलाव की जरूरत है। ऐसे आरोपी, जो तीन साल की सजा पाकर छूट गए और इस समाज का हिस्‍सा हैं, उनके लिए और सख्‍त सजा का प्रावधान होना चाहिए।



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घटना की रात गोरखपुर का अवनींद्र निर्भया के साथ था।


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