Friday, June 12, 2020

easysaran.wordpress.com

जापान में हाईस्कूल के एक स्टूडेंट ने सरकार के उस फैसले के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है, जिसमें बच्चों के वीडियो गेम और इंटरनेट के एक घंटे से ज्यादा इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई गई है। कगावा के शिकोकू द्वीप के निवासी 17 साल के वटारू ने इसके लिए देश के बड़े वकील को ढूंढा। अब वह कगावा सरकार के खिलाफ केस दर्ज करवाने जा रहा है। अगर वटारू केस जीता तो सरकार के खिलाफ संवैधानिक लड़ाई जीतने वाले चुनिंदा लोगों में शामिल हो जाएगा।

दरअसल, कगावा में अप्रैल में लागू एक कानून में प्रावधान किया गया है कि 20 साल से छाेटे युवा स्कूल के दिनों में एक घंटे और छुट्‌टी के दिनों में डेढ़ घंटे से ज्यादा वीडियो गेम या इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर सकते। वटारू का कहना है- ‘बच्चे कितनी देर इंटरनेट इस्तेमाल करेंगे या वीडियो गेम पर कितना समय देंगे, यह तय करना परिवार का अधिकार है, जो उनसे कोई नहीं छीन सकता। सरकार इन मामलों में दखल न दे।’

मारियो ब्रदर्स और पैकमैन जैसे वीडियो गेम जापान में ही विकसित हुए थे

दुनियाभर में मशहूर मारियो ब्रदर्स और पैकमैन जैसे वीडियो गेम जापान में ही विकसित हुए थे। लंबे समय तक वीडियो गेम खेलने की वजह से यहां अधिकांश बच्चों पर शारीरिक और सामाजिक दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। स्कूल में भी उनका प्रदर्शन प्रभावित होता है। साल 2018 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गेम खेलने की लत (गेमिंग डिसऑर्डर) को मानसिक बीमारी माना था।

गेमिंग की लत दूर करने के और भी कई कारगर तरीके हैंः मुहिम के समर्थक

वटारू और उसकी मुहिम का समर्थन करने वालों का मानना है कि गेमिंग की लत दूर करने के और भी कई कारगर तरीके हैं। कगावा के कानूनों में वैज्ञानिक आधार की कमी और निजी अधिकारों का उल्लंघन ज्यादा है। यह पारिवारिक जीवन में एक तरह की घुसपैठ है, जो बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

वटारू ने इन्हीं कारणों के मद्देनजर जापान के नामी वकील तोमोशी साक्का से संपर्क किया। साक्का ने तथ्यों और वैज्ञानिक आधार पर इसे उच्च अदालत में चुनौती देने की मंजूरी दे दी। उनका कहना है कि इस मामले में उनके जीतने के आसार अच्छे हैं, क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सीमाओं का उल्लंघन है।

कोरोना काल में सबकुछ बंद, मैं आवाज न उठाऊं तो कौन उठाएगा?

वटारू का कहना है कि उसे वीडियो गेम्स में कोई रुचि नहीं है। लेकिन कगावा सरकार ने कोरोना संक्रमण काल में ऐसा फैसला लिया है, जिससे हरेक बच्चा प्रभावित हो रहा है। जब सारे खेल मैदान और स्पोर्ट्स क्लब बंद पड़े हैं, तब बच्चों के पास इसके अलावा और क्या विकल्प हैं? अगर उनके लिए मैं आवाज न उठाऊं तो कौन उठाएगा?



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
कगावा में अप्रैल में लागू एक कानून में प्रावधान किया गया है कि 20 साल से छाेटे युवा स्कूल के दिनों में एक घंटे और छुट्‌टी के दिनों में डेढ़ घंटे से ज्यादा वीडियो गेम या इंटरनेट इस्तेमाल नहीं कर सकते।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3cWsEM1
via

No comments:

Post a Comment

easysaran.wordpress.com

from देश | दैनिक भास्कर https://ift.tt/eB2Wr7f via