
नई दिल्ली. बात शरीर की हो या मन की, उन्हें हर बार टूटने के लिए मजबूर किया जाता है। सदियों से यही सोच है कि लड़कियां वो सब नहीं कर सकती जो लड़के कर सकते हैं।इस पर अगर उसका रंग काला हो, शरीर भारी हो या फिर कोई और शारीरिक समस्या हो तो फिर मुश्किलें ज्यादा बढ़ जाती हैं।कहते हैं ना कि हिम्मत से हिमालय भी झुकता है, तो इसी सोच के साथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भास्कर सुना रहा है 5 महिलाओं कीकहानियां जिन्होंने अपनी बेड़ियों को तोड़ा और जिद करके अपनी पहचान बनाई है। 2020 के महिला दिवस की थीम बराबरी की सोच वाली ‘आई एम जनरेशन इक्वेलिटी:रिअलाइजिंग वुमन्स राइट’ है।
दुनिया की सबसे डार्क (काली) मॉडल न्याकिम गेटवेक, दृष्टिबाधित होने के बावजूद ओडिशा सिविल सर्विसेज में रैंक हासिल करने वाली तपस्विनी दास, भारत कीअल्ट्रा रनर सूफिया खान,अकेले 193 देश घूमने वाली मेलिसा रॉयऔर 138 किलो की प्लस साइज मॉडल-एक्टिविस्ट टेस हॉलिडे ने हमारे साथसाझा की अपनी कहानी …
पहली कहानी:‘क्वीन ऑफ डार्क’ हैं न्याकिम गेटवेक, कहती हैं - खूबसूरती के लिए गोरा रंग जरूरी नहीं
सूडानी मूल की अमेरिकी फैशन मॉडल न्याकिमगेटवेक को गोरा दिखना पसंद नहीं। गहरे काले रंग के कारण लोग उन्हें 'क्वीन ऑफ डार्कनेस' कहते हैं। उसे अपनी डार्क स्किन टोन पर गर्व है। खुद को काला कहने में शर्म नहीं आती।। ब्लीच करना जरूरी नहीं समझती। नस्लीय तानें भी खूब झेलें लेकिन न तो अपनी सोच बदली और न इरादे। मॉडलिंग की दुनिया में यही काला रंग उनकी खूबसूरती को बयां कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 'बंदिशों की बेड़ियां, बराबरी की कहानियां' थीम की अहम किरदार हैंन्याकिम। जो कहती हैं- हमें खूबसूरत लगने के लिए गोरा दिखने की जरूरत नहीं। Click >न्याकिमकी कहानी उन्हीं की जुबानी...
दूसरी कहानी/ हादसे में आंखें गंवाईं, लेकिन बिना आरक्षण ओडिशा सिविल सर्विसेज में रैंक बनाई तपस्विनी ने
एक ऑपरेशन हुई लापरवाही के कारणमें तपस्विनी की आंखों कीरोशनी हमेशा के लिए चली गई।छह माह बाद आंखों की रोशनी वापस आने की उम्मीद जगाई गई, लेकिन ऐसा होता नहीं है। उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। उसने खुद को बदला और इतनी हिम्मत जुटाई कि हर क्लास में सामान्य बच्चों से ऊपर तपस्विनी का नाम आने लगा।लोगों ने उससे कहायूपीएससी की तैयार करो उसमें दृष्टिबाधित बच्चों को आरक्षण मिलता है लेकिन उसने बिना आरक्षण के सफलता पाई। ओडिशालोक सेवा आयोग की परीक्षा में रैंक हासिल करके उसने कामयाबी की मिसाल कायम की। Click >तपस्विनीकी कहानी उन्हीं की जुबानी...
तीसरी कहानी:शांति-भाईचारे का संदेश देने 87 दिनों में 4 हजार किमी दौड़ीं सूफिया, कहा- हम कमजोर नहीं
देश में अमन का पैगाम देने का जुनून और फिटनेस के लिए दौड़ने के जज्बे ने सूफिया खान कोउस जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां बराबरी की मिसाल दी जाती हैं। जहां पुरुष-महिला का भेद नहीं है और समाज की बेड़ियों को तोड़कर कुछ हासिल करने की खूबसूरत तस्वीर नजर आती है। राजस्थान के अजमेर की सूफिया ने 87 दिनों में 4 हजार किलोमीटर की दौड़ पूरी करके गिनीज रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन वह न तो थकीं हैं और न रुकी हैं। फिर रिकॉर्ड बनाने के लिए उन्होंने एक नया लक्ष्य तय किया है। Click >सूफिया की कहानी उन्हीं की जुबानी...
चौथीकहानी:सिर्फ 34 साल उम्र में सारे 193 देश घूम लिए मेलिसा ने, परिवार ने कभी नहीं चाहा था
अनजाने देश पहुंचना, अंजान लोगों के घरों में रहना, सफर के लिए खर्च भी खुद ही जुटाना और महज 34 साल की उम्र वो कर जाना जो ज्यादातर औरतों को नामुमकिन लगता है, लेकिन है नहीं। ऐसी हैं मेलिसा रॉय। उनकी सोच और विजन एकदम साफ रहा है। कॉलेज के समय में एक लक्ष्य तय किया और उसे पूरा करके दुनिया को चौंकाया। 193 देशों की यात्रा का अंतिम पड़ाव था बांग्लादेश, जिसे मेलिसा ने 31 दिसम्बर 2019 को पूरा किया।
मेलिसाकहती हैं अपने अंदर का डर निकालना है तो बाहर निकलिए। Click >मेलिसा की कहानी उन्हीं की जुबानी...
पांचवी कहानी:138 किलोकीप्लस साइज मॉडल टेस कोपिता से गालियां मिलीं और लोगों से मौत की धमकी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 'बंदिशों की बेड़ियां, बराबरी की कहानियां' थीम की अहम किरदार हैं 138 किलो वजन वाली मॉडल-एक्टिविस्टटेस हॉलिडे। टेस का जन्म मिसीसिपीहुआ। बचपन में ही माता-पिता अलग हो गए। एक दिन गुस्से में आकर पिता ने मां को गोली मारी और वह हमेशा के लिए पैरालाइज्ड हो गईं। टेस कहती हैं, जो मॉडल प्लस साइज हैं, उन्हें शर्माने या घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें गर्व होना चाहिए। मैं मोटी हूं, लोग मुझे प्लस साइज कहते हैं। मुझे इस पर गर्व है। Click >टेस की कहानी, उन्हीं की जुबानी
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2Txs68Q
via
No comments:
Post a Comment