Saturday, December 26, 2020

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कहानी- महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए कोलकाता पहुंचे थे। उस समय उन्हें मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से ही जाना जाता था। जब वे कोलकाता में कांग्रेस कार्यालय पहुंचे, तो वहां उनकी मुलाकात घोषाल जी से हुई।

घोषाल जी ही कांग्रेस कार्यालय का कामकाज देख रहे थे। गांधीजी ने उनसे कहा, 'मैं यहां काम करने आया हूं। कोई काम हो तो बताएं।'

घोषाल जी ने गांधी को देखा तो उन्हें लगा कि ये क्या काम करेगा? कुछ सोचकर वे बोले, 'मेरे पास कोई बहुत बड़ा काम नहीं है। यहां बहुत से पत्र आए हुए हैं। इनमें से जो उपयुक्त हैं, उन्हें अलग निकालना है और उनके उत्तर देना है। क्या तुम ये काम कर सकते हो?'

गांधीजी इस काम के लिए तैयार हो गए और उन्होंने पत्रों के जवाब भी दे दिए। घोषाल जी को ये देखकर आश्चर्य हुआ कि एक-एक पत्र को गंभीरता से पढ़ा गया और उनके सही उत्तर भी गांधीजी द्वारा दिए गए।

घोषाल जी कार्यालय से निकलने लगे तो उनकी शर्ट के बटन गांधीजी ने लगा दिए। आमतौर ये काम घोषाल जी का सेवक ही करता था। जब गांधीजी ने बटन लगाए तो घोषाल जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने गांधीजी के बारे जानकारी निकाली तो मालूम हुआ कि वे कितने पढ़े-लिखे हैं।

घोषाल जी हैरान रह गए कि इतना पढ़ा-लिखा व्यक्ति और सेवा करने की ऐसी भावना। उस दिन घोषाल जी ने गांधीजी से एक शिक्षा ली थी कि कोई भी काम बड़ा या छोटा नहीं होता है।

सीख- हमारी नीयत, इरादे और समझ के आधार काम का महत्व तय होता है। कुछ लोग जो बड़े पद पर होते हैं, उन्हें लगता है कि वे छोटे काम कैसे कर सकते हैं। लेकिन, जीवन में कभी-कभी ऐसे अवसर भी आते हैं जब हमें सामान्य काम भी करने पड़ते हैं। उस समय काम के महत्व को समझें। कभी भी अपने पद पर घमंड नहीं करना चाहिए।



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aaj ka jeevan mantra by pandit vijayshankar mehta, we should understand the importance of work, tips for success


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