Friday, June 12, 2020

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असम के तिनसुकिया जिले के बाघजान गांव में ऑयल इंडिया लिमिटेड के तेल कुएं में 17 दिन से गैस लीकेज के साथ आग लगी हुई है। इसे काबू करने में देश-विदेश के विशेषज्ञ जुटे हुए हैं। दूसरी तरफ तेल कुएं के पास बसा 600 परिवार और करीब 4000 की आबादी वाला बाघजान गांव मिटने की कगार पर पहुंच गया है।

गांव के ये परिवार राहत शिविरों में रह रहे हैं। कोरोनावायरस के संक्रमण के डर से कई लोगों ने बुजुर्गों को रिश्तेदारों के घर भेज दिया है। पीड़ित अनिश्चितता में दिन गुजार रहे हैं क्योंकि किसी को यह नहीं पता कि वे अपने घर कब तक लौट पाएंगे।

37 साल की लाबोइनया सैकिया आग में राख हुए घर की तस्वीर दिखाते हुई रो पड़ती हैं। 11 साल पहले पति को खो चुकी लाबोइनया ने पाई-पाई जोड़कर छोटा सा पक्का मकान बनाया था। जिस दिन गैस रिसी, लाबोइनया घर में बिजली फिटिंग करवा रही थी। वह तीन बच्चों के साथ नए घर में रहने की योजना बना रही थी।

सबकुछ गंवा चुकी लाबोइनया बताती हैं, ‘27 मई से पहले हमारी जिंदगी में सब ठीक था। उस दिन सुबह करीब साढ़े दस बजे धमाका हुआ और देखते ही देखते गांव में जैसे तेल की बारिश होने लगी। सब जान बचाकर भागे और अब बेघर हैं। बीते मंगलवार घर भी जल गया। अब दोबारा गांव में नहीं बस पाएंगे।’

दरअसल बाघजान गांव पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में आता है। गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर डिब्रू-सैखोवा नेशनल पार्क है। 340 वर्ग किलोमीटर में फैला यह नेशनल पार्क दुनिया के सबसे जीवंत जंगली जानवरों का घर है। यह पार्क हूलॉक गिब्बन के लिए अलग पहचान रखता है। दरअसल हूलॉक गिब्बन भारत में पाया जाने वाला एकमात्र वानर है।

पर्यावरण को हुए नुकसान का अध्ययन कर रहे विशेषज्ञाें को आशंका है कि तेल और गैस रिसाव से स्थानीय पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति हो सकती है, जिसकी भरपाई आने वाले कई सालों में संभव नहीं हाेगी। असम के वन एवं पर्यावरण मंत्री परिमल शुक्लवैद खुद मानते हैं कि पर्यावरण पर काफी असर पड़ा है।

ग्राम प्रधान ने कहा-ऐसी घटना कभी नहीं हुई

बाघजान के ग्राम प्रधान रजनी हजारिका (74 साल) बताते हैं, ‘सालों से इलाके में गैस निकाली जाती रही है, लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई। तेल और गैस रिसाव ने हरे-भरे गांव को बंजर बना दिया है। अब यहां सालों तक न खेती हो सकेगी, न लोग घर लौट सकेंगे। पास की डिब्रू नदी प्रदूषित हो चुकी है। खेतों पर तेल-गैस की चादर बिछ गई है। पेड़-पौधे नष्ट हो गए हैं। इलाके में लगातार कंपन हो रहा है। आग को अब तक सिर्फ फैलने से रोका गया है, काबू नहीं पाया जा सका है।’

रिसाव रोकने के लिए 30 दिन और लग सकते हैंः प्रवक्ता

गुवाहाटी हाई कोर्ट के वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष स्वत: संज्ञान लेते हुए हस्तक्षेप की अपील की है। उधर, ऑयल इंडिया के प्रवक्ता त्रिदीप हजारिका ने कहा, ‘कंपनी ने जांच कमेटी बनाई है। दो वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया गया है। ऑयल फील्ड में ड्रिलिंग जॉन एनर्जी नामक निजी कंपनी कर रही थी। कंपनी ने नोटिस का जवाब दिया है। हम पर्यावरण और गांव के लोगों को हुए नुकसान की भरपाई करेंगे।’ लीकेज रोकने के लिए सिंगापुर की एलर्ट जिजास्टर्स कंट्रोल के 3 विशेषज्ञ आए हैं। रिसाव रोकने के लिए 30 दिन और लग सकते हैं।

ऑयल इंडिया औरजाॅन एनर्जी के खिलाफ एफआईआर
गैस कुएं में आग काे लेकर ऑयल इंडिया और जॉन एनर्जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। असम पुलिस ने पत्रकार और पर्यावरणविद अपूर्वा बल्लव गोस्वामी की शिकायत पर यह कार्रवाई की है। शिकायत में ओआईएल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर का नाम शामिल है। वहीं केंद्र और असम सरकार ने अलग-अलग जांच के आदेश दिए हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने हाईड्रोकार्बन के महानिदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति बनाई है। असम ने अतिरिक्त मुख्य सचिव मनिंदर सिंह काे जांच साैंपी है।



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पर्यावरण को हुए नुकसान का अध्ययन कर रहे विशेषज्ञाें को आशंका है कि तेल और गैस रिसाव से स्थानीय पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति हो सकती है, जिसकी भरपाई आने वाले कई सालों में संभव नहीं हाेगी।


from Dainik Bhaskar /national/news/village-wasted-due-to-fire-in-oil-well-127404487.html
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