
ये हैं 92 साल के भवानी शंकर शर्मा। इन्होंने न सिर्फ कोरोना को हराया है बल्कि, जिंदगी जीने की सबसे खूबसूरत तस्वीर भी दिखाई। 28 अप्रैल को कोरोना संक्रमण से पूरी तरह मुक्त होकर वे फिलहाल घर में क्वारैंटाइन की गाइडलाइन फॉलो कर रहे हैं। इस उम्र में ऐसा क्या था जो उनकी मजबूत इच्छाशक्ति को जगाए था? आइए जानते हैं उन्हीं की जुबानी।
'मैं अगर ठीक होकर लौटा हूं तो उसकी वजह सिर्फ मेरा परिवार है। क्योंकि, मेरे सब यार-दोस्त अलविदा कह चुके हैं, इच्छाएं अब उड़ान की रही नहीं। बस, परिवार में खुद को देखना चाहता था। मुझे परिवार में लौटना था। उम्र के हिसाब से तो मुझे ऊपर वाले से कोई शिकायत नहीं। बस एक बार परिवार से मिलना चाहता था...मेरे दोनों बेटे रिटायर्ड डॉक्टर, इंजीनियर हैं। उन्हीं के बीच अंतिम सांस लेने की इच्छा थी।'
'यही प्रार्थना ऊपर वाले से करके सबकुछ उस पर छोड़ दिया। मैं और कर भी क्या सकता था? कोरोना संक्रमण कैसे हुआ इसका तो मेरे पास कोई जवाब नहीं, लेकिन यह जरूर याद है कि 13 से 28 अप्रैल तक एसएमएस स्थित कोरोना इलाज केंद्र में दिन कैसे बीते, पता ही नहीं चला। इलाज के दौरान मैंने खुद को कमजोर नहीं होने दिया। सुबह-शाम योग किया, मनपसंद संगीत सुना और ईश्वर के प्रति भरोसा रखा, क्योंकि अंतिम सच तो वही जानता है।'
'मैं इस उम्र में भी तकरीबन स्वस्थ हूं। डायबिटीज, बीपी जैसी बीमारियां मुझसे दूर हैं, क्योंकि कभी कोई नशा नहीं किया। शरीर में लड़ने की क्षमता है, निगेटिव विचार फटकते भी नहीं। जीवन में मैंने कभी नशा नहीं किया। दूसरा, कभी खाली नहीं बैठता। जरूरी नहीं कि हम जिम जाकर बॉडी बनाएं। मुझे तो केवल पैदल चलने का शौक है। खूब चलता हूं। जीवनभर पैदल चलना और कामकाज से फुर्सत नहीं पाने का शौक ही आखिरकार मेरे काम आया।'
'घर में गार्डनिंग जैसे इतने काम हैं कि खुद को व्यस्त रखता हूं। हम सिर्फ अच्छा और केवल अच्छा करने की सोच सकते हैं। जिंदगी में बस एक ही मंत्र याद रखें- पॉजिटिव रहें, सब अच्छा ही होगा।'
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