
नई दिल्ली. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट नागरिकता संशोधन कानून की वैध्यता को अगर बरकरार रखता है और मुसलमानों को डिटेंशन कैंप में रखा जाता है तो देश में बड़े स्तर पर आंदोलन चलाया जाना चाहिए। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में चिदंबरम ने कहा कि असम में 19 लाख लोगों को एनआरसी से बाहर रखे जाने के बाद सरकार सीएए लेकर आई ताकि इनमें से 12 लाख हिंदुओं को नागरिकता दी जाए।
एक छात्र ने सवाल किया कि अगर सीएए को सुप्रीम कोर्ट वैध ठहराता है तो फिर आगे क्या कदम हो सकता है? इस चिदंबरम ने कहा, “(ऐसी स्थिति में) सूची से बाहर रहने वालों में मुस्लिम होंगे और उन्हें बाहर निकालने का प्रयास होगा। ऐसे में अगर किसी मुसलमान को बाहर निकाला जाता है तो विशाल जनांदोलन होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस का मानना है कि सीएए को खत्म किया जाना चाहिए और इसको लेकर राजनीतिक स्तर पर कार्य होना चाहिए ताकि एनपीआर को 2024 से आगे टाला जाना चाहिए।
संविधान में धर्म आधारित नागरिकता का प्रवाधान नहीं: चिदंबरम
चिदंबरम ने कहा, “इस सरकार में किसी दिन अचानक से जेएनयू का नाम मोदी यूनिवर्सिटी या अमित शाह यूनिवर्सिटी किया जा सकता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन बीजेपी का जाल है। इजरायल जैसे कई देशों में धर्म के आधार पर नागरिकता दी जा रही है, लेकिन भारत में यह संभव नहीं है। हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। हम धर्म आधारित उत्पीड़न का समर्थन नहीं कर सकते। हमें शरणार्थियों के लिए कानून बनाने की जरूरत नहीं है।
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