Sunday, July 19, 2020

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बैडमिंटन के नेशनल चीफ कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि भारत में इस खेल का भविष्य काफी अच्छा है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस के बीच सभी को उम्मीद थी कि जून-जुलाई तक खेल शुरू हो सकेंगे, लेकिन अब लगता है कि सितंबर के बाद ही खिलाड़ी मैदान पर उतर सकेंगे। जो भी हो, लेकिन खिलाड़ियों के लिए कोर्ट पर उतरने से पहले मानसिक तौर पर मजबूत रहना जरूरी है।

गोपीचंद ने ही पीवी सिंधु, साइना नेहवाल और किदांबी श्रीकांत जैसे स्टार शटलर को ट्रेनिंग दी है। उन्होंने कहा कि सिंधु-साइना की सफलता ने ही बैडमिंटन को पिछले एक दशक में भारत के सबसे पसंदीदा खेलों में से एक बना दिया है।

सिंधु को 16 साल की उम्र से तैयार किया
नेशनल कोच ने एक वेबिनार में कहा कि 2004 में हैदराबाद में जब सिंधु, साइना और श्रीकांत समेत 25 खिलाड़ियों को कोचिंग देना शुरू किया था। उस समय सिंधु की उम्र 16 साल ही थी। तब किसी ने नहीं सोचा था कि भारत वर्ल्ड लेवल के ऐसे खिलाड़ियों को तैयार करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह कह सकता हूं कि बैडमिंटन पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा सफल रहने वाला खेल है। 2004 में जब मैंने कोचिंग करियर शुरू किया था, तब हैदराबाद में सिर्फ 10 अच्छे कोर्ट थे, लेकिन अब 1 हजार से ज्यादा हैं।’’

सिंथेटिक शटल से बैडमिंटन के खर्चे कम होंगे
गोपीचंद ने कहा, ‘‘देश में कई ट्रेनिंग एकेडमी हैं, लेकिन मेरे यहां पंजाब, मिजोरम और विदेशों तक बच्चे आते हैं। एक बच्चे के पेरेंट्स तो हैदराबाद में ही बस गए। आने वाले दिनों में कई वर्ल्ड चैम्पियन लेवल के भारतीय खिलाड़ी तैयार होने वाले हैं। भविष्य में सिंथेटिक शटल से भी खेलना शुरू हो जाएगा, जिससे खर्चों में काफी कमी आएगी।’’ उन्होंने 2001 में ऑल इंग्लैंड चैम्पियन बनने को अपनी बेस्ट उपलब्धि बताया।

कोई नहीं जानता कोरोना के बीच खेल कब शुरू होंगे
उन्होंने कहा कि यह महामारी का समय खिलाड़ियों के लिए अनुशासन में रहने का टेस्ट है। गोपीचंद ने कहा, ‘‘हम सभी सोच रहे थे कि जून-जुलाई या अगस्त तक खेल शुरू सकेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब लोग सितंबर के बाद के बारे में सोच रहे हैं। सही मायने में कोई नहीं जानता कि खेल कब शुरू होंगे। जरूरी बात यह है कि अगले किसी टूर्नामेंट में खेलने से पहले खिलाड़ी शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत रहें।’’



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गोपीचंद ने कहा- 2004 में जब मैंने कोचिंग करियर शुरू किया था, तब हैदराबाद में सिर्फ 10 अच्छे कोर्ट थे, लेकिन अब 1 हजार से ज्यादा हैं। -फाइल फोटो


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