Tuesday, July 14, 2020

easysaran.wordpress.com

जितना नजदीक किसी कॉलोनी में पड़ोसी रहते हैं, वैसे ही मधवापुर-मटिहानी में भारतीय और नेपाली लोग रहते हैं। मधवापुर भारत में आता है और मटिहानी नेपाल में। दोनों के बीच की दूरी महज 20 मीटर है। सड़क के एक सिरे पर नेपालियों के घर और दुकान हैं तो दूसरे पर भारतीयों के। एक ओर नेपाल की आर्म्ड फोर्स तैनात है तो दूसरी तरफ भारतीय सुरक्षा बल पहरा दे रहे होते हैं।

ये मधवापुर-मटिहानी है। यहां भारतीय और नेपाली आमने-सामने रहते हैं। बीच में नो मैन्स लैंड है।

जब हम यहां पहुंचे तो फर्क करना मुश्किल हो गया हो गया कि कहां नेपाल है और कहां इंडिया। फिर एसएसबी के जवान ने बताया कि, सामने की पट्टी पूरी नेपाल की है और इस तरफ वाली भारत की। दोनों देशों के लोग दिनभर इधर-उधर आना-जाना करते रहते हैं। नेपाल के मटिहानी से बड़ी संख्या में महिलाएं मधवापुर में बने शिव मंदिर में जाती नजर आईं। पूछा तो पता चला कि अभी सावन सोमवार चल रहा है, इलाके की महिलाएं इसी मंदिर में पूजन करने आती हैं, भारतीय हों चाहे नेपाल की।

ये शिव मंदिर भारत के मधवापुर में है लेकिन यहां बड़ी संख्या में नेपाली रोजाना पूजन-पाठ के लिए आते हैं।

नेपाल के मटिहानी में रमेश कुमार शाह मिले। बोले, मैं तो पिछले 12 सालों से मधवापुर में दुकान चला रहा हूं। दिनभर दुकान भारत में चलाता हूं और रात में सोने 20 मीटर दूर यानी नेपाल जाता हूं। बोले, नेपाल का सुरक्षा बल हमें बहुत परेशान करता है। हम लोग इंडिया से राशन लेकर जाते हैं तो वो हमारा आधा राशन रख लेते हैं। बोलते हैं इंडिया से क्यों लाए। लॉकडाउन लगने के दौरान तो बहुत परेशान किया।

रमेश कुमार शाह ने बताया कि, वो भारत से राशन लेकर जाते हैं तो नेपाली पुलिस आधा राशन छीन लेती है।

अब लॉकडाडन हट गया इसके बाद भी हमारा सामान रख लेते हैं। इन लोगों से बचने के लिए खेत के रास्ते से नेपाल जाते हैं। बोले, अब नेपाल में सामान कैसे खरीदें। जो शक्कर यहां हमें 60 रुपए किलो में मिलती है, वही नेपाल में 200 रुपए किलो है। जो आलू हमें 20 रुपए किलो मिल जाता है, वो वहां 100 रुपए में मिलेगा। हर सामान महंगा है।

शाह के मुताबिक, 95% सामान तो नेपाल में भारत से ही जा रहा है। वरना वहां खाने-पीने से लेकर पहनने-ओढ़ने तक की दिक्कत हो जाए। जब हम नेपाल के लोगों से बात कर रहे थे, तभी वहां की फोर्स आ गई और उन्होंने हमें फोटो-वीडियो बनाने से भी रोका। हालांकि, बहस के बाद वो लौट गए।

अजय कुमार शाह भी नेपाल से हैं।उनका रोज भारत आना-जाना रहता है। उनका दर्द ये है कि नेपाल की सरकार सिर्फ पहाड़ियों के बारे में सोच रही है, मधेशियों के बारे में नहीं। कहते हैं नेपाल में न क्वालिटी है और न वैरायटी, बस महंगाई है। इसलिए सब लोग सामान इंडिया से खरीदते हैं। कहते हैं फोर्स दिक्कत देने लगी है तो सबने ऐसे रास्तों से जाना शुरू कर दिया है, जहां फोर्स मिलती ही नहीं। पूरी बॉर्डर खुली हुई है। किसी भी खेत से निकल जाते हैं। जगह-जगह पगडंडी बनी हुई हैं।

