Monday, April 20, 2020

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अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टैक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) मेंकच्चे तेल की कीमतों में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। डब्ल्यूटीआई का वायदा भाव सोमवार को माइनस 3.70 डॉलर(करीब 283 रुपए) प्रति बैरल के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। ऐसा कच्चे तेल की मांग में आई भारी कमी की वजह से हुआ।यह 21 साल के सबसे निचले स्तर है।

सोमवार को बाजार बंद होने तक कीमतों में 105% की गिरावट दर्ज की गई। कीमतेंमाइनस 2 डॉलर प्रति बैरल (करीब 130 रुपए ) तक पहुंच गई थीं।कोरोना की वजह से बाजार में मांग कम होने और अमेरिका में इसका भंडारण जरूरत से ज्यादा होने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है। मौजूदा समय में हालातयह हैंकि अमेरिका में अब कच्चे तेल के भंडारण के लिए जगह की कमी महसूस होने लगी है। ऐसे में कीमतों में और भी कमी आने की उम्मीद है।

34 साल बाद गिरावट

  • सोमवार को डब्ल्यूटीआई के मई वितरण में भी 300%से ज्यादा की गिरावट देखी गई। 1986 के बाद यह पहली बार है, जब कच्चे तेल की कीमतों में इतनीगिरावट देखने को मिली।
  • रिस्ताद एनर्जी के प्रमुख ब्योर्नार टोनहुगेन के मुताबिक, वैश्विक आपूर्ति की मांग में कमी की समस्या की वजह से तेल की कीमतों में वास्तविक तौर पर गिरावट आने लगी है।

तेल के भंडारण में भी दिक्कत
मंगलवार को मई की आपूर्ति के लिए होने वाले सौदे का आखिरी दिन है। तेल व्यापारियों को कीमतें अदा कर आपूर्ति लेने का यह अंतिम मौका था। हालांकि, मांग कम होने के कारण व्यापारी इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इसके साथ ही इनके भंडारण में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।कच्चा तेल रखने वाले व्यापारी अब ग्राहकों से इसे खरीदने के लिए कह रहे हैं। इन व्यापारियों की ओर से खरीदने वालों को प्रति डॉलर 3.70 डॉलर देने की पेशकश भी कर रहे हैं।इसी को कच्चे तेल की कीमतों को शून्य डॉलर प्रति बैरलनीचे जाना कहते हैं।



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मांग कम होने से अमेरिका में अब कच्चे तेल के भंडारण के लिए जगह की कमी महसूस होने लगी है।


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