
न्यूयॉर्क. कोरोनावायरस के प्रकोप की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर में पहुंच गई है। देशभर में कारोबार ठप है। व्यावसायिक और वित्तीय गतिविधियों के केंद्र न्यूयॉर्क की स्थिति चिंताजनक है। यह देखना मुश्किल है कि स्थिति किस हद तक बिगड़ेगी। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के प्रमुख अमेरिकी अर्थशास्त्री ग्रेग डेको का कहना है, अर्थव्यवस्था में साल की पहली तिमाही में 0.4% और दूसरी तिमाही में 12% तक गिरावट होगी। लेकिन, गोल्डमैन सॉक्स का कहना है कि दूसरी तिमाही में गिरावट का आंकड़ा 24% तक हो सकता है। उसका यह भी दावा है कि इस समय बेरोजगार लोगों की संख्या 22 लाख तक पहुंच चुकी है। उधर, डेको का अनुमान है, अप्रैल तक बेरोजगारों की संख्या एक करोड़ 65 लाख हो सकती है।
न्यूयॉर्क सहित सभी प्रमुख शहर लगभग लॉकडाउन से गुजर रहे हैं
अर्थव्यवस्था का ऐसा हाल पहले कभी नहीं देखा गया। न्यूयॉर्क सहित सभी प्रमुख शहर लगभग लॉकडाउन से गुजर रहे हैं। न्यूयॉर्क राज्य में जरूरी सेवाओं को छोड़कर सभी कामगारों को घर में बंद रहने के लिए कहा गया है। युद्ध के समय ही ऐसा संकट था। यह महामंदी से भी आगे जा सकता है। मोर्गन स्टेनले बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री एलन जेंटनर कहती हैं, पहले कभी किसी मंदी के दौर में लोगों को बाहर निकलने से नहीं रोका गया था। उनका कहना है, बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों पर जबर्दस्त मार पड़ेगी। जनवरी तक अर्थव्यवस्था पूरी गति से दौड़ रही थी, वह अब ठहर चुकी है। अर्थशास्त्रियों को हर दिन अपने मॉडल में सुधार करना पड़ता है। रेटिंग एजेंसी क्रेडिट सुइसे का कहना है, निकट भविष्य में आर्थिक आंकड़े केवल खराब ही नहीं, बल्कि अकल्पनीय होंगे।
20% बेकारी की आशंका
अमेरिकी श्रम विभाग ने बताया है कि पिछले सप्ताह बेरोजगारी की दर उछलकर 30% पहुंच गई थी। छंटनी के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या 2 लाख 81 हजार थी। अब यह संख्या बेहद छोटी लग रही है। गोल्डमैन सॉक्स का दावा है कि अगले सप्ताह तक आंकड़ों के 22 लाख से अधिक पहुंचने का अंदेशा है। डेको का कहना है, बेरोजगारी की दर अप्रैल में 10% हो सकती है। इस हिसाब से देखें तो एक करोड़ 65 लाख व्यक्ति नौकरियों से वंचित हो जाएंगे। पिछली मंदी के बाद से ऐसा कभी नहीं देखा गया है। आने वाले महीनों में बेरोजगारी की दर और ज्यादा बढ़ेगी। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्टीवन नुचिन तो 20% बेकारी की आशंका जता चुके हैं।
सऊदी अरब विवाद से स्थितियां बिगड़ीं
उपभोक्ता वस्तुओं की मांग घटने, व्यावसायिक गतिविधियों के लगातार ठप होने, नौकरियों जाने से आर्थिक संकट तेज गति से बढ़ रहा है। डेको बताते हैं, करीब तीन चौथाई आर्थिक गतिविधि कंज्यूमर खर्च से आगे बढ़ती है। पहले की तुलना में अब बिजनेस कंज्यूमर पर अधिक आश्रित है। तेल मूल्यों को लेकर रूस और सऊदी अरब के विवाद ने आग में घी डालने का काम किया है। सस्ते कच्चे तेल की भरमार हो गई है। अमेरिका के ऊर्जा उद्योग को झटका लगा है।
आने वाले दिनों में संकट और अधिक गहरा हो सकता है
- 1930 के दशक में महामंदी के समय भी आर्थिक गतिविधियां इतनी अधिक प्रभावित नहीं हुई थीं।
- जनवरी तक तेज रफ्तार से दौड़ रही अर्थव्यवस्था अब लगभग ठहर गई है।
- तेल मूल्यों को लेकर रूस और सऊदी अरब के विवाद ने आग में घी डालने का काम किया है।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3adNoy9
via
No comments:
Post a Comment