Saturday, April 4, 2020

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर के मूलनिवासियों के लिए नए कानून की वकालत की है। इस पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। हमारे आंतरिक मामले में लगातार हस्तक्षेप की कोशिशें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इमरान से कहा कि अगर आप जम्मू-कश्मीर की बेहतरी को लेकर इतने ही चिंतित हैं तो सबसे पहले पाकिस्तान को सीमा पर आतंकवाद और भारत के खिलाफ प्रोपेगैंडा पर रोक लगानी चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का जम्मू-कश्मीर को लेकर दिया बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत के केंद्रशासित प्रदेश को लेकर कोई मांग उठाने का पाकिस्तान के पास कोई हक नहीं है। कश्मीर मुद्दे पर लगातार हस्तक्षेप की कोशिश बर्दाश्त के बाहर है।’’दरअसल, इमरान का यह बयान भारत सरकार के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें नौकरियों में आरक्षण को लेकर जम्मू-कश्मीर के मूलनिवासियों को परिभाषित किया गया है।

सभी नौकरियां जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आरक्षित
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले दिनों सभी नौकरियां जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए आरक्षित करने का आदेश जारी किया था। इसमें मूलनिवासियों को परिभाषित करते हुए लिखा- अगर कोई जम्मू-कश्मीर में 15 साल तक रहा हो या 7 साल तक पढ़ाई करते हुए 10वीं/12वीं की परीक्षा में शामिल हुआ हो या राहत और पुनर्वास कमिश्वर के पास जिसका बतौर शरणार्थी रजिस्ट्रेशन हो। इन्हें मूलनिवासियों की श्रेणी में रखा जाएगा और नौकरियों में आरक्षण का लाभ भी मिलेगा।



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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पहले भी अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को लेकर यूएन तक में बयान दे चुके हैं। (फाइल)


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