Friday, March 27, 2020

easysaran.wordpress.com

नई दिल्ली (पवन कुमार).दिल्ली हाईकोर्ट ने पिता और बेटे के बीच संपत्ति विवाद में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश के इस मामले में जस्टिस नवीन चावला की सिंगल बेंच ने कहा कि बुजुर्ग पिता को यह कानूनी अधिकार है कि वह बेटे, बेटी या कानूनी वारिस को जब चाहे घर से बाहर निकाल सकता है। वह संपत्ति पैतृक हो या फिर खुद से अर्जित।बुजुर्ग पिता को यह भी साबित करने की जरूरत नहीं है कि उसके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है या उसे गुजारे के लिए खर्च नहीं दिया जा रहा है।
2009 का यह कानून केवल बच्चों को दंडित करने तक सीमित नहीं

बेंच ने कहा कि दिल्ली मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन्स रूल्स 2009 का कानूनी दायरा केवल बच्चों को दंडित करने तक ही सीमित नहीं है। अगर एक बार यह स्थापित हो जाए कि बच्चों का माता-पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। परिजन बच्चों के साथ रहने की इच्छा नहीं रखते तो यह तथ्य इस कानून को लागू करने के लिए पर्याप्त है। मालूम हो, बुजुर्ग ने बेटे से परेशान होकर उसे घर से निकालने के लिए कोर्ट में केस किया था। कोर्ट ने बुजुर्ग के पक्ष ने फैसला सुनाते हुए बेटे को घर से निकलने का निर्देश दिया था। बेटे ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

बुजुर्ग नागरिक अपने बच्चों को घर से निकाल सकते हैं
कोर्ट में बेटे ने दलील दी थी कि उनका घर एक हिंदू अविभाज्य परिवार की संपत्ति है। इस पर अकेले पिता का हक नहीं है। उनके पिता पूरी प्रॉपर्टी के मालिक नहीं, बल्कि एक हिस्सेदार हैं, क्योंकि ये पैतृक संपत्ति है। कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि बुजुर्ग नागरिकों को अपने बच्चों को घर से निकालने का अधिकार है, भले ही प्रॉपर्टी पैतृक क्यों न हो। कोर्ट ने बेटे की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा कि बुजुर्ग के साथ कभी कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा- जो बुजुर्ग अपने बच्चों को घर से निकलना चाहते हैं, उन्हें दुर्व्यवहार साबित करने की जरूरत नहीं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
प्रतीकात्मक फोटो।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3btLzgP
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via