
मुंबई. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने रविवार को मुंबई में नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध करने की तीन वजहें बताईं। उन्होंने कहा कि पहला तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। दूसरा, यह भेदभाव और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला है। तीसरा यह कि इस कानून में संघ परिवार की फिलॉसफी और इसके मिशन ‘हिंदू राष्ट्र’ को थोपने की बात कही गई है।
विजयन ने यह भी कहा कि आज कुछ सांप्रदायिकताकतें अंग्रेजों की रणनीति अपना रही हैं। वे देश की एकता को समुदाय के आधार पर बांट रही है। देश की आजादी की लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ थी, मौजूदा क्रांति अंग्रेजों के साथ खड़े लोगों से है।
केरल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास हुआ था
केरल विधानसभा ने सीएए के खिलाफ 31 दिसंबर2019 को एक प्रस्ताव पारित कर इसे वापस लेने की मांग की थी। सदन में भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया था। सीपीएम के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस की अगुआई वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
केरल पहला ऐसा राज्य है, जिसकी विधानसभा ने नागरिकता संशोधन कानून को रद्द करने के लिए प्रस्ताव पास किया था। इसके अलावा पश्चिम बंगाल,राजस्थान और पंजाब भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं।
केरल ने नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन कानून को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताकर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। केरल सरकार ने कहा था- हम कानून के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे, क्योंकि यह देश की धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने वाला है। केरल के अलावा पंजाब विधानसभा ने भी सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया है। केरल सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सरकार का तर्क है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 का उल्लंघन है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जनवरी को सीएए को लेकर अधिसूचना जारी की थी।
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