Friday, October 23, 2020

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अमेरिकी थिंकटैंक की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण ने भारत में पिछले एक साल 1.16 लाख छोटे बच्चों की जान ले ली। वहीं, पूरी दुनिया में करीब पांच लाख छोटे बच्चों की मौत जहरीली हवा की वजह से हुई है। वायु प्रदूषण असामयिक मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण बन चुका है। वहीं, रिपोर्ट यह भी कहती है कि पिछले साल दुनियाभर में 66.7 लाख लोगों की मौत वायु प्रदूषण की वजह से हुई है। यह पहली रिपोर्ट है, जिसमें छोटे बच्चों की मौतों के कारण में जहरीली हवा का एनालिसिस किया गया है।

रिपोर्ट दावा करती है कि छोटे बच्चों की 50% मौतों के लिए PM 2.5 (2.5 माइक्रोन्स से कम आकार के कण) जिम्मेदार है। क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (COPD), डाइबिटीज, दिल के रोग, लोअर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन (LRI) जैसी बीमारियों में भी मौतों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार रहा। COPD भी फेफड़ों की ही बीमारी है। इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं। यह क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस है, जिसमें मरीज की एनर्जी कम हो जाती है, वह कुछ कदम चलकर ही थक जाता है। सांस नली में नाक से फेफड़े के बीच सूजन के कारण ऑक्सीजन की सप्लाई घट जाती है।

स्टडी दावा करती है कि छोटे बच्चों की ज्यादातर मौतें जन्म के समय कम वजन और प्री-मेच्योर बर्थ की वजह से हुई, जो गर्भावस्था में महिलाओं के जहरीली हवा के एक्सपोजर में आने से हुआ। हालांकि, अब तक यह पता नहीं चला है कि इसका बायोलॉजिकल कारण क्या है। फिर भी जिस तरह स्मोकिंग की वजह से कम वजन के साथ और प्री-मेच्योर जन्म होता है, उसी तरह वायु प्रदूषण भी असर डालता है।

असामयिक मौतों में वायु प्रदूषण चौथा बड़ा कारण

जब हम वयस्कों पर वायु प्रदूषण के असर की बात करते हैं, तो मौतों का आंकड़ा बढ़कर 66.7 लाख तक पहुंच जाता है। रिपोर्ट कहती है कि हाई ब्लड प्रेशर की वजह से करीब 1.08 करोड़, तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से 87.1 लाख और आहार संबंधी बीमारियों की वजह से 79.4 लाख मौतें हुई हैं। इसके बाद जहरीली हवा का नंबर आता है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि जहरीली हवा का दिल व फेफड़ों की बीमारियों से स्पष्ट संबंध है। यह खुलासा चिंता बढ़ाने वाला है, क्योंकि बढ़ता वायु प्रदूषण कोरोनावायरस के खतरनाक प्रभावों को बढ़ा सकता है।

PM 2.5 की मात्रा में भारत टॉप पर

भारत के लिए चिंता करने वाली बात यह है कि प्रति एक घनमीटर हवा में 2.5 माइक्रोन्स से कम आकार के कणों (PM 2.5) का अनुपात हमारे यहां सबसे ज्यादा है। और, यह दुनियाभर में 9.80 लाख लोगों की मौत का कारण बना है। वायु प्रदूषण की वजह से हुई मौतों में इसकी हिस्सेदारी 60% रही है। रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2010 से 2019 के बीच PM 2.5 की वजह से हुई मौतों में 60% की बढ़ोतरी हुई है। भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे दक्षिण एशियाई देशों को इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा PM 2.5 एक्सपोजर वाले 10 देशों में रखा गया है।



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India Pakistan: Air Pollution | Infant (Newborn) Death Rate India, How Many Infants Die In India? All You Need To Know


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