Friday, December 4, 2020

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बिहार के बेगूसराय के रहने वाले ब्रजेश कुमार किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता खेती करते हैं। ब्रजेश की पढ़ाई लिखाई ग्रामीण परिवेश में ही हुई। फिर उनकी जॉब लग गई। दो साल तक उन्होंने नौकरी की। फिर 2013 में कैटल फार्मिंग की शुरुआत की। आज उनके पास 30 पशु हैं। उनका टर्नओवर सालाना 5 करोड़ रुपए है।

30 साल के ब्रजेश ISM धनबाद से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्यूनिकेशन में डिप्लोमा करने के बाद सीबीएसई के साथ गोपालगंज में सीसीई कंट्रोलर के तौर पर काम कर रहे थे। वे कहते हैं कि नौकरी और सैलरी दोनों अच्छी थी लेकिन जॉब सेटिस्फेक्शन नहीं मिल रहा था। दो साल नौकरी करने के बाद 2013 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी।

ब्रजेश के पास दो दर्जन से ज्यादा गायें हैं। वे रोज 200 लीटर दूध का उत्पादन करते हैं।

ब्रजेश ने बताया कि पहले से मन में था कि कुछ अलग करना है, लेकिन ये तय नहीं कर पा रहा था कि क्या करना है। सीबीएसई में काम करने के दौरान एक चीज समझ आई कि आजकल के बच्चों को खेती के बारे में बहुत कम जानकारी है या दिलचस्पी नहीं है। बस सिलेबस पूरा करने के लिए वो खेती से जुड़े टॉपिक पढ़ते हैं। तब मुझे लगा कि क्यों न इस फील्ड में ही कुछ किया जाए। फिर मैंने पशुपालन करने का फैसला लिया।

इसके बाद बिहार सरकार के समग्र विकास योजना के तहत 15 लाख रुपए का लोन लिया और बेगूसराय में 4 एकड़ जमीन लीज पर ली। इसके बाद कुछ फ्रीजियन साहीवाल और जर्सी नस्ल की गायें खरीदीं। ब्रजेश के पास फिलहाल जर्सी, साहीवाल, गिर जैसी किस्म की 26 गायें हैं। इनसे हर दिन 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है। वह अपने दूध को बरौनी डेयरी को बेचते हैं।

ब्रजेश पशुओं के लिए पौष्टिक आहार और वर्मी कंपोस्ट भी तैयार करते हैं।

धीरे-धीरे ब्रजेश का दायरा बढ़ने लगा और उन्होंने पशुओं के लिए पौष्टिक आहार और वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया। अभी वे किसानों से उनके प्रोडक्ट खरीदते हैं और उससे पशुओं के लिए आहार तैयार करके मार्केट में सप्लाई करते हैं। आज ब्रजेश के 4 एकड़ जमीन पर गौशाला, गोबर गैस प्लांट, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की मशीन से लेकर मिल्किंग मशीन तक है।

कैटल फार्मिंग और डेयरी के बारे में ट्रेनिंग के लिए वे महाराष्ट्र के कोल्हापुर भी गए थे। बाद में वे राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, आणंद (गुजरात) से जुड़ गए। इसके तहत उन्होंने कई किसानों को ट्रेंड किया। ऑन रिकॉर्ड 6 हजार से ज्यादा किसानों को वे ट्रेनिंग दे चुके हैं। साथ ही 40 लोगों को उन्होंने अपने यहां रोजगार भी दिया है।

ब्रजेश बताते हैं कि हम मॉडर्न तकनीक से पशुपालन करते हैं। वे शॉर्टेट सीमेन का इस्तेमाल करते हैं ताकि गाय हमेशा बछिया ही पैदा करें। इसके साथ ही वे सरोगेसी गाय भी पाल रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पुणे के वैज्ञानिकों की मदद ली है। इसमें करीब 30 हजार रुपए खर्च आया है।

कैटल फार्मिंग के साथ ही उन्होंने अब सब्जियों की खेती भी इस साल से की है।

इस काम के लिए ब्रजेश कई मंचों पर सम्मानित हो चुके हैं। पीएम मोदी उनकी तारीफ कर चुके हैं। उन्होंने ब्रजेश के साथ बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी ब्रजेश के कैटल फार्म को देखने के लिए आ चुके हैं। हाल ही उन्होंने सब्जियों की खेती भी शुरू की है। करीब 4 एकड़ जमीन पर शिमला मिर्च, स्ट्रॉबेरी, गन्ना और टमाटर उगाए हैं। कुछ दिनों बाद इसे मार्केट में वो ले जाएंगे। इससे भी अच्छी कमाई होने की उम्मीद है।



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बिहार के बेगूसराय के रहने वाले ब्रजेश कुमार 2013 से पशुपालन कर रहे हैं।


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