Tuesday, May 26, 2020

easysaran.wordpress.com

काेराेना संकट में दूसरे राज्याें से लाैटकर मध्यप्रदेश आए आधे से ज्यादा प्रवासी मजदूर दाेबारा महानगरों में पलायन नहीं करना चाहते हैं। जबकि एक चौथाई ऐसे हैं, जो वापसी को लेकर असमंजस में हैं। 21 फीसदी हालात सामान्य हाेने पर फिर से महानगराें में जाने के इच्छुक हैं। यह निष्कर्ष विकास संवाद संस्था द्वारा प्रदेश के 10 जिलों में लौटे मजदूरों के बीच किए गए सर्वे के आधार पर निकला है।

पूरी मजदूरी भी नहीं मिली

विकास संवाद के निदेशक सचिन कुमार जैन ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, मध्यप्रदेश के आधे से अधिक मजदूर निर्माण क्षेत्र में कार्यरत थे। वापस लौटे लगभग आधे मजदूर ऐसे भी हैं जिन्हें अचानक लॉकडाउन के बाद पूरी मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक वापस आए एक चौथाई मजदूरों के पास 100 रुपए से भी कम नगदी बची थी। जबकि हर 100 में सात मजदूर ऐसे हैं जो घर लौटने की इस जद्दोजहद में पूरी तरह कंगाल हो गए।उनके पास एक रुपया भी नगद नहीं बचा। केवल 11 फीसदी मजदूर ही ऐसे भाग्यशाली थे, जिनके पास 2000 रुपए से अधिक की राशि गांव लौटने परबच पाई।

रिपोर्ट प्रदेश के सतना, मंडला, छतरपुर, पन्ना, रीवा, शिवपुरी, विदिशा, शहडोल, निवाड़ी और उमरिया जिले में किए सर्वे के आधार पर तैयार की गई है।

सर्वे: 47% काे लाॅकडाउन के कारण नहीं मिली मजदूरी

अब तक लौटे 14 लाख मजदूर
20 मई तक मप्र सरकार की मदद से 4.63 लाख मजदूर ट्रेन या बसों जरिए आ चुके थे। इनमें 1.93 लाख गुजरात से, 1.07 लाख महाराष्ट्र और 1 लाख राजस्थान से 1 लाख से आए। इसके अलावा लगभग 10 लाख मजदूर पैदल, साइकिल या खुद के साधनों से वापस लौटकर आए हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
तस्वीर मप्र के बड़वानी स्थित बिजासन घाट सीमा की हैं। रात में महाराष्ट्र से आने वाले मप्र, यूपी, बिहार के मजदूरों को बिजासन मंदिर परिसर में रुकवाया जा रहा है। मजदूर खुले में जमीन पर सोने को मजबूर हैं।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2ZG95EA
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via