
नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प दो दिन के भारत दौरे पर हैं। भारतीय और अमेरिकी मीडिया के साथ-साथ दुनियाभर के मीडिया संस्थानों की नजर इस दौरे पर है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि दुनियाभर के नेता ट्रम्प के अहंकार को भरने की कोशिश करते हैं। प्रधानमंत्रीमोदी ने भी ट्रम्प को खुश करने के लिए उनके पहले प्यार यानी 'भीड़ केसाइज' को चुना। 'द डॉन' ने भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड को लेकर हुई बयानबाजी पर इसेअमेरिका फर्स्ट vs मेक इन इंडिया की लड़ाई बताया है।वहीं, अलजजीरा ने भारत में नागरिक कानून में संशोधन के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शनों कोज्यादा जगह दी है।
मोदी ने ट्रम्प को खुश करने के लिए उनके पहले प्यार यानी 'भीड़ की साइज' को चुना : न्यूयॉर्क टाइम्स
ब्रिटेन के पास महारानी है, इसलिए वे ट्रम्प के लिए बकिंघम पैलेस में डिनर आयोजित करते हैं। फ्रांस में 'बास्तिले डे' मनाया जाता है, इसलिए वे अमेरिकी राष्ट्रपति को मिलिट्री परेड में बुलाते हैं। जापान में राजशाही है, इसलिए वे ट्रम्प को अपना नया साम्राज्य दिखाने के लिए आमंत्रित करते हैं और साथ ही सूमो मैच दिखाने भी ले जाते हैं। इसी क्रम में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रम्प को खुश करने के लिए उनके पहले प्यार को चुना यानी 'भीड़ कासाइज'। भारतीय शहर अहमदाबाद में ट्रम्प के कार्यक्रम में 1 लाख से ज्यादा लोग आए हैं और करीब इतने ही लोग एयरपोर्ट से लेकर कार्यक्रम के स्थान तक पहुंचने के लिए हो रहे उनके रोड शो के दौरान मौजूद रहेंगे।
जर्मन मार्शल फंड ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स के एशिया प्रोग्राम की डायरेक्टर जुलियन स्मिथ के हवाले से एनवाईटीने लिखा है, 'दुनिया के बड़े नेता अमेरिकी राष्ट्रपति के टूर में एतिहासिक स्थानों के दौरे और स्थानीय व्यंजनों को या तो कम कर रहे हैं या बिल्कुल हटा रहे हैं। वे महज उनके अहंकार को भरने का प्रयास कर रहे हैं। यह पिछले कुछ सालों में हमनें अलग-अलग तरह से देखा है लेकिन इनका लक्ष्य हर बार समान ही रहा है और वह यह कि ट्रम्प को कुछ अलग महसूस करा सकें। भारतीयों ने भी यह निश्चित किया कि जब ट्रम्प अमेरिका वापस जाएं तो भारत के बारे में कुछ अच्छे अनुभव साथ लेकर जाएं। ब्रुकिंग इंस्टिट्यूशन के इंडिया प्रोजेक्ट की डायरेक्टर तन्वी मदन के मुताबिक, भारतीय यह जानते हैं कि ट्रम्प को यह पसंद है और वे यह चाहते भी हैं। अगले कुछ महीनों तक इसका असर भी रहेगा। वे यह भी कहती हैं कि हो सकता है कि ट्रम्प के दौरे के बाद भारत में किसी जगह या योजना का नाम ट्रम्प के नाम पर रख दिया जाए।
अमेरिका फर्स्ट vs मेक इन इंडिया की लड़ाई : द डॉन
अमेरिका और भारत के बीच कारोबारी संबंध लंबे समय से खराब चल रहे थे, लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की "अमेरिका फर्स्ट' और प्रधानमंत्री मोदी के "मेक इन इंडिया' की वजह से यह संबंध और बदतर होते जा रहे हैं। चीन के साथ ट्रेड वॉर के बावजूद ट्रम्प के भारत को लेकर बयान और उस पर भारत की प्रतिक्रिया की वजह से भारत-अमेरिका के बीच कोई बड़ा समझौता नहीं हो सका। ट्रम्प के भारत दौरे पर एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि भारत की कार्रवाईयों ने "भारत में संरक्षणवाद की चिंताओं को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है।' इस दौरे में मोदी और ट्रम्प दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम में रैली को संबोधित करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति और फर्स्ट लेडी मेलानिया ताजमहल भी जाएंगे। लेकिन इसके इतर दोनों नेता एक बड़ी ट्रेड डील करना चाहेंगे। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोई बड़े समझौते की जगह दोनों देशों के बीच छोटी डील ही होने की संभावना है।
ट्रम्प को सीएए का मुद्दा उठाने का नैतिक अधिकार नहीं : अलजजीरा
विश्लेषकों का मानना है कि मोदी अपनी पर्सनल केमिस्ट्री के जरिए दोनों देशों के बीच चल रहे ट्रेड डिफरेंस (व्यापारिक अंतर) को खत्म करना चाहेंगे। ट्रम्प कई मौकों पर कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता कर चुके हैं और इस दौरे में वे कश्मीर मुद्दे को भी उठा सकते हैं। इसके साथ ही धार्मिक आजादी का मुद्दा भी उठ सकता है। पूर्व डिप्लोमैट कंवल सिब्बल कहते हैं कि "ट्रम्प के पास धार्मिक आजादी या माइनोरिटी राइट्स पर भारत से सवाल करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। अगर ट्रम्प सीएए का मुद्दा उठाते भी हैं तो भारत इसका विरोध जरूर करेगा। ट्रम्प खुद ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्होंने कुछ देशों के मुसलमानों की अमेरिका में एंट्री पर प्रतिबंध लगाया है। क्या वे एंटी-मुस्लिम, एंटी-इस्लाम नहीं हैं? क्या उन्हें कोई नैतिक अधिकार है कि वे हमें बताएं कि क्या सही है और क्या गलत?'
