Tuesday, January 28, 2020

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नई दिल्ली.निर्भया केस के चारों गुनहगार फांसी से बचने के लिए आए दिन नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं। अब दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने मंगलवारको इसकी जानकारी दी। इसके अलावा शीर्ष अदालतदया याचिका खारिज होने के बाद दोषी मुकेश की न्यायिक समीक्षा की याचिका पर आज फैसला सुनाएगी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को मुकेश की दया याचिका ठुकरा दी थी, उसने शनिवार को इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की थी। ट्रायल कोर्ट दूसरी बार दोषियों का डेथ वॉरंट जारी कर चुकी है। चारों दोषियों को 1फरवरी को सुबह 6 बजे तिहाड़ में फांसी दी जानी है।

जस्टिस आर भानुमती, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने मंगलवार कोमुकेश की याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान दोषी की वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि दया याचिका खारिज किए जाते वक्त दिमाग लगाए जाने की जरूरत थी। इस पर बेंच ने सवाल किया कि आप यह कैसे कह सकती हैं कि राष्ट्रपति ने ऐसा करते वक्त दिमाग नहीं लगाया। इसके बाद अंजना ने दलील दी कि मुकेश के साथ जेल में बुरा बर्ताव हुआ और उसे पीटा गया। इसका विरोध करते हुए केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा जघन्य अपराध करने वाला जेल में बुरा बर्ताव होने के आधार पर दया का हकदार नहीं हो सकता है।

3 दोषियों के पास 4 विकल्प

  • पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा की फांसी के लिए दूसरी बार डेथ वॉरंट जारी हो चुका है। इसमें फांसी की तारीख 1 फरवरी मुकर्रर की गई है। पहले वॉरंट में यह तारीख 22 जनवरी थी। दोषी पवन के पास अभी क्यूरेटिव पिटीशन और दया याचिका का विकल्प है। वहीं, अक्षयक्यूरेटिव पिटीशन दायर कर चुका है। उसके पास अब दया याचिका का विकल्प बाकी है। विनय के पास भी दया याचिका का विकल्प है। दोषी मुकेश के पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं है। यानी तीन दोषी अभी 4कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • फांसी में एक और केस अड़चन डाल रहा है। वह है सभी दोषियों के खिलाफ लूट और अपहरण का केस। दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि पवन, मुकेश, अक्षय और विनय को लूट के एक मामले में निचली अदालत ने 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जब तक इस पर फैसला नहीं होता जाता, दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकती।
  • जिन दोषियों के पास कानूनी विकल्प हैं, वे तिहाड़ जेल द्वारा दिए गए नोटिस पीरियड के दौरान इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। दिल्ली प्रिजन मैनुअल के मुताबिक, अगर किसी मामले में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी दी जानी है तो किसी एक की याचिका लंबित रहने तक सभी की फांसी पर कानूनन रोक लगी रहेगी। निर्भया केस भी ऐसा ही है, चार दोषियों को फांसी दी जानी है। अभी कानूनी विकल्प भी बाकी हैं और एक केस में याचिका भी लंबित है। ऐसे में फांसी फिर टल सकती है।


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Another Nirbhaya convict Akshay thakue files curative petition in SC news and updates


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