I am teacher. So I wish to my students to stay home and safe himself with your families.
Thursday, June 18, 2020
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ब्रिटेन से घूमने निकलाएक कपल इंडोनेशिया के सुमात्रा मेंओरंगउटान सेंचुरी में 2 महीने तक फंसारहा।लेकिन, ये उनके लिए जिंदगीभर का सबसे अनमोल अनुभव बन गया। कोरोना महामारी के कारण उन्हें लम्बा समय जंगल में ओरंगउटान के बीच बिताना पड़ा। यहां की ओरंगउटान सेंचुरी दुर्लभ बंदरों औरवनमानुषों के लिए जानी जाती है।
स्टेफोर्डशायर के जेफ यिप और उनकी रशियन गर्लफ्रेंडजुजाना बेरेकोवा पिछले दो सालसे दक्षिणएशिया घूम रहे हैं। ये दोनोंमार्च में इंडोनेशिया पहुंचे थेऔर अप्रैल में महामारी के कारण फ्लाइट कैंसल हुईं, इसलिए उन्हें सुमात्रा के जंगलों में लॉकडाउन पीरियडबिताना पड़ा।
जेफ पेशे से टेक्निकल ऑपरेटर हैं और जुजाना एडमिनिस्ट्रेटर ब्रिटेन में जॉब करती हैं। जेफ कहते हैं कि हम अपनी ट्रिप के लिए बहुत मेहनत करके पैसा बचाते हैं। एक्स्ट्रा शिफ्ट में काम करते हैं और हमेशा ध्यान रखते हैं कि लग्जरी पर ज्यादा खर्च न हो ताकि एडवेंचर के लिए पैसा बच सके।ताजमहल वाली डीपी लगाने वाले जेफ के लिएट्रैवल ब्लॉगिंग पैशनहै और वे हमेशा नेवर एंडिंग एडवेंचर की खोज में रहते हैं। ट्विटर पर उनका @LifeofY के नाम से अकाउंट है, जिसके जरिए वे ट्रैवल प्लानिंग करना और बजट बनाने की टिप्स भी शेयर करते हैं। वे अब तक 6 महाद्वीपों के 40 देश और दुनिया के सातों आश्चर्य देख चुके हैं।जेफ कहते हैं हमने यात्रा दिसम्बर में शुरू की थी। इस दौरान सिंगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, म्यांमार, कम्बोडिया, वियतनाम और लाओस गए। बीते 7 महीनों में बहुत ही कमाल का अनुभव रहा। हमने कोमोडो ड्रैगन्स के बीच क्रिसमस और नया साल कुआलालम्पुर में सेलिब्रेट किया। इसके बाद थाइलैंउ की ओर निकल गए।आगे साउथ अमेरिका की ट्रिप पर जाने वाले थे कि तभी महामारी का पता चला।जेफ और जुजाना मार्च में इंडोनेशिया के गांव बुकिट लावॉन्ग को देखने के बाद सुमात्रा के जंगली इलाके में पहुंचे। यहां से जाने वाली फ्लाइट अप्रैल में कैंसल हुईं। लिहाजा सेन्चुरी में बने गेस्ट हाउस में उनका समय बीता। इस बेहद जंगली लेकिन खूबसूरत जगह एक रात ठहरने का किराया 476 रुपए और एक बार के खाने के लिए सिर्फ 190 रुपए खर्च करने पड़े।जेफ कहते हैं कि हमारे दिन की शुरुआत बंदरों की आवाजों से होती थी। वहां, उस समय लॉकडाउन लागू नहीं था और इसी वजह से हम आराम से ट्रेकिंग के लिए निकल जाते थे। जंगल के रास्तों पर चलते हुए हमारा सामना सांप, जंगली मेढ़क, छिपकली और वनमानुषों से होता था।जेफ के मुताबिक, एक बार एक नन्हा ओरंगउटान नदी के उस पार था। वह बेहद कम उम्र का था, तभी कुछ समय बाद वहां उसकी मां आ गई और उसे अपनी गोद में लेकर फीडिंग कराने लगी। जंगलों में कभी बारिश होती थी तो कभी तेज आंधी आती थी। कभी हम दोनों गेस्ट हाउस की छत पर समय बिताते थे जहां कई बंदर एक से दूसरी छत पर कूदते हुए नजर आते थे।जेफ कहते हैं कि यहां काफी अच्छा समय बीता। गेस्ट हाउस के मालिक ने हमें ईद सेलिब्रेट करने के लिए न्योता दिया। विदेशी सैलानियों को किसी अनजाने देश में इतने दिन रुकने का और वहां के लोगों के साथ उनके माहौल में रहने और एंजॉय करने का ऐसा मौका कम ही मिल पाता है। इसीलिए, हम हर तरफ से खुशकिस्मत रहे।जेफ कहते हैं, हम जहां भी गए वहां टूरिस्ट थे, लेकिन ये बिल्कुल नहीं मालूम था कि देशों के बॉर्डर इतनी जल्दी बंद कर दिए जाएंगे। हम जिस जगह ठहरे थे, वह दुनिया की ऐसी चुनिंदा जगहों में से एक है जहां अभी भी हमारे पूर्वज वनमानुष मौजूद हैं।जेफ के कहते हैं इन दो महीने के सभी रेस्तरां और बार बंद हो गए थे। शहरों में बड़े स्तर पर लॉकडाउन था, लेकिन गांवों में लोग सामान्य जीवन जी रहे थे। वायरस के संक्रमण से बचने के लिए भी यह जगह बेहद सेफ रही क्योंकि यहां कोई आता-जाता नहीं है।ये घूमंतू जोड़ी को अपने एडवेंचर के दौरान फोन कनेक्टिविटी होना पसंद नहीं है। वे कहते हैं कि ये हमारी प्रायोरिटी में नहीं है। हमारे फोन फोटो लेने और ऑफलाइन मैप देखने के लिए इस्तेमाल होते हैं। हम उनमें लोकल सिम भी नहीं डालते क्योंकि हमें बिल्कुल शौक नहीं है कि हमेशा सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें। हम ये तभी करते हैं, जब सही वक्त होता है।
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