
तेहरान. ईरान ने रविवार को 2015 के परमाणु समझौते के किसी भी प्रतिबंध का पालन नहीं करने की घोषणा की। एक बयान में कहा गया कि वह(ईरान) अब परमाणु संवर्धन की क्षमता, उसका स्तर, संवर्धन सामग्री के भंडारणया अनुसंधान और विकास करने पर लगीकिसी भी पाबंदी को नहीं मानेगा। ईरान ने अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के तीन दिन बाद यह फैसला लिया है। अमेरिका ने शुक्रवार को बगदाद के एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला कर सुलेमानी की हत्या कर दी थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
ईरान के मंत्रिमंडल ने रविवार को परमाणु समझौते पर फैसला लेने के लिए आपात बैठक बुलाई थी। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ ही जर्मनी के बीच 2015 में परमाणु समझौतेपर हस्ताक्षर किया गया था। समझौते के तहत, ईरान ने आर्थिक प्रतिबंधों को खत्म किए जाने के बदले अपनी परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को अनुमति देने पर सहमति जताई थी।
समझौते में कहा गया था कि ईरान 2026 तकअपने यूरेनियम संवर्धन संयंत्रों को 5 हजार से ज्यादा नहींरखेगा।माना जाता है कि ईरान के पास 20 हजार से ज्यादा यूरेनियम संवर्धन संयंत्र थे। साथ ही समझौते मेंयूरेनियम संवर्धन की सीमा 3.67% तय की गई थी। यह सीमा परमाणु हथियार बनाने के स्तर से काफी कम है।
जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन ने ईरान से अपना फैसला वापस लेने की अपील की
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संयुक्त बयान जारी कर ईरान से यह फैसला वापस लेने की अपील की है। तीनों नेताओं ने रविवार को मध्य पूर्व में बढ़े तनाव पर एक दूसरे के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।
अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में इस समझौते को रद्द कर दिया था। इसके बाद उसने ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे।उन्होंने ईरान से नया समझौता करने की बात कही थी,ताकि ईरान के परमाणु कार्यक्रमपर रोक लगाई जा सके।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2SWjVDi
via
No comments:
Post a Comment