मोदी और ट्रम्प में कई समानताएं, दोनों ही मुस्लिम विरोधी फैसलों के लिए जाने जाते हैं : सीएनएन
अमेरिका और भारत के बीच इन दिनों व्यापारिक मुद्दों को लेकर तमाम मतभेद हैं। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए मेगा शो आयोजित कर पूरी दुनिया को बड़ा संदेश दिया है। वह भी तब जब मोदी खुद कई फैसलों को लेकर देश ही नहीं दुनियाभर में तमाम विरोधों का सामना कर रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी कड़े फैसले लेने के इसी मोदी मॉडल को राष्ट्रपति ट्रम्प और उनके जैसे दुनिया के तमाम बड़े नेता काफी पसंद करते हैं। ट्रम्प कई बार इसकी तारीफ भी कर चुके हैं। मोदी और ट्रम्प में की समानताएं भी हैं। दोनों ही अपने तीव्र अंदाज से विरोधियों को शांत करने के लिए जाने जाते हैं। मीडिया द्वारा कड़ी आलोचना के बावजूद बड़े फैसले लेना और दुनिया में एक शक्तिशाली नेता के तौर पर खुद को पेश करना भी दोनों को पसंद है। दोनों मुस्लिम विरोधी फैसले लेने के लिए भी जाने जाते हैं।
ट्रम्प भारत दौरे में पांच बातों पर फोकस कर सकते हैं :बीबीसी वर्ल्ड
1. भारतवंशियों के वोट :अमेरिका में करीब 45 लाख भारतवंशी हैं। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प को सिर्फ 16 फीसदी भारतीय मूल के अमेरिकियों ने वोट दिए थे। भारत दौरे के वीडियो और फोटो चुनावी अभियान में इस्तेमाल होंगे।
2. ट्रेड डील :ट्रम्प ट्रेड डील करने में कामयाब रहते हैं तो यह उनकी बहुत बड़ी कामयाबी होगी। फिलहाल, दोनों देश हर साल 160 बिलियन डॉलर का कारोबार करते हैं। भारत की आपत्ति ट्रम्प प्रशासन के नए टैरिफ और वीजा सिस्टम के कुछ प्रावधानों को लेकर है।
3. चीन फैक्टर :कार्यकाल के शुरुआती दौर से ही ट्रम्प चीन को लेकर सख्त रहे। चीन की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ और दक्षिणी चीन सागर नीतियां उन्हें नागवार गुजरीं। वे भारत को चीन के समकक्ष लाने की कोशिश अब और तेज कर सकते हैं।
4. डिफेंस :भारत-अमेरिका करोड़ों डॉलर की डिफेंस डील कर सकते हैं। इसमें भारतीय नौसेना के लिए हेलिकॉप्टर और एयर डिफेंस डिफेंस सिस्टम सौदा शामिल हैं। यह करीब 1.8 बिलियन डॉलर का है। अमेरिका के सामने रूस और फ्रांस की चुनौती है।
5. मोदी-ट्रम्प के व्यक्तिगत संबंध :ट्रम्प कई बार और कई मंचों से मोदी को मित्र बता चुके हैं। 8 महीने में दोनों की यह पांचवी मुलाकात है। हाल ही में ट्रम्प ने कहा, “भारत ने हमसे अच्छा बर्ताव नहीं किया। लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी को मैं व्यक्तिगत तौर पर काफी पसंद करता हूं।”
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