
देशभर की जेलों में कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकारों द्वारा नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (नालसा) के सहयोग से 51 दिनों के लॉकडाउन के दाैरान 59,163 कैदियों को रिहा किया जा चुका है। इन कैदियों को जमानत और पैरोल पर रिहा किया गया है।
नालसा की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादाकैदियों को पैरोल और यूपी में जमानत पर रिहा किया गया। नालसा के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमना के निरीक्षण में तैयार रिपोर्ट के अनुसार, रिहा 59,163 कैदियों में से 42,529 विचाराधीन थे। इन्हें अदालतों से जमानत पर रिहा किया गया। इनमें सबसे अधिक 9,977 कैदी यूपी से रिहा किए गए हैं।
वहीं, 16,391 ऐसे कैदी रिहा किए गए हैं, जिन्हें सजा हो गई थी। इन्हें भी पैरोल पर रिहा किया गया है। सजा पाए कैदियों की सबसे ज्यादा पैरोल पर रिहाई मध्य प्रदेश से हुई है। इनकी संख्या 3,577 है। वहीं, 243 कैदियों को सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत जमानत भी दी गई है।
घरेलू हिंसा के 727 मामलों में लोगों ने मांगी कानूनी मदद
लाॅकडाउन के दौरान देशभर में घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई। ऐसे लोगों को कानूनी मदद पहुंचाने के लिए पिछले 51 दिन के दौरान 727 लोगों ने घरेलू हिंसा के मामलों में कानूनी मदद मांगी है। इनमें विभिन्न राज्यों में एसएलएसए के जरिए 90% यानी 658 मामलों में कानूनी सहायता प्रदान भी की है।
घरेलू हिंसा और घर से निकालने की शिकायतेंं उत्तराखंड से ज्यादा
नालसा की हेल्पलाइन पर घरेलू हिंसा की 727 शिकायतें आईं। सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तराखंड राज्य से आई हैं, जो 141 थीं। वहीं 310 ऐसे मामले सामने आए, जिनमें मकान मालिक द्वारा घर से निकालने की धमकी दी गई थी। धमकी के ऐसे मामले भी उत्तराखंड से सबसे ज्यादा आए। ये 201 के करीब थे। इन सभी को भी कानूनी सहायता दी गई।
मजदूरी न मिलने की 800 शिकायतें
कोरोना मजदूरी न दिए जाने के भी लगभग 800 मामलों में लोगों तक सहायता पहुंचाई गई है। इसमें कानूनी सहायता मुहैया कराई जा रही है।
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