
नई दिल्ली.दिल्ली हिंसा और इसके लिए जिम्मेदार बताए जा रहे चार भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों के मामले में हाईकोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। कोर्ट ने पिछले दिनों मामले की सुनवाई अप्रैल तक टाल दी थी। इसके बाद हिंसा के 10 पीड़ित भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से इन पर शुक्रवार को सुनवाई करने को कहा था। हिंसा से जुड़ी अन्य याचिकाओं पर अप्रैल के बाद सुनवाई होगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में पुलिस को भड़काऊ बयानों पर कार्रवाई की रिपोर्ट सौंपने के लिए एक महीने का वक्त दिया था। याचिकाकर्ता हर्ष मंदार ने दावा किया है कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और अभय वर्मा के बयानों ने हिंसा फैलाने में अहम भूमिका निभाई। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 23 से 25 फरवरी के बीच हुई हिंसक घटनाओं में अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है। 200 से ज्यादा जख्मी हैं।
हिंसा की शुरुआती जांच में पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय साजिश का संदेह जताया है। पूरे घटनाक्रम की जांच एसआईटी के जिम्मे है। इसके अलावा पुलिस की लापरवाही की जांच और पीड़ितों को मुआवजा बांटने के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक पैनल बनाया है।
जज ने कोर्ट रूम में बयानों का वीडियो चलवाया था
इससे पहले हाईकोर्ट में दो दिन भड़काऊ बयानों के मामले में सुनवाई हो चुकी है। पहले दिन जस्टिस एस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली बेंच ने पुलिस और नेताओं को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज करने में देरी नहीं होनी चाहिए। जस्टिस मुरलीधर ने कोर्ट रूम में कपिल मिश्रा के बयान का वीडियो भी प्ले कराया था। तब उन्होंने कहा कि दिल्ली में हालात गंभीर हैं और हम 1984 के दंगे जैसी स्थिति नहीं होने देंगे। इसके बाद आधी रात को जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया। दूसरे दिन सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीएन पटेल की बेंच ने सुनवाई अप्रैल तक टाल दी थी।
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