नेपाल के अजय कई सालों से भारत के मधवापुर में दुकान चला रहे हैं। उन्हें भारतीयों से कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।

वो कहते हैं कई बार तो खेत के बीच में भी फोर्स वाले मिल जाते हैं, सौ-दो सौ रुपए दे दो तो छोड़ भी देते हैं। नेपाल के राजेश तो मटिहानी को बिहार में ही शामिल करना चाहते हैं। कहते हैं, हमारा रहना यहां। खाना यहां। कमाना यहां। बस रात में सोने घर जाते हैं। मटिहानी यदि बिहार में ही शामिल हो जाए तो बहुत अच्छा हो जाएगा। फिर सस्ता राशन भी मिलेगा और भारत में मिलने वाली हर सुविधा मिलेगी। नेपाल में तो कुछ नहीं मिल रहा। राजेश पैसे जोड़ रहे हैं ताकि मधवापुर में जमीन खरीद सकें, फिर घर बनाकर यहां की नागरिकता ले लेंगे।

सिर पर चावल की कट्टी ले जाती नेपाली महिला। भारत मेंं यह कट्टी 400 रुपए सस्ती मिल जाती है।

सड़क पर ही हमें सिर पर चावल की कट्टी ले जाती हुईं कुछ महिलाएं नजर आईं। ये भी मधवापुर से चावल लेकर मटिहानी जा रहीं थीं। इन्हीं में से एक सविता देवी ने बताया कि, नेपाल में यही कट्टा 1200 रुपए की मिलतालेकिन इंडिया में 800 रुपए में मिल गया। इसलिए पूरा राशन इंडिया से ले जाते हैं। सविता हम से बात कर रहीं थीं तभी उन्हें नेपाल फोर्स के जवान ने देख लिया तो बोलीं, अब बॉर्डर से नहीं जाऊंगी। खेत से घूमकर जाऊंगी। क्योंकि बॉर्डर से गई तो ये वर्दी वाला परेशान करेगा।

मधवापुर के दीपक कुमार दास भी नेपाल की फोर्स से परेशान हैं। बोले, हमारे यहां पानी की लाइन भी खुदती है तो वो लोग आ जाते हैं। काम रुकवा देते हैं। बोलते हैं यहां हमारी जमीन है। यहां कुछ मत करो। जबकि हमारी आर्मी वाले कभी परेशान नहीं करते। हम लोग तो सालों से एक-दूसरे से मिलकर रह रहे हैं। पड़ोसियों की तरह रहते हैं। एक-दूसरे के यहां खाने-पीने तक के सामान तक का लेना-देना होता है लेकिन ये फोर्स वाले रिश्ता बिगाड़ना चाहते हैं।

ये नेपाल के रामबीर सिंह हैं, जो पिछले कई सालों से वहां से भारत में दूध देने आते हैं।

दीपक के घर के बाहर ही खड़े नेपाल के रामेश्वर शाह ने बताया, हम एक-दूसरे को चंदा देते हैं। नवरात्रि, गणेश उत्सव पर हम मटिहानी से चंदा जुटाते हैं। हमारे मधवापुर वाले दोस्त भी साथ होते हैं। अब सरकार कुछ भी सोचे, उससे हमें फर्क नहीं पड़ता। हमारे रिश्ते आपस में बहुत मजबूत हैं। मधवापुर की दुकानों का भी बॉर्डर पर स्थित दूसरी दुकानों जैसा ही हाल है। यहां भी नेपाली ग्राहकों की भरमार होती है। इसलिए ये लोग भी चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच सदियों से जो प्यारे भर संबंध हैं वो चलते रहें। रोटी-बेटी का कल्चर बना रहे।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
India Nepal Border News Update | Nepal Matihani Villager's Speaks to Bhaskar, Says Nepal Army Snatch Ration from Us


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3j6HP9s
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via