Sunday, July 5, 2020

easysaran.wordpress.com

आज से सावन माह शुरू हो रहा है। ये महीना 3 अगस्त तक रहेगा। इस साल सावन माह में गुरु, शनि, राहु और केतु चारों ग्रह एक साथ वक्री रहेंगे। 2020 से पहले ऐसा योग 558 साल पहले 1462 में बना था। सोमवार से शुरू और इसी वार को सावन खत्म होने से इस माह का महत्व और अधिक बढ़ गया है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पंचांग में भेद भी हैं। दक्षिण भारत, महाराष्ट्र और गुजरात में 21 जुलाई से सावन शुरू और 19 अगस्त को खत्म होगा। जहां उत्तर भारत का पंचांग प्रचलित है, वहां 6 जुलाई से 3 अगस्त तक सावन रहेगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक 558 साल पहले 1462 में भी गुरु, शनि, राहु-केतु एक साथ वक्री थे और सावन आया था। गुरु स्वयं की राशि धनु में वक्री, शनि अपनी राशि मकर में वक्री, राहु मिथुन में और केतु धनु राशि में वक्री था। ऐसा ही योग 2020 में भी बना है। उस समय सावन 21 जून से 20 जुलाई 1462 तक था।

सावन की प्रमुख तिथियां

इस माह में गणेश चतुर्थी व्रत 8 जुलाई को, कामिका एकादशी 16 को, हरियाली अमावस्या 20 को, हरियाली तीज 23 को, विनायकी चतुर्थी व्रत 24 को, नाग पंचमी 25 को, पुत्रदा एकादशी 30 को और रक्षा बंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा। तीज पर देवी पार्वती, चतुर्थी पर गणेशजी, पंचमी पर नागदेवता, एकादशी पर विष्णुजी, अमावस्या पर पितर देवता और पूर्णिमा पर चंद्रदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए।

सोमवार से शुरू और सोमवार को ही खत्म होगा सावन

इस बार सावन सोमवार से शुरू होकर इसी वार को खत्म होगा। शिवजी की पूजा में सोमवार का विशेष महत्व है। सावन पांचवां हिन्दी माह है। इसके स्वामी वैकुंठनाथ हैं, और श्रवण नक्षत्र में इसकी पूर्णिमा आने से इसे श्रावण या सावन माह कहा जाता है। श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्रदेव हैं। चंद्र का एक नाम सोम भी है। चंद्रवार को ही सोमवार कहते हैं। शिवपुराण के अनुसार शिवजी और पार्वतीजी का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, उस दिन सोमवार ही था। इस साल ये तिथि 19 दिसंबर को रहेगी। रोहिणी नक्षत्र के स्वामी भी चंद्र हैं। चंद्रदेव को शिवजी ने अपने मस्तक पर स्थान दिया है। पार्वतीजी के साथ विवाह सोमवार को होने से और चंद्रदेव का वार होने से भी शिवजी को सोमवार विशेष प्रिय है।

शिवजी को चढ़ाई जाती है शीतलता देने वाली चीजें

सोम यानी चंद्र शीतल ग्रह है। शिवजी ने विषपान किया था, जिससे उन्हें बहुत ज्यादा तपन होती है, इसलिए शिवजी शीतलता देने वाली चीजों को पसंद करते हैं। इसलिए उन्होंने चंद्र को मस्तक पर धारण किया है। चंदन, बिल्व पत्र, जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद ये सभी चीजें भी ठंडक देने वाली हैं। हल्दी गर्म रहती है, इस वजह शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

पंचतत्वों में पृथ्वी तत्व के देवता हैं शिव

श्री गणेश अंक में लिखा है कि-

आकाशस्याधिपो विष्णुरग्नेश्चैव महेश्वरी।

वायो: सूर्य: क्षितेरीशो जीवनस्य गणाधिप:॥

इस श्लोक का सरल अर्थ यह है कि पंचतत्वों में आकाश तत्व के देवता विष्णु, अग्रि तत्व देवी दुर्गा, वायु तत्व के सूर्य, पृथ्वी तत्व के शिव और जल तत्व के देवता गणेशजी हैं। गर्मी में पृथ्वी से जल वाष्प बनकर उड़ जाता है, और सावन में पृथ्वी तत्व यानी की शिवजी पर पुन: जल तत्व वर्षा द्वारा अभिषेक करता है। पृथ्वी जल से तृप्त हो जाती है। पृथ्वी तत्व होने के कारण ही शिव का पार्थिव पूजन किया जाता है।

सावन में शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाते हैं?

सावन माह में लगातार बारिश होती है। इस कारण कई तरह के छोटे-छोटे जीवों की उत्पत्ति होती है। कई प्रकार की विषैली नई घास और वनस्पतियां उगती हैं। जब दूध देने वाले पशु इन घासों को और वनस्तपतियों को खाते हैं तो पशुओं का दूधविष के सामान हो जाता है। ऐसा कच्चा दूध पीने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है। इसीलिए इस माह में कच्चे दूध के सेवन से बचना चाहिए। शिवजी ने विषपान किया था, इस कारण सावन माह में शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है। इस माह हरी सब्जियां खाने से बचना चाहिए, क्योंकि सब्जियों में भी कई तरह के हानिकारक सूक्ष्म कीटाणु चिपके रहते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस समय ऐसा भोजन करें जो जल्दी पच सके।

घर पर ही कर सकते हैं शिवजी की पूजा

जो लोग शिवालय नहीं जा सकते हैं, वे अपने घर में ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन कर सकते हैं। जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वह आंगन में लगे किसी पौधे को शिवलिंग मानकर या मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं। मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन कहा जाता है। ये पूजा शुभ फल देने वाली मानी जाती है।

सरल स्टेप्स में ऐसे कर सकते हैं संक्षिप्त पूजा

> रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। पंचामृत से अभिषेक करें।
> मंत्र ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ सांब सदाशिवाय नम:, ऊँ रुद्राय नम: आदि मंत्रों का जाप करें।
> चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं। धूप और दीप जलाएं। शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें।
> भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें। धूप, दीप, कर्पूर जलाकर आरती करें।
> शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें। भक्तों को प्रसाद वितरित करें।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
sawan month 2020, sawan maah, significance of sawan month, Guru, Shani and Rahu-Ketu, Nagpanchami 2020 and Raksha Bandhan 2020, sawan month dates


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2C5d2ZZ
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via