Wednesday, December 9, 2020

easysaran.wordpress.com

दुल्हन ना ही घराती, पर आ गए बाराती। किसान कानून अधर में लटका है लेकिन फसल लूटने डिजिटल बिचौलिए आ गए। ख़बरों के अनुसार हिमाचल प्रदेश के मार्केटिंग बोर्ड ने कृषि विपणन में निवेश के लिए बिग मार्केट, अमेज़न और वालमार्ट जैसी कंपनियों को पीपीपी मॉडल पर काम देने की पेशकश की है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछली सदी में उपयोगी रहे कानून अगली शताब्दी के लिए बोझ बन गए हैं इसलिए नई सुविधाओं और व्यवस्थाओं के लिए समग्रता में कानूनी सुधार जरूरी हैं। इन तीन कानूनों पर हां या ना की बजाय, सरकार 6 मुद्दों पर समुचित निराकरण करे तो देशव्यापी किसान आंदोलन के अंत के साथ गांवों को समृद्ध बनाने का राष्ट्रीय संकल्प भी पूरा हो सकता है-

1. संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार भूमि, पानी, कृषि शिक्षा, पशुपालन, मछली पालन, कृषि लोन, मनी लेंडिंग, एस्टेट, टैक्स, ग्रामीण कर्जग्रस्तता और भू राजस्व जैसे सभी मामले राज्यों के अधीन आते हैं।

इन नए कानूनों के अधिकांश प्रावधानों को राज्य सरकारों की सहमति के बगैर लागू नहीं किया जा सकता। स्वामीनाथन रिपोर्ट और विपक्ष के घोषणापत्र पर जोर देने की बजाय, इस बड़े फैसले से पहले राज्य सरकारों के साथ परामर्श होता तो पूरे देश को इस संकट से नहीं गुजरना पड़ता।
2. आनंद मठ, गोदान व मदर इंडिया के समय से ही ग्रामीण भारत व किसान संकट से जूझ रहे हैं। मई 2014 के पिछले कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के लिए अध्यादेश पर भी भारी विवाद हुआ था, जिसे एक साल बाद रद्द करना पड़ा।

सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों के फैसले के बावजूद अब तक डाटा सुरक्षा पर कानून नहीं बना तो फिर इस विषय पर संसदीय समिति के माध्यम से कानून बनाने की बजाय अध्यादेश की आपातकालीन शक्तियों का एकतरफा इस्तेमाल क्यों किया गया?
3. 55 साल पहले लाल बहादुर शास्त्री के प्रयासों से भारतीय खाद्य निगम और एमएसपी व्यवस्था की शुरुआत हुई। सन 2015 में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 6% किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है। केंद्र सरकार के लिखित आश्वासन को लागू करने के लिए 23 फसलों पर एमएसपी को यदि खरीद पर पूरी तरह से लागू किया जाए तो 15 लाख करोड़ का बोझ कौन उठाएगा?

इंस्टीट्यूट आफ इंटरनेशनल फाइनेंस (आईआईएफ) की रिपोर्ट के अनुसार विकसित देशों पर उनकी जीडीपी का 432 गुना कर्ज़ है। भारत में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने कर्ज़ को पीकर सरकारी बैंकों को खोखला कर दिया है। लाभ के लिए बेचैन निजी कंपनियां और कॉर्पोरेट्स सस्ते मूल्य पर आयात करने की बजाय, एमएसपी पर कैसे और क्यों खरीदेंगी?
4. किसान पहले ही उपज को मंडी से बाहर देश में कहीं भी भेजने के लिए स्वतंत्र थे तो फिर इन नए कानूनों की जरूरत क्यों पड़ी? एनएसएस की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ 25% परिवारों ने ही एपीएमसी यानी मंडी में माल बेचा और बकाया 65% परिवारों ने निजी व्यापारियों को फसल बेची।

नए कानूनों से निजी क्षेत्र व डिजिटल कंपनियों को बेरोकटोक फसल भंडारण के साथ टैक्स फ्री कारोबार की सुविधा मिलेगी। रिटेल, दवा, मनोरंजन, सूचना, जैसे सभी क्षेत्रों पर अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल कंपनियों के निर्बाध कब्जे के बाद यदि कृषि क्षेत्र को भी मुक्त कर दिया गया तो पूरी अर्थव्यवस्था के अस्थिर होने का खतरा है।
5. भारत में खेती किसानी का जीडीपी में 16% योगदान है, लेकिन इससे 41% लोगों को रोजगार मिलता है। यूएनडीपी की रिपोर्ट के अनुसार कोविड महामारी के चलते अगले 10 सालों में, दुनिया में बेहद गरीब लोगों की संख्या एक अरब के पार हो जाएगी।

भारत में खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लगभग 80 करोड़ गरीब लोगों को राशन और पीएम किसान निधि के तहत 14.5 करोड़ परिवारों को 6000 रुपए की सालाना मदद दी जा रही है। बिचौलिए खत्म करने के नाम पर लाए जा रहे इन नए कानूनों से परंपरागत रोजगार खत्म होंगे, जिससे असमानता और गरीबी और ज्यादा बढ़ेगी।
6. किसान आंदोलन के नेताओं की विश्वसनीयता पर सोशल मीडिया पर अनेक सवाल उठ रहे हैं? आंकड़ों के अनुसार वर्तमान लोकसभा के लगभग 136 सांसदों ने खेती को अपना पेशा बताया है। गुजरात के लगभग 192 विधायकों ने किसानी को अपना पेशा बताया। विधानसभा व संसद में बैठने वाले नेता यदि किसान होने का दावा कर सकते हैं तो फिर किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं की साख पर सवाल उठाना कितना सही है?
जेपी और अन्ना आंदोलनों के दुखांत से जाहिर है कि राजनीति प्रेरित धरना, बंद और प्रदर्शन से सरकारों का चेहरा भले ही बदले पर सिस्टम नहीं बदलता। दो साल बाद आज़ादी की 75वीं सालगिरह का पर्व नए संसद भवन में मनाने का सरकार ने संकल्प लिया है। सरकार के एक अन्य संकल्प के अनुसार वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने का लक्ष्य है।

इस संकल्प को सफल बनाने के लिए किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नागपाश में बांधने की बजाय, बापू के पंचायती राज के स्वप्न को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे। (ये लेखक के अपने विचार हैं)



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
विराग गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के वकील।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3n5vxjh
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via