
वॉशिंगटन.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के करीबी रोजर स्टोन को एक अदालत ने 40 महीने की सजा सुनाई। स्टोन को संसदीय जांच में बाधा डालने और झूठ बोलने,गवाहों को प्रभावित करने समेत कुछ अन्य मामलों में दोषी ठहराया गया। फिलहाल, स्टोन को जेल नहीं भेजा गया है। वेफैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील कर सकते हैं। अमेरिकी कांग्रेस 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में रूस के दखल और ट्रम्प की मदद के आरोपों की जांच कर रही है।
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज एमी बर्मन जैक्सन ने स्टोन पर फैसला सुनाते वक्त कहा, “सच्चाई अब भी जिंदा है और इसका महत्व हमेशा रहेगा। स्टोन ने स्वयं को बचाने के लिए झूठ बोला। उनकी वजह से हमारे मौलिक संस्थानों को खतरा है। यही संस्थान हमारे लोकतंत्र की नींव हैं।” जज ने कहा कि स्टोन को तत्काल जेल नहीं भेजा जाएगा। उनके पास ऊपरी अदालत में अपील का कानून अधिकार है। कुछ दिन पहले ट्रम्प ने अपने एक और सहयोगी पॉल मैनफोर्ट को सजा दिए जाने के बाद जज पर निशाना साधा था। मैनफोर्ट को भी गलत तरीकों से लॉबीइंग और गवाहों को प्रभावित करने का दोषी पाया गया था।
मुश्किल में अमेरिकी राष्ट्रपति
स्टोन अमेरिकी राष्ट्रपति के छठवें सहयोगी हैं जिन पर सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे। हालांकि, सीनेट ने उन्हें महाभियोग प्रस्ताव सेबरी कर दिया। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में रूस की दखलंदाजी और ट्रम्प को फायदा पहुंचाने की जांच विशेष अधिकारी रॉबर्ट मुलर कर रहे हैं। स्टोन को उन्होंने आरोपी माना था। इसके बाद अदालत ने स्टोन को सजा सुनाई। कुछ दिन पहले स्टोन ने सोशल मीडिया पर बंदूक के साथ एक फोटो शेयर की थी। इस मामले में भी उनके खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी। खास बात ये है कि उस मामले की सुनवाई भी एमी बर्मन ने ही थी। तब उन्होंने चेतावनी देते हुए स्टोन को बरी कर दिया था।
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