
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों को हटाने की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। दिल्ली चुनाव के मद्देनजर चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में तुरंत कोई आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि प्रदर्शन लंबे वक्त से जारी है, इसके लिए आम रास्ते को अनिश्चितकाल के लिए कैसे बंद कर सकते हैं। लोगों को आंदोलन करने का अधिकार है, लेकिन इससे किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई आदेश नहीं जारी कर सकते: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा था कि प्रदर्शन निर्धारित स्थान पर ही किया जाना चाहिए। इस मामले में दूसरे पक्ष को सुनना भी जरूरी है। इसलिए तुरंत कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। कोर्ट ने इस मामले में भी केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।
प्रदर्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 3 याचिकाएं
दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले 50 दिनों से सीएए और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन हो रहा है। इसके चलते वहां मुख्य सड़क पर आवाजाही बंद है। इलाके का ट्रैफिक डाइवर्ट किए जाने से लोगों को हो रही परेशानी के खिलाफ वकील अमित साहनी और भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं, प्रदर्शन के दौरान 4 माह के बच्चे की मौत पर बहादुरी पुरस्कार प्राप्त छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी। कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया है।
शाहीन बाग में पिछले दो महीने से धरना चल रहा
दिल्ली में सीएए और एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग इलाके में 15 दिसंबर से महिलाओं और बच्चों समेत सैकड़ों लोग धरने पर बैठे हैं। 2 फरवरी को पहली बार शाहीन बाग के धरनों के विरोध में स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किए। इनकी मांग थी कि धरने पर बैठे लोगों ने नोएडा और कालिंदी कुंज को जोड़ने वाली सड़क पर कब्जा कर रखा है। इसकी वजह से लोगों को आने-जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
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