Sunday, January 26, 2020

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नई दिल्ली.आम आदमी पार्टी सरकार की 'मुफ्त योजनाएं' दिल्ली विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा हैं। झुग्गी बस्तियों में रहने वाले केजरीवाल सरकार से खुश हैं तो कॉलोनी में रहने वाले सख्त नाखुश। सरकार मुफ्त योजनाओं को उपलब्धि बताती है तो विपक्ष वोट बैंक की सियासत कहकर नकार देता है। तह में जाएं तो यह चुनाव कहीं न कहीं गरीब बनाम अमीर भी नजर आता है। दैनिक भास्कर टीम ने मैदानी हकीकत जानने के लिए झुग्गी बस्तियों से कॉलोनियों तक लोगों की राय जानी। पेश है ग्राउंड रिपोर्ट।

नया स्कूल और मोहल्ला क्लीनिक मिला
मसीह गढ़ बस्ती। यहां निम्न आय वर्ग ही रहता है। हमें नमित कुमार सूरज मिलते हैं। बातचीत का सिलसिला शुरू होता है तो सूरज बताते हैं, “दिल्ली में मुझे 25 साल हो गए। यहां कभी सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, लेकिन अब लग गए हैं। स्कूल बिल्डिंग नई बन गई। 2 किलोमीटर दूर पर ही मोहल्ला क्लीनिक है। मुफ्त इलाज मिलता है। और हमें क्या चाहिए? केजरीवाल सरकार फिर आना चाहिए।”

प्राइवेट अस्पताल के पर्चे पर भी दवाई फ्री
आगे बढ़ते हैं तो ऋषि कुमार मिलते हैं। मूलत: यूपी के फैजाबाद से हैं। हमारा परिचय जानने के बाद साफगोई से बात रखते हैं। उन्होंने कहा, “मेरा बेटा 13 साल का है। पहले स्कूल नहीं जाता था। अब नया स्कूल बना है। टीचर भी वक्त पर आते हैं। लिहाजा, अब स्कूल जाने में कोताही नहीं करता। गौतमपुरी में सीवर का काम 15 साल बाद हो पाया। नल कनेक्शन भी मिल गया है।” यहीं ऊषा कुमारी से भी बातचीत होती है। वो कहती हैं- प्राइवेट अस्पताल के पर्चे पर भी मोहल्ला क्लीनिक से दवाईयां फ्री मिल जाती हैं। मुफ्त सुविधाएं शुरुआती चार साल तो नहीं मिलीं, लेकिन 6 महीने से जरूर मिल रही हैं।

मुफ्त योजनाएं लोगों को निकम्मा बना रही हैं
तस्वीर का दूसरा पहलू जानना जरूरी था। हम सुखदेव विहार कॉलोनी पहुंचे। यहां मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग के लोग ज्यादा हैं। राजीव गुप्ता रिटायर्ड सरकारी अफसर हैं। केजरीवाल सरकार के कामकाज पर बात होती है। वे कहते हैं, “मैं फ्री स्कीम्स के सख्त खिलाफ हूं। ये लोगों को सशक्त नहीं बल्कि निशक्त और निकम्मा बना रही हैं। सरकार की जेब से कुछ नहीं जाता। ये तो टैक्सपेयर्स का पैसा उड़ा रही है। मेरा पानी का बिल हजारों रुपए कैसे आता है? मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर अतिक्रमण हो रहा है। सड़कें और फ्लायओवर अधूरे पड़े हैं। सरकार को उससे कोई लेना-देना नहीं।”

फ्री स्कीम्स नहीं, शिक्षा-रोजगार दीजिए
यहीं हमारी मुलाकात संजीव सिंह से होती है। वे पेशे से इंजीनियर हैं। कहते हैं, “दिल्ली सरकार की योजनाएं सिर्फ एक खास तबके के लिए हैं। और इनसे वो कभी मजबूत नहीं सकेगा। बेहतर होता अगर सरकार मुफ्त योजनाओं की बजाए उन्हें रोजगार और बेहतर शिक्षा मुहैया कराती।” कॉलोनी का गार्डन। यहां कुछ महिलाएं गुनगुनी धूप के बीच चर्चा में मशगूल हैं। इनमें से एक मंजू सिंह कहती हैं, “हमें मुफ्त कुछ नहीं चाहिए। सरकार पैसा लेकर बेहतर सुविधाएं दे। टैक्सपेयर्स का पैसा इस तरह क्यों बर्बाद किया जा रहा है।”

केजरीवाल सरकार कीफ्री स्कीम्स


बिजली : हर महीने 200 यूनिट तक बिजली फ्री। 201 से 400 यूनिट तक 50 फीसदी सब्सिडी।
पानी : हर महीने 20 हजार लीटर तक पानी मुफ्त।
तीर्थयात्रा : हर विधानसभा क्षेत्र से 1100-1100 वरिष्ठ नागरिकों को निशुल्क तीर्थयात्रा।
स्वास्थ्य : मोहल्ला क्लीनिक के जरिए फ्री कंसल्टेशन और दवाइयां। एमआरआई जैसे टेस्ट भी फ्री।
ट्रांसपोर्ट : डीटीसी बसों में महिलाओं के लिए यात्रा अब मुफ्त।



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