Wednesday, February 19, 2020

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इंदौर.इसरो के चर्चित चंद्रयान-2 मिशन में राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (कैट) ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चंद्रमा पर मौजूद विकिरणों के परीक्षण के लिए इसरो ने विशेष किस्म के डिटेक्टर्स बनाए थे। चंद्रमा पर उपयोग करने से पहले इन डिटेक्टर्स की क्षमताओं को पृथ्वी पर जांचना जरूरी था, लेकिन चंद्रमा पर मौजूद निश्चित वेवलेंथ (तरंग दैर्ध्य) के विकिरणों को पृथ्वी पर हासिल करना मुश्किल था। इसमें आरआर कैट ने इसरो की मदद की।

यह खुलासा करते हुए कैट के निदेशक डॉ. देवाशीष दास ने बताया कि कैट का इंडस 2 सिंक्रोटॉन रेडिएशन का स्त्रोत है। इसके इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पैक्ट्रम में लगभग हर वेवलेंथ के विकिरण मौजूद हैं, जो चंद्रमा की सतह से निकलते हैं। चंद्रयान 2 प्रोजेक्ट से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने कैट में आकर उन सभी डिटेक्टर्स की क्षमताओं का परीक्षण किया था। दास आरआर कैट के 37वें स्थापना दिवस पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि कैट स्विट्जरलैंड में चल रहे सर्न, जर्मनी में चल रहे फेयर सहित कई दूसरे अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

2032 तक... 32 गीगावॉट बिजली परमाणु स्रोत से पैदा करने का लक्ष्य

परमाणु ऊर्जा आयोग के सदस्य डॉ. आरबी ग्रोवर ने बताया कि परमाणु बिजली की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए देश में 7 नए रिएक्टर्स तैयार किए जा रहे हैं। अन्य 14 रिएक्टर्स के निर्माण की स्वीकृति भी मिल चुकी है। 2032 तक 32 गीगावॉट बिजली परमाणु रिएक्टर से बनाने का लक्ष्य है। इसे हासिल करने के लिए निर्माणाधीन और स्वीकृत रिएक्टर्स के अलावा इतने ही नए रिएक्टर्स की जरूरत होगी।



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प्रतीकात्मक फोटो।


from Dainik Bhaskar /mp/indore/news/rrcat-made-available-radiation-from-the-moon-to-isro-scientists-on-earth-126792258.html
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