
एक बेहद शर्मीली लड़की, जिसे हर किसी से डर लगता था। जो आर्थिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर आजाद होना चाहती थी, लेकिन अपने आसपास के लोगों की तुलना से उसे नफरत थी। उसके पिता उसे अक्सर पुट्टपर्थी में सत्य साईं के दरबार में ले जाते थे। वहां उसे जिंदगी को देखने का नया नजरिया मिला। अंदर का फाइटर जागा। वे देश के लिए कुछ करना चाहती थी। 1996 आते-आते वे आईपीएस अफसर बन गई। हम बात कर रहे हैं श्रीनगर में सीआरपीएफ की पहली महिला आईजी चारु सिन्हा की।
जब चारु सिन्हा ने नौकरी शुरू की, तो इस फील्ड में पुरुष हावी थे। डेक्कन क्रॉनिकल को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उस दौर में मीडिया हर वक्त मेरा पीछा करता था। मैं कहां जाती हूं, किससे मिलती हूं, हर चीज रिपोर्ट की जाती थी। ऐसा लगता था, जैसे मेरी पर्सनल लाइफ खत्म हो गई हो, लेकिन धीरे-धीरे चीजें सामान्य होती गईं।
आदिवासियों, एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं-बच्चों के लिए काम किया
चारु तेलंगाना के मेडक जिले में एन्टी-नक्सल ऑपरेशन की ओएसडी इंचार्ज रही हैं। उन्होंने यहां कई ऑपरेशन्स को अंजाम दिया। कई नक्सलियों ने उनके सामने सरेंडर किया। जो नक्सली सरेंडर करते, उनके पुनर्वास में भी चारु सक्रिय भूमिका निभातीं। प्रकाशम जिले में एसपी रहने के दौरान उन्होंने तटीय इलाकों के मछुआरों और चेंचू आदिवासियों के लिए कई काम किए। उन्हें नक्सलियों की मदद नहीं करने लिए समझाया। एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं और बच्चों के लिए काम किया। ऐसी महिलाएं जिन्हें एचआईवी होने पर घर वाले निकाल देते थे, उन्हें सम्पत्ति पर हक दिलाया।
यूएन के मिशन के लिए भी काम कर चुकी हैं
बात 2005 की है। यूएन के कोसोव में एक मिशन के लिए देशभर से पुलिस अधिकारी सिलेक्ट किए जा रहे थे। चारु उस वक्त गंभीर पीठ दर्द से परेशान थीं, लेकिन प्रक्रिया टलती गई। चारु अपनी बीमारी से न सिर्फ उबरीं, बल्कि इस मिशन के लिए सिलेक्ट भी हुईं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाने पर चर्चा में रहीं
आंध्र और तेलंगाना का 2014 में जब बंटवारा हुआ, तो उन्होंने तेलंगाना कैडर चुना। यहां वे एंटी करप्शन ब्यूरो की डायरेक्टर रहीं। इस दौरान उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए। नेताओं के दबाव में आए बिना कई करप्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की। कुछ अधिकारियों को घूस लेते रंगे हाथों पकड़ा। उन्होंने ऐसे मामलों पर भी एक्शन लिया, जिनकी फाइलें सरकारी दबाव के चलते दबा दी गई थीं। यहां से जब उनका ट्रांसफर हुआ, तो कहा गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया इसकी एक वजह थी।
फरवरी 2018 में उन्हें डेपुटेशन पर सीआरपीएफ में आईजी बनाकर भेजा गया। जहां अप्रैल 2018 में उनकी पोस्टिंग बिहार सेक्टर में सीआरपीएफ आईजी के तौर पर हुई। यहां भी उन्होंने नक्सलियों के खिलाफ कई मुहिम की अगुआई की। यहां से उनकी पोस्टिंग जम्मू सीआरपीएफ में की गई।
पॉलिटिकल साइंस से पोस्ट ग्रेजुएट हैं कश्मीर की नई आईजी
कश्मीर की नई आईजी ने हैदराबाद के सेंट फ्रांसिस कॉलेज फॉर वुमन से इंग्लिश लिट्रेचर, हिस्ट्री और पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उन्हें पढ़ना और घूमना पसंद है। खाली समय में वे अपने पालतू कुत्तों के साथ खेलती हैं।
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